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Full text of "The four Gospels and Acts in the Hindúi language"

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५५. |84? 


मंगल समाचार 
मत्ती मरक लूक याद्तन रचित 
और 
प्रेरित्ां की क्रिया ॥ 


प्रप्ता; 


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मंगल समाचार मत्तो रचित। 


+७७७> कै ले +४+>- 


९ पहिला पब्बे। 


९ यिशु मसौचद्द दाऊद का पुत्र इबराहौम का पुत्र को 
बंशावली | 
२ इबराहीम से इसहाक उत्पन्न हुआ और इसचहाक से 
» याकूब उत्पन्न हुआ ओर याकूब से यिदुटा और उसके 
भाई उत्पन्न हुए। ३ आर विचहुदा आर तामर से फारिस 
अआर सराह उत्पन्न हुए आर फारिस से हसरुन उत्पन्न 
हुआ और इसरुन से आरम उत्पन्न हुआ । ४ आर आरम 
से अमीनादाब उत्पन्न हुआ और अनीनादाब से नहशन 
उत्पन्न हुआ और नहशन से सलमन उत्पन्न हुआ । ५ और 
सलमन और राहाब से बाआस उत्पन्न हुआ और बाआस 
ओर रूत से ओआबेद उत्पन्न हुआ ओर आओबेद से यस्‍्मो 
उत्पन्न हुआ आर यद््यो से दाऊद राजा उत्पन्न हुआ। 

६ और दाऊद राजा आर ऊरिया कौ पलो से स॒लेमान 
उत्पन्न हुआ | ७ ओर सुलेमान से [रिहबाम उत्पन्न हुआ 
और रिहबेम से आबिया उत्पन्न हुआ ओर अबिया से 

आसा उत्पन्न हुआ। ८ आर आसा से यिह्शाफात उत्पन्न 


हुआ और यिदुशाफात से य्राम उत्पन्न हुआ और यराम 
व्‌ 


हर 

र घ 

शक 7 ह 
हर 


र्‌ मत्ती। ९ यब्ब 


से ऊसनिया उत्पन्न हुआ । « और ऊसनिया से येताम 
उत्पन्न हुआ ओर याताम से आहास उत्पन्न हुआ और 
आहास से हिसकिया उत्पन्न हुआ । ९० और हिसकिया 
से मनस्मा उत्पन्न हुआ ओर मनस्सा से आमीन उत्पन्न 
हुआ और आमीन से यूरिया उत्पन्न हुआ । ५५ और 
यूसिया सेयीकानिया और उसके भाइ उन दिनों में उत्पन्न 
हुए जब कि वे बाबल का पहुंचाये गये। 

९२औओर वाबल को पहुंचाय जाने के पीछे यौकानिया 
से शलतियेल उत्पन्न हुआ और शलतियेल से सरबाबल 
उत्पन्न हुआ। ९३ और सरबाबल से अबियुद उत्पन्न हुआ 
और अबियूद से इलियाकिम उत्पन्न हुआ और इलिया- 
किस से आसोर उत्पन्न हुआ। ९४ आर आसोर से रादुक 
उत्पन्न हुआ आर सादुक से आकिम उत्पन्न हुआ आर 
आकिम से इलियुट्‌ उत्पन्न हुआ। ५४ आर इलियूद से 
- इुलियास र उत्पन्न हुआ और इलियासर से मतान उत्पन्न 
हुआ और मतान से याकूब उत्पन्न हुआ । ९६ और याकूब 
से यसफ उत्पन्न हुआ जा मरियम का पति था जिसके 
गर्भ से यिश उत्पन्न हुआ जा मसोचद कद्दावता हे। ९७ से 
सब पोढ़ी इबराह्लौोम से दाऊद लां चादर आर दाऊद 
से वाबल के पहुंचाय जाने लां चादह पीढ़ी और बाबल 
के पहुंचाये जाने से मसौद ला चोद पीढ़ी । 

५८ अब यिश्‌ मसीह का जन्म यों हुआ कि जब उसको 
माता मरियम की मंगनी यूसफ् से हुई,उनके एकड्ठे पेन 


| २ पब्बे मत्ती। झ्‌ 


से आगे वुच्द धमोत्मा से गभिणी पाई गई। ९८ तब उसके प- 

: ति यूसफ ने धर्मो होके नचाहा कि उसे प्रगट में कलंकिनो 

करे उसे चुपके से छाड़ने का मन किया। २० परंतु इन 
बातों कौ चिंता करते ऐसा हुआ कि ईश्वर के दूत ने खश्न 
में उसे दशन देके कच्दा,कि हे दाऊद के पुत्र यूसफ अपनो 
पत्नी मरियम का अपने यहां लाने से मत डर; क्येंकि जे 
उसकी काख में हे से धमात्मा से है। २९ ओर वुच् पुत्र जने- 
गो ओर त उसका नाम यिश रखना, क्योंकि वह अपने 
लागों के उनके पापों से बचावेगा । ९२२ अब यह सब हुआ 
जिसतें ईंशर का बचन, जो भविष्यद्वक्ता के द्वारासे कहा 
गया था, रंपण होवे। २३ कि देखे एक कुआंरो गभिणी 
होगी और एक पुत्र जनेगी आर उसका नाम अस्मानुईल 

.क लक €ः | ९. लर७ 

रक्खेंगे जिसका अथ यह ह कि ईशर हमारे संग । २४ तब _ 
यसफ ने नोंद से उठ के,जसा कि ईशअर के दत न उसे कहा 
था, तसा किया आर अपनी पली का अपने यहां ले आ- 
या। २४५ ओर जबलों वह अपना पहिलांठा पत्र न जनी 
उस्मु अज्ञान रहा आर उसका नाम यिशु रक्‍्खा । 

2 २ दूसरा पब्बे। 

_ अब हिरोद राजा के समय में जब यिशु का जन्म यि- 
इुह्यिः के बेतलहम में हुआ कि कई एक ज्ञानियों ने 

पृब्बे से यिरुशालम में आके कहा। २ कि विहुदियों का 

क्‍ राजा, जा उत्पन्न हुआ सो कहां ह! क्याकि पब्ब मे 

हम ने उसके ता रे के देखा हे श्र उसे पजने के। आये 








४ मत्तो। २ पब्बे 
हैं। ३ हिराद राजा यह सनके दुह और सारे यिरुशलम 
० है. पीस आ. ए 
उसके संग व्याकुल हुए। ४ और जब उसने लागों के सब 
प्रधान याजकां ओर अध्यापकों का एकटई किया उसने 
ः ऐप गो 2 + ३8 प जप 
उनसे पका कि मसोचह का कहां उत्पन्न हाना है !। ४ तब 
 उन्‍्हों ने उसे कहा कि यिहृद्ियः के बेतलइम में क्योंकि 
रे 
भविव्यद्क्ता ने ऐसा लिखा हे। ६ कि हे यिह्‌दा देश के बे- 
तलहम यिह्ृ्‌दा के प्रधाना में तु छोटा नहीं; क्योंकि तस्मे 
निकले ७७ ७ लागों « 
एक प्रधान गा जे मेरे इसराईल लागों का चरा- 
वेगा। ७ तब छिरोद ने ज्ञानियों का चपके से बुलाके यत्र से 
उन्हें पछा कि तारा किस समय दिखाई दिया। ८ और 
उसने यह कहि के उन्हें बेतलहम में भेजा कि जाओ और 
यत्र से बालक को ढुंढ़े और पाके मुझे संदेश देओआ जिसतें 
में भी आके उसे प्रणाम करें। ८ राजा की सनके वे चले- 
गये ओर वहीं वह तारा जिसे उन्हां ने पब्बे में देखा था 
उनके आगे आगे गया और जहां वुद्द बालक था तहां ऊपर 
आ ठचहरा। ९० ओर वे उस तारे के देखके अत्यन्त आनं- 
अगर ०७ ् कर 9. 

दित हुए। ९९ और घर में आके उन्हां ने उस बालक का 
उसकी माता मरियम के संग देखा और दढंडवत करके 
उसकी पजा किई ओर उन्हों ने अपने भंडार का खेलके 
उसे सेना और लेबान जैर गंधरस चढ़ाये । ९२ और 
जिसतें वे हिराद के पास फिर नजायें ईश्वर से खप्न में 
चिताये जाके, दूसरे मार्ग से अपने देशकेा चलेगये। 

९३ ओर उनके जानेके पीछे ईश्वर का दत खप्न में यू 


२ पतले द मत्ती। ध्‌ 


सफ का दर्शन देके बोला कि उठ झर बालक का और 
उसको माता का लेके मिसरकेा भाग जा ओर जबलों में 
तुझे संदेश न देयें तबलें वहीं रह क्यांकि हिरोद इस 
बालक के नाश करने के लिये टूडेगा। ९४ तब वृच्द उठके 
बालक के और उसकी माता के लेके रातेरात मिसर 
के चलागया। ९५ और हिराद के मरने लो वहीं रहा 
जिसतें भविष्यद्क्ता के द्वारा से कहा हुआ ईश्वर का 
बचन प्रा हेवे: कि में ने अपने पुत्र के मिसर से बुलाया 
'९ई जब हिराद ने देखा कि ज्ञानियोंने मुस्त ठट्ठा 
किया ते अति कापित हुआ आर उस समय के समान 
जैसा कि उसने उन ज्ञानियों से यत्र से पका था उसने 
लागों के भेजके बेतलचहम के, अर उसके सारे सिवाने 
के, सारे बालकों के, दे। बरस के ओर उस्से काटे लॉं, 
मारडाला। ९७ तब यिरमिया भविष्यद्क्ता का कहा हुआ 
यहबचन परा हुआ। ९८ कि रामा में एक शब्द सुनागया 
कि हाहाकार ओर रोना पीटना और अंति बिलाप 
' राहील अपने पुत्रों के लिये बिलाप करती, थी और 
. शांत न होती थी क्योंकि वे नहीं हैं। 
“* ९८ परंतु छिराद के मरने पर ईश्वर के दूत ने मिसर 
में यसफ कोाखंप्र में दशेन देके कहा। २० कि उठ गैर 
बालक का जैर इसकी माता का लेके इसराईल के देश 
का जाक्यांकि बालक के प्राण क गांहंक मरगये । 
२९ तब वुच्द उठके बालक को और उसकी माता को लेके 


रद मत्ती। ३ पते 


इसराईल के देश में आया। २२ परंतु जब उसने सुना कि 
अरकिलाय ऊस अपने पिता हिराद कौ संतो विद्दृद्यः 
में राज्य करता 5 ता उधर जाने से डरा तिसपरभी 
खप्न में ईश्वर से चिताया जाके गालील की और चला- 
गया। २३ ओर आके नासिरौत नाम एक नगर में बास 
किया जिसतें भविश्यद्क्तां कौ कहौ हुई बात कि वृच् 
नासरो कहावेगा परो होवे। 

३ तौसरा पब्मबे। क्‍ 

९ उन्हों दिनों में यिचुद्यिः क॑ बन में याहन स्तान- 
कारक आके प्रचार के कहने लगा। २ कि पछताओ 
ईंसलिये कि खग का राज्य समीप है। ३ क्योंकि यह 
वच्द हे जिस के बिषय में यिशाया भविश्यद्धक्ता ने कहा हैं 
कि किरौ का शब्द बन में पुकारता है कि ईश्वर के मार्ग 
को सधारो और उसके पथें का सौधा करे। ४ और 
उसी याह्दन का पहिराबा ऊंट के राम का था आर 
चमजड़े का पट॒का अपनी कटि में लपेट था अर उसका 
भाजन टिट्ठी अर बन मध थीं। 

४५ तब यिरुशालम अर सारे यिच्ुद्ीयः और का. 
आस पास के सारे देश उस पास निकल आये। ६ और 
अपने अपने पापों का मान मान के यदन में उस्मे स्तान 
पाते थे। ७ परंतु जब उसने बहुत से फिरूसी ओर 
सादूकियां का अपने स्नान के लिये आते देखा ता 
उसने उन्हें कहा कि हे सांपों के बंशों अवेया काप से 


 शपबन्‍्बे मत्ती। है 


भागने को तुन्हे किसने चिताया है। ८इस लिये पक्तताब 
के योग्य का फल लाओ। ८ और अपने अपने मन में 
मत समझ्के। कि हमारा पिता इवराहीम है; क्योंकि में 
तुन्हें कद्दताहें कि ईश्वर सामर्थों हे कि इन पत्थरों से 
इवराहीम के लिये बालक उत्पन्न करे। ९० आर अभौ 
कुल्हाड़ी पेड़ें के जड़ पर लगी है इस लिये जे। जे पेड़ 
अच्छा फल नहीं फलता काटा जाता और आग में कले- 
का जाता है। ९९ निश्चय में तुन्‍्हे पछताने के लिये जल 
से स्नान देताहों परंतु जे मेरे पीछे आता है से मुस्पे 
अधिक सामर्थी हे जिसका जूता उठाने को में याग्य नहीं 
हों वह तुम्हे ध्मत्मा से और आग से स्तान देगा। ९२ उस- 
के हाथ में एक सप है ओर वृच्द अपने खलिहान का 
अच्छी रीती से भाड़ेगा आर गोहं, का अपने खत्त में 
एकट्टे करेगा परंतु भूसी का अबुकहा आगसे जलावेगा । 
 ५शतब यिशु गालौल से यदन को येचह्दन केपास आया 
कि उसमे स्लान किया जाय। १९४ परंतु येहन ने यह कहिके 
उसे बजा कि मुझे आपसे स्नान किये जाने का आवश्यक 
है और आप मुक्त पास आते हैं। १४तब विशु ने उत्तर 
_ देके उसे कह्दा कि अब होने दे क्योंकि हमें यों सकल धम 
 घ्रा करने के चाहिये तब उसने उसे न रोका। ९६ और 
ज्ञान किया जाके यिशु ज्योंहि पानी से ऊपर आया त्थों- 
हों उस पर खगे खुल गये और उसने ईश्वर के आत्मा 


का कपात के रूपमें उतरते और अपने ऊपर ठच्दरते 


ष् मत्ती । ४ पब्बे 
देखा। ५७ ओर तत्काल आकाश बानी हुई कि यह 
मेरा प्रिय पुत्र है जिस्मे में अति प्रसन्न हें। 

४ चौथा पब्बे। 

३९ तब आत्मा से ईसा बनमें पहंचाया गया जिसतें 
शेतान से परखा जाय । २ ओर चालौस रात दिन क 
उपवास के पीछ वुद्द भखा हुआ । श तब परौक्षक ने उस 
पास आक कहा कि यदि त ईश्वर का पत्र ह ता आज्ञा 
कर कि ये पत्थर राठी बन जायें। ४ परंतु उसने उत्तर 
देके कहा कि यह लिखा हे कि केबल रोटी से नहीं परंतु 
हरएक वचन से जे। ईश्वर के मृंद से निकलता है मनुष्य 
जीता रहेगा। ५ तब शैतान उसे पविच नगर में लेगया 
और मंदिर के एक कलश पर बेठाया। ६ और उसे 
कह्दा कि यदि तू ईश्वर का पुत्र हे तो नौचे गिर पड़ 
क्योंकि लिखा हे कि वृच्द तेरे लिये अपने दूतों का 
आज्ञा करेगा ओर वे हाथों में तम्के उठा लेंगे जिसतें 
तेरा पांव पत्थर पर लगने न पावे। ७ यिश ने उसे कहा 
कि यह भी लिखा हे कि त परमेश्वर अपने ईश्वर को 
परोक्षा मत कर | ८ फर शतान उसे एक अति ऊंचेपहाड 
पर लेगया और उसे जगत का सारा राज्य ओर उनका 
विभव दिखाया। ८ और उसे कह्दा कि यदि तू नीचे भकुंकके 
मस्के प्रनाम करे ता यह सब में तुम्के देऊंगा। ९० तब ईसा 
ने उसे कहा कि अरे शेतान यहां से दूर हो क्योंकि यह 
' लिखा है कि परमेश्वर अपने ईश्वर कौ पूजा कर ओर 


ही 
. ४ पब्बे मत्ती । ढ्‌ 


! 
केवल उसी की सेवा कर। ९९ तब शैतान ने उसे छोड़ा 
और वहीं दूतां ने आके उसकी सेवा किई। 
८० ६५. ५ हैक हर 
९२जब यिशु न सुना कि याहन बंधन में डाला गया ता - 
बुद्द गालोल का चलागया। ९३ और नासरौत को छोड के 
कफरनाइम में, जा समुद्र के तौर पर, जाबुलीन ओर 
नफताली के सिवाने में हे, आके रहा। ९४ जिसतें यिसा- 
या भविष्यद्कक्षा का कहा हुआ बचन प्रा होवे। ९५ कि 
जाबल और नफताली कौ भूमि समुद्र के मागे में यदन के 
पार अन्यदेश के गालील में। ९६ जे। लाग अंधियारे में 
झ' ४ 
बठे थे उन्होंने बढ़ी ज्येति देखी ओर जे रूत्यु की छाया 
ली बे 
और देश में बठे थे उन पर उजियाला उदय हूआ। 
हक 2० जग 
९७ उस समय से यिशु ने प्रचारना और यह कहना आ- 
रंभ किया कि पकताओ क्योंकि खर्ग का राज्य समीप हैे। 
(८ ओर यिशु गालील के समुद्र के तौर फिरते फिर 
ते दे। भाईयें के, अथात शिमन के जे। पीथर कच्दावता 
ड््‌ और ५ कर] 
है गैर उसके भाई अंड्रिया का, समुद्र में जाल डालते 
देखा क्योंकि वे महुए थे। ९८ और उसने उन्हें कहा कि 
: मेरे पीछे चले आओ आर में तुन्हें मन॒ध्यां का मकछुआ. 
१ ज + ३ ५ 2. कक हक 
बनाओंगा। २० तब बे तुरंत जालों के छोड़के उसके 
 पीछ चलेगये। २९ और बहां से आगे बढ़के उसने और 
_ हे! भाई यों का, अथात रुबदी के बेटे याकूब का और - 
_ डसके भाई यहन्ना के, अपने पिता सबदीौ के संग नाव पर 
8. अपने . 07 238, हे छपर के हि 
अपने जालों का सुधारते देखा और उसने उन्ह बुलाया। 


१० मत्ती । ४ पन्वे 


३३ तबवे तुरंत नाव के आर अपने पिता के छोड़ के 
उसके पीछ हेलिये। 

२३ ओर यिशु सारे गालीौल मे फिरता और उनकी 
मंडलो में प्रचारता राज्य का मंगलसमाचार सुनावता 
और लेगों के सकल राग और दुबेलता चंगा करता 
गया। २४ ओर उसकी कौत्ति सुरिया के गबेत्र फेल गईं 
और उन्हों ने सारे रोगियों के जे। भांति भांति के रोग 
और पीड़ा से, अर पिसाचग्रस्तां के और मिरगिहे के 
और अधों गियें के उस पास लाये आर उसने उन्हों 
चंगा किया। २५ ओर बड़ौ बड़ी मंडली गालौल से और 
दस नगरों से ओर यिराशलौम से ओर यिहूद्यः से 
और यदन पार से उसके पीछे पीक चलौगई' । 

धू पांचवां पब्बे। 

९ और मंडलियों के देखके वृद्द एक पहाड़ पर चढ़े- 
गया ओर जब बेठा उसके शिव्य उस पास आये। २ तब 
वह मंच खेोलके उन्हें उपदेश करने लगा। ३ कि धन्य वे 
ले मन में दौन हैं क्योंकि खगे का राज्य उन्हीं का है। 
४ भाकित लाग धत् हैं क्योंकि वे शांति पाबेंगे। ५ का- 
मल धन्य हैं क्योंकि वे टथिवी के अधिकारी होंगे। ६ धमे 
के भूके पियासे लाग धन्य हैं क्योंकि वे ढप्त हेंगे। 
७ दयावंत धन्य हैं क्योकि वे दया पावेंगे। ८ जिनका मन 
पवित्र हैं से क्यांकि वे ईंशर को देखेंगे। € मिलापी धन्य 
हैं क्योंकि वे ईश्वर के पुत्र कद्यावेंगे। ९० धन्य वे जे! ध्म 


भू पब्ले मत्ती। ९९ 
के लिये सताश जाते हैं क्योंकि खग का राज्य उन्हीं का 
है। ५९५ जब मनथ्य मेरे लिये तुम्हारी निंदा करे और 
तुन्हें सतावें और तुम्हारे विरोध में इर प्रकार की बुरी 
बात भ्ूठाई से कहें ता धन्य हे । ९२ आनंदित और 
अति आज्ञादित हेाआओ क्योंकि खर्ग में तुम्हारा प्रतिफल 
है इस लिये कि उन्होंने तुम से आगे भबिग्यद्रक्तां के 
इसी रौती से सताया था । 

९३ तुम एथिवी के लान हे। पर यदि लान का खाद 
जाता रहे तो व॒ुद्र किम्मे खादित किया जायगा! वुच्द 
फिर किसी काम का नहीं केवल फेकेजाने के और मनु- 
व्य के पांव तले लताड़े जाने के। ९४ तुम जगत के उंजि- 
याले हे। जे। नगर पहाड़ पर बना है से छिप नहीं स- 
क्ना।९५ दौपक को बारके मनुष्य नांद तले नहों रखते 
परंतु दौअट पर ओर वह सारे व्वराने का उंजिआला 
करता है। ९६ तुम्हारा उजिआला मनुश्ों के आगे ऐसा- 
हो चमके जिसतें वे तुम्हारे सुकन्सी के देख के तुम्हारे 
खर्गीय दिता की, महीमा कर। 

९७ यह मत समझो कि में व्यवस्था के अथवा भवि- 
व्यवाणी का उठादेने आया हों में उठादेने का नहीं 
परंतु पूरा करने के आया हों। ९८ क्योंकि में तुन्हे सच 
_कहताहें कि जब लां खगे और प्थिवी बिलाय न जाय 
ही ब्यवस्था में से एक बिंदु अधवा एक बिसगे बिलाय 
न जायगा जब लो सब प्रा न हे।वे । ९८ इस लिये जे 





श्र मत्तो । भू पबन्‍ये 


केाई इन आज्ञा में से सब से छाटी का न माने और 
मनृष्योंके ऐसाही सिखावे से। खग के राज्य में सब से छा- 
टा गिना जायगा परंत॒ जा काई उन्हें माने और सिखावे 
साई 553५ 5९७ रे ० बबि हि छ 
साई खग के राज्य में वड़ा कद्दावेगा। २० क्योंकि में तुन्ह 
कहताहें कि यदि तुम्हारा धर्म फरी सियों और अध्याप- 
का के धब्म से अधिक नहे। ते तुम किसी रौति से खग 
के राज्य में प्रवेश न करागे। 

२९ तुम ने सुना है कि प्राचीनां के कद्ागया था कि 
हत्या मत कर और जे। काई हत्या करेगा सो न्याय में 
दंड के याग्य होगा। २२ परंतु में उन्हें कददताहें कि 
&3> 2. 30८ ०. कि... ० 
जा काई अपने भाई पर अकारण क्राध करे सो न्याय में 
ढंड के याग्य हेगा आर जे काई अपने भाई को तुच्छ 
कहे से सभा के दंड के याग्य होगा परंतु जे काई कहे 

५ हक ; 
कि तु खल है से नरक की आग के योग्य दोगा। रह इस 
कारण यदि तू अपनी भेंट का बेढौ परु लात्रे आर तुमे 

» ० बे 
वहां चेत हे।वे कि मेरे भाई का कुछ बर मुक्त पर है। 
२४ तो बहां बेदी के आगे अपनी भेंट छोड़के चला जा 
पहिले अपने भाई से मिलाप कर तब आके अपनी भेंट 

