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गोत

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पहोला गीत

जो मनुप्प पापोय्ों के मत पत नहीों यलता, औज अपनाचीयों के पथ पत्र प्यडा नहीं नहता, औन नोंद के के आसन पन नहों व्रेठता, से वन

है। परत्रंतु वह पत्रमेसन को ब्रेवसथा में मगन है, औन उसकी वेवरुथा में वात दीन चयद्रान कचता

हैं। वह जल की चाना के पास लगाये हुए पेड के समान देगा, जे। अपनी नौतु में परलता है, उसका पता ज्ञी नहीं सुत्रह्वेगा ; औन अपने सत्र

काम में ज्ञागमान हेगा। अचनमी एस नहीं, पत्र वे जञुसी के तुल हैं, जौसे व्रद्यात उड़ा लेजातों

थू है। इस लोगो अचनमी नयाग्र सथान में, औन अपना'ची घतमीयों को खन्ना मं, प्यड़े होंगे।

कग्ोंक्ी पतमेसन 'चनमोणय्रों को याल पह्ोयान- हि है, पत्ंत अचनमीयों को याल नसट हे।

> .. जायगो। हु

नै

श्र हर

०८

गोल।

दुसना गोत

अनदेसी कीस लोग हुलन कनते हें? ओऔन जैक आर लोग अननथ योनता कनते हें?। जगत के

2९०

चाजा सामना कनते हं, ओऔन पतन्रचान पतमेसन के, औन उसके मसीह के ब्रोचाच पत्तामनस कन ते चर हैं। टोआओ, हम उनके व्रंचनेय के ताड डालें, अन उन को नसमीयों के! अपने पास से फरंक देवें। जोसका आसन सनग पन है, से। हंसेगा

पड विधि ५९. लक कर पत्रमेसत उनहें ठठां में डडावेगा। वक्त काप से उन से ब्रेललिगा, ओअन अपने महा कोाप से उनहें सतावेगा। तोसपत ज्ञी में ने अपने पहाड को पवीतननता सेहुन पत्र अपने नाजा के अज्नौसीकत कौया है। में नोयम के व्रतनन कनुगा, कीं

न्‍स्छेः

पनमेलन ने सु कहा है,कों त्‌ मेता पतत, आज के हौन तु सुष्ठ से उतपंन हुआ। मु से मांग,

' ओऔज में अनदेसोय्रों के तेते अची कान में देडंगा

१.०

श्र

औ।न पीनधीवी के यानों प्यूट तेने द्रस में कनुंगा तु लाहे के डंडे से उनहें तेड़ेगा, कुमहात्र के व्रतबन की नाइं तु उनहें पटक के यकना युतर कनेगा। इस लौग्रे हे जाजाओ ब्रुचमान हेओ, औएज हे पीनथोवों के नग्नात्नीय्रो उपदेस गवहन कनो। डलते हुए पत्रमेसन की सेवा कना, औनत

श्र

तीसना गोत धू्‌

कॉपते हुए आनंद कतो पत्र के यम, बच नोसोीया जाय, जव्र॒ उसका कनोच तनीक

ज्ञौ भड़के, ओज तुम मानग से नास हे। जाओ ;

ध्उ

कप ७... ३९० सब्र, जे उसपन ज्नासा चप्पत हें घन है

6 तोसना गीत |

हाडढ का गोत जव्र॑ वह अपने व्रेटे अव्रसालम से आागा। है पतमेसन, नने रूताड केसे व्रढगय़? ओऔ।न व्रहूतेने मेरे व्रोतय उठते हैं। व्रहुतेन मेने पनान के व्रौप्पय्य में कहते हैं, की इसन से अतव्र उसको सहाय नहों, सीलाह। पतन हे पनमेसन, तु भेनो ढाल, ओज मेन व्रोज्व, आन मेने सौन का उन्नाड़ने वाला है। में ने अपने, सब्र॒ट से पत्रमेसन को पुकाना, आन उसमे अपने पवोतन पहाड पन से मेनी सनों, सोंलाह | में लेट गया और से नहा, ओऔ।न जाग उठा, क्यों की पत्तमेसत ने मेनी चछया की | व्रीनाच दस सहसतों ने

: मु चना है, में उन से डतुगा। हे प्रतमेसत्

.. सात्रे ब्रचोयों के गाल प्रत थपेडा माता, त्‌ ने

उठ, हे मेले इसन, सुट्टे दया, कयोंकी लु मे मेने

रु

3

अचनमोंझों के दांतों के ताडा है। मुकत

398 (७.

गोत।

पत्मेसन हो से है, तेना आसोंस तेने लागों पत है, सीलाह |

याथा गौत।

नरगोंनत के पतचान व्रज़नये के पास दाद का

गोत

हे मेत्रे 'चनम के इसन जव्र में तुह्े प॒कानु, तब सुन, कसट से त्‌ ने सुष्ठ छडाय़ा है, दया कन के ! मेत्ों पताचथना ध्ुन। हे मनुप्पों के पततो रूने वीज्नव के कब लाों लाज से पलटाोग? ग्रैन ब्रौनथा से पनोत नप्प के छुठ का पीछा कचोगे? सोलाह। पत्र जान नप्पा, कौ पतनेसत ने चतमोौ के अपने लोग अलग कनर नचप्पा है, जबव्र में डसे पकान गा, पतमेसन सनेगा। डतो, गत पाप कनो, यपके हो| के मनहो मन 'चग्नान कनो, सीलाह घनम के व्र॒ल यढाओ, ओऔनच पत्र मंसत पत्र अचोसा नप्पा। व्रहुतेने कहते हें, को केएन हमें कछ जलाइ दो प्यावेगा? हे पनम- सत्र अपने सनुप को जेतत हम पतन उद्य़ कत् उनके आनंद ओन द्ाप्पनस के व्रढने के समय से अचीक तु ने मेत्रे मन के आनंदोत कौग्ा है।

पांयवां गोत के

में यैन से लेट जाउंगा, औन से नहुंगा, क्यों की पनमेसत अकेला मुष्ठे येन से नप्पता है।

पांयवां गौत।

नहौलुस के पत्रचान व्रजनीयरे के पास दाद का गोतल।

५. हे पनमेसन मेनो व्रातों पत कान चन, ओन मेत्त चय्नान के सेय। हे मेने नाजा, ओऔतन हे मेने इसल, मेने नाने का सदव्र॒द सन, क््योंकी में 45% + का तती प्रतानथना कन॒गा। हे पनमेसन, तु व्रौह्ान के मेना सव्रद सुनेगा, व्रीहान के। में सोच डे के तेती आन ताकंगा # क्ग्मोंकी तु वुह्र इसन नहीं, जा दुसटता से पत्रसंन जे, दुसट तेत साथ वह नहों सकता॥ सुनप्प तेती आंप्पों के आगे प्यड़े धर चहेंगे, तु साने ककतमीयों से घांन कनता है। तु मौधथग्राव्रादों को न|स कनगा, पनमेजन व्रचौक ग्रान छलीो से घोन कनेगा।| पंत में जा हुं, से 2९. कीए, ना. तेनीं ट्या को व्रह्ताइ से, तेने चन में आउंगा, और तेने डन से तेने पवीतत मंदौन में ले दंडवत कन गा। थे पतमेसन मेन ब्रैची के कातन अपने चनम म॑ मेता अगुआ हे, मेने आगे अपने

.€ मानग के रौचा कन। क्मोंकी उनके मुह में

हज

गोत।

याइ नहीं, उनके मन भें दुसटता है, उनका गला प्यली समाच है, वे अपनी जोज्न से लला-

. ६९० पता कहते हैं। हे इसन, उनहें दे।प्पी ठहना,

पर

रे

जीसत वे अपने पत्रमामनस से आप हो गीन जावें; डनके अपनाचों की व्रहुताइ म॑ उनहें दल कच, क्ग्मोंकी वेतुष् से परीच गय्य हैं। पत्र सब्र जा -

बह पत्र जअनोसा चप्यते हैं, मगन चहें, वे सदा

आनंद के मात्रे गाया कनें;इस काचन कौ तु उनकी ओ।करी कनता है : जन वे ज्ञी, जे। तेने. नाम से पौचोत नप्पते हैं, तट से आनंदोत चहें कग्रोंकी है पनमेसन, तु चनमनी के आसीस देग', कीनपा की ढाल की नाइं तु कौचपा से उनहें ढांपेगा

छटवां गौत |!

नगोनुस के पत्रचान व्रजनोय के समोनोस पतत दढाउइ का गींत।

६2."

री जे जे पत्रमेससल अपनो नस से मुह मत दृपंट,

अपने काप की तपन से मुष्ठ मत ताड। हे - पनमेसन, लुष्ठ पत् दया कन, कर््मोंकी में नौनव़्ल

हुं, हे पतमेसन, सुष्ट यंगा कन, कयांकी ऋतो

इडी थतथनाती हैं। मेत्रा पतान ज्ञों अतो व्रद्ा-

कुल है, पततु दे पतमेसत कंद्र लें ? हेपनमेसच,

सातवां गीत ढ्‌ः

परीच आ, मेने पतान के छडा, अपनी दया के

भू काचन मु व्रया। करयोंकी मौनत्‌ में तेना सम-

चन नहीं, समाच में कान तेता चनव्राद कनेगा ?

कहनते कहनते में थक गद्मा, में हत नाल अपने

३५ कं में >> हि

ब्रौछ्ोने का व्रह्यता हुं, में अपने आंसुओं से अप-

ना पलंग ज्ञींगाता हुं। सेकक के माने मनी आंप्प हे हक डे

: चँचला गई, औअन मेन साने बनोयों के कानन

ब्रुढ] गइं। अने सान कुकनमोय्रो सुध से दुत्त

हैाओ, कझ्मोंकी पत्रमेसत ने मत नाने का सव्द

सुना है। पनमेसत ने मेनो व्रौनती सुनौ है, पत-

हे ड््य्ू के."

१९० मसन मेतो पत्तालथना गनहन कनंगा। मेनेंसाने

डे |] हे ०.

ब्रेनी लजोत ओन अतयंत व्रद्याकुल हैेब॑, वे परीनें, आन आकसमात लजौत हेसे।

सातवां गौत

दाउद का रुगौयुन, जे। उसने पतमेसन के लौगे ब्रनोग्रामोनी केस के व्रयन के व्रॉप्पय् में

गय्या। हे पनमेसन, मेने इसन, में तुष् पत्र जनासा नप्पता हूँ, मेने साने सताड से सुछ व्रया, आन मुष्ट छुडा। देवे की सीोंह कौ नाइं वृच्द मेने पततान के पराड़े, ओआज छोड़ब्रेय़ा हे।ते हों वुच्द

१० 3. 8.

पक

९९

गोत।!

मुह टुकड़े टुकड़े कते। हे पत्रमेसत, मेत्रे इसन, ग्दौ मुझ से ऐसा हुआ हे, य्टौ मेने हाथ मर व्रताइ देते)! जौसे मुध से मेल था, य़दी में ने उस से व्रताइ की हे।, (हां जे अकानन मना बनी था, में ने डसे छडाया है) | तो द्रेनों मेने पत्ान के सतावे, ओन लेवे, आन मेने जीवन के पी च- थीवी पत्र लताड़े, ओज मेत्रों पततोसठा चल में मौलावे, सौलाइ। हे पत्मेसन, अपने कनोच में उठ, ओजतन मेने ब्रैची के केप के माने आप को उनच्नाड, ओऔन अपनी अगग़ा के नयाग्र के लौगे जाग। तब लागों की मंडलों तह घेनंगो, से उनके लोगों परेस उंये पत जा। पनमेसन लागों का नय्ाग्न कनेगा, हे पतमेसन, मे चच्म जन मेत्री प्पताइ के रुमान मेत्ा नय्ाय्र कच। दुसटों की दुसटता मोटा डाल, पत्रंत 'वनमों यों के दौढ़ कन, करय्नोंकी चतमी इसन मन औल अनतःकनन के जांयता है। इसन मंत्री ढाल, जो प्पने मन का तालक है | इसन चनमी यों का व्रौद्याल कच- ता है, आन इसन पत्तदौन दुसरे पत्र नौसग्राता है। ग्दौ वह परोने, ते। वह अपनो तलवान के। चान कनगा, उसने अपने 'घनप्प के यढा के लेस कौया है। उसने उसके लोग मोनतु का

आठवां गौत

हथीस्रात ज्ञौ सोच कौया है, उसने सताउ के ब्रोचाच अपने व्रान ठहनागे हैं। देप्पा उसे

.. ब्रचाइ कौ पीन, और नटप्पटी का गनन्न है, ओऔन

९9

रे

वचह् छठ के जंता है। उसने गड़हा प्पादा च्चै औन अपने प्योदे हुए गड़हे में मोंता है। उस कौ नटप्पटी उसके सोच पन लोट पड़ेगी, जान उसके अंचेन का व्रवहान उसकी प्पोपड़ी पतन विज पे को हि उतनेगा। पनमसन के चनम के समान में उसकी सतुत कत् गा; अतो महान पत्रमेसत्त का नाम गाउंगा।

आठवां गीत गोटौस के पत्रचान व्जनय के दाउढ का गौत

है पतमंसत हमाने पत्रन्नु सानो पीवधीवो में तेता नाम केसा उतम है, जीस ने अपने व्रोंलव के सनगों

से डउपन सथापीत कीग्ा है। जीसत॑ ब्रेती औन

ढ़

पनतोपरल द्वायकें का यप कतावे, ने अपने व्रैनौंयों के लोग व्रालके जन दुचपीवकें के मह से अपनों सतुत कचवाइ। जव्र में तेंनो अंगली- यों की कौनचया रुतसगों का यांद ओज तानों को, जेातुने ठहनाये हैं, सेयता हुं। ते मनुप्प कया है, जे तु उसका येत कने? आन मनुप्प का

१२ गोत।

पुतन कग्मा, जा तु उस से ज्ञेंट कने? कब्बोंकी तु ने उसे दुतों से थोड़ाही छाटा कोंया, औज व्रौज्ञव

तन पत्रतोसठा का मुकट उस पत्त तप्पा। अपने हाथ के काचजें पत्र अनधथात सान ओत

ढ़ात। तन ब्रम पस, ओन अकास के पंछो औज रूम दत कौ मछली यों पत्र, औज जे सम दूत के पथों में से यलते हैं, नु ने उसे पच्रञ्ञुता दो, औतन सत्र कछ उस के पांव तले कोंग्रा; हे मेने पत्रज्ञ पत्तमेसत तेता नाम साती पौनधवी मे केसा महान है।

नवां गीत

मुसलव्रव्रौन के पतचान व्रजनोयय्े के पास दाऊद का गोौत।

९५ हे पनमेसन में अपने साने मन से तेनी सतत

कन गा, में तेनें साने आसयतज कनमां के पत्तगट

कतंगा। में तध्ट से आन दीत औच मगन चहुंगा हे अतो महान, में तेत नाम की सतत कन गा

ह₹ जव् मनेने ब्रेनों हट गये, तव्र वे तेने आगे गोन के

नास हेंगे। क्ग्मोंकी तु ने मेत्र पद को ब्रीयाच

..कौग्रा है, तुने सोंहासन पतन व्रेठ के सया ब्रौयात्

कोग्रा हैं। तु ने अनदेसौय्रों का दपटा है, नु ने

- नवाँ गौत श्छ

दुसटों के नप्तट कोग है, ने सदा के लोग उनके नाम के मीट डाला हैं। अने ट्री नास '

. है। युके हैं, तु ने नगत के नगन उजाड़ दौये,

जौनका समनन उनके साथ जाता नहां। पत्रंत पततमेसन सर लो व्रना तहेंगा, उसने अपने सोंहा- सन के नुग्रांय्न के लौय सीच कोग्रा है। वृष्द चंत्तम से संसान का व्रौयान; औन प्पत इसे लागों का नयांय कतेत। पनमेसन सताए हुओं के

_ लोगो उंया सथान ज्ञौ होगा, औन दुःप्प के समय

हे पक रे १९

प्‌

के लीये ऐक सनम | जो तेता नाम जानते हैं, से तेता जतोस। नप्पेंगे, कझोंकीं हे पतमेसन तु ने अपने प्पाजी के नहों तयागा है। पत्रमेसत की, जे सेहुन का नौवासी हैं, सत॒त गाओ, उसके कानजे का लागें के मच में व्ननन कना। जब्र वच् लाहु का लेप्पा लेता है, ता वुद् उनहें समचन कचता है, वह टुःप्पी को दुहाइ का नहों झुलता। है पतमंसन मुष्ठ पत ट्या कन जा मुध्ठ मौनत के दुवानों से उठाता है, जा दःप्प में अपने वर तो से उठाता हूं, उसे व्रष्ठ। जीसतें में सहन को ब्रेटी के दुवानों पत्र तेनो सानों सतत के पत्गट क्र, तेनी लुकत से में आनंदौत हे।डंगा। अनदेसी उस

गडहे में, जे उनहोें ने प्याहा था गौत गये, उस छठ 6६.

शैहे

शै3

श्द्ध फ्ढ

हे

गौत॥

परंदे में, जो उनहों ने छीपाय्ा था उनहीं का पांव व्रष््ा पनरूसन अपने नय्ाग से जाना जाता है, दुसट अपनेहो ह।थों के काचज से परंसा है,च्ौगी गन सौलाह। दुसट लाग जन स।ने जातौगन, जे। इसन का अजलते हें, नतक भें डाले जाय॒ग। क््रांकी कगालसदा जझुलाय्रान जाय्रमा, कंगाल की आसा सदा नसट चेोगी। छठ हे पनमेसन, किक पु ७९,

मन॒प्प का पलव्रल होने दे, अनदेसोयों का ब्रौयान तेल आगे हेोवे। पनमेसन, उनहें

कक डना, जीसत जातगन अपने केः मनुप्प हो जाने, सोल।ह।

९० दसवां गौत है पनमेसन, क्यों दुत्न प्यड़ा हेता है 'प्पों के समान कयों आप का छीोपाता है

दुसट अहंकान से कंगाल के सताता हैं, उनहों

को जुगत में उनह परंसा। क््मोंकी दुसट अपने पनान की लालसा पत्र व्रडाइ कचता है, ओअन खलालयी के, जौस से पत्तमंसत के चीन है, ज्ञाग-

: मन कच्दता है दुसट अपने मह के अहंकान से

: प्याज नहीं कतता, इरूच उसको सानी यींता में

नहीं है. उसकी याल रुदा दुःप्पद।ग्रक हैं, तेने

दसवां गोत ९५ नय्ाय्न उसकी दौनौसट से दुत हैं, वुद्द अपने रू।ने

ब्रैनीयों के तुछ जानता है। उसने अपने मन में

क/०

१०

प्र

पर

९९

रछ8

कहा है, को में टलाय्रा जाउंगा, सुष्ठ पतत पोढो पींढी व्रीपत पड़ेगी। उसका मंच चौकान,

औन कपट, औनच छल से ज्ञता है ; उसको जीज्न

के तले नटप्पटौ यान व्रताइ हें। वुच्द गांव के ढुके के सथने। में व्रेठता है, वुद् गुपत सथानें में नोनदेप्प के चात कतता है, उसको आंप्प छोप छोप के कंगाल के व्ौनुच लगो हैं। बुच्द छोप के सोंह को नाइं अपने मांद में चात में लगा है ; कंगाल के पकड़ ने के लोग के में है, वह कंगाल का अपने जाल में लके पकड़ता है। वह दव्॒क ब्रेंडठ के दीन दे। जाता है, जौसतें कंगाल उसके व्रलव ते से गीनजावं। उसमे अपने मन भें कहा, है, को इसत जझल गद्या हैं, वुद्द अपन। म॒ छो पा- ता है, वह कन्नौ देप्पेग!। हे पतमेसन उठ, हे इसने अपना हाथ व्रढा; दुँःप्पी के जुल मत जा | इसने को नोंद। दुसट कंग्यों कतता है? उसने अपने मन में कद्द। है, की त्‌ लेप्पा नलेगा| त्‌ नेता देष्पा हैं, कग्रांओी ऋपने हाथ से पलटा लेने के। नटप्पटो ओ।न व्रत के देप्पता है, कंगाल लुष्ट से पौलय। चद्ता है। दुसट ग्ात्र व्रतेःको,

रे

'गोत॥

2. + - अुजा तोड़, छसा को उसकी दुसटता ढुढने से पाइ

९५६ जाय। पनतर्मसन सनातन से सनातन लो नाजा

रै3

ही

है, अनदेसो उसके देस से मीट गये छे पनमे: सन, ने दौन को इछ। मनों है, सत उनके मन के दीचढ कनगा ; कान चन के सनेंगा। अनाथों का, जन सताये हुओं का नय्ाय्र कनने के, जो सतें संसानौक मनुप्प परेत डनावें

९९ गयद्यानहवां गोत पनचान व्रजनय़ के पास दाउद का गीत | * पे ७३ कप क< पी. मेला जतोसा पतरुसत पत है ; तुम करग्योंकत मे पतन से कहते हे।, की यीडौगट्रा की नाइं अपने पद्दाड पत उड़ जा ?। इस लोग्र की दुसट अपने चन॒प्प के यढ़।ते हैं, वे अपना व्रान पनय पत्र यढ़ाते हैं, जौसतें अंचीय़राने में प्पने लागों का

मान। जो नेवें नस॒ट हे।वें, ता चनमो कया कत सकता? पनमेसल अपने पवीतन मंदीतन में है,

है.

पनमेसन का सोंहासन सतग पत्र है, उसको आंप्प रेप्पतो हैं, उसकों पलक मनप्प के संतानों के पत्रप्पती हैं। पतर्मंसन घनमोौ के। जांयता है पत्रत दुसट से, अन अंचेत के पत्ेमी से उसका आतमा घौन कतता है। दुसटों पत्र अंगान,

व्रानहवां गीत श्७

औन आग, चैन गंचक वुद द्रतसवेंगा; ओनच

अग्रंकत आंची उनके कटोले का ज्ञाग हेगा।

कग्नेकी घलमी पतमेसन 'चनम सें पंनोत नप्पता _ है, ओज उसका नुप प्यते लागों का देप्पता है।

९२ व्रानइवां गौत | समीनोस पत पनचान व्रजनीट़ के पास दा।उ॒द का गोत।

हे पनमेसन व्रया, करय्रोंको इसनोट जन चटोे _ जाते हैं; औओन मनप्पों के संतान में से व्रोसवसत लाग प्पीन होते हें। वे अपने पनासी से वद्रौनथा ब्रेलते हैं; अन यापलुसो हे।!ठों, औन देहने

मन से कहते हैें। साने यापलरी हेटों का, ओऔन उस जौज्न के, जो ब्रडौ व्रे।ली व्रेलतो हैं,

पत्तमेसत काट डालेगा |! जीनचहें ने कहा है, कौ हम अपनों जौजन्न से जौत गे, इमाने हेठ हमाने

हैं, कान हमाना पनज्भु है ? पतमेसन कहता है, कौ कंगाल के अंचेन के लोग आन दनौदनों की ठंढी सांस के कानन में उठंगा, औन उसके हाथ

से उसे व्रयाउंगा। पंनमेंसेन के वब्रथन पबीतन ब्रयन हैं, मौटी की घंडीय़ा में तय गये यांदीं

& को नाई सात ब्रांन नोनमल कोंग्रा गद़ा। हे

8७ 68

श्यः

रे

गीत

पतमेसन, तुद्दो उनको चक्ा कत्रेगा, ते उनहें इस पोढौ से सदा व्रयावेगा। जव्र से तुछ लेग उन्नड़े हैं, लव से ढुसट यात्रों ओत परोनते हैं।

९९ तेचहवां गोौत | पनचान व्रजनोदय के पास दाउद का गीत

है पतरमेसन, कवर नें तु मुझे लेगा? कया सना- तन लो ? कव़ला तु अपना म॒ह मुष्ठ 3 छोौप।वेगा? में पतरतीद;न कव्र लो मन में दःप्पी ह्षेके मनहों

$ ०५.) ५५५ चोर डे | " मन पत्रामनस कन॒ 2? क्र लॉ मत द्रत्ो मुझ पत्र उन्नड़ा जायगा। हे पत्मेसन, मेचे इसन साय ०३३६ ९, ७. के मेती नस, मेत्री आंप्प उंजयालो कन, हो की में मौनत को नॉद में पड जाउं | आन मेचा ब्रैनी कहे, की में ने उसे जीता है, ओ।न मेने सताउ मेने टलाग्र जाने से आनंद कत। पच्रंतु

नि ०५४ 5७» ; 2 में ने तेती दशा पत झवासा चप्पा है, मेता मन तेनौं लुकत से आनंदीत देगा। में पतमेसन के लोंटे गउंगा, क्यांकी उसने दृातापन॑ से मुष्ट से

ब्रेवह्दात कोया है

९४ येरद्वां गीत पत्रचान व्रजन के पास दाउ॒ट का गीत:।

मुनप्प ने अपने मन.भे कहा है, की इसच नहीं;

पंट्नहवां गोत ध८

बे सड गये, उनहे ने चौनेाना कानज़ कौय्ा है, काइ जलाइ नहों कचता। पतमेसन ने सनग से मनुप्पां के संतःन पत्र ह्वांका, ग्रह देप्पने के कौ _ केइ समुष्ठ के इसत के ढता है, की नहों। वे सत्र के सत्र अलग 59 हें,सत्र के सत्र सड गये, का इ्‌ ४. स॒कवमो नहों, 9 ज्ञो नहों | « कया साने ककत- : मौयों में गद्यान नहों, जे। मेने लोग के। चोटी कौ नाइं प्पाते हैं? जैन पतमेसत का नाम नहीों लेते। भू वे डत से डन गये, कदग्मांकी इसल चनमीयों के मच में है। तुम ने कंगाल के पतामनस का लजाया है, इस लय की पतमेसत उसका रूतन है। हाय की इसनाइल की मुकत सेहुन से नोकले, जव्र पतमेसचल अपने लागां को व्रंचआइ का प्रेल लवे गा, तब ग्राक॒व़ आन दौत, और इस- नाइल मगन हेगा।

९५ पंदनहवा ग़ोत। दाउद का गोत ५. हे पनमेसन तेने मंदौनत में केन टौकेगा ? तेने पवीतनत पहाडु पत केन चच्तेगा ? दुच्द, जा . प्यनाइू से यलता है, औ।तः चनम कानज कनता है, छान अपने; मन से सय कहता है वच्द जा

ब््‌छ

गोत

जौन से युगलों नहीों प्पाता; अपने पनासौ कीं ब्रुताइ नहों कतता; आन अपने पनोसी के

ब्रौनच अपव्राद नहीं मानता। जौसकी आंप्य में

ल॒ुछ जन नीं दौत है,पत्त बुद्द पतमेसत के डनवेग़ों के। पततोसठा देता है, जे अपने दुःप्प के लोग्र

कोनीय़्रा प्यात्ता है, औल नहों पलटता | वृच्द

न्‍

ढ्‌

घर

ब्रश्नाज में अपना नोकड़ नहीं देता, बैन नोन- दाप्प के ब्रौनाच अकान नहों लेता, जा यह कंनता है, से कन्नी टलाया जायगा।

९६ सेलइहवां मौत

दाउद का मौकताम डे इसन, तु मुह व्रया, कंग्योंको में तुह पत जअनोसा नप्पता हूं। हे पान तु ने पंचनेसन से कहा है, को तु मेत्रा पत््नु मंत्री जलाइ तुष् पत्त नहीं पहुंयतो पत्र पीतथौवों के साचुन आन उतमों पत, जोन से मुह साना आनंद है। जो आन देव के अ्ञंट देते हैं, उनके से।क व्रढ जाद्ंगे, मैं उनके लाहु पान को जअ्ञट यढाउंगा, औानच अपने हेंठों से उनके नामन लेडंगा मेने अची कान का, औत मेने कटे।ने का ज्ञाग पत्रमेसन है, तु मेन अंस का पछ कतत। हैं। - मन ज्ञावन

सतनहवां गॉत। २२

खान सथानों में मने लौटे नापने की नसी पडो है, हां मेत्रा अचीकाच सुथता है। में पतमेसन का घन बे रथ, जे ._ मानु्‌गा जौसने सुष्ट मंतत टोग़ा, औन नात के समग्र में मेत्ा मन ज्ञी मछे सोप्पाता है। मेंने पनमेसन के सदा अपने आग जमष्ठा है, कग्रांको वह मेने टहाने हाथ पतन है, में टलाय्रा जा- उंगा। इस लीौये मेतरा मन मगन है| मेतता वौजव आनंद कनता है; मना सनोत ज्ञी अनोसे हे बाप कह ८. ३७ कि. ०» से नहेगा। कयोंकों तु मेने पत्ताल के। पनलाक मे छोड़ेगा, औन अपने 'घचनम मग्न के सडने नल जप 2०९ 22०५८ १५९ ऐेगा। मष्ठ जीवन का मानग टौप्पवेगा, तेचे कप ्ी ; हक 4 आगे आनंद को जतपतो है, तेत्े दहोने हाथ मे

सनातन का व्रौलास है।

९५७ सतनहतवां गोत दाउद की पतानथना |

2 ्थ 350. 0... अधि. ५६ हे पतमेसन, नयाय्॒ के सन, ओ।न मेन नाने पत्र सतत लगा, ओजन मेने नोसकपट हेंटठों की पनानथन। पनं कान चन मेनी अगया तेत आगे से नोकले, तेनो आंप्य प्पलो व्रसलन के टेप्पतो हैं। ने मेने मन का पतनप्पा हैं, ने नात के मुष्ठ से ज्ञंट को है; ने मुष्ठ जाया है ओ।न कछ पावेगा, में ने ठाना है, की में

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श्््

गोत

अपने मंत्र से अपताचन कतगा मन॒प्पों को याल के व्रोप्पय्य म॑ तेन हेंठों के व्रयन से में ने. अपने के। नस के पथें से व्रया तप्पा है। अपने पथां पत्र यलने में मुष् संभाल, जौसतें मेने डम टलाग जायें | में ने तष्टे पुकाता है, कयोंकी त्‌ मेरी सुनेगा, थे इसन, मेत्तो आच कान चन्त, औाज मनी व्रीनती सुन। तु जे अपने असनोतों के अपने ट्हींने हाथ से उन से व्रयाता है, जे उनके ट्रौनच उन्नत ते हैं, अपनो अयंज्नौत कोमल दया दौप्पा। उन दुसटों से, जे मुष्ठे उजाड॒ते हैं, गैत मत पतान के व्नौयों से, जे मुछ्टे घेतते हैं। आंप्पों की पतलो की नाइं मुछ्ट चप्प, अपने, डेने तले मुझे छौपा। वे अपनो योकनाईं में ढपे च्, वे पर॒ल परल अपने मंच से व्रालते हैं। उनहें ने अब हमाने डगा में हमें चघेन। है, ओअन जीसतें हमें गीता देव, वे अपनी आंप्प ज्ञग को आन

छुकाय हैं। वे परडवेटय सोंह की नाई, हैं, औन

जुव्रा सोंच को नाइ, जे ढुके में ब्रेठेहें उठ,

हे पनमंसत्, उसके मंच का नोक, उसे भीना दे।

उस दुसट से, जा तन प्यडग है, उन लोगों से,

' हे पनमेसन, जे। तेता हाथ है, रुंसान, के लागें से.

जौनहें. ने. इसो जोवन भें अप्रना ज्ञाग पाया है,.

कक ह>

अठानहवां गीत ९6

खत जीनका पेट तु अपने छोपे घन से आझनतता है, मेने पतान के कड़ा, वे संतान से अते पुन हैं, .. आल वे अपनो व्रयी हुडइः रंपत अपने व्राल व्रयों (४ के लोग्रे छाड़ जाते हैं। पतन में जा हुं, चतम में तेता मुंच देप्पंगा, औन जद्र में तचे नुप में जागुंगा, तो तौनोपत हेडंगा।

९५८ अठानचइवां गोत पनचान व्रजनोये के पस पतमंसन के सेवक दाउद >्‌ जे 3 आर के गत, जोसने इस गोत के व्रयन का उस + जीप दौन म॑ पतम सन से कहा, जम्र की पत+सन ने उसे उसके साने व्रेनौयां के हाथ से, ग्याच साउल के हाथ से छडाय। है पतमसन, तु मेत्ा व्रल है, में तुहे पीआच कतुगा। पत्रमेंसन मेत्रा पहांड, मत्रा गढ़, मेत्रा छडबैटा, मेत इसत, मेत्रा पत्रव्रत, जौसपन में अनोस। तप्पगा, मेती ढाल, औअैन मेनी मकत का हि मै पन;) कट सोंग, मेत्रा उंया ब्रुजत्त। में पतर*ंसल की पतान- .. थना कनुगा, जे सतुत के जाग है, से में अपने पु ।# है है ' ब्रेनोयं से व्रय जाउंगा। मोचत को उटासीोय्ों ने महं चेता, ओन दुसटों के व्राढ़ने मुह डनाग़रा। नतक की उद्ासोया ने मुझ घेच लोमा, मौनत के

्।

र्‌ष्ट

श्र श्हे

भ४े

है

जै

गीोत।

' फंदे ने सुष्दे नोका। में ने सकेत के समय मे

पत्रमेसत के प॒काता, औआन अपने इसन के आमने यौलाग़ा, उसने मेता सव्॒द अपने मंदोन में से सुना, और मेत्रा नाना उसके आगे उसके काने में पहुंया। उसके केाप के मात पोनधीवी कांप गइ, औतच घनथता डठो, राने पहाड जड मुड से होल गये .उसके नथुनें से चुंआ उठा, उस के मंद से आग जड॒की, जौस से अंगाने 'चचक उठे उसने सनगे के ज्ञौ हुकाय़ा, औन उतन आया; औन उसके पांव तले अंचीयाता था वुच्द कनोव्रो पत यढ़ा, ओम उड्गय़ा, हां बह पवन के डेनें पत्र उडा॥ उसने अंचौय्राने के अपना गपत सथान कौया;ग्रैन उसके यानों आन अंचौटयात। जल,आक्‍ात आकास के घने मेच उसक तंग्र थे। उसके आगे की य्यमक से घने मेच परट कन ओआले औजन अंगाने व्रन गयये। पतमेसन सनगों में गतजा, औच अतीं महान ने सव्रद कीया, ते। ओआले अंगाने व्म गय्े। हां उसने अपने व्रान छोड़े, औच उनहे छोन ज्ञॉन कोंया; ओन व्रौजलोगां यमकाइं, ओरल उनहें हता दोटशा॥ उस समय पानीतगों

की थाह दौप्पाइ दी, ओज लेने कडकने से दे पतर-

... मेसच, हां तेज नथुनें के सांस के छहोंके से जगत

अठानहवां गोत भ्‌

५६ की नेवें प्पलगईं उसने उपतर से ज्ञेज कन

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मुझे पकड लौगा, गचदौने पानौट+ों में से वह मुष्ठे

ब्वीय लाया! मेत्र व्रलवंत ब्रेनी से, आन जा

मुष्ठ से ब्रेन तप्पते थे, उसने मुल्े छडाया; क्योंकी वे मुठ से अती व्॒ली थे। उनहे ने भेने व्रौपत के हौन मुझे च।का, पत्तत पतमेसन मेना टेक था। बच सुष्ठे एक परेलाव सथान में ज्ञौ नौकाल लाया, उसने मुष्ठ छडाया ; क॒टोंकी वह सुष्ठ से आनंट्रौत था। पनमेसन ने मेचे चघत्म के समान मसुष्ठ पलटा दौया, उसने मेने हाथ की पवीतनता के समान मुष्े पचतौपरल दौगसा। कर्रोंकी में पत- मेसन के मावग पत्र यला, औज दुसटता से अपने इसन से परोना। कट्रांकोी उस - सानौ अगय्ा मेने आगे थीं, ओज में ने उसको व्रौचीन के अपने से दुत नकोंय्रा। में उसके साथ प्पताइ से चहा, औज में ने आप के अपनो व्रुताइ से व्रया नप्पा। इस लोगो पत्तमेसन ने मेच्त चनम के समान, औन उसकी आंप्पों के आगे मेने हाथ की पवीततता के समान सुह पतरतीपरल होया। दाल के साथ तु आप के दग्नाल टोप्पावेगा,

: प्यतत मनुप्प के साथ लत आप को प्पता दौप्पावेगा |

पवीतत का तु अपने तइईं पवोतन दौप्पलावेगा; हू 6६,

रे

३३४ हे

श््

३५७

गोल।

जैन हठोले के साथ आप को हटौला दौष्पाः

वेगा। क्य्योंकी तु दुष्पी का व्रयावेगा, पनंतु उँयो दौचोसट के नोयौ कनेगा। मेचा हौपक व्रातेगा, पत्तमेसल मेता इसल मेने अंचयाने _ के उंजीयाला कनगा। क्य्ोंकी में ने तुष् से छेक जथा के ताडा हैं, में अपने इसन से एक भौत परद गया हऊंं। इसन का मानग सौच है, पनर- मेसच का व्रयन ताय़ा गय्या है, वह अपने आसतौ- ता की ढाल है। क््रोंकी पत्रमेसन के छोड़ इसन केन है? अथवा हमाने इसन के छोड दुषना पहाड़ केन है ? | इसन मेत्रो कट दोचढ़ता से व्रांचता है; जन मेला मानग स्तौच कनता है। वह मेने पांव के इननोंय़ों का सा व्रनाता है; ओऔ। मुध्े मेते उंये सथानें पत्र प्डडा कचता है। वह मेने हाथों केश लडाइ सोप्पाता हैं, यहां लें को प्येडो का चनुप्प मेनी व्रांह् से टुटता हैं। नल, ने अपनी मुकत की ढाल ज्ञौ मुष्ठे हो है, औआत तेने दद्दौने हाथ ने सुध्े संज्ाला है, अऔन तेची केएमलता ने मुष्टे व्रढ़ाय्रा है। तु ने मेने तले मेने डगें के व्रढ्वाया है, यहां लो की मेत्रो चुठौगां परीसलों में ने अपने व्रेनौय्ों का पोछा कौया है.गन उनहें जा लौय़ा, में पोछ परोता,

छठ द्द

श्र

४२,

४२९

४१

अट।|नहवां गोत। २७

जब ले उनहें नासन कोय्रा। मैंने उन चहूँ चादय्ल कीय़ा है ; ऐस। की वे उठ सके, वे मेत पांव तले गोने हैं। कपग्नोंकी ने संगनाम के लोग मती कट दीनइता से व्रांची है,औन जे नेच ब्रौनच उठ, ने डनह छकवाया है। तने मेन ब्रेनोयां के ग॒ने मुझे सेंप दीं हैं, जोसत में अपने ब्रैनीयों के नास कत' | वे यौलाग़, पत्तत काइ व्रयवेय्रा था, उनहे ने पत मेंसत का पकाना

पनत उसने उनहें उतन दौोया॥ तव्में व्रद्यात के आगे को चल को नाइं उनहें पौसा, में ने मानगों को कौय को नाइ' उनहें नोकाल परेंका तु ने सुट्े लेगां के छयड़े से छडाया ह्हे, तु ने मुह अतदेस।यों का अचछ कौया है, जौन लागों के में ने नहों जाना, वे मेत्तो सेवा कनेंगे ' मेने व्रौप्पय्न में सुनते हो वे मेत्ौ व्रात मानेंगे, पत्र देसीयों के व्रंस मुष्ठ से दवेंगे॥ पत्तदेसों मुत्रह्ठा जाग्ंगे; औच अपने छीपे सधाने में डनेंगे पत्त- मेसल जोवता है, औनच मेत्ता पहाडु घन, मेनी म॒कत का इसल महान डेवे॥ इसन मेना ब्रेन लेता है, आन लेगों के मेन व्रस में कनता' है

बुच्द मे मेत्रे ब्रेनोय्रों से छडाता है, हां जे मेने ब्रोचुच उठते हैं, तु मुह उन पत्र उच्नाड़ना है, तु

श््प्र

गोौत।

४८ ने मुह अंचनी से छड़ाया है। इस लौटे हे पन-

पक

कि

मेरुत, में अन देसोय्रों में तेना चन मान गा, जन ॥* पलक सब १5७२ आर को ५! लागों के मच.में तेव नाम को सतत गाउंगा वह अपने ताजा का व्रड़ा व्रयाव कतता है, ओऔजच अपने अज्ञी साकत दाउद पत, उसके व्रंस पत्र सनातन लॉ दया कनता है

९५6८ उनोसवां गो त।

पत्रचान व्रजनय् के पास दाउद का गौत।

सनचग इसने कौ मह मा व्रचन कनते हैं, आन आकास उसके हाथ की कोनया दौप्पाते हैं। दौन दौन से व्रातें कतता है, नात चात के गय्यान दौप्पातो है। व्रोली, व्रातें उनका सत्र सुना नजाय। सानी पींनथीवों में उन नेप्पा नीकल गई है, औन उनके व्रयन जगत के अंत लो; उसने उन में सतज के लोग तंद्र चप्पा है। जो दुलहा की नाइ के।टनी से नोंकलता है, गन व्रलवंत जन की नाइ दोडानो में टाडने से आनंद कनतता है। उसका नोकलना सनग के प्पूट से है, जात 'डसका यकत उसके अंत लें; जैन उसके चघाम से कछ नहों छोपा है। पत्रमेसन कौ व्रेवसथा सोच हेके मन का सचाचतो है, पतमेसन की साप्पी

द्र.सवां गौत। २८

कः सी हैं, भोले के ब्रुवमान कत्ती है। पत्रमे-

९०

श्र

पैर

शैटे

सन की व्रेवसभथ्रा ठीक डे।के मन के। अआनंदत

-कनती हैं; पतमेसत की अगद्या सु देके आंप्पां

के। उंजीयाला कततो है। पनमेसन का अगर प्रौतत्त दोके सनव्॒द्ा ले। ठचचला है, पत्रमेसन का ब्रीयात सवासत सया, ओऔज घन्म नय॒ है | वुच्द साने से हां व्रह्लत योप्पे से।ने से थाइने के जाग है, औन मच ये ज्ञो,ओन मचु छते के व्र्‌द से जौ मीठा है। ओजन उनसे तेता दास यीताया जाता है ; औनच उनहें पालन कनने मे व्रडा परल है अपनी जल युके के केन समष्ट सकता है? तु सुछ्े गुपत पापों से पवीतत कच। अपने दास का साहस के पापों से व्रया;उनहें सुष्ठ पत्त नाज कचने मत दे, तव्र में सोच चे।उंगा, औैन व्रहूुत अपनाच से नौतदेप्प हेडंगा। हे पतमेसत त॒ मेला पहाड़ औन मेत्ता ततान कनता, मेने मुह की व्रातें, औै।न मेने मन का चद्मान तेत आगे गनाह देवे।

२० त्रौसवां गीत | फ्लचन व्रजनसे के दहाउद का गौत | ब्रीपत के दौन परत मेसन तेली' सुने, ग्राकुत्न के

इसन का नाम तुष्ठे ब्रढ़वे। ब॒च्द अपने चतमचाम ए०७ 6४.

का

कै छँ

है

गोत।

से तेनी सद्दाय कने; और सहन में से तृष्ट संभाले। तेची सानो ज्ञेंटों के! समनन कने, तेते होम के व्रलदान के असम कने; सौलाह | वच्ठ तेने मन के समान तह देवे, औच तेते साने पत्ामतस पुत्र कने। हम तेनी मुकत से आनंटौत होंगे, हम अपने इसन के नाम पत्त अपने हुंंडे प्यड़े कनेंगे, पत्रमेसन तेनो सानो व्रौनतोयां पुत्री कने। अव्र में जानता हुं, की पत्तमेसत् अपने अज्नौसोकत के। व्रयाता है, वुच्र अपने दहौने हाथ की मुकत के पनाकत्म से अपने पत्रौतत सोंहा|सन पत्र से उसको सनेगा कौतने चथों पत्त, ओजन कीतने चाड़े पत्र लनोसा नप्पते हैं, पत्ंतु हम पत्रमेरुत अपने इसत के नाम के समचन कतेंगे। वे हुके, औतन गौच पड़े ; पनंतु हम उठे, औजच सीचे प्पड़े हुए है पत्रमेसन, व्रया, जव्र हम पुकाने, ताजा हमानी

“सुने

रै,

२९ फ्रकीसवां गीत है!

पनरचान व्रजनोये के पास दाउत का गौत | .. हे पनमेसन, तेने व्रल से चाजा आनंद कनेगा, औ।न वृच्त तेती मुकत पत कयाही आनंद कनेगा। तु से उसके मन की इछा उसे दो है, औन उसके

है

फकीसवां गौत ३९

होंठों की ब्रौनती के तोका, सौल।ह। अलाइडू के आसौसें से तु उसके आगजाता है, तु याप्पे सेने का मुकट उसके सौत पत चप्पता है। उस« ने लष्ट से जीवन याहा, ओऔन तु ने उसे जीवन

को ब्रढुतों सतव्॒दा के लोग्र दौ। तेनो मुकत से

उसका व्रड़ा व्रौज्ञव है;त ने उसके लोग पनचतोसठा

ओऔतजन मह्दीमा तप्पो है॥ कटस्मोंको तु ने उसे

श्र ९१

रत]

सनव॒दा का आसोस कत नप्पा है, तु ने उसे अपने

नुप के आनंद से आनंदौत कोटा क््रोंकों नाजा पत्मेसन पत अझनोसा नप्पता है, ज्रे।त अती महान कौ द्य्रा से वह टलाया जायमगा तेता हाथ तेने सान ब्रैतोग्नों के ढुढ नौकालेमा; तेता दहोना हाथ तेजे व्रेत्रौद्ों के पकड़ लेगा | तु अपने कनच के समय उनहें अगोनमय जठो कौ नाइं द्दकाबेगा, पत्मेसत उनहें अपने काप से नींगल जाग्मगा, औन आग उनहे प्या लेगी तु पौतथीवी पत्र से उनका परल, ओऔत मनुप्पों के संतानें में से उनके ब्रंस के नसट कनेगा। क्यों की उनहों ने तेत ब्रीनच व्रताइ याहो, जन एसो ब्रनी यॉला से|यी, जे। उनसे व्रन पड़ेगी जग लेस हे।के उनके ब्रीनाच अपना पनय यढ़।वेगा, ततव्र उनसे पोठ परीतावेगा। हे पत्मेरत ऋ्र

९२

गोल

अपन हो व्रल से महान हे, जन हम तेनी मही-

मा की सत॒त औज ब्रड़ाइ गावगे।

२२ व्राइरुवां गोत अजोलेत सहान पत्र पनचान ट्रजनीयोे के पास दाउद का गोौत |

हे मेने इसन, हे मेने इसन, तने मु कय्ों छे।डा है? तमेनी मुक्त से औन मच यौलाने वी व्ौतें से कर 6 “शी पक, आल) जक , हर,

क्यों दुच् चै? दे मेन इसन, में दौन के नोता छु, पत्तत नहों सनता, ओजच नाल के मुछहे कछ शथेन नहों। पततत तल पवीतन है, जे इसनाइल

को सतुत में व्रास कतता है। हमान पौतनों ने

ने ०५% सा स॒ुध पत्र जगोसा कोया, उनहें ने आझने।सा छौद्ा,

आन तु ने उनहें छड़ाय्रा। छउनहों ने तेनौ दे।-

बच, ६: 822 0

हाइ दी, औन छडाये गययो, उनचेय ने लध्ट पतत रा बी | रा

अझचोसा चप्पा, औनच चवद्रताय्। पन में कोड़ा, औजल मनुप्प नहों, ममुप्पां दो) नींदा, ओऔज लोगों में तुछ। सत्र, जो जुष्ठे देप्पतें हैं, सुछ्ठ पत्र इंसते हैं, वे हे|ठां का प्याल प्पाल सीन हला हला कह ते हैं। की उस ने छटने के छौट़े इसन पत्र जगासा कौग़ा, जे। वुद्द उस से पत्रसन है, ते। वह्दों उसे छडावे | पतंतु लुच्ो सुष्ठ गतन्न से व्राइच लाग्ा,

श्र | ९8

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्द्

१्‌ष्य लः

व्राइसवां गोत ३९३

हक. कर ही रा हर पं मनी माता कौ गोद में तु ने मुह्टे आसा दौ। में केाप्प में से तट पत्र डाला गय्या, मेत्ो माता के गचज्न से तु मेता इसन है। मुष्ठ से दुत मत तह, कर्योंकी दुष्प आ-पहुंया, औन केइ सहायक नहो। व्रहुत से व्रेलां ने मुह्े घेता है, व्रासान के व्रलवंतोां ने मुद्दे घत्र तप्पा है) उनहें ने सुष्ठ पत हे ०. परडवेयों, औ।न गन जवेय सोच की नाइं मंच पसाना है। में पानों की नाइ' व्रहा जाता हुं, औआ।न मनी सानो हडौटया अलग हे। यली हैं, मेता मन मोम की नाइ' मेने हौनदय में पीचल गय्या। मेता पत्ताकतम ठोकने कौ नाइ' सप्पा है, मेत्ी जीज्ञ

ताल से लगी जाती है; ग्रान सुष्ठ मीनत को

चल पन लाया है। कर्य्रोंकी कतों ने मुष्ठ चना

है, दुसटां की मंडलो ने मुछ्ठे चेत्र लौया हे, उनहे। ने मेने हाथ, जन मेने पांव व्रेचे। में अपनी सानो

इडौग़ों के! गौन सकता हुं, वे मुछ्ठ घ॒तरके देष्पते कं कु न] हैं। वे मेने कपड़े आपस में व्रांटते हैं, अपन मेने न] व्रागे पतत योगी डालते हें। पन्र हे पतमेसत,

_मुष्ठ से दुत मत हों, हे मेने व्र॒ल, मेत्तों सहाय के

रे० २९

लोग यटक कत्। मेने पनान के तलवान से औैन मेन पीनौय के कते के व्रस से व्रया। सोंच के मंच्ठ से मुछ्ठे द्र्या; करग्रोंकी तु ने मुष्ठ गेंडां के

९४ हक

२९

र्‌४

२५

२६

र्‌छ

गोत॥

सोंचों से व्रयाया दै। में अपने ज्ञाइग्रां में तेना

नाम लेडगगा, जान मंडलों के मच में में तेचों सतत कनगा। पन्रमेसत्र के डनवेश्ो तुम उसकी सतुत कना, हे ग्राक॒व्र के साने व्रंस उसको मक्चौमा कनो, है इसन।इल के साने व्रंस उस से डना। कयोंकी उसने पीडीत को पीडा का तुछन जाना, चौन कीया, उसने उस से अपना मं परेच लोग, पत्रतु जव्र उसने उसे पकराना, उसने सुना। व्र॒री मंडलो में में तेती सतत कनु गा, जे। चस से डनते हैं, में उनके आगे अपनी मने।तो पत्री कनु गा। केामल प्पास्ंगे, आल तो तो पत हेवगे,जे पतरमेसल के प्याजी हैं, से उसकी सतत करेंगे, उनके मन सट्‌। लें जौते नहेंगे। जगत के सान प्यंट यत कतके पतमेसन बी ओजन परोनेंगे, जातगना के

९८ सान चनाने तेनी सेवा कनेंगे। कथोकी नाज पन-

र्€्‌

हे 8९

मेसत का है, जान जातगनों में वच्दी अचछ है। पीनरथेवी के सन पसट लोग प्रयायेंगे, औन सेवा कनेंगे ; सुव्र जे। चल में उतनते हैं, उसके आगे हुकेंगे, और केइ अपने हो पत्तान के! जौता नहीं जप्प सकता। फ़ेक व्रंस डसको सेवा कनेगा, जा पत्तमेंसत की नोज पीढौ मंगीना जाग्रगा। वे आवंगे, औ।न उन लेगों के, जे( उतपंन हे गे, ग्रह

तइसर्वां गीत ह५

कहके उसका घनम व्रनन करेंगे, की उसने यह

कोौया है।

९३ तेइसवां गोत

दाउट का गोत ९५ पनमेसन मेता गड़नोया है, मुधे घटतों चज्ञेगी | वह सुछ्े केमल घाम की यताइ भें लौटाता च्हे, वह रोथीन जल के लग मेत्ी अगुआइ कनता है। वह मेत्रा पतान परत लाता है, »च अपने नाम के लोग्रे मुह्ठे चनम के पथों में लेजाता है हां यरो में मौनतु की छाट्रा कौ तचाइ में जाउं, ते मुह डत् नहों कयोंदी तु मेत्रे साथ है, तेनी छडो ओ»।च तेतो लाठो मुष् सांत देतो है। तु मेने ब्रेनोयरों के आगे मेने लोग मंछ ब्रीक्वता है, तु ने केते सोच पतन तेल मला, मेतरा कटोला ज्ञत ६€ के छलकता है।. नोसयय झलाइ ओजन दया जी - बन ज्ञत केने साथ साथ चहेंग ; औज में पत्मेसन

के मंद।न में सदा लॉ व्र।स कन्‌ गा।

२४ योव्रौसवां गौत॥ दाउद का गौत | पौवतथधीवो उसकी जअनपुत्री जगत, उस

३४६

गोत॥

के साने व्रारों पतमेसर्न के हें॥ कयोंकी उसने ने ३2९५ को

उसकी नेव सम दतों पत नप्पी; ओर उसे ब्राढ़ों पतत सोथीच कीया। पचमसन के पहद्दाड पत्त कान शढ़ेगा, अन उसके पवीतत सथान में केन प्पडा हेगा? ।७ वही जोसके हाथ सच, औ।न जोसका मन पवीतन है, जीस ने अपने पत्तान को द्रोतथा को ओआव उठाया, जोंस ने छल से कोनया

0० ८, 2... प्पाइ। वह पनमेसन से आसौस, औ।न अपने

सुकत दाता इसन से चनम पनापत कते गा॥ग्नह

र्‌ 9

बह व्ंस है, जे उसका प्पाजो है, ओन तेते जप का प्पाजो है, हे याकव्र, सौलाह | चे पराट को, छा कि जोक चर 0 हर छा अपने अपने रीनों के। उठाओ ; ओऔच हे सनातन के दुवातो उँये होओ, औन मह्दीमा का ताजा ज्ौततन आवेगा। महोमा का नाजा कोन है? की स्जे व॒ुह् पत्तमसवत पत्राकनमों ओज रुकतौमान पत- कफ जियो] + बिक किले मसन., जे सगनाम म॑ व्रलबत् है। हे पराटका,

अपने अपने सौनों के उठाओ, जैन हे सनातन

के दुव।तो उनहें उन्नाड़ा, औच मच्दीमा का ताजा जआीतन आवेग। | ग्रह मह्दौम। का चाजा कान है? सेनाओं का पत्तमेसन ; वही मच्ौमा का चाजा है, सोलाह।

घयीौरवां गोौते ३७ श्पू पयोसखवा गींत |

दानद का गौत

हे पतमेसन में अपने पत्तान के तेती आच उठाता

र्‌

र०

» हि... आए कर क्र कप हुं॥ थे मत्रे इसन, में तष्ट पत्त जतोसा नप्पता हुं,मुप लजौत हे।ने दे, ओै।न मेरे ब्रेती के मुह #< ०2 « 2५० कै पन जय पाने दे॥ हां,जा तेनों ब्राट जाहते हैं, उनहें लजोत हे।ने हे, पत्ततु वे, जे अकाचन हर] अपनाच कनते हं, से लजोत हे।वें॥ हे पनमे- सन मुझे अपने मानग ट्ोप्पला, मुह्ठ अपने पथ सौप्पला॥ अपनो सतता में मुष्ठे ले यथल; औरत मुष्े सौप्पा, कय्योंकी तु मनी लुकतं का इसन है, दीन जन में तेनो व्रांट जाइता हुँ॥ हे पनमे- ०. क: िआ है. " सन अपनी दया, औल अपने कोमल पतेम का कर ओर |8० “कक: पर समनन कन, कम्नांकी वे पतायौन समय से होते आयेहें॥ मंत्री तननाइ के पापे,औन अपनाचों के समनन मत कन, अपनो दया के समान अपनी फर श्र अलाइ के लोग हे पतमेसन, मुप्ठ समनन कन २. भय, ७७ पतनेसत जला ओऔत प्पता रै,इस लोग वह पापयों के। मात्ग सौप्पावेगा वह नमनों का ब्रोयान पत्र यलावेगा, ओऔनच नंमत लोागां का अपने मानग सोप्पावेगा जे! पत्मेसन के 9 0६

शेष

रैर्‌

सर

383

र्‌र

गौत। नीयम, ओन साप्यी का पालन कनते हैं, उनके लींग्रे उसके सात पथ ट्यरा, आन सयाईइ हैं॥ हे ५५७० पद तय 0 कट! पनमंसन अपने नांभ के लोग मेने पाप छमा कन, कबग्योंकी वुच् श्रड़ा है॥ वच् कान सा मन॒प्य हैं, जे पत्मेसन के! डनता हैं? वुष् अपने य॒ने हुए मानग पत्र उसे यलावेगा॥ उसका पनान येन से जहेगा, ओन उसका व्रंस पीनथोीवी का अचौकानी 0 पक हेगा॥ पनमेसन का झद उसके डन बयां पत्र है, औरत वह उनहें अपना नौग्म दौप्पावेगा मेचौ आंप्य सहा पनमेसत को आन हैं, कर्मोंकी वही मेत पांव परंदे से नीकालेगा॥ भेत्तों आन परोच, मुष्ठ पत्त टय्या कत, कट्ंकी में अकेला ओनच ८) पड. के है. पलक 30० दुप्पो हुं। मत्त मन के दुषप्ए ब्रढ, गय्ये; मेने दुष्पों में से तु मुद्टे छड़ा॥ खजेने दुष्प औज, पीढ़ा का 5 ०५ रेप्प, आन मेच सान पापों के। छमा कन॥ मेने

'ब्रेनोयों के। से।य, कयों की वे बहुत हैं, अन अंचेच

के ब्रैत से मुष्ठ से ब्रेन नप्पते हें॥ मेने पत्तान की नक्का कत, ओन मुध्े छडा; मुल्े लजोल कोने हे, कय्ोंकी में तट पत्त झतोसा तप्पता हूं। चत्म औज प्पगाद मेत्त नक्कक ह्ावं, कय्मोंकी में तेनी ब्राट जाइता हुं॥ दे इसन, इसनाइल के उसके साने दुप्पों से छड़ा

फू

५: है

छत्रीौसवां गीत ह८

२६ छत्नोंसवां गोत दाउढ का गौत

हे पतमेसन मेता व्रीयान कनत, करय्ांकी में अपने घतम से यज्षा हुं; में ने पतमसत पत्त लनासा नप्पा है, में व्रौछल'गा हे पनमेसन, सुष्ठ पनप्प, औन मुझे ताड, मेत्रे मन, ओल अंतःकचलन के जांय ले॥ कय्रांकौ तेता केोमल पनेम मनी आंप्पों के आगे है, गान में तेनीं सयाइ में यला हुं॥ मेंव्रीनथा लेगों के संग नहीं ब्रेठा हुं, औ।न कपटोग़्रों के साथ जाउंगा॥ ककनमोय्रों की मंडलो से में ने ब्रेन तप्पा है, ओच दुसटों के साथ नव्रेठुगा॥ में नीनमलता में अपने हाथ चोउंगा, लब् हे पनमेसन, में तेनो व्रदी की पत्रदछोन कनुगा॥ जौसनें में चनव्राद के सब्र॒द से पत्र याजुं, ओान तेचे साले आसयनचज कत्तम का व्रचनं कन' हे परमेसन मैं ने तेने नोंवास के घन से, औतज तेने व्रौक्नव के तंत्र से परतेम कौया हैं॥ मत पत्तान के पापों सें,आन समेत जीवन व्रची- के में मत वरदान जोनके हाथों में ब्रुत्ताइ हैं, औलच उनका दचह्दोंना हाथ अकेन से अना हैं परंतु में जे। हुं, अपनी प्यताइ से यलु गा, मुझे छड।, और मुद् पत्र दया कच, मेत्रा पांव समधन

गौत।

सथान पत प्पड़ा है, में मंडलीग़ों में पतमेसत का

चनव्ाद कन गा

२७ सताइरसवां गोल टाडट का गौत

पनमेसत मेता उंजोंयाला मेत्तो मुकत, में कौस से डन ? पत्रमेसत मेने जीवन का व्रल है, मुप्े कोसका जग्य ? जव्र दुखट अनथात मेने के ४5% कि व्रती मेता मांस प्पाने के मुप्ठ पत्त यढ आय, ता ठोकन प्पाके गीत पड़े ग्दपों सेना मन ब्रीनच

तर शक 03. 202. कै कर है छ।/वनो कने, ता मचा मन डने गा, जान यदी मेने व्रौचुच संगचाम उड़े, ते। इस में में जनतोसा तप्यंगा में ने पतमसन से फ्क व्रात याह्ो हैं, बच्ची में ढुढुगा, को में जोवन जत पनमेरुन के मंदौत में नहुं, आन पतमेसन की स्‌ दतता टेप्प औतन उसके मंदौत मं उसे दुढू॑ | क्ग्रोंकी ब्रौपत हा 9 ;

के दौन व॒च्द मुष्ठे अपने तंत्र में छोपावेगा, अपने कर कर हर डे के आउ में मुष्ठ छीपावेगा ; मुझ पहाड पन ब्रेठावेगा। से अपने यात्रों आन के ब्रेनौयों पत मेता सोच उनच्नाडा जाद्गा, इस लोग में उस के मंदीत में आनंद से व्रल यढ़ाउंगा, में गाउंमा, हां मैं पत्मेसत को सतुल गाउंगा। हे पत्रमेसत्

९४

अठाइसवां गोत ४९

“५. जब में सव्॒द से पताथना कन्‌', ते सुन के मुह्ट पत्त हड्मा ज्ञो कन, औन उतन दे | जव्॒तु ने मेने + लि का / कहा, की मेने मुह को प्पाज, ता मेना मन व्रोल उठा, कौ हे पतमेसन में तेने मंह के प्पोज॑ंगा। हे मेत्रे माप्प के इंसन सुष्ठ से मुच्ठ मत छीपा; और अपने दृ।स के कचनो से दुत मत कनत, तु मेततो सहाय हुआ है; सुछ तज्नाग मत कन, औन सुष्े छाड मत दे। जव्र मेत्ती माता पौता मुष्े हि हा 2 ०2००0 तय्यागे, तब पत्र मेसन मु समेटेगा। हे पत्रमेसन

मुझे अपना मानग सोप्पा, ओज मेने ब्रेनोयों के

कानन सुष्ठे सौचे मानग पत्र यला। मेन व्रेनौग़ों को इछा पत्र सुष्ठ मत सोंप, कय्रोंको ६ठ साप्पी औ।न जे। कवन सांस लेते हैं, मुद् पत्र उठे हैं। सदो जीवन की ऋ्ञम में पत्रमेसत्त के अनुगोलह देप्पने का मेता ब्रीसवास हेता, ते में नौचास हे।जाता। पत्रमेसन को व्राट जाह, गऔ।न होगट्ाव कत ; ओ।ल वह तेने मन को ब्रल देगा, में परोत कहता हूं, कीं पतमेसन को ब्राट जाह

९८ अठाइसवां गो त। दाउद का ग्रोत।

मैं लुहे पुकानता हुं, हे पतमेसन, मेने पहाडु

90 ७,

४२

/पक

गोल !

मुष्ठ से युपका मत हे, हे।वे की जे त्‌ आप हे। जहे, ता में गडहे में के पड़वैय की नाइं हेजाड। जब में तेने आगे यौलाउं, वन तेने पवीतत मंदौत को आन अपने हाथ उठाडं, तव्र तु मेत्ती ब्रीनती का सत्॒ह सुन ले। दुसटों औन ककच- मीणों के साथ, जे। अपने प्तासटोों से कसल की व्रातें कचते हैं, पत्रंतु उनके मन में व्रुतनाइ हक लुध्ट मत प्पॉय। उनकी कीनया के जन उनकी दुसटता के जुगत के रुमान उनहें पलटा दे, उनके हाथो के कानज के समान उनहें दे, उनहें पततो- परल दे। कयोंकी वे पतमेसत के कांनज ओत उसके हाथों की कौनग्ा के नहीं मानते, से वच्द उन नसट कनेगा, औन व्रनावेगा। पफ्नमेसत चंन है, कंयगरोंकी उसने मेत्री श्रौनतीयों का सद्द सुना है। पतमेरूल मेना व्रल औज मेनों ढाल है,मेने मन ने उंस पन ज्ननोसा कोंया, औजन में सहाय पाता हुं, से। भेता मन अतग्ंत आनंदोल है, में उसको सतत गाउंगा। 'पत्तमेसत उनका पता- _ कतम +ै, आल वह अपने अज्नौसकत के व्रयाव का व्रल है। अपने हेगों के व्रया, अ।त अपने अचौकान के! असीस दे, उनहं पाल, औज उनहें

सह के चीस बढ़ा

उंतीसवां गोत | ४8

२६८ उंत्रोसवां गोत

टाउद का गोत

पतरमेसन के लोग कहे, हे व्॒ल॒वंत्र के पुततो कच्चे, को प्रनमेसन हो के लोग मछोमा जज व्॒ल है उस के नाम कौ पत्रतींसठा पतमेसत्र के देओऔ; पर्वीलनता को सु दतता में पतरमेसत की सेवा कसा पतमेसनत का सव्॒द पानयों पत है, मद्दोमा का इस गनजता है, पत॒मेसन ब्रड़े प/नोयों पन है पत्रमेसत का सत्रद वब्रखवत है, पतमेसन का सद्बद छसनग् मान है। पत्तमेसत का रूव्॒द आातज फेड़े। के तेडता है, हां पत्रमेसत लब्॒नान के आतज पेड़ें के तेडता है॥ वच उनहें ब्रछ ड़े को नाइं औज लव्नान, औैन रीनग्न को गेंड़े के ब्रये को नाइ कदाता है। प्रतमेसत का सव़्द आग को लवज़ के काटता हैं पत्तमेसन का

सव्॒द जन केा कंप।ता है, पत्र केसत काइस के व्रन

के क्रंपाता है। पत्नमंसत का सम्रद हननोयों

- के पो में डालता है, ओज जंगलेग के| उन्नाडता

है, उसके मंटोत् मं दहन फेक उसके व्रौकव को

ब्रात्तकच्ला है। पनमेसन खाढ़पत ब्रेठा है, पत-

मेसन सदा के लोगे नाज के सों हासन पत्त ब्रेठा है।

डै8४.

हर

गोत। पत्रमेसत अप ने खा गों के द्रल टेमा, पतमेसन अपने ला कार ; लगे के कुसल का आसौस देगा |

8० लोसवां गौत

दाउ॒ढ के घत्र के सथापौत कनने का गौत, औत गान।

हे पनमेसन, में तहे व्रड़ा कतके मान गा, कंग्रों-

की ने मुष् व्रढाया, औन मत ब्रेनी के मुह पतत आनंद कनने दौय्रा है। हे पत्मेसन, मेने इसन, में ने _तुद्ढे पुकाचा, भात तु ने मुझे यंगा कौया है। हे पनमेसन, तु ने मने पतान का

. समाच से उठात्ना है, थे तु ने मुह जीता चप्पा

/

है, जोसते में गड़हे मन गोनु हे पनरभेसन के सौंघा उसका गान कना,चऔन उसकौ पवौतनता के समनन के लीगचनव्राद कनो! कग्मोंकी उसको नौरू पलज्त की है, औ।न उसकी कौन पा में जीवन कै, सांध के व्रौलाप हे।वे, पंत ब्रोह्दान के गान हेता है। में ने अपनों व्रढ तो म॑ कहा, को में कन्नी टलागय्ा जाडंगा॥ ह_। पनभेसन, मे अपनी कोनपा से मेते पहाड़ का अत सथोन कीया, ने अपना मुंह छौपाया, ओऔत में दुप्पी कूआ।

है पनमेसन, में तेने आगे यीलाग्ा, जान में ने

फेकतौसवां गीत ४५

: पतमेंसत को पत्रानथना की। जद में गड़ रे में

उतन', लब् मेने लाहु मं कग्रा लाज्न होगा? कय्रा चल तेती सतत कनेगी ? कया वुच्द तेनीं सता के ब्रतन॑ कनेगो ? हे पत्रमेसम सुन, आऔतन मुष्ट पत ह्द्या कत, हे पतरमेसत, तु मेता सहाझक दे।॥ तु ने झने नाने का नायने से पलट दौया, ने कप हर ञ्गै 253. ््क हा

मेत्रा टाट प्पोल डाला है, औन मेरी कट में आनंद

भरकर है 5०.