५ ० ०७ के 
चढ़ा । २४ जब लो त्‌ अपने बेरी के रंग माग में है तुरंत 
प्नैमी के ५५ 
उस्मे मिलाप कर नहे कि बरी तुकक न्यायी के सॉंप देवे 
५ ९ . ०. डर « 
और न्यायी तुभो दंडकारौ के सोंपे और त्‌ बंधन में डा- 
तुभा द 5. 
ते ० .. बज] 3 
ला जाय । २६ में तुमे सत्य कद्दताहें कि जबले। दुकरा 
दुकरा भर न दे त्‌ किसी रौति से वहां से न छट्ेगा । 


| 
पड 


 भरूपन्व .. मत्ती। ९३ 


२७ तुम ने सुना है कि आचीनें से कहा गया था कि 
परस्ती गमन मत कर। २८ पर में तुन्हें कहता हों कि 
जो काई कुइच्छा से स्त्री का ताके वृच्द अपने मन में उससे 
_ व्यभिचार करचुका। २८ और यदि तेरौ दृहिनी आंख 
तुकके ठाकर खिलावे ते उसे निकाल के अपने पास से 
फेंक दे क्योंकि तेरे अगों में से एक का नाश हेना उससे 

_ भलाहे कि तेरा सारा देह नरक में डाला जाय। ३० हां 
_यहि तेरा दहिना हाथ तुझे ठोकर दिलाबे ते उसे काट 
' डाल ओर अपने पास से फेंक दे क्योंकि तेरे अगों में से 
' एक का नाश होना तेरे लिये उस्मे भला हे कि तेरा 
सारा देह नरक में डाला जाय । 
३९ यधछ कहागयाहे कि जे काई अपनी पत्नी का 
: ह्यागे से उसे त्याग पत्र देवे। ३२ परंत में तुन्हें कहता- 
हैं कि जे काई परगमन बिना अपनी पी को व्यागे 
सा उसे व्यभिचार करावताहे ओर जे काई उस व्या- 
_ गौगई को ब्याह करे से ब्यभिचार करता है। 
३३ यह् भी तम सुनचके हे। कि प्राचीनें से कदहागया 
था कि भक्टी किरिया मत खा परंतु परमेश्वर के लिये 
अपनी किरियें का परा कर। ३४ पर में तुन्हें कदताहे[ 
ह हे किसी रौति से किरिया मत खाओ न ता खगे कौ 
क्योकि वुद्द ईश्वर का सिंहासन हं। ३५ न ता प्थिवी 
द की क्योंकि वृद्द उसके चरण की पीढ़ी ह न ता यिराश- 
| -लौम कौ क्योंकि वृदह्र महाराज का नगर है। ३६ और 


९। 

| 
। 
॥( 


| 
। 






भा मत्ती । हट 


अपने सिर कौ किरिया मत खा क्यांकि तू एक बाल 
का उजला अथवा काला नहीं कर सक्ता। ३७ परंत 
तुम्हारी बातचौत हां हां नहीं नहीं हे।वे क्योंकि जे। इन 
से अधिक है से। बुराई से होती है। 

३८ तुम सुन चुके हो कि कच्दागयाहे कि आंख की 
३८ संती आंख ओर दांत की रंती हांत पर में तुन्हें 
कहताहें कि बुराई का सामना मत कर परंतु यदि काई 
तेरे दछिने गाल पर थपेड़ा मारे दूसरा भो उसे फेर दे। 
४० और यदि काई न्याय में तुजसे बिवाद कर के तुम्हारी 
चादर लिया चाहे ते अंगाभी उसे दे डाल। ४९ और 
यदि केाई तुझे आध केस परबस लेजाय ते उसके संग 
केस भर चला जा। ४२ जे तुस्मे मांगे उसे दे और जे 
तुस्मे उधार मांगे उद्मे मंह मत मोड़ । 

४३ तम सुनचके हो कि कचह्ागया था कि अपने 
परेासी के प्यार कर और अपने बेरी से बेर। ४४ परंत 
मैं तन्‍्हें कद्ाताहे| कि अपने बरी का प्यार करो जे 
सन्‍हें घिकार उन्हें आशोष देओ जे तुमसे बर करे उनसे 
भलाई करे ओर जो तुन्हें सतावें अर दुःख देवें उनके 
लिये प्राथेना करे।। ४५ जिसतें तुम अपने खर्गीय पिता- 
के संतान हाओ क्योकि वुद्द अपने स॒व्थ को भलां आर 
बुरें पर उदय करताह और धर्क्की और अधर््मी पर मेंह 
बरसाताहे। ४६ क्योंकि यदि तुम केवल अपने प्रेमियों 
पे प्रेम करे! ते। तुम्हारा क्या फल है !। क्या पटवारी भौ 





हूं पन्‍्ने मत्ती। ३ 
_शेसा नहीं करंते!। ४७ और यदि तुम केवल अपने भई- 
ये का नमस्कार करे ते तुम ने अधिक क्या किया ! 
क्या पठवारी भी ऐसा नहीं करते !। ४८ ईस लिये ऐसा 
सिट्ट बने जेसा तुम्हारा खर्गोीय पिता सिद्ट हे । 

६ छठवां पब्बे । 

९ चोकस क्ोाओ कि मनुय्थों को दिखाने के लिये 
अपना दान मत देओ नहीं ते तुम्हारे स्वर्गीय पिता से 
. तुम्हारा कुच्छ प्रतिफल नहीं। रईस लिये जब तू दान 
| करे तब अपने आगे तुरहदी मत बजा जेसे कि कपटि मं॑- 
 डलियों में और मांगी में मनुष्यों से स्तुति पाने के लिये 
करतेहें में तुन्हं सत्य कद्दताहें| कि उन्होंने अपना पुति- 
फल पाया है। ३ परंत जब त्‌ दान करे तब तेरा बांयां 
हाथ न जाने हो तेरा दहिना हाथ करताह। ४ जिसते 
तेरे दान गृप्त में होवें आर तेरा पिता जो गुप्त में देख- 
ः त्ाहे अपची तुमे प्रगट में प्रतिफल टेगा। 

... धू और जब तू प्राथना करे कपटियों के समान मत हे। 
. ब्योकि वे मनुय्थों के दिखाने के लिये मंडलियों में ओआर 
. मांगों के कोनों में खड़े हे।के प्राथना करने का पति रख- 
ते हैं में तुन्हं सत्य कद्दताहें कि उन्होंने अपना पृतिफल 
द पाया है। ६ परंतु जब तू पार्थना करे ते अपनी कोठटरी 
में जा और द्वार को मृंदके अपने पिता की, जे गृप्त है, 
. गणाथना कर आर तेरा पिता जो गप्त में देखताहे से तमे 
. युगट में पुतिफल देगा। ७ परंतु जब तुम प्राथना करे ता 


९ मत्ती। हैं पब्बे 
अन्य देशियां की नाई' ब्यथे बक बक मत करो वक्याकि वे 
समभते हें कि अधिक बालने से हमारी सुनी जायगी। 
न हर ३ १० 
८ इस लिये तम उनके समान मत होओ क्याकि तन्हारा 
पिता तुम्हारे मांगने से आगे जानताइ कि तुन्ह क्या क्या 
आवश्यक ह। ८ इस कारण इसो रौति से प्राथना करो 
कि हे हमारे पिता जे खग म है तरा नाम पवित्र 
कर ब् ८ 
'कियाजाय। ९१० तेरा राज्य आवे तेरी इच्छा जसी खग 
में तैसी एथिवी में हे।वे । ९९ हमारे प्रति दिन की रोटी 
आज हमें दे। ९२ ओर हमारे अपराधों का ऐसा क्षमा 
7 53. अपराधिये 2 ७. ० 
कर जसे हम भी अपन | को छ्मा करते हैं। 
९५३ और हमें परीक्षा में न डाल परंतु दृष्ट से छुड़ा क्योंकि 
राज्य और पराक्रम और माहादय सदा तेरे हैं आमिन। 
९४ क्यांकि यदि तुम मनुष्यों के अपराधे को छषमा 
करो तो तुम्हारा खर्गीय पिता भी तुन्हें छमा करेगा। 
९५ परंतु यदि तुम मनुष्यों के अपराधों को क्षमा न 
५ कक गे ७३७ ७2) जा, 
कंरा ता तुम्हारा पिता भो तुम्हारे अपराधी को क्षमा 
नकरेगा। 

९६ फेर जब तम ब्रत करे। कपटियोां के समान उदास 
रुप मत बना क्योंकि वे अपने रुप का विगाडतेहें जिसतें 
वे मनुष्यों का ब्रती दिखाई देव में तुम्हं सत्य कच्ताहे। 
कि उन्होंने अपना प्रतिफल पाया ह। ९७ परंतु जब त.. 

० ्ु | ९, ५ 2. ७. 
ब्रत करे अपने सिर का चिकना कर और अपने मंच का 
घे। ९८ जिसतें तू मनुष्यों को ब्रती नें दिखाई देवे परंतु 


. ह पतब्मे .. मत्ती। मिल 
| अपने पिता को जे गुप्त हे, आर तेरा पिता जे गुप्त म 
 हेखताहे प्रगट में तुम प्रतिफल देगा। 

५८ अपने लिये एथिबी पर घन मत बटोरोा जहां की- 
डा और काई बिगाड़तेहेँ ओर जहां चेर सेंघ देतेहैें 
और चुरावतेहैें ॥ २० परत अपने लिये स्लरगं पर धन 
बटारे जहां कीड़ा ओर काई नहीं बिगाड़ते और जहां 

चार सेंध नहीं देते न चुरातेहैं। २९ क्योंकि जहां तुन्हा- 
. शा धनह तहां तम्हारा मन भी लगारहेगा। २२ शरौर 
द का दौपक आंखह इस लिये यदि तेरे आंख निर्मल 
हावे ता तेरा सारा शरौर ऊंजियाला हागा। २३ परंत 
| यहि तेरी आंख रोगी हाय तो तेरा सारा शरौर अंधि 
_ यारा होगा इस लिये यदि ऊंजियाला जे। तुम्त में है 
[| आअंधियारा हाजाब तो क्या बड़ा अंधियारा क्ञेगा। 
. २४ कोई मनुष्य दे! स्वामी की सेवा नहीं करसक्का क्योंकि 
वृषद्द एक से बर रकक्‍्लेगा और द्वसरे से पे, अथवा वृष 
. एक का पक्ष करेगा आर दूसरे कौ निंदा तम ईशर की 
ओर धन को सेवा नहीं कर सके । २४ इसलि 
 कहताहें कि अपने जोवन के निमित्त चिंता मत करे 
|; कि हम क्या खायेंगे अथवा हमक्या पीयेंग न अपने 
शरीर के लिये कि इम क्या पहिनेंगे क्या जीवन भोजन 
से ओर शरीर बस्ल से अधिक नहीं !?। २६ आकाश के 
 यंदियां का देखा क्योंकि वे न बाते हैं न लवते हैं न 
_ बणरते हैं तिस पर भी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उन्हे 









श्द् .. भत्ती | ७ पब्ब 
दे न कप साल ५ नहीं कल मर / 0, जम 
पालताइड क्या तुम उन से अधिक माल के नहीं हो ? । 
| + $ ५ 
२७ चिंता करके तुस्में से कोन अपने डील को हाथ भर 
९ ] ७७ 3 ० ७५० कट 
बढ़ा सक्ताह ?!। र८ आर बस्ल के लिये क्यों चिंता करते 
है। खेतके सेासन के फुलां को से|चे वे क्योंकर बढ़तेहैं वे 
परिश्रम नहों करते न काततेहें। २८ तिसपर भी में 
तुन्हें कदताहों कि सुलेमान भी अपने सारे बिभव में 
इन भें से एक के समान विभूषित न था। ३० इस लिये 
यदि टू न 
यदि ईश्वर खेत की घास को जे। आज 5 और कल भट्ठी 
कि ७ ० को 8. अल्प बिद्यासिया 
मे के।की जायगी येां पहिनाताहे ता हे अल्प विश्वासिया 
क्या त॒न्‍्हें अधिक न पद्चिनावेगा। ३९ इस लिये चिंता 
: से मत कहे कि हम क्या खायेंगे? अथवा क्या पीयेंगे 
अथवा क्या पहिनेंगे !। ३२ क्योंकि अन्यदेशी इन सारी 
बस्तुन॒ की खोज करतेहैं परत तुम्हारा स्वर्गीय पिता 
५ $ न्‍< 
जानता ह कि तुन्हें इन सारी बस्तुन का आवश्यक है। 
है हिले ५5 अर. ५ घट कि 
३२३ परत पहिले इंशअर के राज्य का आर उसके धमं का 
खोज करे और ये स॒ब तुम्हारे लिये उबरतेहुए अधिक 
किईश्जायंगी। ३४ इस कारण कल के लिये चिंता मत 
करे क्योंकि कल अपनेह्ौ लिये सिद्ठ करेगा दिन का 
व 
दुख दिनही के लिये बचुत 5 । 
७ सातवां पब्बे। 
० रस किक न 
९ दाष नत लगाओ जिसते तुम पर दाष न लागाया 
जाय। २ क्योंकि जिस रौति से तुम दाष लगाआगे 
उसी रौति से तुम पर भी दाष लगाया जायगा और 


७ पब्वे !. भत्ती। श्ढ 
जिस नपुए से तुम नापतेहे उस्तो से तुन्हारे लिये फेर 
नापाजायगा। ₹ परंतु उस किकिरी का जो तेरे भाई 

कर दी स्५्‌ +८ 2. ५ + खट्टे हक. 
की आंख में उ क्यों देखताह?! परंतु उस लट्टें का जा 
्न् ० ०७ ०५ गो कर ् ० 
तेरी आंख में ह नहीं देखता !। ४ अथवा त॒अपने माई 
को क्योंकर कच्दचि सका कि रद्धिजा किकिरि को जा तेरी 
८ मं 3] न 8 2 आर. £ 
आंख भें है निकाल देउ और देख तेरीही आंख में एक 

। हि. न पहिले कर गोंआं रे 
लट्टा हैं। ४५ अरे कपटी पहिले अपनेहीं आंख से उस 
लट्टें का वर कर तब तू फरक्काईं से देखके अपने भाई की 
आंख से किकिरी का निकाल सकेगा। ६ पवित्र बस्त 
कुत्ता को मत देआ ओर अपनी मेतियें को सुअरोंक 

. आगे मत फेंका नहे कि वे अपने पांव तले उन्हें रे 

ह ञ्े न 

/ ओर फिरके तुन्हों का फाड़े । 

७मांगा और तुन्ह दिया जायगा ढूंढ़े। और तुम पाओगे 
डे 
खटखटाओ ओर तुम्हारे लिये खोला जायगा। ८ क्योंकि 

| ५ ५ ल्‍्े का ०» २ 
जे कोई मांगताहे से। लेताहे और जे ढूंढ़ताह से। 
पाताहे और जे! खठखटाताहै उसके लिये खेला जाता _ 
डे ०७ के जे घि यदि 8 
ह। ८तम्स कान मनुय्ध है कि यदि उसका पुत्र उच्ये राटों 

. मांगे क्या दह उसे पत्थर देगा !?। ५० अथवा यदि दृच्द 

. मछली मांग क्या वह उसे सांप देगा !।। ५९५ इस लिये 

5. न 0020५ पक 09 

._यहि अधम हेक तुम अपने पुत्रों का अच्छा दान देन 

| €ः $ न 

. जानतेहे तो तुन्हारा पिता जा खग भें है क्या उन 

 सर्भो का जे। उससे मांगतेहें अधिक भलौ बस्त न देगा! । 

_ ९४ इस लिये जो व्यवहार तुम मनुथ्थों से चाहते हो 


तक तन-मात सकने न-- मम ८४७०० 





२० मत्ती | । | पज्ब 


तेसाही ) कि ५ 
तेसाही तम उनसे करे क्योंकि व्यबस्था और भविष्पद्धक्ता 
णेही हैं। 
4 कि ५, जे 
९३ सकेत द्वार से प्रवेश करो क्योंकि चोंड़ा हे दृच् 
२ बे बे है. आह का ० बट 
द्वार आर फेलाव हे वृद्द भाग जे बिनाश का पहुंचाताहइ 
और बहुत हैं जा उस्मे जातेहैं। ९४ इस कारण कि 
हक हे छबि ले ६ 
सकत हे वह द्वार आर खड़बिड़ है वच माग जा जोवन 
का पहंचाता हे आर थाड़े हैं जे। उसे पातेहें । 
९५ भाट भविय्यद्क्तां से चाकस रहा जा मेड़ां के भष 
में तुम्हारे पास आतेहें परंतु सन में फड़वेये हंडार हैं। 
७ 9... ४४-00 जग वक, पहिचानाग “के, या 
९६ तुम उन्हें उनके फलों सें पह्चिचानाग क्या मनुृग्य 
0 शक, + ६६ न कफ ५. 6 
काटे। से दाख अथवा ऊंटकटारों से गूलर बगारते हैं। 
५७ इसी रौति से हरएक अच्छा पेड अच्छा फल फलता 
जे ५ गज 
हे परंतु बुरा पेड़ बुरा फल फलताह। ९८ अच्छा पेड 
बुरा फल नहीं फलसुक्ता न बुरा पेड़अच्छा फल फल 
सक्ता। ९८ जा जो पेड़ अच्छा फल नहीं फलता सो से 
और डर 2. बे ०० हर 
काटाजाता और ईंधन बनता हे। २० सो उन्हें उनके 
कक 2), अर क 
फलों से जानागे। 
२९ हरणएक जो मुक्के पुभ परभु कद्वताह खग के राज्य भें 
प्रवेश न करेगा पर॑तु वहौ जो मेरे स्वर्गीय पिता की 
५ व ७९..." सआ 
इच्छा पर चलता हैं। २२ बहुतेरे उस दिन मुक्क कहेंगे 
कि हे पृभ हे पुभु क्या हम ने तेरे नाम से भविष्य नहीं 
] न 
कहा ओर तेरे नाम से पिशाचें को दूर महीं किया ! 
और 22, 8. ३. , ९: कं किये 
और तेरे नाम से बड़े आश्रय कमे नहीं किये?। 


| छ पब्बे मत्ती । २९ 
५ : ३ 8६० 77 ] आक 
. २३ ओर तब में उन्हें कहेंगा कि में नेतुन्हें कभी न 
| द न ९० पे जप 
. जाना अरे कुकश्सिया मुस्य दूर हाओ। 
२४ इस लिये जे कोई मेरे ये बचन सुनताहे और 
७-७ मे ७० ८3 न 
उन्हें मानता है में उसे एक बृट्धिमान से उपमा देडगा 
जसने चटान पर अपना ब्वर उठाया। २५ और मह 
बरसा और बाढ़ आये और बयार बहच्ीं ओर उस व्वर 
ब् 733 डि 
पर बाक्ाड लगा आर तह न गिरा क्योंकि चटान पर 
. उठायागया था। २६ परंत जे कोई मेरे ये बचन सुनता 
| हु ओर उन्हें नहीं पालता से एक मर मनव्य से उपभा 
दिया जायगा जिसने अपना वब्वर बालू पर उठाया। 
२७ ओर सेंद बरसा आर वाढ आया आर वयार बच्ीों 
| और उस व्वर पर बाछाड़ लगा पड़ और वुद्द गिरा आर 
. उसका गिरना भयानक हुआ । र८ ओर ऐसा इआ कि 
जब यिशु ने इन बातों का समाप्त किया तब मंडलीं 
| कक ् ण्च््‌ ९ क्योकि 20 0८ कक 
. उसके उपदेश से आभअ्ययित हुईं। २८ व्याकि उसने 
कं ०0 पे 2५ ७५ ०. 
. उन्‍हें पराक्रमी के समान सिखाया और अध्यापकों के 
. समान नहों। | 


। 


८ आठवां पब्बे । | 
९ जब वच् उस पहाड़ से उतरा बड़ी बड़ीभंडली उसके 


. यवित्र कर सत्त हैं। ३ईसा ने यह कहिके हार्थ बढाया 
. और उसे छके कहा कि में चाहताहें पवित्र होजा और 





२२ | मत्तो । ८ पब्ब . 


तत्काल उसका कोढ़ जाता रहा। ४ तंब यिशु ने उसे 
कहा कि किसी से मत कच् परंतु जाके अपने तई याजक 
के दिखा ओर सूसा ने जे। दान ठहराया है से उनके 
साक्षो के लिये दे । 

भू और जब यिशु ने कफरनाइम मे' पुवेश किया ते 
एक शत पति ने उस पास आके बिनती किई। ६ और 
कहा कि हे पभु मेरा सेवक अदड्डोंग के रोग से अति पी- 
डि्त ब्वर में पडा है। ७ यिशु ने उसे कहा कि आबके में 
उसे चंगा करोंगा। ८ उस पति ने उत्तर देके कहा कि 
हे पुभु में इस याग्य नहीं कि आप मेरी छत तले आवें 
परंतु केवल बचन कह्िये ओर मेरा सेवक चंगा देजाय- 
गा। € क्योंकि में एक मनुष्य दूसरे के वश में हों और 
याड मेरे बश में हैं ओर में एक का कच्दताहें कि जा 
और वुच्द जाताहे और दूसरे के कि आ और वुच्द आता 
है ओर अपने सेवक का कि यह कर और वृच्द करताहे। 
९० थिशु ने सुन के आअ्यय्थ किया ओर अपने साथियों से 
कहा कि में तुन्हें सत्य कचइ्दताहें कि में ने ऐसा बड़ा 
विश्वास इसराईल में भी न पाया। ९९ आर में तुन्हें 
'कहताहें कि वहुतेरे पूरब ओर पच्छिम से आवेंगे और 
इबराहौम और इसहाक और याकूब के रंग खगे के 
राज्य में बेठेंगे। ९२ परंतु इस राज्य के संतान बाहर 
अंधियारे मे डाले जायंगे जहां रोना और दांत किचकि- 
चाना हाोगा। ९३ तब यिशु न उस शंतपति से कहा कि 


८ परनब मत्तो । र्र्‌ 


५ बे 
जा ओर तेरे बिश्वास के समान तेरे लिये होवे आर 
उसका सेवक उसी व्वडी चंगा हागया। 

जे ७ हब हक 
१९४ आर जब यिशु पितर के व्वर में आया उसने उस- 


( - बे 
: कौ सास को ज्वर से रोगी पड़ी देखा। ५५ ओर उसने 


22022 न किक," ३, कं 
उसका हाथ छजआ तब ज्वर ने उसे छाडा आर उसने 
उठक उनकी सेवा किई। 

९६ जब सांभक हुईं वे उसके पास बचुत से पिशाच गरस्तरों 
२ ०. ९: जे कर न्‍ै्‌ 
क्रा लाये आर उसने बचन से आत्मां का दूर किया आर 


' सब रोगियों को चंगा किया। ९७ जिसते' जे! अशीया 
'भविग्यद्क्ता ने कहा था प्रा हे।वे कि उसने आप हमारी 


दुर्बलता का लेलिया और रागोंका उठालिया। 
_ श्रू पर जब यिशु ने अपने आसपास बडी मंडलियों- 


को देखा उसने उसपार जाने की आज्ञा किई। ९८ और 


किसी अध्यापक ने आके उसे कहा कि हे गुरु जहां कहीं 
आप जायंगे में अपके पीछे चलेंगा। २० तव यिशु ने 
उसे कहा कि लेामडियों के लिये मांदे हैं अर आकाश 
के पंछियों के खांते परंत मन॒व्य के पत्र के सिर धरने का 


._ स्थान नहीं हे। २९ ओर उसके शिष्यों सेंसे एक ने उसे 


| 
४। 
] 
है 


कहा कि हे पभु मुझमें जाने दौजिये कि पहिले अपने 
पिता को गाड़ें। २२ परत यिशु ने उसे कहा कि मेरे 
पीछ चलाआ आर म्हमक अपने म्हतकों का गाड़े । 

२३ ओर जब वह नाव पर चढ़ा उसके शिष्य उसके 


_भौछे देलिये। २४ ओर देखे कि समुद्र में एक बढ़ी 


२४ मत्तो। छ्पब्बे 
आंधी उठी यहां लां कि लहरों से नाव ढंप गई परंतु वुच 
नोंद मे' था। २५ तब उसके शिष्यों ने आके उसे जगाके 
कहा कि हे पु उमे बचाइये उइम नष्ट झोते हैं। 
२६ उसने उन्हें कहा कि हे अल्प विश्वासिया तुम क्यों 
डरते हे। तब उसने उठके बयार ओर समुद्र का दपटा 
और बड़ा चेन हेगया। २५७ परंतु लोग अचंभित हेके 
बोले कि यह किस रौति का मनुष्य है जिसके बशमे' 
बयार और ससुद्र भी हैं। 

रु८ ओर जब वुष्ठ पार गदरे के देश मे पहंचा दे। 
पिशाच ग्रस्त्र मनुष्य समाधिन से निकल के उसे मिले जे 
यहां लां अति भयंकर थे कि उस मार्ग से काई जा न 
सक्ता था। २८ और देखे कि उन्हों ने चिल्नलाके कहा कि 
है ईश्वर के पत्र यिशु हमे आप से क्या काम क्या आप 
इधर आये हैं कि समय से आग हमे पोडा देवे । 
३० आर उनसे दूर बहुत से सुअरोंका एक #कंड चरता- 
था। ३९ तब पिशाचें ने उसकी बिनती करक कहा कि 
यदि आप इसे द्वर करे ते सुअरों के उस भांड में पेठने 
दौजिये। ३२ उसने उन्हें कहा कि जाओ तब वे निकल 
के झूअरों के भांड में पेठे आर देखे कि रूअरों के सारे 
कुंड कडारे पर से कट समुद्र में जागिरे आर जल में' 
नष्ट हुए। ३३ तब उनके चरवाहे भागक नगर में गये 
और. समस्त समाचारों का, जे। पिशाच ग्रस्त्रों पर बीता 
था बणन किया। ३४ ओर देखे कि सारा नगर ईसा 


बा ॥० बार जज जे 2७७७४ ंज «वा +अ्आ 


ट्पब्ब] भत्तो । र्पू 


को भेंट का बाहर निकल आये और, जब उन्होंने उसे 
देखा ता बिनती किई कि हमारे सिवाने से बाहर 
जाइये। 

€ नवां पब्बे । 

९ तव वह नाव पर चढ़ के पार पहंचा और अपने 
नगर में आया। २आर वहीं लाग खाट पर पडचहए 
एक अड्भांगो का उस पास लाये आर यिशु ने उनका 
बिश्वास देखके उस अड्डांगी का कहा कि हे पत्र सस्थिर 
है। तेरे पाप क्षमा किये गये। ३ और अध्यापकों मे' से 
कितनोां ने अपने अपने मन में कहा कि यह ईगअर की 
अपनिंदा करता ह€। ४ यिशु ने उनकी चिंतां को जानके 
कहा कि किसलिये अपने अपने मन में बूरी चिंता 
करते हो। ५ क्यांकि क्या कहना सहज हे, कि पाप क्षमा 
किये गये अथवा कहना कि उठ और चल। ६ परंत 
जिसते तम जाना कि मनय्य के पत्र को प्थिवी पर पाप 
क्षमा करने का सामथ्य ह॑ उसने उस आइ्डांगी का कहा 
कि उठ अपनी खाट उठा और अपने द्रका जा। 

तब वह उठा आर अपने द्यर के चला गया । ८ परंत 
जब मंडली ने देखा तब उन्हां ने आअय्य करके ईशरकी 
. स्तुति किई कि उसने ऐसा सांमव्य मनुष्यों का दिया है। 

« और यिशु ने वहां से बढ़के कर लेने के स्थान में 
एक मन॒पय्य के बेठे देखा जिसका नाम मंत्ती था ओर 


उसने उसे कहा कि मेरे पीछे आ; तब वुचद्द उठा ओर 
$ 


रद मत्ती । [८ पब्बे 


डसके पीछे हे। लिया । ९० ओर यें हुआ कि जब 
विशु द्यर में भोजन पर बेठा ता देखे कि बहुतसे 
करयग्राहक और पापी आके उसके और उसके शि्यों के 
संग बेठ गये । ९९५ और फर्‌सियें ने देखके उसके 
शिव्थों से कच्दा कि तुम्हारा गुरु करग्राइकां और पापि- 
यांके रंग क्यों भोजन करताहे। ९२ परंतु जब विशु ने 
सुना उसने उन्हें कहा कि भले चंगे के बेद्य का आव- 
श्यक नहीं परंतु रोगियों के। ९३ पर जाओ ओर 
इसके अथका सीखा कि में क्षपा का चाहताहें ओर 
बलिदान को नहीं क्योंकि में धमियों के बुलाने नहीं 
आया परंत पाणियांका जिसतें पद्चात्ताप करें। 

९४ तब याहइन के शिप्यां ने उस पास आके कहा कि 
हम ओर फरसी क्यों बारंबार ब्रत करते हैं परंतु आपके 
शिव्य ब्रत नहों करते। ५४ यिशु ने उन्हें कहा कि जबलों.. 
दूल्हा संग है बराती विलाप करसत्ते हैं? परंतु वे हिन 
आवेंग जब दूल्हा उनसे अलग किया जायगा तब वे ब्रत 
 करेंगे। ९६ काई मनुख्य नये कपड़ेका टुकड़ा पुराने 
बस्तर पर नहीं जाड़ता क्योंकि दृद्द जे उसे सुधारने के 
लिये उसपर जेाड़ा गयाहे बस्ल से खेंचता है और फटा. 
अधिक छेता है। ९७ मनुष्य पुराने कुण में नया द्राखरस 
नहों भरता नहीं ते कुष्पे फटते हैं ओर ड्राखरस बाक्ति 
जाता है आर कुण्ये न छेते हैं परंतु नये कुप्पे में नये 
द्राखरस भरते हैं ओर देने जतन से रहते हैं । 


€ ब्बेप] सत्ती । २७ 


: ९८ जब वह्द उन्हें यह कह्दि रहा था एक अध्यक्ष ने 
आके उसकी बिनती करके कहा कि मेरो बेटी अभी मर- 
गई परंतु आइये ओर अपना हाथ उस पर रखिये 
और बुच्द जीएगी। ९८ तब यिशु उठा और अपने 
शिव्य समेत उसके पीछे हे।लिया । 

२० ओर एक स्लो ने जिसके बारह बरस से रक्त 
बचने का रोग था पीछे आके उसके अंचल का छतआ। 
२९ क्योंकि उसने अपने मन में कहा कि यदि में केबल 

| डसका अचंल छओं ते चंगी हेजाऊंगी। २२ परंतु 
| यिशु पीछे फिरा और उसे देखके कहा कि छे पी 
स॒सख्िर हे तेरे विद्यासने तुब्ते चंगा किया और वृच् स्त्री 


उसी छड़ी चंगी होगई। 





२३ ओर जब यिशु उस अध्यक्ष के द्यर में आया और 
बज निया और लागें के! चिल्लाते देखा। २४ उस ने उन्हें 
कहा कि अलग होओ क्योंकि कन्या मर नहीं गई पर 
सेती है और उन्हे ने उस्मे ठड्रा किया। २५ परंतु जब 

 लाग बाहर निकाले गये उसने भीतर जाके उसका हाथ 
पकड़ा और वृद्द कन्या उठी । २६ और यह कौत्ति उस 
सारे देश में फेल गई। । 
। . “२७ ओर जब यिशु बहां से चला गया तो दे! अंछे 


चिल्लाते आर यह कहते उसके पीछे हेलिये कि 


दाऊदके पुत्र हमपर दया करिये। र८ और जब वुच्द 
दर में आया वे अंधे उसपास आये शेर ईसाने उन्हे कदा 


रद मत्ती । [८ पब्बे 


कि तुम बिआआस रखतेहे। कि में यह करसक्ता हे ! उन्हें 
ने उसे कहा कि हां हे प्रभ। २८ तब उसने उनकी आखें 
छके कहा कि तुम्हारे बिश्वास के समान तुन्हारे लिये 
हेवे। ३० ओर उनकी आंखें खुल गई ओर विश ने 
उन्हें चिता के कहा कि देखे काई नजाने। ३९ परंतु 
उन्हों ने वहां से निकल के उसकी कीत्ति उस सारे देश 
में फैलाई। द 

३२ जब वे बाहर गये तो लाग ्क पिशाच्र ग्रस्त 
गूंगे मुख्य के उस पास लाये। ३३ और जब पिशाच 
निकाला गया वुच्द गूंगा बोला ओर मंडली आजखाये 
करके कहनेलगो कि ऐसा ईंसराईल में कभी नदेखा 
गया था। ३४ परंतु फरीसियों ने कहा कि वृह्द पिशाचों 
के राजा की सहाय से पिशाचों का दूर करताहे । 

३५ ओर यिशु ने सारे नगरों में आर गांओं में जाके 
उनकी मडलियों में राज्य का मंगल समाचार ग्रचारते 
और लेगों के हर एक राग और हर एक दुख दूर 
करते सबंच फिरा। ३६ पर जब उसने मंडलियोां का 
देखा तो वुद्द उनपर दयाल हुआ इस कारण कि वे थके 
पड़े थे आर उन भेड़ां के समान जिनका गड़रिया नहीं 
हे छिन्नभिन्‍्म थे। ३७ तब उसने अपने शिय्यों से कहा 
कि कटनी तो बहुत हैं ठौक परंतु लवेये घोड़े । ३८ इस 
लिये कटनी केखामि कौ विनती करे कि दुद अपनी 
कटनी में लवेयें का भेजे । 


१० पब्ब | मत्ती । रू 


९५० दसवां पब्बे। 

९ और अपने बारह शिव्यों के बुलाके उसने उन्हें 
अपबिचर आत्म के दूर करने का और समस्त प्रकार के 
रोग और हर एक रौतिके दुःख के चंगाकर ने का 
सामरथ दिया। २ अब बारह प्ररितों के नाम ये हैं पह्चिला 
शिमान जे। पथर कहावता है और उसका भाई अंढ- 
रिया जुबद्ौका बेटा याकूब अर उसका भाई याहन। 
₹ फिलिप और बरत्लमा तूमा और मत्ती करयग्राहक 
और इलफा का बेटा याकूब और लेबी जे तदी कहाव 
ता है। ४ शिमेन किनानी ओर यिह्दा ईस्करियती 
जिसने उसे पकड़बाया भी । 

५ यिशु ने इन बारहें का भेजा ओर उन्हें आज्ञा 
करके कहा कि अन्य देशियां को ओर मत जाओ और 
_ सामरियों के नगर में प्रवेश मत करे। € परंतु निज 

करके इसराईल के द्यर की खाई हुई भेड़ के पास जाओ 
७ आर जाते हुए प्रचार करके कहो कि खग का राज्य 

समीप है। ८ रोागियें के चंगा करे केाड़ियेों के पाब- 
न करे न्टतकां के जिलाओ पिशाचों के दुर करे सेंत 
: से पाए्डे सेंत से देआ। ८ अपने बदुए में सेना अथवा 
रूपा अथवा पों तल मत सिद्ध करा। ९५० और यात्ता के 
लिये स्कोला अथवा दे बस्तर अधवा जूता अथबा लाठौ 
मत लेओ क्योंकि बनिहार अपने भाजनके याग्य है । 
५९ और जिस किसो नगर अथवा गांव में प्रवेश करे 


। 


नमक" 


३्‌० मत्तों [५० पब्बे 


तु बे ०» ० 

बुक्का कि उसमें याग्य कान है और जब लो वहां से न 
जाओ वहीं रहे।। ९२ और जब तुम किसी दार में प्रवे- 
श॒ंकरोा ता उसपर कल्यान कहे। १५३ यदि वुद् द्यर 
याग्य होैय ते तुम्हारा कल्याण उसपर पहुंचे परन्तु यदि वुच् 
अयोग्य हाय तो तुन्हारा कल्याण तुम पर फिर आवेगा। 
९४ ओर जे कोाई तुन्हें ग्रहण नकरे ओर तन्हारी बातें 
नसुने जब तुम उस द्वर से अधवा नगर से बाहर जाओ 
अपने पांव को धुल क्काड़े । ९५ में तुन्हें सत्य कहताहेएं 
कि बिचार के दिनमें उस नगर से सदूम और अम्‌रा 
०... क्र हे हक. है. 
देश के लिये अधिक सहज होगा। 

९६ देखे में तुन्हें भेड़ाकी नाई हुंडारें। में भेजता- 

मन ९ 
है| इस लिये सप्पंके समान बुद्धिमान आर कपोत के 
नाई रूधे हाओ परन्तु मग्य्यों से चोकस रहे क्योंकि 
वे तुन्हें सभाओं में सेपेंगे आर तुन्हें अपनी मंडलियों में 
काड़े मारेंगे। ९८ जर मेरे कारण अध्यक्षों आर 

03 0 हक रे 3. ०८५ पी एन 3... 
राजाओं के आगे पकड़वाये जाआगे जिसतें उनपर 
और अन्यदेशियेां पर साक्षी हेववे। ९८ परन्तु जब वे 
तुम्हे सेंपें ता चिन्ता मन करिये कि उम किस रौोति से 
अथवा क्या कहें व्य/कि जे। तुम कहेगे उसो झड़ी तुन्हों 
७ कि नहों + 3. है 
दिया जायगा। २० क्योंकि तुम नहीं परंत तुम्हारे पिता 
० ७०». डे 

का आत्मा जे लुस्‍स्कें ह कहता हू । २९५ तब भाई भाई 
का ओर पिता पुत्र का द्यात के लिये सेंपेंगे अर बालक 
साता पिताके बिराध में उठेंगे और उन्हें बधन करवावेंगे। 


१० पब्बे ] मत्तो । ३९ 
२२ ओरर मेरे नाम के लिये सब तुम से बेर करेंगे परन्तु 
जा अंत्यलां सहेगा से मुक्ति पावेगा । 

२३ परन्तु जब वे तुम्ह एक नगर में सतावें ते दुसरे का 
भाग जाआ क्यांकि में तुन्हें सच कहताहे कि तुम इसरा 
ईल के नगरों में सबंचत नफिरागे जबलें मनुग्थका पुत्र न 
आले। २४ शिग्य गुरु से बड़ा नहीं न सेवक अपने खानी 
से। २५ बस है कि शिश्य गुरु के समान ओर सेवक अप 
ने खामी के तुल्य हेवे यदि उन्होंने छ्यर के खामी 
के बालजबूल कहा है ता कितना अधिक उसके 
परिवारों का कहछेंगे। २६ इसलिये उन से मत डरो 
क्योंकि काई बस्त छिपी नहों जे! प्रगठ नहेगी और 
: नगुप्त जो जानी नजायगी । २७ जो कुछ में तुन्हें अंधियारे 

में कहताहें उसे उंजिआले में कहे। ओर जे। कुछ तुम 
काने कान सुना काठों पर से प्रचारो । रू ओर 
देह के द्ात कांसे मत डरा जे। आत्मा का द्यात 
नहीं करसक्तोे परन्त निज करके उस्स डरा जा आत्मा 
का ओर देह के नरक में नाश कर सक्ता हैं। २ 
क्या एक अधेले के दे। चिड़िया नहीं विकतीं ओर 
_ बिना तन्हारे पिता केउनमें से एक भी भमि पर नहीं 
गिरेगी। ३० परन्त त॒म्हारे सिर के बाल लो सब ग्रिने 
| हुए हे । ३९ इसलिये मत डरे क्योंकि तम वहुतसी- 
 चिड़ियां से अधिक माल के हे। । ३२ इस कारण जे 


पक 


. काई मनय्यां के आगे सस्ते मानलेगा उसे में भी अपने 


। 
| 
| 


ह्र मत्ती । [९० यब्बे 
पिता के आगे जे। खगे में है, मानलेउंगा। ३३ परन्तुजेा 
काई मनय्थां के आगे मुस्से मुकरेगा उस्ते में भी, अपने 
पिता के आगे जे। खर्ग में है मुकरेंगा। 

३४ मत समझता कि में प्थिवी पर मिलाप करवाने 
के आयाहे में मिलाप करवाने के नहीं परंतु तलवार 
चलवाने के आयहे। ३५ क्योंकि में मनृय्य का उसके 
पिता से खैर कन्या के। उसकी माता से और पताह के 
उसकी सास से फूट करवाने आयाछें। र६ ओर मनुय्य 
के बेरी उनके द्यरही के लोग हेंगे जे माता अथवा 
पिताके मुस्ते अधिक प्यार करता है से। मेरे याग्य नहीं 
और जे! बेटा अथवा बेटीकोा मुस्मे अधिक प्यार करता 
है से मेरे येग्य नहीं। ९७ और जे अपने क्रश का 
उठाके मेरे पीछे न आवबे सो मेरे याग्य नहीं। ३८ जे 
आपने प्राण के बचाताहै से उसे गवांवेगा और जे मेरे 
निर्मित्त अपना प्राण गवांताहे सो उसे पावेगा । ३८ जो 
तुम्हे अद्दण करताहे से। मुझे ग्रहण करताडे और जे मुझ 
ग्रक्नण करता है से मेरे भेजने वाले के। उसे ग्रहण करता है। 
४० वुच्द जा भविश्यद्क्ता के नाम से भविय्यद्॒क्षा का ग्रहण 
करता है से। भविग्यद्क्षा का प्रतिकल पावेगा और जे 
धर्मी के नाम से धर्मी के ग्रहण करता हेंधर्मी का 
प्रति फल पावेगा। ४९ ओर जे काई इन छाटों में से 
एक को शिष्य के नाम से केवल एक कणोरा शितल जल 


पिलावेगा में तुन्हे सत्य कच्ताहें कि वुद्र किसी रौति 
से अपना प्रतिफल न खेवेगा । 


१९ ब्बेष ] मत्तो । ह्ह्‌ 
९९ ग्यारहवां पब्ने । 

९ और ऐसा हुआ कि जब यिशु अपने बारह शिव्यां 
के आज्ञा करचुका तब दृच्द वहां से चलागया कि उनके 
नगरे में स्खावे ओर प्रचारे। २ और येहन ने बंधन 
में मसिह् के काया के सनके अपने शिय्यों में से दे। के 
भेज कें। ३ उसे पुछवाया कि क्या जे आवने पर थे से 
आपकचैें अथवा उम दुसरे कौ बाट जोहें। ४ विश ने 
उत्तर देके उन्‍्हं कहा कि जाओ ओर जा कुछ कि 

हुम सुनते और देखते हे। से। येहन से कहे।। ४ अंघे 
इष्टि पाते हैं लंगड़े चलते हैं .काढ़ी पवित्र कियेजाते 
हैं बहिरे सनते हैं म्टतक जिलाये जाते हैं और कंगालों 
के मंगलसमाचार सनायाजाता हे। ६ और धन्य वह 

7 मेरे कारण ठाकर नखावे। 

७ उनके जानेके पीछ यिश येाहन के बिषय में मंड- 
लियों के कच्दनेलगा कि बन में तुम क्या देखने का 
निकले क्या एक नरकट पवन से हिलताहुआ ?!। ८ फेर 
क्या देखने के बाहर निकले क्या कामल वस्ल पहिनेहूए 
मनुस्थ के ! देखा जे। कोमल पहिनते हैं से राजभवन 

में हें। ८ परन्तु क्या देखने के बारह निकले क्या एक 
_ भ्रविश्यद्कक्ाका ! हां में तुन्हे कहदताहे। कि एक भविश्यद्क्ना 
। 'स्षेश्रष्ट ९० क्योंकि यह बुच्द हे जिसके बिशय में लिखा है 
कि देखे मैं अपना ढूल तेरे आगे भेजताहें जे। तेरे 
_म्राम के तेरे आगे सधारेगा। ९९ में तुन्हे सत्य कचता- 


३४ मत्ती । [१५९ पत्ते 
हें कि लोंबंसों मे से काई याहन खानकारक से बड़ा 
प्रगट नहीं हुआ तिसपर भी जे खग के राज्य में अति 
कप रे बे रे बे स्तर जे 
काटा ह सा उस्मे बड़ा हक्‍ । ५२ आर याहन सखानकारक 
32 हि 3. छि ५ 
के दिनों से अबलें खगका राज्य बल सहता है ओर 
क्र ह कि 
बलवन्त उसे ऋषटके लेता हैे। ९३ क्यांकि सारे भवि- 
व्यद्रक्ता आर ब्यवस्था ने याहन लें भविष्य कचहा। ९४ 
और यदि तुम ग्रहण किया चाहे। ता इलिया जा आने 
ही ब्र ७ ले 
पर था सा यही ह। ५५ जा सन्ने के कान रखता है से 
सने। ९६ परन्तु में इस पीढ़ी का किस्मे उपमा दे 
कर क्षां ० उन - पी. 2५०3 > हो... बकरे संगि 
ब्ेउन बालकों के से हैं जा हाटोंमें बेठ के अपने संगि 
योंके पुकारते हैं। ९७ और कहते हैं कि उम तुच्हारे 
लिये बांसली बजायेकिये और तुम न नाचे हमने तुन्हारे 
लिये बिलाप किया ओर तुम नराए । ९८ क्योंकि या- 
हन खाता पिता नहीं आया और बे कहते हैं कि उसमें 
पिसाच है। ९८ मनुख्य का पुत्र खाता पिता आया ओर 
७०१९५ 2: ५ ० 
वे कह तेहें कि देखो एक भाजनी ओर मद्यप करयग्राइकों 
और पापियों का मित्र परन्तु वृद्धि अपने पुत्रों से नि 
क् ५ 
दोष ठहराई गई है। 
०७ ० कप 

२० तब जिन नगर म॑ उसने बहुत पराक्रम दिखाया 

७ ०0 ७ कर पलक वि वि प 
उन्हें आरहना देनेलगा क्योंकि वे न पकताए। २९ हे 
कर. रजौन बह के ७ 
कॉरजोन हाय तुकपर हे बतसदा हाय तुकपर क्यांकि 
जो पराक्रम पुसमें प्रगट हुऐ यदि सर आर सेदा में 
प्रगट हे।ते ते वे बहुत दिन से टाट और राख में पक- 


| 


९९ पब्बे ] मत्ती । श्पू 


ताते। २२ परन्तु में तुन्‍्हे कदहताहें। कि बिचार के 
दिन में सर ओर सेहा के लिये तुमसे अधिक सहज 
२०९ कब. वीक 65 3 ६ 
होगा । २९ और हे कपरनाह्म जे खग लों बढ़ाया 
4 ७2५ स्का कि 5. 