का पट॒ुका व्रांचा। जौसत मना फ़ेसनज तेनों सतत गारे, औतन थुपका चच्े ; हे पतमसन मेत्रे दूसन, में सनव॒दा ले तेता चनव्राद कनता चहुंगा।

९९ प्रकतोसवां गीत पत्रचान व्रजनोय के द।उद का गींत

है पतमेसन में तष्ट पन अनोसा नप्पता हूं, सुष् कन्नौ लजोत डे ने दे, अपने चनम से मुष्ठ मुकत दे। अपने कान बभेत्ो आन छुका, औ।न छूट पट मुझ छ्ड़ा, मुष्ठे व्रयाने के लोग व्रल का पहाड, वैन आडु का चत हे।। कट्रांकों तुद्दीं मेता पहाड़, औतन केता गढ़ है, से त्‌ अपने नाम के लोग मुझ ले यल, मेत्रा अगुआ है।| तु डस जाल से मुष्ठ नौकाल, जे। उनहे। ने छोप के मेने लोग व्रोछाया है, क्यों की तुच्दी मेत्रा व्रल है।

86

गोौत।

कि 0७८०४) ३0४8३ 3 बे 00 0

में अपने आलमा के तेने हाथ में सेंपता हुँ, हे रे

पनमंसन सतला के इसन, जे सुष्ठ छडाया है।

: जैंउनसे प्रेत नप्पता हुं,जे। धटाव्रीचसथा मानते हें

आन मेत्ता अनेासा पत्रमेसन पतन है। में तेनी ट्या

१०

फए्‌

द्क

रैरे

पत्र आनंदौत, औआआच आलहाटौत हेंगा, कयोंकी तु ने नेत्र दुःप्प के व्रष्टा है, जैन तु ने मेने पताने| के द्रोपत में पतच्दीयाना है। गन मुहे अपने व्रैचों' के हाथ में व्रृंट कौया है, ने परेलाव

सधान में मा पांव तप्पा है। हे पत्तमेसन मुष्ठ

पत्र दद्मा कन, क््में की में दुप्प में हुं, मेती आंप्प, औन भेते पत्तान, ओतन भेत्ा उदन सेक से प्यीन हुए हैं। क्योंकी मेना जीवन सेक से प्पीन हूए हैं, औन मंत्री व्रद्म कह्न ने से ; मेरा ब्बल मेने पाप के माने घट यला, जैन मेनो हडोंयां नसट हु इं। मैं अपने सान ब्रेनीग्रों में नीज कत के पनासीयों में अपनोंद: हुआ,ओतजल अपने जान पहोयाने के लौटे डत ; जीनचें ने मुष्ठेल्देप्पा, मुष् से व्राहत ज्ञाग। मैं डस मीचत कौ नाइं हुं, जे मन से सौसनाया हुआ है, में नसट पातत के तल हुं कय्मोंकीं में ने व्रद्चलां। का अपव्राद सुना है , जव्र

की उनहे ने आपुर में मेत्रे व्रौनुच में पत्तामनस

कौया, औल उनहें ने मेने पतान मानने कौ जकत

श्ह

ही

२२

२६

फ्रेकलौसवां गोत। 8३

की, तब यानां ओआन अग्र था। पत्र हे पभरमसुन मैं नेल॒ह् पत्त अनेसा नप्पा, मैं ने कहा, कौ

पक पक जा कप ०७ ७७ मेत्रा इसन है। मने समग्र तेने हाथ मे हैं, मुझे

मेने व्रेनौयों के हाथ से, औच उन से, जे मुष्े सताते हैं व्रया ले। अपने सेवक पत अपना तप यमका, अपनी द्य़ा के लीग्रे मुष्ठे व्रया ले। है पनमेसन,सुछ्ठे लजीत हेने दे, कपग्ांकीं में ने तछ् पुकाता है, दुसट के। लज्ौत कन, आज वे स- माच म॑ यपके पड़े नहें। छठे होठों के, जीन से घमंड कौ कठोचता, गन अहंकान कौ व्रातें चनमोथ्रां के ब्रोनच नो कलतो हें, यप कन | तने अपने डनवय्ां के लोग केसो व्रद्दो कोनपा चन नप्पी है,जात ने मन॒प्पों के ध्ंतानों के आगे अपने आसतौतों के चोट व्रना तप्पा है। मनुप्प के अचहंकान से उनह अपने आगे के गपत में छोपा नप्पंगा, तहो उनह जोके धगड़े से अपने तंवर में जअप्पेग)। पत्रमंसन चंन है, कर्ग्योंकी उसने टोनढ़ जगंत में अपनो आलयत कीनपा मुछे दौप्पलाइ है। में उतावलो से कच् ब्रेठा, की में तेने आगे से कट गद्या हूं, तौस पत ज्ञौजब् में तेने आगे यौलाया, तग्र तु ने मेत्री ब्रौनतो का सब्॒द सुन लौट़रा। हे पतमरून के सं ते, उस से पनेम नप्पा,

षे

२४

गोत॥

कर्योंकी पसमेसन व्रीरसूव।रो लोगों का नप्पवल है, स्ै।न अचहंकानीय |! के व्रहुताइ से दंड देता है। हे [| कक आओ हक... पतमेसन के आसनौतो, तुम स्व होंशाव कनोा, और वुद तुमहाने मन के दोचढ कनेगा।

३९ व्रत्नौसवां गोल छपदेस देने का टाउद का गीत जीसका अपनाच छमा कौयग्ा गया, औनच पाप ढांपा गया, से च॑न हैं। जीस पत्र पत्तमसन पाप नहो लगाता, ओत जीसके मन में कपट नहीं, सेचंन है। जव्र मैं यूप तहा, तब साने हौन

मेनो हडौयसां कहनते कहनते गल गइ कयोंकी

तेना हाथ नात टोन मुष्ठ पत ज्ञानौ था, मेनौ तनावट गनमी की ताहट से पलट गइ, सी लाइ।

0) 72%: 0१९७ प्‌ | च्यै के में ने तेने आगे अपने पाप के! मान लीग्ा, थझेतत

में नेअपना अचनम नहीं छीपाया; में ने कच्दा,

की में पतमेसन के आगे अपने अपन!।चों के माम

लेडंगा,च्यैनत ने मेने पाप का अचनम छमा कौग़ा

सौलाह। इसी लौगेहन एक इसनोगट्र जन तह लेप है;

पाने के समय में तेनी पनानथना कनेगा,

नौस्यम्न ब्रड़े पानोयोंं के व्राह़् उसके पासन बंगे ९) अर कि. द्ुप्पों

आवेंगे| तु मत छोपने का सथान है, मुह दुष्पों

तेंतौसवां गोंत ४6

से ब्रयावेमा, औन व्रयाव के गान से मुछे घनगा,

जौलाह। में तष्ठ सोंप्पाउंगरा, औज जौस माचग

में तुछ्ले यलना है, उपदेस कन॒ गा, ओऔत में अपनो

कै

श्र

आंप्पे से तु मंतत देडंगा। तुम घेएडा, अथवा प्पययत के समान मत होाओ, जीसे समह नहीं, औ।च जोसक। मुंह ढाठो ओज़ व्राग से ब्रंद कचने पडता है, हेवे, को वे तुष् पास आवें। दुसट पतन वक्त सी ब्रौपत देगी, पत्रंतु जीसका ज्तासा' पनमेसन पन है, उसे दया घनेगों हे 'चनमीय्ोा आनेंदोत हेोओ, पचमेसन से मगन हे, औक खने प्पने अंतःकतने आनंद के माने यो-

लाआओ। |

₹९ लेंतोसवां गौत

हे 'चनमीयो पतमेरून में आनंटौत दे।ओ,कर्् - की प्पतां के सतुत सजतौ हैं। व्रौनासे पत्रमेसन

कौ सतुत कता, औज लवन ओऔज दस तात का

ब्राजा ब्रजाते उसके लौग् गाओ। उसके लौगे नया गोत गाओ, सुघनापे से ब्रड़े सब्॒द से व्रजाओ। क्योंकी पतमेसन का ब्रयन ठौक है, जैन उसके राने कातज सयाइ के साथ हैं वुच्द चतम थत

नय्ाय् से पतेम कनता है,पीनथीवी उसकी दम्मा से | (जा,

मै०

९०

हर

है

हि

रा

ष्द्

गोत

5 अझनी हुइ है। पतमेसन के व्रयन से सतग व्रन गये

आन उनको सानी सेना उसके मुह के सांस से। वह समंदत का जल ढत को नाइ एकठे कतता है, वृच् गहौनायों का अंडान में वनता है। सानो पीनधीवो पत्तमसन से डनती नहे ; औ।च संसात कौ सानी व्रसती उसका झय माने कयोांकी उस ने कहा, जैन हे! गया, उसने अगया की, ओच प्यडा हुआ | पत्रमेससल अनदेसौसों के पत्तामनस का व्रय्यतथ कतता डै, वह लोगों की जुकत॑ के मौथया कन देता है | पत्तभेसन का मंतन सन व्दा लां सीथीच नहता है, उसके मन की यींता पो ढौ से पीढी ला | वे लेग चन हें,जौनका इसत पत्रमेसभ है; औनच जोन लागों के उसने अपने अचीकान के लोग युन लौटा है। पत्रमेसल सनग पत्र से देप्पता है,वुच् मनुप्प के संतान पत्त हौनौंसट कचता है। बह अपने नौवास सथान से पीनथौवों के साने नौवासौयों के देष्पता है॥ वुहू उनके अंतःकलन के फेक सां व्रनाता है, वुद्द उनके साने काचजों के ब्रहता है॥ काइ नचाजा अपनों सेना को व्ह्नताइ से द्रयाद्रा नहीं जाता ; ब्रीन जन व्रहुत व्रल से छडाया नहीं जाता॥ द्रयाने के लीगय चघाड़ा ब्रौनथा है ; वइ अपने व्रड़े व्रल से कीसों

श्यः

शर्ट २०

श्र

शेंतौरुवां गोत॥ ४९

के छडावेगा॥ देप्पा, पत्तमंसत की आंप्प उनपत है, जा उस से डन ते हें, जे उसको दया पत्त आसा

आप्पते हें॥ जोसत उनके पतानों के। मौनतु से

छड़ावे, औजन उन्हे अकाल जीता नप्प। हमाना पत्तान पनमेसन को व्राट जाहइता हैं, वहो हमाना उपकान, औन इमानी ढाल है करग्नांकी हमाता अंत: कतन उसो से आनंदीत होगा, इस काचन 2. कक 30% को हम ने उस के पवोतन नाम पत्र झनोसा कोया औै॥ हे पनमेसन, जेसो हमानौ,आसा।,तुष्ठ पत हे, तेसीं तेनों दया हम पन हे।वे

हु ९४ येत्रालीसवां गोौत॥

ढाडद का गोत जव्र डसने अपनी याल अद्रौमलक के आग व्रदल डालीों, औन उसने उसे प्यृद दौय़ा, औन वच जाता नहा।

में हत समय में प्ततमेसस का चन मानुगा,

उसकी सतत सदा मत मंह में होगी। मेत्रा पतान

पत्रमेसत की व्रडाइ कनंगा, दौंन लाग सनंगे,

ओन आनंदौत हेंग मेत्र साथ इसन को महोमा

8

ऐै>७-." को. » शक ली रु कना, हम मोल के उसके नाम के व्रढाव॥ में ने आह."

पत्रमेसत को प्पाजा, उसने मेत्ती सनी, ओजन मे

साने अग्न से मुह्ठ छड़ाय्रा॥ उनहें ने उस पतत

इर

रे हे हर

शरऐ ९४

९३.

गोत दोनीसट की, औ।च उंजीयाले हे|गये, औन उनके मंह लजीत हुए यह कंगाल योलागा,

पत्रमेसत ने सुना, औन उसको सानी व्रौपत से

उसे ब्रयायरा जो पत्रमेसन से डनते हैं, उसका दुत उनकी यांतरों आन छावनी कनतता है, ओन उनहें ब्रयाता है॥ अछे योप्पा, ओजन रेप्पो, की पंनमेसत ; जला जीरुका ज्नोसा उस पतन हे, से मन॒प्प धन है॥ हे संते। पतरमेसत के डतो, कं््मोंकी वे, जे। उसे डनते हैं, उनहें कुछ कमो नहों॥ तनुन सोंह आहान चहोत हैं, आज ज्ञप्प सहते हैं; पतन वे जे पतनमेसन के प्पाजो हैं, उनह कीसो अछों व्रसत कीं कमी नहों॥ आआओ। हे व्रालकेा, भेत्रों सना, में लमह पनर्मेंसल का ऋअग् सोप्पाउंगा॥ कान मनप्प जीवन के। याहता हे, आऔन मंगल टेप्पने के लोग व्रद्य की व्रढतोी याहता हे॥ ते अपनो जोन को व्रताइ से जन हे।ठों के छठ ब्रोलने से चौक नप्प॥ -व्ल्लाइ से ज्ञाग, आनच अलाइ कने, कसल॑ के ढ'ढ, ओऔन उसी का पीछा कंच पतमेसन को आंप्पें चतमौयों पत्र हें, आन उसके कान उनको दुह्दाइ पत॥ पतमेसन का मह कंकनमी से वब्रोत'च हे, जोसत उनका समनन

१५७ पीनधीवी पन से कट जाय 'चनमी यीचाते हैं,

र्प

पैतौसवां गौत॥ ५8

औज पत्ेसत सनता हे,ओत साने दुषप्पां से उनहें छड़ाता है पत्मेसन यच्॒न अंतःकतनीयां के

- पास है, ओज टटे मन के जन के व्रयांता है॥

श्र

२९, र्रे

चनमी पत व्रहूत सो >पत हैं,पनंतु पत्तमेसत उन सज्नों से उसे छडाता है॥ व॒ुह उसकी सानो इडोय़ों यश ] हट. कै का तछक हे, उन में से प्रक टुटने नहीं पातों॥ ब्रुताइ दुसट के नास कनेंगी, औत जे। चचमी से ब्रैन कतते हैं, से। डजड जायेंगे पत्तृमेसत अपने दासे के पतान का छड़ाता है, अच जोनका बन जनेोसा उस पन हे, उन में से कोइ नास

कक हेोगा॥ ] ३४ पेंतीरूुवां गौत दाउद का। है पतमेसन मेने व्रौवादौयों के साथ त॒ ब्रीवाढ

कन, ओ।न जे सुष्ठ से लडते हैं, उनसे लड॒ | ढाल, बल परनी पकड, ओज मेन सहाय के लोग प्पड़ा हे।। ज्ञाला ज्ञी नोकाल, आन मेने सताड के

: ब्रीच॒ुच मात्ग नोक, मेने पत्तान के कह, की तेनो

मुकत में हुं। मेने पनान के गाहकों के घब्रता

दे, आन लजौत कत, ओज जे मेतरी ब्रुताइ को

जुगत में हैं, उनहें हटा दे, अन लजोत कन। वे 07 जा,

घट

श्‌ पर

रै हे

१४

गौत।

* पवन के आगे को झुसझी की नाइं हे।वें, पतमेसन

का दुत उनहें प्पेदे। उनका माच्रग अंचौग्रान', औज व्रौछलचहल हे।वे, ओऔन पत्मेचत का दुत उनह सतावे। कय्योंकी उन्हे ने अकानथ रूचे लोग गडरहे में अपना जाल छोपाया, जे उनहें ने अकाचन मने पत्तान के लोग प्पेटः। उस पत अयानक नास पड़े, आन वह अपने छोपाग्रे ऊए जाल में आपह्दौ परंसे, ओन उसी नास में आप पड़े पत्र मेला पतान पत्रमसत में आनंदौत हेगा, और वह् उसको मुकत में मगन होगा। मतों सनी इडौण़ां कहेंगी, कौ हे पत्मेसत तेन तुल

' कान है, जे। दनीदनों के व्रलवान के हाथ से,

औन कंगाल, जलन अचौन के। उसके लटेन से

ता है। छूट साप्पी उठ, जे मुष्ट से वह पतसं .

कच ते हें, जोनहें में नहों जानता था॥ उनचें ने मने पतान को टुटो के लोग अलाइ की संतों सुट्ट से ब्रुनाइ की है। पतंतल्‍मैं जा हुं, जब्र वे नोगी थे, में ने टाट का पह्दतौनावा पहौना, जन व्रचत चप्प नप्य अपने पत्र।/न को दुष्पी कौया,

ञ्जै _््‌ जज औज मेत्री पतानथना मुष्ठी पत लोट आइ.। में

- ने अप ने होत, जाइ की नाइं उन से ब्रेवह।न

कौंग्रा, औन माता के व्रीलापी की नाइं में सेक

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'पेंतीसवां गींत॥ धूप

से धरक गय्या। पन वे मनी ब्रीपत में आनंद से मील के फ्रकठे हुए, औन साने नौय लाग मेन व्री नाच ब्रट॒त गये, आन में जानता था, उनहे| ने मुह पराड़ा ओन थमे। जेवनानों में कपटो उठेलओं के साथ उनहें ने मुष्ट पत्र दांत कोय कीयाये। हे पतमेसनत कव्ले त्‌ देप्पा कनेगा ? उनके द्रौनास से मेत्ते पतान के, हां इसी अकेले के सोंह से छडा। में व्रडी मंडलों में तेमा घन व्राद कन गा, में व्लवाने में तेनी सतत कन गा। मन ब्रनौ यों के मु पन व्रोतथा, आनंदौत हे।ने दे, औन जे अकानथ मुष्ठ से व्रत कनते हें, मुझ पत्र आंप्य मातने दे। कर्ग्रोंकों वे कसल को व्रात नहीं" कह ते, पत॑तु जे। देस में यैन कचते हैं,वे उन से छल को जुगत कनते हैं। हां उनहें ने मंत्र व्रौतृच अपना मुह पसात्र के कहा, कौ अचहा अहा हमानो आंप्पों ने देप्पा है। हे पत- मेसन तु ने यह देप्पा है, युपका मत चच्ठ, हे पत- मेसन मुछ से दुत मत नह। हे मेने इखन हे मेने पत्रज्ञ मेत पद के लोगो आप का उन्नाड, ओरल मेन नोंपटाव के लोग्रे जाग | हे पत्मेसत मन इसन, अपने चनम के समान मेना ब्रौात कन, औन उनहें मुछ पतत आनंदौत जलने मत दे।

ैई

गीत

बे ण् ्क $ अपने मन कह ने पावें, की वाह वाचह हम यह क्स्द, /५ कक जे पक याइते थे, उनहें कहने दे, को हम उसे नोंगल

२६ गय्ये। जे मेन दुप्प सेआनंट्रौत हेते हैं, उनहें

लजीत-कतके घव्रता, जे! मेने च्रौनोच परखते हैं, .

' उनहेँ नोनादत, औन लाज का पहोनावा पह्दोना।

२७

र्प्छ

श्‌ 8 +३

जे मेने चत्म से आनंद, औ। पतरसँन छेते हें, से। आनंद के माने ललकानें, हां वे नोत कहा कन, की पत्रमेसन को मह्दीमा हेवे, जे अपने सेब्रक की द्रढ़ती से पततसंन है। ओज मेती जीन तेचा चचम, औन तेची सतुत की यत्रया दौन जत कहती नहेगी।

३२६ छत्रोरवां गोत.॥ »४० पका जल 0: के पत्रचान व्रजनय के पास पत्तमंसन के सेवक दाउढ्‌ का गोत दुसट का अगय़ा झंग कनना भेत्रे मन में कद्दता है, को उसकी आंप्पां के आगे इसन का ज्ञय्न नहों। कय्रोंकों जव्ले| उसके अचनम कौ ब्रुनाइ चौनौत हे वुच्द अपनों दर्नींसट में आप के जझ्लुलाता है।

उसके मंह् को व्रातें अचनम, औन छल की हें,

उसने समष्ठ का, औ।न जझलाइ कनने के छोड दौय्ा है। व॒च् अपने व्ोछोने पत्र पड़े पड़े कवब्नीयान

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सैंतोौसवां गोत 5

ब्राचता है, वह आप कपथ में प्यडा तइ्ता है, वह द्रुताइ से घोन नहीं कततता। हे पत्रमेसन तेती

दया सनग में है, औआन तेती सयाइ मच लेां। तेना

चतम इसनीगय पनव्रतें की नाइं है, तेन नयाय् बड़े गहोन हैं, हे पतमेसन, तु मन॒प्प आच पसन 2 हे. का नक्क हैं हे इसन तेता कोमल पनम केसा है + ०५७७५. शी ₹थ व्रहूमुल हैं, इस लोट[ मनप्प के संतान तेने डेने हर और 3७. ७७८, का. ०५७ को छाट्रा तले जनोसा कनते हं वे तने घन की यीकनाइ से संतसट होंगे, आन तु अपने स॒प्पों की नहो से उनहे पीला|वेगा॥ कय्रोंकों जीवन का साता तह पास हैं,तेन उंजोय़राले से हम उंजी याला देप्पेंगे॥ अपने गय्ानोंयोों पल अपना केमल पतम, ओत प्यत मन पत्त अपना चतम ब्रढहा। चमंडोशों का पांव मेन ब्रीताघ पड़े, और दुसटों का हाथ मुझ टालने पावे, ककतमी लक ९५२७०, ०. के. मं वह! गौने हूए हैं, वे ढकेले गय्ये हैं, वे कन्नी उठ सके

४७ सेंतीरुवां गोत | दाउद का गौत | बिक कुकनमभीयों के काचन तु मत क॒ुढ, औन अघच-

मोौयों के व्रौनच डाक कल। कगयोंकौ वे घास

धूष

गोत॥

की नाइं छूट से काट जाग्ंग, ओन चहनीयाली की नाइ मुतष्ट वेंगे। पतमेसन पत्र अनासा नप्प, आन जला कन, से त॒ देस में द्रास कनेगा, जैन नौसयग् झतासा से पत्तमेसन से क्री आनंदौत हुआ कत, ओतज बुच्द तेते मन कौ इछा तछ देगा।

कि ७, कर ०. अपना मानग पत्मेसन पत छोड दे, उस पत्र अझतो-

१०

पर

है शक

सा ज्ञी नप्प, औच वह्चौ पत्रा कनेगा। बुच्द ते 'चनम केर उंजोयाले को नाइ', गन तेच नयाय हद जज के दे। पहल टोन को नाइ' पत्तगट कनेगा | पत्त- पु हक कं लक मेसत के आगे यप हेके संतास से उसकौ व्राट ६०. ४5 थे ७७ जाह, जैन जे मनुप्प अपने मातग में व्रैढ़तों पाता «दे + पं 2 बह है, आन कमंत्रनना कतता है, उनके लौटे मत ७०५ ब्ब् कढ़। कताच का छाड दे; आज केाप के तय्ाग; औन व्रताइ कनने के कौरसी ब्रात में मल कढ "3 ना कर्योंकी कचमौ काट जायेंगे, पत्तु जे। पत्रमेसन पत्र आसा नप्पते हैं, सो पोच्धोवी के अचीकानों हेंगे। कर्मांकी तनीक औजन प्रेत दुसट हे।गा, हां तु ढुंढ ढंढ उसका सथान प्पोजेगा; ओज वुच्द दोगा। पत्रंतु कोमल लाग पौनथोवी के अची- कानी चेंगे, औन व्रहुत कुसल्व से मगन हेंगे। दुसट 'वचनमौय्रों के ब्रौनुच जुकत व्रांचता है, घन उस पतन दांत कौयकीयाता है। पनमेसन उस .

९४

२९

झरै

२३

२४

सेतौसवां गौत। * ध८

पत्र हंसेगा, कय्योंकी व॒द्द उसके दौन के आते रेप्पता है। कंगालें, दीोनें के गीनाने को, औज प्यते यालोगों के घात कनने के दुसटो ने तलवाच नीोकाली हैं, औन अपना घन॒प्प प्यींया है। उनकी तलवान उनहों के हौनरे में पेठगी ; ओऔज उनके चनुप्पं टुट जायंगे। चतमी जन को थाड़ौ दुसरे के व्रह्ृत चन से अचीक अली है।

कर््नोंकी दुरूटां को ज्ञजा ताडी जादेंगी, पत्रंत पतमेसन घनमीयों के संज्नालता है। पत्मेसन प्पतों के टौने| के जानता है, औन उनका अची- कान सनव्॒दा लें होगा। वे कसमयग्र में लजोत हेंगे,औच अकाल छे दौनें में तौचौपत हें गे

पत्ंतु दुसट नसट होंगे, आन पनमेसन के ब्रैची मेमना को योकनाइ की नाइं मोट जाय॒गे,वे चुआं चेेकके जाते चहेंगे। दुसट उचान लेता है, औन

्नन नहीं देता, पत्र चनमी दया कनता है, ओऔन

देता है॥ कंग्रोंकी उसके आसोनव्रादी पीनथौवो के अचौकानी हेंगे, औच उसके सनापीत कट- जाय्रेंग। उतस मनुप्प के डग के पनमेसन सो थोन नाय्ता है, वुद्द उसको याल से आनंदौतं है। ग्रदपो बुद्द गौत जाय, तथापौ वह सनव्॒था पडा नहेगा, कग्मोंकी पत्मंसल उसका हाथ

] २४५

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३५

मौत॥

थामता है। में 6नुन था, अव् ब्रौतच हुआ हू, तोंसपन ज्ञी में मे चनमी के! कन्नो तयकत हे।ते, औन उसके व्रंस के टुकड़े मांगते रेप्पा। वृक्त ढौंन जन दाल हे के उचान देता है, औ।न उस का व्रंस आसी सोत है। व्रताइ से अलग हे।,, औच अलाइ कत, ओऔज सदा ले व्रना नह। कयोंकों पत्रमेसत नग्राय् से पत्तौत नप्पता है, औरत अपने संतें के नंहों तयागता, वे सनव्॒दा लॉं ब्रयाखे जाते हैं, पत्र दुसटों का व्रैंस काटा जाय्गा चनमी जम के अची कानी होंगे, औन उस म॑ नोत

व्रंसंग। चनमी का मह व्रच को ब्रात कहल्ा है आन उसकी जोचज्न से नय्ाय॒ का व्रयन नोकलता

है। उसके इसन कौ द्रवसथा उसके मज़्म है, उसका डग कज्नौ तपटेगा। चनमी को चात मू॑ दुसट लगानइता है, औन डसे चात् कनने याइता है। पनभेसत उसके हाथ में उसे छाड़ेगा, औतन नग्माय्य मं उसे दाप्पोन ठहचावेगा। पत- मसल पन ठच्न, ओजल उसके मानग के पालन <. (९५ ३० 9) कत, आन वह तप न्ुम के अचीकान के लौगे ." कै 254 5 * व्रढ़वावेगा ; जय्र दुसट कार्ट जायेगे, तो तु ढेप्पेगा में ने दुसटों के महा पत्ताकतमी, औन आप के। १, 2888 पे _+ उस हने पेड़ की नाइं परेलाते देप्या है, जे। अपनी

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अटठलतों सवां गोत। ६९

हों मौटो में उगता है। तथापी वुच्द रा जाता नहा, जेसा को वृच् नहीं था, में ने उसे ढुंढा, पत्र तु बच कहीं पाग्मा गय्या। रौच के योनह, गान प्य्ने के देष्प चप्प, कयोंकी 9 से का अंत कुसल है। पत्र अपताची नास हो जाग्रेंगे, दुसट का अंत नास

औ॥ पन्रंतु चत्मौग्ों कौ मुकत पत्मेसन से हैं,

दुप्प के समय में वह उनका द्रुता है॥ पत्रमेसतत उनकी सहाय कत्तके उनहें छडावेगा, वुच् उनहें दुसटों से छड़ावेगा, ओज व्रयावेगा, कग्मोंकी उन का झनोसा उस पन है

३८ अठतोसवां गोत समनन कताने के लौगे टाउट का गोत॥ है पत्मेसत अपने कनोच से मुछ्ठ मत दृपट, औच

अपने के।प से मुझ ताडना मत कत॥ कगझ्ोंकी

तेने ब्रान सुष्ठ में लग चहे हें, अन तेचा हाथ मुल दव्ाडाता है॥ तेती नीस के मान मन देह का येन नहीं, औन नेत्र पापों के मान मेतती इडौय़ों में कल नहों॥ क््नोंकी मेनन अचनम मने सोन पन होगग्न हैं; ज्ञानी व्राष्ट की नाइं वे मेने लोग्रे व्रहुूत ज्ञानों हैं॥ मेत्ती मुतप्पता के कानन मेने चाव सड के व्रसाते हैं॥ में थका हुं, आच फ्ा (७,

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गोत!

हुक गय्या ऊं, में टौन जन व्रौलाप कचता हूँ॥ कग्मांकी मेतरी कट घौनींह नोग से भनी है; मेन देह में कल नहों॥ में नोनव्रल औन अती युत्रन हूं, आन अपने मन की व्रेकलौ के मान शौलाता हुं॥ हे पत्तमसन मेभो सानी इछा तेने आगे है, ओनच मेत्ा कहतना तट से छोपा नहीं मेत्रा मन हांपता है, मेत्ता ब्रुता मंध में घटता हैं, औज मभेत्रों आंप्पों कौ जात ज्ञो जाती नहो॥ मेत्र पीचीय जन मेत्ते मौतन मेत्री याट के काचन मुद् से दुत प्पड़े हैं; औन मंत्र कुटुम पे प्यड़े हैं॥ मेने पतान के गांहक ज्ञौ जाल ब्रौछाते हैं, और मेने दुप्प के याहक व्रनौ ब्रात कहते हैं औनच दीन ज्नत छवब्व को थ्ॉता कनते हें। पन व्रह्दोंने के समान हेके में ने सना; ओऔज गंग के समान, जे अपना मंह नहों प्योलता॥ पझोंमें उस मनुप्प कौ नाइं हुआ, जे नहीं सनता, ओम जीस के म'ह में उतन नहों॥ हे पनमेसन, में तेनो व्राट जाइता हुं, हे मन पन्न इसन, सनेगा॥ कयोंकी में ने कही, की मेती सन, हे। की वे मुष्ट पल आनंटोत हेवं; औन जतव् सेना पांव परीरले ते वे देष्प के परलं॥ कछग्नोंकी में टलने पत्र हुं, औत मेता सेकक सदा मेने आगे हैं कंशझ्मों-

उंतौसवां गोत

कौ में अपन। अचनम ब्रताउंगा, औन अपने पाप

९6 से उदास हे।|डंगा॥ पत्र तु मंत्र ब्रेती जोते दे।के

बर्‌० २२

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ब्रलवंत हैं, औज मेने ब्रेनीं अकानथ वब्रहूत हेगय॥ पु जा जललाइ को संतो द्रुताइ कतते है, से मेन बेची हैं, कयोंकी में जलाइ का पीछा कतता हुं॥ हे मे श्र है मेन से पत्रमेसन मह मत तग्माग, ने इसन, मठ के बे जि] दुत मल चह | हे मने मुकतदाता इसतन, मतों. सहास्र के लौय थटक कत

९८ उंतालौसवां गौत। पत्रधान व्रजनग्रे य्रदुथुन के पास दाउढ का गीत मैं नेकचहा, की में याकरी से यल'मा, जोसत

जीभ से पापन कत््‌, ओन जव् लें दुसट मेने आगे हें, में अपने म॒ह पत्र म'ह्ेडों चप्पुगा॥

र्‌ में गुगा रा यथूप नहा, औन जला कहने से ज्ञो

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नह गया, जैन मेचा सेोक उत्चड़ा॥। मेना मन मुष्ठ में तपत था, मेत्र सेय ते सेयते आग ज्ञ डकी, तव् में व्राल डउठा॥ हे पत्तमसत मेत्रा अंत, मेत्री व्रग्न के दौन कीतने हें, मुझ जना, की यहां. मेत्रा समग्र कौतना हैं? देप्प तु ने मेत्री व्रद्म व्रीता ज्ञव की को है; औनच मेत्ता जोवन तेने

आगे तक है नौसयम् इत फेक जन अपनो पुत्री

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गील।

अवसथा में सनव॒धा व्रीतथा है, सौलाह॥ नौोस- यय्म इत फ्रेक मनप्प सुनत को नाइ यलता परौत ता है, नौसयय्न वे अकानथ ब्रोकल होते हैं, बुह ढेच कनता है, पनंतु नहीं जानता की उनहें के।न ब्रयोनेगा। अव्र जे पत्रमेसन, में कौस कौ व्राट जाहुं? मुह तेनौह्दी आसा है। मेने सात अप- नाचोसे मुष्े छड़ा, मुनप्पां की नोंदा सुछ्े मत कच | में गंगा लह्दा, अपना मुह प्याला,कर्ग्रोंकी तु ने कीया है। अपनी येट सुछ से अचग कन, में ते। तेने हाथ की मान से नास हुआ हुं! जव्र अचननम के लौगे तु मनुप्य के दपट से ताड़ना कनता है,त॒ उस में को व्रांछोत के। गला देता है, नौसयस हइनच फेक मनुप्प व्रौनशा है, सोलाह है पतमेसन, मेत्ी पत्ाचथना सुन, औत मेने नाने पत्र कान चन,मेने आंसओं से अयेत मत चच्द, क- यग्ोंकी में अपने साने पीलतों की नाइ' एक पन देसी औन टोकक हुं! ट्रहां से जाने से, ओऔन परेन नहने से आगे मुष्ठ से हाथ उठा, जीस्तें में व्रल पाउं। यालौसवां गोत। पनचान व्रजनीयें के पास दाउद का गीत पत्रमेसनत को व्राट जेइते जाइहते वुच्द मेती ओआच

प्यालों सबां गोत हं५्‌

€का, जल मेनो दुह्दाइ सुनी। वच्द मुष्ठ जग्रंकत गड़दे से ज्ञों, अल टदलढहल से व्राहत नो काल लाया, औरत मेने पांव पहाड़ पत नप्प, औन मेती

याल के सथीत कीय।। जैन उसने मेने म॒ह मं फेक नया गीत डाला, अनथात इसन को सत्त,व्रहु तेचे देप्पंगे,अैन डनेंगे,औन पत मेसत पत जने। रा कनेंगे। जा मनप्प पत्मेसन पत्त झनतासा नप्पता है, औन अचहंकानीयों के, औैन जे छूट की आन ह्टकते

हैं, नहों मानता, से चन है। हे पनमेसन मेन इसने, तेने आसयनवज कनम, जा त्‌ ने कीय हैं, औअजन इहमानी आन तेनो यींता व्रह्त हैं, वे अलंग अलग तेने लौगें गौनो नहों जा सकतों,जो में - उनहें व्रननं कोया 'याहुं, ता वे गौनतों से परे हैं। ब्रल आन जअंट की इछा तु ने नहों की, ने मेने कान छदे हैं, हे।म की जंट औन पाप को झट का ने नहीं याहा। तव्र में ने कहा, की रेप्प, में आता हूं, पुसतक के पीलंडी में मेने व्री-

प्यय्व में लीप्पा है। हे मेने इसन, में तेनी इछा मानने के। आनंदौत हूं, तेनी व्रेबसथा मेने ह्नौच-

हे में ऐै। व्रदी मंडलो मेंमें ने चनम के पत यात्रा है, देप्प, हे पत्रमेसन, लत जानता है, की

में ने अपने हे|ठ के नहीं नोका। में ने तेने चनम

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गौत।

के अपने मन में नहों छोपा नप्पा, में ने तेनी सयाइ, जैन तेनी मुकत के व्रनन कीय्ा है, में ने तेचा केमल पर्तेम औज तेने सत के व्रडी म॑ड- ली से छोपाया। हे पसमेसत अपनी केमल है ५०2 आकर" जिले

दया के! मुद्द से चप्प छाड, तेते कोमल परम औन तेती सयाइ नोत मेती नक्ता कनें। कयों- की अगनौत व्रुताइग्रों ने मुछ्े घेत्र लोग है, मेने अचतम ने सुष्ठे पकड़ा है, छसा को में अपनी आंप्य उपय नहीं उठा सकता, वे मेन सोन के वाले से ज्ञो ब्रहुत हैं, इस लीग मेचा पत्तान जाता है। है पत्रमेसल लुधे ब्रया, हे पतमेसत सोचन मेनो सहाम कत। जो मत्रा जोंव लेने का पोछा कनते हैं, उनहें ए्कठ लजोत कन, चैन चत्रचा दे, जा बिक ०. ७३५० $

मेत्री ब्रुताइ याहते हैं, उनहें हटा हे, ओच लजीत कंत | जो मु पत अहा अहा कनते हैं, से। अपनो लाज के पलटा से नास होवें। जा तेने प्पोजी हैं, आनं दीत औरत पनसंन दे।वें, औच जे तेनो मुकत के पनेमी हें, से। नौत कहा करें, की पतरमेसनीं ह्चौत। दोय्। पत्रंत में तेा कंगाल औन दौन हूं, तथापी पतमेसन मेत्ती योंता ._

कर 23... हल कचता है, मेन्ौ सच्दा्न मेत्रा छुडानेचाला तह्ो

१५८ है। है मेत्रे पनमेन व्रौलंब़ मत कन।

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एकतालीसरवां गौत ६७

४९ फ्रकलालौसुवां गौत पनचान व्रजनय के पास दाउढ का गोल जे। कंगालां की योंता कचता है, से 'चन है

पनमेसत व्रुताइ के दौन में उसे छुडावेगा। पच- मेसन उसकी चछगया कनेगा, औन उसे जोता नप्पगा, अच वह ज्ञमम पतत आसोसीत हेगा, थै।न उस के ब्रेती के व्रस मे उसे कन देगा। नाग के ब्रौछाने पत्त पत्तमेसन उसे व्ऋल देगा, उसके जोगमें उसका व्रीक्केना उलट पलट कनेगा। में ने कहा, की हे पत्मेसन मुष्ठ पत्त दृश्मा कन, मेने पत्तान के यंगा कन, कथ्ोंकी में ने तेने ब्रीनाच पाप कौम्ना हैं। मेने ब्रेती मेने ब्रोप्पग्र में ब्रुत्ता कहते हैं, कौ वुच्द कब्र मनेगा, औल उसका नाम कव्र मोट जाय्गा जन जे वह दरेप्पने के आवे, ते। मोथय्ा व्रा्तें कतता है, ड़सके मन में अघनम अना है, वुच्द ब्राइच जाके उसे कचइ्दता है। सत्र जो मु से ब्रेन नप्पते हैं, मेने श्रौमाच परसपरसा ते हैं, मेनो व्रनाइ में वे जगत ब्रांचते हैं। गन कहते हें, की फ्रेक व्ता नाग उसे लगा है, अग्र जे वच पड़ा है, परेन उठेगा। मेने कुसल का जन, जोस पतन में ज्ञतेसा कनता था, जे। मेनौ नाटी प्पाता था, उसने मुछ्ठ पत्त लात उठाई दै

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गोत॥

पत्र हे पतमेसत, मुझ पत दग्मा कस, औत सुष्े प्पडा कत, जौसनें में उनसे पलटा लेंडं इस से मैं ज्वानता हुं, की मुछ् पत कीनपा कतता है

की मेने ब्रेती मुछ्ठ पत्र जय्य नहीं पाते। तु मेत्ती प्यताइ में मुष रँन्नालता है, गैन सदा मुहे अपने आगे तप्पता है। पत्मेखन इसनाइल का इसनत सनातन से सनातन ले चन है, आमीन आमीन

४९ व्रयालोसवां गीत

केाचह के संतानें के लोग पनचान व्रजनय के पास उपदेस कनने का गीत

जेसा की हतनी पानो की नालीौयों के ली ये व्रोंत्रीआतो है, तेसाही हे इसच, मेचा पत्तान तेचे लोग हांपता है। मेना पतान इसन के लौये जीवत इसन के लौटे पीग़ासा है, में इसच के आगे कब्र पहुंयंगा। नात दौन मेन आंस मेत ज्ञाजन हुए हें, जब को वे पतरतटरौन मु कहा कनते हें, की तेना इसन कहां है ?॥ जव्र में इन ब्रातों के से।यता हुं, तव्र में अपना पचान उंडेलता हुं, क्रग्मेंकी भें मंडली के साथ गय्या; में उनके साथ आनंद सतत का सव्॒द कचता हुआ अनथात

उस मंडली के साथ, जे! पतत्र नप्पती थी, इरुन के

१०

व्रयालौरुवां गीत रा

मंदोत में गद्या। हे मेत्र पतान, तु कय्यों हुका जाता है? ओऔतन त्‌ करों मुझ मे ब्रेयेन है? इसन पत्र झतोसा नप्प, कग्मांकी नौसयस्र में उसके नुप को सहाय के लोग़े उसकी सतत कनु गा। हे मे इसन मत्रा पतान मुष्ठ में हुका जाता है, इस लौटे अनदन कौ ओतच इनमुनो को आुम से मौजह।त के पहाड़ से तुष्ठ सननतन कन॒गा॥ तेने पनोव्रदा के सब्॒द से गहौनाव गहौताव के पुकाचता है, तेनी सान्ी लहनें, औन तेने ढेव मत्ते सौच पन से

जाते नहे| दौन का पसमेसन अपनी केामल

दया के। अगय्ा कनंगा, ओअन नात के में उसका गोत गाउंगा, मनी पत्तालशना भेने जोवन के इसन को ओन हेगी। में अपने पद्ाड इसन के कहुं- गा, की तु मुह कर्मों झुल गया है? में कयों ब्रेनो के अंचन से तेत आगे द्रौलाप कनता यला जाता हुं? मंत्री हडीग़ों में तलवान की नाइ' मेने व्रेनी नोंटा कनते हैं, जव्र लें वे पनतीदोन मुछे कहते हैं, को तेता इसत कहां? हे मन पतान तु क्यों हुका जाता है, जैन तु कर्मों ब्रेयेन है? इसल पत् झनोसा नप्प, कप्मोंकी में अत ज्ौउस- कौ सतल कन॒ गा, जो मेत्र मुद् का कसल ओतन मेता इसन है।

३०

गोत।

मेंतालीसवां गोत

हे इसन, मेना द्रीयान कन, जैन अचनम जात

के ब्रोनच मेने पद का पकछ कच, सुध्े कपटी ; औन क्‍ अचनमी मनुप्प से छड़ा। कयय्रोंकी तु मेने व्ल का इसन है, कर्मों नुह्े दुत कचता है ? में बत्ती के अंचेन के माने क्यों नाता थला जाता हुं? हाय अपनी जेत, ओन अपनी सयाइ के पेज, वे मतों छा आफ,

मेत्रों अगआइ कनें, वे म॒ु्ठ तेते पवोतन पहाड पत्र औन तेने तंत्र मं ले जावें। तत्र में इसन की कि

ब्रेदी पत्त अपने आनंद की मगनता के इसन पास जाडउगा, हे इसन, हे मेने इसन, ट्रोन व्जा के में तेना सतत कन गा। हे मने पत्तान क्ग्मों छ॒का जाता है, ओआन मुष् में कर्मों ब्रेयेन है? इसनच पन आअतासा नप्प, कयोोंकों अव् जो में उसकी सतत कन्‌ गा, जे भेने मुंह का कसल ओाच मेत्ता इसनस

च्है।

क्‍्,, 5 ्यांतरालीसवां गौत |

के।नह के पतनों के लीग पत्रचान व्रजनग्े के मसकोल

है इसन हम ने अपने काने से सना, ओऔन उमर कामे का, जे तु ने उनवे दौनें में, आन उनसे

शेतालोीसवां गौत ७१

आगे कौय हे इहमाने पीतनों ने हम से कहा कौत ने अनदेसोश्रें के! कग्मोंकत अपने हाथ से दुत कौया, आन उनहें जमाया, औनल ने उन लागों का दुप्प दौग़ा, औन उनहें व्राहत कौग़ा क्यों की उनहे। ने अपनी हों तलवान से देस के द्रस में कौया, उनकी अुजा ने उनह व्रयाय्ा;पतंलु तेच दहोने हाथ ने; औज तेनी आजा ने, ओत तेन नप की जात ने, इस लोग्न कौ तेती कौनपा उन पत्र थौो॥ इसन मेनता चाजा है, ग्राकव् के लौग्र छटकानों की अगय्ा कच | तह से हम अपने ब्रनोयों के ठलेंगे, जा हम पत्र उत्नड ते हें, इम तेने नाम से उनहें लताडेंगे। कर््योंकी में अपने चनप्प पत्र झनासा कन मा, मेती ललवान मह ब्रयावेगी | पत्रंत ने हमें हमाने ग्रेनीयों से ब्रयाद्रा है, औन इहमाने सततन के। लजीत कौग्ा है। हम दोन जन इसन को व्रड़ाइ कनते हैं औरत सदा तेते नाम कौ सतुत कनतें हैं, सौलाह। पनंत लु ने हमें तयग्ागा हैं, औ।न लजोत कोया, औजन हमानी सेनाओं के साथ नहीं जाता ! त्त ब्रेनी से हमें पीठ परेतवाता है, अन इहमाने सतत

इसमें लट लेते हैं। तु ने हमें भेड़े। की नाइं उन-

का ज्ञाजन कौग्ा है, औन अनदेसीमों म॑ इमें

-छ२ गोत

९२९ छॉन ज्ञॉन कौय़ा है। तु अपने लोगों के व्रौन चन से व्ेंयता है, अल उनके मोल से नहीं व्रढ़ता है। हमें हमान पनासौयों नॉदीत, अन हमाने आस पासौश्रों में हलका, औजन तुछ कतता ९४ है। हमें अंनदेसोय्ों में 9क कहावत, ९४५।९६ लोगों में सौचच ना व्रनाता है। नोंदक औत पाप्यंड के सब्द के लॉग ब्रेती पलटादाग्रक के काचन से मेतों घव्नताहट नौत मेने आगे है

९७ ग्रान मेन मंद की लाज ने सु ढांपा है| यह सत्र कछ हम पत्र पड़ा है, तद ज्ञौ हम तह नहीं

अले हैं, ओऔतन तेती व्राया से मौथस्ा व्रेवद्दान

९८ कौ! है। हमाना मन नहीं परोता है, औन ९6 हमानों याल तेने मात्रग से परौनी। ग्रदपी तु ने अजगतनों के सथान में हमें कयला है, आन

२० मीनत को छाम्रा से हमें ढांपा। यदौं हम ने अप ने इसन के नाम को वब्रौसन!ग्रा है, अथवा उपनो २६ देव कीं ओन हाथ परेलागया है। तो कग्या इसच इसका जह्ञेट लेगा? कग्रोंकी वह मन के ञ्ञ्दें

२२ के जानता है। हां, तेने लोग हम दौन अन .. चात कीयरे जाते हैं, आन चघात को जेड गौने जाते २९ हैं। हे पनज्ञ जाग तु क्यों सेता है? उठ सदा २० के लौगे हमें मततग़ाग। वु कछ्नों अपना मुच्द

पैंतालीरुवां गोत 98

छीपाता है? जैन हमाने दुप्प गन अंचेंच के करों २४ व्ौरुताता है। कंग्नोकी हमाता पत्तान चुल लॉ २६ हुंका है, हमाना पेट ज्ुम से यौपका है। हमात सहाय्र के लोग उठ, औन अपनी द॒द्ा के कानन हम वद्रया ले

९० रो » ४५ पंतालोॉसवां गोत।

ऐ> 05 ”_ अमतक- की केानह के पुत्नों के लोग सेसानोम पत्र पतचान ९, बिआ पं ब्रजनौट के पार मखकील पनेम का गान

९५ - मेने मन में अछा अज्ञीपताश उद्बलता है, में उन व्राले केव्रीप्पय्य में कहता हूं, जा में ने नाजा के लींय कोया है; मेती जौन्न यटक लेप्पक को

:& लेप्पनो है। तुमनुप्प के संतानों से अतो सुदत है, तेचे हे।ठों में अनुगीवह उंडेला गय्या है, इसो लोग्रे इसच ने तुछ सह के लोग आरसीस दौयग़ा

९. है। हे सकतीमान त्रौज्मव, जैन महात्म से

अपनी तलवाच जांघ पत्र लटका सयाइ केममलता जन 'चनचम पत्र अपने महातम गान सपरलता से यढ़; औज तेता दच्दौना हाथ तह

अग्ंकत काचज टौप्पावेगा। ताजा के ब्रेनीयों के अंतःकनन में तेचे ब्रान ओप्प हैं, लेग तेचे

तले गीन जाते हैं। हे इसन, तेना सॉइ्रासन

0४.

38

९७०

शुर

नह

डा

गोल।.

सनातन ।न सनातन के लोग है, तेचा नाजदंड ठोक दंड है। तु चचम से पेनेम, आन दुसटता से ब्रेत कचता है, इसो लोग़े इसन ने, जा तेचा इसन है, आनंद को यौकनाइ से तेत संगीयों से तह अचीक अज्नौसौकत कींया है। हाथों दांत के भवनों में से ब्राल; ओजच तेने पहोनावा से अगनत, औन तज का सगंच आता है, जीन से उनहे ने तुष्ठ आनंदौत कौया है। चाजाओं की ब्रेटौयां तेनी पनटीसठीत इसतीनींगों मे हें, नानी उपरीन के सोने से ब्रौज्सोत तेने दच्चोने हाथ पत्त प्पडो थी। व्रेटी सन ले, औ।स से।य, गन अपने कान लगा,अपने हो लेगें, औन अपने. पीता के चत के ज्ञी जुल जा। से चाजा तेत्तो स'दतता का नीपट अज्ञौलासो होगा, करग्मोंकी व॒द तेता पतनज्नु है, तु उसकी सेवा कल। औन अंट के साथ स॒त कौ ट्रेटी अतथात लागों की चन- मान तेने मह को ब्रौनती कनेगा। ताजा कौ पतती ज्ञोतत ज्ञीलत मह्तोमा से अ्ञनी हुइ है डसका पहदोनावा से।नहला हैं। व्र॒ुटे काढ़े हुए पहीचावा में चाजा के आगे वह पहुंयाइ जायगो उसकी झंगी कमानीयां, जे। उसके पीछ पौछ जाती

९५ हैं, तह प्रास पहुंयाइ जायंगी॥ आनंद हेते

छटय्ालोंसवा गोत। ड्पू

हुए वे पत्रंता से पहुँयाइ जायेगी, वे नाजा के

की

रे

अवन में पतवेस कनेंगी। तेने पीतनों की संतीं तेचे संतान देंगे, जोनहें तु सातोी पौतथीवी का अचेछ कने, सानी पीढ़ोंय में में तेता नाम समनन कप 22७. कनाउंगा, इस लीग लाग सनव्॒द। तेनो सतत + टज कनेंगे।

४६ छयथालोसवां गोत | केानलह के पतनों के लोग पत्तचान व्रजनौये के पास एक गान अलासुस पत्र | इसन हमाता सनन ओतन व्र॒ल है, ओऔान दुष्प में

अऔजन समग्र भें सहायक है। ग्रदपी पोनथौवों

प्‌

है

टलजाग, जन ग्रदपी पत्रव्रत सम दतर में डाले जाएें॥ आज उसके पानों हडच्चडावं, ओऔन हलन जावें, ग़ट पी उसके उनञ्नडने से पत्रव्रत थच- थनावें, तथापी हम डनेंगे, सोलह |! एक नो है, जौसकी 'घान इसन के नगत का, अनधात अती मह।न के पवीतन तंव्ुओं के। आनंएीं ते कनती हैं। इसन उसके मच नम है, वुद्द कन्नी टलाग्रा जाय्गा, इसन तडकेहो उसकी सहाय कनेगा अनदेसो केापीत हुए, नाज होल गये, उसने सत्द कौया, पौनथोवी पोचल गइ॥ पचमेसन सेनाओं.

७६

श्र

गोल |

का इसन हमाने साथ है, टय्राकुव्र का इसन हमाना सनन है, सोलाह॥ आओ पनमेसन के काचजों के देप्पा, उसने पीचथीवों पत्त केसी केरसों व्री- नासता को व॒च् पोचथीवी के अंत ला लडाइयों के उठा डालता है, वह“चनुप्प तेडता है, औन जाले दे! टुकड़े कचता है, गाड़ीगों के! आग से जलाता है। चीनज चना, औन जान नप्पा, की में इसच हुं, में अनदेवीयों में पततीसठोत हुंगा, में पीचथीवी पत्र पततोसठीत छे।उंगा सेनाओं का पत्रमेसत हमाने साथ है, ग्राक॒ृव़् का इसच इहमाना सनन है, सोंलाह।

४७ सेंतालीसव[ गोंत।

कानह के ग्रटों के लोझे पत्रचान व्रजनीये के पास एक गोत

हें लेगा, तुम सत्र तालीम़ां व्रजाओ, जग्न के रुव्॒द से इसत कौ सतत कत्तो। करग्रोंकी अतो महान पतमेसत अगनंकत हैं, वुष्त रानी पीनथीवी पत्र मह।नाज है॥ वुच् लेगां के हमाते व्रस से औत देसीटों के हमाने पांव तले कनेगा॥ वुक्त हमाना अचौकात, अनथात अपने षौनीम्न ग्राकृब्र की महौमा के हमाने लौग़े थुनेगा, सौलाइ

शिन

अठतालौोसवां मौत। छः

इसन महासत्र॒ट॒ के साथ उठ गया हैं, अनथात पनमेसन तुनह्दौ के सवब्॒द के साथ। इसत को _ सतुत करने, सतुत कनो, हमाचे ताजा को सतुत कने।, सतत कनो। कर्ग्नोंकी इसन सान जगत का नाजा है, समुझ्ठ के साथ उसको सतुत कनोा॥

इूसन अनदेसीयों पत्त ताज कतता है, इतन अपने

#५.. >> 0८ /०

परवीतत सोंह।सन पतन स्रेठा है। लेगों के अचेछ ऐड... पी. से >> ३० आप

एकठ हूए हें, अनथात वे, जा इतद्ताहोम के इसत के लाग हैं, कंय्रांकी पीचलथीवी की ढालें इसन के व्रू में हैं, वह अतयंत पत्तोीसठीत हुआ है

अठतालोवां गोत कानर के व्रेटां के लोग गान ओऔन गौत

हमान इसन के नगन में उसी के परवोतत प्दाड पत्र पत्तमेसल महान, औ।न अतग्ंत सतुत के जे|ग है। सेहुन पत्रव्रतसदत सथान सानो पीनथोवी का आनंद है, उतन अलंगों म॑ मह्दानाज का नगत है। इसन उसके भवनें में सनन के लौमे द्रोहीत है॥ क््मोंकौ देप्प चाजा व्रटुन गद्ने, औज फक साथ उतत गय॥ देप्प के वे आसयन- जोत हुए, व्रश्माकल हे।के वे नींकल ज्ञाग। वहां डन ओऔजन जनती इसतनी कौ पीडा की नाइं पीड़ा

७४९ ७,

हु

रै

हर

रहे

शेड

गोत।

ने उनहें पकंडा॥ तु तचसोीस को जहाजों को

पुत्री पवन से ताडता है। सेनाओं के पत्रमेसत

33 ७७

के नगन म॑ अनथात अपने इसन के नगन मे जसा ]" हे

हमने सना है, तसाहो देप्पा; इसत उसे सदा

सलथौत नप्पेगा, सोलाइ हे इसन तेनेमंदोत के

मच में इमने तेने -केमल पेनेम का सेतया है।

<५ कह ते

हे इसन जेसा तेता नाम है, तेसो तेची सतुत पीच-

२2 32 हे पट.

थीवोके यानों प्यंट है, तेता इच्चोना हाथ

+ कक. ०५ 5 चनचम से ज्ञना है। तेन नय्ात्ों केक्कानन सहुन पहाड आनंदोत हे।वे ग्रकुदा की ब्रेटीयां आनंद ७५३ क्र रा के

कनते। सेहुन के आस पास परीनो, ओच उसबी ५७ 2 कर 2 अभी

यानों ओ।न जाओ,आऔ।न उस के गमटों के गीने

लम उसके गढ़ पत्त अपना मन ज्वगाओ, ओऔन

क' कब अल का कक 4 वियां

उसके भवनों के सेयोा, जोंसत अगलो पोढोर

के। कह चप्पो। कग्मोंकी झहोी इसन हमाना

खि 5 की सनातन का इसन है, आन मौततु ले वह्दी हमाता अगआ हे।गा।

; ४6 उंयासवा गोत

के।तह के ब्रेटों के लोग पत्तचान व्रजनीग के पास १। हे लागो यह्ट सने,जगत के सात व्रास्ौय्ो। कया

छाटे, कया ्रडे, कया चनी, कया कंगाल फ़कठे

उंयासवां गोत | रु

कान 'चततो। मेचर मुह से ब्रुव की व्ातें नौक- लेंगी, ओज मेने मन का चग्मान समुष्ठ का देगा।

में ऐक रोनीसटांत की अे।ल अपना कान छुकाउंग', में अपना गपत जद व्रौना पत प्योत्चगा। जदब्र मेती एऐडी का अचनतम अ'स प|स से मुछ घेतेगा, छ्सो ब्रुनाइ के दोनों में कीस लोग डनों। वेजा अपने घन पत्र जतासा कनते हैं, ओजन अपनी _ संपत को व्रहूताइ पत्र परलते हैं। उनमें से काइ "जैसी ज्ञांत से अपने ज्ञाइ का छडा नहों सकत!,

'न उसके कानन इसतन के पनांय्रसयीत दे सकता।

कर्ग्रोंकी उनके पनानां का पनाय्रसयीत म्हुमुल

९०

७.

हर

रह

है, औजन सजव्॒दा अर।च है। जोंसत वह सत-

ब्रद्टा जीता तहे, ओन नास देप्पे। कप्मोंको

बृद्द ब्रुवमान के मनते देप्पता है, औजन मढ़ औल पसवत पतानी ज्ञौ नसट हेते हैं, औ।न अप- नौ संपत औनों के लोगो छाड जाते हैं | वे समुध- ते हैं, की हमाने घन सदालें, औच हम।ने नी- वास पोढी से पीढ़ी लें सथौत नहेंगे, वे अपनों आझुम पत्र अपना नाम चप्पते हें। तथापी पनतीसठोत मनुप्प -नहों ठहनता, व॒ुह् पसुन की नाइं नास हे। जाता है उनकी याल उनकी मुतप्पता है, तथापी

उनके संतान उनहों की -्रात से आनंदौत हें,

कई

गोत।

सोलाह। वे जञेडे! की नाइं समाच में डाले जाते

हैं, मोत्त्‌ उनहें प्याय्वा कनेगी, जन प्पने लेग

रे

रे

श्प

रु

ब्र्‌०

व्रौह्दन के। उन पत्र पत्रज्नुता कनेंगे, पतलाक में पड़े पड़े उनकी सदनता जातो चहेेगी। पनंत इसन पतलेक के हाथ से मेच पत्तान के छड़ावेगा, करट्ोोंकी वुच्त सुष्ठ गयहन कनेगा, सोलाह | जव्र काइ 'चनमान हे। जाम, अथवा उसके घन का व्रौन्नव व्रढ जाय, ते मत डनच। कढप्रोंक़ों बच मनने में कुछ साथ ले जाग्गा, औतन उसका ब्री- अव उसके पीछे पौछ उतनेगा। ग्दपी वुच्द अपने जोते जी अपने पतान के आसीस देता था, पत्र जब तु अपनो जलाइ कनेगा, मनुप्प तेनो सतुत करनेंगे। उसका पत्रान उसके पीतनों की पीढी में मोंल जायगा, वे कझ्ौ उंजोयाला ढे- प्पग।, पनतीसठोत मनप्प, जे। असमह है,सा नासमान पसु की नाइं है

५० पयासवां गोत | अस।पर के लोग गींत।

सकतोमान इसन पनमेसन ने कहा है, गान पीतथोवी के सतज के उदय से उसके असत लो ब्रुाग्र। अतयग्ंत स॒दतता सेहुन में से इसन

पयासवां गींत चर

यमका। हमाना इसन आवेगा, औनच यपयाप मनरेगा, ॉफ्रेक आग उस के आगेआगे जझस्म कनेगी जन उसके आस पास व्रड़ा अंचीयाना हे।गा ! वक्त उपन से सतत के औजन पौन बौवो के पुकानेगा,जौ- सतें वह अपने लागें का नग्याय कने | मेचे संते के मेने पास 9 कठ कनोा,जीनचे ने मेन साथ व्रलीदान

से व्राया व्रांची संचग उसके घनम के। पनगट क-

कि.

नंगे,क्यों की इसन नदात्री है, सौलाह। हे मेन

लेग सन, औैन में कहुंगा, हे इसनाइल, में तेच ब्रौनच साप्पी देडंगा, में इसन तेता इसन हुं॥ में तेने वब्रलीदानें अथवा तेनें होम की जअ्ञटो के लोय नोत मेन आगे हे।े के लोटये तटध्टे दप-

गा। में तेने चन का ब्रैल, तेनो लंड का व्रकना लेडंगा। कझ्योंकी व्रन के साने पस, औच सहसन पहाड़े| के ढाल मेत हैं। में पहारू के साने पंछौयोों के जानता हुं, आन येगान के व्रन पसु भेत्र हैं। जो में ज्ञप्पा देतता,ते तह कह- ता, कग्मों की जगत, औन उसकी झननपुनी मेची है | क्या में ब्रेल का मांस प्याउंगा, अथव। व्रकनों का लाह़ पोउंगा ? चनव्राद कौ अंट इसन के यढ़ा, जल अपनी मनोतौगय़ाां अतों महान के आगे पुती कत। ओ।न व्रौपत के दौन मुझे पुकान

8३

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२२

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२६

गीोत।

में तल छडाउंगा, ओआन मेत्ती महोमा पत्रगट कनेगा। पत्रत दुसट से इसन यों कच्ता है, तुष्ट मेतरी ब्रीचन के व्रतनं कनने से कद्या काम है, अथवा अपने मुह में मेत्री ब्राया क्यों लेता है ?॥ त॒ ते उपदेस से घौन कनता हैं, जैन मेने व्रयन के अपने पौछ ड।लता है। जव्र ये का रेप्पता है, ते उस में मोल जाता है ;- जन त्रे आनोयानयों का साध्टी होता है। अपने मह से व्रताइ को व्र!तें कतता है, जैन जोचज्न से छल ब्रांचता है। ब्रेठ के अपने आाइ के ब्रॉचाच में ब्रेलता है, अपनी हीं माता के व्रटे के ब्रोप्पय्न- में धठ ब्रालता है। तने यह काम कीया है औज में यपका हेनच, ने समह,'की में तही सा हुं, पत में तुछ्टे दपटु गा ; औस उन्‍हें फ्रेक एक कचकके तेची आंप्पों के आगे 'चनुंगा। अव्र हे इसतन के ब्रोसचवैद्या,इ से से्या, हे। कीं में तुमचें टुकड़ा टुकड़ा कनु, तन केाइ छडवेद्ा चे। जा सतुत की जअ्ञंट देता हैं, से। मेती मद्दीमा पततगट कनता है, जै।न जे सुयाल यलता है, में उसके इसन की मुकत दौप्पलाउंगा

रे

फकावनवां गौत। छ््३ ५१९ फ़ेकावनवां गीत

जब बच व्ैधसी ब्रा पास गया, न।रान जवो- सदद्गधकता उस पास जञजागया, पचचान प्रजनी ये के पास दाद का गीत

है इसन, अपने कोमल पनेम से मुष्ठ पत दया कत, ओनल अपनी केमल ट्या की अचौकाइ से

'२ मेत्रे अपताचों के मोटा दे॥ सुहे मेने अचनम

से सनव्रथा चो, और सुधे मेन पाप से पावन कच रे ७... के काश मद करग्नोंकों में अपने अपना्चों का मान लेता हुं, . औैन मेता पाप सदा मेने आगे है॥ में ने केवल तेनाहो अपनाच कौोया है, ओज तेनेद्दी आग ब्रुताइ की है, जीसत तु अपनों व्रातें में नौचदेप्प औन अपने ब्रॉयानों में त्रलाग ठच्ने॥ देप्प, आर डर कर; अचनम में मेचा डेल हुआ, ओज पाप में मेतो हर कढ > | ज्ु माता ने मुष्ठ सेवा॥ देप्प, अंतत में सयाइ याइता है, गजणैत गुपत सथान में मुह ब्रुच जना- वेगा। जुपरा से सुष्ले पावन कन, और में पवीतत

हाजाउंगा, सुष्ठ चा, ओतच भें पाला से अचौक

+ हैक. 3 उजला हेजाउंगा। सुधहे आनंद औैच मगनता का संदेस सना, जोसते मेनो हडो:., जोनहें तु ने ताड़ा है, आनंदोल हें | मेने पापों से अपना

ष््षे

र्‌० शैरै्‌

है

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श४

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२७

श्ष्ः श्र

गौत॥

म्‌ छोपा, औत मेने साने अचनम मौटा डाल। है इसन, मुष्ठ में एक पवीतत मन उतपंन कन, औ।न फ्रेक सथोच आतमा मुष्ठ में डाल। मुह अपने आगे से मत हांक, औनल अपना चनमातमा सुष्ठ से मत ले। अपनो मुकत कौ आनंदता लुष्ठे परीत दे, ओ।न अपने नीनव्रंच आतमा से मुष्े घाम | तव् अपनाची धो के में तेचा माचग सीप्पा- उंगा, औ।न पापी तेची ओआन प्रौनाग्ने जागेंगे है इसन,मेने मुकतद्ाता इसनत,मुष्ठ हतया के पाप से छडा, ओ।न में अपनों जीज्न से तेने चचम के गीत गाउंगा। हे पत्रन्न मेने चेंठों के! प्याल, औज गाना म॒ह तेनी सतत व्रचनं कचेगा। क्ग्गनोंकी तु ग्रलीद्ान नहीं थाइता, नहीं तो में देता, हे।म के व्रलीद्ान में तेनों आनंदींता नहों | इसन के व्र॒लों दान 'युत्न मन हैं, डे इसन, तु टुट औनच यत्न अंतःकनन के तुछ जानेगा

अपनी व्रांछा से से हुन का झल। केच, ग्रीनासलोम

कर ९. “रूप हक को जीते के व्रना। तव् तु चनम के ब्रली दाने, जज ४७-७० >>» | औज हे।म की ज्ञेट, औच हेम की पत्नी अंटं से ०० और ।७० पट आनंदौत देगा; तव्र वे तेनी ट्रेटो पन् बद्रल- ०३ | है चढ़ावें गे

/्

व्रावनवां मौत ष्प्ध्‌ ५९ द्रावनवां मौत |

जव्र अद्मी दे।यगने आके स।इल से कहा, को दाउट अचोमलक के चत आया है,द।[उद का मसकौल पनचान व्रजनोय के पास

है व़्लवान मनुप्प व्रताइ पत्र तु कग्मां पर लता है? इसन का अनगोवह नौत है। तेत्ौ जोन छल कन के येप्पे छत कौ नाइं व्रनाइ की जगत कनतो है। व्रचाइ का ज्ललाइ से, ओऔन छठ ब्रालने का सत कहने से अचौक याहइता हैं सोलाइ। हे छलो जौज्न,त जछक व्रातां का याहतो है। इसों नौत से इसनच ज्ञी तधहे सदा दे मानेगा, वृद्द तह दुत कनेगा, ओआन तह तेच नौवास सथान से उप्पाड़ेगा, औन जोवन कौ ज्ञुभ से तष्ट उप्पाड डालेगा, सोलाह 'चनमो देप्पेंगे,

ओ।च डनेंगे, औनल उस पत्र हंस के कहगे। कीं

देप्पा, इस जन ने इसन के अपना व्रल जाना, पत्र तु अपने चन कौ अचौकाइ पत्र झनारू नप्पा, औैन अपनो दुसटता में आप के पनव्रल कौयग्रा। 5; :2- 8. 2 प्र 3 पक पत्रंतु इसन के मंदौत में में जलपाइ के इने पेड की नाइं हुं, इसन कीं दया पत्त सदा जआनोसा नप्पता हुं। में सनव्र॒द्या तेनो सतत कन॒ु'गा, घ्न 0६.