गयाहे नरक लें गिराया जायगा क्योंकि जे। पराक्रम 
तुम्कम प्रगट हुए यदि सदूम में प्रगट कियेजाते ता वच् 
आजलों बना रहता। २४ परन्त में तन्‍्ह कच्ता हे कि 
न्याय के दिन में सदूम के देश के लिय तुत्यमे अधिक सहज 
हेगा। 

२५ उस समय में यिश्षु ने उत्तर देके कहा कि हे 
पिता खर्ग और एथिवी के प्रभु में तेरा धन्य मानताहें 
इस कारण कि तने इन बातों को बुद्धिमानां आर चतुरों 


से ग॒ध्त रक्खा ओर उन्हें बालकों पर प्रगट किया। हां 
_ हे पिता ऐसा हेने में तुमे अच्छा लगा। २६ सब कुछ मेरे 


पिता मुब्हे सौंघा । २७ पिता को छोड़ काई पुत्र को नहीं 
जानता ओर पएुत्र को छोड़ काई पिता को नहीं जानता 
मे. हे किया 

ओर वहो जिस पर पुत्र उसे प्रगट किया चाहे। र८ हे 


सारे लागा जे। थक्के आर बड़े बाक से दबेचे! मेरे पास 


आओ आर में तुम्हे सख देउंगा । २८ मेरा जआाअ - 
 पने ऊपरं लेआ और मुम सोखे। क्योंकि में कोमल और 
| झन में होन हों ओर तुम अपने अपने प्राणों में सुख 
रे ि गआग। २० क्योंकि मेरा जञआ सहज आर सरा बाक 
 इलुक है। | 





३ मत्तीं । [९२ पत्ते 


९२ वारहवा पब्बे । 

. उस समय ईसा विश्वाम के दिन अन्न के खेतों में हे।के 
चला जाता था आर उसके शिष्य भूखे हे।के बाल का तोड़ 
तोड़ खानेलगे। २ परन्तु फरूसियों ने यह देखा उन्हें 
कहा कि देखिये जे काव्य बिआम के दिन में करना 
याग्य नहीं से आप के शिगव्य करते हैं। ३ परन्तु उसने 
उन्हें कह्ा कि अपने साथियों समेत जब दाऊद भु- 
खा था उसने क्या किया क्या तुमने नहों पढ़ा । ४ उसने 
क्याकरईश्र के मन्दिर में जाके भेंट की राटो का 
खाई जेउसे और उसके मंगियें के खाना याग्य नथा 
परन्तु केवल याजकों का !। ५ अथवा क्या तुम ने ब्यजस्था 
में नहीं पढ़ा कि याजक बिश्राम के टिनें में मन्दिर में 
बिआम का आदर नहीं करते और निद्ष हैं !। € 
परन्तु में तुन्हें कहता हे। कि इस स्थान में एक मन्दिर 
से भी एक बड़ा है। ७ परन्तु यदि तुम इसका अर्थ जाने 
होते कि, में दया चाहताहें ओर बलिदान नहीं, ते 
निदोषियों का दोषी न ठच्राते । ८ क्योंकि मनुय्य का 
शुच विश्वाम दिन का भी ग्रभ है। 

€ और वृचद्द वहां से सिधार के उनकी मंडली में 
गया। ९५० ओर देखे कि वहां एक सनुम्य था जिसका 
हाथ रूख गया था और उन्हें। ने उसपर देाष लगा 
के लिये उसमे यह कहके पक्का क्या बिआम दिनों में चंगा 
करना याग्य €!। ९५५ तब उसने उन्हें कहा कि तश्म 


९२ पब्वे]'  सत्तोक झछ 


कै ऐसा मनृग्य है जिसके एक भेड़ द्राय ओर यदि 
वह बिश्वाम के दिन गड़हे में गिरपड़े क्या वक्त उसे 
पकड़ के बाहर न निकालेगा !। ९२ फेर मनुय्य भड़ से 
कितना भला है इस कारण विश्वाम दिनों में भला 
करना याग्य है। ९३ तब उसने उस मनृव्य के कहा 
कि अपना हाथ बढ़ा उसने बढ़ाया ओर वृच्द दूसरे के 
समान नो राग हेगया। १५४ तब फरोसियें ने बाहरु 
जाके उसके बिराध में सभा किई कि उसके किस 
रोतिसे नाश कर। 

शध्‌ परन्तु यिशु यह जान वहां से जाता रहा ओर 
बड़ी बड़ी मंडली उसके पीछ पीछ गई और उसने उन 
सभों के। चंगा किया। ९५६ गऔर उन्हें आज्ञा किई कि 
मुभ्के प्रगण मत करे । ९७ जिसतें वच बचन जे। अशाया 
भविश्यदक्ता के द्वारा से कहा गया था परा हेवे। श्दढू 
कि देखे मेरा सेवक जिसे में ने चुनाहै मेरा प्रिय 
जिसपर मेरा मन अति प्रसन्न है जिसपर में अपना 
आक्ा रकक्‍्लेंगा और वुद्द अन्य देशियां पर न्याय प्रगट | 
करेगा। ९८ वह न कगड़ेगा न चित्लायेगा और मांगों * 
से “काई उसका शब्द न सुनेगा। २० वह कुचलेहुए 
नरंकट के न ताड़ेगा और घतरां उठतेहुए सन का न 
बुआवेगा जबले न्याय के जय ले न पहुंचावे। २९०7 

7र उमस्के नाम पर अन्यदेशो आशा रक्लेंगे। 
श्र तब लेग एक अंधे गृंगे पिशाच ग्रस्त के। उस पास 

4 






हद मत्ती। "रे फल 


लाये और उसने उसे चंगा किया यहांलां कि वह अंधा 
गूंगा देखा और बाोला। २३ और सारे लेग आअ्ययित 
हे।के बाले कि क्या यच दाऊद का पुत्र नहीं है !। २४ 
परन्तु जब फरी सियें ने सुना वे बाले कि यह पिशाच 
के राजा बालजबल बिना पिशाचो का दूर नहीों 
6" क& पर ७७ 
करता। २४ जर यिशु ने उनकी चिन्ता जानके उन्हें 
कहा कि जे। जा राज्य अपने बिराध में दे! भाग हेवे 
से। से उजाड़ हे।ता है अर जे। जे नगर अथवा घर 
अपने बिराध में दे भाग होवे सा सा स्थिर न 
डर ५ 
रहेगा। २६ और यदि शेतान शेतान के दूर करे ता 
व॒ुद्द अपने बिराध में बिभाग हुआ फेर उसका राज्य 
क्योंकर स्थिर रहेगा। २७ और यदि में बालजबल से 
पिशा्चे के। दर करताहें ता तुम्हारे पुत्र किस्छेदूर 
कक, ५. ७ 08७ ५ कु 2, 
करते हैं! इसलिये वे तुम्हारे न्यायी होंगे। र८ परन्तु 
यदि में ईश्वर के आत्मा से पिशाचें का दूर करता हें 
ता ईश्वर का राज्य तुम ला पहुंचा है। २८ नहीं ते 
$ डे ५ 
केाई एक बलवन्त के घरमें क्योंकर पठ सके आर 
रे के. कक बाप ) 
उसकी सामग्री के लूटे जबलों पहिले वह उस बलवन्त 
का 0. कर. का 
के न बांधे! और तब वुद् उसके घर का लंटेगा। ३० 
जा मेरा साथी नहीं से। मेरा बेरी है और जो मेरे 
साथ नहों बटारता से। बिधराता है। ३९ इसलिये 
में तुन्हें कददता है| कि मनुय्य के लिये समस्त प्रकार का 
रे दि 
पाप आर अपनिन्‍दा क्षमा किई जायगो परन्तु आत्मा 


९२ पब्ब] मत्ती। श्ढ्‌ 


की अपनिन्‍्दा कमा न किई जायगी। ३२ और जे 
काई मनुृव्य के पुत्र के बिराध में बात कहे वद् उसके 
लिये क्षमा किई जायगी परन्तु जे! धमात्मा के बिरेध 
में कहेगा दह उसके लिये क्षमा न किई जायगी न इस 
लाक में न पर लाक में। ३३ पेड़ का अच्छा करो 
और उसके फल के। अच्छा अथवा पेड़ के बुरा करे 
और उसके फल के बरा क्योकि पेड़ फल से जानाजाता 
हं। ३४ हे सप बंशिया तम बुर होाके क्याकर भला कह्चि 
सह्हे ? क्यांकि मनको भरपरी से मंह बालताह। ३४ 
उत्तम मनुय्थ मन के उत्तम भंडार से उत्तम बस्त बाहर 
निकालता है आर अधम मनस्य मन के अधम भंडार से 
आअधम बस्त बाहर निकालता हें। ३६ परन्त में तुन्हें 
कहता हों कि हर एक ब्यथ बचन जे। मन॒य्य कहते हैं 
बिचार के दिन में उसका लेखा देंगे। ३७ क्याकित्‌ 
आपने बचन से निोष ठहरेगा और अपने बचन से 
'दाषी ठद्दर जायगा। 
_ हृष् तब कई एक अध्यापकां ओर फरोसियों में से 
उत्तर देके कदनेलगे कि हे गुरु हम आप से एक लक्षण 
देखा चाहते हैं। ३८ परन्त उसने उन्हें उत्तर देके कहा -: 
कि एक बुरो आर ब्यभिचारी पोढ़ी लक्षण ढूंढ़तोह . 
हि युनस॒ भविष्यदक्ता के लक्षण का छाड़ उन्हें काई 
लक्षण न दिखाया जायगा। ४० क्यांकि जिस रोतिसे 
_युनस तोन रात दिन मछली के पेट में था उसी रौति से 





४०- मत्ती। . [९२ पब्ब 


मनुष्य का पुत्र तौन रात दिन घरती में रह्ेगा। ४९ 
ननिवो के लाग न्याय के दिन में इस पीढ़ी के संग 
उठेंगे और उन्हें देषी ठचरावंग क्यांकि वे युनस के 
आर 55. ० कण 3० पी प कक 
उपदेश से पकताये आर देखा कि य॒ुनस से भो बड़ा 
यहां है। ४२ दक्खिन की रानो इस पीढ़ी के संग न्याय 
के दिन में उठेगी ओर उन्हें देषो ठचरावेगी क्योकि 
व॒द्द एथिवीं के अंत्य सिवाने से सुलेमान का न्ान सुन्न 
० ५ ० 0 5७ ० * 
के आई और टेखेा कि सुलेमान से भो बड़ा यहां है । 
३ 
४३ जब अपविच्र आत्मा मनुय्य से निकल जाताह 
हक ह ७ ६ मी 8 ५ 
वुह रूखे स्थांन में जा जा के बिश्वाम ढूढ़ता फिरताह 
५ डर ह २ ५५ ०“ “व 
आर नहीं पाता। ४४ तब वृद्द कहताह कि में अपन 
के थ ५ लक ७. ५ बे 2७ हु 
घर मं, जहां से निकला, फर जाऊंगा आर आके उसे 
५ 
रूना और क्काड़ा सुधारा पाता है। ४५ तब वह 
जाताहै और अपने संग और सात आत्मा के लेताहै 
जे उस्समे अधिक दुष्ट हैं आर वे भीतर जाके बास करते 
हैं तब उस मनुय्य को पिछली दशा अगिली से अधिक 
बुरी होतीहे इसी रोौति से इस समय के दुष्ट पीढ़ौ 
की भो होगी। 

४६ जब वुद्द लागें। से कद्दि रहा था उसकी माता 
और उसके भाई बाहर खड़े हुए उस्मे बात करने 
चाइतेथे। ४७ तब किसी ने उसे कहा कि देखिये आप 
की माता और आप के भाई बाहर खड़ेहुए आप से 
बातें करने चाहतेहैं। ४८ परन्तु उसने उसे उत्तर देके 


३ पब्बे] मत्तो । ४९ 


मे 
कहा कि कान है भेरी माता? जैर कोन है मेरे 
भाई ?!। ४८ तब उसने अपने शिषय्यों की ओर अपना 


_ हाथ बढ़ा के कहा कि देख मेरो माता ग्ार मेरे 


भाई। ५४० क्योंकि जे काई मेरे खर्गीय पिता कौ 
इच्छा पर चलताहें सेई मेरा भाई और बहिन जार 
3२ 

माता है। 
द ९३ तेरहवां पब्बे। 

९ उसौ दिन यिशु घर से निकल के समुद्र तौर जा 
3२ । | | ४ 
बेठा। २ और बड़ी बड़ो मंडली उसके पास एकट्टी 

ः /५ हर जे 0 
हुई यहां ला कि वृद्द एक नाव पर चढ़ बेठा आर सारीो 
मंडली तौर पर खड़ी रही। ३ ओर वह उन्हें बहुत 
सो बात दृष्टांतां में कहीं । 

5: कट ७ ४७७ 2७ “+ हा 

४ देखे एक बोवेया बाने के निकला ग्रार 

"58% ७ शक. ९: + 2३ + 0, 
उसके बाने में कुछ माग कौ अलंग गिरे और पंछियें 

हि ; ५ 
ने आके उन्हें चुग लिया। ५ कुछ पत्थरली भूमि पर 
गिरे जहां उन्हेंने गहिरी मिट्टठौ नपाई जऔैर उनके 
अंकुर निकले इस कारण कि उन्होंने मिट्टी की गहिराई 
223, 70: ७... ० 

नपाई। ६ चर रूये उदय हेने से वे ब्लॉस गये और 
; हल. 4 0. ही. 
जड़ नरखने के कारण मुरभ्का गये। ७ और कितने 


_क्लांटोंमें गिरे ओर कांटे ने बढ़के उन्हें घाट डाला। 
_ ८ परन्तु कितने अच्छी भूमि में गिरे ओर बालें लाये 
कितने ते सा गुने कितने साठ कितने तौर गुने। 
€ सुन्नेके लिये जे कान रखते हैं से सुनें। 

४ 


श्री 
ह 


५ 


४२ मत्ती । [९३ पब्ब 


९० तब शिष्यों ने आके उसे कहा कि आप उन्‍हें 
0०५ » प्यण७. ० कक 202 पर श्‌ है जा सा ध्आक 
दृष्टांतां मं क्या कचते हं !। ५५ उसने उत्तर दके उन्ह 
कहा इस कारण कि तुन्हें खगे के राज्य का भेद जाज्न 
के दिया गयाहैे परन्तु उन्हें नहीं दिया गया। ९२ 
के नह थ ञ्ररे 
क्यांकि जिस पास है उसे दिया जायगा आर उसकी 
अधिक बढ़ती होगी परन्तु जिस पास नहीं है उस्से 
वह भो जे। उस पास है लिया जायगा। ९३ इसलिये 
जे के ७ + ७ आर + १३: हक कर . 5 आप 
में उन्‍ह दृष्टांतांम कहताहां जिसत देखते हुए वे न 
०५ ०५ ०० जे छ्+ 3 
देखें आर सुनते हुए न सुनें आर न समझो। ५४ ओर 
उनपर यिशाया की भविय्य कही हुई बात प्री हुई 
कु ५ 
कि सुनते हुए तुम सुनागे पर न समभक्कोगे आर 
9०७. लक. “३८ कला" कर ७ 
देखतेहुए देखाग परन्तु न रूभककगा। ९५४ क्याकि इन 
छा  भी फक. + ५ 6 ५ 3, च्हें 
लागों का मन माटा है और कानों से ऊंचा सुनते हैं 
ओर अपनी अंखें उन्होंने मंह लियाहें नहे। कि वे कभी 
मय लो 30 ला ०5० मी क आ8... 8: ७७ 
आंखे से देखें आर कानों से सुनें आर मन से समकओं 
५ ०७ ०० ७ + *॒ 5० 
ओर फिरजाय आर में उन्हें चंगा करों। ९६ परन्तु 
नि + >> 0 है 72 
धन्य तुम्हारी आंखें क्योंकि वे देखतोहें ओर तुन्हारे 
अप ७५ & ०३० 
कान कि वे सुनते हैं। ९७ क्याकि में तुमसे सच 
थे वे ० ७ जे ४०3... अप टी आ 
कचहताडे कि जे तुम देखते आर सुनते हे से बहुत 
िकच ० >> अल. अधिक पक  । |& 
से भविय्यदक्कों आर धमियेंन देखने आर सुन्न चाहा 
> ० 3 
पर उन्हेंनने न देखा ओर न सुना । 
९८ इसलिये तुम बोबेये का दृष्टांन्त सुने । ९८ जब 
बन्द मं रे रो 
काई उस राज्य का बचन सुनताह आर नहीं समक्कता - 


३३३ पर्व] मत्तो। ४३ 


ने ०३ शक इक आर 5 कर 
तब वुच्द दुष्ट आता है आर जे कुछ उसके मनभ बोया 
। ५ ण ८ 
गया था छीन लेताह यहध वह्दौ ए जिसने माग को 
अलंग बोज के। पाया। २० परन्तु जिसने बौज केा 
रु 3 ५ 
पत्थरली भूमि में पाया से वहीं है जे। बचन के 
जे जे. ५ 
सुनताडे ओर तुरन्त आनन्द से ग्रहण करताहे। २९ 
तिस पर भी उसमें जड़ नहों होतो परन्तु तनिक भर 
५ 3 
ठचद्दरता हे क्येककि जब उस बचन के कारण ताड़ना 
् जे 3] 
और कष्ट होताहे तुरन्त वृद्द ठोकर खाता है। २२ 
वुद्द भी जिसने बीज के कांटों में पाया वच दे जे। बचन 
३५ २ न्‍ जी 
के सुनताहे ओर इस संसार को धंधा आर धन का 
५ से 
* कुल बचन के घोंट डालता है ओर वृच्द निष्फल 
२ वा; 
हेताहे। २३ परन्तु जिसने बीज के अच्छी भूमि में 
| ५ न के 
| पाया से यह है जे बचन का सुनताह ओर सममककतता 
पर न ०२ कक को आर 5५ 
| हु आर फलताहे कितने ते सो गुने कितने साठ 
कितने तौस । 
कक ०७ अर €्‌ 
२४ उसने उन्ह आर एक दृष्टान्त कहा कि खगं का 
ह । डे 9 5९, ० 35 कक 
राज्य एक मनुय्य के तुल्य ह जिसने अपने खेत में अच्छा 
|| बे 
बोज बाया। २५ परन्तु जब लेग सोगये उसका बोरा 
९ | दे हक + ०७ 983 ' 
आया ओर गोहूं में बन बौज बाके चला गया। २६ पर 
02 + २ $ लगीं 
 ज़ब अंकुर निकला आर बालें लगीं तब बन बौज भी 
_ दिखाई दिये । २७ तब उस गुइस्थ के सेवकों ने आके 
क्‍ । | ४ द है 246 5 2 ;: 
_ उसे कहा कि हे खाने क्या आपने अपने खेत में अच्छा 
' नहीं हक. | ५ 
_ बीज नहीं बाया था! फेर उसमें बन बौज कहांसे 


(पे 


|| 





४४ मत्ती । [९५३ पन्बे 


१० कि ब्र५ 
आये ?। श्८ उसने उन्हें कहा कि किसी बेरी ने यह 
५ हे 
किया है सेवकां ने उसे कहा कि यदि ईच्छा हाय ता 
१:2० 38.4 हि/े ५ 8५ ज२ुफ 
हम जाके उन्हें उखाड़लेवें !। २८ परन्तु उसने कहा कि 
जे चर य लक. & ७ आज लक 
नहीं नहा कि बन बोज उखाड़ते हुए उनको संग गाह् 
भी उखाड़ लेआ। ३० कटनी लॉ देानेाके। एकट्े बढ़ने 
७ ७३० _ ०३७० & 
ढेये। और कटनी में में लवेयेंके कहेंगा कि पहिले 
बन बीज का एकट्टले करे ओर जलाने के लिये उनके 
०० ञज ००७ ० 82 अं, 2, के... २२७ ०७ पल 
गट्ढें बांधा परन्तु गोल को मेरे खत्ते में बटारोा। 
पे ७ + च्यैग €ः 
३९ उसन उन्हें एक ओर दृष्टान्त कहा कि खग का 
३ बे १७: 0 5. 2 
राज्य एक राई के तुल्य है जिसे एक मनुय्य ने लेके अपने 
खेत में बोाया। ३२ वृच्द ता सब बीजों से छाटा है परन्त 
0. कह) 8. कक5> कक हे जज है: ७ 
जब बढ़ा ता तरकारियों से बड़ा होता है शेर ऐसा 
पेड़ हाताहै कि आकाश के पंछी उसके डारें पर आके 
बसेरा करतीं हैं। 

३३ उसने उन्हें एक और दृष्टान्त कहा कि खर्ग का 
राज्य खभोर के तुल्य है जिसे किसी सती ने लेके तौन 
सेर पिसान में छिपाया यहां लें कि रब खमीर हेा 
गया। ३४ यह सब बातें यिशु ने मंडली के दृष्टांतें में 

कहां सैगर $ 
कहीं और बिन दृष्टांत से वृद्द उत्मे न बोलता था। ३५ 
जिसतें जे। बचन भविग्यदक्ता के दारा से कहागया था 
3 च ५५ + + ० + 
से प्रा हेवे कि में अपना मंच दृष्टांती से खेलोंगा मैं 
उन बसखुन का, जे। जगत्‌ के आरंभ से गुप्त रक्लीगई थीं 
प्रगट करोंगा। 





५३ पब्ब] मत्ती। 8५ 


_ ३६ तब यिशु मंडलोी के। बिद्ाय करके घरमें गया 
और उसके शिव्यें ने उसपास आके कच्दा कि खेतके बन 
बीज के दृष्टांत का अथ हम से कौजिये। ३७ उसने 
उत्तर देके उन्हें कहा कि जे। अच्छा बीज बाता है से 
मन॒य्य का पत्र है। ३८ व॒द्र खेत जगत है अच्छा बीज 
राज्य के बालक हे परन्त बन बोज दुष्ट के सन्तान 
है। ३८ जिस .बेरी ने उन्हें बाया से। शेतान है कटनी 
जगत का अंत है और लवेये दूत छे। ४० से जेसे बन 
बीज बटारे जाके आगम जलाये जातेहें ऐसाही इस 
जगत के अंत में हरगा। ४९ मनुय्य का पुत्र अपने 
इतोंका भेजेगा और वे उसके राज्य में से सारे ठो।कर 
| खिलानेवालों और बुराई करनेवाले के। बटोरेंगे। ४२ 
और उन्हें आगके कुंड में डाल ढेंगे जहां रोना और 
दांत पीसना ह्रोागा। ४३ तब धर्मी अपने पिता के 
राज्य म रूय के तुल्य प्रकाश होंगे जे काई सुन्नके कान 
रखते हैं से सुनें। 
४४ फेर खग का राज्य खेत में छिपे हुए धन से तुल्य 
है जब मनुव्य उसे पाता है उसे छिपाता है और उसके 
आनन्द के मारे जाता है और अप्रना सब कुछ बेचके 
उस खेत के। माल लेता हे। 

. ४४ फेर खग का राज्य एक बपारीं के तल्य हे जा 
| चाखे चाखे मातियें का ढूंढ़ता हं। ४६ जिसने जब 
' बड़े मेल के एक माती के। पाया था जाके अपना सब 

कब बचके उसे माल लिया। 


8६ मत्ती। [९३ पब्बे 


४७ फेर खग का राज्य एक जाल के तुत्य है जे 
. समुद्र में डाला गया आर हर प्रकार की बटारी। ४८ 
जब वुचद्द भरगया वे तौर पर खेंच लाये ओर बेठके 
अच्छी अच्छी के पात्रों में बटारा परन्तु बुरी बुरी के 
फेंक दिया। ४८ जगत के अन्त म॑ ऐसाही होगा दूत 
निकलेंग ओर दुष्टांका धमियों में से अलग करेंगे। ५० 
और उन्हें आग के कुण्ड में डाल दंगे जहां राना और 
दांत पौसना हेगा। 

९ थिशु ने उन्हें कहा क्या तम ने ये बात समझकीं! 
उन्होंने उसे कहा कि हां हे प्रभ। ५२ तब उसने डन्‍्हें 
कहा इस लिये हर एक अध्यापक जिसने खग के राज्य 
के लिये उपदेश पाया है एक गहस्थ परुष के समान है 
जा अपने भंडार से नई ओर पुरानी निकालता है। 

४३ ओर यों हुआ कि जब यिशु ने इन दृष्टांतां का 
समाप्त किया वृह् वहां से चला गया। ५४ और जब 
वह अपने देश में आया उसने उनकी मंडली में ऐसा 
उपदेश किया कि वे अचंभित हेके बाले कि यह ज्ञान 

और आशय कम इसे कहां से हैं। ५४ क्या यह बढ़ई 
. का बेटा नहीं?! क्या उसकी माता मरियम नहीं 
कहाती ! ओर उसके भाई याकूब और यज्ा और 
शोीमन ओर यिहूदा !। ५६ ओर उसकी बहिनें कक्ष 
सबकी सब हमारे संग नहीं ! फेर इसने यह सब कहां 
से पाया !। ५७ और उन्होंने उस्मे ठोकर खाया तब ई 


९४ पब्बे] मत्ती । ४७ 


यिशु ने उन्हें कहा कि भविश्यदक्ता बिना आदर नहीं है 

परन्तु केवल अपनेद्ी देश में आर अपनेही घर में। 

धू८ ओर उसने उनके अबिश्वास के कारण बहुत आअ्ये 

कस्स नहीं किया। 
९४ चैदहरवां पब्बे । 

' ९ उस समय में राज्य के चाथाई के अध्यक्ष हिराद 
ने यिशु की कीत्ति सुनी। २ ओआर अपन सेवकों से 
कहा कि यह येहन खान कारक हैं वुच् मत्यु से जौ उठा 
है इस कारण आशय्यथ कम उस्म प्रगट हेते हैं। ३ 
कक हिराद ने अपन भाई फिलिप को पत्नी हिरो- 

दिया के कारण येहन के पकड़ के बंधन में डाल 
'हिया। ४ क्योंकि याहन ने उसे कहा कि तुझे उसे 
रखना योग्य नहीं है। ५ आर जब से वधन करने 
' चाहा बुच्द मंडली से डरा इस कारण कि वे उसे भविष्य- 
इक्ता जानते थे। € परन्तु जब हिराद के जन्मदिन का 
आनन्द हेनेलगा हिरादिया की पुत्री उनके मध्य में 
_ नाची गैर हिराद के इणषित किया। ७ तिसपर 
| उसने किरिया खाके प्रण किया कि जे। कुछ वुच्द मांगेगी 
इसे देडंगा। ८ चर जेसा उसकी माता ने आगे से 
उसे कह्दि रकखा था वसा वुद्द बाली कि थयेहन स्ान- 
कारक का सि्रि एक थाल म॑ मुझे दोजिये। ८ तब 
। राजा उदास हुआ तथापि किरिया के और लेवनहरि यों 
॥ प के कारण उसे देने की आज्ञा किई। ९० और उसने 





८ मत्ती । [९४ पब्मे 
भेजके बंधन में वाहन का सिरि कटवाया। ९९ ओर 
उसका सिर एक धाल में पहुंचाया जाके उस कन्या का 
दिया और वृुद अपनी माता पास लेगई। ९२ और 

० ५ 
उसके शिव्यां ने आके धड़ के उठा के गाड़ दिया और 
जाके यिशु से कच्ा। 

९३ जब विशु ने सुना ता वहां से नाव पर हेाके एक 
अरण्प स्थान में अलग गया ओर लेग सुना के नगरों 
बे चर & 5 है. कक, ० 3 
से निकल वो पांव पांव उसके पीछ चले गये। ९४ ओर 

के ७. ० ब्गे लक 5. ५ 
येैशु ने बाहर जा के एक बड़ी मंडलो के। देखा ओर 
० 5 शक 7. ७... "लक कफ त औ 
उनपर दयाल हुआ अर उनके रागियोां का चगा 
५ डे द 
किया। ९५ और जब सांम हुई उसके शिय्यों ने उस 
पास आके कहा कि यह अरण्य स्थान है समय भी बीत 
गया मंडली का बिह्ा करिये जिसतें वे गांओं में जाके 
सा कर कर, पक ० किसकी... २. ०. 
अपने लिये भाजन माल लेवं। ९६ परन्तु यिशु ने उन्हें 
कहा कि उनके जानेका प्रयाजन नहीं त॒म उन्हें खानका 
देशेां। ९७ तब उन्होंने उसे कहा कि हमारे पास यहां 
२ 002६, « ०७ रे छलियां कप 
केवल पांच राटियां ओर दे। म हैं। ९८ उसने 
2298: 2५ मैड जप 5 + ४ 0 
कहा कि उन्ह मेरे पास लाओआं। ९५८ तब उसने मंडली 
ओर :3 कलर डर 2 ७ अं: कर 
का घास पर बठ ने को आज्ञा किई और पांच रेोटियों 
और दे। मक्लियें के लेके उसने खगे की ओर दृष्टि 
7 थी] शिय्यों 
किई और आशीष देके राटियां का ताड़ा आर शिव्यों 
है. 9 जिस्म न 
का दिया आर शिव्यां ने मंडली का। २० ओर सब 

७७ बे हर ५ हु 

खाक तुप्त हुए आर बच हुए चर चार से उन्हें ने बारह 


९४ पब्बे] मत्तो । 8८ 


टेकरियां भरीं उठाई। २९ सो स्त्रौ आर बालकों 
का छाड़ खानेवाले पांच सचख पुरुष थे। 

२२ जिसते वुद्द मंडलियें का बिदा करे यिशु अपने 
आगे अपने शिष्यां का पार जाने कौ आज्ञा किई। 
२३ और जब वुचद्द मंडलियां के बिदा करचुका वुच्द 
प्राथना के लिये एक पचद्ाड़ पर अलग चढ़गया ग्ार 
जब सांक हुई व वहां अकेला था। २४ परन्तु नाव 
समुद्र के मध्य लहरों से डगमगाती थी क्यांकि बयार 
उलटो थो। २३ आर रात के चेथे पह्दर में यिशु 
समुद्र पर चलते चलते उन पास आया। २६ ओर जब 
शिष्यां ने उसे समुद्र पर चलते. देखा ता घबरा के 
कहने लगे कि प्रत है और मारे डरके चिज्लाये। २७ 
(तब यिशु ने तुरन्त उन्हें कद्दा कि सुस्यिर होओं में हों 
मत डरां। २८ तब पथर ने उत्तर देके उसे कहा कि 
है प्रभयदि आप हैं ते मुझे पानी पर आप पास आने 
की आज्ञा कोजिये। २८ तब उसने कहा कि आ 
और पथर नाव पर से उतरके यिशु पास जाने के 
लिये पानौ पर चलनेलग।। ३० परन्तु जब उसने देखा 
_कि बयार प्रचंड है वुद्द डरगया चर डबते डूबते चिह्ना 
के कंहा कि हे प्रभु मुझे बचाइये। ३९ तब विशु ने 
तुरन्त हाथ बढ़ाया आर उसे पकड़के कद्दा कि हे अल्प 

_ बिश्यासों तुने क्यों सन्‍्हें्ठ किया !। ३२ ओर जब वे 


नाव पर आये बयार थम गई। ३१ तब वे जा नाव 
; 5 


धू० मत्तो । [१५ पब्वे 


पर थे आके उसे दंडवत करके कच्दनेलग कि आप 
ईश्वर के पत्र हैं । 
५ 3. कर ० के 

३४ आर जब वे पार गये तव नेसरत के देश में 
पहुंचे। २५ और जब वहां के मन॒य्था ने उसे जाना 

वा किक का... ०५५७५. अाक हक. बे ० 
उन्हों। ने उस देश की चारों आर भेजा और सारे 
रेागियां के। उस पास लाये। ३६ और उसकी बिनती 

हि ७ » ५ 
किई कि केवल उसके बस्तर का खंट छवें ओर सारे 
छनेवाले निरधार चंगे हेगये। 
९५ पंद्रहवां पब्बे । 

९ तब यिराशलौनम के अध्यापकां और फिरुसियां 
जे यिशु पास आके कहा। २ किआप के शिष्य प्राची नां 
८ ०. ७७ ० ० + ३५० _+३५ कु 
के व्यवहार का क्या उलंघन करत हैं क्योंकि भाजन 
खाते हुए वे हाथ नहीं धाते। ३ पर उसने उन्हें उत्तर 
देके कहा कि तुमे भी क्या अपने व्यवहार से ईश्वर कौ 

जे + हक. 2५७ विक 
आजा का उलंघन करतेहे !। ४ क्याकि ईंशर ने यक् 
कहिके आज्ञा किई कि अपनी माता पिता का सन्मान 
कर जआर जे। माता अथवा पिता का घिक्कारे सा प्राण 
से मारा जाय। ४ परन्तु तुम कचइ्ते हो किजेा काई 

हर है ६... जा +&> जज 
- माता पिता का कहे कि जा कुछ तुझा मुस्मु प्राप्त होना 
' था से भेंट किया गया। ६ से अपनी माता अथवा 
पिता का सनन्‍्मान नकरे इस रौति से तुमने अपने 
ब्यवद्दार से ईश्वर कौ आज्ञा का ब्यथ किया। ७ अरे 
कपटियेा यिशाया ने तुन्हारे बिषय में ठौक भविष्य 


२थू पबन्‍्ब] मत्तो । ५९ 


कहा। ८ कि ये लेग अपने मुंद से मेरे पास आतेहें 
और हेंटों से मेरा सनन्‍्मान करतेहें परन्तु उनका मन 
कट ० है 
मुस्ये दूर है। ८ पर त्रे बुधा मेरा सेवा करतेहें कि 
ह 6: ०० + नो्‌ 

मनुष्यों की आज्ञा का उपदेश करतेहें। ९० तब मंडल 
जा 5३ ४३९४ हा 73 की, हक 
का बुलाके उन्‍ह कहा कि सुने और समक्का। ९९ जे 
मुंह में जाती है से मनुव्य के अशुद्ध नहीं करती 
परन्तु जे। मुंह से निकलती है से मनुय्य का अशद्ठ 
करती है। 

९५२ तब उसके शिव्या न आके उसे कहा कि 

० क५ न्‍ कलर 
आप जानते हँ कि फिरुसो यध बचन सुनके उदास 
' 

हुए। ९३ परन्तु उसने उत्तर दिया और कहा कि 
हर एक पोधा जिसे मेरे खर्गोय पिता ने नहों लगाया 
'डखाड़ा जायगा। १४ उन्हें जाने दे।ओ वे अंधे अंधा के 
५ क३५० * ५० ०. र 
अगुआ हैं आर यदि अंधा अंधे का अगुआ हेवे ता 
५० रकम ४.8 3... कर. 
ढानां गड़हे में गिरपड़ग। ९४ तब पथर ने उत्तर 
दिया और उसे कहा कि इस दृष्टान्त का अथ हमें 
' कहिये। ९६ तब यिशु ने कहा कि क्या तम भी अबलों 
| अज्ञान हे। !। ९७ क्या तम नहों जानते कि जा कुछ 
मंद में जाताहै से उदर में पड़ताहै और गड़हे में 
फ्रेंका जाता है !। ५८ परन्त जे बस्त मंह से निकलती 
हैँ मन से बाहर आती हैं ओर वे मनुष्य का अशुद्ठ 
करती हैं। ९८ क्योंकि मन से कु बिचार ओर हत्या 
| और परस्लो गमन और ब्यभिचार और चेरो ओर 





५२ मत्ती। [१५ पब्वे 


भठी साक्षी और ईश्वर की अपनिन्‍्दा। २० वेही हैं 

जा मनृथ्य का अशुद्र करती हें परन्तु बिन धाऐ हाथ से 
भाजन करना मन॒य्य का अशुद्ध नहीं करता। 

कुल बच रे जद पे 

२९ तब यिशु वहां से, चलके रूर ओर सदा के 

सिवानां में गया। २२ और टेखे कि एक किनानी स्त्री 

उन सिवानों में से निकलकर चिज्लाके उसे बाली कि हे 

बक ७९.५३ सकी कर 
प्रभ दाऊद के पुत्र मुकपर दया कौजिये मरो बटौ एक 
पिशाच से अति दुखित है। २३ परन्तु उसने उसे 


०५ जक्‌ 25४: ७५७ ७ - 
उत्तर में एक बात न कहौ और उसके शिशय्यां न आके 


बिनती करके उसे कच्ा कि उसे बिदा कौजिये क्योकि 
वच् हमारे पीछे चिल्नाती है। २४ तब उसने उत्तर देके 


कहा कि इसराईल के घराने कौ खाईहुई भड़ां का 


छाड़ में किसी पास भेजा नहीं गया। २५ तब वृष 
आई और उसे दंडवत करक बोली किद्चे प्रभ मेरी 
सहाय की जिये। २६ परन्तु उसने उत्तर देके कहा कि 
उचित नहीों कि बालकों कौ रोटी लेके कुत्तों का 
दौजिये। २७ तब उसने कहा सत्य हे प्रभ तथापि कुत्ते 
० +२३३० का: ? सर पे + हक. ० हो ३० 
चरचार खाते जे उनके खामियेके मंच से गिरते हैं। 
र८ तब विश ने उत्तर देके उसे कहा किछे स्‍्त्रों तेरा 


बड़ा बिग्वास तेरी मनसा हे।वे आर उसकी बेटो उसी _ 


घड़ी चंगी हेगई। 
२८ और यिशु वहां से जाके गालौल के समुद्र के 
तौर पर आया ओर एक पहाड़ पर चढ़के वहां 


९४ पब्बे] मत्ती । ५३ 


बेठा । ३० ओर बड़ी बड़ी मंडली जिनके संग लंगड़े 
00%... ः ि ३५ 
अंधे गूंगे टंडे और बहुतसे ओर थे उस पास आई और 
र है. बे ३... ५४00७ 
उन्हें बिशुके चरण पास डाल दिया आर उसने उन्‍हें 
चंगा किया। ३९ यहां लां कि जब मंडली ने देखा कि 
ब५ ७५/ ३ 3, ऐप &.») 2 ७५० कय, «20029 जे 
गूंग बाले टुडे अच्छ हुए लंगड़े चले आर अंधे देखने लगे 
ता आअयित हेके इसराईल के ईश्वर का धन्यमाना। 
०० 2, ७ 0. 
३२ तब यिशु ने अपने शिग्या का बुलाके कचह्ठा कि 
है हि बे कप 
मंडलो पर मुब्ते दया लगतोहे इस कारण कि वे तौन 
३ ०. 20 आ 20७०४ 3 _ रे ०5३ ०, 
हिन से मेरे रंग हैं आर खाने का कुछ नहीं रखते आर 
में उन्हें उपवासी बिदा कि वे मार्ग में निबेल हाजायें। 
फेक ०६५ किक ०. है. वि 3 
३३ तय उसके शिग्था ने उसे कहा कि इस बन में हम 
इतनी रेाटो कहां से लावें कि ऐसी बड़ी मंडलो केा 
तक 9) 7४ है) 
 तु्त करें। ३४ तब यिशुु ने उनसे पुछा कि तुम्हारे पास 
० «ए५७ ४००१ शीत बे 
कितनी रोटियांहें! वे बेले कि सात और कई छोटी 
छोटी मछलियां । ३५ तब उसने मंडली का भमि पर 
पी जे ५ है 
बठने को आज्ञा किई। ३६ ओर उसने उन सात 
०० शो ५: ७. कढे 
राटियां आर मछलियों का लेके स्तुति करके तोड़ा 
7 है $ करे ७ 
ओर अपन शिव्यों। का दिया। ३७ आर शिव्या ने 
रे जे कर मय २ रे 
मंडलो के।। ८ ओर बे सब खाके तुप्त हुए ओर बचे 
हुए चरचार से उन्होंने सात टाकरियां भरी डठाईं। 
। चर त्री ेे 55५ ०४ 3 22. >प शधकी.. 
₹८ से स्त्री आर बालकों का छाड़ खानेवाले चार 
सहस्त्र पुरुष थे। ४० तब मंडली को बिदा करके वुच्द 
ब््‌ 3. ० ०० 
नाव पर चढ़ा आर मजदल क सिवानों में आया। 


भू मत्ती । [९६ पब्बे 


६€ सेालइहवां पब्बे। 

५ तब फिरुसी आर साह्॒की आये आर परीक्षा 
उस्मु खर्ग एक लक्षण दिख। २ उसने उत्तर देके उन्हें 
कहा कि सांझ का तुम कहते हो कि फरछा होगा 
क्ये।कि आकाश लाल है। ३ ओर बिचद्दान को कि 
आज गड़बड़ हेगा क्योंकि आकाश लाल ओर भयंकर 
है अरे कपटिया आकाश के खरूप का निणय जानते 
है। परन्त समये के चिन्हें का नहीं जानते?! । ४ एक 
दुष्ट और ब्यभिचारी पौढ़ी लक्षण ढंढ़तीहे पर यनस 
भविष्यद्ध क्षा के लक्षण का छाड़ उसे काई लक्षण दिखाया 
नजायगा आर बुच् उन्हें छाड़ के चला गया। 

५ ओर जब उसके शिष्य उस पार पहुंचे वे राठी 
लेने के भूल गवेथे। € तब यिशु ने उन्हें कहा कि 
सेंचेत रहे! और फिरुसिये| और साह्रकियां के खमीर 
से चैकस रहे । ७ ख रर वे आपुस में बिचार करके 
कहनेलग कि यह रोटी न लानेके कारण हैं। ८ यिशु 
ने यह जानके उन्हें कद्ा कि हे अल्य बिश्यासियों क्यों 
आपुस में बिचार करते हे। कि यह रोटी न लानेके 
कारण हैं !। ८ क्या तुम अबलें नहीं समझते और 
चेत नहीं करते उन पांच सचहख की पांच रेोटियां और 
तुमने कितनी टाकरियां उठाई ? ९५० और चार सहल 
की सातः गरेाटियां और तमने कितनी टोकरियाँ 
उठाई !। ९९ यह क्योंकर है कि तुम नहीं समक्कते 


९६ पब्बे] मत्ती । धूप 


कि में न तन्‍्हें रोटी के बिषय में नहों कहा परन्त 
जिसते तम फिरुसियां आर सादूकियां के खमौर से 
चेककस रहे। !। ५२ तब उन्होंने समक्का कि उसने राटो 
के खमौर से नहीं परन्तु फिरुसियां आर सादू कियों के 
उपदेश से चे।कस हे।ने के कहा। 

९५३ जब यिशु केसरिय: फिलिपि के खिवानों में 
आया उसने अपने शिप्यों से यह कहिके पक्का कि में 
जे मनुय्य का पत्र हें लेग मुक्ते क्या कहते हैं। ९४ 
उन्होंने कहा कि कितने ते येहन स्लानकारक, कितने 
ता इलिया ओर कितने थिरमीय अथवा भविय्यद्क्ञों में 
से एक । ९५ उसने उन्हें कहा परन्तु तुम क्या कहते हे 
में केनदे ?। ९६ तब शिमान पथर ने उत्तर देके 
कहा कि आप मसौह जोबत ईश्वर के पत्र हैं। ९७ तब 
विशु ने उत्तर दिया आर उसे कहा कि हे यनस शिमेन 
के पुत्र तू धन्य है क्योंकि मांस ओर लेह्ने तुब्कपर 
प्रगट नहीं किया परन्तु मेरे खर्गीय पिता ने। ९८ और 

में भो तुस्मे कहताडें कि तू पधर है ओर इस चटान 
पर में अपना मन्दिर बनाऊंगा और नरक के फाटक 
उस पर प्रबल नहेंगे। ९८ आर में खगके राज्य की 
कुंजियां का तुम्क देकंगा आर जो कुछ त्‌ प्टथिवी पर 
बांघेगा से। खगे में बांधा जायगा आर जे। कुछ त्‌ एथिबी 
पर खेलेगा से। खग में खेला जायगा। २० तब उसने 
अपन शिय्यों के चिता दिया कि किसी मनव्य से न 
. कही कि में यिशु वुद्द मसौचह हों। 


भू मत्तो । [२६ पब्ब 


२९ उस समय से थिश ने अपने शिव्यां के बताना 

आरंभ किया कि क्योंकर मुक्त आवश्यक है कि यिराश- 
लोम में जाओं आर पग्राचीनां आर प्रधान याजकां आर 
अध्यापकेा से बहुतसी पौड़ा पाओं और मारा जाओं 
और तीसरे दिन फेर उठाया जाओं। २२ तब पथर 
उसे लेके कहने लगा कि हे प्रभ अपने पर दया की जिये 
आप पर यह न हेगा। २३ परन्तु उसने फिरके पथर 
के। कच्दा कि अरे शैतान मेरे आगे से दूर हे। त्‌ मेरी 
लिये ठाकर है क्योंकि त्‌ ईश्वर की बातों का नहीं 
सेाहातीं परन्तु मनुय्यें को। २४ तब विशु ने अपने 
शिव्यें। के। कहा कि यदि केाई मेरे पीछे आया चाहे ता 
अपनी इच्छा के त्याग ओर अपने क्रूस के उठाके मेरे 
पीछे चला आवे। २४ क्योंकि जे काई अपने प्राण 
के बचाने चाहेगा से डसे गंवावेगा और जे। काई 
मेरे लिये अपने प्राण का गंवातेगा से डसे पावेगा।' 
२६ क्यें।कि मन॒थ्य के। क्या लाभ है यदि वृच्द सारे जगत 
के प्राप्त करे और अपने प्राण के गंवावे! अथवा 
मनुस्य अपने प्राण की सन्‍्ती क्या देगा!। २७ क्योकि 
मनुख्य का पुत्र अपने दूतांके संग अपने पिता के ऐश 
में आवेगा और तब वुद्र हर एक मनुय्य के उसको 
चाल के समान प्रतिफल देगा। र८ में तुम से सत्य 
कहताहे कि कई एक यहां खड़ेहें जे! मृत्य का खाद न 
चीखेंगे जबले मनुष्य के पत्र का अपने राज्य में आते 
नदेख लेवें। 


९७ पत्ते] मत्तो । धू3 


९७ सतरहवां पब्बे। 
डे पड 0 और 
९ और छ: दिन के पीछ यिशु पथर ओर याकूब 
कै. ३९८: ३०२६. है. जज 2. ७००३... 