प्््

गोत॥

कर्ग्नोंकी ने कोय़ा है, ओ।न तेने नाम की व्राट जाहुंगा, कयोंकी तेने संते। के आगे ग्रह झला है |

५६३ तोनपन्वां गीौत |

दाउद का मसकौल महा।लात पत्र पतचान व्रजनौग़े के पास

मुनतप्प ने अपने मन मं कहा है, की इसत नहीं, वे सड़े हैं, आन उनहे ने घोनोत अचनम कौथ्ा है, ओजन उन में केइ जला नहीं कनता। इसनत ने देप्पने के। सतग पत्र से मनप्प के संतान पत्त दोनीरुट की, को के।इ समघ्वेय्ा अथवा इसन का प्याजो है॥ उन म॑ से हन फेक हट गय्या है, वे सत्र के सत्र असुच हुए हैं, कोइ सुकतमी नहीं, छेक ज्ञों नहों। कग्मा ककतमीयगों में समझ नहीं? वे मेन लागों के नोटी की नाइं प्पाते हैं, उनहे ने इसन को पत्तानथना को। जहां डन था, तहां वे व्रहूत डनगय्य; कग्मोंकी जा तेन व्रौनुच छावनी कनते हैं,इसन ने उनकों हडौयों के छी आन कोय़ा है, ने उनहें लजोंत कीया, करग्मेकी इसन ने उनहें तुछ कौग्ा है। सेहुन से कान इसनाइल के। मुकत देगा, जव्र की इसन अपने

शवनवां गोंत

लेगें को व्रंचुआइ के परेनेगा, ते। स्राकुव्र आन॑- दौत ओन इसन।इल मगन चहेगा।

५४ थेंवनवां गीत |

जब जप्रीमौयों ने आके साउल से कहा,कोया दा- उद अपने तइं हमाने पास नहीं छोपाता,दाउट का मसकोल नगौनुत पत्र, पतचान व्रजनग्े के पास है इसन, अपने नाम से मुझ ब्रया, अपने पताकनम से मेना नयाय्र कच। हे इसन, मेत्तों पतानथना सन, ओऔत मेन मुह कौतव्रातें पत्र

कान चन। कर्ग्नोंकी पनदेसो मेने व्रीनाच में मुष्ठ

पत्त उठ हैं, श्रान सताड मेने पतान के मांहक हें, «६ 05.." पाप जिद ों उनहें ने इसन के अपने आगे नहीं समहा, सोंलाह | टेप्पो, इसन मेला सहायक है, प्रन्ञ मेच पतान के सहायके के साथ है। वहीं मेने जि व्रनो का व्रताइ का पलटा हेगा, अपनी सयाइ से के बी. ते मे हे उनहें नसट कनेंगा। हे पत्रमेसन में मनमंता 7९, ्ि तुष्टे व्रल यढ़ाउंगा, में तेने नाम की सतुत कन॒ गा, कश्रोको यद भला है। इस लोगो की सनो वीपत कैट... कक क्र आओ ८... से तु ने मुझ व्रयाद्या है, आन मेची आंप्पां ने मेच पर ट्रेनों का देप्पा है

है;

गीत॥

भू पयपनवां गोत | दाउद का मसकौल नगीनुत पनत,पन्रचान व्रजनोये के पास |

है इसन,मेनों पतानथना पत्र कान चन.ग्रान मनी

२।३ व्रौनती से आप के। मत छोंपा। मेत्री आन सतत

््‌

लगाके मेत्री सुन; ब्रैनी के सब्॒द के औन दुसटों के अंचेत के काचन में दृहाइ देके ब्रोंलाप कत कन॒ यीलाता हूं, कग्नांकी वे मुझ पत्त अचचन लगाते हैं, औन केप से मुष्टे चौनाते हैं। मेतता मन सुध मं अती पौडोंत है, ओज में मौचतु के अगर में पडा हुं। ओन डनना जान थचथनाना मुछ्ठ पत्त आपडा, ओजन चडका मे सुहे ढांपा है | में ने कहा, हायर, की कपेत के से मेन पंप्प हे।ते,

तो में उड जाता, औच येन पाता। हो, मैं ता दुचन

अचमन कन जाता, ओतच जंगल में चहता,सौल।|ह।

में आंची ओऔन 'हकड से छूट व्रय नोकलता।

श्‌०

रैरैि

है पत्र, उनचऊ नास कन, अल उनकी जीज का री प्लस] ड्लैः बी टच,

ब्रीज्नाग कत, कये की में ने जगत में अंचेच, ओच

छधगडा देप्पा है। चात दोन वे उसको ज्ञोतां पत्र

यजते हैं, ओज व्रुताइ अनच सेक उसके मच में

होता चहता है। दुसटता उसके मच में है, छल

औन कपट उसके सडके से जाता नहों नहता |

रद

रे

९४ ९५

रैई

१9

है प्र रैढ्‌

र्‌े० «है.

3

२३

पयपनवां गोत ष्म्ह्‌

ब्रैनी ने मेनी नॉट। को, तब् में सहलेता, ओ।च मेता चीनवैया मेने व्रौनच परुल', तब ते। में उस से छोप तहता। पतरंबु तु मेने हो पद का जन, औन मेता अगुआ, और मेनता यींचद्ान। ओऔस ने पतामनस के मीटाय्रा, औन फक साथ इसचन के मंदौन में गयये। मौचतु उनहे पकड़े, कान वे छट समाच में उतन पड़े, कम्नांकौ उन में औन उनके नीवार में दुसटत जै। में ते इसन को व्रौनतीं कंज्‌ गा, औज पन मेसत मुष् व्रयावेगा सांध ब्रौह्दान आन मचयग्मंन के में पत्ता चथना कनुंगा, औन योलाउंगा, औ।न वुच्द मेता सव़॒द सुन लेगा मेने व्रौनुच के संगताम से उसने मेत्रा पतान छड़ाया है,. क्॒ग्नोंकी मेने संग व्रह्लल थे। इसन सन के उनद्दें दुप्प देगा, अनथात वुच्द, जे सनातन से सथोन है, सोलाह, कग्मोंको उन पत्र उंय नो नहीों पडा, इस लोगेवे इसन से नहीं छतते उसने अपने मोलापोंयों पत्र हाथ व्रढाय्रा है, उसने व्राया के असच कौय़रा उसका मुह मप्पन सा थीकन!। था, पत्त मन भे संगनाम उसको व्राते तेल से जी कोमल, तथापी नंगी तलवान। अपना ब्राष्ठ पतमेसत्त पत्त डाल, औ।न बच तहे रंज्ञालेगा,

बुद्ध कन्नौ वनमो के। टलागा जाने देगा।। पत्र 3 है ।६/।

गौत॥

है इसन, तु उनहें नास के गड्रे में उतानेग्ा, इतस्ाना, ओऔन छलों मन॒प्प; अपने आखे ब्रग्म ताइईं पहुंयेंगे, पतंतु में तह पत्त झनोसा नप्पंया।

४६ छपनवां गौत दाउट का मौमताम जानातइल मनौककौम पतत पत्रचान ब्रजनोय के पास, जद्न परलसतानी या ने गाथ में डसे पकड़ी है इसन, मुछ्ठ पत् दमा कन, कय्रोंकोी मनप्प सुष्ठ नोंगला याहता है,वह् लड़ाइ कन कन पनतो दौन सुष्ठ सताता है। मन अगानचक मुझे नोगलते हैं, कयांको हे अती महान व्रहुत हैं, जे। मुह से

लडते हैं॥ जव्रमेंडनता हुं, ते मेंतुद् पन

अतासा कनंगा॥ इसन में में उसके व्रयन की सलुत कनु गा, मेचा जनोसा इसन पत है, जे। कछ मनप्प मुछ्ठ से कत्त सकता है,में उस से डन गा वे पत्तीदीन मतों व्रातां के पकडते हैं, ओऔन सदा मनी व्रनाइ की यींता कनते हैं वे एके हेके ढके मं चहते हैं, औन मेने डग के यौनरह नप्पते हैं, वे मेन पतान को चात में लगे हैं॥ कगग्मा वे अचनम से व्रय नोंकलंग ? हे इसच,अपने कनोथ से उन लोगों के गौता दे॥ तु मेने ऋत-

सतावनवां गौत ९्र्‌

मना के गौनता है, मेने आंसुओं के अपने बिक *क- - पातन में नप्प छाड; क्या ग्रद् तेती पसतक में नहीं ? जब्र में व्रीनती कन्‌, ते। मेत्रे व्रेती इटजागग, में यह जानता हुं, की इसन मन साथ है इसन में में उसके व्रथन की सतुत कनु गा, हां में पतर- मेसन में उसके व्रथन की सतत कन गा॥ में ने इसन पत अआझनासा नपष्पा हे, जे कक्त मनप्प

६२ >मुष्ठ से कतत सकता हे, में उस से डरुगा॥ हे

श्र

इसन तेनी मनोतो सुछ पत्र है, में तेनो सतत कनंग्रा॥ कर्नोंकों ने मने पत्तान का मोनत से ब्रयाया है, औनच कीया मंत्र पांव को गीौतने से संज्ालेग। ? जीसतें में इसन के आगे जीवन के उंजीय़ाले में परोन॑

५०७ सलावनवां गोल

दाउद का मौकताम अलतसकोंत, जव्र वह कंदला में साउल से ज्ञागा, पत्तचान व्रजनोय के पास

मुझ पतन दया कन, हे इसन, मुष्ठ पन दया कन, क्रांकोी कना पत्तान तेता झनोरा कनता है, हां जव्र ले की संकट टल जाय, में तेने डेने। को

छाया में सत्तन लेउंगा में अती महान इसन के

ढ्र गोत

पकान गा, अनथास इसन के, जे। मत्रा उपकाच

जक कर कतता है। वुच्द सनग से ओजेगा, औज मुछे उनकी नॉटा से, जे। सुष्ले नोंगला याहते हैं, व्रयावेगा, सोल।ह इसन अपनी कौनपा औजत अपनी सयाद के अझेजेगा॥ मेत्रा पततान सींडे में है, में उनके मच मे लेट। हूं, जे आग पत हैं, अनथात मन॒प्प के पतनों में जो नके दांत व्चकछ।/य्ां, ब्रान, औत ५४ जीनकी जौन्न येप्पी तलवान है॥ हे इसल, तु सनगों से उंये महान हे, ओतच सानो जआ्ुम पत् ६॑ तेना >सनग हे।। उनहों ने मेन डगके लोग्र जाल व्रीछाया है, भेता पत्ान का हुआ है, उन-

कर, 3 अल पर... लए 0. ्य हो ने मन आगे गड़हा प्पादा हे, जीसम वे आप

| है. गौन हें, सोलाह मना मन सोच हे, हे इसन, भेता मन सौच है, में गाउंगा, में सतुत कन॒ गा छेमने व्रोज्व जाग, हे ब्रौना च्त सुतयंग जाग, 6 में तडके उठगा॥ हे पचहु, में लोगों के मच में तेती सतुत कन॒गा; में जातगने! के ब्रौय तेता १५० गान कन॒ गा॥ कप्मोंकी तेरी दया सतग लो 22 कै ३. 3० ९९ तेतो रुयाइ मच लो व्रड़ो है | हे इसन, रुचगों से उंये महान हे, साती पीनथीवो से उंये तेचा एसनग् हो॥

अआठावनवां गोंत हर

५८ अठावनवां गोल दृ/उद का भौकताम अलतसकौत पनचान व्रज- नौय के पास

हो मंडली,तम नॉसयग़ घचम की व्रात व्रालती

है।, दे मनप्प के पतन, कया तम प्पना व्रीयाच कनते हे।? हां तम मन से दुूसटता कनते हो, तम अपने हाथ। के अंचेन के पोनथीवों पत तालते

है।॥ केप्प से दुसट परोन गये, वे उद्‌त से अटक के

२९०

छठ ब्रोलते हैं उनका व्रौप्प सनप का साव्रौप्प हउ, वे उस बव्रहौन नाग को नाइ हें, जे अप ने कान मुंहता हे औन मदनो का सत्॒द नहीं सुनता सदपों बच अतर्सृत मोहन मंतत कने॥ छे इसन, उनके दांत उनके मंच में ताडु, हे पतर्ेसन, जुव्रा सोंद को टढाढें ताड्डाल॥ उनहें नौत के व्रह्दते पानी कौ नाइं पीचला, जव्र बच ब्रान को पनय में जाडता है, ते। उनहें टुकडा टुकड़ा कन | वे चोंगे की नाइं गल जावे, वे इसतनों के गनन्न पात के समान सनज का देप्पं॥ उस से आग की उनकी हांडी काटा से गतम हे, वह ट्रॉडन की न।इं उनहें जीते जी कनाच से उड़ा देगा॥ पनतौपरल को देप्पते हो चतमी आनंएींत हेगा, वृच्द दुसुट के लाहु से अपने यत्तन चावेगा॥ सा

ढह गोत।

की मन॒प्य कह्ठेगा, की नोसयय चनमी के लीये पततीपरल हे, नोःसंदेह प्रेक इसन हे, जे। पीन- धौवी का नयाय्र कनता हे

५८९ उनसठवो गोल

जब्॒ साउल ने भज के उसे चात कतने के चत्त कौ यैकरसी को, द/उद का अलतोसयोत मौकताम पनचान व्रजनोये के पास

हे मेने इसन, मेन ब्रेनोओं से मुझे छडा, जे। मत ब्रीनोच में उठ हैं, उनसे मुह उन्नाड॥ मुह ककत्मोंयों से छुडा, ओ।च इतयग़रानों से चछतद्ा कन॥ करय्ोंकी टेप्प, वे मेने पान के चात मे लग हैं, कनमी मेने व्रौनाच में फ्रेकठ हुए हैं है पत्मेसन, रत कछ पाप, औच अपनाच के लोग नहों॥ वे नोंनदेप्प पत्र दोडओे आप के लस कन ते हैं, मेनो सहाय के लौटे जाग, गैत्त देप्प। से हे पत मेसत, सेनाओं के इसन, इसनाइल के इसने, उठके साने अनदेसोयों के! पलटा दे, कौर दुसट अपनाचोयों पत्र हृा मत कत्, सोल।ह। बे सांघ् का परान आते हैं, वे कते की नाइ जअ्ञंक ते

हैं, औन नगत को या।नों आन परोनते हैं॥ रदेप्प, वे अपने म*ह से डकानते हैं, औअन उनके

१५०

हे

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रहे

९४

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उनसठवां गौत॥ भू

हेंठों भें तलवानें हैं, कग्रोंकी केन सुनता है ।॥ पत तनु हे पतमेसत, उन पत्त हं सेगा, तु साने अन- टेसोयां के। ठठां में उडावेगा। उसके व्रल के कानन में तेनी व्राट जाहुंगः, क््मोंकी इसन मेना उंया सथान है॥ मेनती ट्या का इसन मेन आगे होगा, इसन मुषे मेन व्रेतीयों पत्त अपनो इछा दौप्पावेगा | हे पत्तन्न हमानों ढाल उनहें चात मत कतत, हे को मेने लाग ज्ञुल जाय, उनहें अपने पताकनम से छॉन ज्ञॉन कन, जन गौना दे॥ उनके मह के पाप ओज चेठों को व्रात के लीये, ओअेान छुठ बन सनाप कहने के लौटे, जनचें उनके अचहंकान भें पकडवा। कनोच से उनहें नास कत, जीसत तह ; ओन उनह जना, को इसन ग्राकव॒ में पीनथोवी के अंत ले| नाज कनता है, सौलाह। गत सांध के उनहें पीता, औरत उनहें कुते की नाइं छुका, औतन नगत की यात्रों ओऔन पफ्रौना॥ उन्हें प्पाने के लौयोें झनमा, औज जे। तीौनीपत हेवें, ते उनहें यौलवा पनत्तत में ते तेत पत्ताकतम का गन कत गा, हां, में व्रौद्दान के! पकाच पकाच तेचौ दया के गोत गाउंगा,क्ग्नें की मेत्ौ व्रीपत के दौन तु मे व्रयाव

9 औन सनन है। हे मेने ब्रल, भें तेनो सत॒त कनु-

गोत॥

गो, कर्योंकी इसन मेता व्रयाव, औन मेनां दया का इसन है।

साठवां गौत॥ हाउद का मोकताम सुसानोंदुत पत, पनचान व्रज- नौसे के पास उपदेस कनने के लय, जब दह आतनाॉमनहनाइम से, ओन आतजाम सोत्रा से छगडा; जव्र जाआव्र ने लाट के लोन को तनाइ में व्रानह सहसत अदुभौयों को माता

६८ हे -इसन, ने हम तग्मागा हे, ने हमें यत्र कौय्ा,ल उदास हुआ है,इह्ाय् हमानी आन लोट

तर ने पीनथीवो के कंपाया है, ने उसे ताडा है उसके दनानों के सचात कय्यांको वह हॉलतो है॥

ने अपने लागों का कठानता दोप्पाइ है, ने हमें आसयनतज को मदीना पीलाइ है॥ ने अपने डनवरशों का एक चजा ढॉ ह, को बच्च सत

के लोगो परलाइ जाय, सौलाह॥ जौसतें तेचा पीनोय व्रय जावे,तु अपने दच्दौने हाथ से व्रया ले, ओऔतच भेतों सुन। इसत् ने अपने पवीतचता में कहा है, की में आनंदोत हेएडंगा, में सप्पीम के व्रीज्ञाग कतर गा, और सकत को तचाइ के ना- पुंगा। जलआद मेना है, ओअजच मनस्तामेना,

फए्कसठवां गोत €्‌ड

अपर नाइम मेने सौत का व्रल हैं, यहुदा मेना

ब्रैवसथादाय्॒क है॥ मोआत्र मेने चोने का पातत

है, में अदुम पत्त जता यलाउंगा, परलसतौया तु

मुछ्ठ पत्र जय्य जथ्व कत। दरौोचढ़ नगन में मुठ

केन ले जाय्गा? अद्म लॉ मुह्ठे कैन पहुंयावेगा?

९० हे इसन, ने जे हम तयग्ागा, क्या तु ग्रह

कनगा ? हे इसन, क्या हमानौ सेनाओं के

९५९ संग यलेगा ? दुप्प में हनातो सहाय कन,

५९ क्रोंको नन॒प्प का व्रयाव व्रौनथा है इसन के

दुवाता से हम सत्ता करेंगे, क्यों की ग्रहों हमाने ब्रेनीयां के लताडेगा

६९ फ्रेकसठवां गीत पन्रचान व्रजनौये के पास नगोनः दाउद का गीत

९. हे इसत, भेता यौलाना सुन, अत मनी पतान- थना पत्र सुतत लगा॥ जव्रमेत्रा मन दवा हुआ

, है, ता में पोनथीवो के अंत से तथ्टों के पकात गा मुछझ उस पह्ाड ताइं पहुंया, जे मुष्ठ से उया

है। कर््योंकी मंत्र लोग फ्रकआड हुआ है .# आज व्रेनो से एक दोचढ़ गढ ।. में तने तंवर भे

सदा नहा कन गा, में तेने पंप्प के आड-में सनन (जा,

ढ्च्य गोत॥

धू लेडंगा, सोलाह हे इसन, ने मेरी मनोतौ यों का सजा हैं, ने अपने नाम के उनवायों का

है 'घौकान मुह दोटा हैं। नाजा के टोनों मे

. दौन व्रढावेमा, ओच उसके द्रतसे! में पीढी से

पीढी की नाइ। वुचह्द इसन के आगे सदा व्रना चह्देगा, अपनों दग्मा औक सत से उसकी नछ।

कन। से में सदा तेते नाम की सतत कन॒ गा, जो सतें पततोदौन अपनी मनेती पत्ती कत्त

६२ ब्रासठवां गौत॥ पत्रचान व्र॒जनीये य्रदुथन के दाउद का गौत।

मेचा पतान केवल इसज की ब्राट जाहता हैं,मेची मुकत उस से है। वचह्चौ अकेला मेत्रा यटान औनच मेत्ती लुकत हैं, औज नेत्रा उंया सथान,में टलागा 8 जाउंगा। तम कवर लां फ्रेक मनप्प के ब्रौनोच में ब्रनो थॉला कनताग, तम सत्र,कें सत्र मात जा- आगे, चैन लकी हुए जौत, आज डगमाते व्राड़े की नाइं छेओआग।! बे केवल उसके महातव से नोये गों नाने का पतामनस कजते हैं, वे हुठ से आनटौत चेते हैं, वे अपने मुह से आसौस देते हैं, पत्तु मन से सताप, सौलाह। हे मेत पतान

ध्ज

रै०

श्र

र्र

तौनसठवाँ गीत

त्‌ केवल इसन कौ ब्राट जेह, कयोंकी मेत्ती आसा ण् उसी से है। वहो अकेला मना थटान,आन मेनी मुकत, ओऔ।न मेत्रा व्रयाव है, से मैं टलाग्ा के हज जाउंगा। मंत्री मुकत मतता व्ोजक्षव इसन में कै, मेन ब्ल का यटान, जन भेचा सनन इसन है। सदा उसपन झनेोस। नप्पा ; हे लोगो अपने अंलःकनन उसके आगे उंडलेा, कयोकी इसन हमाने लोग सत्न है, सौलाह | नोसयस्र तु | का, 5 लेग व्रोचथा, अत महान मनुप्प हट हैं, तुला में चचने से वे नासतो से ज्ञी छाटो हैं। अंचेन पत्र लीक तट रे | रस. कि जा अतोसा कना, ओर व्रटमानो से परले ; जे। चन ब्रढ़े,ता! उसपत मन लगाओ। | इसन ने एक व्रात कहा, में ने दे! व्रात ग्रह सना है, कौ पतता- कचम इसन का है ओत दया ज्ञी तध्टी से है, हे इसन, क्यों की तु हच मन॒प्प वे उसके कानज के समान पलटा देता है।

हू तोचसठवां गौत

दाइद का गोत जव्र वुद्द ग्रहुदा के ब्रन में था |

रे

हे इसन तु मेत्रा इसन है, में तड़के तले ढ॑ं है के हक रद] गा, मेला पतान तेने लोगो पय्मासा है, औ।न मना

९.७ गौत।

सनीन थके ओलन व्रीन जल के देस में तेने लौग लालस।| कचता -है। जोसुनतें तेने पत्ताकतम, जन तेने ब्रौक्व के देप्पे, जेसा की में ने तुद्ले चतम चाम ने देप्पा है। इस लीगोे की तेता कामल कार जा

पेनेम जीवन से जला हैं, मने हरेंट तेत्ती सतुत

०३०. हर 342 कनेंग। अपने जोवन ज्ञनत तेनो सतुत कन॒ग्रा,

22 >अ203. कफ ५; ली औन तेना नाम ले ले अपने हाथ डठाउंगा। मना पनान 9सा तोनोीपत चहेगा, जेसा योकनाइ पतच योकनाइ से, औजन मेता मह आनंदोत छेटों से दा हा. जले कक बे तेती सतुत कनेगा जव्र को में तुछ् अपने व्रीछेने पतन समतन कलतता हूं, गन नात के पहच पहन में चय्रान कतता हुं! कय््योंकों तु मंत्रा सहाद्॒क ये जय कि नि"

हुआ है, इसी लोग तेने पंप्पों की छाया तले में आनंद कनुंगा। मेत्रा पत्तान तेने पीछ चाया

: जाता है, तेता दहदीना हाथ, मुह संज्ञालता है।

२१० 2

पर्तत्‌ जे! मेत्े पतान के नास कनने के गांहक है, पीनथीवी के नौे के रुथानें में जाते चहेंगे। तलवान से डनहें जगा, वे लेमडौगों के लौगे एक ज्ञाग होवेंगे। पत्रंतु नाजा इसन से आनंदीत हेमा, हत 9क मनुप्प, जे उसकी कोनणय्या प्याता है, ब्रदाइ कतेगा, पनंत॒ हुठों कामच ब्रंद कोया . जाय्गा।

हे है

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रै्‌ ]

येसठवां गौंत १५०९५

६४ थांसठवाँ गौत पनचान दव्रजनी ये के पास दाऊद का गौत है इसत ,मेत्री पतानथना का रुव्द सन, ब्रैंती के डत से मेता पतान व्रथा। दुसटों के गुपत मं तन जन कुकचमौयों के हुलत से मुष्टे छोंपा॥ जा अपनो जोन के तलवान की नाई

ओप्पी. कनते हैं, औैच कड़वों व्रातें के व्रान

यजलाते है। जौसतें छोप के सोच का मानें, वे अय।नक उसे मानते हैं, औन नहीं डतते। वे ब्रुतो व्रोली से आप के उन्नाड़ते हैं, वे गुपत परंदा छीपाने का पतामनस्छषकनते हैं, गन करते हैं, की हमें कान दटेप्पेणा?। वे अचनम के प्पाज के नौकालते हैं, वे प्पोज से प्याज कनत ते हें,उन नें से हनत फ्रेक का मन ओंनच अंतन गहौंता है पत्रतु इसत उन पत्र व्रान शथलावेगा, वे अयानक चायल हे। जायगे। सावे अपनी जोचज्न अपने हो पतन लावेंगे, उनके टेप्पवेग्ने भागेंगे॥ आन साने मन॒प्प डनेंगे, औन इसनत के कातज को व्रतन कनेंगे, क॒प्नं|की वे उसके कानजों के द्रुच से सम- छूंगे। 'धनमी जन पन्रमेसत में आनंदी ते देंगे, औअ।न उस पन ज्ननासा करनेंग,औतन साते प्यने अंतः- कनन सतुत करनेंगे 7 (६,

९०२

ढ्‌

' गौल !

६५ पेंसठवां गौत। हल पत्रचान व्रजनीये के पास दाउद का गान गोत। डे

है इसन, सेहुन में तेने लोग सतुत ठहनती है, ली ' कप औरत तेने लोग मनाती पत्ती की जायगों। हे पत्ाचधना के रुचोता, तुष्ट पास साने सनौच आ-

बेंगे। अचनम को व्र।तें सुष्द पत पनव्रल चहञोती

हैं, हमाने अपनाचों के! तुष्दी पावन कनेगा। जीसे तु ज्ञावता है, औन अपने पास पहुंयवाता है, जौसत वुच्द तेने आंगनें में तहे, से। चंन है, हम तेने घन अनथात तेत पवी तच मंहोत के कुसल से तौतीपत हेंगे। अग्रंकत व्रसतन से तु चचम में से उतनत देगा, हे हमाने मुकत दाता इसन, पौचधोवी के साने सोवानें का, औन उनका ज्ञौ जे दुत सम'दृत के मच में हैं, भनोसा है॥ जो पत्राकनम से कट ब्रांच के अपने स।मनथ से पचद्दाड़ां के दौनढ़ कनता है |, जे सम'दनों के हुलन के, औतन उनको लह्चनों के है।चा के, गऔैच ले।गां की चम को सथीत कतता है। वेजतजो, जा पीनथीवी के प्पटों में व्रसते हैं, तेते यौनहे से डनते हैं; सांष्ट च्रौह्दान के नींकासे। के आनंद औन पनसंन कनता है। तु सॉय के पौतथीवों से

रैरे

हर

पं

छयरासटठवां गीत :7/ इक शओ

आेंट कनता है, तु उसे इसन को नदों से, जो जल से पनापुतन है, अतो घनी कतता है, जव्रतु ने उसके लोग यों सौच कौय़ा हे; तु उनके लोग «० के अंन उतपंन कचता है। त्‌ उसको नोच/नीग्रों के व्रहुताइ से सॉंयता हे,त उसके ढेलें के ज्ञोंगाता है, तु भेह्ठें से उसे गलाता है, उसके ++ है बे २५ है कांपलाने पत्त असोस देत। हे तु अपनी जलाइ कर - | सी से व्रतस के सुकुट पह।नाता ह, ओज तेने पथों से यौकनाइ टपकती ह्ले। वे व्रन की यनाइ पत्र टपकतो हैं, छाटो पहाडीया याना आच आनंद से गथो हैं। ययनाइ ने ड़ां का पहोनावा पह्दो ना है, औन तनाइ ज्ञ। अंन से ढपी हैं, वे आनट से उछलती क॒दतो हें,औच प्यहयाहतो हैं

हं€ छट्यासठवां गीत |

पनचान ब्रजनोयरे के पास दाउद का गान गन गोत।

हे सानो पोनथीवी, आनंद से योला के इसन

. का नाम ले। पुकान के उसके नाम को पचतोसदा गाओ, थओन उसके व्रोज्व की सतुत कना। इसन

से कहा, की तेन कानज केसाहों ज्ग्मंकत हैं, तेने | पक पक >> #5 ' पत्राकतम कौ ब्रह्नताइ से तेने स/ने ब्रनी तुष्ठ से

९०४ गोत।

शू०

दवेंगे। रानो पीनधीवो तुष्ले हंडवत कनेगी, औन तेचा गान कनेगीों, वे ढेन नाम का गान करने गो, सौलाह आओ, इसन के कानज के देप्पा, को मन॒प्य के पुतन के ब्रौष्पय् में उसके कानज मग्ंकत हैं। उसने समंदत के संप्पा दोय़ा, वे व्राढ़ में से पांव पांव यबे गये, वहां इस छस में आनंदोत हुए | वह अपने पतााकतम से सा चाज कनता है, उसको आप्पें देसोयो के देप्पती हैं, जौसतें दंगइत अपने का उन्नड़े, सोलाह। हें

हर 2३२७. .] हक मन॒प्पा, हमाने इसन का चंनव्राद कत्तो, औच उस

को सत॒त का सव्॒द सुनाआ। जो हमाने पतान के. जोता नप्पता है, आन इमातने पांव के टलने नहों देता। हे इसन, तु ने हमें पतप्पा हैं, त॒ ने हम को यों जांया है, जेसी यांदी जांयी जाती

९९ है। त॒हमें जाल में लाग्ा नह, तु ने हमानी कट

सर

के

रह

पत्र दुष्पतप्पा है। तु ने मनप्पों के हमान सौनों पत्र यढाया हे, हम आग ओज़ पानो में से यले गये,पत तु ने हमें सोंये हुए में पहुंयाया हैं। में होम की हज्ञेंट लेके तेने मंदौन में जाउंगा, में तेने लौग़े अपनी मने।ती पुत्री कन॒ंगा। व्रीपत के रुमग्र मेज में ने अपने हेठों से नीकाला है,औन अप-

ने मंच से माना है। में पुरट पुर के दे। म॒ कौ ब्रज

कस

श्ल्‌ र्‌्०

सतसठवां गौत। ९०

मेढ़ें के सुगंच समेत तेचे लींये यढाउंगा, में व्रक डे जैन व्रकते यढ़ाउंगा,सौलाह। है लेगे,जे इसन से डचते चे।,तुम सत्र आओ, सुनें, ओ।न में वतन कनुगा, की उसने मेत्र पतान से कग्रा क्या कुछ कौया| में अपने मंह से उस पास यौलाझ्ा, वुच्द मेनो जोन्न से ब्रढ़ाय्रा गट्या। जो में अपने अंत: कनन में अचनम ठानंगा, ते पत्रमेसन सनेगा | पत्र इसन ने ता नौसयग् सुना, वह मेत्ी पतानथना के सब्॒द को आन हुका है। चंन है इसन, जोस ने मेनी पतानथना के औच अपनो दया के मुष्ठ से दुत्न कोय़ा

€& सतस्ठवां गीत |

पनचान व्रज़नीटे के पास नगौन॒तं पत्र गान अथवा गौत

इसने हम पन ट्ग्माल होवे, अओऔन हमें आसौस देवे, आन अपने नुप के हम पत्र यमकावे, सी- लाह॥ जौसरुतें तेता माच्ग पीनथीवों भें, ओन तेचा ततान सान जातगनें में जाना जाय्॥ खेग तेनीं ललत कने, हे इसन, साने लाग तेतची सतत कनें॥ जातगन आनंदौत होवें, औन आनंद के माने गाबें, कपझ्मांकी तु घत्तम से लागेर का व्रौयात

१०६ गोत।

कनेगा, ओतच पौनथीवी के जातगनें की अगुआइ

कने गा, सौलाह॥ हे इसने, लाग तेनों सतत

करने, साने लेग तेत्ी सतत करने तव् पौनथौवी

अपनी व्रढतो देगो इसन हो हमला इसच हमें 8. ये

आसोस देगा॥ इसन हमें आसोस देगा; जन

पीनथोवोी के सान प्पुट डसे डन गे

६८ अठसटठवां गोत

पत्रचान व्रजनोंगर के पास दाद का गान, अथवा गोत॥

पे इसन उठ, उसके वेनो छोंन जोन हेवें, जे। उसे

. चौनाते ज्ञो है, से! उसके मत के आगे से ज्ञागें

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जेसे चुंचां हांका जाता है, तेसा उनहें हांक दे ; जेंसे मोम आम के आगे पीचलता है, तेसा दुसट इसच के आगे नास होवें॥ पतंतु चचमी आनंदोत चेवब,औच इसन के सनमुप्प आनंए कनें,हां,आनंद के माने फरले समाबें॥ इसत्र का गान कनो उसके नाम को सत॒त गाओ, जे। सनग्रों पत्त यढा है, उसका जाह नाम ले ले उसकी महौमा कनो; औन उसके आगे आनंद कतो अनाथों का पीता, नांडें का व्रीयानौ अपने घचम

& 'चवाम में इसन है॥ इसन अकेले के गोचन हसत

अटठसठवां गौत। ९०७

ब्रनाता है, जे। सोकतों से व्रंचे हुआ का वही छ- डाता है, पर्नात दंगइत धताइट म॑ चहते है है इसन, जब्र अपने लागों के आगे आगे नौकला जव् त॒ व्रन में से गयद्या, सीलाह। पौन- थोवो ध्रतथलआइ, ओऔजनच सनग ज्ञी इसन के आगे टपके, सौना ज्ञो इसन के आगे, जे इसनचाइल का इसन है टला॥ हे इसत, त्‌ ने व्रहुताइ से व्रतसा के अपने थके अचींकान का सथीन कौया। तेजी मंडली ऊरू भें नही है, हे इसन, ने अपने अनगो5ह में से कंगालां के लोग सोच कौया है

पत्मेसन ने अगय्ा दो, आन पत्यानक की सेना

ब्रढ़ गइ॥ सेनाओं के ताजा ज्ञाग ज्ञाग गये, जन जे घन में तहो, वह लट व्रांट लौगा ग्दपी

तम हांडायों के मच में पड़े हे, तथापी तम यांदों से कपात डेने औज योप्पें सोने से मढ़े हुए उस के पत को नाइं हेओगे॥ जब सनव्रसाामनथी ने नाजाओं का उसके लोग छींन ज्ञोंन कौया, वह सलंमुन क॑ पाल को नाइं सेत थी। इसच का पहाड़ व्रासान के पह।ड़ सा है, व्रासान के पहाड़ की नाइ एक उंया पहाड़ है। हे उंयेपहाड़े तम कयों कद्का मानते हे। ? इसल इस पहाड पन नहने

याहता है, हां, पतमेसन उस मे सनब्रढह्ा नहेगा

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श्ण्८ गोत।

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रे रे!

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इसन के नथ व्रौस सहसन हें, हां, सहसनों पतन सहसत दुत हैं, पत्नु जेसा चतमचाम सोना मे है, तेसा उनमें चै तु उंय पत प्यढा है, तवा्रंचआई लक ; हल 59 3 डे रे का व्रंच॒आ मे लेगग़या नह, तु ने मनुष्यों वो हां, बज जे उ० के जो द्गेते के लीय ज्ञी दान पतापत कौया हैं, जीस ते इसन पतमेसन उनमें व्रसे। चंन पतज्ञ, जे! पततौ- दौन हम पत्र अनुथीनच का व्रोष्ट चनता के, बची हमाना सुकतदाता इसत है, सोल।ह॥ इहमाता इसन सुकत का इसत है, ओनल मौचत से नौकारू पत्रन्न इसन हो से है। पत्रत दूसन अपने व्रनोयों के सोच, नल उन. मनप्पाों को प्पापडो के व्रालों के, जे। अव् ज्ञी अपनाच कनता जाता हैं, युत्र कनत देगा॥ पनप ने कहा, की में व्रासान से अपने ला 87 5३ हैः + «४ ज्७ पक लागें के परेच लाउंगा, हां, में सम दत के गही- पक ७०९७ 2९९ तक + कक. अर जाओ में से परत लाउडंगा॥ जोसत तेना पांव जन तेने कते की जीजत्न तेने व्रतीयों के लाहू से लाल होवें॥ थे इसन, उन देने तेनों 'यालें .ढेप्पीं मेने इसन, मेने नाजा की यालें चनमचाम में बुर बन ७५ ३24६5 2०५. देप्पी॥ गायक आग आगे यले, व्रजनीय पौछ पीछे, गन कआंनोयरां उन में मौनदढंग व्रजातों जाती थीं। मंडलीयों मे इसन' का, औच तम, जे इसनाइल के सोते में से हे, पत्तज्न का चन

अठसठवां गोौत। १५०6८

२७ कच्चोा॥ छाटा व्रनीयामीन उनका अगग्राकानीं,

औजन यहृूदा के अचछ अपने संगी सहोत, औतन

२८ जव्॒लुन औ।न नपरतालौ के अचछ वहां हैं तेने

इसन ने तेने व्रल को अग़॒ा की है, हे इसन, जे कानज त॒ ने हमान लौगय कोया है, उसे टोचढ,

२6८ कन॥ ग्रतोसलौम के मंदौन के लौये नाजा तेच

है

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शेर

३९४

३४

लौटे जेंट लावेंगे। तु नवकट के व्रन पस्‌ को, अनथात जातगनों के व्रछूड़े। की पत्रव्गनल मंडली के, जे। यांदो के टुकड़ों के लोग हुए उछलती कदतो है,ट्पट; जे लेग संगनाम से पीनौत चप्पते हैं, उनहें छोंन ज्ञॉन कत। अचछ मोसन से आंवेंग, कास हालो अपने हाथ इसन की ओआन व्रढावेंगे चले पीनथोवी के ताजे इसन का गान कतो, ओऔज पनज्न॒ की सतत गाओ, सोलाह जे! पहोले से सनगों के सनग पन यढा हैं, देप्प, वच्ठ अपना सव्र॒द,अपना मह। सव्र॒द उयाचता है। तुम इसने का पत्राकतलम माने, उसका मह।तम इसताइल पतन है, उसक। ब्रल अकासे में है

है इसन, तु अपने घतमचाम में अग्नंकत है,

इसनाइल का इसन वच्च है, जे व्र॒ल गैन सामतथ अपने लागों का देता है, इसन चंन है |

है| (६.

१५९० गोत। ६6 उडनहतनवां गौत पत्रचान व्रजनोस के सुसनोम पत्त दाउद का गौत

हे इसन, तु मुछ्े व्रयाले, क््नोंको पानी मेने का ०५. ऑ७० दि है

पतान लॉ पहुंय हें में गहोन दलदल मे घसा जाता हुं, जहां प्पडा नहीं तह! जाता, में पानौग्रों के गह्ो नाव म॑ पड़ा, जहां व्राढ मेच उपन से जाते

हैं। में यौलाते यौलाते थक गया, मेता गला सुप्प गया, अपने इसन को व्राट जाइते जाइते थक पा. डा 3

मेतो आंप्पं घट गइ जे अकानन नुष से ब्रेन नप्पते हैं, से। मेने सोच के वाले से अचीक हें, बज आप 7] जा सुष्ठ नास कौया याहते हैं, औन अकानथ मेन व्रेती हैं, से व्॒लो हैं; जो में ने नहीों चौगा,

से में ने परेच दौदा। हे इसन, तु मेनौ मुतप्पता के जानता है, आज मेत्ो अपनाचता तुष्ठ से छोपी

नहों। हे पत्रन्नु सेनाओं के इसन, जो तेनी व्राट जाहते हें, मेने काचन उनहें लजीत छेने ढे, है इसत।|इल के इसन,तेने प्पोजो मेत्े काचन हटौ-

गाने पावें। कग्योंकी तेने लोग में ने नॉनदा

सह्दौ, औन लाज ने मेने मह के ढांपा में अपने आइयों में पत्रदेसी व्ना हूं, औअ।न अपनी माता

के व्रालके में पताया हुआ हुं॥ क्य्रोकी तेन

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उनहतनवां गोत। रे

चन के जलन ने मुषे प्या लीग्रा,औन तेल नोंढ के कौ नॉंनदा सुध्ठ पत्त पडी॥ उपवास कनके मे पत्रान का नाना मनी नॉनदा का कानन हुआ | मैं नेटाट के अपना व्रसतत ब्रनाग्ा, औन में #५ ४७०७ उनका कहावत हुआ। पराटक पतन के व्रठवय मन व्रीन'च कहते हें, ओन में पोअकड़ का गान हुआ पनंत हे पतमेसन, में जे हुं, मेतो पत्ताच- घना तेने आगे स॒ समग्र में है; हे इसन, अपनो हर. दया को व्रहूुताइ से अपनी मुकत कौ सतता से मेतों सन ले॥ भुष्ट दल दल से नौकाल, ओऔन ०,०२० ओऔ ८७9 कर मुछ परंबने दे,मेन नोयों से झै।ल गह्चौते पानी- 3. ऐ++ “हरी यों में से मुह छडा॥ पानो कौ व्राढ मुद्ठ पत्र व्ढ ने पावे, औल गह्चौनाव मुठ नॉंगलने पावे, गड॒हा सुछ्ठ अपने म॒ह में व्रृंद कतने पावे। हे पनमेसन, मेतो सन ले, कग्मोंकी तेता केमल पनेम हअला हैं, अपनों कोमल दया की ब्रहुताइ के के, «० गै ब्ब समान मनतो आन टौचौसट कन अपने सेवक से अपना महन कोौपा, कंग्रोंको में व्रौपत में हूं, नि १९ ७९ ७० कं. मनों संने के। यटक कत्। मेने पत्तान कपास का" ण्थट्‌ ह... व्रढ़ के उसे व्रया, मेन ब्रैनी के काचन मु व्रया तु ने मेत्री नींनदा, औनच मत्ती लजा, | मेने अनादन को जाना है, मेन सान व्रेनी तेने आगे

५९२ गौत॥ा

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हैं। नोंदा ने मेना मन तोडा है, में उदासी से अता हुं,में ने अपने संगरी व्रोलापी की व्राट जेाही, पत्ंत काइ था, आन सांतदायके के लोगे, अत पाया! उनहें ने सुष् प्पाने की संत्रों पीत दौया, औच पीणास में उनहे ने मुह पोने के सोीनका दौद्या। एसा कत, को डनका मं्य उन- के लोस परंहा हो, जल उनकी जजलाइ उनके लीटे जाल हेवे। उनकी आंप्पें अंचोय्ानों हे।वें, जोसतें वे देप्पं,ओनच उनकी कट को नीत कंपा

२४ अपनी जलजलाहट उन पन उंडेल, ओऔज तेनता . २५ कोपागीन उन पत्र पड़े। उनका जझवन उजड

जाय, ओऔजन उनके तंव्ओं में व्रसवेया हेवे। कयांकी वे तेन माने हुए को सताते हैं, ओऔन तेच घायल कौय्रेहुओं के साक की :7तें कचते हैं| उनके अचनम पत्तः अचनम मीला ; उनहें अपने चनम में आने मत दें। उनहें जोवते की ब्रह्दी से मोटा, 'चनमींगों में लीप्प जाने पावें॥ करयोंकी में कंगाल जन दुप्पी हुं, दे इसत, तेती मुकत मु उन्नाड़े। में गीत में इसन के नाम की सतत कत्र गा, ओन घनव्राद से उसको मच्दौमा कनत गा पत्मेसन को व्रल,आऔरज व्रछड़े से,जे! सॉग औ।न प्यत्त नप्पते हं, स्रद् अचीक पनसंन हेगा।

सतनहवां गीौत। ९३

९२ टोन लेग देप्प के आनंदौत चेंगे, औन त॒ुम,जे।

३९ इसन के प्याजों हे।, लुमहाना मन जौयगा क्यों की पत्रमेसत कंगाले की सुनता हैं, औअन अपने

९४ ब्रंचुओं की नॉनदा नहीं कचता। आकास, ओर पीनथीवी, अच सम दत, औच हन9क व्रसतु, जे।

९५४ उन में नेंगती हें, उसको सतत कनें॥ कय्योंकी इसन सैहुन को वब्रयावेग।,, औनच गरहुदा के नगनों को व्नावेगा, जीसतें वे डनमें व्रस, ग्रैाल अचीकान

₹६ में तप्पें॥ उसके सेवकों के व्रंस ज्ञी डसक अची- कानी होंगे, औ।च जे! उसके नाम के पत्र मी हैं, से। उसमें नहा कनें गे

७० सतनवां गोज् न. ५० अल... * आाक% 5 शथेत कनने के लोग पतचान व्रन्ननीये पास दाउद का गौत हे इसन, मुह छड़ाने को यटक कनत; हे पनने- ओर 72 सन, मेनी सहाय के लोग यटक कन। मेने पत्ान के गांहक को लजीत कनत, औआजन इहदौया, जे मेनी के ०. ७० कर - ब्रुताइ याहते हैं, उनछें उलटा परोता दे, उनमें इटोट्ा॥ जे कहते हैं, अचह्चा हा उनकी लाज के पलटा लीये उनहें डलटा परीना॥ जो 2० 5 तेन प्याजी हैं, वे सत्र तुह से आनंदीत औन मगन 7] 68

९९४

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गौत।

होठ, छ9ेसा की जा तेची मुकत के पनमी हैं, सेत

विन | >> पु सदा कहा कन, को इसन दी महोमा हे पनंतु में कंगाल आन दौन हुं, हे इसन, हाली मेने पासआ, तुद्दो मेता सह/यक जैन मेरा मुकत दाता ; हे पतमेसन,व्रौल॑ज्ञ कत

हे ७९ फएुंकइहतनवां गौत |

है पत्मेसत, मेत्ा झतोसा तुध् पत्र है, मुष्े

दौदय्ाजाने दे। अपने 'चनम में नौसताच कनके मुष्ठे छडा, मेची आच कान &का, ओऔन मु वब्रया। मेने नीवास का पनव्रत हे, जहां में नोत जाया केनु ; तुष्दों ने मेनी मुकत की अगग्या की है, कर्मों की त॒ मेचा पहाड़ आज मेना गढ़ है। है मेने इसन, दुसट के हाथ से ओन अचनमोी औ।न कन॒त के हाघ से सुध्टे छड़ा॥ कगझोंकी हे पतर्नु इसन मेत्ती आसा, लड़काइ से मेचा अतेासा है॥ केप्प में से में ब्तुष् से थमा हुआ हूं, मेती माता के उदन से ने मुष् नोकाला, में नीत तेतों सतत कनंगा॥ में व्रहुतां के लीय एक अयंजा हुं, पतल सेना टोनढ़ सनन है॥ मेना मह अपनी सतत पनतो सटा से टौन ज्त जनता तपष्प। ब्रुढ़ापेम मु दुत कन,

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फ्रकह्दतनवां गॉत ९९५

है. -+ ..

मेनी नोनव्रलता के समग्न में मुठ मत तय्ाग। कग्मोंकी मेने ब्रैनी मेन ब्रीतोच म॑ कह ते हैं, ओऔन वे, जा मेत् पतान के चात में हैं, जुकत व्रांचते हैं | औन आपुस में कह ते हैं, को इसन ने उसे तय्ागा है, से। उसे पकड के सताओ, कग्योंकों उसका छड़वैद्या केइ नहों हे इसन मुध् से दुन्न मत डे।, हे मेने इसन छूट मेतौ सहाय कन ! जो मेने पनान के ब्रेनीं हैं, से हदौया के नसट हे।वें, जे। मेनी व्रताइ याहते हैं, से। नो नद। औल अन।दत ०. पर 39 जले + हर. *

से ढांपे जावें। पन में नौत तेता आर चप्पंगा,

९४ ओ। तेची सत॒त कौस़े जाउंगा। मेत्रा म॒द् दौन

प्‌ १७

श्प

१6

अत तेचा चनम, ओ।नच तेनो सुऊत व्रनन कौग्ा कनंगा, कर््मोंकी में उनकी गींनतों नहों जानता। में इसत पतमेसत के पनाकत्मम से यजलुंगा, में केवल तेन हो वनम की यनया कनं गा। को हे ३०२2. कर इसच तु ने सुष्ठ लड़काइ से सीप्पाया है, ओच है «८ > द्् अद्र ले में तेनी आसयनज कौतरया ब्रननं कीोया कनता हु | अदव् न्नो, ब्रुढ़पे औजन पके द्राल लॉ; है इसन, सुछ्ठ मत तयाग, ज् लें की में तेन व्ल इस पोढो पत्र, औल तेने व्रत/कनम के हत एक अवेय़ा पत्त पतगट कन हे इसन, तेचा चनम ०8. ७, अतो उँया है, जौरुने ब्रड़े व्रड़े काम को स्रे; है

जद ५४

श्९्‌ गोत।

२रे, सर

र्षे

इसन, तेने तुल कान है ? तुने मुष्ठ ब्रडी व्रडी व्रीपत दौप्पलाइ हैं, तु सुष्ठ परत जौलावेगा, औनच पीनथीवी के गहोनापों से मुझ परेन उठा- लेगा। तु मेत्ती महोमा व्रढ्वेगा, आंच सुध् थादौसा से सांतो देगा॥ हे मेने इसन, में ज्ञो ब्रौना व्रजा व्र॒जा के तेनी सतत कन गा, हे इस- चाइल के चनत्म मय्य, में मुनयंग से तेना गान कनगा। जव्न में तेने आगे गाउंगा, तब मेत

'हेंठ औज मेने पत्ान,जो से तु ने छडाया, अतग्रंत

आनंदोंत डे।वंगे॥ मेत्ो जोन ज्ञी हौन जन ८7० आप हक जब. 45९ शक तेन चनम के व्रौप्पय में कहतो चहेगो, कयोंकी जो मेनी ब्र॒ताइ याहते हैं, से! हृद्ौया गये, औाच लजीत हुए।

७२ व्रह्वतनवां गोत॥

सुलेमान के लौय। हे इसन, नाजा के अपना ब्रौयान जैन ताज पुतत के अपना चत्रम दे। वुद्द तेते लोगों का चनम, से आन तेने कंगाल का नय्याग् से ब्रीयातत

कनेगा। पहाडु ते लागों के लोग कसल, औच पहाड़ग़ाँ चलम पहुंयावेंगी। वुषह्ट कंगाल लोगों

का नय्ाय कनेगा,औन दोन के संताने के व्रया-

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रे रहे

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ब्रह्दलनवां गोत | १५२५७

वेगा, औन अंचेनीयों के टुकड्ा टुकड़ा कनेगा

है + : 8 - 43.5. ८. जब् लें सुनज ओऔल यंदतमा ठचह्नंगे, पीढीयां तुल से डा कनेंगी। मेंह को नाइं बृषह्द काटी हुइ घास पत्र ६डो को नाइं, जे पौनधीवी के सॉयतो है, उततेंगा। उसके दोनें म॑ चनमी

ह>> सी $

लह्लह।बेंगे, आन जव्रले यांद चहे, व्हुत कसल ड्वेगा। समुंदत से समंदत ताईइं, जन नदौ से पौनथीोवो के अंत ताइं, वृद्द पत्तज्नुता कनेगा जा

_ब्रनव्रारों हैं, से उसके आग ह॒केंगे, औ।न उसके

के है

ब्रेनी माटी याटंगे। तचसौस, ओर टापओं के नाजा ह्ञलेंट लावेंगे, औज रीवा ओन सौतब्रा के नाजा ज्ञेट यद्धावंगे। हां,सानेचाजा उसके आगे

हंडवत करनेंगे, साने देसगन उसकी सेवा कनेंगे।|

कग्रोंकी वच चाने में दौन के,औज कंगाल को ज्ञों, औन जोौनका काइ सहायक नहों व्रयावेगा वुच्त दनो दहन, ओऔतन दीन हौन लोगे के छ।|डेगा, अन

अनाथों का पतान व्रयावेगा। वुद्द उनके पतान

के कल ओ। अंचेत से छड़ाबेगा, उमका लक् उसकी दोचोसट में व्रहुमुल हेग्रा। वुच्द जौग्नेगा, जन सौंब्रा का सेना उसे दीटा जाग्गा, सदा उसको पत्ानथना चलेगी, पत्ती दोन उसकी सत॒त की जाग्गो। उस समय फेक सुठो ज्त अनाज

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अम में, अथवा पहाड़े। की योटोय्रों पल गौनग, उनके परल लव्ननान की नाइ धतचछनावेंगे, औच नगन के मनुष्प पीनथीवी के च/स कौ नाइं लक्त- लहवेंग। उसका नाम सदा नहेगा, वह अपने पीता का नाम यलाने के लोगो पतत्र को नाइ होगा, ओन मनुप्य उस में आरौस पावेंगे, साने जातगन उसे घन कहेंग। इसन पत्रमेरत इस- नाइल का इसन, जे अकेला आसयनज कानज कनता हैं, घंन हैं॥ उसका व्रौज्वमय नाम सदा ला घन है, खानी पीनधीवी उसके 9सनगय् से अत पत्र होवे, आमौन ओऔन आमोन। ग्रसी के ब्रेटे दाउद की पतानथना समापत है।

७३ तीहतनवां गोत असापर के लौगे॥

नीसयस इसत इसनाइल के ज्लीय पवीतन अंत: कननों के लौग्रे कया हौ जला है। पजंतु में जे। हों, मेत पांव टल ही गढठ्येओन मेत्र डग नपट हो गय्ये। कर्ग्मोंकी जव्र में ने दुसटों को व्रढती देप्पी, में ने मुढ़ें पत्त ड।ह कीय़ा | कग्नोंकी उनके मौचत में कुछ पौडा नहीों, पत्रंतु उनका व्रल पसट है |

तोइतनवां गोौत। - ११८

वे औजन मन॒प्प कौ नाई दुप्प में नहों, औन

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मनुप्पें कौ नाइं उन पतन व्रीपत पड़ती इस लॉं गे

चमंड उनह सीकन की नाइं घेनता है, ओनच अं-

चेच उनह व्रसतन की नाइं छोपाता है॥ उमकी आंप्पें ज्नी यौकनाइ से उन्नती हुइ हैं, औज वे अपनी यींता से अचौक पाते हैं॥ वेसड़े हें, औन दुसटाइ से अंघेन की व्रातें कहते है, वे च- मंड ये ब्रालते हैं। वे अपने मुह सनगें के व्रीनुच चप्पते हैं, औल उनकी जीज्ञ पीनथोवी के रन व्र- तन परीनती है। इस कानचन उसके लोग इचन परीन आते हैं, ओन ज्ञनपन जल उनहें नौयोडे जाते हूं वे कह ते हूं, की इसन कयांकन जानता है? ओजन कसा अतो महान मे कछ गयद्यान है?

देप्पा, ये अचनभनो हें, जा संसान में परलते हैं;

उनका घन ब्रढ़ता जाता है। नीसयस्न में ने अपने मन को व्रौनथा सुच कौय्ा है, जन नीन- मलता में अपने हाथ चोय। कप््रोंकी दीन अत में दुप्पी हुआ हुं, औच इन व्रौह्दान के में ताडा

जाता था। जो में कहूं, कौ यों व्रतन॑ कन गा, ते।

रेप्प, मैं तेते व्र:ल के की पौढ़ों के। उदास कचता। जब मैं ने इस का क्ञेर जानने याहा, वह मेने लोग

५७ अतो कसट हुआ॥ पनजतव में ने इसन के चत्म

९२० गौत।

२४

चाम में पनवेस कींया, तत्र में ने उनका अंत समहा। नीसयमग्र ने उनहें पतीसलने के सथाने) में नप्पा, जन उनहें नास में डालता है। वे पल मातत में कयाही उजड गये, जैन वे ज्ञय्य से सनव्॒था मीट गय्ने हैं। रुपन की नाइं जव्र के[इ जाक उठ; से। हे पननत्न, जव्र तु जागेगा, तु उनकी मुनत को नीनदा कन्ेगा। यों मेत्रा मन व्रद्नाकल, मेत्ा अंतःकचन पोडौत था। में सा मुतप्प आन अगद्यान था, औतच तेने आगे पसु था। तथापी में सनव्॒दा तेने हो संग हुं, आन तु ने मेत्त दह्ौने हाथ के चना है। तु अपने मंतन से मेत्री अगु-

आइ कनेगा, ओऔन उसके पीछ मु ब्रोलव में

रे द््

पहुंयावेगा! सनग मे मेना कान हैं? ओऔन पौचथीवो में तेचे तुल भेना व्राछ्ौत के।न है? मेना सत्तीन, ओजनच मेना मन घटा जाता है, पत्र इसन कक 2 के." | मेने मन का व्रल है, औन सद। मता साचग है क्॒ग्मोंकी देप्पा, जे तह से दुल हैं, सा नसट हेंग, + जे तुष्ट से ब्रेंन्नो यात कौ ओआच परोन गये हैं,

हे उन सन्नां के नसट कींया है। पन्ंत इसन के

पांस व्रढ़ने का मेने लौगे भला है, में ने इसत पन मेसन पतन ज्ननोसा नप्पा है, जीसतें में तेने साने कानजेर के ववन 4.नो

्॑चहलनवां गौत॥ १५२९५ ७४ येइतनवां गीत डपदेस दे ने के असापर का गौत

हे इसन, त्‌ ने सनव्॒दा केलीगट्े हमें कर्मों तयागा है? तेतो यताइ को ऋड़ें पत्र तेची नीरू कंय्ये! भंडकती है ? अपनी उस मंडली के जौसे तु ने आगे से मेल लौग़ा है, औच अपने अचीकानी को गासटो के जौसे ने छडाय़ा है, इस सेहुन पहाड़ के जीस मे तु चह्दा है, समनन कन। नोत के उजाड़े के लोग अपना लात डठा, सान व्रेनौग्रों ने चतम 'चामम कग्नाकग्रा दुसटसा को है। तेनो मंडलो के मच में तेचे ब्रैनो गनजते हैं, वे यौनह के लीटर अपना हंंडा प्यडा कतते हैं घने पेड़ें पत्त कलहाड़ो उठाने के समान मन॒प्प कोच्तमान था। पत्र अव्र॒वे उसके प्पादे हुए कानज के फ्रक साथ कुलहाडो औ।न हथोडौट़ों से ताडते हैं। उनहें ने तेचे चनमचाम म॑ अग लगाइ है, उनहें ने तेने नाम के नीवास सथान का जम ले असच कोटा दै। उनहे। ने अपने मन में कहा, को आओ, उनहें एक साथ ताडु देवें, उनहे। ने देसें में से इसच के सन्ना सथानें के जला दरोगा है इम अपना

हर 6६,

रे

रए९र गोल।

९१० रे १३ ९४

श्द श्‌ 5

श्ष

रु

थौनचह नहीं देप्पते हैं, कोइ अवॉंसब्रकता नहीं,

जे।न हमान मच काइ नहीं, जे जाने को यह कब्र ले हे।|गा? हे इसन, व्रेनो कब्र ले नोंदा

कनेगा ? करा ब्रैची सदा तेने नाम को अप- नोंद। कनेगा ? तु क्यों अपना हाथ अच- थात दच्दौंना हाथ प्यॉयता हैं? कांप्प से उसे नौंकाल। कंग्योंकी इसन मेना पतायीन ताजा है, जे पीनथीवी के मच में सुकल के कानज कतता है| तु ने अपने पत्ताकतम से समुदुचत के पराड़ा, तु पानीयरें में अजगनों के सोचों के फकथलता है। ते चनौग्ाल के सीन का टकड़े टकड़े कनता है, अऔन उनह्त व्रनव्ासीयों के जआञाजन के लोग दीया है | ने से ते का जन व्राढ के यौतन्रा, ने पत्व्रल नदौगों के सुप्पा दौया। दौन तेता ओतन तात ज्ञी तेनी है, तु ने उंजयाला औत सुतज के| सौच कौया तुने पौचथधोवी

के साने सौवानों के ठच्चचाया है, औन तच्ो ने

गनमी ओर जाडा व्नाग्रा है हेपनचमेरून उसे समनन कत, को द्वेती ने नोंदहा को है, गन मुढे लोगों ने तेने नाम को अपनींदा को है॥ अपनी पंडुकी का पनान दुसटों को मंडलों व्रस म्‌ ने कते, ओल अपनो दहोन मंडली के कन्नी

र्क

हक

२९

पयाइतवां गौत। श्ररऐे

घोंसता। अपनी ब्राया का यत कत, कंगय्ोंकी पौनथौवी के अंचौस़ाने सधान कनुचला के नौवासे से पतन हैं॥ हाय सताग्र हुए के लजोत॑ कनने के मत लेट, दुप्पी औन दोन तेत नाम की सतुत कत॥ हे इसन, उठ, ओनच अपने हो पद का ब्रीब्राद कत, ओऔच समतन कत, की मुनप्प जन पत्ती दौोन केसो तेनी नोंदा कत्ता है। अपने डर ७०... मी पाप

ब्रेतौय्ों के सम्॒द॒ के। मत जुल, उनका केल।इल, का कक की 7 केक के

जा तेन व्न में उन्नडते हैं, नौत व्रढुता जाता है।

भू पयहतनवां गोत

असापर का गौत, अथवा गान, अलतसयोत पत- चान ब्रजनोयो के प।रू।

है इसन, हम तेनों सतत कनते हैं, हम तेनी घतुत कनते हैं, कग्योंकी तेने अआसयनज काचज तेन नाम के पास हेने का पनगरट कनते हैं जव्र में मंडली पत्त पलचान देडंगा, ते। में प्यनाइ से ब्रो- यात्त कनुगा।. पींचथोवी, औजन उसके साने नौव।सो मीट गये, में उस के प्पंज्नों के। सज्नालता हुं, सौलाह। में ने सुत॒प्पां से कहा, को मुतप्पता

कनो, ओन दुसटों के कौ सॉंग मत उन्नाड़ो। अपना सॉग उंयान कनो, ओऔन कठेत गले से

शक

१२४ गोत॥

/प्ि

मत व्राले। क््मोंकी व्रदती पुनव्र से पछोम

सें,ओआन नद्प्पीन से आती है। पतत इसन नग्राय्री

है,व॒ह फ्रेक के उताचता है, दुरुने के उन्नाड-

ता है। कर्रोंकी पतमेसनत के हाथ म॑ ऐ9क कटोना

है, औन मदौना लाल है, जे मोलावट से भता

है, ओत वुच्द उसी से उंडेलता है, पततत उसकी

तलकट के पीनथीवी के स।ने दुसट नो योंड पौख॑ंग

पन॒त में सदा व्रचनं कत गा, ओतच ग्राकव् के इसने

१९० को सतत कच॒ गा॥ में दुसटों के साने सोंग ज्ञौ

क।ट डालुना, पत्रतु चनमोथ्नों के सींग ब्रढाय जाय्रेंगे।

७६ छचहतनहवां गोत।

: असापर का गीत, अथवा गान, नगीनत पत्र पतचान

व्रजनीसे के पास इसने ग्रकुलद। में पत्तसोच है, उसका नाम इल- चाइल में महान है॥ सालोम में ज्ञी उसका तंत्र है; ओज सेहुन में उसका नौवास सधान। वहां उसने चन॒प्पों के व्रान, लत ढाल, औ।च तलवाल, औच चलडाइयां ताडी हैं। तु अच्देत के पनव्रत से अचीक व्रौक्वमसत्न ओन उतम है। होौण्ाइ लुट मग्मे, औन अपनो नोंद ले चौग़ा हैं; औन

््‌

सल॒हतनंवां गॉत १२५

व्लवाने में से कीसी ने अपने हाथ नहीं पाग हैं| हे ग्राकत़ के इसन, तेती दपट से चथ जन चाड़े

व्रडौ नॉद मे पंड गये | तद्दौ से डना याह्ोय्,

२०

र्‌

रैर

औैच जहां तु कनोच हुआ, ते कान तेने आगे ठह्न सके? तु ने सनग पन से व्रौयान सनाया, आन पोनथीवी डत॒ के मानंथम गइ॥ जब इसन नय्नाय् के लौटे उठा,की पौनथी वो के स।ने के मलेए के व्रयावे, सौलाह नॉंसयय् मन॒प्प का कनाच तेनौ सत॒ल कनेगा, औजन तु उब्ने हुए कने।च के नोक लेगा पनमेसन अपने इसन को मनोतो मान के डसे पत्ती कना, सत्र, जे छसके आस पास हैं, झंट यढावें। व॒चद्द अचछों के मन के का- टगा, वृद्व पीनथोवी के चाजाओं के लो ये झगंकन है।

७७ सतचहलनवां गोत |

असापर का गौत पतचान व्रजनौये के पास ग्रदुथन के। 53

रे

श्‌

में इसन के आगे अपने स्व्॒द से यील/ या, हां, इसन के आग सद्द से,से। उसने मेती आल कान चना व्रीपत के द्ौन में ने इसूच को प्पेजा, आन मेने हाथ नात को नीनंतन उठ चहे, ओच

ह₹ मेने पतान ने रांत नमानीं॥ में ने इसन को

समनन कीोया, ओरज व्रग्ना कल हुआ, मेंनेच्ाय (जा

९२६ ..._गौत।

ड़

२०

रण

फ्पई

... मांनग चनम- चाम में है, हमाने इसन के समान

५३ दि

कौग्या,आन मेचा अंतःकनन दव्गय़ा, सौलाचइ तु मेत्ी आप्पों के जागतों चप्पता हैं, में व्रद्याकुलता के माने व्रोल नहों सकता। में ने अगो ले रोने के औन पस,शौन व्नसे के समझों के सेय। है। में नात के अपना गान समतन कलतता हुं, औजन अपने मनहों मन व्रतीआता ऊूं, और भेने आतमा ने चा्यान से प्पाज कौया। कपय्रा पनन्नु मुझे सद। के लोग तय्ागेगा? परीन मुष्ठ पत्र कीतपा कनेगा ? क्या उसकी दया सदा के लीये जातो चच्दी, कप्मा उसको द्राया पीढीं से पीढी लें घट गइ ? कग्मा अनगोचद कनने के इसच आ्ञल गया जै? कग्ा उसने कनाय से अपनो केमल दसा को व्रंद कौटा? में ने कहा, की सह मेत्रो नोनव्रलता दे, पत्रंत में अतो महान के दह्नौने हाथ के व्रनसे| के येत कन॒ंगा॥ में पत्र मेसत के काचज के समचनन कत् गा, नोसयय में तेने पतायीन आसयतजें केग समतन कनु गा। में तेते खाने काचजेर के ज्ञी से/युंगा, तेने कानजे कौ यत्रया कनगा। हे इसन, तेना

केन. फ.स। मध्ेसन है। तु आसयत॒ज कततता इसन है, त्‌ ने लागें पत्त अपने व्र के पतगट

रैई

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श्दध

र्ढ्‌

ब्र्क

अठहतनवां गोल ५२७

कीट़ा है तने अपने ले।ग ग्राकव्॒ अन यसरूपर के संताने। के अपनी जजा से छड़ाया है, सोलह है इसन पानीगोंने तह देप्पा, पानौग्रों ने तु रेप्पा, वे डत्त गय्ये, गत गहोताव ज्नो ब्रग्माकुल हुएे। मेच जल सहोत उंडले गये, औन आका से मे सव्॒द कीया, ओज तेने व्रान उड़ नौकले। तेन गनतजन का सत्रर सनग मे हुआ, व्रो जुली य्रां ने जगत के उंजोया कीं, पीसथीवी थनथना के कांप गइ। तेचा मात्रग समदत में है, औन तेना पथ व्रड़े पानोयं में ; तेने पांव के यीनह नहों जाने गग्े। तु ने मुसा बैन हानन के हाथ से छुड की नाइ अपने लेगे| की अगुवाइ की |

3७८ अठहतनवां गोत |

असापर का मसकोंल है मेते लागा, मेनो व्रेवसलथा पत्त कान चनो; और मेने मदर को व्रातें के कान घन के सने।

मैं अपना मह फ्रक दौनोसटांत में प्पाल गा. औन

में पताायोन गपत ज्ञदें। का पन्रगट कन'गा

ओनहें हम ने सना है, ओअन जाना, ओनल इदमान

पोतना ने हम से कह्ा। हम उनके व्रालकेांसे

छौपावेंगे, औ।च पत्रमेसत् की सतुत, औच उस-

९्र्८् गोत

श्र

का पत्ताकतम, ओतनच उसके आरयनतज कानज, जा उसने कीय, आवेशा पौढों पत्त पतगट कनेंगे। कग्मांकी उसने ग्राक॒व्र में एक ब्राया सौथौन की, औैन इसनाइल में 9क व्रेवसथा ठहनाइ, जे। उस मे हमाने पीतनों का अगया कीं, की वे अपने व्रालकां के। सोप्पाव जौसतें आवेदा पोढी, अच धात, जे। व्रालक आगे उतपंन हेंग॑, उनहें जानें; औ।न वे उठके अपने द्राल के। के सोप्पावें जोौस- तें वे इसत पत्त अपना आरता नप्यं, औज इसन के काचजें का चुलें, पत्ंतु उसकी अगग्राओं के। पालन कनते॥ ओतल अपने पोतनों की नाइ मगने दंगइत पोढ़ा हें, ऐसो पीढ़ो जोन हे ने अपने मन के सोच कौया, जैन जीनका मन इसने पत् दोचढ़ नथा॥ अपरनाइम के संतान इथीय्रात व्रंढ गला 'चनप्पचानी लडाइ के दौन हट गय्ये॥ उनहों ने इसन की ब्राया के माना, और उसकी ट्रेवरथा पत्त यलनेब्का नाह कौया औन उसके कानज को, औ।न उसके आसयनजें का, जे। उसने उनहें दोप्पाये थे, झुल गद्ये। उस ने मौसनत देस में, ओ।च सेोआन के योगान में उनके पौलनों आगे आसयतज कतम कौग़े। उसने समंदत का ज्ञाम कौया, औच उनहें पान

अठहतनवां गोत १२८

पहुंयाटा, औन उसने पानोयरों का ढेन को नाइ प्पडा कोया॥ दौन को ज्ञौ मेच से, ग्यन नात जन आग की जाल से उसने उनकों अग॒ुआइ को उसने ब्रन में पतव्रतें का, ओन जेसा को महा गहौनाव से उनहें पीलाय्ा॥ उसने पनत्रत में से चानें नौकालों,ओऔ।न नदो को नाइ पानो ब्रह्दाया॥ प्रत डनचें ने उसके व्रौनच अचौक पाप कन के, उस अतो महान को ब्रन में कनोच दौलाया औन उनचे ने अपनी लालसा के लोयेमांस मांग *, अपने मन में इसत का पतप्पा॥ हां, उनहेंं ने इसन के ब्रौनच कहा, औ।न व्रोले, कया इसन व्रन में हमान लोग मंय सौच कजसकता है? हेप्पा, उसने पत्व्रत को माना, ऐसा को पानी पर्‌ट

-- नोंकेला, औैन चानें ब्र्ह्द य्यलों, कया बच्द नोटों - जी दे सकता ? ओनच अपने लागों के लोगटे मांख

२३

२४

सौंच कनसकता ?। से। पतमेसन ने सना, और

8. है 4० 3०. ही 3<« “कनोच छोक ट्याकव् में एक आग अड॒काइ इस- नाइल के व्रोनुच उसका कने।च उच्चडा कठ्मों-

कौ उनहें ने इसने पत्र व्रौखवास कौया, ओत उसको मुकत॒ पन ज्ञी ज्ननोसा नपष्पा। ग्र॒दपो उसने उपन से मेचों को अगग्ा की, औै।न रुचग के दुबात प्योले॥ आन उनके प्पाने लौंग मंन

९३० गोत

२५

२६ २०७

सर्द

र्ल्‌

व्रत्॒साय्रा, आन उनहें सवगोय अंन दोया मन- प्पों ने दुतां का झाजन प्पाट्रा,उसने उनहें अचा के प्पोलाया उसने सनग में पनत्री पवन यलाय!