और उसके भाई येहन के। साथ लेके एक ऊंचे पह्दाड़ 
पर अलग चढ़गया। २ और उनके आगे उसका रुप 
औरही हेगया और उसका मंच रूय के समान चमका 
० 2 * ः 

और उसका बस्तल ज्याति की नाई उजला हुआ। ३ 
€०० शह+७ रक झ पके ८ ला प 

और देखें कि म॒सा और इलिया उस्म बात्ता करते 
दिखाई दिये। ४ तब पतर ने उत्तर देके विश से कहा 
कि हे प्रभु हमें यहां रद्दना भला है यदि आप की इच्छा 
हेय ते इम तौन डेरे यहां बनावें एक आप के और 
एक मूसा के और एक इलिया के लिये। ५ वृद्द यह 
कह्चि रहा था कि एक उजिआले मेघ ने उन पर छाया 
| किई ओर देखे। कि उस मेघ से यह कहते हुए एक शब्द 
निकला कि यह मेरा प्रिय पुत्र है जिस्म में अति प्रसन्न 
है| तुम उसकी सुने।। ६ और जब शिव्या ने सुना ता 
वे ओंधे मंच गिरे अर बहुत डर गये। ७ तब यिशु ने 
आके उन्हें छुआ ओर कहा कि उठा मत डरेा। छ 
और जब उन्हें ने अपनी आंखें ऊपर उठाई ता विज्ञु 
के छाड़ उन्हें ने किसो का न देखा। ८ ओर जब वे 
/ शि 7» कर 80७ च कक 
उस पहाड़ से उतरे यिशु ने उनन्‍्ह आज्ञा करके कहा 
कि जबलों मनुय्य का पुत्र मृत्यु में से फेर न उठे यह दर्शन 
किसी से न कहना । ५० तब उसके शिष्यों ने उसे यह 

कर जल रे ३० 
. कहके पका ते अध्यापक किस लिये कहते हैं कि पहिले 


धूद मत्ती । [९७ पब्बे 


इलिया का आना अवश्य है ?। ९९ यिशु ने उत्तर देके 

०७ ० कर ५ 
उन्हें कह्दा कि इलिया पछिले आवेगा ठौक आर समस्त 
2] ७ ७१ थ 
बस्तुन के। सुधारेगा । ९२ परन्तु में तुम्हें कहताहों कि 
रे ०९७; के ७. गो 
इलिया आचुका है ओर उन्‍्हें। ने उसे नहों जाना 
परन्तु जे। चाहा से उन्हें ने उस्से किया इसो रौति से 
मनुय्य का पुत्र भी उनसे दुःख पावेगा। ९३ तब शिव्या 
दा 2 % पर है. ७ 
ने समक्का कि उसने याहन स्नान कारक के बिषय मे 
उनसे कहा । 

९५४ ओर जब वे मंडलोी के पास आये एक मनय्य 
घन > कल कप 
उसके पास आकर घुटना टंकके बाला। १५५ कि हे प्रभु 

30१९, कर हू 

मेरे पुत्र पर दया कीजिये क्योंकि वुद्द बावला ओर बड़ा 
दुःखी है क्योंकि वृद्ध बारंबार आग में और पानी में 
गिरपड़ता है। ९६ खैर में उसे आप के शिष्यों के 
पास लाया परन्तु वे उसे चंगा न करसके। ९७ तब 

कर आप गिल ठी्‌ 

बिशु ने उत्तर टेके कहा कि हे अबिश्वासो आर इठो ली 
पीढ़ी में कबलें तुम्हारे रंग रहे ! में कबलें तन्हारी 
सहें ? उसे इधर मुक्क पास लाओ। ९५८ ओर यिशु ने 
उस पिशाच के। दपट दिया तब वुच्द उस्मे निकल गया 
और वह बालक उसी घढ़ी चंगा हरेगया। ९५८ तब 
शिव्थों ने यिशु पास अलग आके कहा कि इम उसे द्वर 
क्यों न करसके ?। २० यिश॒ ने उन्हें कद्दा कि तुन्हारे 
अबिश्वास के कारण क्योंकि में तुम से सत्य कचताहेंं 
कि यदि तुम एक राईभर बिश्वास रक्खे। ता इस पहाड़ 


९ छ पब्बे] मत्ती । धूल 


के कहेगे कि यहां से टलके वहां जा आर वच् जायगा 
और तन्हारे कारण कुछ भी अनहेना नहेगा। २९ 
तिस पर भौ इस रौति का नहीं निकलता परन्तु केवल 
प्राथना और ब्रत से । 

२२ ओर जब वे गालौल में थे यिश ने उन्हें कहा कि 
मनृय्य का पुत्र ननुय्यों के हाथों में सोंपा जायगा। २३ 
और वे उसे मार डालेंगे और वह तीसरे दिन फेर 
उठेगा तब वे अत्यन्त उदास हुए। 

२४ आर जब वे कपरनाहुम में आये पटवारियों न 
आके पथर से कहा क्या त॒न्हारा गुरु कर नहीं देता! । 
२५ उसने कहा किह्ां आर जब दृह घरम आया 
विशु ने आग हेोके उसे कहा कि हे शिमान। तु क्या 
समुक्कता है ! पथिवोी के राजा किनसे शुल्क अथवा कर 
लेते हैं अपनेहौ पत्रों से अथवा परदेशियें से !। २६ 
पथर न कहा कि परदेशियों से यिशु ने उसे कहा तो 
बालक निबंत्ध हैं। २७ तिस पर भी ऐसा नहे। कि उम 
उसके कारण ठाकर होवें तसमद्र का जा आर बंसो 
डाल ओर जे! मछली पहिले आवे उसे ले आर उसका 
मंह खेोलके त्‌ राोकड़ पावेगा उसे लेकर मेरे और 
आपने लिये उन्हें दे । 

९८ अठारहवां पब्बे । 

९ उसी समय में शिय्या ने बिशु पास आके कहा 

कि खग के राज्य में कान सबसे बड़ा है?। २ तब 


० मत्तो्‌ | (श्ष पब्बे 


यिशु ने एक बालक के। अपने पास बुलाके डसे उनके 
>७ व ञ्यै ५० किस. 

मध्य में बठाया । ३ और कहा कि में तुम्ह॑ सत्य कहता 

कर हज 2 आर, व 

हैं कि यदि तुम फिराए नजाओ आर बालक के समान 

ही, हो कक हक कक ०५ 
नबने ते त॒म खगे के राज्य में प्रवेश न करागे। ४ इस 
5. रे 0. व्ड>र हे. 
कारण जे! काई आप के इस बालक के समान दौन 
$ ; ५ 

करेगा सेई खग के राज्य में सब से बड़ा है। ५ ओआर 

58 >> (2 क पा ७ कट से के 

जा काई ऐस एक वालक का मेरे नाम के लिये ग्रहण 

;&2. पा कप 7. 

करे मुम्क ग्रहण करता है। ६ परन्त जे काई इन 

बे 07 58... लक ३०० 

छाटों में स एक के जो सुझ्क पर बिद्यास रखता है 

." ३ कस. लि रे 

ठाकर खिलाबवे उसके कारण अति भला होता किएक 
० ५ 

चक्की का पाट उसके गले में लटकाया जाता और वृह्द 

समुद्र के गहिराव में डुबाया जाता। ७ ठोाकरों के 
पं $ पा 

कारण जगत पर हाय है क्योंकि ठाकर का आना 

अवश्य है परन्तु उस मजुस्थय पर जिसके कारण ठाकर 

लगताहै हाय है। ८ इस कारण यदि तेरा हाथ 

अथवा तेरा पांव तुकके ठाकर दिलावे उन्हें काट डाल 

और अपने से फेंकदे तेरे लिये अति भला है कि 

लंगड़ा अथवा ट्ंडा जोवन में प्रवेश करना तेरे दे हाथ 

अथवा दे पांव होवें आर तू अनन्त आग में डालाजाय। 

८ और यदि तेरी आंख तुम्मे ठेकर खिलावे उसे 

निकालडाल ओर अपने पास स फंकदे कि जोवन में 

काना प्रवेश करना तेरे लिये उद्से भला है कि दे। 

आंखें रखते हुए तू नरक की जग में डालाजाय। 


९८ पब्ब] मत्तो । र्द्श्‌ 


९५० चाकस रहे कि इन छोटो में से एक की निन्‍दा न 
करो क्योंकि में तुन्हें कहदताहों कि खग्ग में उनके दूत 
मेरे खर्गीय पिता का मुंह सदा देखते हैं। ९९ क्योकि 
मनुय्य का पुत्र खाए हुए का बचाने के आया है। ९२ 
तुम क्या समुकतेर्ो यदि किसी मन॒य्य के सो भेड़ होववें 
और उसमें से एक भटक जाय क्या वह निन्नानवे के 
छाड़ के पहाड़ का नहीं जाता आर उस भटकी हुई के 
नहीं ढूंढ़ता !। ९२६ ओर यदि वह उसे पाजाय में 
निश्चय त॒न्हें कद्ताहें कि वुच्द निन्नानवे से जे भटक न 
गई थों उस एक से अधिक आनन्दित हेवेगा। ९४ 
ऐसाही तुम्हारे खर्गोय पिताकी इच्छा नहीं है कि इन 
छोटों में से एक का नाश हे।वे। 
| ९५ और यहि तेरा भाई तेरे बिरेध में पाप करे ता 
जा और आपुस के रूने मे उसे उसका देष कह यदि 
वृद्द तेरी सुने तात ने अपने भाई के पाया है। 
९६ परन्तु यदि वुद्द न सुने ता एक अघवा दे के। अपने 
संग ले जिसतें दे अधवा तीन साक्षियें के मंह से हर 
एक बात ठचद्दराई जाय । १५७ परन्त यदि वह उनकी 
न माने ता मंडलो से कह परंत यदि वह मंडली के। न 
माने ता वह तेरे लिये जेसे अन्यदेशी और पटवारी 
होवे। ९८ में तुन्हें सत्य कहताडें कि जे! कुछ तम 
एथिवी पर बांधेगे से। खगे में बांधा जायगा और जे 
कुछ एथिवी पर खेले।ग से। खगे में खेला जायगा। 
5 ः 


हि 


हर मत्तो । [९८ पब्ब 


९८ फेर में तुन्हें कहताहे| कि यदि तुस्में से दे। जन 
एथिवी पर मिलके किसी बात के लिये प्राथना करें वृच् 
मेरे खगीय पितासे उनके लिये किया जायगा। २० 
क्यांकि जहां दे। अधवा तौन मेरे नाम पर णबड़े हैं 
तहां में उनके मध्य में हों। २९५ तब पथर ने उस पास 
आके कहा कि हे प्रभ केबेर मेरा भाई मेरा अपराध 
करे ओर में उसके। क्षमा करें ? क्या सात बेर ले !। 
२२ यिशु न उसे कहा कि में तुस्मे सात बेर ले नहीं 
कहता परन्तु सत्तरगुने सात बेर ले । 

२३ इस कारण खग का राज्य किसी राजासे उपमा 
किया गया है जिसने अपने सेवकों से लेखा लेनेके। 
टाना था। २४ ओर जब वुच्च लेखा लेने लगा ता एक 
जन उस पास पहुंचाया गया जे! उसके दस सचहख तोड़े 
धारता था। २५ और जेसा कि देनेके। उस पास कुछ 
न था उसके खामी ने आज्ञा किई कि वृद्द आर उसकी 
पलो अर लड़केबाले और सब जे उसकाथा बंचा 
जाय और भरदिया जाय। २६ इसलिये वृद्द सेवक 
गिरके उसका गाड़ ले पड़ा और कहा कि हे प्रभु मुभ्क 
पर धौरज धरिये और में आप के सब भर देडंगा। २७ 
तब उस सेवक के खामी के। दया लगी और उसे छोड़ 
दिया ओर उसका सारा उधार क्षमा किया। २८ परन्तु 
ज्यों वुद्द सेवक बाहर गया उसने अपने संगी सेवकों में 
से एक के। पाया जे। उसकी सा रूकी धारता था और 


9 3%&ऋऋ७ञन- नं 


९८ पब्ब] मत्तो।.. ६३ 


उसने उसको नटई पकड़ के उसे कह्दा कि जे। तुधारता 
है मुनके दे। २८ तब उसका संगी सेवक उसके गाड़ पर 
गिरा आर उसको बिनती करके बाला कि मुक्क पर 

च्भै है] ख ब्ग्  2 ३2 
धोरज धर ओर में तुके सब भर टेडंगा। ३० उसने 


मे 002 8 329. क 
: न माना परन्तु जाके उस बंधन म डाल दिया जबलों वुच्द 


उधार न भरदेय। ३९ जर उसके संगी सेवक यह देख 
के अति दुखी हुए और आके सारी बातें के अपने 
खामी से कद्दा। ३२ तब उसके खानी ने उसे बुला के 
कहा कि हे दुष्ट सेवक तेरी बिनती करने से में न तुब्के 
सब उधार क्षमा किया। ३३ जेसी दया में ने तुक पर 
किई तेसी अपने संगी सेवक पर तुमे करनी उचित 


न थो!। ३४ तब उसके खामी ने रिसियाके उसे पीड़ा 


ध ५ ३ जे 
 हायकों को यहां लो सांपा कि सब जे। वुद्द उसका धारता 


था भरदेय। ३५ से यदि हर एक तुस्भे से अपने मनसे 
अपने भाइयें का अपराध क्षमा न करेगा तो तुम्हारा 
खर्गीय पिता भी तुम से वेसाही करेगा। 
९८ उन्नौसवां पब्बे । 
५ ओर ऐसा हुआ कि जब थिशु ने ये कथा समाप्त 


_ किई वचद्द गालौल से चला गया और यद॑न पार 
_ विहूदिय:ः के सिवानां में आया। २ ओर बड़ी बड़ो 


मंडली उसके पीछे हेलियां अर वहां उसने. उन्हें 
चंगा किया। । 
.. ३ फिरुसी भी उसको परौोक्षा करते उस पास आके 


६४ मत्ती । [९6 पब्बे 


कहने लगे याग्य है कि मनय्य हर एक कारण से अपनी 
लि, "छह हु ढ्यि के 
पत्नी के त्यागे !। ४ उसने उत्तर ढिया जर उन्हें कहा 
क्या तुम ने नहीं पढ़ा है कि जिसने आरंभ में उत्पन्न 
किया उन्हें नर ओर नारी बनाया। ५ ओर कहा कि 
कै 3: कक एक 
इस कारण मनुब्य अपनी माता पिता के! छोड़ेगा और 
अपनी पत्नी से मिला रहेगा ओर वे दाना एक माँस 
होंगे!। ६ इस लिये वे अबसे दे! नहीं परन्तु एक हैं 
इसलिये जे। कि ईश्वर ने जाड़ा है मनुष्य उसे अलग न 
करे। ७ उन्होंने उसे कहा ते मसा ने किख लिये 
आज्ञा किई कि त्यागपत्र ढेके उसे छाड़ देना?।छ« 
8५९ ७५ कक, का. कि 

उसने उन्हें कहा कि मसा ने तुम्हारे मन कौ कठारता 
9. लक. 02% 2: ऊ. 

के कारण तुम्ह अपनी पत्नियों के त्यागन दिया परन्तु 

+ कर ० $ + 
आरंभ से ऐसा नथा। € ओर में तुम्हें कहताके कि 
जे। केाई बिना व्यभिचार के कारण के छोड़ के अपनी 
पत्नौ के त्यागे आर दसरी से बियाह करे से व्यभिचार 
के 
करता है आर जे। काई उस त्यागी गई से बियाह्र करे 
# ४ 
सो ब्यभिचार करता है। ९० उसके शिव्था न उसे कच्दा 
कि यदि पत्नी के संग मनथ्य का यह ब्यवह्ार है ता 
बियाह करना ठोक नहीं । ९५९ परंतु उसने उन्हें कहा 
कि इस बचन के सब ग्रहण नहीं करसत्तो परन्तु केवल 
जिन्हें दिया गया है। ९२ क्योकि कितने हिजड़े हैं जा 
बे 
माता को केख से ऐसे उत्पन्न हुए आर कितने हिजड़े 
न है ० ३ 
हैं जे। मन॒थ्थों। से हिजड़े किये गये आर कितने हिजड़े- 


९८ पब्ब] मत्तो । रद 


हैं जिन्‍्हें। ने खगे के राज्य के लिये आप के हिजड़ा 
बनाया है जे। केाई ग्रहण करसके सा ग्रहण करे। 

९३ तब उसके पास बालक लाये जिसतें वह उनपर 
हाथ रखके प्राथना करे तब शिव्य उन पर कभकलाये। 
९४ परंत यिशु ने कहा कि बालकोांकेा मेरे पास आने 
ढेउ आरं उन्हें मत बजा क्योंकि खग का राज्य ऐेसॉहो 

डे ; 
का है। ९५ ओर वह उन पर हाथ रखके वहां से 
चला गया। 
. ९६ और किसोंने आके उसे कहा किच्चे उत्तम गुरु 
में केनसा उत्तम काय करों जिसतें अनन्त जीवन 
पाओं ?। ९७ उसने उसे कहा कि त्‌ मुझे क्यों उत्तम 
7 के 0०३० रो न 
कहता है! इंशर का छोड़ काई उत्तम नहीं परंतु यदि 
तुझे जीवन में प्रवेश करनाही है ते आज्ञाओं का 
3 
पालन कर। ९८ उसने उसे कहा कि केनसी ! विशु 
ह बिक 
न कहा कि हत्या मत कर ब्यभिचार मत कर चारो मत 
कर भठी साक्षी मतदें। ९८ अपनो माता पिता का 
५ 'ल” <क ही कर कु पे 

सनन्‍्मान कर आर अपने परासौ से अपने समान प्रीति 
कर। २० उस तरुण मनुग्य ने उसे कहा कि लड़काई 
० ७७ (कक पक 

ने इन सब बातों के। माना है अब मुझ्ते क्या 
चाहिए !। २९ यिशु ने उसे कहा कि यहि त सिद्ध 
हुआ चाहे ते जा आर अपना सब कुछ बेंचके कंगाल 
का दे आर मेरे पीछे चलाआ अर त्‌ खण में घन 
पावेगा । २२ परंतु जब उस तरुन मनय्य ने यह बचन 


| 


् मत्ती । [९८ पब्बे 


सुना ते वुचद्द उदास. चला गया क्योंकि उसको बड़ो 
संपत्ति थी। २३ तब यिशु ने अपने शिव्था से कहा कि 
५५ ०७ ० रे «बच 
में तुन्हं सत्य कहताहां कि धनमान कठिनता से खग के 
०७ 9 ५ है हे 
राज्य में प्रवेश करेगा। २४ ओर फेर में तुमसे कहताहे 
८ डर ्रै 
कि खईके छंदस ऊंट का पठना उस्म सच्ज है कि 
धनमान ईशर के राज्य में प्रवेश करे। २५ यह सुनके 
6. ३०५० 2७३ 8 प्ज्न 
उसके शिश्य अत्यन्त आअ्यित हे।के बाले फेर कान बच 
 >श हे हि ५ ०७ 
सक्ता है !। २६ परंतु यिशुन देखके उन्हें कहा कि 
मनुय्थे। से यह अन होनाहैे परंतु ईश्वर से सब कुछ हे। 
सक्ता है। 
” ७ 9० कप 5३२ ० न 
२७ तब पथ र ने उत्तर देके उस कहा कि देखिये 


९२ कप ७ ०७ छ० ५ 
हमने सब कुछ छाड़ा है आर आप के साथी हुए इस 
कारण हमें क्या मिलेगा !। र८ विशु ने उन्हें कहा कि. 
में तुच्हें सत्य कद्दताहें कि तुम जे। मेरे पीछे आयेहे | 


० ० 8. है. सिंह 
नये जन्ममें जब मनृय्य का पुत्र अपन ऐेअय्थ के सिंहासन 
न ० सिंह बे 
पर बठगा तुम भी बारह सिंहासन पर बेठ के इसराईल 


की ५ | 
की बारह गोछियें का न्याय कराग। २८ और जिस 


किसो ने घर अथवा भाई अथवा बच्चिन अथवा माता 

अथवा पिता अथवा पत्नौ अथवा लड़के बाले अथवा 
हैः 3 शद ६-५०] ९. ३७. े हर ५ ७ 

भूमि मेरे नाम के लिये छाड़ा है सो सागुना पावेगा 

०५ श्र & 

ओर अनन्त जोवन का अधिकारी होगा। ३० परंतु 
ह82- ० ु ५ । 0 २० कर [00 952... 

बहुत से पहिले पी छले हाोंग आर पौछले पहिले । 





 ; 


२० पर्व्य] मत्ती । न 


२० बौसवां पब्बे। 

लक र ] ८ । बे 

९ क्याकि खग का राज्य एक गुहस्य के समान है 
जे। भार के निकला कि अपने दाख की बारी में 
बनिहारांकेा लगावे। २ ओर जब उसने बनिहारों से 
दिन भर कौ रूकी चुकाई उसने उन्हें अपने दाख को 
बारो में भेजा। ३ श्र पहर दिन के अटकल में वुच् 
बाहर गया और आएररों के हाट में ब्यर्थ खड़े देखा। 
४ ओर उन्हें कद्दा कि तुम भी दाख की बारी में जाओ 
और जे कुछ कि ठोक है में तुन्हें देडगा और वे चले 
० जी." 5:2० अिआऋ-> रे है ० 
गये। ५ फेर उसने दे पहर ओर तोसरे पचहर के 
अटकल में बाहर जाके वेसाही किया। ६ और घंटा 


: भर दिन रहते हुए फेर बाहर गया अरु ओरोें का 


 ब्यथ खड़े पाया और उन्‍हें कहा कि तुम यहां दिन भर 


क्या ब्यथं खड़े हा !। ७ उन्हा ने उसे कहा इस कारण 
कि हमें किसो ने काम में न लगाया उसने उन्हें कहा कि 
तुम भी द्ाख कौ बारीौ में जाओ चर जे। कुछ कि 
ठौक है सा तुन्हें दिया जायगा। ८ आर जब संंस्क 
हुई दाख को बारी के खानी ने अपने भंडारी का कहा 


कि बनिहारों का बुला और पिछले से लेके पहिले ले 
७ + डक ञ्यै ३2, ७ (४९. ५: 86! 
_ उन्हें बनो दे । € और जितनों ने घंटा भर काम किया 


० जय 


था उन्हें। न आके एक एक रूकौ पाईं। ९० परन्तु जंब 
पहिले के आये तो. उन्हें ने समकाा कि हम अधिक 


. यावेंग परन्तु उनमें से भो हरएक ने एक एक सकी पाई। 


र्द्फ मत्तो । [२० पब्बे 


९९ गैर पाके वे घर के उत्तम खामी के बिराध में 
कुड़कुड़ा के बाले। ९२ कि इन पिछलों न एकौ घंटा 
काम किया और आपने उन्हें हमारे तुल्य किया जिन्‍्हें। 
ने दिन का भार ओर घाम सहा । १५३ तब उसने उनमें 
से एक के। उत्तर देके कद्दा कि हे मित्र में तुस्म अनौति 
नहीों करता क्या त्‌ ने मुस्ते एक रूको पर नहों 
ठच्दराया ?। ९४ अपनी ले ओर चला जा क्यांकि इस 
पिछले के में तेरेह्ती समान देउंगा। ५५ क्या डचित 
नहीं कि में अपने ही में से जे। चाहें से करों! क्या 
तेरी आंख इस लिये बुरी है कि में भलाहे?। २६ 
ऐसाहौ पीछले अगिले होंगे अर अगिले पीछले क्याकि 
बहुतेरे बुलाये गये परन्तु थाड़े चुने हुए । 

९७ ओर यथिराशलौम का जाते हुए यिशु बारह 
शिश्यां के माग में अलग लेगया गर उन्हें कहा। ९८ 
कि देखे हम यिराशलौम के जाते हैं ओर मनुय्य का 
पुत्र प्रधान याजकां और अध्यापकें के सॉंपा जायगा 
और वे उसपर मार डालने की तअाज्ञा करेंगे। ९८ 
और ठट्ठो में उड़ाने के ओर काड़े मारने ओर क्रूस 
पर खींचने के। अन्यदेशियें के सौंपा जायगा आर वुच्त 
तोसरे दिन फेर जो उठेगा। 

२० तब जबदी के बटों की माता अपने बेटा के संग 
उस पास आई ओर प्रणाम करके उस्मे एक बात चाही। 
२९५ तब उसने उसे कह्टा कि त्‌ क्या चाहती है! उसने 


२० पब्ब] मत्तो । प्र 


उसे कहा कि यह कौजिये कि मेरे ये दे। बेठे एक आप 
क ६५ ०क डर ७७ 
की दहिनी दूसरा आप की बाई ओर आपके राज्य में 
५० बिक धर डॉ 
बठ। २२ परन्त यिशु ने उत्तर देके कहा कि तुम नह 
३३३२ मन 23 0, 58880, ७७ 9 कह. 30 ० ०२६७ 
लानते कि क्या मांगते हो क्या उस कटोरेसे जिद्म में 
पीनेपर है| पीसक्तो हे।! ओर उस ख्ान से जिस्म में 
स्तन पाता हे स्लान पासक्ते हे।? वे उसे बाले कि हम 
७ जरे५० ह के ५ आक 52. कर... 
सक्ते हें। २३ उसने उन्हें कहा कि तुम निश्चय मेरे कटारे 
से पीओआगे ओर मेरे स्लान से खान पाओगे परन्तु मेरी 
॥ ब््‌ ० 0७० २ ५3 है] 
| दद्धिनो आर बांई ओर बेठना मेरे देने मे नहीं हैं परन्त 
कर न्हे 7 
| जिनके कारण मेरे पिता ने 5दराया हैं। २४ और जब 
४ ४ ७ 9, ह&.. पु ० 82. 
उन ढसों ने सुना ता वे उन दा भाईयों पर जल उठ । 
क जप बाकि है 2 ०५ ० 
२५ परन्तु विशु ने उन्हे बुला क॑ कच्दा कि तुम जानते हो। 
कि अन्य देशियां के अध्यक्ष उन पर प्रभता करते हैं 
ओर जे महान हैं से उन पर आज्ञा करते हैं। २६ 
परन्तु तुब्य ऐसा न होगा पर जो काई तुन्म बड़ाहुआ 
चाहे से तुम्हारा सेवक हेवे। २७ और जे काई तुम्में 
से 
श्रेष्ठ हुआ चाहे से तुम्हारा दास होवे। रु जेसा 
द मनुय्य का पुत्र भो सेवा करवान नहीं आया परन्तु सेवा 
करने आर बहुताों को सनन्‍्ती अपना प्राण मोल में देने 
का। 
५ 
. २८ आर जब वे यिरीहे से जानेलग एक बड़ी 
हा, ह - 4 
मंडली उसके पीछ हे। लिई। ३० आर देखे कि दे 
28 डर 
अंधे जे। माग की लग बेठ थे यह सुनके कि यिशु जाता 


; 
॥। 


७० मत्ती । [२९ यब्बे 


है चिल्ला के बाले कि हे प्रभु दाऊद के बेटे हम पर दया 
5 ०५ ० डर ०७ पत्प ० 
करिये। ३५ ओर मंडलौ ने उन्हें चप कराने का दृषटा 
परन्तु यह कहिके वे अधिक चिल्लाके बोले कि हे प्रभु 
ढाऊढ के बेटे हम पर दया कौजिये। ३२ तब यिशु 
५ 4 
खड़ा हुआ आर उन्हें बुलाके कहा कि तुम क्या चाहते 


हे। में तुम्हारे लिये करों । ३३ उन्होंने उसे कहा कि हे 


प्रभ॒ कि हमारो आंखें खुल जायं। ३४ तब यिश्ञु ने 


५ ०७ ० ह 
दयाल हेके उनको आंखें। के छञ्ा ओर तुरन्त उनकी ! 


आंखें खुलगई और वे उसके यीछ हे।लिये। 
२९ इक्ौसवां पब्बे । 


९ अर जब वे यिराेशलोम के पास पहुंचे ओर 


्् 6 हे 
बतफगा के जलपाई के पहाड़ लें आये तब यविशु ने 
यह कहि के दे शिव्यां के भेजा। २ कि अपने सब्मुख 


के गांवमें जाओ ओर एक बंधोहुई गदछी का और 
उसके संग एक बछ रे के तुरन्त पाआग खेल के मेरे पास _ 


लाओ। ३ ओर यदि कोई तुम्हें कुछ कहे ता कहिये 





कि प्रभु के। उनका आवश्यक है और वह तुरन्त उन्हें 


भेजेगा। ४ यह सब कुछ हुआ कि जे! बचन भविष्यदक्ता 


ने कद्दा था संपूण होवे। ५ कि सोह्हन कौ पुत्री से 


कहे! कि देख तेरा राजा गदही पर हां लाइके बछरे 


पर चढ़के केमलता से तेरे पास आता है। ६ तब 


शिव्यें ने जाके यिशु को अज्ञा के समान किया। ७ 
और उस गढही के। बकरे समेत लेआये ओर उनपर 





२९ पब्ब] मत्तो।.. ७९ 


तु सु श्र 
अपना बस्ल रख के उनपर चढ़ाया । ८ और एक अति 
बड़ी मंडली ने अपने बस्ती के माग में बिछाया आरों 
ने पेड़ां की डालियां काटों ओर मार्ग में बिधराई । 
८ और मंडली जे। उसके आग पीछ जाती थीं पुकार 
छ के गों व 2030 फेक कि. हक के 
के कहने लगों कि दाऊद के बेटे का हाशाना धन्य 
वह जो प्रभु के नाम से आता हैं ह्ञेशाना अत्यन्त 
| ऊंचे पर। ९० आर जब वृुद्द यिराशलोनम में पहुंचा 
४ ०. 44 हिल 2. ५ हर 
सारा नगर चंचल हाके कददनेलग कि यह कोन हे। 
+ हर कर २. 
| ९९ तब मंडलो ने कहा कि यह गालौल के नेसरत का 
यिशु भविष्यद॒त्ञा है। 
॥ & जे 
९२ ओर यिशु ईश्वर के मन्दिर मं गया आर उन 
कढ  र श््च्स किसे 0०% 5० 7 5 
सभा का, जे। मन्हिर मे बेचते कीनते थे बाहर निकाल 
०५ ब् कर ड्ड्‌ 
दिया आर खुरदियां की चाकियां के। आर कपात के 
७ हट ट ू $ 
बेंचवैयें। के बेठकें के उलट दिया। ९१ और उन्हें 
ष्ह्े 0 ९ 
कहा कि यह लिखा है कि मेरा घर प्राथना का घर 
अप 58 58 ४5 ई 
कहावेगा परन्तु तुमने उसे चारों कौ मांह बनाई। ९४ 
5 व # े< 
ओर मन्दिर में अंधे ओर लंगड़े उस पास आये और 
उस ने उन्हें चंगा किया। ५५ और जब प्रधान याजकों 
. हे हर 7 ऑनिकेफ हि प ०९ 3. पक्ष कक. 
ओर अध्यापकां ने उन आशय काया के, जे। उसने 
कप ५ ७० जे 
किये और लड़के के मन्दिर में पुकारते आर दाजद 
के बेठे के हाशाना कचते सुना वे अति रिसिया गये। 
९६ और उसे कहा कि तु सुनताहै कि ये क्या कहतेहैं ! 
थिशु ने उन्हें कद्दा कि हां, क्या तुम ने कथी नहीं पढ़ाहै 


हर 

9 पर 

। 

॥। 

0 ]॒ 


द 





9२ :* मन्ी/ [२९ पब्बे 


कि बालकां आर दुध पिया के मंच से तू ने खुति परी 
किई !। ९७ तब उसने उन्हें कछाड़ा आर नगर से बाहर 
बेतिनयः में गया आर वहां टिका । 

९८ ओर बिच्ान के। जब वुचद्द नगर में जाने लगा 

बे हे ; न 
उसे भूख लगी। ५.६ आर मागेम॑ एक गूलर पेड़ का 
देख के वह उस पास आया परन्तु पत्तां के छोड़ उस 
पर कुछ न पाया ओर उसे कहा कि तुक पर अबसे 
कधी फल नलग तत्काल गूलर का पेड़ रूख गया। २० 
7 कि, 00 303 ८22९: कर ही ज्ु ९५ ७७ 
और जब शिव्यों ने देखा वे आअयथित हेके बोले कि _ 
गूलर का पेड़ केसा हाली मुरक्का गया। २९ विशु ने 
7 हि. जे ५ ७ के कक 
उत्तर ढेके उन्हें कहा कि में तुन्हें सत्थ कहता हो कि 
& ५ 
यदि तुन्हं विश्वास रक्बे! और सन्हें्द न करे तो तुम 
केवल यही न करेगे जे। गूलर पेड़ से किया गया है 
परन्तु यदि तुम इस पहाड़ के भी कह्ेग कि उठ और 
समुद्र मं गिरपर तो वंसाही हेगा। २९ आर सब कुछ 
९ > कर | 
जे तुम बिश्वास से प्राथना में मांगोग से। पाओगे। 
7 मन्दिर ७ 
२३ आर जब वृह्द मन्दिर मं आके उपदेश करता 
५ ही! मी 

था तब प्रधान याजक ओर लोगों के प्राचौन उस पास 

को जज ५ कक हट ८ 
आक बोले कि त किस पराक्रम से यह काये करता है ! 
आर किसने तुक्के यह पराक्रम दिया हैं !। २४ यिश ने 
उन्ह उत्तर ढेके कहा कि में भो तम से एक बात पक्कता 
हा यदि मब्के बतलाओआग तो में भो तम्हं बतलाओंगा कि 
में किस पराक्रम से यह काय करताहां। २४५ याहन 


२९ पब्ब] मत्तो । डे 


कि ठ्ब् 8 
का स्वान कहां से था ! खग से अथवा मनब्धा से तब 
वे आपुस में बिचार करके कहने लगे कि यदि हम कहें 
कि खरग से ते वह इसमें कद्देगा फेर तुम किस लिये उस 
पर विद्यास न लाये !। २६ परन्तु यदि कहें कि मडुब्थें। 
से ता ले।गों से डरते हैं व्यांकि सब येहन के भविश्य- 
है. प्हे स्ज् 9०% कह 
दइत्ना जानते हैं। २७ ग्रार उन्हों ने यिशु के उत्तर 
देके कहा कि हम नहीं कहिसक्ने तब उसने उन्हें कहा 
जे जन ९७७ ५ बी 
"कि में भी तुस्हें नहीं बताओंगा कि में किस पराक्रम से 
| यह काय करता हे। रद परन्तु तुस्हें व्या ब॒ल्क पड़ताहै 
| एक मनुव्य के दे। बेटे थे उसन पहिले से आके कहा कि 
बेटे ५१७ ८. किक 
बेटे जा आज मेरे दाख बी बारी नें काम कर। २6८ 
(का का ५४०७ 202 गे रे 
उसने उत्तर देके कहा कि मेरो इच्छा नहीं परन्त 
'पकछता के पीछ से गया। ३० और उसने दूसरे से आके 
नर 
वेसाही कहा और उसने उत्तर देके कहा कि हे प्रभु में 
 जाताहें पर नगया। ३९ उन देनों में किसम पिता 
को बात मानी! उन्‍्हें। ने उसे कहा कि पहिलेने यिशु 
५७३. ०७ .._ ७0% 3 न 
, ने उन्हें कहा कि में तुम्हें सत्य कह्ताडों कि पटवारी 
द | और बेश्या तुम से आगे ईशरके राज्य में जाते हैं। ३२ 
ब्या।कि वेहन घने के मार्ग से तुन्हारे पास आया और . . 
| तुम ने उसको प्रदीति न किई परन्तु पटबारियेां और 
| बेश्याओंने उसकी प्रतीति किई पर तुम देख के पीछ +ी 
न पछताये कि उसके प्रतीति करते । 
.. ह३ दूसरा दृष्ठान्त सुने कि किसी गुरुस्थ ने दाख 


! 7 





न्ज्यण्ककहक् का 


७४ मत्ती । [२९ यब्बे 


की बारी लगाई और उसके चारों ओर बाड़ा बांधा 
और उस में केल्ह गाड़ा और एक गड़ बनाया जेार 
उसे किसानें के। सांप के परदेश का चला गया। ३४ 
और फलके समय में उसने अपने सेवकों के किसानों 
पास भेजा कि वे उसके फल लेवें। ३५ पर किसानों ने 
उसके सेवकों के। पक ड़के एक को मारा दसरे के घात 
कक 
किया खैर तीसरे के पथराया। 8३६ फेर उसने सेवके| 
के, पहिले से अधिक और, भेजा ओर उन्‍्हें। ने उनसे 
भी वैसाहीं किया। ३७ पर अंत में उसने यक्च कहिके 
०2 कह ५ कप 03 #७ 5 ३० | पदक शक. 3. 
अपने बट का उन पास भेजा कि वे मेरे बटे का आदर 
७५ «» ५2५ शक. आप है. 
करेंग। ३८ किंतु किसान बेटे का देखके आपस मे 
बोले कि यध अधिकारी है आओ इसे मारडालें ओर 
इसका अधिकार छीन लेवें। ₹८ तब उन्हों ने डसे 
पकड़ा और ढाख को बारी से बाहर निकाल के मार- 
बह 
डाला । ४० से जब ढाख की बारो का खामो आवेगा 
पक किसाने ' पशैकिक ९8३०.." 490, हि। 
ते उन किसानो का क्या करेगा !। ४९ उन्हां न उसे 
कहा कि वुद्द उन दुष्टा का बुरी रोति से नाश करेगा 
न्‍- ः ५ ५. 
और दहाख की बारी और (कसाने के सॉंपेगा जे 
फल रिवुन में पहुंचावेंगे। ४२ यिशु ने उन्हें कहा कि 
तुम ने लिखे हुए में नहीं पढ़ा कि किस पत्थर के 
घवइयें ने निकस्मा सेछी काने का सिरा हुआ यह्द 
है 
परमेश्वर का काय है और हमारी दृष्टि में आख्ययित। 
४९ इस लिये में तुन्हें कहताहे। कि ईश्वर का राज्य 


है 
| 


२२ पर्व] मत्ती। ड्धू 


तुम से लिया जायगा आर एक जाति के दिया जायगा 
जे। उसके फल लावेंगे। ४४ से टुकड़ा टुकड़ा होगा 
जे केाई इस पत्थर पर गिरेगा परन्तु जिस पर दक्ष 
(गिरेगा उसे पींस डालेगा। ४३४ ओर जब प्रधान 
बाजके और फिरुसियां ने उसके दृष्टांत का सुना ता 
ताड़ गये कि उसने डनके बिषय में कहा था। ४६ 
परन्तु जब उन्हें। ने चाहा कि उस पर हाथ डालें ता 
'मंडली से डरे क्याकि वे उसे भविय्यद्ज्ञा जानते थे। 
२२ बाईसवां पब्बे। 

९ आर विशु ने उत्तर दिया और दृष्टान्तें। में उन्हें 
फेर कछ्चिके बेला। २ कि खग का राज्य किसी राजा 
के तुल्य हैं जिसने अपने बेटे के वियाद्र का जेउंनार 
किया। ३ ओर अपने सेवक के भजा कि नेउंतहरियों 
के बियाह में बुलावें परन्त उनन्‍्हांने आने न चाहा। ४ 

फेर उसने आर सेवकां के यह कहिके भजा कि 
नेउतचरियों केश के कि देखे में ने अपना भोजन 
सिद्ठ किया है मेरे बेल ओर पले पशु मारे गये आर 
सारी बस्त धरी हैं बियाह के भाज में आओ। ५ परन्तु 
बे सुरत न करके चलेगये एक अपने खेत का आर 
दूसरा अपने बेपार के। ६ ओर रहे हुओं ने उसके 
| सेवकां का पकड़ के दुदशा किई और उन्हें घात किया। 
| ७ परन्तु राजा सुन के क्रुट् छबा और अपने सेने के 
| भेज के और उन हत्यारों के नाश किया और उनके : 


७ द मत्ती। [२२ पतले. 


नगर को फूँक दिया। ८ तब उसने अपने सेवकों से 

कहा कि बियाह का भाज सिद्ध है परन्त नेडंतहरी 

अयेग्यहें । ८ इस लिये सड़कें में जाआ और जितने 

तुम्हें मिलें बियाह में बुलाआओ। ९० तब सेवक निकल 

जज... 5. ० "जप ०० 

के सड़कां में गये आर व्यया बुरे क्या भले जितनों को 
डे कर के पम्प 

पाया एकड़ें किया ओर भाजयें से नेउंतहरी से अर 

जज ० ३-० 9०० प जे 

गया। ९९ परन्तु राजा नेउंतहरियों के भौतर देखने 
कर ५ ् 

के आया ओर वहां एक जन के बिना बियाह के 

कु ३ >&. सी 7०. मे च् 

बस्ल से पाया । ९२ आर उसने उसे कहा कि हे मित्र 

तु किस रौति से बियाह के बस्ल बिना यहां आया परंत 

उसका मंह बंद हेगया। ९३ तब राजा ने अपने सबके 

ही का «० बह 0७. ० 

से कहा कि उसके हाथ एांव बांध के उसे लेजाओ ओआर 

बाहर आंधियारेमें डालदेड जहां रोना आर हांत 


पौसना हे गा। क्योंकि बहुतेरे बुलाये गये परंतु भाए 


हुए थोड़े हैं। 

. ५४ तब फिरुसियांन जाके उसे बातों में फंसान की 
जगुत को । ९५ सो उन्हेंने अपने शिय्यें। के डिरेाहढियों 
के संग उस पास यह कदला भेजा । ९६ कि हे गुरु हम 
जानते हैं कि आप सच हैं ओर सचाई से ईश्वर का माणे 
सिखाते हैं ओर किसी का खटका नहीं रखते क्योकि 
आप किसो को बनुव्यत्व पर दृष्टि नहीं करते। ९७ 


52 ३ जज चर ढेर | 
इसलिये उम्र कद्चिय आप क्या समक्कते हैं ? केसर का 


. कर देना याग्य है अथवा नहों !। ९८ तब यिशु ने 


र्र्‌ पब्बे] मत्तो । द हिल 


उनकी दुष्टता बुक के कहा कि अरे कपटिये तुम क्या 
*+५ कक 0 कर: कट ्छ. 
मेरी परीक्षा करते हे।। ९८ सुम्मे कर का राकड़ 
. दिखाओ तब वें उस पास एक रूकी लाये। २० और 
| 4 ७ ह ज्५़ #& ५ 
उसने उ हे कहा कि यद् म्रत आर लिखित किसका ?। 
जे. ५ तक 
२९ उन्हें ने उसे कहा कि केसर का तब उसन उन्हें 
लि कब कर ब्द, औ७ 33% «2, कर ध 
कहा इस लिये जा कसर को हें केसर का ढाओ आर 
जे इंशर को हैं ईश्वर का । २२ वे यह सुनके आशय यित 
हुए और उसे काडके चलेगये। 
बह 2 मर के की ० 
२३ उसो दिन सादूको जे। मुतकां के फर उठने को 
रु ३० ० ३२ 
 मुकरते हैं उस पास आये ओर उसे यह कहके पका । 
२४ कि हे गुरु मुसा ने कह्ा कि जब कोई पुरुष नि्बेश 
मरे तब उसका भाई उसको पत्नशे से बियाह करे ओर 
अपने भाई के निमित्त बंश चलावे। २५ अब हस्षे सात 
20 08. ;॒ जे र डे 
भाई थ आर पहिला बियाह कर के मर गया आर 
निबंध था अपनी पल्री को अपने भाई के लिये छोड़ 
५४ सेति बे 
गया। २६ इसो रौोति से दूसरा भी ओर तौसरा 
सातवें लें। २७ ओर सबसे पीछे ठह स्त्री भी मर गई। 
रप इस कारण फर उठने में उन सातों में से बह किसकी 
पत्नौ होगो क्यांकि उन सओभाने उस रक्‍वा था ?!। २८ 
_विशु ने उत्तर देक उन्हें कद्दा कि लिखे हुए ओर ईश्वर 
के पराक्रम से अज्ञान हे। के चंक करते हे।। ३० क्योकि 
फेर उठने में वे बियाह नहों करते न बियाह में दिये 
जाते हैं परंतु खग में इंश्वर के दूतोां के तल्य हैं। ३९* 


4 


जद द ... भत्ती। [२५२ पब्बे 


परंतु र॒त्य से फेर उठन के विषय में क्या तुमने नहीं पढ़ा 
जा इंश्वर ने तम्हु कद्ठा !। ३२ कि में इबराहौम का 
इंज्यर आर इसहाक का ईश्वर आर याकब का ईव्यर 
हां! ईश्वर मृतकों का ईश्वर नहीं परंतु जौवतों का। 
३३ आर जब मडलो ने सुना ता उसके उपदेश से 
आश्ययित हुई । 

३४ परन्त जब फिरुसियां ने सुना कि उसने सादू 
कियां का मह बन्द किया ता वे बटर गये। ३५ ओर 
उनमे से एक ब्यवस्यथा के ज्ञाता ने उसको परौक्षा करके 
पक्का। ३६ कि हे गुरु व्यवस्था में बड़ी आज्ञा कानसी 
है?। ३७ विशु ने उसे कहा कि अपने ईश्वर परमेश्वर 
को अपने सारे अन्तःकरण से और अपने सारे प्राण से 
ओर अपने सारे मन से प्यार कर। ₹८ पह्िली और 
बड़ी आज्ञा यही है। ३८ ओर दूसरी उसी के समान 
है कि अपने परासी का अपने तुल्य प्यार कर। ४० 
सारी व्यवस्था आर भविश्य लिखित इन्हों द्वानों 
आज्ञाओं में संबम्ध हैं । 

४९ जबले फिरुसी एकट़े थ यिशु न उन्‍हें यह कहिके 
पूछा। ४२ कि मसोह को क्या समकतते हो बुद्ध किसका 

बटा है! वे बाले कि दाऊद का। ४३ उसने उन्हें कहा 
ता दाऊद आत्मा से क्यों यह कहिके उसे प्रभ कहताहै। 

४४ कि परकेआअर ने मेरे प्रभु का कहा कि तू मेरी 

»दहिनो ओर बेठ जबलें में तेरे शंत्रन को तेरे पांव की 


२३ पब्व] मत्ती । ३6 


5 ०90 0 
पोढ़ी करें !। ४५ से जब दाऊद उस प्रभु कहे ता वह 
कक बे 
किस रीति स उसका पुत्र है!। ४६ पर कोई मनुव्य 
5५ कर ५ णे्‌ पे 
उत्तर में उस एक बात न कच्चि सका आर उसी हिन से 


| किसो का हियाव न हुआ कि उस फेर पक । 


२३ तेइंसवां पब्बे । 
९ तब यिशु मंडली और अपने शिय्यां का कहिके 


बेला। २ कि अध्यापक ओर फिरुसी मसा के आसन 


र्््‌ ५ आर 
पर बेठते हैं। ३ इसलिये जे कुछ वे तुन्हें मान्ने के। 
कहें उसे माना और पालन करे परन्त उनके समान 


के $ वार बह ५५ ञ्ै 
. झत करो क्यांकि वे कहते हैं ओर नहीं करते। ४ 


ल्‍््‌ ५ «5 लो ३७ 
इसलिये कि वे भारो बाको बांधतेहें जिनका उठाना 


हा. च्हठे बा ०७/७७७०९. कक ०. ० 
कठिन है ओर मनुण्धे। के कंधे पर रखते हैं परन्त्‌ आप 
छत ५ * हि कै डों ब्म्ज् ० 
उन्हें एंक अंगुली से हिलान नहीं चाइते। ५ पर थे 


अपने मारे काया के मजृस्यन के दिखाने के लिये 
३ 3 ३ ३० 
करते हैं वे अपने जऊंबों के। घाड़ा करतेहें और अपने 
| ० * «२० 3 कर अर ० 
बस्ले के अंचल के बढ़ाते हें। € और जेवनार में 
स * 33 डे जग 
प्रधान स्थान और मंडली में अछ आसन | ७ जार हाट 


में नमस्कार की जर यह कि मन॒य्य उन्हें गुरे गुरु कहें 
इच्छा रखतेहें | ८ परन्त त॒म गुरु मत कह्ाओ क्योकि 
तुम्हारा एक गुरु मसौह है ओर तुम सब भाई हे।। 
&€ जैर एथिवी पर किसों के। पिता मत कहे ह्वयाकि 
तब्हारा पिता एक खग्ग में है । ९० और तुम गुरु मत 
>कहाओ क्यंकि तन्हारा गुरु एक मस्ोह हे। ९५९ परन्त 