आज उसके वद्रल से टप्पीन का पवल ब्रह्मा। उस

ने उन पत्त चल की नाइ' मांस आन समुदत के व्राल कौ नाइ' पंछो व्रतसात्रे। ओतच उसने उनहें उनकी छावनो के व्रौय में अ।न उनक व्रराव के अस प(सू गोताया से उनहे ने प्पाया, अत तोनोपत हुए, कश्मोंकी उसने उनहें उनष्ों को

१० इका टो। वे अपनी लालसा से अलग ऊ्रे,

शेर,

पनंतु जब्र की उनका ज्ञाजन उनके मुह्ो में था

तथ् इसन का कोच उनपत आदफ्ा, ओन उनके 38 जिकीप कर

पसट लेग माने गये, ओरल इसनाइल तनन

३२ खेग छकाये गयो॥ तोसपन ज्ञौ फरीत उनहे ने

३९ ९४ ३५

१६

पाप की्॑ा, नल उसके आसयचज काचजें का. व्रीसवास कौट्रा॥ इस लोग उसने उनके दौनें को अनचथ में, औच उनक वब्रच॒सें को ब्रौपत में ब्ौबायरा॥ ओत जब उसने उनहें मानता, तव्र उनहे। ने उसे ढ, चल परीच आय, चेन तड्के इसन के प्पोजी हुऐ॥ ओऔतन यह कौय्रा,की इसन उनका पहाड़, औ। मह्देसत उनका मुकतदाता धा॥ तौसपत ज्ञौ उनहे ने अपने मुह से उस से

8७

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अठहततनवां गोत ५३९

यापच्ुसी को, ग्ल अपनी जौज्नों से उस से &ठ ब्रोले॥ कर्झ्योंकी उनके मन उसकी ओआन ठोक थे, ओऔतल वे उसकी ब्राया पत सौथीनन ऊूुए॥ पत्र उसने अपनो मादग्रा कौ अत्पत्री से उनके अंचनम को छमा कीया, आन उनहें नास कौया हां, व्रानंब्राग उसने अपने कनोच को नो का, ओन उसने अपने स।न कनाच का जडकागद्रा कग्मों- की उसने समनन कोंय़रा, को वे मनप्य हैं, जैसे फ्रेक पवन, जे। जातानहता है, औन परीन नहीं आता। उनहों ने उसे ब्रन में कइ व्रान कनोच दोजाया, औन उजाडु में उसे उदास कौया॥ हों, वे परीन गग्म, अत इसन को पतरप्पा, आन इसनाइल के चतममय् का सोमा ब्रांचा॥ उनहे। ने उसके हाथ, को गेल उस दौन का, जव्र की उसने उनहें ब्रेनीसों से छडाया, समनन कौटया॥ की उस ने मॉसन में कझ्मोंकत अपने योनह औ।च सेआन के यागान भें आसयनज दरौप्पायो॥ औन उनको नरोयों को, व्राढ़ों को लाहु कनडाला, कौ वे पीनसकें॥ उसने उनमे ज्ञांत ज्ञांत की मप्पीयां जजों, जे उनहें प्पागइ', औन मेढुक, जो नहे ने उनके नसट कोया॥ उसने उनकौ ब्रढ़तो कीड़े को, औ।न उनका पत्तौसनम टोडौस़ं को प्पीलाय़ा।

९३२ 5 गीत,

हि

डैफ

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थू

रे

परे

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३४

. यह

उसने उनके दाप्प को ओआलें से, औन उनके गुलत पेड़ों को पाले से नसट कौय्रा॥ उसने उनके ढालों का जो आलों का, औन उनके & व्री जलो को सोंपा॥ उसने व्रत दुतां को ज्ेज के उन पत अपना महा कनोच, औच कोप,औअन जलजलाइहट और व्रद्याकलता उडलो॥ उसने अपने कनाच

लोग एक मानग प्पाला, उसने उनके पतानल

का मौनत से छोड़ा, पनंतु उनका पतान मत्री का सोंपे॥ उसने मीसन में साने पह्ोलोंठट को हाम के तंत्रुओं में डनके व्रल कौ सनेसटता को माता॥ पन अपने हो लागां को ज्ञेड़े। की नाइ' यलाया, औज व्रन में ६'ड की नाइ' उनकी अग- आइ की॥ ओऔतन उनहें कसल से लेगया, 9 सा बी वे डने, पत्रतु सम दन ने उनक व्रनौयों को ढाप लीगा। उसने उनहे अपने चतमचाम के सौवाने में पहुंयाय्ा, अनथात इस पहच्दाड पते, जीसे उसके दहौने हाथ ने मे।ल लौटा _ उसने अनदेसौश्े। को ज्ञी उनके आगे से दुत् कोंय्ा, आल नी से डनहें अचीकान व्रांटा, अल इसनाइल को गे।स- टौय्ों को उनके तंत्रुओं में व्रसात्रा॥ तौरुपतत जो उनहें ने अती मसान इसून को पनप्पा, औत तसौ दौलाय़ा, औन उसकी साप्पी का पालन

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धूप धूल ््‌ दर रे

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अठहलतनवां गोत ५९३

कीया। पनंत फरीन गये, औन अपने पीततों कौ नाइं छल कौया, आन छली 'चनप्प को नाइ फ्रेक अआन परीत गये कग्मोंकी उनहे ने अपने उंये सथाने। से प्पीजा के उसे तीस दौलाया, जान अपनी प्ये'टौ हुइ सुनते से उसके हल दौलाया। इसन यह सन के कनोच हुआ,आत इसताइल से अली चघोन कोट्रा॥ ग्र॒ह्टां ला की उसने सेल के लंब्र के, जीस तंव्र के डसने लागां में प्पडा कोया ' था, तथागा॥ ज्रैान उसने अपने व्रल को व्र॑च- आइ में, औअन अपने व्ौजव के व्ेतोी के हाथ में सांप रौया। उसने अपने लागों का तलवान का ज्ञो सैंप दोया, अत अपने अचौकान से कनाच हुआ॥ आग ने उनके तननें केा ज्सम कोस्ा औन उनको आनोया व्रद्याहों गईं उनके जाजक तलवान से भाने गये, बैल उनकी नांडों ने ब्रोलाप कीया तव्र पत्तमेसन नोंद से डट हुए जन को, ओजच मदीना के माने ललकानते हुए महाद्रीन की नाइ जाग उठां। तन उसने

>> है -> ०७ अपने व्रतोयों को पीकछाडी मानों, और उसने उनसें

सदा लजौत कीौग्रा। औतन उसने ग़सपर के तंद्र का नाह कींय्रा, अन.अपरताइम की गे।सटो के युना॥ पत्र ग्रहुदा कौ गोसटो सेहुन के पहाड़

, (७६.

९्हृ४ गौत!

€८ का, जा उसका पीनोग् था, थन लीोग्रा॥ ओऔच उसने अपना 'वनमचाम उंये अवनोें कौ नाइ, औाल पोनथधीवों की नाइ सदा के लोग उसको ७० नेवें डालों॥ उसने अपने सेवक दाद के ज्ञौ यन लौयग़ा, आन ज्ेेड्सालें में से उसे मौकाल ७९ लीोय्वा॥ उसने डसे गनननी जड़े के पीछ से ले लौटा, की अपने लेग ग्ञाक् के व्रंस के, औन '७२ अपने अचौकान इसनाइल के यनावे। से उस ने अपने मन को प्यताइ से उनहें यताया, गन अप ने हाथों को गनता से उन के। ले आया।

७८ डनासीवां गोत

अलापर का गोत हे इसन,अनदेसौग्रों मे तेतने अचीकान म॑ पतवेस कनके तेने पवीतन मंदौत के। असच कौय्रा, उन- हों ने श्रीतोसलोम का ढेत ढत कत नप्पा है॥ तेने सेवके की लाथों के उनहे ने आकास के पंछोगों का, तेने साचन के मांस का पोचधीवी के है व्रन पसन का आहाच कौय्रा। उनरहों ने उनके

लाहु का ग्रतौसलींम की यात्रों आन पानी को

नाइः ब्रह्मया, औन गाड़ने के केइ चहा॥ हम ता अपने पत्तोसीया के लौटे नॉरीत हुऐ

शै |

रे

पर

उनासोवा गोत। ९8५

हैं, औरत अपने अ|स पासोगट्रों के लोग ठठ औाच तुछ हुए कब्र लें हे पवमेसन, कं्रा त्‌ सदा लें नोसों आवेगा ? कया तेना हल आग को नाइ

हिआ.. देसो & सदा ब्रता कस गा ? अनदेसोय्ों पत्र, जीनचें

ने तछे नहीं पह्दोयाता, औनच उन नाजों पन

जोनदे ने तेता नाम लोया, अपना काप उंडेल करग्गमोंकी उनहे ने ग्राक॒ब़् के। नींगल लौय़ा, औरत डस के नोवास के| उजाड़ दोय़ा इहमान पोछले अचन में के समन मत कच, अपनी कामल दया से हम ह/लो नोक, करश्मांकी इम व्रहूुत घटाय गय्य॥ हे हमाने मुकलदाता इसन, अपने नाम कौ महौमा के लोग इमानीं सहाय कन, गन हमें ब्रया, औन अपने नाम के लोग हमें हमाने पापों से पवीतव कतन अनदेस्ो लाग कौस लोग कह, कौ उनका इसन कहां है ? अपने दसें के व्रह्ाए हुए लाह्ल का पलटा ले के, अनदेसोय़ों के मच में हमानो दीनोसघट के आगे आप के पत्रगट कत ब्रंचओं का कहनना तेचे आगे पहुंये, अपनी जुजा की मद्दीमा के समान उनहें, जे। मौचतु के लोग ठचनासे गये हैं, व्रया ले। हेपचज्न हमाने पता सोझों की नींदा का, जौस से उनहें ने तेनों नोंद। को है, उनको गोद मं सतगन पलटा दे॥

हे +#जितिं।

९१

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से। हम तेते लाग ओत तेतो यनाइ कौ कअड़ सदा तेता घंन मानेंगे; हम पीढ़ी से पोढ़ो ले तेती सतत पतगट कनेंगे

८० असोवां गोल

सन नौमीौदुल पत्र असापर का गीत पतचान व्रजनोय के पास |

है इसनाइल के गढ़नोश्रे, जे यसपर का &ड की नाइं लेजाता है, जा कनोव्रौन के मच में नह ता है, कान चत, औज यमक॥ अफरचा- इम, व्रनीआमीन, जैन मंनसा के आगे अपना व्रल उचान, औल हमानव्रयाव के लोग आ।॥ छे इसन, हम परीता, औजल अपने नुप के

हम पत्र यमका,अआ। हम व्रय जायगे॥ हे पन-

मेसन, सेनाओं के इसन, अपने लागों को पतराच- थना के व्रोनच कब्र लें तेता चआं उठा कनेगा

तु उनहें आंसओं को तोटो प्पौलाता है,ओआजन व्रहु- ताइ से आंसु पीलाता है त्‌ हम इहमाने पततो-

सोगोां का छगडा कतता है, हमाने व्रनो

हथ, छा ७७ «५ 08-& आपस में हंसते हैं॥ हे सेनाओं के इसन, हम परोचा, अपना नुप यमका, औतन हम व्रय जायेंगे। तु फ्रक लता के माँसन से नोंकाल

२०

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दे श्

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द्र्श

असोवां गौत। १५३७

लाया है,तु ने अनदेसोय्रां का द्राहत कौय़ा, औ।न उसे लगाया जै तु ने उसके लोग ठो काना कौय़ा, और सा कौया, ओऔ। उस से गहौनीं जड कड वाइ, ओऔतज देसम पेल गइ॥ उसको छाप्मा से पहाड़ ढंप गय्ये, अ।न उसकी डाले सुनहत आनज पेड़ कौ नाइ हुईं। उसने अपनों डालें समुदुत ताइ परेलाइ, औरत अपनों डालौग़ां नदो ले | तु ने उसके व्राड के कर्मों ताड़ा है, यहां ले की पथोक उसे यॉंथते हैं व्नेले सअन उसे उजाडते हैं, लत व्रन पसु उसे अछते हैं। हे सेनाओं के इसन, हम तेतनो ब्रौनतो कनते हैं, की लोट आ, सनग॒ पन से धांक, इस लता का टदेप्प। जा दाप्प को व्र।नो, जोसे तेरे दहींने हाथ ने लगाया है, औ।न डाली जीसे ने अपने लोसे पोढ कौंग़ा।

९६६ वुच्च आग से जलाइ गई, औज काटो गइ, वे तेच

ही

श्ष श्र

नुप के -द्पट से नास हेतौ हैं। तु अपने दहौने

हाथ के ममुप्प पत, अनथात मनुप्प के पतन पतन,

जींसे ने अपने लोग व्रल। कौया, अपना हाथ कै 5 बिक

चन॥ से। हम तह से फरोनेग, हमें जीौला,

औ।न हम तेतला नाम लोगया कनें गे॥ हे पनमेखन

सेनाओं के इसन, हमे परोना, औन अपना जप

यमका, ओऔजन हम व्य जायगे। ,.] 0६.

श्शे८ गौत॥

८९ फ्रकासोवां गोत

पनचान व्रजनोय के पास गीटीथ पत्र आसापर का

रे

हमाने व्रल के इसन लौग़े पकान के गाओ।, 2. बाप लोये है वि

याकव़ के इसन के लोग आनंद का सब्र॒द कता |

नव्॒ल के साथ तब्॒ल, औ।न व्ीन लाओ. और गीत

के ४०९ कि" हैः. गाओआ। अमादब्रस में, ओनच हमाने उच्चाखझओ

हुफ पनव्रों के ढोन में त॒न हो व्रजाओ। कग्रांकी ग्रद्द इसनाइल के लोपश्रेम्नोंच, जन ग्राकव्र के इसन को व्रवसथा थो॥ जब सफर मोसनच देस के सनसुप्प पहुंया, जहां में ने ज्ञासा सनी, थ।च

. समहों, उसने उस्के लोग इसे फ्रक साप्पो ठच-

ह्‌

जे कप छा ०228 ९3३ , 223 चाइ॥ में ने उसके कांच प्र से ब्राष्ठ उताता,

उसके हाथों के हांडोंग्रों से छाया तु ने ब्रो-

पत में पुक/ता, ओज में ने लहे छड़ाया,में ने गच- कर 0 ' गा जले ] जन के गुपत सथान से तुछ उतर ढोग्या, में ने के आप तो हगड़ा के पानोगों पत्र ले पन्रप्पा, सोलाह।

'छ हे मेने लोगो सने, हे इसनाइल, जे मेती

१०

सनेंगा, ते! में तेन लोश्े साप्पी देजंगा तल में कोइ उपनी देव हेवे,ल कीसो छपनो देव को पजा कत॥ पत्रमेसल तेचा इसन में हुं, जे तुछ् मौसन देस से व्राहत लाग्रा, अपना मुह फरेला,

दि

९५्र

रे ९४

प्‌

पैर

व्रद्मासीवां गीत श्ह्ट

जैन में उसे जन टेडंगा। पत मेने लागों मेता रुयद सना, औन इसनाइल ने मुछ्ठ याह्ा जे क्र बह "3 39«>* तब् में ने उनहें उनके मन कौ ज्ञावना में छोड़ ढोग़ा, ओच वे अपने हो मत पत- यला कौ * - जि हरे ३.

हमर की मेत्र लाग, सेती सुनते, ऊ।च इसनाइल मेले माचगों पच यलते। में हालो उनके व्रेनो म्लों के। उन के व्रस में कनता, उनके ब्रभोयों के ब्रीनच अपना हाथ परनता वे जे पतमेसनत डे "3 ४० | न] है... $

से घौनाते हें, उस से ढ॒व् जाते, पत्रंतु उनका समय सदा चहता वह उनहें गोहं को यौक- नाइ ज्ञों प्पीलाता, औ।न पह,ड॒ को मचु से उनहें तोनोपत कचता।

८२ व्रद्मासौवां गौत | आस।पर का गौत।.

इसन्र ब्रलवानें को मंडलो म॑ प्पडा है, देवों के मच में वह व्रौयाच कत्तता है। तुम कब्र ले अ- चनम व्रौयान कनोगे, औच दुसटों का पक कनेदगे, सौलाइ। कंगाल ओन अनाथों का व्रौयात्र कतो, दुप्पी औज टोने का नय्राम्न कतो | कंगाल ओत दौन के ब्रयाओ,दुसटों के हाथे| से उनहें छडाओ।।

९४० गौत।

03.६

वे नहीं जानते, ओऔन खमहंगे, वे अंची-

याने में यले जाते हैं, पीतथोवी की रानी नेवं न] मे 2४ १७३७७ '

टल गई हैं॥ मैं ने ते कहा, की तुम सत्र देव

ते,, ग्रैत तुम सब्र के सत्र अती मह्दान के पतन हे।,

०७८ « पत तुम मनप्पों की नाइं मनाग, औ।न चाज पतनों

से फ्रक की नाइ' गौतस जाओगे॥ है इसन उठ

पीचथोवी का व्रोयात कत, कर्मों की सान देस

गनां का अचौकानी च'्‌;चगा।

तोलासीवां गोल आस।पर का गान अथवा गोत

हे इसन युप मत हो, युपका मत नह, और

हे इसन, येन नले॥ कटठ्मोंकी देप्प, तेनेव्रेनी

हुलन कनते हैं, झै।न वे,जे। तुष्ठ से डाह नप्पते हैं सोॉंन उठाय हैं॥ उनहे ते तेने लागों के ब्रीनाच में छल का पतामनस कोया है, आओ तेने छोपे

'छुफ् लागे के ब्रीनाच म॑ 'योंता कनते हैं। उनहे

# ने कहा है, की आओ। उनहें फ्रक जात हेने से

कर ््‌

काट डालें, जीसत इसनाइल का नाम समनन

जहे) क्योंकी उनहे ने फ्रक मन से पत्तामसस ४22

कोंगा हैं॥ अदुम के सन तंत्र, आन इसूमाइली,

तोन।सौवां गोत। ९४९

आन मवावी, ओनच साने हाजनोौ॥ गत जा-

व्राल, औनल असुन, औ।त अमालक, जज परलस- तानो सत्र के व्रासौय्रां समेत तेने ब्रौनुच मौल गये

हैं। असुनों ज्ञों डनमें मौंले हैं, वे लुत के संतान

के सहायक हैं.। डनसे 9सा कन, जेसा कौ मदौ - ग्रानौयों, अ।न सोंसना,गन ग्रात्रीन से केसन की नाडी पत्र कौया॥ जो इंदुन में नास हुए, औच पीनथोवी पत्र के व्रौसटा हुए उनके कलीनों के ओजनेव् औन जेव्र की नाइं कन, हां, उनके सान नाजपुतत को अव्ह जलमुना के | जोस बिक कक है 5 “रे ६८: अधि. श्श् ने कद्दा, की आओ, इसन के मंदोंनों के अपने व्रत में कत॥ हे मेने इसन उनहें 9क पहं ग्रे को न/इं कत, जैन पवन के संतुप्प को प्यथो को # बकरे

नाइ॥ जेसा आग व्रन के जलाती है, जन जेसा लव॒न पहाड़े| के जलाती है तेसा अपनो आंधी से उनह सता, छे/न अपने ध्रकेन से उनहें डना हे पतमेसत उनके मह के लाज से झत कत -. 0... गीदिक- शिकार. कै कक. 7 आप

दे, जोीसलें वे तेने नाम के प्याजी होव। वे सदा

६४३० अष्किकर' लक 25 कर

व्रद्माकल हेवें, औ।न घव्रता जाव॑, हां, वे लजौत हैे। के नास है, जीसतें मनुप्प जान, कीं केवल जौरुका नाम अट्ोतीय़ पतमेसन है, व॒ुह सानी पीनथौवी में अत महान नुह्दौ है।

६४२ गोल।

८४ आओतनासोंवां गौल !

कानचह के पतनां के लोये गोटौथ पत्र पनचान व्जनौोय के पास मौत

हे सेनाओं के पतमेसन, तेच तंत्ु केसे सुंदत हैं॥ मेनला पतनान पत्तमेसन के आंगनें के लीग अज्जीलासो ओज सुतछोन है, मेम तन मन जी वत कह. तो रिक 20 “हे 7५ इसन के लोगे पक।चते हें। हे सेनाओं के पत- मेसच, मेले नाजा, मेत इसन, गाता ने तेनो 9 ३3 मम. के ०७. २. ब्रेदौद्यों में प्पोसला, औच सपात्ौना ने अपने लीग प्पांता पाया, जहां वे अपने गंदे चप्प॥ चंनवे हैं, जो तेन मंदोन में श्रसते हैं, औन सदा तेनी झतृत करेंगे, सीलाह जीसका व्रल तुष्ठ में है, सा मन॒प्प घंन, जी सका मन उनके मानग में है ६5: ७०७... 7० 22.९ 2 हं जे व्राका को तचाइ में से जाते हुए उसे कुआ ३७ व्रन'ते हैं, आल कंड ज्ञी मेह् से झते हैं वे ब्रढ़ते जाते हैं, अन जथा से ज़था के। जाते है, ओओतज इसन के आगे सेड़न मं पहुंयते हैं पच्रमेसन सेनाओ! के इसन, मेनी पत्तानथना सन, हे याकव्र के इसन, कान घन, सीलाह। हेइसन हे हमांतो ढ।ल अपने अज्जौसोंकत के मंद पत ९० दौोनोतट कन। कंग्रांकी तेन आंगने मं फ्रक दीन

९.

पी

पयासोषां गीत ९४९

सहसन से जला हैं, अपने इसन को डंवडो पत्र

की अल क.... के ऐ&%

ब्रैठना दुसटता के तंब्रुओं में नह ने से मुह अचौक

पत्संन चै॥ कर््ांकी इसन पत्रमेसत फ्रेक सनज

औन ठाल है, पत्मेसत अनगौनह शान व्रौजव

देगा, जे। प्पनाइ से यलते हैं, उनसे वह कोइ «० पक लव अर मी,

अलाइ नप्पछाड़ेगा हे सेनाओं के पत्रमेसन, चन वुषह मनप्प, जे। तेता जगासा कनता है।॥

८३ पयासीवां गोत |

कानाह के पतनों के लोग पनचान व्रजनीये के प।स

रै्‌

हे पसमेसन, अपने देस पत्र अलो पनसंन हुआ है, याकव्र कौ व्रंचआइ को परत लाया है॥ ने अपने लागों के अचनम के छमा कीया है, ले ने उनके साने पपां का ढांपा है, सोलाचह ते ने अपने साने फत्तोच के। अलग कीया है, ने अपने कनाच के ज्नडकने दीया हे हमाने मुकलदाता इसन, हमें परौता, और अपनो तीस के हम प्न से नाक॥ क्या सदा हम पन नीसय़ाबेगा ? कया सानो पीढ़ी ला अपने कनाच का ब्रढ्माता चद्देमा? कया हमें परौन जो

लावेमा, जौसतें तेने लाग तुझट से आनंद कते ?

हें पनमेसन, हमें अपनो दस्ना दौप्पा, अल अपनो'

९४४ गोत।

मुकत हम के दे॥ में सजेंगा की पत्मेसन इसल

3

कया करेगा, व्च ते अपने खागों के ओरल अप ने स|चन छा कसल की व्रात कच्दे गा, पत्॑ वे सुनप्पता है है के री

में परत परीनं। नीसयय उसकी सुकत उनके डनवेयों के पास है, जीसतें मत्तीमा हमाने देख के व्रसे। दया ओऔन साई ने जेट कोया, चतम लैल कसल ने यमा लीया है॥ सथाइ पीनथोवी का अर $ 23. हक

से उगंगों, आन चघनसम सतग से 'ह्टांकेगा। हां, पत्मेसन जआझलाइ देगा, ओन हमता देस अपना

कण 3, बह 3.

परल देगा॥ 'चनम उसके आगेआग यलेगा, हमाने डग के उसके मानगपत्त यलावेगा।

८६ छयासीवां गोत दाउढट की पतानथना |

है पतमेसन, अपना कान हका, ओ।न मेन्ती सन, करय्योंकी में कंगाल औन दौन हुं॥ मेतर पतान की चछय़ा कत, कय्मांकी में तेंचा अनगी नही हू, हे मेने इसन, तु अपने झनतोसा नप्पनेवाल दास के व्रया। छे मेने पत्रज्न, मुछ्ठ पत्त दयाल हे।, कर्ग्ों- की में टीन जन नहष्टे पकानता हूं अपने दारू के पत्तांन के आनंदौत कन, करय्रोंकी हे पतन,

:थू में अपने मन के तेनी आन उठाता हूं॥ कय्योंकी

प्र

सर

एड

रे

९४

छयांसोंवा गोत। ९५४५

हे पनऋ, तु भला हैं, औतन छमा कनने के

सौच है, औन सत्र के लोग, जे तह पुकानते हैं,

तेनों दा वह्नलल है| हे पत्रमेसन, मेनीं पतान- थना फ्व कान चन, ओान मेनो व्रौनतों के सद्रद के मान में अपनों व्रौपत के दौन तह पुका- नंगा, कर्ग्मोंकी मुह्दे उतन देगां॥ हे पतन, देवें में तेन तल केाइई नहों, आन तेने कानज के समान कछ नहों। है पनहजम, साने देसो, जोनहें ०५०0 हर २७ जा है हक तु ने सौनजा हैं, आवेंगे, औन तेने आगे दंडवल «९५५२९ की :कर, ७३०७ [0 थी

कनें गे; औजन तेन नाम की ब्रड़ाइ कनंगे॥ क््यों- कौं तु महान औन आस-अंत्रज कनता है, तुत्दो अकेला इसने हे पतरमेंसत, सुछ्े अपना मानग ब्रता, में तेनी सयाइ में यलुंगा, अपने नम से डनने के लोग मेत्रे यौत के। ब्रढात॥ हे पन्रन्न मेन इसन,में अपने साने मन से तेततों सतुत कनुंगा, और में सदा तेते नाम को व्रडाइ कन॒ुंगा करग्गेंकी तेत्ी दय्मा सुछ् पत्र ब्रढ़ो है, औच त्‌ ने 9० "की ज.+ 8 ््य

मेत पतान का अतो नौंयो रुमाच से छडाया हैं है दूसन, अहंकानों मुझ पत्र ऊनञड़े हैं, ओन अग्रंकन मंडलौग़ां मेने पान के पीछ पडो हैं, औै।न उनहे ने तह अपने आगे समष्टा | पतंतु हे पत्रज्ञ, तु दग्ामय़ इसन औच कौनप/ल गन

; ञ् कक्ष

९४६ गोल)

९६ चौन है, तेनी दया, अल सयाइ व्रहूत हैं। मेनी ओज परोन, औज सुछ् पत दा कत, अपनो स|- मनथ अपने दास के दे, आन अपनौ दासेो के पतत

९५७ के बव्रथा! सुष्ठ जलाइ का काइ योनइ दौप्पा, जौसतें वे, जे मेना ब्रेत नप्पते हैं, देप्प के लजीत होवे, इस कायन की हे पतमेसन, तु ने मेरी सहाय की, औजन मुछझ चीनज दोया।

८७ सतासींवां गोत ' केनाह के पुतनों के लौड़े गौत,अथव। गान

९५। उसकी नेव पवीतन पत्ते में है। पत्तमेसत सेहुन के पराट के का ग्राकुद्न के साने नौवासें से

अचीौक पनोत नप्पता है। हे इसन के नगन, तेने व्रीप्पे में अनेप्पी व्रातं की जाती हैं, सौलाह। में चनके आग, जे मुष्ठ परौयानते हैं नाहाव्र गत व्राव्ुल की यत्तया कत' गा, देप्प परलसती जा आन सुन कास के संग, को यह वहां उतपंन हुआ।

थ्‌ ओजत मेहुन के व्रौप्पे में कहा जायगा, को यह औैन वचह जन उस में उतप॑न हुआ, औन अतयंत

महान॑ आप उसे सथीन कनगा। जव्र. पनमेसन .. लागों के लोप्पेगा, ते वुच्द गीं नेगा, कौ ग़हदी उस

अठ।सोवां गोंत॥ (४७

मे हा 2 में उत्रपंन हुआ था, सोलाइह | जेसे गायक वेसे हो व्जनौये देंगे, मेत्रे साने सेते तुष्ट में हैं

प्प्८ू अठासौवां गौत

इजनाहो हो मान क।| उपदेस देना, मह।लासलोअ नुरू पत्र काताह के पतनों के लौटे गीत, अथवा गान,पतचान व्जनोयरे के पास

हे मेने सुकतदाता इसन पनमेसन, में ने चात २* दौन तेने आगे व्रोनती को | मंत्रों पत्ताचथना तेने आगे पहुंये, अपने कान भेनी ब्रौनती पत्र का कंग्मोंकी मेत्रा मन व्रौपत से जता है, ओज मेतता पत्तान समाच के लग तह! है। में उनमे .._ गौना गया ऊं, जा गडडे में पडते हैं, में नोनव्ल मनुप्पकों नाइं हु। मौनतकोें में उन मान गया की नाइं हूं, जे समाच में पड़े हैं, जो नहें तु समनन नहीं कनता, ओतज वे तेने हाथ से काटे गय्े हैं| तु ने सुह् अतर्य॑त नीये गडरे में, अंचोयात में, गह्चौताओं भें डाला है। तेना क्षाप मुहे र॒व्ाय डालता है, तु ने अपने साने लक्ननों से मुझे दुष्प ढोय़ाहें,सोलाह। तु ने मेने यौनहानों के मुठ से दुत कोग्ना है, तु ने उनके आगे मुष्ठ घोनोत

बन

सह . गीत।

९७

श्प

कौय्ना है, व्रंद छोके भें नोकल नहीं रूकता॥ मंत्री आंप्य दुष्प के मान्रे व्रौल्ञाप कततों हैं, हे पनमेसन, में ने पत्ती दौन तह पकाना है, में ने अपने हाथ तेनों परलायरे हें। कया तु

मौनतक के अपना आसयनजौत दौषप्पावेगा ?

कया मीनतक उठके तेनो सतत कनेंगे ? सौलाह

कया समाच म॑ तेती कामल दया, और व्रोनारस में. हा + 3 कक, तेनो सयाइ का व्रच ने होगा ? कया तेने आस- 0 २-५० 3० ५2, के यनज्न अंचयाने में जाने जायेंगे ? औरत तेचा चनम झ्ुलावा के देख में ? पत्रतु हे पतमेसत, में तुछ्टे पुकाचता हुं, मेचीं पचाचथना द्रौच्दान के तु नोकेगौ। दे पत्रमेसत,तु क्यों मेचे पचान के। तयाग- ता है ? औजन अपना मुह मुष्ठ से छोपाता है] में प्र ऐप « / बे अं दुप्पी दो क्े लड़काइ से मचने पन हुं, में तेते अग् के। सह सह के घतद्नचाता हुं। तेते कनाच को ८-२ ते * 3७, दृपंट मु पन ब्रौतो जातो है, तेन जय मुष्ठ काट डालते हैं। वे पानो की नाइं दीन ज्ञत मुछ्े 2 ७. 29 नि लिक का श्र यानों आन चनते हें, उनहें ने फ्रकठ मुझ घेच लौग़ा है। पनोय ओऔन मीतन का, ओन मेने यो नहाने के अंघौय्ाजे में तु ने मुह से दुत्त कौय़ा है

नवांसोवां मोत। ९४८

छल नवार्स|वां गौत | हक. यजलाही इथान का उपदेस देना।

मैं सदा लें पत्मेसन की हृद्मा के गाया कन॒ गा, में पीढ़ो से पीढी ला अपने मंच से तेतीं सयाइ का संदेस देउंगा। कयोंकी में ने कहा है, को ट्य़ा सद। लॉ व्रनौ नच्देगी, तु अपनों सयाइ के सनग पतन सथोन कनेगा। में ने अपने यने हुए से एक व्राया व्रांची है, में ने अपने हास दाउढ्‌ से कौनोया प्पाइ है॥ में तेने ब्रंस के सदा सथोत्र नप्पं गा, औत तेने सोंहासन के सानो पौढो ले उच्ताउंगा, सोलाह | हे पत्रमेसत, सनग में तेने आसयजों को ओआतन सो'चोंत को मंडली ने तेत्रों सथाइ को सतत कौ जाय्गी॥ कयोंको रूनग पत्र पतमेसन के तुल कान हे। सकता है, औज व्लवाने के संतान में पतमेसन के तल के।न है। सकता है। इसन सोचो कौ सन्ना में अतयंत डनने के जाग है, उन सत्र का, जे उसको यानां आन हैं पततीसठा के॥ हे पनमेसन सेनाओं के इसन, तेते तल के।न व्रलवान पत्रम सत है, अथवा तेने आरु पास तेनौ सयाइ के तु

सम दत के हाहाकान पत्र पतरज्नुता कचता है, जद्र 8 35. 08%

६६० गोत

९४

रे

्ल

ब्‌्०

+ ५५

उसको लहनें उठतो हें, तु उनहें सथीत कत्ता है। कोसी जध हुए के समान ने नाहाव्र का ताड के टकड़े टकड़े कौया, ने अपनी ज्जा के व्रल से अपने व्रेनीयां के छींन ज्ञॉन कीया हैं। सनग तेने गन पीचथोंवो ज्ञो तेनी, जगत गन उसकी जतपत्ी ने ब्रनाइ। उतन ओऔजन दृप्पीन के ने सोनजा है, ताव्रत, औनल इहनमसुन तेने नाम में आनटौत छेंगे॥ तेता ब्रांच व्रल॒ सद्दीत है, तेना हाथ सकतोमान, तेता होना हाथ उंया है। चनम ग्रान व्रीयात तेत सोंहासन को दोच- ढ़ता है, दा औल रत तेने आग आगे जायेंगे। का 2००६ ४०, कर 2७०

जा तेने मंगल सव्रर का जानते हें, से। लाग 'चंन ९५ हे कर कर “528. «< ०५५,

हैं, हे पत्तमसन, वे तेने सन॒प को जोत में यलेंगे॥ तेने नाम में वे टोन जत आनंद कतें ग, तेचे वत्म _ मेंवे ब्रढ़ाये जायंगे॥ कयोंकी उनके ब्रल का व्रौज्नव तु है, जात तेती कौनपा से हमाने सोंग

जप जे अक बा बन

ब्रद्ाय् जायंग। करग्नांकी पत मस्त हमाना व्रयाव है, गन इसनाइल का 'वनममय इहमाना नाजा जहै॥ दतसन में अपने धतमनय से यह कह के बोला. को में ने ॉप्रके सामनथोी पत्र सहाय नप्पी है, में ने लाग में से फ्रक युने हूए के

ब्रढ्माय्रा। में ने अपने दाल दाउढ को पाया हैं,

२१५ र्र्‌

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रष्ठे

२५ २४६

र्‌3 सर्द

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क्त्र्‌ श्र

नवांसीवां गौत | 4

में नेडसे अपने पवीतन तेल से अज्ञो सी कत कींया है॥ मेता हाथ उसके साथ सथोत चहेगा, मत्तीं 5 आुजा ज्ञी उसे व्र॒ल देगी। व्रतती उसे नीयाडन सकेगा, गन दूसटता को संत।न उसे कलेस देगा। जे > हे नि ओज में उसके व्रतौयां के। उसके संसुप्प देमान गा, 3 4$०४७< 9. ! औन उसके चघोनवेयों के मनो से मानगा 3 ७! डर पत्तत मतों सयाइ आज मेत्ी दद्मा उसके संग होंगी, मेत्र नम से उसका सोंग व्रढ्ायरा जाय्रगा। में उसका हाथ ज्ञौ सम दत पन, औरत डसका टहौना हाथ नरौयदों पत्र नप्पगा। वह मुझे कह्ेगा, कौ त॒ मेता पीता, मत्रा इसन, ओन मेत्री सुकत का पनव्रत है मेंज्ी उसे अपना न्‍्ड डे | के छः पहौलांठा, औ।न पीनथधोवी के नाजाओं से ब्रंडा व्रनाउंगा। में अपनो दा सदा उसवो लौपणे बे ७-५ कक कर नप्पंगा, मेन्ो ब्र/या उसके साथ दौचढ हेगो॥ उसके व्रंस का ज्ञो रुदा ला सधौत कनु गा, बेन उसक सोंहासन के सनग के दौन ले। जे उसके ७०, ज् व्रालक मेनो व्रेवसथा का तम्मागें, औन मेत नयाद्यों पतन यलें॥ जो वे मनो ब्रौच का अपवोतत कनें, जल भेजी अगय्ाओं को पालन कनें ते में उनके पापों का छडी से, औन उनके अचनम का कोड़ें से पलटा लेडंगा। तथापों में अपने

१५४२ . गौत्त॥

३४ ९४ ह्‌ ३२७

श्प

ह्८

४३९

४8४

पत्तेम की दग्मा उस से व्रद्मतथ कन गा, ओन

अपनो सथ।|इ मीधयणा देने देउंगा। में अपनी ब्राया का ज्लंग कनु गा, आन जो मेने हेएंठ से नौकल गय्या, से व्रदलगा॥ में ने छेक व्रात अपनी पवीतवता की कौचय़ा प्याके कहा, को में दाउद से छठ व्रेल गा। उसका व्रंस सदा ले नहेगा, आन उसका सोंहासन मेने आगे सनज को नाइं ब्रता चह्ेया वुच्द यंदतमा को नाइं ओच

सनग में सथ साप्पी के समाम सदा सधीत्र चर्चेगा,

सौलाह॥ पतन तुने तेः दुत्र कौय़ा हैं, अन चौन कोना है,त॒ ते। अपने अज्न|सोकत से कनोच हुआ हैं॥ तु ने अपने दास के नोग्रम के व्रग्नतथ कौया है, तु ने उसके मुकुट के ज्ञम में अपवीतच कीय़ा है॥ तने उसकी सानी व्राड़े। के ताड डाल है, ने उसके टोचढ गढ़ें का व्रोनास कौया है॥

राने पथीक उसे लट ते हें, बह अपने पनरासयरों

के लोग .एकओआलान है॥ तु,्ने उसके सतचन के दच्ौने हाथ के उंया कौय़ा है, तु ने उसके

साने व्रेचोग्रों के मगन कौटा! है। न॒ ते उसकी

तलवान को चान का ज्ञी मोड दीया है, ओच जुच में उसे ठहनने होगा है॥ तने उसके ब्रन्नव के प्यो दौया है, ओच उसके सोंह/सन के

ष्ठेप

४७

है

३५

प्र

नव्ेवां मौत | ९५४१३

अुम पत् देमाना॥ मु ने उसको तन नाइ के टोने के अलप कीट़ा है, ने उसे लाज से ढांपा है

है पनमेसन, का तु सदा अपने के छोपाग

नहेग़ा] कया तेत। कताच आग को नाइ जलता नहेगा१ य्येत कन को मेत्रा समग्र कीतना थोड़ा है,तु ने मनप्प का कौस लौटे व्रद्मचथ व्नाग्ा है

कैन सा मनप्प जीता है, जे मोनतर का देप्प-

गा] क्या वुच्द समाच के हाथ से अपना पतान

व्रयावेगा सोलाह हे प्रजा, ते ने अगले पनेम बा 3 - हे: कर

को दा कहां है, जीने के कामनन तु ने दाउढ

से अपनी सयाइ की कौतया प्प इ। हे पत्मसन

अपने दस की नोंनदा का समनन कन,में'समसत

ब्रलब।ने| का अपनो गोद में लोये हुए हुं॥ हे

पत्तमंसन, जीस से तेन ब्रेती नॉनदा कलनते हैं, -

और तेने अज्नों सीकत के पांव के यो नह का नो नद। कनते हें॥ पतमेसन सदा घंन हे।; आमोन आमोन।

८० नव्वां गौल & इसने के जन मुस। को पनायथना ! दे पत्मेसत, पीढ़ी से पीढी ले हमाना नोवास सथान तुष्दी चद्दा। पहाड के उतपंन हेने के पहले,

(५४ गौत।

श््ः

१२ रे

अथवा पीनथीवी जैन जगत सोचजे गये, अनथात

समातन से सनातन लो तुष्दौ इसन है त॑ मनुष्य के। नास में परत देता है, जैन कहता है, को हे मनुप्प के सनातन परोतोा | कंग्मांकी सहसत ब्रतस केचे आगे कल को नाइ' हैं, जव्र व्रौत गया, औआच

0 + है 5७ -नात के एक पहन कौ नाइ' ले उनह जेसे व्राढ़

से लेजाता है, वे नींद में हें, चास की नाइ' द्रौहान के। पनपते हें। जो व्रोह्दान के लहलहातों है, औन उगती है, संचया के काटा जातो है, »नत मुनछ्ठा जातो है॥ कयग्योंकी हम तेने कनाच से असम हे गये, औ।न तेने कोप से व्रग्माकुल हुए | तु ने हमने अचनम को अपने आगे, हमानच गुपत॒ पाप अपने नप के पनकास में तप्पा है कं्ग्योंकी हमानी सानो व्रय्॒ तेनो कताव में फोन गइ, जैन हम।ने व्रतस चद्मान को नाइ हमाने जीवन के दौन रुतन ब्रनस हें, औन यदीौ व्॒ल से असौो व्रतस हे। जाय, तथापी उनका व्रल कलेस और दुष्प है, कग्रोंकी वह रीचन काटा जाता है, औरत हम जाते नहते हैं। तेने कतोच का पत्ता- कनतम केान जानता है 0 जेसा तेता डन,वंसा तेचा कोप है। से हमाने टोने का हम गोंने सोप्पा, फ़ैसा की हम गोयान में ऋपना मन लगावें | लेट,

*

९४

रू

९७

फेकानव्रेवां गीत) .. ५१ है पनमेसन, कठ्र लां] बन अपने सेवकों के ब्रौप्पप्न में पकछता। तड॒क अपनौ दया से हमें. तोनीपत कनत, जोसतें दम अपने जौवन ज्ञत आन॑-

ल्‍+ का 25०५ पक 30 50 को. दंत बैल मगन नहें दुप्प देने टोने के औरत १९ बे बिल व्रुताइ देप्पने के व्रचसें के समान हमें आनंटौत हे कन। अपना कातज अपमे दासों का, ओन 0 ट्रक है हि. अपना व्रोक्व उनके संतानें| का दीप्पला॥ ओन हमाने पतरज्ञु इसत की सदतता हम पत्र हेववे, और हमाने हाथों के कानजें का हम पत्र दीचढ़ !र 32: शक रे लि # आए रे कन, हां, तु हमाने हाथों के कानजें,केा टौनढ कतत रू? का . फकानवेवां गीत | जे की अतौ महान के गुपत सथान में व्रास कनता है, से। सनव्र सकतीमान -की छाया तले नि बे. जन कप 402. साधक टोौकगा। में पत्रमेसन व्रौप्पयय में कहुंगा, को मेंचा सतन ओज मेता गढ औतज, मेत्ता इसत, जीरु डे पत मेत्ता जगोसा है॥ वह नीसयग्र तष्टे ब्रद्माचा के जाल से, ओजच चेन मनी से सुकत देग।॥ वह्च जज्क शक कप को 2 ;:. तुछ्ठ अपने पन तले छीपावेगा, औन तु उसक पंप्प तले अनासा नप्पंगा, उसकी सयाइ तेनी ढाल औजच परनी जोगी! तु चात के अग्र से, अथवा दौन के उडते क़न से डनेगा। ओन उस

री

(५६ गोत क्‍ |

मनी से, जा अंचीय्यान में यलतौ है, जात उस नास से, जे मचग्रांन मं उजाड कतता है। तेने लग सहसत गीत बादेंगे, औन दस सहसन तेत दहीने ओन, पनंतु लमहाने पास आवेगी |

केवल तु अपनी आंप्पों से देप्पा कनेगा, औन

रहे

दुसटों का पततोफरल देंप्येगा। कंग की त॒ ने पन मेसत अतो महाल मेने सतन को अपना नौवास व्नाया दै। तुध् पत्र कोइ ब्रीपन पड़ेगी, औनच काइ मनी तेच नौवास के पास आवेगो कंयों की तप 9०8 हे कि रे ०५ तेने खाने मानगों भें तेनों नका कचने को अपने दुतों का तेने लौय़ अगद्या कतंगा | वे तुछ अपने हाथों पत्र उठा लेंगे, नच्चे। की तेन पांव पर्थत पत्र कि है] के पे लगें॥ तु सोंह, आन सांप पत्र पांव चनेगा, त॒

. सोंह के व्रथ, आन अज्गन का अपने पांव तले कय-

श्४

रै

कप कान "ओ। 3.९ कक न्‍

लेगा। इस कानन की उसने मुछ पन पनम नप्पा

है, में उसे. व्रयाउंगा; ओन में इस लौग उसे 9 की ; |

व्रढदाउंगा, की उसने मेत्रा नाम प्रहोयाना है।

रा री विस जे > आग

मेत्रौ पत्ाचथना कतगा, ओजल में उतन देखंगा,

: ब्रौपत में में उसक रुंग हे।डंमा, में डसे छडाडंगा,

र६

झैन उसे पत्तीसठा देडंगा॥ में उस की ब्रग्म व्रढ्मा के उसे सतुसट कनुगा ; औन अपनी मुकत को उसे दोप्पाउंगा। &

रै्‌

/9

ब्रानवेबां गोंत १४७

6२ व्रानवबां गौत गौत अथवा गान, ब्रोसनाम रोन के लोग

पत्मेसन का घन मानना, ओऔजन अतो महान के नाम को सत॒त गाना जला है! दस तान के व्राजे पतन, ओपन व्रौन, ओअन मुनयंग स॒दत सब्रद से ब्रजा वब्रजा के। ब्रौह्दान का तेने कोमल पनेम का, आल चात के। तेची सयाइ के पतगट कनना | कग्नोंकी हे पत्तमेसत, लु ने अपने कानज से मुष्ठ आनंदौत कौग़ा है, में तेन हाथा की कोनीग्ा से मगन ऊहूंगा। हे पत मेसन, तेते कानज कया हो बड़े हैं, ओन तेती योंता अतो गइनी हैं पसवत जन नहों जानता है, आन मुनप्प उसे कटा समुछ्ठता है। जब दुसट घास की नाइं उगते हैं, आन साने ककतमभी कमहखाते हैं, यह इस लीय हैं, को वे सटा नास हे।वें॥ पनंत पत्मेसन

लु सनव्॒दा लें महान चद्देगा। कल्नोंकों हे पतमे-

९५

र्रे

सत, देप्प, तेन ब्रैतों कयोंकी देप्प, तेने द्रेची नारु

होंगे, साने कुकतमी छोन जन होंगे। गैंड़े

की सोंग की नाइ मेने सोंग ब्रढ़ावेगा, पनत में टट के

तेल से अज्नोल्ोंकत देउंगा॥ पतंत मेनो आंप्प

मेने व्रनोद्यों के देप्येंगी, अल मेने कान दुसटों

के, जा मेन ब्रीनाच में उठते हैं, सनेंगे। चनमौ ॥.१॥ (,,

१४८ गीत

रहे

९४ रैप

हक ताल पेड की नाइ लक्षलह/(वेगा, ओर जलब्नान के सना व्र।नक् के समान व्रढ़ेगा। वे, जे। पनमे-

; [8.. के हिनक ७० की पे रूतन के घन में लगाये गय्य हैँ, हमाने इसन के

आंगन में लहलहादेंगे। वे ब्रढ़ापे में परलेंगे, वे. मोटे औजन इहने देंगे। जीरुतें पतगट कच, की

का 389. 4 पनमेसत मेला पनव्रत्न प्पता है, उस में अनीत नहों॥

लोंनानवेवां गोत। पनमेसतच ताज कतता है, वुच् व्रौज्नव का व्ररुतत

पह्ौने हुए है, पत्मेसन व्रल से वौज्जुरौत है,उसने अपनो कट वब्रांची है, जगत ज्ञो सथीन है, की

वह टलाग्राजा नहों सकता॥ तेता सॉंहासन तब से सथीतर है, तु सनातन से है। हे पत्रमेसत

रै,

व्राढ़ उठ हैं, औजन व्राढ़ों ने अपना सब्र॒द उठाया, व्राढ़ें ने अपनी लइन उठाइं। महान पन्मेसन

ब्रहूत से पानौयों के सब्॒द से, अःन सम दत कौ

व्रडी लहननों से अती सकतोमाँन है॥ तेनों सा- $ + ९५ बार प्यीयां अतयंत्र सयी हैं, दे पतमेसन, सनव्र॒द्ा तेन मंदीन के लोग पवीततता उयीत है ये।नानवेवां बीत है पतमेसन, व्रेव लेने वाले इसन, हे ब्रेन लेने

शऔनानवेवां गींत॥ "५०

वाले इसन, पत्तकास हो। हो पोनथोवोकके व्रीं- यानी उठ, ओऔन घमंडौसों का पलटा दे।

पनमेंसन,दुसट कव् ले दुसट कब्र ले परला करने गे? वे कब्र लों कठान व्रयन नौकालेंगे? औजच सात

कुकत्तमी पर,ला कनंगे॥ डे पत्रमेसन, वे तेचे

प्र

९४

लोगों के टुकड़ा टुकड़ा कनते हैं,औ।च तेन अचौ-

कान को दुप्प देते हैं। वेनांड का, औच पतच-

> कु 5 2३३० द्ु ७०. ३५३

देसी के। चाल कनते हें, आन अनाथों के चात *.. २३९० ०५% 4 वि

कन ते हें। तथापो कचइते हें, की पतमासन

आए परों

देप्पेगा, आन द्राक॒व् का इसन योंता कचंगा

अने पसुवत लेगा, समहा, औज अने नुतप्पा, तुम

कर ०२ जात

कब्र ब्रुचमान हे।ओग ? करयां जीत ने कान

दौंय़ा, वह सुनेगा जौरुने आंप्पंव्रनाइं, कया

बुच्द देप्पेणा? जे अनदेसों के। ताडना कनता

है, कया वह सोप्पा देगा ) जे मनप्प का गय्यान

देता है, कय्॒। वह जानेगा पनमेंसन मन प्प की

' “थींतां का जानता है, को वे मोथय्रा हें हेपन

मेसन, जीसे ताडना कनता है, से। मनप्य चयंन है, और अपनो ट्रेवसथा में से उसे सोप्पाता है। जौसतें तु उसे ब्रोपत के ढोने में येन देवे, जब्र ला की दुसटों के लौश्रेगडहा प्पादा जाद्॥ कग्मांकी पतमंसन अपने लागें के दुत कनेगा,

९६० गोत।

९१

| रह

श्ध्ह र्‌्०

२९

औन अपने अचौकान के तयागेगा। पनंत चनम के लौग् ब्रौयान टपकेगा, ओजन सान प्पने अंतः कननोी उसका पौछा कनेंगे। रेत लोग दुसटों पत कान उठेगा, मेत्रे लीग अचनमौयों का कैन सामना कनंगा 0 जे पत्रमेसन मेना सहायक हे।ता, ते तनौक था, की भेत्ता पतान युपके में नहता | जव्र में ने कहा, को मे ता पांव परी सील ता है, तव्र हे पत्तमेसन, तेतो दया ने मुष्ठ थाम लौगा | मेत्त मन की अचीकाइ को याते में तेनीं सांती ने मे पत्रान के आनंदौत कोग्ना। अचनम के सोंहासन, जे व्रैवसथा के दुवाता व्रुताइ ठचह्चाते हैं,तुष्ट से कछ मेल है। वे चतमो के पतान के व्रौ- नोच में ्ेकठे जोते हें, ओन नीनदेप्प लाहु

२२ के देप्पी ठहनाते हैं पंत॒ पतमेसन मना

२३

व्रयाव है, औ।न मता इसन, मेने सनन का पहाड़ वह उनहों का अचनतम उनहीं पत्र लावेगा, उनको दुसटता में उनहें काटडालेगा, हां, पतमेसन हमाना इसन उनहें काटडाले

« पंयानवेवां भोत

आओ, हम पतरम सन के लीये गाव, आओ हम अपनी मुकत के पहाड़ के लोग आनंद का सव़द

|३

पयानववां गौत। 6९

» क५ 42 कनं। आओ। हम चंनव्राद कतते 5ऊए उसके आगे जावें, आन गन से आनंद का सद्द कनें।॥ कर्म्ोंकी पत्तमेसत महेसन है, ओऔ। वुच्द साले देवों

पल महानाज हैं| जोसके हाथ मे पीनथीदी को गहोनाइय्ां हैं, पहाड़ों को उंय इयर ज्ञो उसी

को हैं। जीसका सम दच हैं, औ।न उसने उसे ब्रनाद्रा, आल उसो के ह।थों ने सुप्पी का डे।ला कीय्ा आओ हम दंडवत कनें, औन लक, औरत अपने कतत। पत्मेसन के आगे घुठने टेके। कर्यों- की वृद्द हमात्ा इसन है, औजन हम उसके हूड के लाग, उसके हाथ को भेड़ हैं, आज के दोन जे। तुम उसका सद्॒द सनेग॥ ते अपने मन का कठोच मत कने, जेस।| छगड़े में ओऔन पनीकछा के दौन वन में कोग्रा। जब्र की तुमह।ने पींतनां ने मुझे पत्प्पा, आन जांया, औन मेत्रा कानज देप्पा। यालीस व्रतस लें में उस पीढो से उदास था, में ने कहा, कौगय् वे हैं, जे। अपने मन से यक कनते हैं, ओत मेत्ते मानगॉका पक्दौ- याना॥ उनके कानन में ने अपने कनाच में कौतणय़ा प्पाइ, की ग्रदौवे मेने शथेन में पनवेस कनें॥ .. &

(5

शहर गोत

श्र

4६ छयानवेवां गीत

पनमेसन के लौय नया गोत गाओ।, सात्ी पीन- धीवी पनमेसन के लोग गावे। पत्रमेसन का गान कनो, उसके नाम का चंन माने, औ।न पनती दौन उसकी मुकत के। पत्गट कतो | अनदेसीयरोांम उसको महीमा का ओजन साने लोगों में उसके आसयनजे का संदेस देड॥ कर््नोंकी पतमेसन महान, औन अतयंत सतत के जे!ग है, साने देव से अचीक वह अगर के जेग है। करग्योंकी जात गने के साने देव मुत्रत हँ, पतंत पत्तमेसन ने सनगों के सौनजा। पनतीसटा ओन मच्ौमा उसके आगे हें, व्रल औच संदवता उसके चतम चाम में हे लाोगो के पत्तीवाता, पत्रमेसन के जाने, औनच पताकतम जन महौमा पतमेसन ही की जाने।। पत्नेसत के नाम को ब्रड़ाइ कता, अंट लेके उसके आंगने में आओ। मच्चौमा के चनमचाम में पत्मेसत के अ्जजे, हे सानो पीन- धीवी, उसके आगे डना। अनदेस्तोयों में कच्चे, की पत्रभेसत ताज कलता हैं, जगत ज्ञों सथोत नहेगा, जो सतें वह टलाग्रा जाय, वह घनचम से लागों का ब्रीयान कनेंगा। #७सनग आनंद कनें, औतन पौचथोवी मगन चेवे, समंदत औ।न उरुको

श्र

रैरे

सतानवेवां गोल . #९क९

अचपुत्ती हा हा करते प्यपेत औज जे उस में हैं, आनंदौत हेवें, तव्र व्रन के राने पेड पनमेसन के आगे आनंद कनेंगे कर्ग्योंकी वह आता है, वक्त पौचथोबी का नग्रागञ्न कतने के। आता है, वृच्द सयाइ से जगत का, औनच चत्तम से लोगों का नयाद्र कनंगा

«७ सत्तानवेवां गोत

पत्र मेसतन नाज कनता है, पीनथीोवो आनंदींत है।वे, व्ड़े ब्रड़े टाप इतसीत होवें। मेचआ।न अंचौयाने उस के आस पास हैं, चनम जन नयाय उस के सोंहासन को सथोचत* है फेक आग उसके आगे आगे जाती है, ओऔ।न उसके व्रेनी यों के ययात्रों आल जलातो है। उसकी व्रौजलीयों

- मे जगत के उंजौम्नाला कीया, पी नथीबी ने देप्पा,

औन थनथता उठो॥ पहदड पतमेसन के आगे, अनलथधात राने जगत के पत्रन्नु के आगे, मोम को नाइ पीघल गय्य सनग उस के चतम के पतन गट कच ते हैं, ओजन राने लाग उस के व्रौज्नव के देप्पते हैं। जो प्पादों हुइ मुनतौन के पुजते हैं, ओनच ब्+ पनतोमा की ब्रड़ाइ कनते हैं, वे सब्र इदीया ड् जायें, खाने देवगन उसको सेवा कना सेहुन ने

९६४ - गौल॥

सुना, ओच मगन हुइ, तेने ब्रीयान के कानन ; हे पनमेसत, ग्हुदए। को व्रेटोयां आनंदोत ऊहुइ | क्प्मोंकी हे पतमेसत, तु सानीं पीचथीवी पत्र महान हैं, तु से देवों से अतयंत व्रढाया गंदा १९१० है। हे पनमेसन के पनमोयों, व्रनाइ से घौन कप < डे किक हर हट कना, वुच्त अपने सौचों के पतानें को चका कचता है, वच्दो उनहें दुसटों के हाथ से छडाता है ! ९५९५ घनमौयण्रों के लोग उंजौद्राला व्रोय्रागया है, हि] 7 अं 2 हि. ७९

१२९२ आनंरता प्पन अंतःकन नोयों के लौग्रे है हे चत- मौदो पतमेसन से अनंदोत हे।ओ।, औ।त उसको

पवीततचता के समनन के लौटे चंनव्ाद कततो

हि €प्य अठानवेवां गोत

पनमेसन के लोसे एक नया गौत गाओ, कयोोंको

पु ०. के | उसनेआसयनज कानज की हैं,डस के ट्हौने हाथ ओत पवोतत जुजा ने उसे जय दोंलाया है। पत- मेसन ने अपनो मुकत के पंनगट कोना है, उसने अपने चतम के अंनदेसोंयां को दोंनोसट मे पत्रगट कौया है। उसने इसनाइल के घन,ने . के लोग अपनी दया, ओऔन सरूथाइ का समनन कोय्ा दें ; पीनलथीवोी साने प्पटों ने हमाने इसनच की मुकत को देप्पा है। हे सानी पोनथीवी पन-

>> >> अओंं॥ «>- >>

लॉनानवेवां गोत। १६१५

मेसत के लीटये आनंद का सव्॒द कन, व्रड़ा सब्द कन के आनंदोत हे, जैन सतुत गा। व्रौना से पनमेसन के लौटे गाओ।, व्रीना से औन गान के सब्॒द से गाआ। तुती ओन ज्ञेत्रो ब्रजाते हू पत्रमेसत ताजा के आगे आन का सव्॒द कने।। समंदत ओन उसको अतपती हा हा कनें, औन जगत, ओ।न उसक नहनेवाले। व्राढ़े साली - ब्रज्ञावें, पहाडौय़ां पत्तमेसन के आगे मील के आनंदोत होतवें॥ कग्रांको वह पीनरथोंवी का नयाग्र कनने आता हैं, वह चनम से जगत का ग्रान प्पताइ से लागों का नय्माय कनेगा | €ं€ नॉनानवेबां गोत।

पनमेसत ताज कतता है, लाग थतथतावें,वह् कतो- ब्रीस्ों के मच ब्रेठा है, पीनलथौवी डगमगावे | पनमेसन से हुन में महान है, जन साने लागों से व्डा छे। वे तेत व्रड़े, औनल जअ्ग्नंकत पवौतत नाम को सत॒त कनें। नाजा का ब्रल ज्ञौ च्रौयात से पोनीत नप्पता हे, तु सथाइ का सथीत कतता है, औन नयाद्र चत चनम ग्राक॒व् में कतता है॥ पनमेसन हमाने इसन को व्रढाओ, अाच उसके यनन पत्र हुको, कर्ग्ोंकी वृष् पत्रौतन है

९६६ गोौत।

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मुसा हानन उसके जाजकों में, औ।न समुइल उन में, जे। उसके नाम लेते हैं, उनहे ने पतमेसन की पत्तालथना को, औजन उसने उनहें उतन दौखा | वच् मेच के प्यंत्ने में से उनसे व्रोला,उनहे। ने उसको दो हुइ, साप्पीयों ओन व्रौच को पालन कौगा हे पतमेसत हमने इसन, ने उनहें उतन दौशय़ा है इसन, त्‌ ने उन पत्र छमा कौया, यदपी तु ने उनकी ज्ञावना का पलटा उनसे लोया॥ पनमे- सन हमाले इसन की व्रड़ाइ कनतो, जै।न उसके पवो- तन पह।ड के आगे दंडवत कनो, क््नोंकी पतमे- सन हमाता इसने पवीतन है

१० सावां गौत। सतत का गीत | है सानी पीनथीवोी, पतमेसन के लोंये आनंद का सत्रद कत॥ आनंदता से पतमेसन को सेवा कच, . गाते हुए उसके आगे पहुंय। ७जाने।, की पनमे- सन इसन है, हम ने आप को नहीं, पततु उसी ने हमें सो लजा, हम उसके लेग ओऔनल उसकी यचाइ दीं हअड़े हैं। चंनव्राद कतते हुए उसके पराटकों में, औन सतुत कचतते कु उरुके आंगने में पतवेस कनो ; उसका चंन माने।, उसके नाम का चंनव्ाद

फकसे।एकर्वा गौत १६७

. कनो॥ क्ग्मांकी पतरमेसत अला है, उसकी ट्य़ा सदा है,ओऔ।न उसकी सयाईइ पोढ़ी से पोढो ले है।

पक. है ०६ फकसोफ्कवां गौत॥, दाउाद का गौत

मैं दया नग्न के ब्रीप्पय् में गाउंगा,

हे पतमेसन, में तेने आगे गाउंगा। में याकसी से सोच मानग में यलुंगा, हायर तु मुष्ठ पास कब्र आवेगा] भें सोच मन से अपने घत्र में टहलंगा

में अपनो आंप्पों के आग द्र॒नी ब्रर्ूत के चप्पुं गा, में झट के हूओं के कानज से ब्रेन नप्पता हुं,

8 बच सुट्ट से पीलया चह्ेगा। सुध् से कटौल अंतःकतन दुन हेग़ा, में दुसट जन से अगय्यान

चहुगा॥ जा छोप के अपने पतोसी पत्त पर॒स पर॒साता है, में उसे नसट कनुमा, जे उंयौ दौ- जोसट औन अज्ञोमानों मन तप्पता है, में उसकी

दसहुगा॥ मेत्ो आंप्प पौत्थीवो के व्रौरुवसतें पन होंग्री, को वे मन संग चह्ेें, जे सौच मानग में

यलता हैं, से मेती सेवा कत्रेगा॥ जे छलो है से मेने चन में चहेगा, औअन हंठा मेत्रे आगे

सथीोत्र दवोगा॥ में देस के साने दुसटों को

१६५ गीत

सवेन नास कन गा, जब ला पत्रकेसत के नगन से साने ककनमौटणों को काट डाल

९०२ फेकसा दुसना गोत

दुष्पीद्रा की पतानथना जब्र वुच्द डब्ाय्रा जाके पनमेसन

६8“. के के आगे अपना दुष्प व्रतन कतता है।

९. हे पनमेसत, मेनौ पतानथना सुन, ओऔतन मेना

्‌

9

नाना तेन आगे पहुंये। मेन दुप्प में अपना म'ह मुष्ठ से छोपा, मेती आन कान छका, जीस दोन में पतानथना कन , सीचन मुष् उतन दे॥ क्यों को मेन द्ोन 'चुछ की नाई मौट गद्य, औन मेचों इडोयां यूलहे को नाइं जल गइं॥ मेत्रा मन माना गय्या, आन चास को न';इं मुतष्ठागग्मा, ग्रहां लें कौ नोटी प्याने का मुह यत नहीं | मेने कनाइने के सव्रद से मत्ती हड़ीयां मत्र मांस से सट गइं। में व्रनेले गड़न के तुल हुआ, में अतन

जन » का छलु व्रना। में जागता हुं, औजन गोने की

१.०

नाइं छत पत केला हुं। मेत्र ब्रेती दीन अनच मेनी नोंनदा कनते हैं वे, जा मंत्र द्रीनाच में उनमत हैं, मेने ब्रोनाच में कीनया प्पाग्र हैं॥ में नोटो की संती चुल परांकता हू, छै।न अपने पानो ०७ " >>.

में आंस मौलाता हुं॥ तेव जलजलाइट, ओात

रे

रैर्‌ रहे

रे

रह

श्‌छ

फ्‌ड

र्‌्० रेड

श्र

>> $ एकसे दुरुता गोौत श्ह८

कोप के कानन से, क्योंजी तु ने मुह्े उठा लौय़ा, औजन दे माना | मत्रा व्रय्न छाया समान घटता है, औन में इनचग्राली की नाइ मुनष्ठाया हुं॥ पनंतु हे पतमेसन, तु सदा लो ब्ता चर्ेगा, औआच तेता समतन पौढी से पौढठी लें तु उठेगा, आन से हनन पन दया कन गा,कर्नों की डढरछकी कौनपा का समट,ह!, उसका ठहनाय़ा समय पहुंया है। कयों- को तेने सेवक उसके पथनों से मगन हे ते हैं, औच उसकी धुल पत्र अनुगोतह कचते हैं॥ अनदेदी पत्रमेसत के नाम से डनंंगे, औ।च पीनथीवी राने

बम नाजा तेनौ महोंमा से। जयम्र पममंसत्र सेहुन

को व्रनावेगा, लब् बच अपने फ्रेसलय़ में पतगट हेगा। वुचद्द अनाथों कौ पत्ानथना को ब्रुछ्ठ॑गा, औन उनको पत्रानथना को तक जानेगा॥ अवेज़ा पीढ़ो के लीयेग्रह लीप्पा जाय॒गा, लाग, जे। उतपं हे वेंगे, पत्तमेसच को सतुत करनेंगे। कंग्ोंको पतमेसन ने अप ने चनम चाम की उयाद से लांका है, पतमेसन ने सतग पतन से पोतथोवों पत् देप्पा। जोसतें ब्रंचुण का कहचना सुने, जौसते मीन | के संतान के छझत्रे। जोसतें वे सेहुत में पतमेसन दा नाम प्रतगट कन॑, ओन

स्ौनासलोम में उसकी सतुत कने। जतव्र कौ लाय 0 (७

१५७० गौत।

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3 रद

औल चाज पत्मेसत की सेवा के लोग एकठे हुए हैं॥ उसने मानग में मेन! व्रल घटादीया, जन मेनी व्रद्य के। चटाट्रा में ने कह, हे मेने इसन, मेने दोनों के मच में मुह्ठेन उठाले, तेने व्रचस सानी पीढ़ी लें हैं। ने आनंज्न में पौनधीवी को नेवें डालो है, औ।ल सनग तेने हांथें का कानज है॥ वे नास हेटरेंगे, पनंत सथोन नरेगा, हां, वे सत्र वरस्तन को नाइ पनाने द्ोजायगे, उनहें पहौनावा की नाइ' पलटडालेगा, ओजन वे पलट जामरेंगे॥ पत्र तु फरक्सा है, आन तेने व्रनसे का अंत नहीों॥ तेने सेवकें के लडके व्रने घहेंगे, औन उनके द्रंस तेने आग सथीनत चहेंगे॥

७... आई नी ०३ प्कसा तोौसना गोत | दाउढद का गौत है मेने पत्तान, पनमेसन का 'चंन मान, ओऔआनच सब्र, जे। मुष्ठ में हैं, उसके पबीतत नाम का चंन मान हे सेन पच्ान, पनमेसन का चंन मान, औन उसके साने अनुगीनचेेय के मत जल जे कि पे च्च गक सह> * 5 बच् तेने साने अचनमों के छमा कत्ता है, ओऔत 5 5 हम 0 कस + + शिकेल ८. तेने साने नोगों के यंगा कनता हैं। वह तेने प्रतान के नास से छड़ाता है ,वुच्द कोमल दया

फ्रेकसा तौसता गीत॥ .. ९७९

औैन अती पनेम का सुकट तध्ू पत्र तप्पता है

वच्च तेता मह अझलाईइ से तोंनीपत कनता है, तेची

28 कर ९३ ९४

रू रै्ई

तननाइ गीच की न।|इ नव्रौन चेतो है। पनमे- सन सान सताये ऊफ के लीटेचनम, आन ब्रीययातत कतता है। उसने अपने माचग मुसा के, अपने कान इसनाइल के संतानें के जनाया | पत्मे- सन दृग्माल, ओन अनगताह क्र, कोच में चौमा, आज ढया में व्रड़ा है॥ वच्च सदा ताड़ेगा, वह सदा नीसभ्राता चद्देगा। उसने हमान पापों को नाइ हम से ट्रेवहाल नहीं कौया, और हमाने अचनम के समान पलटा नहीं दौदया॥ कयोंकी पौनधीवो से सतग की उँयाइ के समान उसके डमवैदों पत्त उसको दया व्रढी है॥ जेसा पछतौम से पतव्र दुत है, तेसा उसने हम।ने पापों के हम से दुत्त कीया चै। जेसा पीता अपने व्राल के पत्र मय्ा कतता है, तेसा पत्मेसन अपने डनवस्ों पतत मद्मा कतता है। कय्रोंकी वह हमाने आकान पहौयानता है, वह समनन कनता है, को' हम चुल हें। मनुप्प के दौन घास कौ नाइ. हैं, वह प्पेत के पएल को नाइ लहलहाता है। कपग्ोंकी पवन उस पन व्रह्नता है, ओऔ।न वह नहीं है।॥

६७। ९८ औन उसका सथान उसे जानेगा॥ पत्रंतु

९७२ गौत॥

रब

२०

परभेसत की दया उसके डमवेदोों पत्र सनातन से सनातन लें है, ओन जे उसके नीयम के चानन कनते हैं, औन उसकी अगयाओं के पालने के गिये ५० कद 3005 लीटर समचन कनते हें, उसका चनम संतान के संतनें पत है॥ पत्रमेसल ने सनग पत्र अपना सोंहासन सौच कोंया है, ओऔच उसका नाज सत्र पन पनरज्नता ववता है॥ हे उसके दुते व्रल में सामनथी, जे। उसकी अगस्राओं पत्र यलते हे, औतन उसके व्रयन के सद्॒द के सुनते हे।, पत्मे- * ६४) कि सन का चंन माना)! चे उसकी सानी सेनाओं औओऔ।न उसके सेवके'जे। उसकी इकछा पत्त यलते हे।, पत्मेसन का चंन माने। हे उसके साने कानजोे, 2 सह मी के हे. * उसके चाज के साने सथा ने में पतमसन का चं माने, हे मंत्र पत्तान,पतमे सन का 'चंन म।न

से के १९१०४ फ्क सा यथा गीत

है मेच्े पतन, पतमसन का 'घंन मान॑, हे पतले- सन मच इसन, तु अतो मह।न,तु पत्तौसठा फ़ेसनय से ब्रोमसोंत है॥ जो व्रसत्रच कों नाइ' जात के ओआढ ता है, ओऔं।न सनगों के घ॑ंचट

की नाइ पफरेलाता है। जा अपनो कोाठउनो यों

9'कसेा यैथा गौत ९५७७

की कौननें के। पानो यों पत्त नप्पता है, ओ।न मचा +0५ के। अपना नथ द्रनाता, और पवन के उना पनर यलता है॥ जे अपने दुते। के आतमा, ओन पे « बड ऋृौ > अपने सेवके| का आग को लबन व्रनाता है जोसने पीनथोवी के। उसकी. नव के आचानों पतन नप्पा है, की वुद्द कन्नौ टलाइ जाग्र॥ स॒ने उसे व्रसतत की नाइ' गच्चौनाव से ढांपा, औन पानों पह।ड़े के छपत उठच्चच गद्य वे तेने दृपट से ज्ञाग गये, जैन तेने गनश्नन के सब्द से हट जाते नहे॥ वे पहाड के उपनजाते हैं, ओऔन ऐप 9 ०. पा तनाइ केलग उस सथान में, जोसे तु ने उनके ३. है. 7] “5 लोग व्॒नाग्मा, जाते हों तु ने फ़ेसा सोवाना ब्रांचा है, की वे डर से पान नहों जा सकते, औन पोचधीवी के! फ्रीन के ढांप नहीों लेते॥ जा सेते के नौयाइ में ज्जता है, जे पहाड़े में ३५० वि व्रह्ते हैं| वे प्पेत्त के इन के पसन को पौलाते 0५५ +५ च्ढे हैं व्नेलें गदद्दे उनसे अपनी पौटास मीटाते हैं उनके आस प।स आकाल के पंछी व्॒सेंगे, जे। डाल ३० ह& डाल पन प्यहुयहाते हें। वुचद्द अपनो काठ नौयों से पनव्रतां का सोंयता है, औन तेत कानज के परलां से पीोनथीवी तीनीपत है.। पसु के लोग

च।स, औनच मन॒ष्प की सेवा के लोग हतग्रालौ वही (0० (६,

५७४ गीत।

रै पु

रद १७

नरक

रहे

र्‌४

२५

उगाता है, जोसतें वह उनके लोग पीनथीवीं से

आह।त उतपंन कते॥ औतन मदीना, जे मनुप्य

के मन के मगन कनती है, ओ।न यीकनाइ, जा

मुक्त के यमकातो है, और नाटो, जे मनुप्प के

मन के व्रल देती है॥ पत्मेसन के पेड अनथात

७] 4० २2 कर & ०९ बी.

लब्रनान के सना, जे। उसने लगायो। जोस में

पंछी प्पोंते व्रनाते हैं, औच द्रकला का व्रास देव- ३८

दाजु पेड़ों पत्त है, चस से जनपुत है | उंये पद्ाड तो 2, हज ०७ 5

ब्रन व्रकनीयों के लौय, औन प्पत हे के लोग पनव्रत

3 ०. से $ 805.

सतन दै॥ वच् नौतन लोग यथंदचमा को

ठहनाता है, औच सुन त्र अपना असत हेना पह्ौ-

'यानता है। तु अंचौग्राता कनता है, औनच नात

होती है,जौरु में साने व्रन पसु परोचते हैं। सो व्र्ये अपने अच्देच के लोग गतजते हैं, औ।ल इसनच से अपना आहान ढुढते हैं। सुनज उदय हे।ते ही वे फ्रेकठ होते हैं, औल अपनी अपनी मांदें मेंजा ब्रैठते हैं। मन॒प्य अपने क/चज के लौशे, औन अपने पत्तौसनम के लौये सांछ लें व्राहन नोकलता है हे पत्रमेसत तेती चयना कपय़ाहौ व्रह्न है, तु ने उन सन्नां का ब्रुच से ब्रनाय्ा है, पीनथोवी तेने चंन से पतन है। ग्रह ऐसा व्रडा, थड़ा समु'दत है, जीस में अगनीत नेंगवैगे

२६

२3

सर्द

शर्ट

हे रै,

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३४ ह५्‌

फ्कसे। यैया गीत॥ श्स्पू

है.

छोटे व्रड़े जंतु हैं। उस म॑ जहाजें यछती हैं, कै।न तु ने लवब्रीयरांतन के उस में कलेल कनने को ब्रनाम्ना है। ग्नसव्र तेनों आन तकते हें, जौसरुतें ले समय पत॒ उनका आहान पहुंयावे| जेत उनहें देता है, सा वे लेते हैं, अपनी सुठो प्पोालता है, ते वे उतम द्रसत से तौनोपत हे।ते हं। तु अपना मुंह छोपाता है, वे दुपरी होते हैं, तु उनके सांस के। परेत्र लेता है, वे मनजाते हैं, अऔैच अपनी चुल में फ्रोन जाते हैं। तु अपने आतमा का ज्जजता है, वे उतपंन हे।ते हें, औन पीतथीवी के सत॒ का नव्रोन कतता है। पतमेसन का एसनस्र सन दा हे।वेगा,पत मेसन अपनो कौन प। से आनंदौत दहे।गा बच पीनथीबों को देष्पता है, औन बुद्द थत वताती है, वह पहाड़े| के छता है, औ।न उनसे 'चञआं उठते हैं। में ते जव्र ले जोता नहुंगा, तव्र लें पत्तमेसन कौ सतत कन गा, में जब्र॒ ताइ' जीता चहुंगा, पत्मेसत के! सनाइता नहुंगा। मेचा चय्रान उसके व्रीप्पय में कयारी मीठा है, में पतमेसत से आनंदौत चेउंगा। पापी अम पत्र से नास हे जावें, औजन दुसट हें है मेत पत्तान, पतमेसन का घंन मान, पत्रमेसन की सतत कना

९७६ गौत |

०५ फेक से पांयवां गौत

पत्रभेसन का 'चंन माने, गन डसका नाम लेओ।, जैन खागां में उसके कानजें के! व्रननं कना।

उसका गौत गाओ., उसकी सतत ग।ओ, उसके सत्र छह आसयतज कानचजें कौ यनत्रया कना॥ उधके

र्‌

श्र

पबौतत नाम को व्रड/इ कनो, पतमेसन के प्पा- जोझों का मन आनंदौत चेवे। पनमेसन के औन उसके व्रल के ढंढे, सदा उसके तप का ढुंढे।। जे उसमे दस इव्वाहौम के व्रंस, औनच उसके यने हुए य़राक॒व्र के घत्ाने, उसके आस- यमनज्ञ कानज, औ।ल आसयथनजे के, जे उसने कीय हें; औान उस के के व्रौयात का समचन कनोा। वहों पत्रमेंसत हमाता इसन है, ओर सानो पीनथोवों में उसका नय्ाय॒ है। उसने अपने नौटम के, ग्रात्त उस व्रयन के, जे। उसने सह- सन पौढ़ोयों से कहा, यत नप्पे जो उसने इव्- नाहोंम से कौया, औन इसहौोक से कोनींग्रा प्पाइ। औन उसे उसने ग्राकब्र को ब्रैबसथा के लौगे, औ।न इसनाइल के लौटे सतव्॒दा के नीयम के काचग ठचह्नाके कहा॥ की में कीनांन की अम तहे देडंगा, य्द्व तेने अचौकान का ज्ञाग है। जब की वे गीनतोौ में घोड़े थे, हां, व्रकूत थे।ड

पैर श्४

रण

रै्ई ९७

शुष

रै है र्‌०

२९ कद

२३

रष्ठ २१

२४६

छेकसे पांयवां गौत (७७

औ।न उस में पतदेसो थे | जव् वे देख देस, कल नाज नाज में परोता कौटय्र। तव्र उसने

2७... हक हैः. कट कौसी को उनह सताने टोगय़ा, हां, उसने उनके लौट नाजाओं कोयोों ह्पटा॥ कौ रेत अज्नी-

दा 23| कल... ७० जे कक सकत को मत छुआ, आन मने जवेसदव्॒कतें को नसताओ।। ओत व॒ुह उस देस पत्त अकाल लाग़ा,

हर है >> लक. छा हट. हैः.

उसने नोटों के साने टक के ताडा। उसने उन के आगे फेक मनुप्प, अनधात ट्रुसपर को ज्ञेजा, जा दास हे।ने के लोसे ब्रया गद्या। जोसके पाओं कैट 3... 5. को # के उनहों ने सौकतरों से दुप्प दीया, उसका पत्ान लोहे में पड।। जद्र ला पतरमंसन का व्रयन पत्ता हुआ, उस के व्रयन ने उसे पतप्पा। चाजा ने जेज के उसे छडायदरा, लागें के अचछ ने डसे छाड दौसा उसने उसे अपने घन, ओऔ।न अपने साने अचौकान पत्र पतचान कोया॥ को उसके अचकछों के मनमंता ब्रांच डाले, औन उसके मंत- नौयों के व्रुघ सी प्प्लवे। इसनाइल ज्ञी मौसत में आया, ओऔनगय्राक॒व् दाम के देस में दौका॥ बैन उसने अपने लोगों के व्रहुत व्रढ।या, औन डनहें उनके ब्रेनीयों से व्लवान कौग्रा अपने लेगों से और अपने सेवकों से यधु|त्ाइ से व्रेवद्दात कतने को उसने उनके मन के परेत्ा॥ उसने

]

श्प्थर गोत।

आर

३०७

कप है." बस 4 अपने दास सुसा को ओत अपने यने हुए हानुन का झेजा॥ उमहें ने उनके मच में व्रयन के शॉनच ओऔन हाम के देस में आमयनज टोप्पाय।

उसने अंचीगाना कझजा, से अंचौय्ाना हुआ; गे कप 6 औन वे उसके व्रयन से फ्रोन गये॥ उसने

८25 220७५ 0 ५०

खुनकी पानोट्रों का लड़ ब्रनाया, औन उनकी

त्ीये #न०्त कि रु 3. ४० हर. मछलोंटों को मात डाला। उनक देस ने उनके नाजाओं की काउनोयों में श्रद्धत से मढक उपजाये।

|. गे

उसने अगय़्ा को, औन नाना पनकान की मप्यी- यां, औन जद उनके सान सोवानें में आइ'

०-५ + १५३ - 58४८. उसने में की घंतो उनहें ओआज्षे, आन उनके देख में त्रनती आग दौ॥ उसने उनके दाप्प, गुलन पेड को व्रीनास कीय्ा, औ।न उनके सीवांनों' वि कि. 5 3253० बे के पेड़ां को तोड़ डाला उसने अगया को, जैन टॉडौय्रां आन असंप्य कौड़े नौकले। औ।न वे उन की अम को सनी इनपग्रालौलगयां प्पा गई, ओनच उनके देस के परल हअछन कन गइ' उसने उन के देस में साने पहौलेटों के उनके क़ल के पत्तघान कक. कं. का माता। ओऔआतल वद्द उनहें सेना यांदी सहोौत नौकाल लाया, औ।न उनको गासटीं ये में फ़रेक ज्ञी

₹८ दुतब्रलन था। उनके नोंकल जाने से मौसन

आनंटोत हुआ, करययोंकी उनका ज्ग्न डन पत॒ पडा

ह८्‌ 80०

8९,

8४२९

४२९

88४

४५

एकसे छठवां गीत १५७८

था। उसने ढांप ने के लौग्े फ्रेक मेच परेलाया, ७० पल कर हर | बिक औ।न नात उंजीग्राले लोग आग टो। उनहे(ं ने मांगा, ओआजन वबुद व्रटान लाया, जैन उनको सनगीशय नोटोयो से तौनीपत कौगसा उसने पथन प्पोला, ओऔतन पानी व्रह्दौयल!, पानी नदी को नाइ सप्पी ज्षम पन ब्रह्मा कझ्मांकी उसने अपने पवोतत व्रयन का, औन अपने ट्।|स इब़ना- होम का समनन कोय़ा बुच्च अपने सेवकों को िियआ। कक कक आर कै आनंद के संग, आन अपने थने हुए को गाते कक , हे क्् ऐड शक ब्रज्माते नौकाल लाय्ा। उसने उनहें अनदेसोयों का देख दौग्ा, उनहे ने लागें के पतीसनम को अचीकान में पाया॥ जौसतें वे उसकी व्रौच को ०५ 3 आर + कप मानें, औन उसको ब्रवसथा को पालें पत्रमेसन का चन माने

किक 73 < गो ९०६ फछक सो छठवां गोत |

पतभरत को सत॒त कनो, पतमेसन का घंन माने।, क्ग्मोंकी व॒ह ज्नला है, जन उसकी दया सदा है॥ केान पतमेसन के पत्ता कतम के कानजें को ब्रनन॑ कनता है ? उसकी सानोी सतत केन

कनस्ता हैं ? जो व्रीयान का पालन कनते हैं जन जा नीत चतम कनता है, से। चंन अपने

८० गोत।

है

रब

लागों के अनुभोनह से हे पतमेसन मुले समनत " ००.0 शशि ञ्मे ७3० ६:७ _ कन, हां, मुष्ठ से जंट कत॥ जोसतें में तेने यने हक ९८.८: ०७४७ ७५७२७४५. ,०७२०७७५८ रु हुओआं की जझलाई देप्पों, अन तेने लेगां आनंद में आनंदीत हेड, औच तेने अचीकान के संग व्रड़ाइ कन इम ने अपने पौततनों को नाइ पाप कौया है, हम से अचनम हुआ है, इम ने दुसटता की है॥ इमान पोतनों ने मोसन में तेते आस- हि 2 के. कर जो शथचजें का समध्ठा उनहें ने तेन दया को अचीकाइ को समतन कौगटा,पत्रतु सम दच पत्त, अनथात लाल सम दत पत तुष्ठ प्पीजाया। तथा- पी उसने अपमे नाम के लगे उनहें व्रयाया, जीसतें वह अपने व्रड़े पताकतम के! जनावे। उस ने लाल सम दत को ज्ञो हृषटा, ओआज वुच्ट सुप्प जा ड़ कि गय्या, वृद्द उनहें गहौनापे में से, जेसा व्रन में से पान ले गद्या। सतत के हाथ से उसने उनहें ३५ ग्र्‌ * व्रबाया, औ।न ब्रेती के हाथों से छडाया | पानीयथों पे कर 2 ०५ पक ने उनक व्रनोयों का ढांप लौगा, उन में से एक जौनव्रया। तव्वे उसको व्रातां पत्र व्रौसूव।स ' डे 45% « कम, लाये, उनहां ने उसको सतत गाइ वे हट उस के सं कफ 5 2५० कक 5: के कानजों का ज्ञल गए, उनहों ने उसके मंतन की व्राटन जाही पत्ंतु उनहों ने व्रन में कुइछा की, व्रन में इसन को पतप्पा॥ उस

रे

७. . एक सा छठवां गोत। १८१

ने उनको व्रांछा पत्ती कौ; पत्रंतु उनके पतान में दुतव्॒लता ज्ञेजो उनहों ने तंव्रु में सुसा पन,

प्र कर हत. औच प्रतमंसत के सोच हानन पन डाह कौय्रा।

से पौतथोवो परटो, औजन दासान को नोंगल गई, अव्ीचाम की जथा कोढांप लौग्रा॥ गन उनकी जथा में आग व्रनो, उस लवन ने दुसटों के असम काटा॥ उनहें ने हेन व्र मं छेक ब्रछौया व्नाइ, औल ढालो हुइ मुत्रत के आगे हंडवत की इसो नोत से उनहे ने उसके एसनग्र के एक ब्रेल को सुनत से, जे। चास प्पाता है, व्रट्ल डाला॥ वे अपने मुकतदाता इसन के जौस ने

'मौसलन में ब्रड़े व्रड़े काचज को, झुल गय्ये। आन

आसयनज क!चज हाम के देस मं, औन ज्ञय्रंकत कानज लाल सम॒ दत पत्। इस लीग उसने कहा, को में उनहें नास कन्‌ गा, य्दौ उसका युना हुआ लुशा उस दतान के उसके आग प्पयडा चेता, )+ हर + कह पे कर जीसत उसके केाप के परन, हेवे, को व॒ुच्द नास है है कर. हट जप क् कन डाले। हां उनहें ने मनानोत ज्ञम का तुछ जाना, वे उसके व्रयन पन व्रौसवास लाग़्े॥ कसा हे )५: 4 # कि शक पत्र॑तु अपने तंत्रु में कडकड़ाय, औ।त पतमेसन के सब्॒द के सनोता हुएऐ॥ तबव्र उसने अपना हाथ

उनके व्रौनाच में उठाया, की उनह व्रन में गोंना (

श्८र गोत।

रेड

ऐे। ओजन उनके व्रंस के ज्ञी जातगने। में गीता

२८ दें, आन उनहें देसे में ब्रीथनावे॥ वे ए्कठे हे

कक

हे हर

ह२

हरे

ह्टे

३१५

83

के व्राआलपराउन से ज्ञी सौल गये, औन मीचतकेा के ब्रलौदान प्पाने लगे। यों उनहेंं ने अपनो याले से उसे प्पीजा के नोसाया मंत्री उन में #< 0304

पेठों। उसे समय में प्रो नंहास प्पयडा हुआ, ओर उसने नंयाय कीया, से! मनौ थम गई! ओनच ग्द्ध उसके लौटे पीढों से पीढी ले सनव्रदा के लौये धनम गोनागयरा॥ उंनहोंने परीन उसे हंगड़े के पानीय्रों पत्त ज्ञी चौसाया, यहां लें को उनके कान सुंसा का ब्र॒ुता हुआ। कर्समोंकी उन- है ने उसके आतमा के प्पी जाया, ऐसा की वक्र

; 4 १5७ ह3&ह रत

अपने हेंठां से अनुयीत वब्रोाला॥ उनहें ने उन जातंगनां के जोनके व्रीप्पय में पत्रमेसुन को अग्रय्ा हुई, नास कौया। पन्रंतु अनदेसीयों कप $ ऐछ पा

में माल गय्ये, औन उनके कांनज सौप्पे॥ ओच उनहे। ने उनकी सुतनतोन को सेवा को, जे। उन के लौगे परंदा हुआ। उनहें ने ते। अपने ब्रेटां

औन अपनों ब्रेटौसों के पीसायों कें लोग ब्रचौ-

दान कौ ओतन नौन॑देप्प लाहं के, अनथात अपने ब्रेटों अल अपनी ट्रेटीसं को चात कौग्रा, को उनहें नें उनका कौनान की मुनतौन के आगे

है८ है

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डर

४३

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8प८

9क से छठवां गोत ९८९

व्रल कीय़ा, ओजच देस लाहु से असच हुआ यों वे अपने कानजों में अपवीतत हुए, जैन अपनी अपनो ज्ञावना से व्रेन्नौयात्र कीग्रा॥ तब पत्रमेसत का कनोच अपने लागों पतन ऋड़का, ऐसा को उसने अपने अचीकान से चौन कोंग्रा॥ ओऔन उसने उनहें अन देसौय़ों के हाथ म॑ कत दया, से। उनक व्रेनोट्रों ने हन पन पन्रजुता कौ॥ उनके सतनुन ने ज्ञी उनहें सत।ग्ा, औरत वे उनके हाथ के व्रस में दे।गय्॥ उसने व्रान उनहें छड़ाया, परंतु डनहे। ने अपने पत्तामनस से डसे प्पीजाया. छान अपने अचनम के कानन दोन हो हो गये। तथापो उसने उनका नाना सुनतेही उनके दुष्प का ब्रुष्ठ। उसने उनके लोग्रअपनी व्राया को समनन कोय्ा, ओऔन अपनी दया को अचीकाइ के समान पकछताया। उसने एसा कौगा, को उन सन ने ज्ञी, जे। उनहें द्रंचुआ कचक ले गद्य, उन पत्र मद्ा की॥ हे प्रतसेसतन हमान इसन, हमें ब्रया, जन हमें अन देसोग़रों में से व्रटान, जींसते तेने पवोतच नाम का चं॑न॒व्वाद करने ; आन तेतो सतुत में आनंद्रोत हेवें॥ प्रतमेसन इसताइल का इसन सनातन से सनातन ले चँन, और साने ले।ग ब्रोलें, आमों न, पत्तमेसत का चंनव्राद कनो।

श्प्प गोत।

82. ध् «६ ९०७ एक सो सातवां गोल एफ है बाहर कला, ( पनमेसन का च॑न माने।, कर््ोंकी वह जला तह, . ओऔन उसको ददा सदा है॥ पनमेसन के तानीत $ आर जा 3 यों वाह, जीनहें उसने वे नौयोों के हाथ से छडाया हे जल कल है % “मं आन उनहें ऐसे से फ्रकठा कौया, पछौम॑, श्र थ् हि पत्र, उतत, ओन समदत से व्रन ले सुने मानग में झनमते थ, औन उनहे काइ ब्रसाव के लीय नगन मॉलता था नुप्प पयासे उन-

«(१

का पान सुनछीत था तव् उनहें ने अप नी व्री-

पत्तन मं पत्र मेसन के। पकाना, उसने उनके कलेसों से उनहें छड़ाय्रा॥ ओऔआन वह उनहें सोचे पथ मे ले गया, जाँसते थे व्रसाव के नगन पहुंये॥ हक ्‌ &०: है उसकी अलाइ के, ओऔन मन॒प्प के संतानां पत्र

उसके आसयतनज कानजे के लौय हायर, की

मंनप्प के संत्रान पनमेसन को सतत कनते कयोंकी बच लालसोत पत्रानो'का तौचौपत कच- ता हैं, औन ज्ञप्प पत्ाानो को सतसट कनता है॥ जा दुष्प आन लोहे से व्रंचाय्यमान हेक अंचन में, औन मीनतु की छात्रा में व्रठे हैं। कयरोंको वे इसन के व्रयन से परोच गये, औच अती महान के मंतत्॒ को तुछ जाना| इस लगे उसने उनके अंतःकनन का पत्रीसतम से घटाया, वे गौनपड़े,

ण्श श्४

९३

९ैई शी

शुफ रटं कर कर

२३

फ्रेक से। सातवां गोत। श्ष्५

और कोइ रुहाय़्क था॥ तब अपनो गद्रोपत में उनहे ने पतमेसन के पुकाता, ओन उसने उनहें उनके कलेसे से छड़ाय्रा। उसने उनहें अंचेय्राने अऔन मो तत्‌ को छाया से व्राहन नौका- ला, औजन उनके व्रंचने। का ताडु डाला ढस- की ज्ञलाइ के लोगो, ओन ममप्प के संताने। पन उसके आसयनज कानजेंर के लोगो हाय, की मनुप्प पतमेसल कौ सतत कनते कर्ग्नोंकी उस- ने पौतल के पराट कां का ताडा है, लाहे के अडंगां के! काटा मुनप्प लाग अपने अपनाच से, आन अचनम से कसटौत हैं उनका पत्रान हल पत्रकान के ज्ञाजन से चीन कनता है, औन बे मीचत के पराटकां के लग पहुंयते हैं | तंब्र वे अपनो व्रौपत में पत्तमेसत का पुकानते हैं, वह उनहें उनके कलेसे से छड्लाता है॥ उसने अपना व्रयन अज के उनहें यंगा कौपग्रा, औरत उनके नासें से उनहें छडायरा॥ उखसकों जलाइ के लौग्े मन॒प्प के संताने। पत्र, औन उरू के आसयनज कानजें के लौयहाय़, की ममुप्प परचमेसत को सतु कत्ते॥ वे च॑नव्राद का व्रल यढ़ावें, अ।न गाते हुए उसके कानजें का व्रतन कनें जा जहाजें म॑ समंदत पत्र जाते हैं, जा ७,

रेत 6

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₹४ ११

गौत॥

बड़े पानीयों में कानज नप्पते हैं | वे हो पनमे- सन के कानजों के, औलन गंज्नीत में डस के आस- यथनजों का देषप्पते हैं॥ करप्मोंकी वुद्र अगद्या कनता है, औन आंधी उठाता है, जे। उसको लद्चनें उठातीं है॥ वे सतग ले यढ़ते हैं, औन परीन गंज्नीच मं उतलते हैं, उनका पतान दुृप्प के मान गल जाता है। वे मतवाले की न।|इं डगम- गाते परीनते हैं, उनके गगद्यान संपतन लाप हे गय्य हैं॥ ततव्र वे अपनी वब्रीपत मं पत्रमेसन का पुकानते हैं, और बुद उनके कसटों से उनहें छूडाता है॥ वुच्द आंची का सधीन कतता है, ऐसा की उसको लक्ततं थमजाती हैं॥ तव् येन' मौलने के काचन वे आनंदोत होते हैं, सो जीस चाट में वे जाया याहते हैं, वह उनहें ले पहुंया- ता है। उसको अलाइ के लॉंग्रे,आन मनुप्पां के सखंताने। पत्त उसके आसयच्ज कानजों के लोग ह।ग्,कौ मनुप्प पत्मेसत कौ सतुत कचते लोगों की मंडलौ ने ज्ञो वे उसे व्रढ़ावें, आज पत्तायीनेएं को सन्ना में उसकी सतुत कनें वह नदौश्ों के व्रन, ओन पानो के सेते। के। सुप्पी जुम ब्रना- डालता है॥ व्रस्वेग्नों कौ दुसटता के काचन से बच्द परलबंत देस के नान प्पात व्रन/ता है॥ वुच्द

३६

नव्ेवां गोत १८७

ब्रन के। छोल, ओज सप्पी ज्ञुम का सेते व्रनाता है। वहां वह जअ्ुप्पां का व्रराता है, जो सतें वे

६७ ब्रसाव के लीग नगत सीच कनं। ओज प्पतो

झ्द्ू

३८

४९

हर

४९

ल्‍श्‌ र्‌

कन, औ।न ट्ाप्पां की व्रानीं लगावें, जे ब्रढतो का परल उग्ावे वह उनह ज्ञी आरौस देता है, से वे ब्रह्त व्रढ्ठ जाते हैं, औ।न उनके पस के चटने नहीं देता। वे अंचन, ओन व्रौंपत, सेक के मान दोन होन चेते हैं, गऔै।न घट जाते हैं। व॒च्र अचछों के तक कतता है, ओन अपथ अनंन में उनहें जनमाता है तब्र वह कंगाल के दुप्पों। से उन्नाउता है, आन छूड कौ नाइं उसका घनाना व्रनाता है। चघनमी रेप्पंग, औनच आनंदोत देंगे, ओनच साना अचतम अपना म॒ह ब्रंद कनेगा। व्रुधमान कान हैं, जे इन व्रसतुन का साय कनंगा? वे हो पत्मेसन को कामल दया के समहंगे।

९०८ एक से। आठवां गौत दाउद का गान अथवा गोत

हे इसन मेला मन लेस है, में अपने व्रौज्रव के संग गाउंगा, औन सतुत कनृ गा जाग हे नव,

श्ष्पर गोत। गान व्रीना, में ज्ञान के जागंगा॥ हे पतमेसन, मैं लागों के मच में तेनी सत॒त कनु गा, आन देंस गनें में तेनी सतत गाउंगा। क्मोंकी तेती दया सनगों से उंयो है, औज तेनो सयाइ मेच लो पहुंयतो है। हे इतत, तु सनगों से उपच व्रढाया जा, जन तेता व्रौक्व साती पी नथोवो से उपन जोसतें तेना पोनोग्न छडाया जाग, अपने दहोंने हाथ से व्रया, ओजन मेनी सन। इूसन ने अपनों पवोतनता में कहा हे, कौ में आनंदोत चेउंगा, में सप्पीम के व्रौज्ञाग कन गा, औन सकस की तनाइ केा नाप'गा। गोलैौशग्ाद मेन, मनसा मेना, अपरनायम ज्ञौ मेन सोन का 4 ब्रल है, ग्रहुदा मेना. ब्रेवसथा दाग्यक! मवात्र मेने चेने का पातन, अदुम पन में अपनी जुतो यलाउंगा; परललतीय़ा पतन में जय्र रुव़द कत् गा | १५.० दौनढ नगनत कान मुष्ठ ले जायगा ; अदुम में ९६ मुधे कान पहुंयावेगा? हे इसन, कप्रा तु नहीं, जोसने हमें तयागा है, हे इसन, कग्रा हमातो ९२ सेनाओं के संग यलेगा? दुप्प से हम ब्रया ९५६९ कग्मोंकी मनप्प को रुहाय॒ व्रौनथा है। इसन से

. छइम सनता कनेंगं, कं को वह्दो हमान व्रनीयों के नांद डालेगा।

फ्रेक सा नवां गौत। दल

३५ ९०८ फेक से। नोवां गौत

पनचान व्रजनौटरे के पास द/|डद का गौत

९।२ हे मेने सतत के इसन यूप नत है।। कर्य्ों-

रे

की दुसटों आन छल का मु मेन व्रौनच प्पुला है,वहष्टवो वात मेन वब्रौप्पय्य में कहते हं॥ उन- हो ने ब्रेन को व्रते से मुह्े चेन लोगा हैं, औरत वे अकानन सुष्ठ से लड़ते हैं। वेमने पनेन को संतो मेन व्रेती हैं, पंत में पतानथन। कनता हुं। उनहे ने मेनो लाई की संतों व्रता जैन मेने पनेम की संतो व्रत क। पलटा दोया है। तफ़्क दुसट जन के उस पतन ठहना, आन उसके दहोने हाथ में सेतान का प्यडा कच॥ ज्ञव् उसका व्री- यान कौंया जावे, ते वह देप्पी ठच्ने, आल उस

की पत्रानयना पाप होवे। उसके दौन थाड़े हे।वें,

'..३५ श्र

श्३

उसका पद दुसता लेवे। उसके संतान अन(्थ, नल उसकी इसतोनी नांड होवे। उसके संतान नौत व्रद्देल चेक ज्ञीप्प मांगें,वे डजाड़ें में ढु ते परोनें॥ उसका सब्र कुछ नोयोनी लेवं, और पनदेसी उसके पत्तोसत्मम को लुट लेबें। कोइ उस पन दृयान कने, उसके अनाथ संतानें पत्र केाइ अनुगो नह कने उसके पनौवान काटे

९५९० गोत

रेड

जाम, औत उनका नाम अवेय़ा पीढीग में मीटाग्ा जाय्॥ उसके पीतनों के अचनम पनमेसन के

आगे समनन कीसे जाय, अल उसकी माता का पाप

रे

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९9

श्प

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बर्‌०

ब्देज

२९ श्र

मोटाद्ा जाय। वे पत्रमेसन के आगे नोत व्रने नहें, जौसतें वह उसका समचन पीचथधोवी पत्र से काटडाले कगझ्मोंकों उसन दया कतने के समनन कौया, प्रन॑तु उसने दचोदन ओन दौन हौन के सताया जीसतें टुटे अंतःकत्नन के मात डाले॥ जेसा उसने सनाप के याहा, तेसा उस पत्र पड़े, लै।नच जेसा वह आसोस से उदास चह्टा, तेसा वह उस से दुत चद्दे | जेसा उस ने सचाष के व्रसतन की नाइं प्रहौन लोग्ा, तेसा वुच्द पानो की नाइं डसकी अंतडसय्ों में, अत तेल को नाइं इसकी हडौयों में पैठे बुच्द उसके लौग़े णेसा हेवे, जेसे ब्रसतन, जे उसे छोपा लेता है, गन जेसे पटुका, जे। सद। उसको कट में लोपटा चहता है। पत्रमेसन की ओल से मेने व्रेनोयों का,जआैन उनका,

जे मेन पतान के व्रोन।च में ब्रुत्रा कह ते हें, यह

पलटा ह्ोगा॥ पन हे पनमेसत इसन, अपने नाम के छोटे दद्मा कत, को तेनो दय्रा अछो है, तीज ४० कप ज्लै तु मुह छुडा दे। क््ोंको मैं कंगाल ओजन दौन ५५ (५ (५ ३५ हुं, गन मेत। अंत:कनन मुष्ठ में चायल हे। में

हरे

अठासौंवां गॉल॥ १6 रे,

ढलती हुइ छाय्रों को नाई जाता नहा; में टीडो की नाइं यंयल हुं। मेने घुठने उपवांस से नौच- व्रल हे गये,औरज मेने मास में यौकनाइ नरही। मेँ उनके लोग नींनंदा हुआ, वे मुष्े टेप्पते हैं, औन सीोन हौलाते हैं। हे पंनमेसन मेने इसन, मेत्ती सहाय कन, अपना ट्या के समान मुह मुकतो शऐे। जौसतें वे जाने, की ग्रद्द तेना हाथ है, औन तुध पत्रमेंसत ने ग्रह कोंय़ा है! वेसतनाप देवें, पत्र तु आसौस दे; जव्र वे उठ,ते लजौत हे जावें, पत तेनों सेवक आनंदौत डेवे॥ मेने ब्रेनी के लाज का ब्रसतन पच्दौना, औन उनहें घत्रताइट की यादन उंढा॥ में अपने म'हं से पतमेसन कौ अतयंत सतुत कन॒ गा, में मंडलो में उसको सतुत कन॒गा। कंग्रोंकी वह कंगाल के दहौने हाथ प्यडा होगा, ओसलें उसे उसके पतान के ब्रौया- नींयों से छडावे |

९९० फ़क से। दसंवां गीत। दाउद का गोत | पतमेसन ने नौसयस्र मेंत्रे पत्ज्ञु के कहा, कौ तु मेत्ते रहने हाथ ब्रैठ, जब्र लेए में तेत ब्रेचौग्ों का तेने यत्तन का पीढ़ा कत पनमेसन व्रल

९6२ गोल! 4० बी + हे हे" का ताज दंड सेहुन में से ओजेगा, तु अपने ब्रेती यों *६ ७७ की 3 ह₹ के मच भे पत्रञ्ञता कच। तेने लाग तेने सामनथ के ढोन पवीतचता के सं ह्चज में मन मनता ब्रल होंगे, ओऔन तेती तनुनाइ की ओस ब्रीहान की केप्प से अचीक होगो॥ पनमेसन ने कौनीयग़ा प्याइ है, ओतच दुच्द पछतावेगा, की त्‌ मलोके- सोहक की पांती में सदा दज्ञाजक है पत्रञ्ञ अपने रन 3 गे ०. ४. होने ७. कनोच के द्ीौन तेने दहौने हाथ नाजाओं के ढे ६€ मानंगा॥ व॒ह अन देसोयों के मच में व्रीयान कि 5 लता 2४2 कह 5७ ७28 कनके लोथों से पतन कनेगा, वुच्द व्रह्लत से देखें पन सौन के घायल कनेगा | वह मानग भे नाली कि जि कद से पींय्रंगा, इसो लौट वुह् सीन उठावगा।

१५२९९ फ्रक रा गय्यानहवां गीत

५. पत्मेसन को सतुत कनतो, में प्यतों की सन्ना में औन मंडली में, भें साने मन से पततमेसत को

सतुत कनुगा॥ पनमेसन के काचज महान हैं, जे उस से आनंदीौत हैं, से उसे ढते हैं। उसका कानज पत्रतोौसटोल, ओच फ्रेसनट्रमान है, औ।च

उसका घचम सनव्रद्ा ले नहता है। उसने अपना आसयनज काचज रूमचन कयवाणद्या है, पनमेसन

कौतपाल, ओज दया से पतन है उसने अपने

कु

एक से। व्रानहवां गीत १९८७

उन्रवैयों। के भजन दौग़ा है, वुच्त अपनो व्राया के सदर मन में नप्पेगा। उसने अपने कानजें का व्ल अपने लेगें के द्वोप्पलाया है, जौसत

बुच्द उनहें अनदेसोट्रों का अचौकात देवे॥ उस

चः

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१०

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के हाथा को कोनया सतता, जन ब्रीयाल हैं, उरू की रानी अगग़्ा सत हैं वे सदा ओऔज सदा के लोग सथीत हैं, वे सयाइ जन प्पलाइ से कौये गयग्योहें। उसने अपने लेगों के लोग मुकत अजी, अपनी व्रायया के सदा के लौंग “अगग्या की है, उसका नाम पवीतत जन ज्ञग्नानक है। पनमे- सत का जय गय्यान का आन नज्है, आच जे उनह मानते हैं, उनको : व्रुध उस पत कात्ज कचतोौ है, सत॒त सदा उसों के लौग्े हैं

के श्र “५१५२ छक सा द्रानहवां गोत

इसनत कौ सतत कनो, जे। पत्रमेसत से डनता है, औ्रात उसको अगग्ाओं से अत्यंत आनंद त*“है, से। चंन है। उसका ब्रंसपीनथोबोी पज़ व्रलवंत जहेग्रा, प्पनां के संतान आसोस्तीत हेंगे॥ उसके अल में चंन-जैन संपत्र होगी, अज:उसका घनम सदा नहताएहै प्पनां के लोगे अंचीयाने में

उंजीय्रालाबयमक ता।है,ढुह् कीतपाल, और ट्या से 0 6६.

९१६. के |अितिड पंचन औत 'चतमी है उतम भनप्प अनगौनर कनके नोन देता है, वह अपने काचजों के वब्रौयात के साथ सुचानता है॥ नौसयम्न वह कन्नीं टला- यानजाप्रगा। चनमो रदा समनन कौया जास- गा, वुच्द कुसमायात्र से झग्य कनगा, उसका मन ट्ौचढ़ है, उसका झनोसा पतमेसत पत्त है॥ उस का मन सथोन है, जव् लें वह अपनी इछ ब्रेती पत देप्प वह डत्रगा। उसने ब्रौथनागा है, उसने कंगालों के दोया हैं, उसका चनम सदा खों नहता है, उसका सोंग पनतोसठा से उठाया जाम ९६० गा॥ दुसट देप्येगा, औन कढ़ेगा, औत दांत कोड मौड़ावेगा, अल गल.जाग्रगा, दुरूटों का अज्नीलास नास चेजादगा।

९९५९ एक से। तेनहवां गीत

पतमेसन कौ सतुत कतता, हे पतमेसत के दासेा,उस

« को सतत कला, पतमेसन के नाम को सतुत कनतो। पतमेसन का नाम इस चछी से सदा ले चंन हे।वे।

सतज के उदय से लेके उसके असत ले पत्तमेसन के नाम की सतत हेयर -पतमेसन सान जात- गने पत्त महान है, ओजल उसका फ़ेसतश सनगों

से ऊपत है। पत ्रमेसत हमान इसन को नाइ

एक से। यादहवां गोत। २८५

केन है, जे। नहने के लोग अपने के। उन्नाडत। है॥ जा सनग प्रात पेचथोवोी पत हो नौसट कन ने के लोग आबाप का दौन कतता है॥ बच कंगाले

का चल में से उत्नाडता है, ओआन टोन के घन पन से उठात। है॥ जोसतें वह उसे अचकछां के

संग अनथ।त अपने लागों के अचछ | के संग व्रेठावे | 6 वचन व्रां इसतनी के। घन में व्रसाता है, जीसते वृत्त ब्रयों कौ माता आनंद के संग हे।, पत्तमेसन को सतुत कनो।

९१९४ एक से ये(दहवा गौत।

जब इसनाइल मौसव से नौकला, औ[न य़ाक॒तव्र

का घनानापसदेसो द्रोली के लागों में से। तो सहुद। उसका चनमघाम हुआ, आओ इसनाइल

उसका चाज॥ सम्‌दत देप्प के ज्ञागा, अनदन उलटो व्रही-। पहाड़े| ने मेढ़ें को नाइं, और टौलें ने मेमना की नाइ कदका माता-।

चेसम'दन तहं कया हुआ, जे। तज्ञ/गगा? झऔेन हे अनदन,की उलटों व्रह्यौ:? ओर कया हुआ है पह/ड़े, जे तम ने मेंढ़े। की नाइं, ओऔजन हे टौले। तुम ने मेमना कौ नाइं क॒ुदका माता है]

हे पौनयोवी तु पत्रन्ुके आगे,ओज ग्ाकुव्र के

१८६६ गोत।

च्र |!

इसने के आगे कांप जे। पनव्रत के छील व्रना- ता है, औ।न पथनी के पानी यों का से ता |

९५१४ फेक सो पंदनहवां गौत दे पतमेसत; हंमाने लोग नहों; इमाने लोग नहों, पत्ृतु अपनो दया के लौग्रे, औन' अपनों रूयाइ के लोग, तेनेही नाम की पततीसठा हेवे। अनदेसी कर कहें; की उन का इसने कहां

, है पनंत हमाना इसन ता सनग-पन है, जा

कछ उसने याहा, सो कोगजा है उनकी मुतत

मनप्पा के हाथ को व्रनाई हुइ सेना यांदी हैं

वे मह नप्पतो हें, पत व्रोलतो नहीं; वे आंप्प नप्पतों हें, पत्र देप्पती नहों वे कान नप्पती हैं,

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पत्र सनताो नहीं, उनकी नाक हं, पन्त सं घत्री हों। वे हाथ नप्पती हें, पत्त छतो नहीं, वें पाओं नप्पतों हैं, पत्त यलती नहीं ; वे अपने गले से व्राल

नहों सकतों उनके ब्रनवेय्,» ओज वे रुंत्र, जा

उनका जअझनोसा नप्पते हैं, उन हो की नाइ हें॥ है दूसनाइल, पत्मेसत पतन अनोसा नप्प, वही उनका सहाय्रक, आन की ढाल है| हे ह्ानन के घनाने, पत्र मेसत पत्र झअनोसा नप्प, को वच्दो उनका संहय्रक औतन ढाल हैं। तुम, जे पनमे-

पक से सेलहवां गौत ८७

सन से डनते हे।,पत्र मेरसत पत जनोसा नप्पा, वहो ९५९ उनकी सहायक, औन ढाल है पनमेसन ने हमें समनन कौय्रा है, वही आसोंस देगा, वुच्द इसना- इल के घत्रानेपत आसोस टेगा, वृत्त हनन के ९५३ चनाने के आसोस देगा। वुच्द उन का, जो पत्- मेसन से डनते हैं, छाटों व्रड्डें सह्दौत आसोंस ९४ देगा। पत्रमेसत तुम के, जन लतमहाने लड़कों ९४ के ब्रढ़ाता जागगा॥ तुम आकास ओत पौवथीवी के सनीसट कचतता पनमेसन केआसोसौत हेओ। ९६ सतग अचथात सतगगन पतमेसतर के हैं, पतंतु ५७ उसने पीचथोवो मरूप्प के ब्रंस के दो है मो ततक पत्रमेसत की सतुत नहीं कचते, ओज वे सत्र, ५७८ जो समाच में उततते हैं। पन्॑ंत्‌ हम इस समग्र से लेके सदा लें पत्रमेसच की सतुत कौम्मा कनेंगे, पतरमेसनत का चंनव्राद कनो |

९५९६ फेक सो सेलहवां गीत।

. में पंनमेसन से पन्तेम नप्पता हूं, इस कानन की

उस ने मेत्रा, सब्र, ओज मेनती व्रौनतोय़ां सनो

ओन उसने मनी आन कान ह्टकाग्ना, से। जव् लें

में जौता नहुंगा, उसका नाम लौग़े जाउंगा।

मोनतु के दुप्पों ने मुहे चेता, औैन समाच को प्र्ध ७,

श्ह्ष् गौत॥

पीड़ा ने सुष्ठ पकडा, में दुप्पी अ।च से।कौत हुआ तब्र में ने पतमेरनन का नाम लौगा, की हे पतमेसन कीवपा कन जे मेत्रा पता व्रया॥ पतरमेसत अनु गताहक ओऔनच चनन्‍्रमी है, ओऔन हमाना इसन द्याल है। पतमसन सुचे लागें कौ चछा कचता है, में हौन हे। गया था, उसने मेनी सहाय कौ। हे मते पत्तान, अपने व्रौसताम में परीच जा; कर्योंकी पत्रमेंसत ने तुष पत्र मन प्पाल के ब्रैवहान कोया दै॥ ने मुष्ठे मौचत से, जान मेनो आंप्पां के आंस से, मेन पाओं के फ्रीस- लने से व्रयाया हैं। जीवते। के ढेस में में पतत

मेसन के आग यल॒गा। में व्रोसवास लाग्रा,इसीो लौगे में ने कहा, सुष्ट पत्र व्रड़ो ब्रीपतथी। में

. ने अपनी व्रद्याकलता म॑ कहा, की सात मनप्प हृठे

५3

हैं॥ में पनमेज्नत के उसके सान पद्ानथों के लोग, जे मुष्ठ पन हैं, कय्ना देउं। में मुकत का कंटोना लेके पनवेसन का नान जेडंगा। में अव् उसके साने लेगों के आगे अपनी मनोतो पू"्तों कनुंगा। पनमेसत्र को दौतोसट में उसके साचुन की मीचत व्रहुमुल है। हे पत्मेसन,में नीसयय

'तेचा दास हुं, में तेता दास, तन तेनी दास का

पृतत,तु ने भेने ब्रंचन प्योले। में तेने आगे चंन

एक से अठाचहवां गोत॥ २८८

ब्राद का व्रल ययढाउंगा, औन पतमेसन का नाम ९५८ लेडंगा॥ में अज्ञो उसके साने लागां के आगे अपनी मनेती पत्रमेसत के लोग पुन्ौ कनु गा। ९८ पनमेसत के मंदीौच के आंगनों में, आन तुट्ट में हे स्रीनोसलों म, तेने मच में पतमेसन का चंनव्राद - होवे। १५९७ फेक से। सलनहवां गौत।

हे साने जातगन पत्रमेसत की सतत कतो, हे

साने लागो, उसका चंन माना काग्रोंकी उसकी दया हम पत्र व्रहुत है, अ।न उसको सयाइ सदा है, पत्रमेसन का चंन ब्राद कना॥

९श्८््फ़्क सो अठानहवां गीत |

पतमेसन का 'ंनव्राद कतो, कगझोंकी व॒इ जला है, कान उसकी दया सदा है॥ इसनाइल अदव्र कहे

को उसको दया सद। है। हानन का घनाना अब्र कहे, को उसकी दया सट। हैं वे जे। पनमे

सन से डलनते हैं, अव्र कहें, को उसको दमा रूदा है॥ में ने दुप्प में पतमेसत का नाम लोगा, पतच- मेसन ने सुछे ब्रोसतानोल सथान में उतन ढोग़ा॥ पतमेसत मेत्री ओआन है, में डनु गा, मन॒प्प भेता कग्मा कत्त सकता है॥ प्रतमेसत मन रहाय्॒कों में

पी /थआ ९:५७

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२०० गोल

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से है, से में अपने घोतनाकानोथों के देप्पुंगा। मनुप्प पत्त अने।सा कनने से पत्मेसन पत्र अनोसा कतना जला है। अचकछों पत्र झनोसा कनने से पत्॒मेरत पत्र झनोसा कनना जला है॥ रूने जातगने ने मुष्ठ चेन लौगा, पनरतु मैं पत्मेसत के नाम से उनहें नास कनुंगा। उनहें ने ते मु्ठे चेता, उनहें ने ते मुष्े चेना; पत्र में पत्तमेसन के नाम से उनहें नास कन'गा॥ उनहें ने ता मुष् मचमाप्पो की नाइं घना, वे काटों को आग के समान ब्रुष्ट गय्मे, क्यों की में ते पत्रमेसच के नाम से उनहें नास कतगा॥ तने सु गौनाने के लोग अतसंत गादा, पत्ंत पत्तमेसन ने मेनो सहाय की॥ पन्रमेसन मेना ब्रल, औन मेत्ता गान है जैन वह मेनी मुकत हुआ। 'चनमौयगों के नंग्रु

में आनंद का, औ।च मुकत का सब्द है, पतमे-

सन का दह्दौना हाथ सुत्रता कतता है। पत्रमेसत का दहदौना हाथ ब्रढ़ाया गद्मा, पत्तमेसन का दह्ौना झ्ाथ सुतता कनता है॥ में मन॒गा, पवंलु जौउंगा, अआल पनमेसतन की वीनया का ब्रचनं कन गा। पनरमेसन ने मुझ पत्त अतो ताडना कौ

पनंत उसने मुष्ठ मोल केव्रस में कौग्ा॥ चनम के फराटक मेने लीग्ने प्योले, में उन में से

फ़क से! उंनीसवां गोत॥ २७०९

पनवेस कन गा, औतन पतमेसन की सत॒त' कनु गा | २९० पनमेसन का यह पर/टक,जोस मे से चनमी ज्ञोतन २९ जायेंगे। मैं तेनी सतत कन्र'गा, कग्मांकौत ने २२ मेनौ सुन लो, औन तु मेतों मुकत हुआ। जौस पथन के थवइयां ने नीकमा ठचनागा, से के।ने २३ का सौनता हुआ॥ यह पनमेसन से है, गान २४ हमानो टोनीसट में आसयनज है॥ यह दीन पनमेसन ने व्रनाय्रा औै, हम ते। उसमें आनंद २६ कनेंगे, आल मगन होवेंगे॥ हे पनमेसन, में ब्रौनती कनता हूं, व्रय।; हे पतमेसन, में. ट्रीनती ९६ कनता हुं, जगमानी दे घंन है वह, जे। पत मे- सन के नाम से आता है,हम ने पनमेसन के म॑ट्ोत २७ में से तमहें आसोस्र दौटया है॥ पत्रमेसन वुच्द इसन है, जीसने हमें उजोंय्राला टोप्पलायणा हैं, व्रलोदान के। जगद्रेदी के सोंगों दो पत नसीयों से र८ ब्रांचा॥ तु मेत्ा इसन है, में तेनी सतत कनुंगा, २६ त्‌ भेत्ा इसन है, में ते व्रढ़ाउंगा। पत्रमेसन का घंनव्राद कना, क्रोंकी वह जला है, औन उसकी

ढ्य़ा सदा है |

१५९८ फेक से उनो सवा गौत अलीोपर |

जो मॉनग में सौध हैं, आन जे पंनमेसन को

२०२ गोत

२९७ «५ हे व्रवसुथा पत्र यलते हैं, से। चंन हैं॥ जे। उसकी

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१.

साप्यीयों। के। चानन कनते हैं, ओन अपने साने मन से उसे ढुढते हैं; से। घंन हैं॥ वे अचनम अभी नहों कतते, वे उसके मानगों पतन यलते हैं। तु ने धर्मान से अपनी अगय् पत्र यलने के अगगय्या कीं। हायर की तेनी ब्रींचन के पालन कनने के। में यलाय्ाा जाउं। जव् में तेनी रानी अगग्या- ओके मान॒गा, तव् में लजीत हुंगा जद्र में तेने चतम के 2यानों के सौप्प॑गा, लव में मन की प्पचाइ से तेनी सतत कनुगा॥ में तेनी व्रीच के। पालन कनुगा, मुध्े सनव्र॒था मत तयाग ब्रेत «

तनुन मनुप्प कौस चौत से अपने मानग के पवौतन कनेंगा? तेन व्रयन के समाम थोकस हेने से। में ने अपने साने मन से तेनी प्याज को है, तु अपनी अगय्ाओं से मुछ्े जनमने मत दे। में ने तेने ब्रयन के अपने मन में छीपाया है, जीसत

' में तेन ब्रौननच पापन कत। हे पत्रमेसन 'चंन

है, अपनी ब्रोच मुछ्ठे सीप्पला॥ में ने अपने हेठो से तेने म'ह के सान नयाय्र का व्रनन कौया | में तेनी साप्यीयां के मानग में प्रेसा आनंदौत

९५

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२४

२५४ २६

फ्रक से उनीरुवां गोॉत। २५०६

हुआ हुं, जसे साने चंन से में तेती अगगय्याओईएं पत्त चद्मान कनु गा, औन तेने मातगों के मानुंगा। मैं तेती व्रीच से संतुसट हे।उंगा, में तेन व्रयन अुल॒गा। 4 गौमोल॥ अपने सेवक से मन प्पाल के ब्रवहाात कन, जोसते जीउं तेते व्रयन का पाल मनी आंप्प प्पोल, जौसतें में तेनों ट्रेवलथा म॑ आसयनज कानज देप्पु। में पोचथीवी पत्र पतदेसी हुं, अपनो अगसग्ाओं के सुष्ठ से मत छोपा। मत्ता पतान इन घडीौ तेते नगय्ाय् की लालसा के माने परटता है। तु ने अहंकानी सनापीतों के, जे तेती अगय्ाओं से झटकते हैं, दृपटा है॥ नो- नहा [न तुछता के मुष्ठ से दुत कन, कं्मोंकी में ने तेनी साप्पौय्ों के पालन कोंया है। अचकां ने ज्ञौव्रेठ के मन ब्रौचोच कहा, पत्तु तेने सेवक मे तेचो ब्रोघ पत्र चय्रान लगाया है॥ तेनो साप्पीयां मेता आनंद औ।न मंतन के जन हें | डालेथ। मता पत्तान आुल से सटा है, तु अपने व्रयन के समान मुष्ठे जीला॥ में ने अपने पथ पनगट कौथग्रे, झा तु ने मेत्री सुनी है, सुष्ट अपनों ब्रौच सौप्पला )

२०४ गीत

९२७

अपनी अगया का मान्रग मुष्ठे समष्ठा, जीसत में

२८ तेन आसयनज कानजें की यनया कन | मना

र्ढ्‌

३० ३९

हर

रे

३४ १३

३6

३३७9 ह्प्र

३८

मन उदासी के माने ६का जाता है, अपने व्रयन के समान मुछ दौनढ़ कन॥ मु ६ठ मानग से ब्रया,औन अनुगीचह से अपनी व्रेवसधा मुष्ठ दे में ने सुयाइ के मानग के युना है, जोन तेचे

व्रौयातां का सनमुप्प लप्पा | में तेतों साप्यीजों

से लवलीन हे। नहा हुं, हे पतमेसन:मुष्ठ लजीत नकन। जव्र तुमता मन व्रढ़ावेगा, तब में तेनी कप जे अगसयाओं के मानग में दोडगा। पं च्ढे। है पत्तमेसन अपनो व्रीच का मात्रग खुष्े सोप्पा, औजन में उसे अंत लें चानन कनुगा॥ क्र स् कर मुह सम दे, औन में तेनी व्रेवसथा के पालु गा, जैन में अपने स।ने मन से उनहें मानुगा। लुष्ठे अपनी अगयाओं के मानग में यला,कर््यों की उस से थे | 23 35७ पड में आनंदोत हुं। मने मन को लालय की आन नहों, पंत अपनो साप्पीयों को ओआन छ्ृका मेती आंप्यां का ब्रीनथा देप्पने से परेत दे, औन अपने मानग मुप्ठट जौला | अपने व्रयन का 4.4 4७ कर 6... का. श्र : > जी. अपने सेवक के लौगे सथीन कन, कयंकी ब॒च्च तेने

अग्र में चहता है। उस नौनदटा को जौस से में.

ए9क से। डनोरूवां गौत। ९०५

डउनता हुं, मुष्ठ से ढुत कन, कठ्नोंकी तेने नग्ाग्न

859

अेचर

8८

जले हैं। देप्पमें तेतीं अगज्ना का लालसोत हुं, अपने चनम में मुष्ठ जोला

वबाड।

है पत्मेसन अपनी दया, आन अपनो सुकत के। पक बिक

अपने व्रयन के समान मुष्ठ पास आने दे। से में अपने नॉनदेकें के। उतन देडंगा, कयोंकी में ६० कै: ७3 तेत च्रथन पतन ज्ञनोसा तप्पता हुं। ग्रान मेने मं से सत व्रयन सनव्॒था दुत मत कत, कग्मों को तेती अगय्ाओं पन मेत्री आसा है| सो में कण २५ 9 तेनो व्रवसथा के सदा सनव्॒दा लीं पालन कत्त- गा। ओत में नौनबव्रंच परीन गा, कौय्रोंकी में तेचो अगया का प्पोजो हुं नाजाओं के आग जो में तेनी साप्पीयों कौ यत्तया कन्‌'गा, गन लजोत चेउंगा। ओऔतन तेनो अगय्ा से आनंदोत हे।- उंगा, कयोंकी में उन पत्र पनम कतला हूं॥ में तेनी अगय्ाओं कीं ओन, जीन पतन में ने पनेम कौया है, अपने हाथ ज्ञो उठाउंगा, ओतन तेनी ब्रोंचन का घय्ान कन गा

जन

अपने सेवक के लोग उस व्रयन का समनतन कन, १+ (७,

२०६ गौत।

४० जोस पतन ने मुछ्े आसा टौलाइ है| यत् मेने दृष्प में मनो सांत है, कय्ोंको तेते ब्रयन ने मुझ ५९ जोलाया है। अचहंकानीयं ने मुष्ठ ठठे में उड़ाया ५२ है, तद ज्नो में तेतो व्रेवलथा से हटा हे पत्- मंसन, में ने तेने पतातन व्रौयानों के समचन ५६ कोया, आन अपने के सांत दौद्या। उन दुसटों के कानन, जे ततो व्रेवसथा के तयागते हें, चडका ५१४ ने सुष्ठ पकड लौया है। मत्रौं जातना के चन म॑ ५४ तेन ब्रोच मन गान हुए है॥ हे पनम सन, मेंब्ने तेचा नाम नात के| समनन कौय्ा है, औजन तेनों

४६ वब्रेवसथा के पालन कौय़ा है। ग्रह में ने पाग्या, जप की झ्े 5 >म. कर कग्योंकी में ने तेती अगज्जाओं के! पालन कौया

प्पेत कर कप ४५७ चने पतम रत, मत्रा ज्ञांग है, में ने ता कहा, कर ७. सु + ५८ की में तेन व्रयन के! पालन कन गा) में अपने हक. $2<- ही 5 पडिप: कि के * साने मन से तेन नुप का प्पोजों हुं, तु अपने ४८ ब्रयन के समान मुष्ट पत् दद्ा कत्॥ में ने अपने मानतगों के सेया, ओऔन तेनो साप्पोयों कौ ओआच यथनतन फ्ता॥ में ने यटक कोया, औतच तेती अगया का पालन कनने में ढठीख को ज्ड जे ६९ दुसटों के जथा ने मु लुटा, पतन में तेनौ ब्रेवरुथा

ईरे रे

€्‌ ्ई्‌्ई

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हद्दं

ेक से। उनोसवां गौत॥ २०७

के ज्ञल गय्या तेचे चनम व्रौयात के कानन मैं आची तात के जठके तेव। चंन मान गा। में तेने साने डनवेदयों का संगी हुं, अन जे। तेचो अगग्या के पालन कनतता हुं। हे पतमसन, पीनथोवी

तेचौ दा से पुत्तन है, सुष्ठ अपनी ब्रौच सोप्पला।

ट्थ।

है पत्मेसन, अपने व्रयन के समान तु ने अपने सेवक से ऋछा व्रेवहान कौया है | मुह व्रौयात् औजन गय्यान सौप्पा, करग्नोंकी में तेनीं अगय्ा पतत व्रीक्व/स लाग्रा हुं॥ दुप्पी होने से आगे में झटक गय्या, पत अव्र में ने तेने व्रथन के पाला है। तु आला है,औन जलाइ कनता है ; मुह अपनों ब्रीघ सोप्पला अहंकानौस़ों ने मु्ठ पत्र छठ ब्रना चप्पा है, पत में साने मन से तेनी अगग्या के

७० पालन कतु गा | उन के मन पत्त यौकनाइ छागइ ७९ है, पन में तेनी व्रेवसथा से आनंदीत हूं। जला

हुआ, की में दृप्प पड़ा, जोसतें तेती द्वौचीन के

७२ सोप्पु। तेनेमुह को व्रेवरुथा मेत्रे लौग़े सहसतों

3३

3९

सेना यांदौ से अछी है

जाद तेचे हाथों ने मुष्ठ सोंनजा, ओऔज डेल कौग्या

२०८ गौत!

38४

3८

टः०

हे,

क्र प्न्हे

है, मुप्ठ सम दे, जीसत॑ मैं तेनी अगय्या सौप्प वे, जा तुष्ठ से डनते हैं, मु देप्प के आनंद होंगे क््योंकी में ने तेने ब्रयन पत आसा नप्पी॥ हे पतमेसन,मुषछ् नीसयम् है,को तेता व्रीं यात चचम है, औनच तु ने उयोत से मुछ्ठ दुप्प दौग़ा है। अपने सेवक के अपने व्रयन के समान, तेनी कोा- मल दया मेचौ सांत के काचन होवे तेनी केामल दद्या मुष्ठ पत चेवे,जोसतें में जाउं, क््मों। कौ तेनौ ब्रेवसथा मेनो आनंदीता है अहंकानी लाग लजीत चेयवें, कग्नोंकी उनहें ने कनुतता से मुष्ट से ब्रेवहात कौय़ा, पन्र॑तु में तेनी अगद्या पत्र चा्मान कनुंगा॥ जे। तुष्ठ से डतते हैं, औ।च जीनचे ने तेती साप्पीयों के जाना हैं, से। मतती ओर परीन॥ मेता मन तन ब्रीच में सोच हे- जाम,जीसतें में लज्जौत हे।उं

कापर «

मेनचा पत्तान तेती मुकत के लीग मुतछोत हे।ता

है, पन॑तु में तेने ब्रयन पत्त आसा नप्पता हुं॥

मेची आंप्य तेते व्रयन के लौग़े चटी जातों हैं, है. ्े 632 रे +

मुद्दे कब्र सांत देगा क्य्मांकी में चर में के

क॒पे को नाइं हुआ, तथापी तेने व्रोच के नहीं

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फ्रेक से। उनोसवां गौत॥ र्न्ढ्‌

ऋलता॥ तेने सेवक के दौन कौतने हैं?त॒कतद्र मेने सताउ के दंड देगा। अहंकानोयों ने, जा तेती ब्रैवसथा का पीछा नहीं कनते हैं, मेने लीग गडदे प्पादे हैं तेती सानी अगया व्रौस- लिप >>. 35७५ मम वास मय्य है, वे अकानथ मु सताते हैं, तु मेत्तीं सह।य कत। लनौक था, की वे पीनथीवी पनर से सुद्े मोटाडालते, पनंत्‌ में ने तेनी अगद्याओं का 2 इक ४2३

तय्ाग कीया अपने कामल पनम से मुझे जौला, से में तेने मुंह को साप्पीयां के पालन कन गा

3

लामट

है पनमेसत, तेता व्रयन सनतग॒ पत सदा सथोच है। तेत्ो सयाइ पीढ़ी से पीढ़ी लो है, कौ तु ने पौतथीवो के सथीत कौटा, औच वह उच्नी

पे पे

है। वे तेनी ब्रवसथा के समान आज लों सथोंतत

रु $ डे हैं,कर््योंकी सब्र तेने सेवक हैं। जो तेनी व्रवसथा मेंनी आनंदता हेती, ते। में अपनी ब्रौपत में नास हेोजाता॥ में तेती अगग्न।ओं के! कन्नो अलंगा, कग्मों कौ ने उनके काचन से मुष्ठ जोला- £-॥ ता दर डक »०0, या है॥ मेंतेता हुं, मुष्ठ व्रया ले, कग्ांकी में तेनीं अमग्मा का प्पाजी हुं। दुसट मुछ्ले नास कनने के घात में लगे हैं, पत्रतु में तेनी साप्यौग्नों के

॥१% (७,

२९० गोत। है से/यगा ॥| में ने सानी सीचता का अंत देषप्पा, परंतु तेती -अग्या अनम्मंत योडी हैं

मोंम।

९७ आह, में तेती ब्रेवसथा से केसी पर्ती तप्पता हुं «८ सात दौन वहाँ मेत्रा चा्मान है॥ तु ने अपनों अगय्याओं से मुह मेने व्रेती ये जी व्रुचमान कौय्रा &«€ क्य्ोंकी वे सदा मेने रुंग़ हें॥ में अपने साने उपदेसका से अचौक समषछ् नप्पता हुँ, कग्रोंको ०० तेनी साप्पीयों पत्त मेता चंग्रान चै॥ में पत्ता- योनेां से अचौक समहता हुं, कटोंकी में तेतो १९०९ अगग्याओं का पालन कतता हूं॥ में ने हन एक कुमालग से अपने पांव के! परत तप्पा है, जीरुत १६०२ में तेते व्रयन के पालन कन में तेत व्रौयानों से नहीं परीता, क्मांको तु ने मुह सौप्पाय्ा हैं॥ ०8 तेती व्राते मे ताल में मच से ज्ञो मोठौ ह्हें। ९५०४ तेती अगय़ा के कानन से में समष पाता हुं, इस लोग में इन फ्रेक धठ मानग से घौन कनता हूं कै! नुन॥ ९५०४ तेता व्रयन मत्र पांव के लौसे टोपक ओऔ।त मेचे ५०६ मानग के छोग्ने उंजीग्राला है। में ने कौनग्ा

फ्क से। उनौसवां गौत ९९९

प्पाइ है, जैन उसे पुता कन॒ गा.कौ में तेने चतम

९०७ ब्रोयानों के! पालन कनुगा। हे पतमसन, में

अतो दुष्पी हु,अपने व्रयन के समन मुष्ठ जौला |

९०८ हे पतमसन, मेन म॒ह-को मन मनता चेंट केा

गतहन कन, ओर अपने मग्माय्न मुह सौप्पला॥

१५०८ मत्रा पतान रह मेत्रो इथेलो पन है, तथापी

९६१० में तेनों व्रैवसथा के नहीं व्रौसतता॥ दुसटों ने

मेन लौये परंदा लगाग़ा है,तथापी में तेती अगया

९९९ से नयका।॥ में ने सनव्॒दा के अचौकान को

नाइं तेनी साप्पौयं के लेलीया,कर्यों कैम ना मन

१५१५२ उन से आनंदौत है | में ने अपने मन के सदा

तेती ब्रौचन पत्र छुंकाया है, जौसतें अंत लें उनहें पालन कन॒

सामौप्प।

९६३ में कज्नावना के घौन कतता हुं, पत्ंतु तेची ब्रैव-

९१५४ सथा से पतम तप्पता हुं॥ तु मन छोपने का

सथान, जैन मनी ढाल है,अन में तेन व्रयन पत्र

९५५४ आसा तप्पता हुं। हे ककनमोशग्ा, मेने पास से

" दुत्त दो।ओआ,क्ग्मोंकी भें ते अपने इसत कौ अगय्या-

९९५६ के पाल ग्रा। अपने व्रयन के समान मु

संज्ञाल, जौसतें भें जोउं, औन मुझे मनी आरा

: ११५७ से लजीत कत। मुष्े थाम, औन में व्रयु गा,

२९२ गौत॥

९९८ ओपन में सदा तेनो द्रीचीन के न॒ंगा। तुने . छन सजा के। लताड़ा है,जोनचे ने तेनौ ब्रीचीन ९६१८ से यक कौयरा, की उनका छल मोौथस्ा है। ने पीनधौवी के साने दुसटों के।,मैल की नाइं दुत कीया; इस लीौये में तेनी साप्यीयों से प्तोंत १५२९० नप्पता हू मचा सचभीत तेल डत के माने थच्त- 3७० ०». *. स्‍ थनाता है,अआजत में तेने नयाय्॒ से डतता हुं

रे

९२९ में ने नय्याय आल 'चनम कीया है, मुह मेने सताने ९२२ वाले के व्रत में काड। अलाइ के लोग अपने दास का टद्रौयवइ हा, अहं कानोी के! सुष्ठट सताने ९२९ दे। मेत्ती आंप्पें तेती मुकत के औन तेत चनम ९२४ के व्रयन के कानन घटी जाती हैं। अपने दास से अपनो दया के समान व्रेवहात कनत,ओऔज सु १९२५ अपनी ब्रोंच सौप्पा। में तेता दास हुं, सुद्ठे ...._ समष्ठ दे,जौसतें में तेचो राप्पोयों के पच्दौयानु ९५२६ पतमेसन के कानज कतने का समय है, कर्ग्रोंकी उनहे ने तेतो व्रेवसथा के। व्रीनथा कोंय़ा है। ९२७ में इस लीगेतेनी अगय्ाओं का सेने से, हां, ९२८ योप्प सेने से अचौक पन्तीत तप्पता हुं। इस लोग में तेती सानी अगग्राओं के। सब व्सते। से

ना

फ्रेक से। डनीसव। गोत। क्‍ १५९५३

ठीक जानता हुं,औ/न हत 9 मीथया मानगों से चघौन कनता हूं। ये ९५१८ तेनो साप्पोय्रा आसयतजौत हैं, इस लोग़ मत्रा ९३ पत्तान उनहें प/।लन कनता है। तेनोौ ब्रातां का पनवेस उजौय्याला देता है, वे सचों के सम देतो ९९९ हैं | में ने अपना म॒च् प्पोला, आज हपा, कप्मों- ५३२ की में तेतो अगद्ाओं का अज्नौलासी घा। जेसा तेनी दोचीसट अपने नाम के पनेमोयोों पत्र है, ९९: नेसा मुष्ठ पत दौनीसट कतके दया कन। अपने व्रयन में मेने डग के यला, ओजन केइ अचनम ९६४ मुष्ठ पत्र ताज कनने पावे। मनुप्प के सताने से मुझ व्रया,से। में तेती अगग्याओं का पालन १३५ कत गा,।। अपन दास पन अपने का यमका, १९६ गन मुह अपनो ब्रीच सोंप्पा। पानौ की नदीय़ां मेत्रों आंप्यों से व्रहनतों हें,कञ्मोकों वे तेनोद्रवरूथा के। नहों मानते

जाद। १९३७ हे पत्तमेसत,त चत्मी है, ओ।न तेने व्रीयः ९३८ हैं। तेनो अगय़ा कौ सप्पौग्ां चलंतु मेने ९३८ ब्रोखवास मप्न हैं। मेने जलन ने सुने ब्रयन से

२९६६ गौत।

उसको नाइं आनंदौत हूं, जीसे व्ड़ी लुट मोलती ९६३ है॥ में छुट से घौन ओज व्रेत नप्पता हूं, पतंतु ९६६४ तेनी व्रेवतथा से पत्तोत नप्पता हुं॥ में तेने. चचम नग्ायों के कानन रौन ज्ञत में सात ब्रान ९६४ तेती सतुत कतता हुं॥ लेती व्रेवसथा के पन्ने मोंयों का व्रडा येन हैं, उनके लोग काइ ठोकच ९६६ होगी। हे पत्तमेसन में ने तती मुकत को आसा नप्पीं है, ततो अगय्ा के समान कौय़ा है॥ ९६७ मेने पतान ने तत्री साप्पीयों के! पाला है, औत ६८ मे उन पत्त अतग्ंत पन्तेम नप्पताहुं॥ में ने तेती अगया, ओन ततनी साप्पीय्नों के! पालन कौया है, कट की मत्ती सानी याल तन आगे हैं।

हा

ता॥ १६८ हे पत्तमेसत, मता नाना तेतने आग पहुंये, अपने ९७० ब्रयन के समान मुषह समष्ठ दे। मत्रो व्रीनतों ००९. का हो. 7 तेने आग पहुंये, औन अपने व्रयन के समान ९७९ मुछ् छडा॥ अपनी ब्रौच मुह रौप्पा, तब मेत्रे ९७२ होंठों से तेचों सतुत नोकलेगो | मेत्री जोन्न तेते 5 लकिट ३०. 2. 9 कि जि ब्रयन के व्रौप्पय कच्चा कनगौ, कय्रोंकी तनो ९५७३ सानौ अगगद्या वनतम हैं॥ अपने हांथ से मत्तो ) | २७५ सहाय कन, कर््नों की में ने तो अगाया का युना

छेक से प्रैकौरुवां गोत। २९७

(७४ है। हे पनमेसत, में ने तेती मुकत कौ लालसा 9: ्ल

९५७ की है, औजन तत्री व्रवसथा मता आनंद है। मता

पत्तान जौवे, आन तेतो सतत कनेगा, जन तेने ६८.4 श७० /क ३,

९७६ नयाय्र मो सहाय कत॥ में प्पाइ हुए जझड को नाइं अटक गगद्या हुं, अपने दास का ढु ढ, की में तेनो अग्रय्ाओं का नहीों जलता

५२० फप्रक से! ब्ौसवां गौत॥ पद़ें का गान कि ७० «. ब्क् हक" अपने दुप्प मे में ने पत्मेसन का पुकाना, ओन सी की रब पीकर २९ उसने मनो सनो। हे पत्तमपत, मन पनान को धठ होंठों से, आन छली जीजन्न से ६डा है धटठो जीज्न, तहे कया दौगा जाय्गा ) आन तटष्टे कया मीलेगा॥ ब्रौन के योप्प व्रान, जन जलते हुए अंगराने। सुष्ठ पत्र संताप है, जे में मोसौक में ओऔआन केहातन के तंव्रओं में चहता हूं। मेतता पत्रान कसल के द्रेनोयरों के संग व्रह्ूत नहा है। में ते कसल याहता हुं,पत्र तु जब्र मैं व्रोलता हुं, ता वे लडाइ के लोग्रे लेस हे।ते हैं १५२९२ प्रंकसे कीसवां गीत | पढ़ें। का गान

में आंप्य उठा के पहाड़ों पत्त टीतसट कन्॒ गा, 5 9६

र्श्८ गौत।

र्‌

जहां से मेती सहाय आतो है। मेनी सहाय पत- मेसन से हैं, जौस ने सनग आंच पोनधीवी के

न्‍टः हैः. ०... सोतनजा। वुच्ठ तेता पांव टलने देगा, वह जा तेता नप्पवाल है, उंचेगा। देप्प,वच्द, जे इस-

री

नाइल का नझक है, कत्नो उंचगा, से|वेगा। पत्र मेसन तेचा तप्पवाल है, पतमेसन तेने ट्हीं ने

हाथ पत्र छाग्ा है, सुनज दीन का, ओऔतनत

यंदतमा चात के लुष्टे कछ दुप्प देगा। पत्र-

मेस्न साती व्रुताइय्ों से ले व्रयावेगा, वुच्द तेने पत्रन को व्रयावेगा पत्रमेसन इंस समय से सदा के लींय व्राइत जाने म, आंच ज्ञोतत आने में, तेचीं चकृय़ा कनेगा॥

९५२२ एक से व्राइसवां गोत ढाउट के पदां का गान जव्॒ उनहेंने सु कहा, की आवोा, पत्रमेसन के मंदोच में जावें, में आनंरीत हूआ हे स्ौनो- सलोम, इमान पांव तेच पराटकों में सथीन हेंग। गौचोसलोम फ्रेक ठोस नगत कौ नाइं व्रना हुआ

है॥ जोचन वे गासटीयां, अनथात पनमेसन को

गेसटीगां इसनाइल के साप्यों कने पनमेसत के नाम का चंनव्राद कनने के यढती हैं कग्रों की

फेक से। तेइसवां गोस। ११८

उस में नयाय्र के सोंह/।सन, अनधान दाठद के घनाने के सोॉंह|सन चने हुए हैं। ग्रोनालीम के -< बिक. कर हक.

कसंल के लोग पत्रातथना कना, वे,जे। तुष्ठ से पनेम

जअप्पते हैं, ज्ञागमान होंगे तेतो जौते के ज्ञोतत

2 शी पी 5९५

झर कुसल, आन तेत अवने में ज्ञाग हावे॥ में अपने

जञाइयों गाव संगोयां के लौये अव् कहता हुं,

त॒ष्े कुसल हे।वे। पतसेसत हम, ने इसन के मंदौत के कानन, में तेत। नंगल ढंढुगा |

है 4 कि कक पे गे १५२४३ एक सा तेदूसवां गोत ७: का पढें का गान

हे सनग व्रासो, में अपनी आंप्प तेनो आन उठा-

ताहुं॥ देप्प, जीस नौत से सेवक अपने स।मोौ के हाथ को ओन, औन दासी को आंप्पं अपनो सामनी के हाथों की आन तकती नह्तती हैं, तेरे हमानो आंप्य पतमेसत हमान इसन पतन हैं, जदव्र

लों वुच्द हम पत दृद्मा कते। हे पनमेतनत, हम पत्र दत्ता कतत, हम पन दया कन, कर्य्यांकी हम

अतग्रंत नॉनदा से जन हैं॥ स॒प्पोग्रों को नोंदा, औनल अहंकानीयों के ढठों से हमाने पनान अतयंत्र मन गये

२२० गोत।

9७. पु १२४ पक सा याव्रीसवां गौल दाउढ के पढें का गान

१५ अदवब्र इसनाइल कहे, को जा पतमेंसत हमानोी (2७: किक है | है > पं 0 आन हाता॥ जव्र मनप्प हम/न ब्रौनाच उठ। जव् कौ उन का कनलाच हमान व्रौनाच में अडेकता था, जे पत्मेसम हमानोी ओन हे।ता, ता वे हमें जौत नॉंगल जात! तव्र हमें जल डब्रा लेता, चाना हमने पचान के उपन जातो। अहंकानी जल हमान पत्ान पन ब्रौत जाते॥ चघंन पत्मेसन जीस ने हम उनके दांतें का अद्देन होने दोयसा। इमात्रा पतान पंछो की नाइ व्रद्नाचा के जाल से व्रय नीकला है, जाल टुटा, दे ५३ कण जैन इम व्रय नोंकले हमानो सहाय पनमे- सन के नाम में है, जीस ने सनग ओ।न पौनथीवो के सौन जा

/##

१२५ फेक से पयौसबां गोत » पढे का गान | ९५. पत्रमेसन के आतनींत सेहुन पनव्रत को नाइं हैं,जे। अयल गत सदा सथीन है जेसा ग्रौतो- सलौम के आस पास पतद्रत हैं, तेसा प्रतमेसन इस समग्र से लेके रूदा लें अपने लागों के घेने

एक से। छब्रौसवां गौत। २९६५

७. हुए है॥ -दुसटताका-ढंड चतनोयों के ज्ञाग पत्त पड़ेगा, होवे, को 'चनलमो अचलमकौ ओन

अपने हाथ व्॒ढदावं। हे पतमेसन अलें से ओन

प्यते अंतःकतनीयों से जलाइ कन। पततु वे, जा अपने टेढ़े मानगों पन यलते हें, पनमेसन उनहें ककतमीट्रं के संग यलावेगा, पत्रतु कसल इसनाइल के लोझे है

९५०६ फ्क से छव्रौसव। गीत पढें का गान

जब पनमेसन ने से हुन को व्रंचआइ को परी- नागा, तब हम सपनदनसी की नाइ हुएऐ। तव्र हमाने मंह हंसो से, ओच हमानो जोज्न गान से जन गइ, तव् अनदेसौदों मं यतया हुए को पत्मरझन ने उनसे व्रड़ा ट्रेवहान कौया पनमे सन ने हम से व्रडा द्रेवहान कौ, हम आनंदौोत 8४ हैं॥ हे पतनमसन; दृप्पोन को चानों की नाइ इमानी व्रंचआइ के पलट दे। -जेा आंसओं में ब्रोते हैं, सो गागा के लवेंगे। जो ब्राहन जाता है, ओऔज नाता हुआ, ब्रहमुल ब्रौज-लेजाता है,से। नौ:संदेस आनंद कनते हुए अपनी पलौग़ां साथ लेके फरौच आवेगा 58 ७,

हर

गौत

१२७ फ्क से। सताइसवां गोंत सुलेमान के लौगये पदें| का गान।

जे। पनमेसत चन ब्रनावे, ते व्रनवैया का पतौसतम अकानथ है, जे पत्रमेसन नगन कॉ नक॒या कने, ते नप्पवाल का जागना ब्रग्नतथ है। तमहाता तड़के का उठना ओज अव्नेत का सेना, ओतन से कौ. नाटौग्रां प्पाना ब्रौनथा, क््गयोंकी वह अपने पतौय्र के व्रौसनाम देता है | देप्पा, की लड़के पतमेसत के ऐ9क अचीकान हैं,

गन गनतज्न का परल उसका पनतोंपरल जेसे

व्रलवान मनुप्प के चाथ में व्रान, तेसे हो तनुनें के लड़के हैं ।चंन वह ममुप्प जौस का तुन उन से जता है, वे लजोत देंगे, पत्ततु फ्राटक पत्र ब्रेनौयों से व्रोलेंग। ९२८ फेक से। अठाइसवां गौत पढें का गान «&

जे। मन प्प पत्मेसन से डनता है, औज उरुके मानगों पन यलता है, से| चंन है। कयोंकीत अपने हाथां का पत्तीसनम प्पाग्रेगा,त ज्ञागमान है, अऔन तेत| जला है। तेनो पतनी परलवंत दाप्प की नाइ' दोगो, जे! तेने चत के आरू पास

फ्क से उंत्तोसवां गोत। २२३

जै, तेत व्रये तेने मंय कौ यानों आन जलपाइ पेड कौ नाइं हेंगे॥ देप्पा, जे पतमेसन से छउतता है, वह 9सा आसौनव्रादौ झछगा। पन- मेसन सेहुन में से तले आसीस देगा, औन अपने जीवन जन ट्रीनोसलोम कौ ज्नलाइ देप्पेगा। नौसयग् त्‌ अपने व्रयों के व्रय, इसनाइल का कुसल देप्पंगा।

डे है ९२६८ फ्रक से। उंतीसवां गीत पटें का गान

अग्र इसनाइल ट्र।ल, की मो तनुनाइ से उन- हों नेव्रातंव्रात मुद्ठ सताया है॥ मंत्री ततुनाइ _ से व्रानंव्रान उनहें ने सुष्ठ सताया है, तद ज्ञौ वे मुष्ठ पत्त पनव्रच हुऐे॥ इउनवाहे। ने मत्तो पीठ जात के अपनो नोचानोगय्रां लंदी कौगयां। परनमे- सन 'चनमौ है, उसने दुसटों कौ चसमोयणरों के काट डाला है| सत्र, जे सैद्धन से ब्रेन चप्पते हैं, लज्ञोत देव, ओऔतन हटाये जावें। वे छत पत की घास को नाइ हेव, जो व्रढने से पहौले मुच हा जातों है। जोस से घस्ौहाना अपनो सुठौ नहों अनचता, आन आंटौ का व्रंचवेय्या अपनो अंकवान नहों जगता। गन वे, जा उचन से बाते हें,

२२४ गोत।

नहीों कहते, की पतरमेसन तह आरसौस- देवे, हम हे जज 8 6 पेनमसन के नाम पत तु आसोस देते हैं। . 3000 २६६ १६० फेक से। तो सतरां गौत पदे| का गान ॥| हे पतमेसन, में ने गए नापों में से तह पुकाता है॥ हे पनज्ञु, मेत्रा सब्॒द सन, औरत मेतो ब्रौन- तौयों के सब्॒ह पत्र कान चत हे पत्ममसन, य॒दी तु अचनम का लेप्पा लेवे, ते। हे पतनज्नु, के ठच्चत - : 2१0 28९ हु हे गा? पतन तेने पास ता छमा है, तुष् से डव्ा या- होय॥ में पत्रमेसत्न की व्राट जेहता हुं, मेत्रा के च्पे 20 आओ] पतान उसकी व्राट जाहता है, औन लुछ्ल उसके व्रयन पत्र आस; हैं। जस। पहन व्रीह।न को व्र।ट जाइते हें,हां, जेसा पहन व्रौह्चान की ब्राट जा हते हैं, उस से अचीक मनत्रा पतान पत्र कौ व्राट जा- हंता है हे इसनचाइल, पत्रमसन पत्र आसा नप्प, क॒झांकी दया पतमेसन के पास हे, ओन मुकत को व्रहुताइ उसके पास है। ओ।न वहो इसनाइल का

' कु है. < 25 उसके सात अचनम से छडावगा[

९३९ फेक से| प्रकतो वां गौत दाद के पढें का गान।

है पतमेसन, मेता मन अहंकानों नहों, ओन

9क से ब्रतौसवां गो त। २२५ मेची दौनीसट उंयी है, में व्रडी व्रातां में अ।न

आसयतजोंत व्रसतुन में पनेचन नहीं वचता।

नौस्यय्र में नीत से यला,औज में ने अपने मन के

सांत कीया है, जेसे दुच छड़ाया हुआ व्रालक

री 3 कोर .

अपनी माता से देता है, हां, मेत। मन दुच डाये

०. कं अल

हुए द्रालककी नाइ' है। अदव्र से सद। लें इस-

नलाइल पत्तरमंसत पत आरा नतप्प॥

है5& १३२ पक सो व्रतौसवां गौत रे पढ़ा का गान

है पत्तमेसत दाउट का, औजन उस के साने कसटों

का समतन कत कौ उसने कर्यॉकल पतमसन की कीनया प्याइ, औज ग्राक॒व्॒ के पताकनमी को

मने।ती मानी॥ नोसयय में ते अपने घत की छत तले जाउडंगा, आल अपनो प्पाट पत

य्यढ़ांगा॥ में अपना आंप्पों के। नोंद देंडंगा, औरत ओंचाइ अपनी पलके के जव्लोें को पनमेसन के लौगे सधान, औजच ग्ञाक॒व् के पतता-

कनमौ के लोग व्रसाव पा ल'॥ रेप्पा, हम ने उसके व्रौप्पय्म भें अपरनाता में सुना, अल हम ने

उसे अनन के प्पेतां में पाग्ा। हम उसके तंत्रु- में जाओेंगे, आन उसके पांव के पोढ़े के आगे

२२६ गोल।

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श्प्य

हे *५० बिक *< 2 20% हंडवत कनेंगे॥ हे पत्मेसन गन तेने पत्ता- जी ह] > हो. ०५ रा कक कनम की मंजसा अपने प्यन मउठ तेन जांजक

कक (8, पक हक ०७ « > चनम से पक्ठलौनाय जाय, चैन तेघे साच आनंद से ललकाने॥ अपने दास दाद के काचन अपने अज्नौसकत का मःह मत मोड़। प्रनमेसन ने सयाइ से दाद से कोनया प्पाइ है, जीस से वह हा ना न्क्य की हटगा, को तेन गनज्ञ के परल में से तन सींह।- 3 ५» ना रुन पत ब्रेठाउंगा यदौ तेते लड॒के मत्री व्राया कक “व ०. क५० | हु औन मनो साप्पो का, जा में डनहें सोंप्पाउगा, 3 0 कक बक > शारिआ सो पालन कन गे, ता उन के लड॒के ज्ञों तेव सोंहासन * . २७०७० के एह ०! सर पत्र सदा छो द्रेठ गे॥ कर्य्योंकी प्रतमंसन ने सेहुन के युना, आन अपने नोवास के लौयोे पयाहा॥ ९५ 2 + यह सदा मेत्री येन का सथ।न है, में इस भे व्रसं गा + 7 ज३- कयोंकी में ने उसे ययाहा है॥ में नोसयट्र उसक केक 0० /+९ 23 ३० 2. ०४७४४ ५४०६ अआाजन पत्र आसोस देडंगा, उसक कंगाल का नोटो से ततीपत कनुंगा। में उसके जाजकों दो मुकत से पह्दीनाउंगा, ओआनल उसके सच आनंद >्ड् है जज ५. >७० के मान ललकानेंग॥ वहां में दाद का सींग उगराउंगा, में ने अपने अन्नोसेकत के लौगेफेक रे दौपक ठचह्नाया है॥ ओन उसके व्रेनींशों का लाज से पहौताउं गा, पंत उसका मुकुट उसों पन

ललहइहावेगा॥

एक से येंत्रीसवां गीत ९२७ ९५३३ फेक से तंतीसवां गीत

दाडद के पदे का गान

. देप्पा ज्ञाइथों के 9 कठ, औन फेक मत से नह के

र्‌

रे

है

दे

में केसो अछो ओ।च सुनदत ब्रात भै॥ ग्रद्द सौत है से + हक पतन के व्रह्लमुल सगंच तेल की नाइ. हैं, जा दाढो. के

पत्र ओआच व्रह्क अतथात हानन को दाढ़ौ पतत व्रद्दा, जे उसके पहौनावा प्पूट लॉ व्रह् आया औन इनमुन को ओआस को नाइं, जे सेहुन के पहाड़ें पत्त उतनो, कट्रोंकी वहां पनमे- सत्र ने आसोस ओन अनंत जवन के ब्रीप्पग्म म॑ अगया टो

जो जि बे ५५ | ५३४ फक सा येंतोसवां गीत कर पढ़ें का गान॥

हे पनमंसत के सव्र दासे, देप्पा, जे नात को

बिक + ७. जि पतमेसन के घन में नहत हे।, पतमेसनत का च॑न ब्राद कनो।॥ चनमचाम म॑ अपने हाथ उठाओ, और पतमेसन का चंन ब्राद कनोा वुच्द पत्तमेसन जोस ने सनग, ओजन पोनथीबीं को रौचजा, तुष् $: ने सेहुन मं से आसोस देवे॥

र्र्ष्र गोत!

जे ५० 4 १५३५ एक से पेंतीसवां गौत॥

आप किक रु दिला पत्रमेंसतन की सतत कनो, पत्तमंसन के नाम को

की के के हर सत॒त कना, है पत्मंसन के सेवका, पतमंसतल की _

0 दा -- 5 सतत कना तम, जे। पत्तम सन के चन मं, ओरल ही बम फे गे की “९ (५: कि कं ("8

हमान इसव के घचत के आंगनों मे प्पड़े नहते ह्षे।।

ब््‌ बन हा “पन मेसन को सत॒त ८ना, करय्योंकी पत्तमसत् भला

हैक / डे है, उत्तक नाम की सतत गाउं, कय्योंकी संदत हे कक १३ कर के घर चक्र कयांको पत्तमंसन ने य्राकव् को अपने लॉय यना बज का कप हे हि कै, ओऔन इसतच)।इल को अपने व्रीरुेस जअंडान के लीय॥ कर्नोंकी में जानता हुं, की पतमेसत महान जे लत बन है, अल हमाता परन्न साने देवों से सनेसट हे जे। कछ पत्रमेसच ने याहा, से। उसने रुसग, औत पीच »वो, आन समंदत, अत साने गहोने सथा- नो में कौया॥ वहीं पीनथोवी प्पंटों से परी /> ०७ ; ३५ उठाता हे, औन वब्रोजली मेंह के लीय व्रनाता हे, औैन पवन को अपने ज्जंडानों से नौकलता है

छः ०२, की किक. है" उसो ने मौसन पह्दौलोंठ मनुप्प से लेके पसु लें माने॥ हउ मौसन, तेते मच में परनडन पन,

श्० है

औतन उसके साने सेवकों पत, उसी ने लक्तन, ओन

आसयनज दौप्पलाग्र॥ उसी ने ब्रड़े ब्रड़े जात-

गनें को, औन पतराकनमी ताजाओं का अमु-

म्९ नोगों के चाजा सहुन को, औज व्रासान के नाजा

दर रैरे

श्ष्धू श्छू

१3

रैफ

श्ट्ड्‌

ज़क से। छतोसुवां गीत २२८

उज को, ओआजन कोनान के सान ताजे का नास कौटय़ा॥ ओऔ।न अपने इसना इली लागों का उनका देस अचोकान में टोया हे पतमेनन,तेता नाम सनव्॒द। है, हे पतमेसन,तेना समनन पोढ़ो से पीढ़ो ले जचहेगा॥ कर््योंकौ पत्तमेरसत अपने लोगों का नयाय्र बदलेगा, औनल अपने दासे के चौगटे पछ- तायगा अनदेलोग्ों की मुतत साना, औन जपा,ओआतल मनुप्पों की कौनसा हैं वे मुह नप्पतो ह$, पन ब्रोलतों नहीं, वे आंप्प नप्पतो हैं, पत देष्पतों नहों | वे कान नप्पतों हैं, पत्त सनतो नहीं, वे ता मुच्द से सांस ज्ञी नहों लेतीं॥ जे डनके व्रनवेय्रे हैं, सा उनहों के समान हैं, अन हन एक, जौसका झनतासा उन पतन है, से 9 स। ही है। है इसनाइलो घनाने, पतमेरत का चंव्राद कना, हे हनन के घनताने, पतमेसन का चंनव्राद कतो। है लावो के घनाने, पतमेसन का 'चंनव्राद कत्तो,तम जे। पत्रमेसन से डनते हे।, पतमेसन का चंनव्ाद कनो, पनमेसन सेहुन में चंन है, सीनोस- लोम म्‌ ब्रास कतता है, पत्मेसत कौ सतत कतो |

र्क कफ ९५६९६ एक सा छतोसवां गोत

पत्रमेसत का घंन माने, कट्र|कों वह जला है, हे ७४६.

रह ७० गौत।

हि

औत उसकी दया सतव॒दा हैं॥ इसतों के इसत का चंन माना, कझ्मांकों उसको द॒ल्ला सनव्॒दा है पनज्नओं के पत्रज्नु का घंन माने।, कग्मोंकी उसकों दया सनव्र॒दा जै। उसो का, जे अकेला ब्रड़े, आसरयनज कनता है; कम्नांकी उसकी दमा सनब्र-

दा है॥ उसोका जीस ने अपनी ब्रुच से रूतग

श्‌ 6

१९

व्रनाये, क््रांकी उसकी दया सनव्॒दा है उसे 0६ हि पं का,जोस ने पीनथीवीं का पानोय के उपन पर ला-

या, कंर्झ्मांकी उसकी दया सनव्॒दा है। उसो का

जौसने व्रदी व्रड़ी जेल व्नाइ, कंयों की उसकी दया सनव॒दा है। सतज, जींस की पनजझ्ञता दौन पत है.कयोंकी उसको दया सनव्॒दा है॥ औच यंदतमा औान तानागन,जीनकी पलज्ञता नात प्रत॒ है,कर्स्ों- को उसको ट्या सनव्॒दा है॥ उसी का जौसने मीसन के उसके पह्ोलाठों समेत माना, क्ग्ोंकी उसकी दमा सनव्॒द। है॥ औओनच इसन।इलौयों

का उन में से नौकाल लाग्रा,कप्मोंकी उसको दया

कक

श्र श्४

सनव्दा है अपने पनव्रल हाथ से, अ।न- परे ली

हुई झुजाओं से, करों की उसकी दद्या सनव़॒दा है

उसौका जीसने लाल सम दत के। दे। ज्ञाग कौया, कह है.

कग्योंकी उसकी दता सनवदा है ओ।न इसता-

इलोटों के उसके मच से पान ले गय्या, करग्ांकी

श्ध्‌ रह

५3

रे

की

एक से। छतीसवा गोत। २९९

उसकी दया सनव्॒दा है। पत्तत्‌ परतउन के उसको सेना समेत लाल सम दनत म॑ छ्वाडु डाला, कग्यांकी उसको दया सनतव्॒दा है उसो का, जे।

* [33 कं + छह अनन अपने लागां का अगद्या हुआ, कय्ांको

उसकी दया सनव्॒दा है॥ उसो का,जी रूने व्र॒ड़े ब्रड़े लाजाओं के मानडाला, कप्योंकी उसको दया खचव्दा हैं। ओजन पनसौच नाजाओं के। मान डाल।, कगझ्मोंकी उसकी दया सनव्॒दा है अनथात अमुत्तीयों के ताजा सोहुन का, कग्रांको उसको दमा सनव्॒दा डै। ओतन टद्रासान के नाजा उज के, करों को उसकी द॒य्रा सव॒व्॒दा है॥ जन उन की ज्ञुम के अचीकान में दौग़ा, कग्रोंकी उसको दया सनव॒द्य है। अपने दास इसनाइल का अचीोकान कोटा, क््नांकोी उसको दा सनव्र॒दा है। जीसने हमानी दुतद्सा में हमें सतनन कौय़ा, कग्योंकी उसकी दया सतव्॒दा है आन हमने हमाने ब्रेनौय्ों से छडाय्रा, कग्रोंको उसको दस्ा सनव्॒द। हैं। उसी का, जे साने सनौनों के अहान देता है, कय्ोंकी डसको दया सनव्॒द। है। सनग के इसन को चंनव्राद कते।, कयोंकी उसको दय। सचतव्र॒दा है

२३.२ ... _गौत

रे

३० कं १९७ फुक सो सेंतोसवां गौत |

द्राव्रुल को नदौयां के तीत पत, जहां हम ब्रेठ गये, ओ।न सेहुन के। समनन कन के ब्रौलाप कोया |

हम ने अनो व्रौन। के उसके व्रौय के नलें पतन

टांग दौदा॥ कय्रोंकी, जा हमें व्रैँचुआ कन के ले गये, उन हे| ने वहां हम से याहा, कौ हम कुछ गावें, आन जोनहें ने हमें उजाडा, उनहे ने हम पत्र इंसो को, कहा, को से हन के गौतों में से गाओ। हाय पनरदेसौयों की न्ञम में हम करों कत्॒ पत्रमेसत के गौत गावें॥ हे य्ौने!सलोम, य़दौ में तहे अलं, ते मेता दहौना हाथ नल जाय्| य्रदो में तध्ले समतन कत, ता मेत्ी जीज्न ताल से लगजाये, औआन ग्रदौ में य्री तासलोौम के अपनी आनंदता से सनेसट जानु। हे परतमेसन, द्ौनासलोम के दोन में अदुम के संत।- ने के समचन कन, जौस ने कहा,की उसमे उजाड़े।,

उसे जड़ मुल से उजाड़े। | हे व्रौद्युच्व की ब्रेटौ, जे। उजाड़े जाने पत्र है; चंन है,वच,जे तेन व्रेवह्दा

का, जा तु ने हम से कौया, तुछ्ठ से पलटा लेग; चंन _ वह, जो तेन नंहें व्रालऊां के। पंकड़ पकडु के पथत पत्र पटके

है

३. अठतोसवां फ्रेंक से अठतोसवां गीत २३

५३८ फेक से। अठतीसवां गौत। - दाउद का गान मैं अपने साने मन से तेतौ सतुत कनु गा, देओं के अगे में तेनी सतुत गाउंगा॥ में लेने पवीतन मंदोच कौ आन दंडवत कन्‌ मा, औजन तेनौ सतता औन तेने कोमल पनेम के कातन तेने नाम को कूल कक, * सतत कन्‌ गा, कग्मोंकी ने अपने व्रयन के अपने साने नाम से अचौोक ब्रढाया है जीस दीन में ने पतानथना कौ, तव्तु ने मेनों सनी, औजन व्रल से मेन आतमा के व्रलो कौग्रा॥ हे है ... हल. 9३ पत्रमेसन, फोनथोवो के सान नाजा तेन मह का 3. को है 3& आर के व्रयन सन के तेनो सतत कनंगे॥ हां वे पतरमे- ७७०५-०७ न" ३० छर सन, के मानगों गाय्ंग, कटेंकी पतमेसत का ऐएसनड महान है। द्रदपी पतमेसत महान है, तथापीं वुद्द नमत्रों के यत कचता है, पत्ंतु अहं- कानौगों के। दुत जानता है॥ ग्रदहपी में द्रौपतों के मच भे यलु, तथापी मुह झौलावेगा, मेने ब्क यु ब्ेचीयों के कवच पन अपना हाथ ब्रढावेग़ा, औन ६» हैक. 8 तेना दहोंना हाथ मुष्टे ब्रया लेगा।, पन्मेसन मेल लौट काचज सोच कन गा, हे पत्तमेसन, तेनी दा सचव्॒दा है, अपने हाथ की कोनगणज्ा के

संट्राग कन #॥ * | कक प्‌ ७७ + 8

२१४ गौत॥

ै्‌

१६१८ फेक से। डंतालीरुवां गीत

पतरचान व्रजनीय के पात राउद का गोल

ब्( के 0 8. है पत्रम सन, तु ने मुष्े प्पाजा हे, ओत पहौ-

2७ 2७७. याना॥ त्‌ मेत्र ब्रेढने औच उठने के जानता

है, त्‌ मेत्ती' योंता का दुनसे ब्रुह्॒ता है। तु ने मे मासग, ओरल मेने सयन के चना, ओऔच मेती सानो यालों के जानता है! कयाको देष्प $। ] है मेनों जोन्न में कोइ एसी व्रात नहीं, जोसे हे पत- मेसच, तु सनव्॒था नहों जानता तु ने आगे पीछ मर डर | बे मुछे घेता है, औन तु ने अपना हाथ मुष्ठ पत्त चता 7" कर ब््५ ९५ है॥ फ्सा गयान रून लीटो आसयनतजौोत हे,

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यह्द उया है, में इसे नहों पासकता तेने आत-

पर

र.रे

मा से में कोौचन जाउं? अथवा तेने आगे से कीचन ज्ञाग' _ग्रदौ में सतग पत्र यढ़ जाडं, ते। तु वहां है, य्॒दौ में पतलेकक में व्रौछ्वोना व्ना- उं, ते रेप्प, तु वहां जो हे। ग्रदौ में श्री हान के पंप्प लेके सम दत के अंत सोवाने लां जा व्रसु ते। वहां ज्ञों तेतवा हाथ मु पहुंयावेगा, और तेता दहौना हाथ मुझे पकड़ेगा। गझदो में कहुं, की नौसयय अंचों यात्रा, नुह्े छो पावेगा, चात रू ने अस पास उंजोग्ालो हो जासगो॥ नोस्यग्

फ्रक से। उंतालौसवां गोत॥ ९३५

अंचौंयराता तट से अंचीम़ाना नहों कनसकता,

९९ श्४

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श्य्ः

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पतंत दौन की नाइं चात यमकती है, दौन तात दाने फ़्कसां हैं। कग्नांकी मत अंतःकतन का सामो हे, ने मुष्ठ माता की कोाप्प में ढांपा में तेतो सतत चो कत्‌ गा, कग्रोंकौ में जग्रंकन, औज आसयतनज से व्रना हुं,तेने कातज अयंत्नीत हैं, भेता पत्ताान जले जानता है॥ जव्र को में गुपत में सीतजा जाके पीतर्थीवों की नोयाइ में ब्रौयौतनता से व्रनाया जाता था, ता मेत्ता ततव" तह से छोपा था॥ में अब ले अचडा था, औज तेनो आंप्प मत्र पोंड का देप्पतो थीं, जव्र ले| उन में से काइ था,तव् से तेनोी पसतक म॑ लौप्पा हुआ था, को के।न कौस दीन व्रनेगा। हे इसन, तेने साय भमेत्र लौथे कद्ाहौ व्रहुमुल हैं, उनका जाडु कय्याहौ व्रहुत है॥ में उनहें कया गोन, वे ता गोनती म॑ व्राल से अचीक हैं, जव्र में जाग॑ तद ज्ञों तनहो पास हुं॥। हे इसन, नौसयग्न दुसटां के नास कनगा, सो हे चातौय्ो,मुष्ट से दुत हे।जाओआ कय्रोंको वे तन ब्रौनच में दुसटता की . व्रात॑ कनते हैं, तेने ब्रेनी तो तेवा नाम अकानध

लेते हैं हे पत्रमेसन क्या में तेने ब्रेनोय्रों से

ब्रैत रहों कतता ? कग्मा में उन से, जो तेने ब्रीना-

२३६७ मौत

हद

शक २४

ची हैं, दद्यस नहीं ? में अतयंत चैन से उन से 2 हे कल + 5७० ३५ ब्रेन कनता हु, में उनह अपना थेनी गोनता हुं हे इसन, मु ढु ढ, जैन मेने अंतःकनन के जान, महं ताड,आत मेन्रों यॉतः के पहौयान | रेप्प, ग़रो मुष्ठ में कोसी नौत को ब्रुनाइ हे।ववे, ते। मे सनातन के मानग पन लेजा॥

१४० फेक सो यालीसवां गौत | पनचान व्रज-ीौये के पास दाउढ का गौत

है पतमेसन, मुष्ले दुसट मनप्प से छडा, अंचेनो हम ४०३ 2 जन से मुष्ठ ब्रयथा॥ जे अपने मन में व्रत्तो यींता कप का. 0३० पर ि.. र्ष्

कनते हैं, वे जुच के लय नौत 9कट हैं उनहें ने अपनी जोन का सांप को नाइ योप्पी को है, उनके दे।टों के नोये नागे का ब्रीप्प है, सोलह ! है पतमेसन, दुसटों के हा/श्र से मेचों चक्ता कन, अंचेनी मनुप्प से मु व्रया,,करग्मांकी उनहें ने मेनी याले के| उलटाने के ठाना है॥ अइंका- नीग़ों ने मेन लौग़े पर दे, गच नसोयां छोपाइ हैं, उनहे ने मानग की आन जाल व्रौछ्यया है, उनहें ने मेन चीट़े परंदा व्रौक्ाया है, सौलाह॥ में ने

पनमेसच से कहा,को तु मेला इसन हे,हे पत्रमेसन

फ्रेक से। फ्रकवालीसवा गौत॥ सह

मेनौ ब्रौनतौदा का संव्रद सन॥ हे पत्रमेसत

की ९९

श्र ९९

पहल, मेत्रो मुकत के पत्ाकनम, संगनाम के टौन में ने मेचे सोत पत आड़ कौय़ा है। हे पतमे- सन, दूसट की इका पुत्री कन, उसको दुसट जुगत को मंत व्रढ़, हो, को वे परलें, सौलाह जोनहेों ने मुछ्ें यात्रों आन से घत्र लोया है, उन के हॉंठों को ब्रताइ उनहों के सोनों पत्र पड़े उन पत्र जलते अंगान व्रनसें, वे आग मे ह्वांके जाम, औन गहोने गडहा में, जौसतें वे परीत उठें॥ कव्रकता पौनथोवी पतन सथोत होने पाव, ब्रुत।इ अंचेती जन के अच्देत कसके नस कनते में जानता हुं, का पतमसतर इप्पीयरों के बेन दतोदतों के पर का पकछ कनतंगा | नोसयय चनमी तेने नाम का चंन मानेंगे, औजन प्पतो लाग तेने आगेतव्रलगे।॥ ५४९ फेक से प्रकतःछीसव गौल॥ दाउद का गोत॥

हूँ पतनेसन, में नेने आग्रे योलाता हूँ, मेती आन यटक कत, जग्र में पतानथना कन', मन सव्॒द पत कान चन मेत्री पतानथना तेने आग सगंघ कौ नाइ पहुंये,औन रने,हाथें का उठनासंंष्ट के त्ल

र्ढ्ष गोत

श्‌

रै्‌

की नाई हे।॥ उछे पत्तमसन, मने मुह पत पहन

ब्रैठाव, मेने चेंठं के दुवाव कौ तकछा कच | क-

कनमौयं के संग दुस॒ट कम कनने के लौगोे मेने मन का करी व्रनो ब्रात की आन हकले दे, औअरन उनके सवादौत ज्ञाजम महे प्यानेन दे॥ चत्रमी कीनपा से मुष्दे थपडावे,औआच डपते, उनका सर्गंच तेल मन खोल के परोड़ेगा, कझ्मोंकी तद ज्ञी उनको व्रौपते में सेंची पतानथना हेगी जद उनके नग्राय्री पथनेले सथाने में उलटागे गये हैं, तब वे मेत्री व्रात सनेंगे, कग्रोंकी वे मौठौ हैं

हमान्री हडौटां समाच के मह म॑ तौ ब्ौधनी

हैं, जेसे पीमथीवी पत्र के'इ लकड़ी यीचता है प्तु हे पत्रज्ञ इसन, मेतो आंप्प तेतो आन हैं, मेरा झनोसा तुध पन है, मेत्रे पतान के। अकेला मत छोड उनके व्रोछाग्नेछफे जाल से, ओ।न कुकनमी यों के पर दें से महं व्रया। दुसट अपने अपने जाल में पडेंगे, जब् ले में ब्रय जाऊं

९४२ कक से वद्धालौसव। गीत

.. द्वाउद का मसकौल फ्रक पतानथना

जब बुच्च प्याह् में था ॥. अपने सवद से में पतमेसन के आमने योजाय्ा,

फ्क से। तेलालौरूवां गोंत ५३८०

मैं नेपतमेसत से यौला के व्रीनती को में अपना दुष्पः उसके आगे उंडेलगा में अपना दुषप्प उसके आगे व्रननं कन गा, जब मेता पान मष्ट में डब्न गया, तव् तने मना पथ जाना, जोस मानग में भें यलता हुं,उन दे ने छोप के उसम मन लोग परंदा लगाया हे॥ में ने अपनों दहोनों ओआत ताका, और देप्पा, पत्रत॒ काइ मनुप्प का पाया, जे। मह पहौयाज़ता, सनन मुछ्ठ से नसट हुआ, काइ मेने पततान का पछवेया था॥ हे पतमेसन, भें तेने आगे योलागय्रा, ओ।न में ने कहा, की जीवन के देस में मेतरा सनन औन ज्ञागह्ने॥ मेने नाने पत्त सचत लगा, कय्मांकी में व्रकहूत धर का- यागय्ा हुं, मने सताने चालां से महं छड़ा, कयों- को वे मष्ठ से व्रली हैं॥ मेने पतान का ब्रंटो थौनह से छडा, जौसत॑ में तंने नाम को सतत कत्, चतमों महू घत लेंगे, कझ्मांकीं मछ्ट से मन प्पयाल के व्रवच्दान कनंगा

जे है ९५४३ 9क सा तेंतालीसवां गौत दाउट का गोत।

है पत्मेसन, मेला नोना सुन, मेनीं व्रौनतौंग्रों पन काने लमा, अपनों सयाइ में ओअजन अपने

२४० गौत

चनम मे मुझ उतच दे जन अपने दास से लेप्पा ॥.; ले, कयांको काइ जोता पतानी तेतौ दौनीसट तो रु डे में नोनदेप्प ठहनेगा। कग्ोंकी ब्रनी ने मेच पत्रान के। सताया है, उस ने मेते जीवन के मम नह कर * हे > आए ले माता है, उसने मुझ डनकी नाइ अंचीय।न मे ब्रैठाय्ा है, जा वब्रहुत टौनां से मत गये हैं॥ इरू लौटे मेत्रा पान लुष्ठ में ड़ गया है, मेंना मन | में जे 5 7 म॒ष्ठ में उजड़ ग्य्मा दै # आर अगोले दीनों के समनन कनता हुँ,में तेने साने कानजों का से।यता

30508 जज हुं, में तेन हाथ की नयन। पत्र चयान कनता हुं।

में अपने हाथ तेती आन व्रढाता हुं, मेंचा पतान पद्मारी जुम कौ साईं तेचा पद्मासा है, सौलाह। है पत्मेसत, छुट मेत्रा सन, मेत्रा पतन घटा जाता हे, म॒ध्ठ से मुंह मत छोपा, न॑ हो, को में उनकी नाइ हे।डं, जे गडदे में गोचते हैं॥ मह् सत्रेने अपने पततेम का अनुमोचद्द सन।, कं्ग्ोंकी सेता ज्नोसा तह पत्त हे, .जोस मानग में महे यला याहोऊ़रे,छस में मष्ठ यला,कर््ांकी में अपना पत्ान तेनों आन डठाता हु॥ हे पत्मेसन, झूने ब्रैनौग़ों से मष्टे छुडा, कय्योंकी में ने तेवा आड पकड़ा है॥ अपनो इछा पत्र यलने का मह रोप्पला, कक्षांकों तच्चौ मना इसन हे, तेतना उत्तम आतमा

९९.

र्र

3५६ ५७, पे पक सो यॉतालोसवां गौत॥ २४१

)

मुष्ठ सौचे मात्तम लें पहुंयावे। हे पतमेसन,

सुछ्े अपने नांम के लींये जौला, अपने घनम के

लोगो मेत पतान को त्रौपत से छडा॥ ओत लय शा, बे ही

अपनी ट्या से मेन द्ेनोयों के नास कन, ग्रातल

जे। मेने पतान को दुष्प देते हैं, उनहें नास कन,

कर्य्योंको में तेना सेवक हुं |

लक स् हे ९५ ४४ एक सो शेंताली सवां गीत दाउढद का गौत

पत्मेसन मेना पहाड़ 'ंन हेवे, जे मेने हाथों के जच कत ता, ओत मेती अंगुलौगों के लडना सोप्पलाता है। मेची आसा औरज मेना गढ़ मेरा, उंया गमरट, जैत मे.ना छडाने वाला, मेनी ढाल कौस पत मेला ज्नोसा हैं, जे मेने लागों के मेने व्रस में कतता है हे पत्रमेसन, भनप्प कया है.

जा तु उसकी सच सेता है, ओन मनुष्प का पतत

केन है, जे तु उसे गोने ? मनुप्प ता व्रदग्नतथ कौ नाइं है, ओऔन उस + टौन फक छाया को नाइ

हैं, जा ब्रौतोजातो हैं। हे पनमेसन, अपने तनग

के छुका, औरत उतत आ, पहाड़ें का कु, औन ॥॥॥। (3.

२४२

गौत॥

उनसे चुआं उठे गा॥ ब्रौजुली गीता, औन उनहें ब्रौथता, अपना द्रान यला, जैन उनहें नास कन डउपन से अपना हाथ परे ला, औरत मुछे छडा, मुह व्रहुत पानौयों से औनच पत्रदेसी सताने के हाथ

से व्रथा। जौनका मच व्रौचथा व्रातें ब्रेलता है,

शढ

श्र

3

दर

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औन उनका ट्च्दौना हाथ छुठ का द्चौना हाथ है। है इसन, में तेने लीग नया गौत गाउंगा, औरत ब्रीन जात दस तान का व्राजा व्जा के तेनौ सत॒त गाउंगा। लुह्टौ है,जे नाजाओं को जग्य देता जै, औन अपने दास दा ठद के दुप्प दाद्यक तलवात से छडाता है॥ पत्रदेसीय्रों के ब्रैंस के हाथों से, जौन का मह ब्रौनथा व्रात ब्रेललता है,औनच जौन का दद्दोना हाथ छठ का दच्चौना हाथ है, बुष्टे छडा, ओजन व्रया। जौसतं हमाने व्रेटे अपनी तनुनाइ में पांचों की नाई चेवें, अत हमानो ब्रटौयां कोने के उन पथनों की नाइ हे। जावें, जे सदन की नाइ प्पादे जावं॥ जोरुतें हमाने प्पते में पुतन डेोके नाना पत्रकान के अंडान पाणफोे- ०-० शि#0. बल नर जावें, आन हमानी ज्ञड़ें सहसनों लाप्पों हमाने 2 0005 800 58९५ > डे ्े सड़के म॑ जनें | ओ।न इमाने ब्रेल लट्टावके जेग हैे।वें, को केइ पेठ के उनहें ब्रेढ़न लेजावे, कु, है. + + हमाने मानगों में दुद्दाइ हे घंन वे लाग,

-रि

ज्रेक से। पेंतालोसवां गोल। २४३

जौनको ग्रह्ृ॒ दसा हे।,चंन वुच्द मंडला, जीसका इसन पतमेसन है

१४५ फ़्क से| पेंतालौसवां गौत ढाउद को सत॒ त॥

है इसन मेन जाजा, में तेनी सतत कन॒ गा, औन मैं सदा तेने नाम का चंनव्राद कनुगा। में पतलोददवी तेता चंनव्राद छत गा, आज सदा तेने जाम की सतत कन गध पतमेसन महान हैं, औन वक्त अतग्नंत सतत के जाग है, औज उसकी मच्दो मा अप्पाज है| फ्रेक पीढ़ों दुसती से तेव कानजों की सहत कनेगी; औज तेने महत कानज के ब्रनन कने गो। में तेनीं महदौमा को द्रीज्ञव मय पत्तीसठा, ओऔन तेनी आरुूयचज कौनग्या के व्रीष्पय में कहुंगा लोग तेन ज्ग्ंकत कानजों की यत्रया कनेंगे, ओन में तेनी व्रडाइ का व्रतन कन्‌गा॥ वें तेरी अतग्ंत जख्ाइ का समचन व्रहुताइ से उयानन कजेंग, ओज तेने घनम के व्रीप्पय्न में गायेंगे। पत्रमेसच कौचपाल, ओान दा से पतत्र है, औरत कतोच कनने में चौन, औजन ब्रडा दग्माल है॥ पत्रमेसत सब्र पत जला है, ओऔन उसके साने कानज पतन उसको केमल-

र्‌४४ ' अप; 75० मोत॑ं+

१५० हढय्रा है हे पनमेसन, तेती सानौ कनौया तेती .. _- सत॒त कनेगो, ओज तेने सत तेत। चंनव्राद कनेंगे। ९९ वे तेने वाज के फ़ेसचय्य कौ यत्या कनेंगे, औैन ५२ तेने सामनथ को व्रातें कनेंगे। जौरुतें मन॒प्प के ... संतान पतन उसकौ व्रड़ाइ, औन उसके नाज कग ९५३ व्रौज्नव पत्रगट होवे। तेता नाज सनातन का ताज है, ओत तेत्ी पत्रज्ञता सातौ पीोढी लें

९५४ नहतो हहै। साने गोचवेणों के। पतमेसन घामता ९५ है, ओआन ह्ुके हुआ के उठाता हैं॥ सब्र को आंप्य तुद्दौ का ताकती हैं, तन समग्र पत्त

९६ छउनहें ज्ञाजन देता दे॥ तु अपनो मुठों प्पालता . है, औन हन 9क जीवचानी के संल्सट कतताओै | ५७ पतरमेसत अपने सान मानगों में चनमो हैं, औत (८ अपने सत्र कानजों में दाल है जे। से पकाचते हैं, अनथात सत्र, जे सयाइ से उसका नाम लेते

९८ हैं, पतमेसत उनके पास है। वुच्द अपने डनवेग्नों की इक्का पत्ती कनेगा, वच्दी उनकी दुच्दाइ सुनेगा,

२० ओ।न उनहें व्रयावेगा पतमेसनत अपने साने पन - मींझों का तकृक है, पत्रतु वह साने दुसझं के

२९ नास कनेगा॥ मेत्रा मुह पत्मेसत्र को सतुत कनंगा, साने पतानो सदा उसके पर्वी तेव नाम

का चंनव्ाद कन

०क से छगम्मालीरुवां गौत २४५ ९७४६ एक से। छट्यालीसवीं गीत

पनमे सव को सतत कनतो, हे मेत्र पतान,पत्मंसन को सतत कन॥ जदव्॒लोें में जीता नहुंगा, पन्ने सन की सत॒त कन्रंगा, जब्र ले| मतौ असतौ है,

में इसत कौ सतत गाउंगा॥ अचकां पत औैान मनुप्प के व्रंस पत्त जनासा कना जौन रे सुकत

नहीों॥ उसका सांस नोकल जाता है, वह अपनों मौटौ मं परोच जता है, उसो टौन उसकी र।नी

योंता नास हे! जातौ हैं। चंन वचह जौसका उप- कानक ट्राक॒व्र का इस है, औन जोंसका कनोसा

उसके इस पव्म सन पन है जीसने सनग,ओऔन पौनथीवो,औतन सम दत,ओऔज सब्र के, जे। उन में

है, सौनजा; जे सह सयाइ की नकछा कनता हैं।

जो सताय हुओं की दुह्ाइ सनता है, शान अप्पों के प्पोलाता है, पतमसन द्रंचओं के छड़ाता है

पत्मंसन अंचे। को आंप्प प्पोलता हैं, पत्तमसन छुकेहुओआं के उठाता है, पत्मेसच चनमौशणों से

पनम नप्पता है। पत्मसन पतन टेसोय्ों का नप्प- वाल है, वह अनाथों, औत नाड़ें कौ सहागस्र कचतता हे, पतंत दुसटों के मानग के उलट देता

९० है॥ पतमसत सनातन लें, अनथात हे सेहुन

है

एछष ७६.

२४६ गौत !

9 ७6 6 #४

रै,

तेता इसन पोढी से पोढी ले। ताज कनेगा, पत्र मे- सत्र को सतत कतो

३७ ९४७ एक से सेंतालीसवां गोत

पत्रमंसत को सतत कनतो, कझ्मोंकों हमान इसन को सलत गाना जला, ओतन मनेह्तत हे, ओन सतत कतना दूत हु॥ पत्रमंसन सोच्रासलोम को जाडाइ कतता है, वह इसनाइल के नौकाले हुआ का एकठा कनता हैं | वह यनन अंतःकच- नोटों के यंगा कत्ता है, वह् डनके सेक को मोटाता हे वच्द तानां को गोनतो व्रतलाता हे, औनच उनका नाम ले ले ब्रलाता है | हमात्ा पतनत्न महान है, औन मह। सामनथ नप्पता है, उसको

सूमह अगनोत है। पत्रमंसन टोने के उन्नाडता

हैं, आन दुसटों के झुम पत दे मातता है। पत्र- मेसत का चंनव्राद गाओ, व्रौना व्जा के इमाच इसन कौ सतुत कनो। जे सनग के मेघों से ढांपता हैं, जे पोनथीवो के लीग मेंह सोच कनता है, जे पह!ड़े। पत्त घास उगाता है। जा पस॒न के ग्रैन ब्रन कोवें के ब्रयों का, जे यौलाते हैं, आह।न पहुंयाता है॥ घोड़े के व्रल से वह

रे

रे

श्ष्र रैढ

एक से। सेंतालीसव। गोत २४७ आनंदौत नहीं, गन पुत॒प्ण कौ वॉडुलोग़ों से पतसंनता नहों जे उस से डनते हैं; न्यै।न जे। उसकी दट्।| के आसनौत हैं, पत्तमेसत डन से पत- संन है॥ हे ग्रोत।सलीम पनमेरुत की सतत कत जैन हे सेहुन,अप ने इसत को सतत कन | कग्रों-

उसने तेने पराटंकेां के अंडव्ंगां के रोनढ कोय़ा है, ओान तह में तेत ब्रालकां के आसोन- व्राद दोया॥ वबुद्द तेने सीवानों में थैन देता है, औन तह गेहुंग्रें की योकनाइ से जन देता है।॥ बच अपनी अगग्ा पोतथोवों पत जेजता है, उस का व्रयन अत्नयंत्र याप्पाइ से यलता है। पाला के। उनकी नाइ देता है, वह नाप्प को नाइं हौम ब्रौधनाता है वच अपने पाला का गनास को नाइ' झेजता है, उसके सोत के आगे के।न ठउह्त सकता? व॒ुद्द अपना व्रयन जओेजता है, ओन उनहें गलाता है, वच अपने पवन लाता है औरत पानोय्ों के व्रह।ता है। वच अपना ब्रयन झाकब् पत्र, औ।न अपने नय्नाग्न आन अपनो ब्रौच इसनाइल पतन पनगट कनता चै॥ उसने कीसो देसी से फ़र। व्रेवह्दान कौटा, ओअन उनहे ने उसके नम्म यों के पहौयान।, पतमंसन को सतत

कनोा॥

२४८ हा गोत।

रै्‌

श्र है

९४८ फेक से। अठतालोसवां गीत पनमेसन की सलत कतोा, सनचगों पच से पतमे- शा ॥। आए 3 लक किलकप सन छो सतत कना, उंययो से उसकी सतत कनो। का ने ४४ उसके साने दुता, उसकी सतत कना, उसको सात्री सेनाआ,डसकों सतुत कतोा हे सत्तज, | हे यांद,उसकी सतत कता, हे साने जाल के ताला, उसकी सल॒ुत कतोा | हे सनगों के सचग,हे पानी ग्रे, जे। सतग के उपन हे, उसको सतत कतो॥ वे है पनमेसन के नाम की : /तुत करने, कदग्मरंकी उसकी ७» पल पा 457 9. ०-७ अगय़या से वे सीन जे गर/। उसने डनहें सनातन के लोये सथोच कीसा है. उसने ऐक अगय़ा ठच्च- नाइ है, जे टल जायंगी॥ हे अजगनो, जैन

हे गहोनापा, पीनथोवी पत्र से डसकीं सत॒त कनो।

आग, तन याले, पाले, औच क्होने, औन व्र्डो आंची, जे। उसके कहने में है। सत्र पहाड़े।, अैच प्रहाडीयो, परलमान पेड, ओ।च राने सनो पेड पसु तन साने योपासे, औन कीड़े मओड़े, औन डेने के पंछी। पीनचथौवी के ताजा, औच साने

लोग, औन भाज पुतन, ओतन पीनथौवी के खाने

नयादव्ी तन॒न, ओजन तत्रनी ज्ञी, औ। व्रौचच,

औअन ब्रालक॥ पन्रमेसन के नाम को सतत कनें, धर है है

कय्रोंकी उसका नाम अकेला सनसट हैं, उसका

एक से। उंयासवां गौत २४८

९५४ एसनय पोनथोवों औन सवग के उपन है॥ वहीं अपने लागें के सोंग के,औल अपने स।ने सोचों की सतुत का, अतथात अपने समोपी लेग इसनाइल

के संतान के व्रढ़।ता है, पत्तमेसत को सतत कनो

बा » ९५४6 एक सा उंयासवां गोत | .

९५ पनमेसन को सतत कनो, पतमेसन के लगे नग्न गोंत गाओ, सोचो कौ सज्ञा में उसको सतुत कनो। इसना इल अपने सौनौसटकनता से आनंद कतने, सेहुन के ट्रंस अपने चाजा से स,नंद क्ते वे नाथ

में उसका नाम लेखले के सतत कनें, ढोल आन

ब्रौना व्रज्ञाते हुए उसकी सतत गावें॥ क्योंकौ

पत्रमेसत अपने लागां से पतसन है, वुच्द दृप्पीयो

का अपनो लुकत से व्रोन्नसत कनंगा सोच लाग गोनचव से आनंदोल शे।वं, जैन अपने ब्रीछे।-

नो पत्र पकाच के गावं॥ उनके म॒ह भें इसन को व्रडी सतत चेवे,अजन दे।चाना प्यड्ग उनल्‍के हाथों

में॥ जीसतें अंनदे/सौटयां से पलटा खेवें, औन लागों के डंड देवें। ओऔनल उनके नाजाओं का सोकनों से, श्रैत उनके अचकां के लोहे कां

« ब्रेडीय़ों से व्राें॥ जीरुतें चोप्पा हुआ दंड उनहें

न्फ्

२४० 00! मल

देवें, ग्रहो पततोसठा उसके स।ने सोथों की है, पतमेसन की सतृत कनो |

१५४० एक सो पयासवां गोत |! जे कक पनमेसन के सतत कने (,उस्के 'चनमचाम मे इसन की सतुत कता, उसके सामनथ के आकास में उस की सतत फनो। उसके महत कातग्म के लीग उसकी सतत कनो, उसको मह्हौमा को उतमता के समान उसकी सतत कतो। मीनरदंग व्र॒जा के उस की सतुत कतो, ब्रोना औन ढोल, औन पनव्रत 000५ 2 हस + कि 8 छेडते हुए उसकी सतत कना। प्यंजडी आन ब्रांसनी ब्र॒जाते हुए उसको सन॒तव कनो, सानंगी आन अनगना व्रजाते हुए उसकी सत्‌त कनो | ब्रडे सतव्र॒द की यकयकौया व्रजा के उस को सतत ४६३० ्-् 5 8, 08 5: के

* कना, व्रडे लबद के मंजोन व्रजा के उसकी सत॒त कतोा। इन फेक सांस चानो पत्रमेसन की सतुत

कने, पत्तमेसत की सतुत कनो

दै

2 ५।

सलेम।न के दौनोसटांत

पहौला पनव्र।

दृ.उछद के ब्रेट इसनाइल के नाजा सुलेमान के दौचौसटांत॥ ब्रुध आन उपदेस जानने के औतच समह को व्रातें ब्रहने के।। जन व्रुच, चै।न चनम, औ।न व्रोयात, पैन प्पता उपदेस गतहन कनने के। औतन ज्ञोलें के यत॒ताइ, औल्‍त तन॒न के गद्यान,औजन मंतत देने के। वुचम।न सन के व्रौरयख़ा द्रढ़ावेगा, औन समहवैय्ा ब्रुव का मंतत्त पतापत कनेगा॥ जौसतें दौनासटांत, औन उसके अनथ, औजन व्रथमान कौ व्रातें का, औन उनके गुपत कहावते के समह। पत्रमेसत का डन गद्यान का आजंज है, पत्रतु सुढ़ लाग ब्रुव औैन उपदेस बौनोंदा कनते हैं॥ हे मेन ब्रट, अपने पीता के

रै्ई

के श्प

रह

र्‌०-

ब्रेड

सलेमान के दत्ौसटांत |

उपदेस के सुन, ओऔच अपनो माता को व्रैवरुथा के तजाग मत कच॥ कपय्रोंकों वे तेन सौन के लीग आज्जञुसन, औ।त तेने गले को सौकलें होंगे हे मेरे ब्रेटे, ग्रहों पापी तुष्ठ परसलावें, ता मत मान। य्दों वे कहें, की आआ, घात के लोग ढुके में लगें, आन अकानन नोनदेस के लौगे हज + ६; के चल

जात में लग | समाव कौ नाइ उनह जीते लौल ०-५ प्ले नी. ७०8 32033 न] जायें, आन उनकी नाइं, जे। गडहे में गोचते हें, समुया नोंगल जायरें। हम सत्र व्रहुमुल संपत मोलेगी, लट से हम अपना घन जआनेंगे॥ हम में 2, हा छ्कच्ौ आम] विब जो

मोलजा, आओ।, हम सत्र एकहौी डांडा नप्प -हे जे एक पं 2 मेत्र ब्रेटे,तु माचग में उनके साथ मत ययल, उनके

3०2 25० (४३७ कर. है. पथ से अपने पावें के नाके नह कग्मोंकी उन & बे 3 स्पा बैक कु के पांव ब्र॒ताइ पत दोड़ते हैं, औज लाहु व्रह्ाने में ब्रेगु कतते हैं। नोसयय पंछो की दोनौरुट में जाल ब्रीछाना ब्रौतया है। वे अपने लाहु के लौग्रढके भ॑ हैं, वे अपने पतानम के लाग्र चात में के

हैं। घन के लाज्नो कों याल एसो हों हे, जे अपने सामोंटयों के पत्तान का ले लेता है॥ उतम व्रच व्राइव पड़ो पकानतो है, वुह सड़कों में सब्र कनतो है। वह सन्ञा सधान में ओऔजन पराटकों के

. नोकास में पुकातती है, नगत में वह अपने व्रयन

हा

२४९

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पहौला पनव्र ! ह्‌

उयानतीो है॥ हे ज्ञाले लोगो, कब ला ज्ञाले पन से पत्तौत तप्पागे, आन नींटक अपनो नोंद! में आनंद कनंगे, औन मुद़ गय्यान से ब्रेच चप्पंगे१ मेने दृपट से परीना, देप्पा, में अपने आतमा के तुम पत्र व्ह्|उंगा, अत अपने व्रयन तुमचें जना- उंगा॥ इस कानन की में ने व्रुलाया, पत्र तुम ने नाइ कौया, में ने अपना हाथ ब्रढ़ाय्रा, पत्र कौसों नेनमाना। पत् तुम ने मेने समसत मंतन के तुछ जाना, औत मेने दपट के नमाना। मेंजनी तुमहानौ ब्रौपत से हंसुगा, जव्र तुम पत्र अग् आवेगा, में ठठे मानुगा। जव्र तमहा।ना अग्न उजाड को नाइ' आ'वेगा, औच तमहाता व्रोमास ब्रैंडन को नाइ “आ जाग्रेगा,जव्र कसट औच दुष्प तुम पत्त पड़ेगा तव्वे मुष्ट, एकानेंगे परत में उतच देडजंगा, वे मु तड़के ढु ढें गे, परंतु मुझे नपावेंगे॥ कग्मोंको उनहें ने गद्मानं का ब्रेन थ, औन पतन मेसन का अग्य युना॥ उनहें ने मेन मंतत को माना, ओजल उनहें ने मेनी सालो दृपट को नींद! की॥ से वे अपनी हौ याल का परल प्पावेंगे, आन अपनी ही जञ।वना से पुतन छेवेंगे। कपग्मोंकी ज्ञोलों का येन उनहें

00... +%. - नास कनेगा, ओर जकओं का ज्ञाग उनहें नास

मै. $णे0॥60 ४6 079६७

सलेमान के दौनौसरट्टांत | केनेंगा। पत्रंतु जे मेत्ती सुनता है, शणोाच्ैनसे जचेगा, ब्रुताइ के भय से व्रया नहेगा दुसवा पनब्र॥

हे भेते ब्रेटे, ग्रदौ तु भेजे ब्रथन के मानेगा, और मेनी अगय़ाओं के। अपने पास छौपा नप्पेगा | यहां ले को अपने कान के द्रच की ओत ह-

: काचे, अच सम की ओआच अपना मन लगावे

हां, यहीं तु गद्यान के लोग पकानेगा, औच समष्ट

के लोग अपना सत्द व्रढ़ावेगा।॥ ग्दों तु यांदौ,

१०

को नाइ छसे प्योजेगा, ओऔन छोपे ऊफ्े चन की नाइ उसे ढुढेगा। तव्॒त पनमसतन के अग्य के समहेगा, औन इसन के गयान के पावेगा। कट़ों की पत्तमेमसन व्रच देता है, उसके से गय्मान औन समह है बच चनमीणज्ों के लौगे थोप्पी ब्रुच चन चप्पता है, वुद्द उनके लौस, जा प्पनाइ से यजते हैं, 9क ढ/ल है॥ . दुच व्रीयात्त के पथ की चछया कतता है, अपने सौचों के मानग

"कौ यैकसों कत्ता है। तव्रद्दौत ठोक प्पताइ

औजन च्रीयान, जन चनम के, ओरल हनत फर्क अछा पथ समछंगा॥ जदव् व्रच तेने मन में पतवेस

कनेगो, चैन गंय्ान तेने जीव का अछा लगेगा

रे

लोसना पनद्र प्‌

तब्र सेय तेनी नकछसा कनेगी; औन समहष तेती नप्पवाली कनगी। कंग्ोंकों तुछ दुरुट के मानग से, औनज उस मनुप्प से, जे हठ को व्रातें कचता है। उनसे, जे। प्पनाइ के पथ के छाड देते हें,

- जौसतें अचोसान मानगों पत्र 'यलें॥ जो ब्नाइ

कनने से आनंद हेते हैं, अ।न दुसटों के हट से आनंद हे।ते हें जौनकों यांलें टंकी हें, औन अपने पथ में तोचछ हैं, उनसे त॒छ व्रय।वे॥ की तुष्ठ पत्त इंसतोनी से ब्रयावे,उस पत्तो इसलोनी से, जे अपने व्रयन से फपरसलातो है॥ जे। अपनी ४०. कक कै. के. ३. जुब़ती के अगुश्या का तग्राग कनती है, आन

अपने इसन को व्राया के द्रीरुततो है | क्द्यों-

: कौ उसका घत्र मीचत्‌ की ओज, ओजच उसके पथ

हर

मीनतके की ओआन छकते हें॥ जे उस पास

जाते हैं, से! परोच नहों आते, वे जोवन के म।नगों के नहों चत्ते। जीसतें तु कलाइ की याल पन हक 5 40% ९) जा रू कप का यजलक्षे, छल चनमीगयर!। के पथां के चने चहे | क्यों की देस में प्पन ब्रसेंगे, आन सौच उरूम व्रने हूँगे। पत्रंत दुसट पौनधीवों पत्र से काट डाले जायेंगे,औल अपनाची उस से उप्पडे जाखेंगे। तोसना पन व्र।

हे मेन ब्रेटे, सेनी वेवसथा के। मत जल, पतंतु

सलेमान के दौनौसटांत॥

द्वेता मन मेत्री अगद्जाओं के पालन कने। कग्मों-

की वे दी ने को व्रढ़ती,ओ।ल जीवन के व्रतस,आऔात ७.७ 35 !

कुसल तुष देंगे॥ ऐसा मत कन, कौ दत्ा औन

सतता तुष्ठ तग्राग़ करने, पत्ततु जनहें अपने गले में

लपेट, आन उनहें अपने मन को पटोट्रा पत लौप्प

सेतु इसन को जन मनप्प की रौचौसट में काचज

्‌ रे

हर

रह

तीच पावेगा॥ अपने साने मन से पत्र मेसन पत्त '-“ सै 2८8०. झतोसा नप्प, आल अपनी समध्ठ को ओन मत हुक॥ अपने साने मान्रगों में उसे मान ले, ओपन ब॒ुच्द तेती याल के सुचानंगा अपनी दौचौसट 2283 में व्रुचमान मत हो, पत्रमेसन से डच, व्रुताइ से अलग हे।। वहच्त तेनो नाज्नी के लोग ओप्पच, औजन तेती इडोटों के लोग तव।वट चे।गा। अपनों संपत में से औअनल अपनी सानों व्रढ़ती के पहौले परल से पतमेसत की पत्रत्तोसठा केच॥ से तेने 95८ 9७७०0 3 00. प्पते व्रहुताइ से जनतजामेंगे, ओऔन तेत केालहु नइ मदौता से पर॒ट नीकलेंगे मेने व्रेटे,पमे- सन को ताडना के नोंदा मत कन, जन उसके दंड से थक मंत जा। कग्मोंकी पनमेसन, जौ से च्चे पीआन कनता है,उसे 9सा ताडना कतत। है,जेसा ब्राप अपने दुलाने व्रेटे के | चंन बच मनप्प, जोसने व्रच के। पतापत कींग्रा,

९४

रू

तोसना पतन ब्र क्र

औ।न वच् मनप्प, जोस ने समष्ट के पाया | कयों की उसका ग्रैपान यांदों के ब्रेप।त से,औन उसका लाज्न योप्प सेने के लाज्न से अछा है॥ वह

लाले| से व्रहूमुल है, औअ।न समसत व्रसत, जोन

को लालसा कनसकता है, उसके तल नहों॥ दौने को ब्ढ तो उसके दहौने हाथ में, चंन औ।च पत्रतोसठा उसके व्राफ्र हाथ में॥ उसके म।नग आनंदता के मानगर हैं, अत उसके समस्त पथ कसल के हैं। वह उनके लोगयो, जे। उसे गतहन कनते छें, जीवन का ब्रौनक है, च॑न वह, जे। उसे नप्प लेता है॥ पनमेसन ने द्रव से पीनघीवी की नेव डालो, ओऔ।न समह से सनग के। सथोन कौटग्ा॥ उसके गद्यान से गहनाइय़रां परट नौ- कलतो हैं, औ।न मेचों से आस टपकतों है मत्रे ब्रेट उन अपनो आंप्पों से अलग मत हे।ने दे, योप्पी ब्रुच, और से।य के घन नप्प। से वे तेन पतान के लोग जीवन ओज तेने गले के लोग अन- गोतह हे।गे। तव्र तु अपने मात्रग मं व्रय के यब्लेगा, औज तेना पांव ठ।कत प्पाग्रगा जद तु लेट जाय्रगा, डनेगा, हां, तु से। चद्देगा, ओर तेनों नोंदा जी हेगी। अयानक दुप्प से, ओनच दुसटें के उजाड से,जव्र वुच्च आता है, मंत डत | 3६ $एोट०६ ४९ 078॥(६४६;

९४

श्

* संलेभान के दौनौसटात। _

कग्मांकों पतमेसन तेता जआतोसा होगा, तेन पांव को परंदे से व्रथावेगा। जझलाइ को उनके सामी- यों से अलग मत नप्प, जव्र की तेने हाथ में कर्नने के। सामनथ हेय्। तेने पास हेते हाँ अपने पनोसो को सत कह, की जा, परीत आइयो ; औच में कल देउडंगा। गन अपने पनोसो से ब्रा ब्रेवहदान मत कन, कझ्मोंकी वच् थैेन से तेने पास चहता है। कीसो मनप्प से अकानथ मत हगड, यदौ उसने तुष्ट से प्पेटाइ कों॥ अंचेचौ पत्र डाह मत कत, आन उसके के।इ मानचग को मत्त थून। क्रोंकी कचुत से पत्रमेसत को घौन «है, पत्रतु उसका ओह 'चतमीणयों पास है॥ दुसटों के घच पंच पत्रमेसत का सताप, पत्रत सजन के नौवास पत्र आसीस देता है। नीसयपग् वह नॉंट्कों की नोंदा कतता है, पतंतु वह दौनें पत्र हया कतता है। ब्रुधमान व्रौज्व के अचौकानौ होंगे, पंत मुढों की व्रढ्व तीं लाज डेमी।

यथाथा पनव्र।

है व्रालकेा, पीता के उपदेस को स॒ने।, समष्ट पत्र चग्रान कनो॥ कंग्रोंको में तुमहें अछा

ये था पनव्र। ढ्‌

उपरेस देता हुं, मेनो ब्रेवसथा के तग्राग मत कना। कग्योंकी में अपने पोता का ब्रटा था, औन अपनी माता का फ्रकलाता लाडीला। उसने ज्ञो मुह सोप्पल/य़ा, औन सुष्ठ कह, को मेत्रा व्रयन तेने मन में चना चक्चे, सेती अगद्याओं के पालन कत, थऔन जीता तह ट्र॒ुव औच समछ पनापत कत्, मत जुल, ओतल में मंच की व्रातां से मुह मत परेन | डसे तथ्ाग मत कन, वह तेती नहा कनेगो, उसे पीआन कन, ओन बच तेची चका कनेगी॥ ब्र॒ुच मुल व्रसतु है, से तु ब्रुच पततापत कन, बच अपने समसत पतापत भें समझ पतांपत

३९, ६४ गी कन॥ उसे व्रढ्वा, वच् तुष्ठ उन्नानंगी, जब तु उसे

१७० ९५

रर रहे

रे

0. कि आप आफ हक गौों

गोद में लेगा, तद् वह तह पततोसठा देगीं॥ वह

३९५. अर है ९७५ "

तेव सोच पत्र अनुगौचह का आज्लुप्पन नप्पंगी,वच् पे रे कई बञए 9 2०७ ;

तु ब्रौज्व का सुकट देगी। मरने व्रेटे, सन, अच

40% शाप सके कक है..." 22९. “कर

मत कह्चावतां के गनहन कन, ओज तेने जीवन

के व्रतस व्रहूत से हेंगे। में ने तुं ब्रुच का

नम क्र रा ले

मानग सौप्पाया है, में ने तह ठौक प्थों में यलाया

है॥ जब्त यलेगा, तेने डग सकेत होंगे,

जब् तु दे।ड़ेगा, लु ठोकन प्पाग्रगा। उपदेस

के दोचढ़ता से चन नप्प, उसे जाने मत दे, उस

हक. नप्पकाड, कग्मो की वुद्द तेता जीवन है दुसटों

सलेमान के दौनोंसटांत

के पथ में मत ब्रेठ, द्रुत।इ के माचगर में मत

-जा॥ उस से व्रय नह, उसके पास से मत जा,

उचन से फरीच जा, ओन नोकलजा॥ कण्ोंकी ७० पु. 6 हज 5५६... ष्लिर जव लों वे द्रुत।इ कचलेवें, तब्लें सेते नहीं, ओऔन जव्नलां कीसों के गीता देव, उनहें नोंढ महीं आतो। क्ग्गोंको दुस्टता कौ नोटौ प्पाते है, औनच अंचेत को मदीना पौते हैं। पंत सजन ६-3 22%... जे हे की याल यमकती जोात के समान हैं, जे मच- स्ानह ला यमकती जाती है। दुसटों का मातम अंचकान है, वे नहीं जानते हें,की कौस से ठोाफन प्याते हैं॥ मेन व्रेटे मेनो व्रातां पत्र चस्नान नप्प, और मेने कहावतें पत्र ६क। उनहें अपदी कट बाप रू हे के दौनौसट से जाने मत दे, उनहें अपने अंतःकनन

२२ में चानन कन | कयरंकी वे उनके लीग, जे। उनहें

श्र

२४

२५

3

पत्ापत कनते हें, जोन औन उनके साने सीन के लौट ओप्पद हें, | अपने अंत:कतन के। समसत चाचन से चाचन कन, क््योंकी जीवन की चात्ता उसी से है॥ म॒ह कौ हट के अपने से अलग कत, ओतज चछेंठों की टढ़ाइ अपने पास से दुच नप्प॥ तेनी आंप्पें आगे देप्पा कनें, औच तेनी पलके तेने सामह ने देप्पं। अपने पांव के पथ का. तेल, से। तेचे साने म।नग ठौक की गज! में गे। अथवा

पायवां पनद्र।

ट्होने व्रा्नं हाथ के मत सुड़,पत्त अपने पांव के ब्रुनाइ से हटा

पांयवां पनव्र

मेने ब्रेट, मेत्री व्रुच पत्र चद्मान कत, ओज मेने समझ को ओआन अपने कान हुका॥ जौसतें तु सेय कन, आन तेने हेंठ गयान के चानन कनें। करग्गांकी पत्र इसतोनी के च्ेंठ से मचु का छता टपकता है, औन उसका ताल तेल से अचोक यौकना हैं। पत्र उसका अंत नागद्ाना कौ नाइं कड़वा है, ओआत देचाने प्यडग की नाइं थप्पा

पर उसके पांव मौचतु में उतचते हें, उसके डग नतक

ढ्

२९०

श्र

के चानन कनते हैं। हे।,की जीवन के पथ के ताले, उसके मातग यलाग्ममान हैं, तु नहीं जान सकता॥ सो हे व्रालके, मेनी सुने, ओऔ।त पैड, 0 तक ८...

मेते मुंह के व्रयन से अलग मत हेाओ। | अपना मानग उस से दुत इहटाओ। औन उसके चन के

5 पक ४५

दुवात के पास मत जाओ॥ फ़्सा होवे, को तु अपनो पनतौसटा ओजलों के, अपने व्रतस कचनों के देवे॥ छोवे, को पताग्रे लेग तेच ब्रल से पतन होवें, औ।त तेता साता पत्तौसनम उपनी के घन में उठ जव्र तेना मांस, जैन तेनता

स्स

रत

ब्‌र्०

२९

सलेमान के दोनी0एटांत

देच्च छोनः हे।जाय, तब त्‌ अंत में व्रोलाप कनके कह्दे॥ हाय में ने डपदेस से ब्रेन नष्पा, चन मेने मन ने तेत दपट को नों दा की है। ओन धन वि ७.९४ 5 अपने उपदेसकों के सत्॒द॒के। माना, औन जे। (30 5 ७५६ २०८३ जे कण है: सुष् उपदेस देते थे, में ने उनकी ओ।न कान बैड: भें 0 ७३. नह बा विजोक छकाय॥ मेंमंडलो के-मच में झऔन सत्ना में 3 /औ ४2 कछ क॒छ छोड उमस्त ब्रुलाइ में था। अपने ही कुंड से प:नो पी, ओनच अपने हो क॒ ग्रे से ब्रहता 8 23305 0 ँ33२ दम श्र पाणों॥ तेने लाते व्राहत परेलाठे जाब; ओऔआन नदीतों के पानौ सड़कें में वे अकेले तेच हो है।वें, औन केाइ पचाया तेता साधी छेवे तेने सेते में आसीस हेवे, आन अप नो जुद्र|बस था

कप कु की पतनी से आन जैे। उसे छेसा पीआन कन,

जेसे पीनीग हतनी औअनच मन झ्ञाय। हननी का गदेला,हन समय में उसके सतनें से संतुसट हे, आकलन कस के पीोआच से सट/ आनंदौल दे औल्‍न है मेत्रे ब्रेट, तु कीस लौट पत्र इसतनों से अ/लं- हुद्ोत हे।विगा, ओअच उपनी केः कीस लोख समे - टंगा? क््मोंकी मनुप्प की या।ल पन्रभेसन को

आंप्पों के आगे है, औ।न वइ उसकी साची यलन

शक

के जायता है॥ उनहों की ब्रुनाइयां दुसटों

के पक ड़ लेंगी; औै।च वह अपने हो पाप की डानी यों

२२

छटवां पनव्र। श्ह

से जकडा लाग्रगा॥ वृचह ख़ौना सौप्पा से मन- जाथगा, और अपनो अतो सुढ़ता में ज्टका परो- नंगा

छठवां पनव

.... आल के. ऐड मेने श्रेटे,सदी तु अपने मौतन का व्रौयवइ हुआ है।, सदो ने कीसी पत देसी से हाथ माना हे।॥

ते त्र अपनेहो मुह को ब्रातें से परंसगय्ा, औरत ज्यपने ही मह् को व्रातें से पकड़ा गद्या॥ मंत्र

।्‌

ब्रेट अव़ सच कन, औन आप के व्रया, को जव्र कस अपने मौलत के हाथ में पड़ जाय, ते आप के। नम कत, इस ज्ञांत से तु अपने मोतन के। ब्रस में कनरेगा॥ अपनो आंप्पों के! नोंट मत दे, औन ऋूपनो फ्लकें के उंचने मत दे। अपने के। हनोन के गरदेले को नाइ व्रद्याचा के हाथ से, औैनल शोडीया के समान स्यीडीगट्रामान के हाथ से ब्रथा। हे आलसो,यथीउंटो पास जा, उसके सानगों का ब्रुष्ट, औत द्रधमान ऐे। जे अगुआ कनोड़ा, औजल अगगद्याकालो नप्पक गौनोसम में अपने लोग ञझाजन सौच कतती है, औन लवनो में अपना आहाल व्रटोनती है। हे आलसौ तु कव्रलें से।बेगा,नु कठ् अपनों नोंद से उठेगा। थोडा

रै्षे

"रे

१३

१४ रै

रैई १७

९्द्ध गः

२०

हज श्र

सलेमान के दौनौसटांत

सेना, थेत्र थाड़ा उंचना, ओजन थोड़ा हाथों का नोंद के लोग समेट लेना। से! तेत्ी कंगरालपन पथोक की नाइं आवेगी,औ।न तेती दत्ौदतता इथी- ग्रातव्ंद की नाइं॥ कनुत जन, जन दुसट मनुप्प मुह को हठ से यलता है। वह अपनो आंप्पों से मानता है, वह अपने पांओं से व्रोलता है, वह अपनी अंगलीगों से रोप्पाता है। टेढ़ाइ उसक मन म॑ है, वह सदा व्रताइ पत्र से कनता है वच् ब्रौगाड़ परेलाता है से उस पत्र अयानक ब्रौपत पड़े गो, बच ब्रौना ओप्पच टट जायगा। पनमेसन इन छवों से व्रत नप्पता है, हां, सात से उसका जीव चीन कतता दै॥ अइहंकानो आंप्प, हुंडो जोज्न, औपन हाथ, जे। नीनदेप्प का लोाह व्रह्चाता है। मन, जे ब्रुना व्रीयान ब्रांचता है, पांव, जे ब्रताइ के लोग्र व्रेग दोडते हैं। छुठा साप्पो छठ व्रोलता है, ओअजन वह, ज़ा ज्ञाइग्रों मे ब्रीगाड व्रौत्ा दै। मन ब्रेटे, अपने पीता की अगग्ा के पालन वन, आन अपनी माला कौ ब्रेवसथा के तथयाग मत कच उनहें सदा अपने मन में ब्रांच ले, ओन उनहें अपने गले में लपेट॥ जब त्‌॒ यलैगा, वुच्द तेती अगुआइ कनेगी, जब्र तु सेगगा, वुद्द तेत्ती चछया कनेगी, औन जब्र तु

"हों

९९

र्‌४ २४

रह

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छठवां पनव्र श्पू

जागेगा, बुद्द तुष्ठ से ब्रातें कंग्रो कग्रोंकौ अगय़ा जे। है, ये फप्रेक टोपक है, ओजन व्रेवरुथा उंजोग्र/ला है, औन उपदेस कौ रपट जोवन के मात्तग जौसतें तुछे ब्रुतों इसतनौ से, औज पताइ जोन को परुसल।हट से अलग तप्प। अपने मन में उसके नुप का इछा मत कत, अत उसे हो कप कि अपनो अंप्यं को पलकां से आप के। पक्रढडन मत ०. ने कक ; दे। करग्ोंकी व्रन्नौयाचनोक कानन से पुन॒ष्प टुकड़ा मांगा कतता है, ओज द्रेन्नोयाचनौ महंग मोल पत्तान का अद्देव कनतो है। क्या मन॒प्प अपनो गोद में आग लेवे, अच उतके कपड़े

बंद ब् 7 29% पक. २८्जलें? कय्रा काइ अंगान पन यले, ओऔन उसके

स्ढ्‌

हे

३९

रे

९९

पांव जले? एसाही अपने पनोसों को पतनां के पास, जा काइ जाता है, से नौनदेप्प नहचे- गा॥ छदौ थार अपनो अ्ृप्प मोटाने केलोसे थनो कतके अपने पतान के संतट कने, ते उस को नोंदा नहीं हेतती। पन यरो वुद्द पकडा जाय, ते। खातगुन ज्ञत देग।, वह अपने घन को समसत संपत देगा। जो काइ कोसों इसतोनो से व्रैज्ञायान कतता है, से नोनब्रुच है, वुद्द अपने पत्तान के। नास कनने के लोग कनता है। वुच्द

चाब जन नोनतादत पावेगा, ओज उसक। कलंफ 5 5प0027067 $6 078६76,

/ ॥:६

३४ ३४

हर

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छुलेमान के दौनीसटांत

मौटाय्रा जाय को छल मनुप्प का कोप है, से। वह पलटा के दौन छोड़ेगा। कोसी ज्ञांत के छलावा के न॑मानेग। गदपी त्‌ उसे वह्लत दान

देवे, लथापो वुच्द मानेगा।

सातवां पनव्र। मेने ब्रेटे, मेतो व्रातां का चानन कच, आन कर 3 हे मेत्ो अगय्ाओं के अपने पास चन नचप्प॥ मेनौ अगग्ाओं के चानन कन, जन जौता नह ; गन हि तु से दे मेनो ब्रेवलथा के अपनो आंप्य को पुतलो कौ नाइं ब्क + कट: वा. कत डनहें अपनी अंगुलीय६ों पत्र ब्रांच, छनहें अपने मन का पटनी पन लोप्प व्रुच के कह, की त्‌ मेतों व्रहो न,औै।न समष के अपना काटंब्र। जीसते वे तल पत्रइसततो से, आच डस उपनी से; जे तह अपनी व्रातां से परुसलातो है, व्रया नप्प।

क्ग्योंकौ में ने अपने चन्र को प्पोडकों के हनोप्प

से देप्पा। गान जकओं म॑ औज तननों में फेक

९१

असमष्ठ का दे -3॥ उसके घन के केने के पांस

सड़क से यलाजाता था, ओज बुच्द उसके घत कौ ओन गद्य गाोचली में सांष्ठ का व्रड्ो अंचीयानी नात के।॥ ओज देप्पो, को व्रेखवा के पह्तौनावा में

प्‌

रई

जप

है

सातवां पनव्र॥ १७

उसे फ्रेक इसततौं मौलौ, जो यतनथी। अद्र मानणों में आन हन एक केाना में अगोनती है वुद् यो लाती है, औन ढौठ है, उसके पांव चन में नहों ठटहनते॥ उसने उसे पका, और उसका थमा लौया, औन नौनलज से उसे कच्चा को मेने ग्रहां कसल कौ जेट हैं, आज के दौन में ने आप नी मनेतोयां पत्तों की हैं। इस लोयो में तुष्ठ से मौलने का नी कली हुं, को जतन से तुष्ठे ढुंढ , औन तह पाया है॥ में ने अपने व्रौछेने के मौसत के व्रुट काढ़े हुए होने व्रसतत से संवात्रा है॥ में ने अपने ब्रीछोने के मुत्र, गन फ्ेलवा, औ।नच दानयीनो से सगंध कीगा है॥ आबव पनातःकाल ले पनेम से मौल के उनमत हे। व, आव, आपस में पीआन से जो ब्रहलाब॥ क्योंकों वह जला मनृप्प ता अपने घन में नहों, उसने दत कौ ग्रातना को है वच्त फक थेला जोकड़ अपने हाथ म॑ लेगया है, औजन पत्ीवा के चत आवेगा से। उसने अपनो छल कौ व्रातों से उसे व्रस मे कीया, चैन अपने हेंटों के परसलाने से डसे प्यॉया।॥ बच्च अयानक उसक पौछ यला जाता है, जेसे ब्रनद्ा चत हे।ने को जाता है, अथवा सुढ़ की नाइं, जे। काठ में ठोक जाने के लोग्रे जाता

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श्५ $4५.

२७

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सुलेमान के दौचोसटांत |

३॥ यहां लॉ, की व्रतक्तों उसंके कलेजे के पात हैोगइ, उस योडया के समान, जे जाल की आन सोच॑न जाती है, जन नहीों जानती, की वहां उस का पतान जायगा॥ सोाअत्र हे व्रालकोा, मेततों सने, औन मने मंच के व्रयन पत्र 'चयान नप्पा। ने जा जि ही |; अपने मन का उसके मानगों पत्र ._्कने मत देआ, किट. कि >्् किक अटक कन उसके पथों में मत जाओआ॥ कर्झ्ोंकी उसने व्रहूतां का घायल कतक गोना दोंया है.हं, व्रह्ल़ल से सुन उस से जछगये हैं॥ उसका घतत >> के ३० हे कर ननक मानग है, जा मीचत के झवनोा पहु- यथते हैं

आठवां पनव्र

कया व्रव नहों पक्ानती, औन कया समष्ठ अपना सद्र॒र नही उठातो ) वह उंये सथानों उपन की याटौय्ों पत्र, ओआच उन सथानें में, जे सडक व्रोय में हैं, माचग पतर्प्पड़ी चहती है पराटकों पत्त, अल नगन के पेठ पत्त, ओर आझोतन आने के दुवानों पत्त पुदाचतों है। कौछे लोगो, में तुमहें व्रुल/तो हुं, औनच मनुप्प के संता-

नें को पुकाततो हुं। हे ज्ञाला, द्रुघ को समष्टा,

औज हे मुतप्पा, समछ्ट का मन नप्पा। सुने,कर्यों-

अआठवा पनव्र १6

को में अछों अछी व्रातें कहूंगी, ओऔज मेने हेंठों के प्यूलने से ठीक व्रातें नोकलेंगो कं्ग्ोंकी मेन मुंह सय सय करेगा, जन दुसटता से मेन होंठों

के घौन है। मेने म॒ह कौ सानो व्रात चतम को

२९०

९९

दर

९९

भ्ष्ठ

रैईं

५७

हैं, उन में टेढी तीचछो काइ व्सतु नहीं समह- वैद्या लौग्ने सत्र प्यूला है, औन गय्यानी के लोग्र सत्र ठोक मने उपदेस के गतहन कनो,चपे को नहीं;औ।न गय्यान को येप्पे सोने से अचौक यने।। कग्ोंकी ब्रुच लाल से ज्ञी अछो है, जैन समस्त व्रसतें, जीन को लालसा की जाती है, उसके तुल जैे। नहों सकतों॥ में जा द्रव हुं, ओकसीो के साथ नहती हुं, आन यत्‌ताइ के भेद के गद्मान का पनापत कततौ हुं व्रुत्ाइ से चौन कचना पतमेसन का अय्न है, और में अहंकान,ओऔ। अज्नौ- मान, तन कुमानग, औज कुव्र यन से ब्रैत नप्पती हुं। मंतत गन ठौक व्रुव मेरी हैं, में हो समह हुं, अनच सुछ्ठौ में व्रल है। सुध् से नाजा नाज कनते हैं, अच चाजपतन व्रौयान कचते हैं॥ सुद्ठ से पचचान, ओच अचकछ, ओंनच पोनथोवो के साने नग्मय्नौ पत्रन्मता कतते हैं। में उन पर पनम कन तो हुं, जे! सुष्ठ से पततटम प्पते हैं, औन

९८ वे, जे। मुट्े तड़के ढुढते हैं, मुझ पावंगे॥ चन

89 90 6णद्वा। ६४९ ताव॑४&7.

रछ०

रैक ब्रे

कर

नहर

२७

प्‌ २६

२७

रद

नर

सुलेमान के रोनौसटालत॥

औअच पवतौसठा हां, दोचढ चन चनम मेने साथ हैं। मंत्रा परल सोने से, ह, योप्पे सेने से, औज मेता कत् याप्पी यांहौसे अलाचक्षे। में चनम के मानग में, जन व्रौयांतस के पथ के मच में लेजातो हुं। जौसतें में उनहें, जे मुद्ठे पीआनच कचते हैं संपत का अचीकानो कनु, औतन में उन के ऋंडान जन देडंगी। पतनमेसन अपने मानग के आजनंज्ञ में अपने पत।यीन कानजेए से आगे मुहे नप्पता था॥ में सनातन से सथापीत की गइ, आनंज्न से पीनथोवी के होने से आगे। जब गरी- नाव थ, में उतपंन हुई ; जवद्र पानी जन सेते नथे। में पह्ाड़े के सथीन हे।ने से पह्दौ ले, ओऔनच पहाडोंयों से आगे उतपन हुद॥ जव् ले उसने पीनथीौवों व्रनाइ थौ, प्युला सथान, जगत की मोटी के सचेसट सथान | जव्र की उसने सनग व्रनाये, औन गरच्दौनाव के मुह का चेत लौग्ा, में वहां थो। जव्र उसने उपन का" ठचह्नाया, जन जब की उसने गहौनाव के से।तें का दौनढ कोया। जव् उसने समु'दत का अगया दौ, को पानी उस्कौ अगया से व्राहत जावें, जब उसने पीनथौवो को नेंवं डालों तव्र में उसके पास पीनतीपालौत के समान थी, जन में पततो टोन आनंदोत थौ,

आठवां पनव्र। 34

७९ ओजन सदा उसके आग आनंद कतती थो॥ में

३२

48:

छह

हे

उसकी पौनथीवी के व्रसाव के टुकड़े पत्त आनंद कनतो थो, औन मनत्रा आनंद मनुप्प के संतान के साथ था। से अदव्र हे ब्रालका, मंत्री सुने, कर््ों- की, जे। मेत्त माचग के चानन कनते हैं, से। चंन हैँ। उपदेस सने, ओजन व्रचनान दोओ, गत उते टाल मत देओ।। चघचंन वह मनप्प, जो मनी सनता है, ओर जे। पततीदौन मेत्र पराटकेा पत ब्राट जाइता है, औजन मे दुवानों के प्पंजों पतत उच्चचाता है। कय्मांकी ज|स कीसो ने सुट् पाय्रा, डसने जोवन के पाया, औल पतमसत का अन- गौतचह पत्रापत कतर्ेगा॥ परंतु जो मना पाप कनता है, से। अपने पतान का ब्रेन कनता है, वे सत्र, जे मुष् से ब्रैच चप्पते हैं, मीचतु से पनेम कनते हैं 6 नवां पनव्र

व्रच ने अपना चन ब्रनाया है, उसने अपने सात प्यंज्न गाड हैं। उसने अपने ब्रचने के व्रच कीया है, उसने अपनो मदौता के मीौलागा है, उसने अपना मंय ज्ञौ सौच कोटा हऔै। उसने अपनों

सह्देलीयों के! भेजा है, बच नगन के उंय से डंये

सधथानें पकानती है॥ जे काइ झोाला हे।, से इचनत

हद

सुलेमान के दौनौसटांत॥

परोने, वुद्र असमछ के! कहती है। आओ, जैन मेन्ती नोटौगों में से प्याओ, ओऔतक मेत्तो मीलाइ कहुइ मदौता में से पौद्या मुढता तग्ागा, औनच जौ, औनच समह्ट के मात्रगों में जाओ॥ जे नोंदकां करा छीड़कता है, से अपने लौटे लाज पत्रापत कतता है, जन जे! दुसट के! दपटता है, से आप हो कलंक पाता हे। नीोंदके के! मत छौड़क हो, को वुच्द तुष्ट से ब्रेत कने, ब्रुच मान के लो इक जैन वुच्द तल से प्रेम तप्पेगा ब्रुच- मान के उपदेस कत, ओन व॒च्त अचीक ब्रुचमान हे।गा, सजन के। सींप्पला, ओतज वच् व्रौदया में व्रढ़ेगा॥ पतरमेसन का अग्य, ब्र॒ुच का आंच, जैन पवःतचनग्न का गय्यान समष्ठ ह्ें॥ कप्नेंकी मुष्ठ से तेन दोन ब्रढ जायेंगे, आन तेने जौवन के ब्रतस अचौीक छेंग॥ ग्रदौं तु ब्रचमान हेपवे, ते अपने ही लौग़े ब्रुचमान होगा, ग्रदौ तु नींढा कने,तुच्दी अकेला सचेगा

मुढ इसतीनो छगडालु है, झोली कछ नहीं जान- तों। बुच्द अपने घन के दुवाच पत्र, औल नगत के उंये सथानें में पीढो पतन ब्रेठी है॥ -जोसतें पथीके। का, जे। अपने सोचे मानगों पत्त यलेजाते हैं, व्रुलावे॥ कौजे काइ ज्ञेला हे, से इचन

3

श्य्ः

दसवा पनव्र | . २३

परौने, औन वह ब्रुध दौन से कद्दतो है। यात्री के पानो मोठे हें, ओन छोपों छोपी नोटो अछो लगतो है पत्रंतु वुद्द नहों जानता, की वहां मौततक हैं, झेतल उसके पाहुन नतक के गह्ढौ-

७.७ 3३० नाप नें हे

दचवां पनव्र

सुलेमान के दोनौसटांत, ब्रुधमान व्रेटा पों ता को आनंदोत कनता है, पनंत सुढ, ब्रेटा अपनी माता कौ उदास है। दुसटता के अंडान से कछ पता- पत नहीं,पर्॑तु चचम मौचत्‌ से छडाता है। पत- मेसत चत मी के पतान का अप्प से मनने देगा,

- डे क्के पनंतु वुद्द दुसर्टां को उनको दुसटता के काचन लयाग कनेगा जा ढौने हाथ से वांटता है, से। कंगाल हेता है, पतंतु यालाकां का हाथ घौन

ने ४2 बज के जे कचता | जे गनौसम में व्रटोचता है, से ब्रुच के ३५ मान पतन है, पनंतु जे लवनो में सेता हे, से टेब पं | लाज देवयरा पतत है। सजन के सौन पत्र आ- * ९६ कर » कर 4

सौस है, पत्ंतु अंचेन दुसट के मुह के ढांपता है। सजन का समनन चंन हे, पत्ंतु दुसर्टों का नाम सड॒ जायगा। अंतःकनन का ब्रुचमना अग॒द्या मानेगा, पनंतु हेंठां का सुनप्प माता जाय्रगा॥ जा प्पताइ में यलता है, से; सयाइ से यलता

र्‌०

सलेमान के दौनौसटांत 0

है, पतत जे! अपने मानग के ब्रीौगाडता है, से। पन्गट हे। जायगा.॥ जे! आप्प से मटकःता हे, से से।क कनाता है,पतंतु गपी मुनप्प माना जाय-

९९ गा। चनमो का मह जीवन का कंआ च्चै, पनरंतु

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अंचेन दुसटों के मद के ढांपेगा। व्रैच हुगडा उठाता है, पत्र पनम साने पापे| के ढांपता है समह्वया के होंठ में व्रच पाइ जाती हे, पतंत मन होन को पीठ के लीये छडी हे। व्रचमान गय्यान चन प्पता है, मुत॒प्प का मुह नास के समोप है। चन मान का चन उसका दौचढ नगत हे, कंगाले' की कंगालपल उनका नास हे॥ 'घनमौसख्रों का पत्तीसतम जीवन के लौट है,पत्॑तु दुसटों का परल पाप के चोप्रेद्े। जे उपदेस घ/नचन कनत! है, से। जीवन के मानग पन है, पत॑ंत जे दपट को नहीं मानता हे, सा यक कनता उै॥ जा छठ हेंठों में ब्रैत छोप|ता है, अल जे अपकव्राद को उपयानता है, से समुनप्प हे ्यन को व्रहुताइ में पाप की घटती नहीं है, परंतु जे अपने होंठों का नाकता है, से व्रवचमान है सजन को जौन् यनी हुइ यांदो हे, दुसुट का मन धाड़े मोल का है॥ 'चनमोयां होंठ व्रहुूतां का प्पौलात ह, पनं तु सुतप्प लेग मनहौनता से जनतते हैं। पनर-

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गय्यानचउ वां पनव॥ ९५

मेसत हो का आसीस चनों कनता है, ओ।न वह उसक साथ सेक नहों मोलाता॥ व्रनाइ कनना मुनप्प लोगय्र ठठा हुं, पनत समह्वदा पास ब्रुच है। दुसटों का अग्न उन पत्र पड़ेगा, पत्र तु चनमोयदां को इछा पुतन डेगो॥ जोस नोतौ से ५५ न। हि ब्रैंडल जाता हे, वेसा हो दुसट व्रयेगा, पर्च॑तु बिक ब्५ आन पक मी तय चघनतमी सनातन कौ नव हैं। जस। द्ांतां लोये कक, 4 ह#3९ + सौनका, ओऔन आंप्पों लोये चआं फ़ेसा हीं गे 4... रे सा ने ।+ किक आलसो अपने ज्नजबेया लोग हे, जे। उये ज्नज- ३५५ - ४५ ते हु॥ पत्मसन का जअज्ञय्र ब्रठ्न को ब्रढाता है, #ि दी ४: रु, बे पनंतु दुरूटों व्रतस घटाद्य जाद्ग चनमोद्रा कर 60. 2 चर की आस। आनंद ह, पनंतु ढुसटां को आसा नास हेगो पत्रभंसन का मानग प्पन लागों के लोगो ५, ते वक आओ 6 नो व्रल है, पततू ककनमोयों लोंय़ व्रौनास॥ 'चन- मो कन्नी टल/य जायेंगे, पनत दुखट पोचथोवी और >> + के अचीकानो हेंगे। सजन के मुह से ब्र्च नोकलतो हे,पत्ंतु टढो जीज्न काट डालो जाग्ंगीं | चनमो के हेंठ जानते हैं,की गनाष्ठ के जाग कग्मा, हे 3 पत्॑ंतु दुसट का रूह टेढा है

९९ गाय्रानहवां पनव्र।

छल को तुज्ञा पतमसच का च।न हें, पत्रंतु पता

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टक क्र सलेमान के दौनोसटांत॥

व्रटप्पता उसको पनसंनता है। अइंकान जव्र आता है, तव्र॒ लजा चातो है, पन्तु नमनता के साथ व्रुच है। प्यताइई कौ सयाइ उनकी अग- हेगो, पत्रतु अपनाचोयों की टंढ।इ उनहे नास कन के। काप के दौन घन से लाज्न नहीं 2९! (50 होता, पत्ंतु चतम नोनत से छड़ाता है सौच का 'वनम उसके माचग को सचानगा, पतंत दुसट अपनो दुसटता हौ से गोत पड़ेगा॥ प्पत्र का वनम उनह छड़ावेगा, पत्रतु अपनाचौं नटप्पटो 2 एके में पकड़े जायेंगे जव्र दुसट मनप्प मचता है,तव्र उस कप की आस। नसट देती हे, औआन अ-सत की आसा क्५ लक नसट हेती हे,। 'चननी दुप्प से छडाग्रा जाता है, औन उसको संती दुसत कपडाजाता हे। कपटी ननप्प भप्प से अपने पनारी का नास कचता हैं, पतंतु सजन गय्नान के दुवाना से छडाय॒ा जाय्गा। जव् चनमीयोों पत्र ऋलाइ व्रीतती है तव्र नगन आनंदौत होता हे, ओन जदव्र दुरट नसट घहेता है, तब्र ललकाना जाता हछे। प्पनां आसौस से नगन व्रढ्वाय्रा जाता हे, पचत्‌ दुसटों के मुच्द सं उलटागा जाता है। जे मन हुआ *ु है: बलि > तरों होन हैं, सा पत्रासों को नोंदा कतता हे, पनंतु मे पे समहवद्ा युपका नहता है।* लतड़ा ममुप्प झद

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गयद्यानहवां पनव्र की

पनगट कतता है, पनंतु जो सका ग्रौरूवसत पतान है,से। व्रात छो पाता है जहां पत्तामनस नह्चों,तहां ले।ग़ गीत पड़ते हैं, पत॑त्‌ मंतनौग्रों की व्रहुूताइ से ब्रयाव है जा पनदेसो का वब्रौयवबइ चे।ता , से पछतावेग।, औ।न जे व्रोयवइ देने से ते चप्पता है, से। नौचझअय है अनुगीनहौत इस- तौनी पत्रतोंसठा नप्प छाडती है, औन व्रलवंत पुत्र॒ुष्प चंन के तप्प छाडता है॥ द॒ग्याल मनुप्प अपने हो पत्तान पत्त जलाइ कचतता है,पत्ंर तु कठान अपने हो म,स के दुप्प देता है॥ दुरूट छल के काचज कनता है, पनंत जा घनम व्रोता है, से अवस पत्तौपरल पायग्रेगा। जेसा चनम से जीवन है, बैसा जे द्रुताइ का पीछा कतता है, से। अपने हो मौचत्‌ के लोग्रे हैं। जोन का मन टेढा है, से पत्मेसन के आग चौनौत हैं, पतंत जी नकी याल प्पतो है, से उसका आनंद है। ग्रदपी ह।थ से हाथ मीौ जे, तथापी दुसट नौचदढंड जाग्- गा, पनंतु चनमौदयों का व्रंस छुडाय्रा जायगा। जुपवती इसतीोची, जे! ल।ज के छाड़ती है, से उस सुअन को नाइ है, जोंस के थथुनेयं में सोने को नथनी है। चनमोणयों की लुकूसा केवल जअलाइू

है, पतंत दुसटों की आसा कताच है॥ काइ ते 0 50घ670870 ४९ ०75॥[8॥६.

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सलेमान के दौनौसटांल

ब्रौथनाता है, तथापी व्रटोचता है, और कोइ उयौत से अचीक नप्पक्ताडता है, पतंत दचौदतता का कानन के जाता है॥। आसोस का अंतः कनन मोटा होगा, ओज वुच्द, जे! सींयता है, आप जी सॉयाजाम्रगा | जे अंज नप्प छाडता है, उस पत सताप हेगा, पत्रंतु ब्रेयवैद्या के सोच पन आसोस हेगा। जे ग्रतन से झलाइ ढंढता है, से अनुगी चह पत्तापत कनता है, पतत जो ब्रुताइ के छुढता है, बच उत्तो पत्त आवेगी। जे अपने चंन पत्र जनतोसा नप्पता है, से गोचपड़ेगा, पनंत चचमोौ डाली की नाइ लचह्नलहावेगा जे अपने चनाने का सताता है, से। पवन का अचीक।त्ो हेगा; मुनतप्प जन ट्रुचमान अंतःकवन का सेवक हेगा। 'चतमौ जोवन का बौनचछ ह. जैन जे पताने| के जीतता है, व्रद्यमान है॥ रेप्प,. चनमी के पीनसथोवी पतन पलटा दौया जायगा, ते कौतना अचौक दुसट जन पात्कों के

१२ द्रानहवां पनव्र

जा काइ डपदेस से पत्तम तप्पला हे, गद्यान से पनेम नप्पक्तों हे, पत्नंल जे दृपट से व्रत नप्पता है, से। पसवत हे। उत्तम पनमेसन का अनगोन

वानइहवां पनव्र। २८

पाता है, पतंत दुसट जुगतो मनुप्प के दे!प्पों ठच- नावेगा॥ दुसटता से मनप्प सथौत कौणय्रा जाग्गा, पत्तु चचमौयां कौ जडु टलाइ जाग्- गौ॥ सुकतमों इसतोनौ अपने पती के लौट सुक्‌ट है, पनत जे लजोंत कचातीं है,से। उनकी इडोग़रों

में सडाहट की नाइं है॥ चनमौयों की यींता

१९ पे

९९,

हरे प्र

ठो है, पत्तु दुसटों के पतामनस कपट हैं दुस- टॉ की व्रातें चात के लौग् ढु के में नहतो हैं, पत्र तु प्यलाइ कानुह उनहें कछड़ावेगा॥ दुसट लोग उलटाग् गठ्मे हैं, आन नहीं हैं, पत्ंतु चनमोय्रों का घन सथोत् नहेगा॥ मनप्पका सनाहना उसको व्रच् के समान हेगा, पत्त जे अंतःकनन का टेढा है, से नॉंदीत हे जौसका सेवक हे, से। उस से झला हु, जे। अपनी पतरतोंसठा कनता है, मल नोटों का अचीन हे॥ चघतमी अपने पसुन के पत्तान कौ यॉला कतता है, पत्ंतु दुसटों की केामल दया कठाचता ह्े॥ जे ज्ञम का जेता व्रोय्रा कतता है,से। नाटी से तचौपत हे।गा

प्रनंत जे। तक का पौछा कचनता हे, से। असमह हे दुसट ब्रनाइ का जाल याहता है, पत्रंतु चतमौयों कौ जड़ पत्तापत देती है। होंठों के पाप से दसट ब्रष्टायरा जाता दे, पतृतु सजन दुप्प से नोकल आवे

हा

झ्रे

श्ष्े

१४

सलेमान के दोनोण्टांत

गा॥ अपने मुह के अछ परलों से मन॒प्प तनोपत कौय़ा जायगा, पत्र॑तु मनुप्प के हाथों का पततौ-

परल उसे टहोट्रा जायगा॥ मसुढ़ को याल उसको टौनौसट में लो है, पनत जे। मंतत के मानता

९६ है, से द्रवमान है॥ मुनप्प का कनाच ननंत

रे

जाना जाता है, पतंत यतन लाज के ढपता है। जा सथ ब्रालता हे, से चनम के। पत्रगट दौष्प- लाता हे, पव॑त धटा साप्पी छल देता है। कौसो की द्रे।ली एसी हो, जेसे प्पड्ग का यञ्ञना, पत॑ंत व्रचमभान कीं जौज्न कसल हे॥ सयाइ कफ़े च्ेेंठ सटा ला सथोच नहेंग, पन॑त ध६ंटो जौज्न पल जन को ह॥ कर्योतक के मन में छल हक्ले, पनंत

लाप के मंतचोयों के आनंद है सजन पत्त काइ द्रौपत पडेगो, पतंल दसट व्रलाइ से पतन

ह्ोगा॥ छठे होंटों से पत्रमेंसन के चींन हे,

पंतु जो सया व्रेवहान कनते हैं, से आनंदौत हैं। यतु॒त्त मनप्पगय्ान का७्छोपाता है, पन्रंतु मुनप्पों का मन सुनप्पता पनयांचता है॥ या- लाक का हाथ पत्रन्नुता कतेगा, पत्ंतु आलसो कत के व्रस में हेगा मनप्प का सेक उसे नौहुडाता है, पत्तंत सव्रयन मगन कतता है। 'चनमों अपने

. पतासों से अतो जला है, पनंत दुसटों का माचग

२७

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तेनइवां पनब्र ३९

उनहें ज्टकाता है। आलसो अपनो अछ्देत का नहीं आुंजता, प्रतंत याक्ाक मनुप्प कौ संपत व्रह्ूमुल है। नम के मानग में जीवन है, ओअन उसके पथ में मोचत्‌ नहीं

९३ तेनहवां पनवब्र |

द्रुचमान वब्रेटा अपने पीता का उपदेस सनता है, पत्तत नॉट्क दृपट के नहीं सुनता॥ गंनुप्प अपने म॒ह के परल में से अछ! प्याय्रग़ा,पत्तंत्‌ अप- नाचींखों का पत्तान अंथेत। जे। अपने म॑ह के संज्नालता है, से अपने पतान को नछया कनता है, पत्तत्‌ जे अपने हेठों के पसावता है, से! नास हेगा॥ आलसौयों का मन व्रहुत कुछ याहता है, औन कछ नहीं पाता, पन॑त॒ यालाकेां का मन पुसट देगा चनमों जन छुट से ब्रेत नप्पता है, पन तु दुसट चौनोत है, अ।न लाज को पहुंयाता है॥ प्यता याली को नका चनम कनता है,

पनंत्र पापी का दसटता उलट देती है॥ काइ

आप के चनोौ व्रनाता है, तथापों कक नहीं; केइ

आप के कंगाल कनता है, तथापी व्रड़ा चनो है

मनुष्प के पतान का पत्ताय्नसयौल उसो का चंन,

परंतु कंगाल दृपट के नहीं सनता। 'घचनमौशग्रों 6७ 500९77670 ४6 0773॥(6॥(,

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सलेमान के दीनौसटांत

की जे।त आनंद हे।तो है, पतत्‌ दुसटों का दौपक व्रुष्ठाद्रा जागगा | हगड़ा केवल अहंकान से उठता है, पत्रतु समंतनौत के साथ व्र॒च है॥ अनचथ से पनापत कोग्मा गग्मा, चंन घट जाम्रगा, पनरतु जा पनीसनम से व्रट्रानता है, से व्रढ़ जाय़गा आसा का टालना मन के नोगी कचता है, पत्ततु आसा का पुलन होना जोवन का व्रौचछ है॥ जो काइ व्रयन को नोंदा कनतता है, नास कौया जागम्गा, परंतु वुच्द, जे अगया से डचता है, सल से नरहे- गा॥ गय्ानी का ट्रेवह्चान जीवन का सेता है, जौसते' मोनत के जाल से अलग हेवे॥ अछो समह अनुमों तह देतों हे, पत्रंत अपनाचौणयों का. मात्रग कठौन है॥ हन एक यत॒त जन गग्यान से ब्रेवह्मात कतता है, पतंतु सुनप्प अपनी सुनप्पता परेलाता है॥ दुसट दुल व्रताइ में पड़ता हे, परंतु व्रीसवरूत दुत कुसल हे कंगालपन औत लाज उस के लोग छऐ, जे। डपदेस के नहीं मानता, पंत जे दपट के मानता है, से! पततोसठा पावे

७०७५६

गा॥ इछा का पुत्न हाना पना।न ओके मोंठा हे, है बिक सच जे

पनतु ब्रुताइ के छोड़ना मुतप्पों के चौन डे

२० जा व्रुचमान के संग यलता है,से। व्रुच॒मान च्‌।गा,

पत॑तु म॒तरष्पों का संगी युतन हैगा ब्रुवाइ

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थऔरदरवां पनब्र। ३९

पाषीयों के पीछ पड़ी है पत्रंत चनमीगयों के उतम पनलोपरल मोलेगा उत्तम अपने पेतों के लोगो अचौकान छेडजाता हे, पर्तल पाषीयों का चन चनमोयों + ग्् ; कै ल्‍ थों के लोय चना है कंगाल के जात ने घान ब्> व्राने में ब्क़्ल सा जाजन ह, पनंल काइ ता व्रौ- यान व्रौना नास होता है जे अपनी छडी के जोकता है, से अपने ब्रेटे से ब्रेन नप्पता हे,. परंतु जा उसे पीआन कनता है, से। उसों के। आगे से लाडना कतता है। घन्मो अपने पतान कौ रूं- तुसटता के चौपटेप्पाता है, प्न॑त दुसट का पेट नहों जनता

| थयादहबां पनव्र

्, इन एक ट्रुचमान इसतोौनो अपना घन ब्रनातों है, पतंत अगय्यान उसे अपन हाथों से ढातो हे॥ हे बे बज जे अपनी प्पनाइ से यलता हु, से पत्रमेसन से हे | उचता हे, पततु कुमानगों उसको नींद कनता है | मुनप्पां के मु'ह में घमंड को लाठी है, पतन तु ब्रुच- मानों के होंठ उनकी नकय़ा कनेंगे। जहां ग्रेल नहीं,तड्डां यत्तनो छछीो हैं, पंतंत अनाज को अची - काइ ट्रैल के व्रल से हे ब्रीसवसत साप्पी हु व्रे।लेगा, परंतु छुटा साप्पी छुठ उयाचन कनेगा।

हर २:७७ 2 ७2

सलेमान के दोचींसटांत

नोंटक ब्रुव को प्पोज कनता है, ओज नहीं पाता,

पन॑तु गद्मान समंष्टवेयरा के लोग सहज है| जत्र

त्‌ गद्मान के होंठ नहीं देप्पता है, तव्र मुतप्प से

अलग च।जा। प्यत्तन को ब्रच य् है, कौ अपना

की

श्४ रा

श्दृ

की

४५

मानग व्रह्व पंत मुढ़ को सुढला कपट हो मुठ पाप का ठठा जानते हैं, प॑त॑ घतमौयां म॑ कौचपा हैं। पत्तान की कड़वाहट के पतान ही जानता है, आन उपनी मनुप्प उसकी आनंदता के नहीं काडता॥ दुसट का घन नसट हे। जायगा, पनत्ंत प्यने का तंवर लह्टड लह्ावेगा 9क मानग ह्षे, जा मनप्प के! ठीक दो प्पलाइ देता हे, पतात उसका अंत मोनतु का मानग है। हंसने में ज्ञो भन सेकीत है, औ।म उस आनंद काअंत उदासी हे; मन का हटा हुआ अपने ही मानगों से तो चौपत ड्वेजायगा, ओऔतच उतम ननुप्प आपह्लो से जला हनच फेक व्रयन के। पततीत कन ता है, पर्तत यतन देप्प ज्ञाल के यलता चछै। व्र्वयमान डनता है औतज द्ताइ से ज्ञागता है, पतंत मुनतप्प केपोल है, औन जनोसा तप्पता है। जे। सौघन कनोच कनता है,से। सुनप्पता से द्रेवह्मात कतता है,औन दसट जगती से ब्रेन है। ज्नकआ मुनप्पता के अचीकानो हैं,पत्तंत यतनों के सोत पन गग्मान का

श्र र्क

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शादहवां पनद्र। ३५

मुकट है॥ ब्रता जले के आगे ह॒कता है, जान दसट चनहोट़ों के पराटकें के आग। कंगाल से उसका पनासौज्नो ब्रेत तप्पता है, पत्तंत चनो के वरहुत से पीतीय हैं। जे अपने पत्तासों कौ नींटा कचता है, से पाप कनता श॥ै,पनंत जे। कंगाल पत्र दया कनता रै,से। चंन॥ जो व्रनो ग्रकत॒ कनते है, कया वे यक नहीं कनते? पनंत दया जैन सत उन पत ह, जो जले जगतो हैं समसत पततौसनम मे लानज्न हे, पतत होठों को व्रोली से केवल दनो

दतता हे॥ व्रचमान का मुकट उनके चन हैं

पत्ंत लुनप्पां को मुनप्पता है सया साप्पी पतान छडाता है,पत्तत छलो छठ द्रालता हऔै॥ पनमेसन के डन म॑ टीनढ व्रौसवास है, औन उसके व्राल के का सनतन सथान मौलेगा। पत्रमंसन का डन जीवन का सात! है, जीसतें मोचतु के परंदें से अजग डेवे लेगा की व्रहुृताइ में नाजा को पततोसठा है,पनंतु लागें के चे।न में चाजपुतनों का नास है कनोंच में चौमा व्रड़ो समष्ट का है, पर्वत अलपमन मुनप्पता ब्र4ता है। सनोच का जौवन सुर्चौभन है,पनंत डह इहडोगट़ं को सड॒।हर है। जोकंगालें पत्र अंचेत कतता है, से। उसके कनता को नोंदा कनता है, षनंत जे उसकी पन-

हे

३२ 3

३8४ शव

सुलेमान के दोचौसटांत

तौसठा कनता है, कंगाले| पत्र ट्या कनता हे। दसट अपनो दसटता में प्पटेडा जाता हे, पत्रत चघनरमों अपनी मोनत में आसा नप्पता है। समष्ठ बेम्रा मन मे व्रच नहतो है, पत्रंत मुढु का मन पत्रगट होता है। चतम लोग को व्ढता है,पतर॑त. पाप कीसी लाग के लोग कलंक हैं। ब्रुचमान सेवक पत नाजा को कौतपा है, पनंत जे लाज दौलाता है, उसका कनोच उस पत्त है।'

१५५४ पंदनइवां पनव्र

केमल उतच कनोघ के परेच देता है,पतंत्रु कटुक व्रयन कनोच के उन्नाडते हैं व्रचमान की जीज्ञ गय्यान से ठौक ट्रेवह्दात कच तो है, पत्रंतु मुतप्पों का मुह मु"नप्पता ढेकालता है | पत्रमेसत कौ आं प्पे

सब्र सथानों में व्रुते झल को देप्पतौयां हैं जीज्

॥) है,

का यंगा फतना जीवन का व्रीनछ हे, पर्तात उसका व्रौगड़ना आतमा को टुटो है. मुतप्प अपने पीता के उपदेस के! त॒कछ जानता हे, पत॑तु जे घुनकी के मानलेता है, से यतुत है॥ 'चचमो के घन में ब्हूनत घन है, पन॑त दुसटँ को उगाइौग़ों में दुप्प हे। ब्र॒घमान के हे|ठ गद्यान परेलाते हैं, पनंत मुन॒प्प का मन फ्ेस। नहीं दुसट के

श्र रे. रे ष्है ९४

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शी श्पः

श्र ब्रे०

पंरतहवां पनव्र ३७

ब्रलीदान से पतमेरन के चौन है, पनंत प्पत की पत्रालथना उसकौ पनसंनता है दसट को याल से पतमेसन के चघौन है, पनत जे। चनम का पौछा कनता है, वह उस से पनेम नप्पता है॥ जे। मानग के छाड देता है, उसके लौगय दप्प; जे दृपट से ब्रेन नप्पता है, से मन जाटगा॥ ननक

ओऔ।च नास पत्मेसन के आगे हैं, ता मनप्प के

संतान के अंतःकनन कौतने अचौक। नॉदक उस से पर्नेम नहीं नप्पता, जे। उसे दपटता है, बह व्रचमान पास जायगा॥ मगन मन नप का आनंद कनता |, पत्तत मन के सेक से मन टट जाता हैं समहछ्वदा का मन गद्गान का प्पोाजता हैं, पत्तंत मुन॒प्पों का मंच सुतप्पता आहान कनता है। दप्पी के जोवन के टोन दुप्प हैं, पत्तंत जौसका मन मगन हैं, उसके लौोगट[ सदा जवनान है। पत- मेसत का अग्र उस से ज्नला है, को व्रडा जंडान छ॑ंघ्टट के साथ | साग पात का जझाजन पनम के साथ उस खरे झला है, को पला हुआ व्रनदा द्रैन के साथ॥ कनोची गनप्प छगडा उन्नाडता है, पनंत जा कनोच में घौमा है, से छगड़े चौमा कच ता जै। आलसो का मानग कांटों का व्राड़ा है, पत् घनमीगयों का मानग्र यात्तस व्रना हैं ब्रचमान

हे छू

सुलेमान के दौनौसटांत

लड॒का पौता का आनंद कनता है, पतंतु-सुनप्प

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अपनो माता को नोंदं। कतता है॥ मुढ़ता नौच- जीव के लोगट़ आनंद है, पतंतु समहवेदा मनुष्य प्पताइ से प्यलता हे। श्रौना पतामनस से ठानी हुई, व्रौनथा हेतौ हैं, पत्त म॑तनौया को व्रहू- ताइ से वे टौनढ छेतो हैं। मनुप्प अपने म॒ह के उतन से आनंद हेता है, गन समग्र पन कौ व्रात केसों अछो है जीवन का मानम ब्रचमान केलींये उंया है,जीस्तें वह नौ नवक से नौकल जाय्॥ पनमेसन घचमंडोंय का चन ढादेगा, परत वह नांड़ों के छौव्राने को सथीच कनंगा॥ दसयों की यॉता से पत्मेसन का घोन हे, पंत पावन की व्रात परवीततता हछेै। जे लाहज्म की लालय कतता है, से अपने चनाने को दुप्प देता

हैं,पतंत जे अंकान से वब्रेत चप्पता हे,सेइ ज| टंगा | घतचकी का मन उतन देने का सायता है, पनंतु दुस्ों का मंच व्॒नो व्रातें डगछता है। पत्रमेसन दुसटों से दुच् है, पत्रतु वह चनमौदणयों को पताच- थना सुनता है। आंप्पां की जेत मन का आनंद कनती है, आज सुसंदेस इडौटां के पसट कचता है॥ जे कान जोवन को छौड़की धनता हैं, से व्रचमानें में चहता है। जा उपदेस के नह

दे के

से।लहवां पनव्र। ९८

मानता. से अपने हो पत्तान को नोंदा कनता है; पतंत जे दपट के मानता है, से जोव नप्पता औै। पनमेसव का अग्न ब्रुध का उपदेस है, बैन

: पततौसठा के आगे दौनताइ है

सालहवां पनव्र।

मनृप्प के मन का सौच क-ना ओऔन उसकी जीज्नका उतत पतमेसत की ओन से है। मनप्प को सानो यालें अपनो आंप्पां के आगे पवौतन हैं; पवंतु पत्रमेसत मन के तेलता है। अपने समसत कानज पनरमेसत के सॉंप, औन तेनो यौनता सथोत्र डेश जाय्रेंगी। पत्मेसन ने सत्र कुछ अपने लीग व्रनाय्रा है, हां, दुसयां के ज्ञी

ब्रुताइ के दोन के लोग्र। हत एक अहंकानों

से पत्तमेसन का घौन है, यग्रदपी हाथ हाथ में मौल, तथापी वह नौनदेप्प उच्चनगा। दया औ।न सत से ब्र॒वाइ दुत हे।ती है, औन पतमेसच

के अग्न से व्रताइ से अलग छत हैं| जव्र

मनप्प को याल पतमेसनल के अछो लगतो है तब ब॒ुच्द उसके ग्रती के। जो उस से मेल कनता है। थाड़ा सा, जा घनम के राथ हो व्रहुत उगाहोगय़ा से, जा ब्रीना घतम को चेवें, अछा 9 590९77670 ४6 078(60६

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सुलेमान के दौचीसटांत।

है। मेनप्प को मेने अपना मानंग उहैवाता है पर्नतत पतरमेसत उसके डग के सचानता है देव व्रयन नाजा के होंठों में है, और उसकी मह नयाय्र में अपनाच न॑हीों कनता।| प्यनो ताल, और तुला पनमेरसत के हैं, थेली के सात व्रटप्पत्ते उसके कानज हैं दुसटता के कनने

सं नाजाओं का चोन है, कंयांकी सोंहासन चघनम

से टौचनढ होता है। चंत्रमौ होंठ नाजाओं के

अनस हैं, औन जे। ठोक व्रालिता है, वे उस से

पनम नप्पते है। नाजा के का मानत के दुत हें, पत्रत व्रचम/न उसे चौमो कैनेंगा नाजा के तप के जात में जोवन है, ओऔन उसकी कौनपा पोछले मेंह को नाइ है। ब्रुच का पंत्ापत कतना सोने से कीतना अल हैं; अऔन

समुध के। पत्तापत केतना तपे से कौतना जला

है। प्यत्ते का लाज मालग ब्रुताइ से नॉकल

' जाना है, जे। अपने मानग के" ओकस नप्पता है,

से अपने पान को नछा कनता है। नास से पहले अचंकान, आन भोने पंडने से आगे मन का चघमंड है। दीनें के साथ दौन होना उस से अछा है, को अहंकानोय्रों के साथ लट ब्रांटना जे ब्रच के साथ ब्रोत समहता है, से पअखलाइ

१६ हर १शे २४ २५ र्छ्ट

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सेलइबां प्रतव। ४९

- प्रावेग्रा, छल जे प्रतमेस़त प्रत्त झनोसा सप्पता

है, से चंन है। व्रचमान्‌ यत॒त कूइुलाबेगा, औ।न हेंठ की मौठाइ व्रौटय व्रढ़ाती डे समष्ठ बयां के लोग ससह जोवन का से।ता है ; प्र तु सुतप्पां का उपदेस मुनप्पतां है। ब्रुदुम[न॒ का

आंतःकनन उसे द्रचमान कनता है, अल. उस के

होंठ के ब्रौदृया- देता है। मन ज्ञावन; व्रातें मचु के छते के समान पतन का मौठो लगती हैं, औजन इडोयां के लोग येन हैं। एक मात्रग है, जे मनुप्पु के ठोक लगता है; पनंतु उसका अंत मीचतु का मानस है पत्तौसतमों का पताल अपने लीग पतोसत्म कनता है, कग्नोंकों उसका मुंह उसके आग छुकता है। व्रौलयाली मनप्प ब्रताइ के प्पेोद् के नाकालता है, ओन उसके होंठों में ज़ुब॒तो आग की नाइ' है। कनतत मनुप्प छग़ड़ा उठाया कनत़ा है, आन प्रुसप्रु रहा

मौतनां में ब्रौज्ञाग कतता है। अंचेनौी मनुष्प

अपने पत्रोसो के परसलाता है, ओज्‌ उसे उम् माचग से ले जाता है, जा ज्ञजा नहों। वह आंप्य म॒दता हैं, जोसत टेढी व्रत की जकती कने, ओऔज हेंठ होौल़ाके ब्रनाइ के लौट जाता है। उजला सोन ब्ौज़॒व का मुकट है, यरो

डे रे

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को

44233 सुलेमभान के दौनौसट।

चनम के माजग में पाद्याजाय कनोच में चौमा

सामनथी से जला है, ओन जे अ।ने मम का व्रस में नप्पता है, से। नगन के लेक्ेय से यौटठीं गोद म॑ डालो गई, पत्रत उसका ठौकाना लंगाना पत्रमरुत से है। बकरा

१७ सलनहवा पनव्र

नुप्पा गतास यैंन के साथ ओतन ज्ञौं जला हैं, की घन जनता व्रलौद्ान हंगड़े के साथ | ब्रुच- मान सेवक उस पुतत पत्त पतञ्जता कनगां, जो लज़ोत कतता है, ओऔज ज्ञाइट्रों में अचोकान का आञाग पावेगा यांदौ के लोग चनोया, औन सोने के लौगे जठों, प्तत पत्तमेसल अंतःकन नें का जांयता है। ककनमो हट हेंठां का मान- ता, है, औन हटा कव्रयन का सनाता हेता है। जे। कंगाल का यौंढाता है, से। उसके कनता का कलंक लग।ता है, जे ओर की ब्रीपत से आन- नदीत चेतता हैं, से। नीनदेप्पी ठइनेगा। ब्रालकां के व्रालक व्रीचर्चों के लुकुट हैं, ओआच व्रालकों का व्रोज्व उनके पीत।| के। होंठों की सान्ना मुत॒प्प का नहों सजती, कौतना अचौक हंठ होंठ नाज़ पुततों के। जे दान चप्पता

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सतन॒हइवां पतब्र ४९

है, से उस कौ आंप्पू[ में अनुगोतह का मन है, जहां कच्चों दद्॒ फरोनता है, परलता है| जा अपन्ाच को क्लोपाता है, सो पत्रम का प्पाजौ डै ; पत्त जा वात का दुहनाता है, से। सौततों

मे ब्ौज्ञाग कनता है। एक छोडको व्र॒चमान

का अचौक यौतातोौ है, की सा मांच मुलप्प का। दुसट केवल दुंगाका प्पेज्ी है, से। उस पत्र कठान दुत ज्ञेजा जाय्गा। उस ज्ञाल से जौध्षके काने यनाय गय्य हैं, मेंट कन्नना मन॒प्प का उचत्त से जला है, को मुनप्य से उसको मुनप्पता में। जे अलाइ क़ौ संतो द्रताइ कनता हैं; द्नाइ उसके घन से अलग ज़् होगी | हुगड़े का आजंप्ष जैसे पानौ का छोड़ना है, इस ल।ये छडने से

आगे छग़ड़े से हाथ उढ़ा जे. दुसूट के नोज:

'दवाप्पम औन जा रूजन करा देप्यी ठइत्तवा है, .दे।नें के दे। नेएं पतमेसत ये च।नौत हैं। मुनृप्प

के ह्वाध में ब्रव पते का दृ/म. को चौझे है,

उसका मन ता हढइ् नहीं। ,मीतत स्पेस

कनतता है, ज्ञाइ व्रोपत-के लगे. उतपंन

हुआ जै। नौवजोव मनुप्प हाथ मानता है, ९.७“ हे

और अपने मौतत 7के आ/शे-त्रीयवइ छेता है

जे छुग़ड़े से-पोज्रोत कप्पत़ा औै, झेा अपनाच , से

3४86९90&70 ४€ 0779.&790.

हे है ] हा & ४४ सलेमान दौनौसटांत। पनोत नप्पता है, जो अपने पराटंक का उन्नाडता २० है, सा नासकों ढ'ढठता है। जौस के मं॑न में हट है, सा अलाइ पत्तापत नहों कतता, औआन जे।

8308 हर च्छ से हक च््ै टढ़ो जोन नप्पता है, से द्रुनाइ में पड़ता है। ९९ जो मुतप्प उतपंन कतता है, से अपने हो सोक के लौट कमता है, आन मुनप्प के पौता को च्ों हू $ को

२२ आनंद नहीं। आनंदोौत मन ओप्पच को नाइ जला कनता है, पन्रंतु टुटा मन इडांयों को १९ सप्पाता है। दुसट मनप्पगाद में घस लेता है, हैः कण “९ 0 हल; २४ को नयाय्र का परन देवे। समंध्व्य के आर्मे ' , ते ब्रुच है, पनंतु सुतप्प की आंप्य पौतथीवों सौवानों २९४ लोॉं हैं। मुढ़ पतत्त अपने पीता के लौग्रे सेक है, औन अपनो जननी के लोग कडवाइट २६ सजन के दंड देना औन कअनों को जाधानध

श्र कु कु ] के लोग मानना जला नहों, गय्ानो संतन्नाल के चर ब््

९७ व्रालता है, समह्टवेया सौतल मन है। मुनपष्य जनों जब्र व॒ुद् यपका चहता है, व्रचंमान गौना

* | हि “आओ +५ कर रो ७५८१३ "कक है जाता थै, चअन समहवेया अपने होंठों का ब्रंढ कन नप्पता है।

९८ अंठानहवां पनत्र | “५ जा आप को अलग कनता है, से अपनों इूछू

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अठानहवां पनव्र हू

के समान ढुढता है, औन इन 9क कातनज छेडता है। मुनप्प को समष्ट नहीं ज्ञावती, पत्रंतु जोसतें उसका मन आप का पत्रगट कने| जब दुसठट आता है, तव् नोनदा ज्ञी आतो है, ओऔन दुतनगतों के साथ अपजस आता हैं। मनप्प के मुह की व्रातें गहोने जल हैं, औन व्रुच का से।ता ब्रद्ता नाला है | चनमी को नगाय्र में पलटने को दुसट का पक कत्नना अछा नहीों। सुनप्प के डेंठ ब्रीवाद मे पेठते हैं, औन उसका मठ थपेडा मांगता है। मुनप्प का मह उसका द्रौन।स है, औन उसके चेंठ उसके पतान के परंदे परस परसद्दधा की व्रातें घाव कौ न'इ हैं, ओज वे अंतःकतन लें पेठ जातो हैं; जे अपने कानज में आलसो है, से ब्रौनथा उठान कनवबैये का आझाइ है। पत्रभमच्र का नाम 9कञ दौनढ़ गढ, है, चनमो उस में रोड के व्रय चहता है। चघनोौ मनुप्प का घंन उस का दौचढ नगन औनच उसको समहष्ठ 9क उंयी ज्ञनीत वो नांइ है। व्रौनास के आगे भन॒ुप्प का मन परलता है, औन पच्तत,सठा के आंग दोनताइ है। जो ब्रान सने व्रयन कह ब्रेठता है, उसके लोग्रे सुनप्पता औन चाज है। मनुप्प का पनान उसको नौनश्नलता को

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४3: « सुलेमान के दौवौसरांत।

रु + ऑधचई के सृंज्ञालेगा, पंत टुट्े मन को कान रइ् सुकता है। यत॒त्र का कन गगद्मान पनापत कृन्र॒त्ा है, था ब्रुच सान का कान ग़्यान ढत/ है। मनफ् का दान उसके लोग दौकाना कतलेता है, गान

हक # + किन. | उसे महजने पास पहुयाता है। जा अपने हो पद भें प्रहोला है, से। ठोक जाना ज़ाता है, पतत उसका पनासों आके उसे जांयता है। यौहो डालना छ्गड़े का भौटा देता है, और व्ल॒वानों का अजल्ञग कनता हैं। उद|।स ज्ञाइ का भीला- लेना औन ज्ञ। कठोन है, की दृ।चढ़ुू न॒गत को अप जज कर «५ 4 लेवे, औ।न उनक छुगड़े गढ़ के अड॒ग की नाइू

२० हैं। मनप््प का पेट उसके मुह के फरलां से

२१ हे.

33

है है;

तोचोपत चे।ता है, औन अपने हेंटां कौ तो से संतुसट हे।ता है। जोवन औआल मचतन जोचन्न

५५ ५० # के ब्रस में हैं, अल जे उस से पनोब अप्पत हैं,

-््ब् > रे " उसका परल प्पायंग। जे। पतनो का पनापत कनता है, से| उतम व्रसतु षत्रापत दलता है,

औओऔजल पनमेसत से अनगीनह पाला है। कंगाल

ब्रोन्तों को य्रा कनत। है, पत्ंत चनी कड़ा उतत देता है |. मनप्प क. भौतन का उयीत ४. की

ध्य् ३०

मौतनत। दोप्प्रावे, औन ऐक मौतन फैसा है, जे। ज।इ से अन्नीक सटा नहता है।

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उंनीसवां पंनव्र 8७

१५७ उनोसवां पनव्र।

५" जो कंगाल अंपनों सयाइ में यलता हैं, से

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१० रु

उस से अछा है, जे टेढ़े हेंठ से यलता है, गन

सुद् है। पतान का अगय्धान नहना जी अछा

नहीं, औन जे। पांव से ट्रेग कनता है, से पाप कनता हैं। मनुप्य की मुतप्पता उसके माच्ग ब्रौगाडतों है, औन उसका मन पनमंसन से उदास हैेता है। घन व्रह्गनत सा मौतन व्रनाता है, प्नत कंगाल अपने मोतत से अलग कौग्रा- गद्या है। छूठा साप्पोी नौचदेप्प ठहनंगा, जान मीथया व्रादी व्रयेगा व्रहुत से लेग नाज पतन को दया के लोग वब्रौनतो कर्नेंगे, औन इन एक मन॒प्प दाता का मौतन है। कंगाल

०५ ४६ पक 2२ ४९४ ये के ता सान ज्ञाइ उसका वेन नप्पते हें, से

कौतना अचीक उसके मौतन दुन जाते हें, वुच्द

गौडंगौडा के पीछा कचता है, पत्रंत वे नहीं

मानतें। जे। द्रुच का पत्रापत कना है, से। अपने पनान को पौयाच कनता है, जे। सम चप्पता है! से। झलाइ पावेगा | हुंटा साप्पी का दंड छटेगा, औन नौथया वद्रादी नास हेजाग्रगा आनंदता मुतप्प का नहों संजतो, औन कोतना अघौक की सेवक कुअंत पत्त नाज कने। मनुष्य

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सुलेमान के द्ोचौसुद्धांत।

को यत॒त।इ उसके कनाच का दालतो हैं, औन अपताधघ म॑ न॒ जाने में उसको प्रचतीसटा _है.। नाजा का काप शोंद के गतजने कौ नाइ है, पत्रतु उसक कीं नपा घास पत्र कौ ओआस को नाइ है। सुढ़ पुतत अपने पाता कौ ब्रोपत है, औन प्तनो का छगडा चग्डा न्ोत का टपकना है। घुत औ[न घन पौत॒चों का अचीकात औ[न ब्रुच- व॒ती पत्ननी पत्मेसत्त से मोलती है। आलस ज्ञानों नोंद में डाल देता है, औ।ल आलसो पूत्रानी ज्ञुप्प। मनेगा जे आगयद्या को पालन कनता है, से। अपने पतान की नछंय्रा कचता है, आन जे अपनो याल को तुछ जानता ४, से साता जाप्ग्रा। जे कंग[ल पत दृद्मा कनचता हैं से। प्रव्तेसत को उचान देता है, जे।च उसका कीया हुआ उपे फ़त दोया ज़ायुगा आसा नहते ही अपने व्रटे को ताड़ना दौसेजा, औच उसके नोने पत्र मद्चा मव कत्च। अत कोपीत सनुप्प दडहो पावेगा, क॒ग्रांकी य्दो तु उसे छाड़े, ता तट परत परत देने पड़ेगा। मंतत के सुन औ[ल उपदेस का गतहन कुन, ज़ोसतें अंत म्‌ तु ब्रुच्॒मान दे।्े। सनुप्प के मन से व्र्भत थी

. जुगती पै, तथापरी पतसेसत का संत उड़नेगा

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अक्षर

व्रौसवीं पैनव्र। 86 मेनेप्पकी इंछा उसकी दया हैं, अल हुटठे से कंगाल अछा है। पनमनेंसन का अगर जीवन के लोग है, औआन जोंस में ठह है, से नौसयौनत नहेंगा, पेन॑त ब्रंताइ उसके पोर्स ने आवेगों ओलसो अपने होथ गाए में छौपोला है, गन इतने। कनेंगा, को उसे अपने मंच लें लावे।

ठठेल का थपताव औजने झोला यत॒त्र चरेजायंगा,

औरत समहवेयं का देपट आन वह गश्ान को समहगा। जे अपने पीता का कोन कनता है, औन अपनी माता की प्पंटेडता हैं, सें। पतत लाज दीलेातेा है, औन कर्लेंक लाते है। हे मेन ब्रेटे ऐसे छपदेस का मते मान, जे। गय्यान की द्रातों से परौनाता है। हूठा साप्यां नयाद्री को नीनदा केनेता है, ओतन दुसटे के मुह ब्रुनाइ नींगलता नहता है। उ5ठले के लोग दंड की आंगया चनी है, ओजन मनप्पों को पौठ के लोग

कीड़े।

२० ब्रोसवां पनव्र।

“मदोचा उठोल है, औन मद कॉपी औन जौस

वौंसो ने इन से छेल प्याया है, से। व्रंचौमान नहों

' क्वे। नांजा काअसम्न सोंच के गंनजने के समान है,

पता 4

सलेनान के दौचौसटांत।

जे कोई छपे नोसौय्ाता है, से। अपने-पत्रान का बे कप

घातक हे। मनुप्प कौ प्रततौरुठा हकड़ेसे चुक

जाने म॑ हैं; पत्ंतु इन फ्रेक मुढ छंडा कनेगा।

अलसी मन॒प्प जाड़े के माने जे तेंगा, इस कानन

वुच्द लवनो मे अआोप्प मांगेंगा, आन पावेगा

मनृप्प के मन का मंतन गरहीनें जल के समान हे;

पत्॑त्‌ समुटवेया मनुप्प उसे प्योंछृगा। व्रहुत मनुष्प

५३

अपनी अपनी जअ्जलाइ पंत्रयानेगा; प्रच॑त व्रौसत >> मे डे मनुप्प के कान पा सकता है। सजन मनुप्प अपनो प्यल।इ पतन यलतां है, उसके पोछ उसके द्ालक बी के 35 चन हे। नाजा जा नग्राय के सोंहः/सन मत्र ब्रेठता है, से। सानी व्र॒ताइ का अपनो अं प्पों से दुच कच- 2 'ल्थ ५, * __ ता हैे। कान कच् सकता, को में अपने मन का बे ०२५५ “१७. ; 4 पावन कीया हे, में अपने पाप से पवीतन हुं 7 बे ७० पल कट ब्रटप्पला पन व्रठप्पला, औजन ताल पत् ताल, ढेने।। ७२ कप री २५५, के दाना पतमेसन का घीन हैें। व्रालक जी अपनी याल से जाना जाता है, याहे उसके कातज पावन अथवा अपवान हेवें। सनने का कान, गन देप्पने की आंप्य; पत्रमेसच ने देनों 7: हक, को व्रनाया उ। व्रहुत-नींद से पत्चीत मत कत, हेवे को कंगाल प्रना तुछ् प्रच आजावे, अपनी 2०० कै 50५ - / बिक & हर है आंप्प प्योल, ओ।न तु नाटी. से तीनो पत. हे।गा।

ब्रौसवा पनव्र। ४९

९४ गांहक कर ता है, को कछ नहीं कछ नहीं ; पनत्‌ जंध वह यल नीकलता है, तब व्रदाइ कनता है ९५ सेना है, जन व्रहुत से मन हं; पनत गद्यान १६ के हेंठ व्ंहुसुल गहने हैं। जांउपनों लोग व्रीयबइः हेावे, उसका कपड॒ लें औन उपनी (७ इसततनो के लीग उस से ब्रैंचक ले। छल को नोटों मन॒प्प का मीठी लगती है, परत पोछ ५८ उसका कंकनों से झन जातां हैं। हनत फेक कानलज पनामतस से सधीोन छेता है, नस ९९ मंतन से जय कर्न। जा लत़नने कौ नाई परीना कनता है, से अपने कनदें। का पतगर्ट कतता हउ+ इस कानन जो अपने हेटों से परुसलाता ह. २० उसे मत छड | जा काइ अपने पीता अथवा अपनी माता का सनाप देता है, उसका दौपक २९ महांचकान में द्रुतायरा जायगा। आंत मे सोंचनता से अचौकान पंतापत कोया गय्या, पततंत २२ उसका अंत परलेगा। मतकर, कौ में द्॒ताइ का पलटा लेडंगा, पत्तंतु पत्मेसत पत्त ठउ्चत वह ३₹ तह द्रयावेगा नाना ब्रंटप्पनों में पत्मेसच को घीन है, |।न छल की जला कछ अकछी नहों ' २४ मनप्प की याल पनमेसन से है, परत मनप्प २५- कम्गेंकत अपनो वाल का समहछ सक।- मनप्य

5 5 प्रोशाहा $€ ५॥8॥[8॥(«

भर

र्ष

रद

सलेमान के दौचीसटांत। को परंदा है, की पवोतन व्रसतु को भक्तन कने, और -मनातो के पीछ पका कने ब्रचमान ०» 8. 3 ि ताजा दुसटों का छीन ज्ञॉन कनता है, उन

पन पहीोटा फरोनवाता है। मन॒प्पका आतमा

पनमेसन का होपक है, जे मनुय के आदन के अंत का ढा कत्ता है। दद्या ओत सत नाजा हे >३०

को तक कलनते हें, औत उसका सोंहासन दया

से उन्नाडा हुआ हे। ततन मन॒प्पां का व्रोचजव के * 2 शा

उनका व्रल है, प्रंत व्रौनचों को से।ज्ञा उनके

हि +.

उजले व्राल। जेंसा को घाव को नोलाइ व्रताइ

७. 2 है: के आओ,

को दुन कनने का ओप्पद हो बेसा मात आदत

सी 0006 ०५ के अंतां का सुच कनता हैे।

२९ एकोौसरूवां पनव्र। भाजा का मन पतमेसन कहाथ में है, द्क्क उसे नरीयरों के जल को नाइ जोचत याहता 272 8 ुफ है, उचत परेतता है। मन॒प्प काःहच एक याल अपनी दोचीसट म॑ ठौक है, पत्ततु पत्मेसत मन

को जांयता हे। नयाय, औन बोयान कनना

» पतमेसन को व्रच्योद्दान से अचदीक पत्तसंन्ता हे। उथी दौनीसट। जात अज्नौमानों मन, ओच

डे न्‍ दुसों का जेफतना पाप है। यालाकों की यांता

रैरे

२१२

रह

रप्‌

फ्कौसवां पनव्र ५९

केवल वहुताइ के लोग्रे है, पतंत इन फ्रेक, जा बग है, केवल कंगालता के लोगय्। छूटी व्राली से ज्ंडान पतापत कनना एक ब्रौनधा हु, जोसे मीचत का प्याजी इचत उचन टाचता है। दुसटों को उनकी व्रट मानो ढाहेगो, कग्मांकी उनहें टीयान कान नाना। मनप्प के मानग टढ़, औन तौनछ हें, परंतु जे! पवीतत है, उसका कानज ठीक है। घन के कोठ के 9क कोने में चहना, छगड।ल इसतती के साथ पफरेलाव सथान में चहने से अछा है। दुसट का पततान ब्रुताइ याहता! उसका पतासी उसको दोनोसट में कौतपा नहों पाला। जय नोनदक दंड पाता हे, तत् आला ट्रुचमान हे।ता है, ओआजन जव्र ब्रुध्रमान उपदेस पाता है, तव् वह समहं प्रतापतः कनता हुं। चघनमो मनप्प व्रध से दूसट बत्र का ताय- ता है, पतंत पतमेलन दुसटता के कानन से उनह गोता देता हे। जा कंगाल नाने से अपने कान म॒दता हे, वुह अप ज्ञों तावेगा, पत्रंत उसका नाना सना जाम्गा गुपत दान कने।च के चौमा कचता है, औन गोद में पततो- परल देना महा केप के ढंडा कलता है सजन के नय्ाय्र में आननद है, पत्ंतु कुमानगोय़ों के

५४

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१७

श्‌ द्दः

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रू

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ले से ली. 8। का सलमान के दीचौसटांत।

लींय नास है। जे मन॒प्प समष्ठ के मानग से

शक 4 अटकता ह, से। मोचतकां को मंडली मं-पड़ा नहेगा जा लीला से प्रात नपष्पता ह, से कंगाल होगा जा मदोंता ओन योकनाइ से मन लगाता है,. से घनों हेगा। 'घननीयों

*: 8५ है की संती दुसट, ओच अपनाचीयां की संतों प्यन पलटा दीख् जांयरेंगे। अनन में नहना, ओअज

ड़ बन जी जला हे, को धगड़ाल, कनाचौ इस्तनी ०. लक « कह 2 के साथ। अछ जअ्ंडान जान तेल व्रचमानें के नीवास में हैं, पत्तत सुनप्ण रूनुप्प छसे उडा डालेगा। जे। चनम ओतच दया का पींछा कनता जे हे, से जोवन गन चनतम ओजन पनतीसठा पाता ड़ हू ट्रुचमान मन॒प्प सामचथी के नगन पतन

हर ब्‌ हर ०७20 जहर

शथढ़ जाता हे; औन उरूके नने!।से केवल केा

ढा देता है। जा अपने मह आन अपनी जोन्न

का द्रस म॑ नष्पता है अपने पतान को दुृप्प से

वब्रयाता हे। अहैँकानो, औैच अज्ञोनानी नोन- ड्््‌

दक उसका नाम हे, जे। अह कान ओजल कनोच

एप कैट.

से कानज़ कलता हे। आलसो को इकछा उसे | ९५५५, कप

ब्रचन. कनतो हे, कय्रोंकोी उसके हाथ पनोसनम

के नाह कनते हैं बच दोन ज्ञन अतय॒ंत

+ लालथ कत्ता ह, पनंतु घचवमो दान कंचता ह,

२3

व्राइसबां पनव्र धूप

औन नहीं नप्प छोडलता दुसटों का व्रलौद।न चोनीत हे, कोतना अचोक जग् की व॒च् दुसटता

९८ से लाता हे। घधटठा साप्पी नास द्ोवेगा, पनंत

र्ट

५०

रद

जे डान सन लेता हे, से। नोत द्राला कतता दुसट मनप्प अप ने म॒ के ज्ञोी कठान कनता है, पनंत प्पलता अपने मानग को से यता है कोइ ब्रघ काइ समह्, गन के।इ पततरामचस पतमेसन के श्र ह+ कक है आग लषछ्ेगा संगनाम ढ्ोन चोट कक रे + फू डे

घेडा सौच ह, पत्रतु जय्य पत्भसत से है

२२ द्राइसवां पनव्र।

5 कर जा + | पाक

सु नाम व्रड़े चंन से अचौक युने जाने के जाग है, ओअन कौनपा सेने नपे से अचीक | चन-

डे रण की न. अप

मान, ओन कंगाल फ़ेकठ मोलते हैं, पतमेंसन उन सह्नों का कतता है। ब्रताइ के अआ।गे से देप्पक यतुत आप के। छोपाता हट, पत्रंतु भोले लेग उसन ब्रढ़े जाते हैं, ओन दंड पाते हैं दोनताइ का परल, औन पनमेसन का ज्ञय्न चन औन पनचतीसठा, औन जोवन है। इठोले के मानग भें कांटे, ओन जाल हैं, जे अपने पतान की तकग्रा कत्तता है, से उनसे दुतर नहेगा।

जन 3 होय -्स जोस मानग में ब्रालक के यला, याहोग्र उसमें

६७ $9)९73&70 ४6 07780(64$.

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रै ७०

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डे कर + धुलेमान के दौनीसढांत

हक उसे यला, आन जव् व्रढ्ा हुआ', वह उस से परीनेगा कंगाल पत्र चंन मान पनन्नता कनता है, औन उचाचनीक चन/क का सेवक है। जे व्रनाइ व्राता है, से! ब्रौनया लवेगा, ओऔन बच अपने कचनंच को छडो से नास हेजायगा। जोख को आंप्पें अछी हें, से आसोस पावेगा, कयोंकों वह अपनी न।टो मंस कंगालों को देता कै। नॉदकों के नौकाल देआ, ओन छगडा, नोट जायगा, हां, छगडा कलंक जाते कक 2५० 5 आड 0 नह गे। जे! मन को पवोतनताइ से पनम॒ नप्पता ७५. 6 ४०७८ के है, आन हेंटोंम अनुगीनह नप्पता है, चाजा उसका मोतच हेागा। पत्रमंसन की आंप्प गयान कौ नक्या कचती हैं, औन वह अपनाचौयणदों ्र्‌ पं दब्रेवह्दान के। उलट देता हे। आलसी कहता हे, की व्राइन सोंह हे, में गलोय में पराडा जा- उंगा। पनाइ इसतनो का म॒ह फेक गरौना ्् गडहा है, जोस से पत+ंसन चौक कनता हे, वह्ो उसमें गोचता हैे।. व्रालक के मन में मुढुता व्रंची हुई! है, पनंतु ताडइना की छडो उसे उसमें ७. 82% 9३0० ये छल्ले से दुत कनंगी। जो कंग्राल पत्र अंचेंच कनता कहे, ( ब् ओपन जे। चनी का देता ह, नोसयय दनोहत

नी ९५७ हेोगा। अपने कान का हका, गन ब्रच॒मानें जी

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दब्राइसबां फनव्र धू

के व्रयन सन, ओएन मने गय़्ान से अपना मन लगा। क्य्रोंको यद् अछो व्रात ह, की उनहीं अपने होौतद॒य में घातन कने, ओ।न उस से अवौक «कै... १४७. चर. ०. की वे तेन हेंठांम खजेंग। जोसत तेता अनोखा कप कर दर 3७ के पतमेसन पल हेवे, मैं ने आज दौन तुष्टे जनाय़ा, तुज्ञी जनासा नप्प। करा में ने तह सके, कि + कर अकछे अछ गय्ान, आन पत्तामनस नहीं लोप्पे। जोसतें में सयो व्रातें का नीसयय तुमह जनाओंं जी ५० कर: 7 का को तु उनक उतन में जोनचेए ने तप अजा ह, सयौ व्रातां का उतन देसके। इस कानन कंगाल ड्५ से मत यता, की वुद कंगाख है, जैन पराटक में कक किक दिक [हक दुप्पो को मत सता। कर्ग्रोंकी पत्रमंसन उनक

आप “बा पढ़ का व्रौवाद कनेगा, और उमक पतानों का

र४

'झोवाने के, जे तेन पीतनां

लटेगा, जोन हे ने उनका लटा। कनोचो मनप्प से मोततता मन कन, आज अतो कापीत के साथ मतजा। ने कौ तु उसको याल सोप्प, ओच अपने पत्रान के परदेम परंसावे। तु उन में मत हे।, जा हाथ मानते हैं, अथवा उन में जा नीन के कानन व्रोयबइ चेते हैं। ग्रदोी तह

का ॥४> लक ५७० पास कुछ जन देने कान है।, ता कोंस लोगो

न्‍्ज पं हक - तेने नीय का बद्रौक्ाना प्योय ले जावे। पुततान ने व्रांचे हैं, मत

धूद्ध र्‌रू

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सुलेमान के दौनोसटांत।

तेड। लत कौसो के अपने काम में यालाक रेप्पाता है, ६॒ुइ नाजाओं के आगे प्पडा झेगा, तुछ जन के आगेष्पडा हेगा।

२९ तेइरूवां पनत्र। जब आगय्ा कानों के साथ ज्ञेजन पत ब्रेठ, ये।करी से से।य, वी तेन आगे क्मा है। ग्ररौ तु॒पेटु है, ते। अपने गले पत्त छततो लगा। उसके रूवादौत जे।जन की लालय मत कन कग्रोंकोी वह छल का जले।जन है। चनो होने के लोग पनोसचम मत कनत, अपनो हो व्रुच से थम जा। कया तु अपनो आंप्यं उस पत्र देडावेगा, जा नहों हे, कयोंकी चंन नो सयथय अपने लोग परंप्प 2 68...

ब्रनाता, ओच गोच की नाइं आकास कौ ओआजञ उड़ जाता हे कदौनौसट कौ नोटीो मत प्पा, औन उसके सवादौत जझोजनें की लालसा मत कच। कप्मोंकी जैसा वुच्र अपने मन मेंयोंता कनता हे, वह वेसाहो हे, वह तुल्े कहता है, प्पा, औल पी, पत्र तु उसका मन तेनीं औजन नहों | गवास, जा तने प्पाद्रा है, उप्ते उछला देगा, बिक «की औजन अपनी मोटी व्रातें मवांय्गा मु, के कानों

वि 2 ही पक. में अपनो व्रातें मत कह, कग्गोंकी वच् तेत ब्रयन

रे० २९

तेइूरूवा पन व्र घ८

जद

को द्र॒ुघ कौ नौनदा। कर्ंगा। पोनथीबी के पनाने सौव।ने| के। मत टल, ओऔजन अनाधथें के प्पत में मत पेठ। कर्यांदी उनका सुकल दाता सामनधी है, वह तष्ट से उनके पद का बद्रौवाद कनंगा। उपदेस से अपना मन लगा, औमन गग्रान को

4९

व्रातें पत कान घचं। च्रालक से ताइना अलग मत नप्प, कर्ग्रोंको जदो तु छप्ते छड्ो मानेगा, वह मत जाय्रगा। त्‌ उपे छड़ी मातगा, आन ननतक से उसके पत्तान का व्रयावंगा। मन ब्रेटे ग्रदौ तेता मन ब्रुचमान डेवे, ते मेंह्रों आनंदोत हाटयगा। कैच जव् तेचे हेंठों से सयी व्रात॑ नीकलंगी, तव्र मंत्रा हौनर्य आनंदोत च्षेगा।

और... >> की ०. हक." तेचा मन पाधीयों से डाइ कनने पावे, पततु

हे हे कि श्र ३. सा दौन पत्तमंसन से डलता चह् | क्मांको कु डर नोसयय् आग फ्रक पततोपरल हे, ओऔन तेनी आसा घट जाग्रगा। मत्र ब्रेटे तु सुन, आंच

ण+ हक व्रचमान ले, ओन मानग में अपने मन का + कर. + 8५ यला। तु मदपों में औन उनमें, जे ब्रहुताइ ४० कप ३. से मांस प्पाते हैं, मत जा। कर््योंकी मदप३ पेटु कंगाल हेजाय्रेंग, औनच नोंद यौथड़े

/ प्रहोनायंगी। अपने जनम दाता पीता को व्रात

संन, ओन जव् तेनी माता व्रौनच हें।वे, उसको

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सलेम!न के दोनीसटांत।

नोंट/ मत कत! सयाइ के मोल ले, औजन मत ब्रेय, ब्रुच औअजन उपदेस, औ।त समह ज्ञी चनमो का पीता अतगय्बंत आनंदौल होगा, ओऔन जो ब्रुचमान उतर्पन कतता है, उंस से आनंद पावेगा। तेनों माता पौता आनंद होंगे, औन जे तु जनी, से। आनंदौत ह्वोगो। मेन ब्रेट अपन! मन मुष्े दे, औल तेनी प्पें मेने मांनगों के साय कनें। कर््मोंकी ब्रेरवा प्रक गरीनी

|. 4 $६ बे नर घ्यांइ है, औच उपनी इसतनी सकेत गडहा हे

बुह् व्रटमातच को नाई चात में लंगी हे, औन कर 52 2९.28 555. जे

मनुप्पों में अपनायों का व्रढदाती है। कौस पत्र

हि के." तो 9 5० पी कि,

संताप्ः हू? कौस पत्र साक हे] कान हगड़ मे

हु हे ब्ब्र “पड़ता है ] कीरू को ग्रकवाच है ) औन कौसकेा

घाव अकानन है] जैन कोस की अंप्य लाल हें ?। वे, जे मदौवा के पास अव्रेन ले उच्च ते हैं, वे जे मीली हुइ मदौना की प्पाज में नहते हैं। जव मदौता लाल हेवि, #ै।न उसका भंग कटाने में देप्प पड़े; औन जव् अछीजांत से इौलंता है, तव्रछसे मत ताक। अंत का वच्च नाग के लमान काटती हे, आन नागीनदथी नाइ डंसती हों। तेती प्पं पताइ इसतोनीयो के देप्पंगी, आन तेता मत अनुयीत ब्रातें नौका-

१४

श४

हे याद्रौसवां पनब्र। हर

लेगा। नौस्ये त्‌ उसके समान हे।जाग्रगा, जे सम दत के मच में पद्धा नहता है, अथवा उसदी नाइं, जेग गनतप्पा की थाटी पत्त लेटाता है। तु करेगा, कौ उनडे ने मुछ्टे माना, में ते। नोगी

“न हुआ, उनहे ने मुष्े माता, मैंने जाना, में

कदर उठु'गा में परीत उसे प्पोज या।

२४ योवत्रीसवां पत्र व़रत्र मनुष्पां से .डाह मत कान, ग्ये।त् उनकी संगत को याह मत चप्प! क्योंकों उनके मन ब्रौनास का सेय कनते हें, ओज उनके हे|ठ व्र॒वाइ ब्रोलते हैं। व्रच से चत उठाय। जाता है, लाल समह से वह दोनट कौया जाता हैे।

* औन गान से काठनीयां व्रहुमुल, औजल सदत

चंन से जन जांस्रंगो ब्रचम।न मनप्प व्ली है हां, गयानों मनुप्प व्रल व्रढ्गाता हौ। कय़रांदी ब्रच के मंततलः से ते अपना जच कंनेगा, औच मतनौय की वहुताइ से व्रयाव होे। व्रच मुन- प्यों के लौट अतो उत्यौ है, वुद् पराटक पन्त अपना मह प्पोज्षणो ज़ेावनाइ कौ स्यीनता कनता हैं, से व्रौगानु जन कहलाग्रेगा। मुनय्तता दी शथोनल्ा पाप है, औन ठठेल से मनुष्यों का चौन

€र श्०

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सुलेमान के दौनौसटांत।

हे। -टदौ ब्रौपत के दौन मुनछत हे जावे ते। तेत्ा व्रल थोड़ा हे। ग्रदो तु मौचत्‌ के प्यॉयगयां का, आन उनहें, जे। माने जाने पन हैं, व्रया ले। ग्दो तु कहे, की देप्पा, हम जानते थे, ते क्या वुद्द जे अनतःकत्तन का जायता है, ग्रह नहों सोायता, औन जे तेच पनान का चकक है, से| कया नहीं जानता, ग्ैतत क्या मनुप्प को उसके कातलज समान पलटा

/ 'ऐदेगा। मन व्रट्र मच प्पा, इस काचन की बच्द

अछा है, अऔआनच मघचका छता, जा तेने ताल भे मौठा हैे। से द्रव का गद्यान तेने पनान को हे।ग़ा, जब त्‌ उसे पावे, उसका पत्ततोपरल हेगा, ओऔन तेती आस द्रीवथा चोणी। हे दुसट चतमो .नोव।|स की चाते में मत लग उसके येन- के सथान का मत लट। कर्य्ांकी रुजन सात व्रान गोनता है, ओन परीोच उठता हे, परत दुसट ब्नाइ में गोन जांयेंगे। जब तेता ब्रनो गौन पड़े, आनंदीत मत हो, आन जव्र वच ठे।कत प्पाय, तेता मन मगन होने प।वे। हे।,, को पत- मेसन देप्पे, बैल उसकी द्ौचीरूट में ब्रुता लगे, औै।न अपना कने।च उरू पत से उठा लेवे। दुसट को संगत मत कल, ओनण दुसटों पत्र डाइ मत

२० २९

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यऔव्रोसवा पचद्र।

कत। कय्रांकी व्रनो को सपरल मीलगा, ओऔजन दुसटों का होपक ब्रुष्ठाय्रा जाय्गा। मन व्रंट पलनेसन से, जन नाजा से डत, अखसथोनों का मत छड। कय्रांको उनकों ब्रौपत अयानक आपडेगी, जैन उन देने के ब्रौनास को कान जानता है। व्रचमान कंग्य दें, नग्राग्न में ननुप्पतव पत्र दौचौसट कचना जला नहों। जो दुसट का कहता है, कौ तु चत्मी हे, लेग उस पत्र सताप देंगे, आल जातगन उस से चौन कनेंग। परत जो उनहें दृपटते हैं, उनक लौग्रे आनंदौत हेंगे, आन उन पत्त अछा आसोस हागा। जा ठोक उतन देता हे, उसक होंट य्यूमे जाय्रेंगे। व्राइच में अपना कानज स्ौच कन, औ। अपने लीग प्पेत में ढसे ठीक कत्त, उसके पौछ अपना घत व्रना। अपने पनासी पत्त अका नन स|प्पी मत हे, जान अपने होंठों से मत- छल मत कह, की में उस से फ्रेसा कन गा, जसा को उसने मुष्ठ से कौय़ा, में मनप्प को उसके काम के समान पलटा देडंगा। में आलसी प्येत के पास से, औ।न असम के दाप्प की श्र टौका के पास से गद्या। गान देप्पा, कांटों से छा नहा था, आन उंट कटाने से उसे ढांप लीग्रे थे, गन 5प्रश0६ ४९ 0784॥६,

2

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सलेमान के दौनौसटांत

उसको पथन की ज्ञीत टुटी हुइ। तव् मैं ने देप्पा ओऔ।न संज्ल गया, उस पत्र .टोनीसट कौ, औात उपदेस पाद्या। थाड़ा साना, औन थोड़ा उँचना टन साने के लौट हाथ का समेटना। सो तेनों दत्तौदचता पथौक की नाई, ओज तेनौ लालसा ढलइत मन्प्प के सनान आवेगो।

२थू पयोखवा पनव्र।

ये जी सुलेमान के दचौसटांत जौनहें ग्रहुदा के च/जा हौजकौंया के लागों ने उताना। व्रात

को छीपाना इरूच का व्रौजव हैं, पंत चाजा की

री पी पनटोसटठा द्रात का प्पोज लेने मं हं। सनग उँयाइ में, आन पौनथीवों नोयाइ नें चाजाओं के मन का जेद नहीं मीलता। नुपे का मेल

डे 26.07 30% ण्् बन छांट डाल, जल नसाय्ननो के लोयो फ्रक पातत

5 लि हट नोकल आवेगा। दुसट का नाजा पास दुच

कन, तत्र उसका सोंहासन चनम से दौचढ चेगा।

नाजा के आगे अपना ब्रोन्नव्मत दौप्पा, आन

08 ०५००४ | हर महाने के सथान पत्र प्यडा मत हे।। कय्रोंको

झला है, थी लछे कह्ाजाय, उपन आओ को

: करन आम जौंस ने देप्पा हैं, चटाय्राजाय।

धूगजने के! सौचच मत जा हे। की अंत में कया

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पयोसवा पनव्र।

कने, जब तेचा पने!सों लुछ्ठे लजोत कने। तु अपने पनेसी से अपने पद का ब्रौवाद कन ले, अत गपत के दुसने पत्त पतंगट नकच। नें को सनवेया तले लजौत कने, औन तेचा अपजस कीसों नोत से मोट। जन पत्र व्रयन कहना सेने के आता समान, जे। यांदौ के योतत पत्र कह्ा। जेसा सेने की व्रालो औन योप्पे सेने का गइना. वेसेह्ो व्चनान 'चड़कवेया अचौन कान पन। जेसे पाले का सोत लवनी भें वेसेहों व्रौस- बसत दुत अपने अआेजवदों लोग ह, कयों को बच्च अपने सामोग्रों मन का उन्नाडता ह। जे काइ ध्ठाइ दान पत्र अपनो ब्रडाइ कनता उ, ब्रोन मेंद् के मेच, औैन पवन के समान है। वब्रड़े चीवज से कुअच मान लेता है, ओजच कोमल जोज इडो का तेाडतो है। कं्रा तुने मचु पाग्मा इतनाहीं प्या, जीतना तेने लीग व्रस है,न छेवे को अचीक प्पा जाग, आज उछाल डाले अपने पनासी चत में कचौ कची जा, थे की वृच्द नष्ट से अचाजायगा, जन तुष्ठ से ब्रेत तप्पे जे

मनप्प अपवे पतोझी पत्र छटठो राप्पी देता हे, से

लठ गजल फेक प्पडग और योप्पा ब्रान है। दुप्प

में अव्रौसबसत मनुप्प का ज्तारा नप्पना टुट

हर

शा

कर

कर

२४ हि

२६

र्प्र

सलेमानं के टौनौसटांत

दांत, उप्पड़े ऊपर पाओं के समान है। जेस। जा जाड़ में व्रसतत लेता है, औन जवप्पान पत्र सीनका वेसा नाग गाना सेकीत मन के आगे। यदो तेता ब्रेची अप्पा होवे, उसे नोटो प्पाने का दे, जदौ वह पौग्यासा होवे, उसे पानों पौने को दे। करयोंकोत उसक सोच पत्त आग के अंगाजों का ढच कनगा, जन पनमेसन तह पन तो परल देगा। जोसत नोत से उतनहोया पवन मंच लाता है, वेसा येव्राइ जोन्न कतोचौत नप को लातौ च्है। छत के 9क कोने में चहना, गन ज्ञों जला है, वी धगड़ाल इसतनों के साथ औड़े घनत्र में। जैसे पोयासे के लोग ढंडा पानी वेसा मंगल समायात दूत देस से। 'चनमी मनप्प का दुसट के आगे धकना एेसा हे, जेसे गोौहड़ाना हुआ सोता . अथवा गहला चाना। जेल! व्रद्वत मच प्पाना, अकछा नहीं वेसा अपना व्रोझव ढना ठौक नहीं जे अपने पत्र!न का व्रस में नहों नप्पता, सा एक नगन समान हे, जे गोनाहुआ ब्रीन ज्ञौत का थे। २६ छव्रीसवां पत्र !

जेसा तपन में पाला, जैन लवनो मे में ह, बेर

मुनप्प को पत्तीसठा नहों सजनो। जेसे यीडय़ों

१५०

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छात्रसवां पनव | €<

का जझनतमना, गन सपादब्रौना का उड्तेपरौनना वैसा सताप अकाचथ आवेगा। घाड कलौयग काडा, औन हट हे के लोय ढाठों, ओजन सुत्रप्प की पीठ के लोग छड़ो | सुतप्प का उसको मुतप्पता 5:23 0 के समान उतन मत दे, नहा कोल ज्ञनौ उसक सका है हम समान हे जाय्र। मुतप्प का उसकौ मुनप्पता के समान उतत दे, नहे। को वह अपनो दोनचोसट में व्रुचमान हे।वे। जे। सुत्रप्प के हाथ से संदेस >> बी ४२० 75 (3७ अंजता हे, से पांव काटता है, ओन अंचन पौता ०५ रय को 2. है। लगड को टांग उठी नहतो हें, से| सुनप्पों ; ३. 5 ५, डोँ बे

के मुह में टोत्रोबटांत फ्रेसा हो है। लैसे काइ मन को पथत को ढेत भें चप्पे मुचत॒प्प का पतरतोसठा कप 4" * > ४-५ देना एस|हो है। जसा कांटा मदय़॒प के हाथम गड़ जाता हे, बेस! मुतप्पों के मुह में दौनोसटांत है। सत्र का सोनीसट कनचता महान ह,वच् सुनप्पों औ।च अपनाचौशों देने के पत्रतीपरल देता है। जेसा कता अपने छांट का परीन जाता है, ञ्े

बसा मुनप्प अपनौ मुनप्पता परोच फ्शोल पत्रगठ कनता है। त्‌ देष्यता है, की मन॒प्प अपनों दौतौसट में व्रचमान है, मुनप्प की आसा, ओआन

3 जी क्षे, दो उस कौ। आलसो कहता हे, को - |. +े मात्रग में सोंद है, सॉंह गल)ग़ों में हे। जेसा छह 8णे९॥067॥ ॥६ 0770/47$,

४३

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पुलेभान के दौचौसटांत।

हवान अपनी युल पत् परीनता है, वेसा आखलसी अपने ब्रोछोने पत। आलसों अपना हाथ गोद में छोपाता है, उसे म॒ह र्मों परेत लाना वा दुप्पहें। आलसौ अपना समष्ठ में सात मनुष्पां से, जे ब्रौचान ला सकते हैं, आप को अचीक ब्रुचनान जानता है। जे। यल नीकलने में जो के छगड़ो से छेड्ता है, से! कसा है, जेसा कोइ कुते का कान चन जेता हैे। जेसा व्रेड्हा, जे लकत को व्रान औनच मीचतु को परेंकता है। जा मनुप्प अपने प्तोसों को छल दे कत्त कहता है, कौ मैंने तो ठठा कौया से एसाही है। इंचन ब्रीना आग ब्र॒ुद्ट जातो है, वेसे जहां लतड़ा नहीं तहां छूगड़ा मीट जाता है। जेसा अंगानों पत काइले औजच आग पत्त इंचन वैसा छगडालु मनप्प हगडा उठाने में। लतडु कौ व्रातें चाओ को नाइ, हैं, जे। पेट के अंतनों में पहुंयतां हैं। जलते हेएंठ

औैन दूसट मन यांदी के मेल से*ढं पे हुए ठौकने

के समान। जो ब्रेच तप्पता है, से हेठों से ०५ वे पल

जाना हुआ है, छत मन में छल नप्पछोडता हे।

जव्र वह अनुगौचच का सब्॒द कतता है, उसको (० थक चीन

पत्तौत मत कन, करय्रोंकौ उसके मन में सात चौन

२६ हें। जोंसका डाह गपत में छीौपा है, उसको

सताइसवां पनव्र। हल

२७ दसटता मंडलों के आगे दोप्पाइ जाम्गों। जे

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गड॒चहा प्योदता है, से उस में मोनेमा, ओन जा पथन ढुलकाता है, दह पलट के उसो पत्र प्रडगा। जा छठी जौजन्न से दुष्पौत हे, उस से वक्त डाह नप्पतों है, आन लतछु का म॒ह द्रौनास कतता हे।

२७ सलाइस वां पन

कल को व्रडाइ अज मत कन, करग्रों को नहों जानता को दौन ज्ञत में कया होगा। दुसना मन॒प्प तेनोौ व्रड़ाइ कन, तेचाही मच तेनहो हैंड बज + नहों। पथत ज्ञातो ह, औन ब्राल गन, प्॑तु मुढु का काप देने से ज्ञाचोड्रे। कनाच कन॒न हु, औनत नोस उन्नदती है, पनत्‌ कान है, जे। छल के अगे ठद्दत सके। पत्रगट छ्ौडकों गपत पनेख से उतम है। सनेच्रों के खाव व्रौजवसत हो, पंत 8. 0 स७ कै व्रनो के यमा छलो हैं। अचघाया मन मच को लताडुता है, पनंत अप्पे पानी के लौग्र इनक कड॒वो व्रसतु मौठों हे। जे मनुप्प अपने सथान से ऋतमता है, वह यौडौगा के समान है, जे जे मे अपने प्पोते से जवमती है सगंचघ तेल मंन का 7 है. 24 ; आनंदोंत कनतता है, बसा मनुप्प के लोग्रे उसक मौतत कौ मोठाइ पत्तान के मंतर से हे। अपने

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१८

सुशेमान के दौनौसटांत।

मीतन अऔ। अपने पीता के मौतन का तग्राग मत कन, जैन अपने ब्रौपत के दौन ज्ञाइ के घन मत जा, कट्यांकी समौप का पनत्ोसों दुत के ज्ञाइ से हि ७8020 0 ०. अक्ा है। मत व्रेटे ब्रुचमान हे, औन मेन मन का आनंद कत जोसतें में उसे जे मुह ओआनाइना देता है, उतन दे सकु यतुत्त आगे से ब्रुताइ हर नर को देष्पता हे, आच आप को छोपाता है, पनंत झोले ब्रढ़े जाके दंड पाते हैं। जा पत्रदेरी का व्रीयवइ देवे तु डसके कपड लेले, औ।न उच से जे पन देसी इसततनो का हे। व्रंचक मांग ले जा व्रौद्दान के उठके अपने मौतन का व्रड़े सत्रद से आसौोस देता हे, सो उसके ल!।ट ऐक सतवाप गौना जाय्रगा। धडोक टोन का सदा टपंकना, ओआत धगडालु इसतनो देने फ्रेक हैं। जे उसे छीपाता 5 ब- | है, स। पवन का छोपाता हे, अथवा दहोने हाथ | ब््‌ का सगंध, जे आप को पनगट कतता है। जेसा 5 , रे ९. न्न्ज ५३. लाइा लाहे को याप्पा कतता छह, वसा मनुष्य अपने मोतच केन॒प को योप्पा कचताहे। जो

गुलन के व्रोतछ की चक्ता कतता हे, रूंए उसका

परल प्पाय्रगा, उसो नोत रे, जे अपने सामोी को सवा नहता हे, सा पनतीसठा पावेगा। जेसा

पानौ में मह मुह के समान वेखा मनुप्प का मन

२०

जठाइसववा पनव्र। उरः

कर शक मनप्प के सनान। ननक आयात नास नहों अनचते

२९ बेसा मनुप्प की आप्पें तौचीपत नहीं हे।तों | जौस

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२४ व्यू

नौनसे यांदौक लोग चडीया आन सोने के

चौगट़े ऋठों है, उसी नोत से मन॒प्प की ब्रडाइ

मन॒प्प के लोग ग्रदपो स॒ढ के गेाह के साथ ; &>. पा 2३० 5

ओप्यलो डाल के मसल से कट तथाषौ उसको मुढता उस से दुतलनम होगो। अपने &॒डों कौ दसा को जानने में जतन कन, ओन अपने ढोनों पत्र मन लगा कय्यांकौ व्रल सदा नहों नहता, औज कया मुकट पोढी से पौढ़ो लें। पआल,

: जन कामल घास दी प्पाइ देतों हे, ओ।न पहाड पं

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२७

के सागपात व्रट्राने जाते हैं। ममने तेन पहों- नावा के लय हैं, औन व्रकनी तेनेप्पत के मोल हैं। ओज व्रकनौग़्रों का दुघ तेने प्पाने के लो छे, औच तेत चताने के लोग, ओऔत तेनो लोंडोयां कौ ज।वका के लौग़

२८ अठादूसवां पनव्र।

दुसट ज्ञागता है, जव्र कोइ उनका पीछा नहों कनता, पंत चनमौ सोंद के समान साइसौ है। देस के अपनाथ के कानन व्रहुत से कुअन हैं, पत्रंतु समहवेग्रा, चैन ब्रुचमान से बृच् ब्रढाय्ा

3२

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९९

सुलेमान के रीचोसटांत।

हि 2 ड़ जाम्गा। जे कंगाल कंगाल का सताता हे, से जे गा व्रौना अंन के व्राक्नड को नाइं हे। जो ब्रवरुथा को तय्माग कनते हैं, से दुसटों को सतत कचते 4 « क्र 35. हैं, पत्॑त ब्रेवतथा के पालक उनसे ब्रौवाद कतते हैं। ब्र॒ते मनप्प नग्माग् के नहों समह ते, पत्र जे। पनमेसन के प्पाजओं हैं, से सत्र कुछ समहते च्दें। जे अपने मातरगां से झटका हुआ हैं, से। ग्रटपी चनो चेटय, तथाषी बह कंगाल, जे। अपनी प्पताइ पत्र यलता है, उस से जल चे। जो ट्रेवसथा के। पालन कत ता है, से व्रचमान पुतत हे, पतत जे प्याउ के प्पौलाता हे, से। अपने पीता के। लजीत ।क्‍ कनता है जा व्रदग्मयाज, औअन अचनम से अएनो संपतो के व्रढाता है, से। उसके लोग जे। कंगाले ( हु _ह०. घर पत्र दा कनेगा, व्रटाचता है। जो व्रेवसथा के >> 2 रु सामहने से अपने कान को परेत्र देता हे, उसको पानथना चौनींत हछैे। जे चनमों के। झटका के व्रने माचग पत्र चलाता हे, से« अपने गडछे में आप गौनेगा, पतत्‌ प्यला अछो ट्रसुतु का अची- कानो हशोेगा। चनो मन॒प्प अपनो दोचोसट में नन्जे धर कर २५ ब्रुचमान हे, पत्ंतु कंगाल, जे द्रुचमान है उसे पहौयान लेता हे। जवब्र चनमो आनंद कचता 80 हे, तब ब्रड़ा द्रीज्व दे, पत्रंतु जब दुसट उन्नढते

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अठ इसवां पनद्र। 36

हैं, लब्॒ मन॒ुप्प का प्पाज देता हैें। जे अपने याषों के ढांपता हैं, से। ज्ञागमान केगा, पनंतु

रन 0 जा उनहें मान लेता है, अत उसे छाडता है, से। ढ्य़ा पावेगा। 'ंन है, वुद्द जन जो सदा डता कनता है, पत्ंतु जा अपने मन के कठाव कनता

-+ तिच है, से! ब्रुनाइ में गोनगा। जंसा गनजता हुआ सोंद अल अझनतमता हुआ नोंछ वेसाहौ दुसट है है आगया कानों कंगालें पत हैं। असनह्ट नाजा 2. ५३७९५ ४/०७.+ व्यय *५

ज्ञौ महा अंचती हे, पनंतु जो लाज्न से ब्रेन नप्पता है, से। अपनो व्रग्म व़ढद्ावेगा। जो मनप्प अंचेत

०५0 ३९ से '& कप से कोसों के! घात कतता उ, से ज्ञाग के गडड़े में गालेगा, उसे काइ नोकेगा। जो प्यताइ से

मे जो 2५ यलता हे, से व्रय जाय्रगा पनतु जा कुयालो ह', से आकसमात मौत पड़गा। जा अपनी ह्लुम . जाता व्राद्रा कतता है, से। व्रह्त जञाजन पनापत कनेगा, पत्ंतु जा व्रौचधा लागों का पौछा कनता है, से। कंगालपन से पतन ह्वोगा। व्रौसवसत मनुष्य आसोसों से उन्नडु गा, पतंतु जे घनी देने _ - ड्््‌ हि के के लौट उतावलो कनता है, नौनदंड जायगा।

६7% है हों ५,

मनुप्पों का पक कतसना अछा नहों, कं््नोंकी फेस मनुष्प चाटी के टुकड़े के लौट पाप कत्गा। जा

५३ ०5 ब्रुत्नों आंप्प नप्पता है, सा घनो दे।ने के उतावलों

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६७०“ सुसेमान क॑ टोनौंसटांत

कनता है, थे नहीं सोयता को द्रीपत उस पन आपडेकी। जे मनुप्प के दपटता है, सो आगे का उस से अधौक अनगौनह पावेगा, जो अपनों जीत से परुसलाता है। जे अपनी माता अथवा पीता के खुटता है, औन कहता है, की ग्रह अप- नाच नहीं, सो द्रौनासक का संगी हे। जोसके मन में घमंड हे, सो धगडा उन्नाड़ता है, पत्रंत॒ जौसका झनोसा पत्रमेसत पत्र हे, से। पुसट कोय्रा जायगा। जे अपने मन पत्र नासा चप्पता हे, सो मुत्रप्प है, पततु जो ब्रुच ले यलता है, सोइ छुड़ाया जाय्रगा। जा कंगालों के देता है, उस- - को घटी चोगो पतरंत जा आंप्य छोपाता है, ब्रह्लत सचाप पावेगा। जव्र दुसट उन्नडते हैं, तर मनुप्पआप का छीपाते फरोचते हैं, पच॑त्‌ जव्रवे नसट छेते हैं, तव़ चनमी ब्रढते है।

२८ उंतौसवां पनव्र

दृपटा हुआ मनुप्प, जे अपने गले के कठोन कनता है, सो ग्रीना ओआप्पर आकसमात माता जायगा। जव्र चननो ब्रढते हैं, तत्र लेग आनं- 7] कर ्ध

दौत देते हैं, पन॑तु जव्र दुसट पत्रञ्जुता कनता हे, तब्र लेग सोक कनते हैं। जे व्रुच से पनेम नप्पता

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९५

उतीसवां पनव्र 8

है, से। अपने पीता के। मगन कतत। है, पर्वत जे। ब्रेसवा की संगत कत ता है, से। अपनो संपत उठ।- ता दहै। ताजा नय्राय्र से देस के। सयोच कनता है, पत्र॑त ज्लेंटों का जन उसे प्पोता दे। जे मनुप्प अपने पनोसो से यापलुरी कतता है, से। उसके पांव के लौग्य जाल व्रौछ्ाता दैं। दुसट मन॒प्प के अपनाच में फ्रेक जाल है, पत्रत चनमौ गाता डै, आन मगन जेता है चनमो ननप्प कंगालां के पद की ब्रुद्ठता है, उनंतु दुसट जानने को योनता नहीं कनता। नोनदक नग्न में लगाता है, पत्ंतु ब्रुचमान कनोच के परनव देते हैं। ग्रदो ब्रुधनान सुत्रप्प से हगड़े, याहे केाप के, या हे हंसे, ते येन नहों। घातक प्पन से ब्रैव नप्पते हैं, पत्ृंतु सजन उसका पच्ान ढु ते हैं। लुत॒प्प अपना साना मन उयानता है, पनल्‌ ब्रुचमान आग के लोगो नाकता है। ग्रदौ अगद्य।कानों ुठ के सुना कर, ते उसक समसत सबक दुसट दें। कंगाल, ओऔन व्रग्यलज गनाइक छ्कठ द्वा।ते थे, पतमेसत उत दाने कौ आंप्प उज।गय्ाला। कतता है। जा नाजा चनन से कंगा- लां का मद्र्र कतता है| उसका सोंहासन सदा सथौन बद्देगा। छडो, ओऔन दपट ब्रुच देतो है, " 806767 &७ 073॥&00५

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२६

सलेमान के दौनौसरटांत।

पत्रत छाड़ा हुआ व्रालक अपनों माता के लजौत कतता है। जव् दुसट व्रढ़जाते हैं, तब अपनाच व्रढ़ता है, पत्ंतु चत्तमौ लोग उनका पतन रेप्पेंग 0७ हज. ९7५ कफ, अपने ब्रेट के ताड़ना कत, औज वह तट थन हेगा, हां, वुद्र तेते आतमा के आनंदौत कनेगा। थे च्हें जहां दततसन नहीं, तहां लोग नखंट होते हैं, पत्रंतु जा व्रेवसथा के। पालन कनता है, से चंन है। सेबक व्रयन से ताडुना पावेगा, कयोंकी यदपो वह समहं, तथापी वुद्द उत्तत देगा। देप्पता है, की मन॒प्प सोघत से ट्रोलता है, मुतप्प से उस से अचीक आसा ैै। जा लड़काइ से अपने सेवक के सुकआतो से पालता हैं, अंत के बुच्द उसका ब्रटा व्रनेगा। कनाची मन॒प्प छगड़ा उन्नाडता है, ओन केपीत मन॒प्प अपनाच में है ओर चाट नहों। मनप्प का अहंकान उसे नौये कने- गा, पत्रत पतलों सठा दोनातमा के संज्ञालेगो जे योच का साष्टी है, से अपने हो पैतान का ब्रेतो है वह सनाप सनता है, जन उसे पत्रगट नहीं कनता। मनप्प का डन जाल लाता है, पनन॑त जे। पत्मेसत पत्र आनोसा नप्पता है, से उन्नाडा-

जाय्मगा। व्रह्ृत हैं, जे आगयद्भा कार्नीका नुप

ढुढते हैं, पन॑तु मनुप्ण का नय्या् पत्रमेसन से है।

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तोसवां पनव्र | 9७

अचनमी मनुप्प चनमौयों के लौग घोन है, ओ।त

. प्यता दुसटों के लीग घोन।

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३० तोसवां पनव्र।

साकौचह के ब्रेटे आजुन के व्रथन अनथधात अवोस व्रानों, जे! उसने ०तौद्राल अंनधात फतो- गाल, औन टय्रकाल से कहौ।. नोसयग् में इन फेक मनप्प से अचोक पसवत हु, आज मनप्प कोसी ब्रच मुष्ठ में नहों। में ने व्रच सोप्पी, चन- मीयों की पहींयान पतापत कों। कान सनग पन उठगद्या अथवा उतना, कौसने पवन के। अपनो लुठों में एकठा कौय्रा, कौसने पानोयों के व्रसतन में

, ब्रांचा, कौसने पौतथोवी के रूने सौवाने के दौनढ़

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कोया] य्दी तु कह सके, उसका नामकग्या, अऔच उसके ब्रेटे का नाम कय्मा। इसन का इन फ़्कव्रयन स॒च कौय़ा गय्ा है, जौनका जनोसा उस पन है, वच् उनके लौग़े ढाल है। तु उसके व्रयन में मत मौला, हे। को वृह् तुछ्े दृपट, अऔच छुठा ठचने। में ने मछसे दे। व्रात याह्ी है, से। जोते जी मुष्ठ से अलग मत नप्प। व्रौनथधा औअन हूठ

. का मुष्ठ से अलग कन, जैन सु कंगालपन दे

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चंन दे, मेनी दसा के जेग मुह ज्ञाजन दे !

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सुलेमान के दोचौसटांत।

शे।वे कौ में तोचौपत हे। जा, हुठ ब्रोल के कह, की इसन कान, अथव। कंग।ल झ्लाके योगी कत् , ओजल अपने इसच का नाम अकानथ खेड। अपनी जोज्न से सेवक के उसके सामी के आगे दुप्प मत दे, दे। कौ वह तह सताप दे, ओच तु देषप्पी ठद्ने। फ्रेक पीढी ऐसी है, जे अपने पोता के सताप देतो है, आन अपनो माता को चंन नहों कच्दती प्रक पोढ अपने हो टोनीसट में पवोतत है, पत्ततु अपनी मलौनता से चाइ नहीं गइ। फक पोढ़ो है, हाय उसको आंप्यं उन्नड़ो हुइ हैं, गान उसकी पलकें उठो हुएऋइ हे। फेक पीढ़ी 9सी ऐै, जोस के दांत प्यडग हैं, औनच दाढ़ें छनौया जोसतें कंगालें के। पौनथीवी पत्त से, आन दतीदनोा के मनप्पाँ में से झकछन कन। अंसीया जेक की दे व्रेटोग़रां हैं, जे दे दे पुकानतौयां हैं, तीन हें, जे कन्नी तौनीपत नहीं हे।तों, यान नहीं कहतों की व्रस। समाचीं, ओर ब्रांह औतन पी न- धौवो, जे जल से पुतनन नहों, औनल- आग नहों कहतीं शैै, को व्रस। आंप्पें जे पौता के यीढ़ातो है, औन अपनी माता के। मानना तक जानती है ब्रनेले के।ए उसे नीकाल लेंगे, गन गौच के योंग ने उसे प्पा खेंगे। मेने लोग तौन अतो अय पभीौत

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लौसवा पनतव्र।

हैं, यात जोनहे में नहों जानत गौघ का मातचग आकास में, औनल सांप कौ याल यटान पत, झैत सम दत के मध में जहाजु की याल, ग्ैज मनुप्प कौ थाल कंनग्ा के साथ। ब्रैन्नी यातनी का मासग फ़ेसा है, की बह प्पाती है, औैच अपना म॒ह्त पांछती है, जैन कहतो है, कया में ने कक दुसटला की तीन के चौय़ पीनथीबो दृष्पौत है, हूं, यान का ज्ञान उठा नहीं सकतौ। सेवक के लोग़े जब वच्च नाज कनता है, ओजन मुदढ़ से जग बुद्द झाजन से तीनीपत है। नौतलज से जव्र वह ब्रौद्राहो जावे, अल दासी से, जे अपनो सामनो की अचौकाचनो हेवे। यान हैं, जे पीनधीवों पत्र छोटो हैं, पत्॑तु अतौ ब्रुधमान हैं। यौउंटौं व्रलवांन नहीं, तथापी वे अपने लोड ज्नाजन तपन में वब्रटातती हैं। प्यनहा नौनव्रल है, तथापी पहाडोंय़ में अपनी मांद ब्रनाता हैं। टोडी के नाजा नहीं, तथापी वे ए्रकठों केके नौकलती हैं। औ।च मकडी, जे अपने पांओं से पकडतो है, औैन नाजाओं के. आवनें में ऐै। तोन हैं, जे सतौत से यलतो हैं, हां, यान को याल सुदन है। सोच, जे पंसन म॑ं पतव्रल है, ओऔन कोसों के सामहने से परौतता नहों। अहेतो कुता, ओन

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342 8.१ सुलेमान के दौचौसट।

वब्रकता ज्ञी, आन नाजा जोसके ब्रोनाच में उठना .

नहीं। यदौ तु ने मुढता से आप का उन्नाड़ा,

अथवा ग्रदौ तु ने द्रतों यौनता कौ, ते। हाथ अपने

मुँह पतनय। नौसयय दुघ मथने से. माप्पन

नोकलता है, ओजच नाक मनोड्ने से लाह्ु नौकल जे हक. आय

ता है, वसा काप के छोड ने से धगडा उठता हैं।

३९ 9कतीरुवां पसव्र

लमुइल नाजा के व्रयन ज्ञवोस व्रानी, जे! उस-

को माता ने उसे सोप्पाइ। कया मेन ब्रेटे, अनच

मेने केप्प के ब्रेटे, औन कौया मेची मनातीयों के ब्रेटे, अपना व्रल इसतौनग्रों के मत दे, ओऔत अपनी यथाल उसे जे। नाजाओं का नसट कनता है। नाजाओं'के हे लमुइल माजाओं के। मद- पान कतना ठौक नहीं, औजन तौप्पा पान ताजपत- नों के नहों। हेवे, कौ वे पोंबें, औजन ब्रेवरुथा का जलजांय, गन दुप्पीत के समसत पुतत्र के नयाय का पलट डालें। तींप्पा पान उसे देआ, जे नास हेने पत है, औजन टाप्पतस उनहें जौनका मन उदास है। वे उसे पीए जैन अपनो कंगाल- पन जल जांय, जन अपनी व्रौपत के। परौन यत कनें। अपनाम'हगुगे के लौग्ने प्योल, उनके

१० रे

दे

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फछएकतोसवां पनव् छः

समसत पतन के पट के लोग जे। नास हेने पत्र कहै। अपना मह प्पोल के चतम नय्ाय् कन औन दौन कंगालों के पद के लोय वब्रोवाद कने। घंत्मों इसतनी के कोन पा सकता हैं कर््योंकी उसका मेल लालें से अचीक है उसके पद्दी का मन यैन से उसकी पत्रतीत करता है यहां लें की वह लट का अचौन हेोगा। बृच्द अपने जीवन ज्ञत उस से जलाइ कनेगो, ब्रुताइ नहीं | वह उन औजन सन ठतो है, औन अपने हाथों से ब्रांछा के साथ कातनज कत्तती है। वुष्द द्वैपानीयों के जहाज के समान है, व॒ह अपना ज्ञाजन दुत से ले आतो है। बुच्द चात तहत हुए उठती है, और अपने घताने का ज्ञाजन

है। वह फ्रक प्पेत सायतो # , औन उसे लेलेतो के. झन अपने हाथों के परल से दाप्प को व्राटोका लगातो है। वह अपनो कटो के कसतीं है कै अपनी अजाओं के पाढ कतती है। वह समछती है, को मेतता ब्रैपात जला है, तात का उसका दौपक नहीं व्र॒ष्ठठा व॒ुच्द तकल पत्र अपने हाथ यलाती है, गत उसके हाथ अटवन पकड ते हैं। बुच् कंगालां कौ ओआच अपना हाथ ब्रढ्मती

छू

शेर

हर

श्ह३.

खुलेमान के दीनोंसटांत।

है, हां, वृद्ठ अपने हाथ अचो ने कौ ओ।न पर लाती है। बुष्द अपने चलाने के चौग्ेपाला से नहीं उनतो है, करद्योंकौी उतके समस्त घनाने देाइने ब्रसतन पहोने हैं बच अपने लौणग़े व्रटा काढ़े हुए का ओआढ ना ब्रनातो है, उसका व्रसतन पाटंवच औन ब्रेंजनी है। जब उसका पती पराटकें में देस के पतायौनों के संग ब्रैठता है, लब्र बच पनसोच है। वच्द हौना कपडा व्रनातों है, औन ब्रैंयतो है, कटोब्रंच ब्रेषानय्रों के। सेपती है। व्रल, ओल पततोौसठा उसका पहोचावा है, औन आगे के आनंहौत हेनी। वच अपना म“ह व्र॒व से प्पोलतो है, उसकी जीन्न में दया कौ ब्रैव- सथा है। हू अपने चताने को यात्व के अछी

नौतो से देष्यज्ी है, औ।त आलस को ताटौ नहीं प्पातो। उसके टद्रालक उठते हें, आन उसे चन

कहते हैं, ओनच उसका पती उसे सनाइता है। ब्रहूतेनी ब्रेटौयों ने चन पचापत कौटा, पंत सत्र से उतम है। कौनपा छली है, ओे।न संद्चता ब्रीवथा,पत्रत वच्च इसतोनी जे। पच्च्चेलत से डनती है सनाचौ जायगी। उसे उसके हाथे। का परल देथे गेल धौ के कानज पराटके में उसे सनाहें |

हा कस हैं को

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॥|॥| ॥॥ | ॥॥ न्‍- शा || ॥॥॥ | | || | | || | | ॥॥

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