$ 


द्र० मत्तो । [२₹ पब्बे 


जे तुमे श्रष्ठ है से। तुम्हारा सेवक ह्वोागा। ९२ और 
जे काई अपने के बढ़।वेगा घटाया जायगा और जे 
काई आप के ढहौन करेगा बढ़ाया जायमा । 
९३ परन्तु अरे कपटी अध्यापके ओर फिरुसिया 
तुम पर हाथ है इसलिये कि खगे का राज्य मनुय्थे। पर 
हे (०७ कि डा 7७ | हें 32% हक 
बंद करते हा क्याकि तुम आप भौतर नहों जाते आर 
>> ०९७ 
जे भीतर जाने चाहते हैं उन्हें रोकते हे।। ९४ अरे 
कपटी अध्यापका आर फिरुसिया तुम पर हाय है 
७७ हज 28 20 8, ३५ ०५2 न डे 
क्येकि तुम रांड़ां के घरों के निंगलतेहे। अर छलसे 
बढ़ा बढ़ा के प्राथना करते हे। इस लिये तुन्हें अति बड़ा 
है 5. हम हे कप 
ढंड हेगगा। ९४ अरे कपटो अध्यापका आर फिरुसिया 
(२०३५7 कि किक 29 स्् ५5० 
तुम पर हाय है क्याकि तुम एक का अपने मति म लान 
८ र ८ ने 308 05 ५.६. 23५७ 5५ और 
का मसुद्र आर एथिवी की चारों आर फिरतेहे। और 
जब वुच्द आचुका तम उसे अपने से दूना नरक का पुत्र 
बनातेहे।। ९६ अरे अंधे अगुओ तुम पर हाय है जा 
कहते हे! कि जे। काई मन्दिर कीं किरिया खाय से 
ह - केाई ० ४ 
कुछ नहीं परन्तु जे। काई मन्दिर के सोने की किरिया 
कक रनिक बे 3 मम ८ ४७ 2 
खाय से उंध है। ९७ अरे मख और अंधे कान 
अति बड़ा है सेना अथवा मन्दिर जे सेाने के पवित्र 
करताहै !। ९८ ओर जे काई बेदी की किरिया खाय 
से कुछ नहीं परन्तु जे काई उस पर्‌ के दान को 
किरिया खाय से। उधारनिक़ है। ९८ अरे मख ओर 
५० 52 
अंधे केन बड़ा है दान अथवा बेहौ जे। दान का पदविच्न 


२३ पब्ब] त्ती। द्य्श् 


करती है ?। २० इस लिये जे। काई बढ़ीं की किरिया 
2 स्् 
खाय से। उसकी आर उस पर कौ सब बस्तुन को 


 किरिया खाताहै। २५ ओर जे। काई मन्दिर कौ 
| किरिया खाय से उसकी और जे। उसमें रहताहे 


किरिया खाता है। २ आर जे खग को किरिया 
का + ्््‌ 
खाय से ईंशर के सिंहासन की और उसकी जे। उसपर 
83 नह 4 - ब 
बेठताहे किरिया खाताहे। 
२३ अरे कपटी अध्यापक ओर फिरुसिये लुम पर 


| ह्वाथ है क्योंकि तुम पुदीना और सेोआ और जौरा 


७७००८: 3-५>:-40७७७७-दे। 


का दसवां भाग टेतेह्े ओर व्यवस्था का अति बड़ा 
न्याय अर दया चर विश्वास के छोड दिया है उचित 
था कि तुम इन्हें करते और उन्हें नकछाड़ते। २४ अरे 
अंधे अगुओ जे। मच्छड़ के छान लेतेहे। और ऊ के 
लिंगलतेदेत। २५ अरे कपटी अध्यापके और फिरू- 
सिये तम पर हाय है क्योंकि तम कयारे आर घालौ के 
बाहर बाहर मांजते हे। परन्तु भौतर भौतर बरबस्तो 
ओर कुबराव से भरेहुए हैं। २६ अरे अंधे फिरुसिया 
पहिले कटारे और थाली के भोतर भौतर मांजा जिसते 
उनके बाहर बाहर भो निमल होवे। 

२७ अरे कपटी अध्यापके आर फिरुसिया तुम पर 
हाय है क्योंकि तम खेत समाधिन के समान हो जे 
बाहर बाहर निश्चय सुन्हर दिखाई देते हैं परन्त 
ओतर में ्झतके के हाड़ से ओर समस्त अपविच्रता से 


दर मत्ती । [२३ पब्बे 


भरेहुए हैं। र८ ऐसाही तम भी बाहर बाहर मनुय्यों 
के धर््मयो दिखाई देवेह्रा परन्तु भौतर से कपटाई और 
पाप से भरे हे।। २८ अरे कपटी अध्यापकेा ओर 
फिरुसिये। तुम पर हाय है क्योंकि तुम भविष्यवक्नों के 
समाधिन के बनाते हे। ओर घमियोां के समाधिन का 
सिंगार करते हे। । ३० ओर कहते हे। कि यहि इम 
अपने पितरों के दिनों में होते ता भविव्यदक्तों के लाह्ड 
में उनके साथी न हेते। ३५ इस कारण तुम अपने 
अपने साक्षौ हे। कि तम भविश्यद्क्तों के बधिकां के 
लड़के हे। । ३२ अच्छा तुम अपने पितरों के नपुओं के 
परा करे।। ३६ अरे सांपे अरे नाग बंशिये। तुम नरक 
के दंड से क्यांकर भागागे !। ३४ इस कारण देखे में 
भविय्यदक्ता ओर बुद्धिमानां और अध्यापकें के। हुन्हारे 
पास भेजता हे और उनमें से तुम कितनां का घात 
करेग चर क़स पर मारोग और कितने के मंडलियों 
में पीटाग और नगर नगर ताड़ना करागे। १५ जिसमें 
धनियां का लेाह् जे। ए्थिवी पर बचाया गय। है धर्मों 
हाबील के लाह्न से लेके बाराखिया के बेठे सिखरिया के 
लेक ले जिसे तुमने मन्दिर ओर बेदी के मध्य में घात 
किया तुम सभों पर आवे। ₹६ में तुमसे सत्य कहता हे 
कि ये सब इस पोढ़ी पर पडेंगी। ३७ हे यिरेोशलीम 
'यिरेाशलीम जे भविय्यद्त्नों के। घात करती हैं ओर 
जा तेरे पास भेजेगये हैं उन्हें पथराती है में ने कितने 


२४ पम्ब] मत्ती । ब््छ 


बेर चाहा कि तेरे बालका के ऐसे एकड़े करें जेसी 
कुछटी अपने चिंगने। के पंखेक्े तले बटारती हैं परन्तु 
हुमने न चाहा। ह८ देखे तुन्हारे लिये तुम्हारा घर 
उजाड़ छोड़ा जाता है। ₹८ क्योकि में तुन्हें कद्दताहें 
कि तुम सुभ्के अब से फेर न देखेगे जबलें यह्द न करेगे 
कि धन्य व॒द्द जे! परमेश्वर के नाम से आताहै। 

२४ चोबीसवां पत्बे। 

९ यिशु मन्दिर से निकल कर बाहर गया ग्रार 
उसके शिय्य मन्दिर की बनावट दिखाने के उस पास 
आये। २ झर थिशु ने उन्हें कद्दा कि तुम यह रुब 
नहीं टेखतेद्दे! में तनन्‍्हं सत्य कहता हों कि यहां 
बिनगिराये एक पत्थर दूसरे पर न छटेगा 

₹ और जब वुचद्द जलपाइ के पहाड़ पर बठा उसके 
शिश्थ अलग उस पास जआके बाले कि उन कच्चिये कि 
यह सब कब होंगी ? और आप के आवने का ओऔर 
जगत के अन्तका क्या चिह्त है !। ४ तब यिशु ने उत्तर 
दिया और उन्हें कहा चेकस रहे कि के।ई मनृग्य तुनहें 
न भरमावे। ५ क्योकि मेरे नाम से बहुतेरे यह कहते 
. हुए आवेंग कि में मसीह हो और बहुते के। भरमावेंगे। 
६ ओर तुम संग्राम ओआर ऊरूंग्रामां की चचा सुनागे 
चै।कस चेओ। ओर मत घबराइये क्योंकि इन सभों 
का होना अवश्य है परंत अन्त अभो नहीं कै। ७ क्योकि 
लेग लेग पर आर राज्य राज्य पर उभडंग ओर 


द्ः्छ मत्तो । [२४ पब्बे 


* हो कक ब््‌ २० 
अकाल ओर मरी पडेंगी आर अनेक स्थान में भुझडेल 
हेंगे। ८ यधछ सब बिपत का आरंभ है। € तब वे. 
० 25९६ ' आथछ ०७ अ _5७०३ 2५ ऐड 0 
तुन्हं कष्टपाने में डालेंग आर घात करंगे आर मेरे नाम 
कप ० न ०७०० डे, 
के लिये सारे जातिगण तम से बर करेंगे। ५० ओर 
“38 ३5 पक यंगे कु 2%:. 
तब बहुतेरे ठझेाकर खायेंगे आर एक हसरे के पकड़वा- 
ज न ३ 
येगा ओर एक हृसरे से बर करेगा। ५५ ओर बहुत 
से मिथ्या भविय्यद्क्ता प्रगट होंगे आर बहुतेरों के 
65 थे 
भरमावेंगे। ५२ ओर पाप के अति देने के कारण 
बहुतेरों का प्रेम ठंडा दरेजायगा। १३ परंत॒ जा अंब्य 
3] कह <़ 
लें सहेगा सेई सुत्ति पातरेगा। ९४ ओर सारे जाति- 
गणों के साक्षी के लिये राज्य का बच मंगल समाचार 
5 से कर 
सारे जगत में प्रचारा जायगा आर तब अन्त होगा । 
९५ इसी लिये जब तुम दानियल भविण्णइक्षा को 
कही हुई नाश को घिनित बस्तुन का पवित्र च्यान लें 
' स्थिर देखा जे पढ़े सा सोचे। ९६ तब जा यिहक्वद्यः 
में दावें से पहाड़ें के भागं। ९७ जे। काठ पर होवे 
ह&>प है. 8०५ लक हे ५ु 
से अपन घर से कुछ लेने के न उतरे । ९८ और जे 
खेत में हेववे से अपना बस्त लेने के न फिरे। ९८ और 
५. ७७७ है 
हाय उन पर जो उन्‍्हों दिलें में गभिणी ओर दूध 
पिलातियां होंगी। २० परन्तु प्राथेना करे कि तुन्हारा 
जा... जा क 4७७ ज 
भागना जाड़े थे अधवा बिश्याम्र ढिन भें न हाोय। २९ 
के किक बिक रे ५ ० 
क्याकि तब ऐसा महा कष्ठ हेगा जेसा जगत के आरंभ- 
" अवबले ब् द _ डे 
से अबलो न हुआ आर न कधी हागा। २२ आर यदि 


२४ पब्म] । मत्तो । ष्य्पू 
वें दिन घटाये न जाते ता काई प्राणी न बचता परंत 
चने हुआ के कारण वे दिन घटाये जायेंगे। २३ तब 
यदि काई तुन्हें कहे कि देखे मसोह यहां अथवा वहां 
है ग्रतीति मत क रिये। २४ क्योंकि कठे मसीह ओर 
भटठ भविश्यदक्ञा उठग आर ऐसे बड़े बड़े चिह्ल आर 
आय दिखावग कि यदि हानहारहेता तावे चुने 
हुओ के भौ भरमाते। २४ देखे में आगे से तलहें 
'कहिच॒काहां। २६ इस कारण यदि वे तुम्हें कहें कि. 
'देखे वुच्द बन में है ते बाहर मत जाइये अथवा कि 
'देखे। गुप्त काठ रियो में है प्रतेति मत करिया। २७ 
' ब्बैँकि जिस रीति से बिजली पर्व में चमकती है और 
पच्छिम ला लाकती है वसेहो मन॒व्य के पत्र काभी 
आना हेोगा। २८ क्योंकि जहां कहीं लाथ है तहां 
गिट्ठ एकट्टे हांगे। । 
. २6 उन दिनों के कष्ट के पी तुरन्त रूच्थे अंधियारा 
ह्लेोजायगा और चंद्रमा अपना उंजियाला न देगा 
कर तारे खग से गिरेंगे आर खा को इढ़ता 
हिलजायेंगो । ३० तब मनय्य के पत्र का चिह्न खग में 
दिखाई देगा और उस समय में एथिवो के सारे लेग 
'बिलाप करेंगे ओर मनुय्य के पुत्र का पराक्रम के साथ 
और बड़े बिभव से आकाश के मेघें। पर आते देखेंगे। 
३९ आर वुच्द अपने दूतों के तुरही के महा शब्द के 










] 8 


द्ह मत्ती । | [२४ पब्बे 


संग भेजेगा अर वे उसके चुने हुआ का चारो पवन से 
८ चब् डे 25.0० ७३५))) ०० ' | 
खग के एक खटठ से दूसर ला एकट्टा करग। 
>+ 'ब2प कक. 
३२ अब गुरूरपेड़ से एक दृष्टान्त सौखे जब उसको 
डाली कामल हेती है गेर पत्ते निकछूते हैं तुम 
जानतेदडे कि तपन समौप है। ३३ इसी रौति से जब 


220 5 5:30. 2९. 

तुम यह सब बरस्ते देखे ता जानिये! कि वुचद्द समीप 
। € » _त्त 3 डक 

अधथात दारों पर। ३४ में तन्हें सत्य कहता हों कि 
यह पीढ़ी बीत न जायगी जबलों ये रुब बातें प्रीन 
होवें। ३५ खगे और प्थित्रों बिलाय जायंगी परन्तु 
मेरे बचन न बिलाय जायेंगे। ३६ परंतु उस दिन ओर 
उस घड़ौ के मेरे पिता का छोड़ खग के द्वत भी काई 

त् 20 9. ०. व 3... 

नहीं जानते। ३७ पर जसा नह के दिनां मं हुआ 
मनृय्य के पुत्र का आनाभी ऐसाहीौ हेोगा। ३८ क्योकि 
जिस रौति से जलमय के दिनां के आगवे खाते पीते 
थे बियाही करते थे और बियाह में दियेजाते थे उस 


पक जलन ्‌ + 7 
दिन लो कि नह जहाज में पेठा। ३८ और न जाना 
हे “ २०९ ॥ 
जबलें बाढ़ आई ओर उन सभों के लेलिया तेंसे क्‍ 


मन॒य्य के पुत्र का भी आना हेगा। ४० तब खेत में दे 
होंगे एक पकड़ा जायगा और दूसरा छूट जायगा। ४९ 
दे चक्ती पीसतियां होंगी एक पकड़ी जायगी आर 
दूसरी छट जायगी। 

४२ इस लिये जागते रहा क्ांकि तम नहीं जानते 


कि तुम्हारा प्रभु किस घड़ौ आवेगा। ४३ परंतु यह | 





२५ पर्ज] ... भत्ती। 7) कप 


जाने कि यदि घर का खानी जानता कि चेर किस 
_पहर में आवेगा ते वृद्द जा गता रइता और अपने घर 
में सेंघ लगने न देता। ४४ इस लिये तुम भी चोकस 
'रहे। क्योंकि मनुष्य का पत्र ऐसी घड़ी में आवेगा कि 
तुन्हें चेत न हेैगा। ४५ फेर वच् बिश्वासी और बुद्धिमान 
सेवक कान है जिसे उसका प्रभु अपने घराने पर प्रधान 
करेगा कि समय में उन्हें भाजन करावे ?। ४६ धन्य वृच्द 
सेवक जिसे उसका प्रभु आके ऐसा करतेह्ुए पावे। ४७ 
में तुन्हें सत्थ कच्दताहें। कि वृद्द उसे अपने सारे धन पर 
प्रधान करेगा। ४८ परन्तु यद्दि दृद्द दुष्ट सेवक अपने 
मन में कहे कि मेरा प्रभु आने में ऋबर करता है। ४८ 
और अपने रंगो सेवके के मार ने और मद्यपों के संग 
ख़ान पीने लगे । ५० तो उस सेवक का खामीं शेसे 
दिन में आवेगा कि वृद्द बाट न जाहताहे। ओर जिस 
चघड़ो वुद्द निश्चिन्तहा। ४९ ओर उसे काट डालेगा 
और उसका भाग कपटियों के संग देगा जहां रोना 
। और दांत पौसना हे।गा। 
। २५ पचौसवां पब्बे। 
६९, उस समय में खगे का राज्य दस कन्या के समान 
होगा जे अपने अपने दौपक के लेकर दूल्हा को भेंट 
का निकलीं। २ ओर उनमें पांच चतंरी और पांच 
मुख घधीं। ३ जा मख थीं उन्‍्हां।ने अपने अपने ढोपक का | 
उठालिया और तेल अपने रंगन लिया। ४ परन्तु 


है. 

$ 

पु 

$ 
"जा 


ष्य्द् भत्ती । [२४ पब्बे 
चतुरियें ने अपने पाते! में दौपकोां के संग तेल लिया। 
५ ओर जबलों टद्वल्हा ने अबर किया.वे सब ऊंघगई 
और से गई । ६ और आधी रात को धूम सची कि 
2024 ०0, 3 हो किक “फ 
देखा द्वल्हा आता है उसको भंट का निकला। ७ तब 
उन सब कंआरियों ने उठकर अपने दौपकों का सबवांरा 
८ और मर्खी न चतुरियां से कहा कि अपने तेल में से | 
+ 5 हक २३2 ० बे 
हमें देआ क्योंकि हमारे दोपक बुकते हं। ८ परन्तु 
५ १ है कक * > शहि3 २७३५५. कर न अल 2२ रे 
चतुरियों ने उत्तर देके कहा न हावे कि हमारे ओर 
तुम्हारे लिये बस नहे इस जिये भला है कि तुम 
बे से 99९ ञ्ग् हर 23 %अ- शत हक. 3: 
चवबेयें पास जाआ और अपन लिये माल लेओआ। ९० 
और जब वे मेल लेने के गईं द्वल्हा आया और जे 
लेस थीं से। उसके संग बियाह् भाज में गई ओर दार 
ज 5 &० है 
बंद हुआ। ९५ पीछ वे कन्या भो यह कदतोहुई आई 
कि हे प्रभु हे प्रभु हमारे लिये खेोलिये। ९५२ परत्तु 
उसने उत्तर देके कहा में तनन्‍्हें सत्य कहता हों कि में 
तुन्हें नहीं जानता । ९३ इस लिये जागते रहो क्याकि 
तम नहीं जानते कि मनुय्य का पुत्र कान से दिन ओर 
कान सी घड़ी में आजेगा। 
९४ क्योंकि यह उस पुरुष के समान है जिसने पर देश 
न ० 5 ७ ० ८ डाक | 
का जाते हुए अपने सेवर्कां के बलाया आर अपनी 
संपत्ति उन्‍हें सांप दिई। ९५४ आर एक का उसने पांच 
ताड़े दिये दूसरे का दे। आर तौसरे का एक हर एक 
मनग््य के उसके बित के समान दिया ॥र तरनन्‍्त चला 


३५ पब्ब] मत्ती । प्ढ्‌ 
गया। ९६ तब जिसने पांच ताड़े पाये थे सा गया ओर 
ह ्र्‌ 
उसने लेन देन' किया अर आर पांच ताड़े अधिक 
ब ९ ल्‍ ७! ९३ 
_माये। ९७ आर इसी रौति से जिसने दे। पाये थ 
कट ३ अप हर 
उसने भो दे और कनाये। ९८ परन्तु जिसने एक पाया 
कर सह हेड 2: 3 है. 80९ ८4% 
था उसन जाके भूमि का खाद के अपने प्रभुक राकड़ 
आर ५ ५ ७७६, हु ०५:८८ ४ हर ०७, 
का छिपाया। ९८ परंत बहुत दिन के पोछ उन सेवकों 
का खानो आया और उसने लेखा लेने लगा। २० तब 
- ५ क्र ५ ड्ं ््‌ 
जिसने पांच ताड़े पाये थे उद से आया ओर पांच तोड़े 
५ ०५ ् आप ँ 
और भो लाया आर कहा कि हे प्रभु आपने मुओे पांच 
तोड़े सेंपे थे देखिये में ने उनसे पांच तोड़े अधिक 
! कर ४2%. ९. है कप 
कंमाये। २९५ उसके खामी ने उसे कहा कि धन्य हे 
अच्छे ओर बिग्वासों सेवक त्‌ थाड़ी सौ बस्तु में बिश्वासी 


निकला में तुझे बहुत सो बस्तु पर प्रधान करेंगा त्‌ 


4 अपने ९. का. बन्द ०७ हि [५ 
है प्रभ के आनन्द » प्रवेश कर। २२ जिसने दा 
ताड़े पाए थे वह भी आया और बाला कि हे प्रभु 


| आपने मुझे दे। ते।ड़े सांपे थे देखिये में ने उनसे दे 
 ताड़े अधिक कमाये। २३ उसके खामी ने उसे कहा 
कि धन्य हे अच्छे ओर बिश्वासी सेवक त्‌ थे/ड़ी सौ बस 
में बिश्रासी निकला में तुमे बहुत सौ बस्तु पर प्रधान 
_ क्रेंगा त अपने प्रभु के आनन्द में प्रवेश कर। २४ तब 


'जिसने एक ताड़ा पाया था से। आया और कहा कि है 
प्रभ में बज 255 8 ध०) ४ पक 
भु में आप का जानता था कि आप कठर मनुय्य हैं 
और लवते है जहां आपने नहीं बेया और एकट्ठे 


&० मत्तो । [श्पू प्ब्बै द 


करते हैं जहां आपने नहीं बिथर/या। २५ इस खियें 


जे ९ 9 8 8 8 2० 63... *७ 
डरा और जाक आपके तोड़े का भूमिनें गाड़ 


रक्‍खा से अपना देख लीजिये। २६ उसके प्रभु ने उसे 
उत्तर देके कहा कि हे दृष्ट और आलसी सेवक तुजे 
जाना कि जहां में न नहीं बाया तहां लवताहों और 
जहां में ने नहीं बिथराया तहां एकट्टा करताहेों । २७ 
इस लिये तुके उचित था कि मेरे रे।कड़ केठौ में रखता 
और आते हुए में अपना बिआज समेत पाता। रु 
' इस लिये उससे वह ताड़ा लेलेड और जिस पास दल 
ताड़े हैं उस्चे देड। २८ क्योंकि जिस पास कुछ है 
उसे दिया जायगा और उसब) अधिक बढ़ती हेगी 
परंतु जिस पास कुछ नहों है उसमे वुद् भी जे उसके 
पास है लिया जायगा। ३० चर उस निकश्म सेवक 
को बाहर अंधिया रे में डालदेड जहां रोना और दांत 
पौसना हे|गा। 


₹९५ जब मनृख्यका पुत्र सारे पब्ित्र द्वतां के संग अपने 


विभव में अवेगा तब वुद् अपने बिभव के सिंहासन पर 
बेठेगां। ३२ और उसके आग सारे जातिगण एकट्रे 
किये जायंगे ओर बुद्द एक को ट्ूसरे से अलग करेगा 
जेसे गड़े रिया भेड़ें का बकरियें से अलग करता है। 


₹३ और वह भेड़े। का अपनी दहिनी परंतु बकरियों 


का अपनो बांई ओर रकक्‍्खेगा । 
३४ तब जे। राजा की दह्चिनी ओर हैं वुह् उन्हें 


३४ पल] मत्ती । मु 


कहेगा कि आओ मेरे पिता के धन्य लेग उस राज्य के 
अधिकारी हेओ जे। जगत के आरंभ से तुम्हारे कारण 
सिद्ध कियागया है। ३४ क्योंकि में भूखा था ओर तुम 
ने मुझे खिलाया में प्यासा था और तुम ने मुझे पिलायां 
० कप » 
में परदेशी था और तुम ने मुके उतारा। ३६ नंगा था 
और तुम ने मुल्ते पद्चिमाया में रेःगो था ओर तुम ने 
।छ] ज्ञ कै कफ बे 
मेरी सेवा किई में बंधन म था ओर तुम मुम्क पास 
आये। ३७ तब धर्मी उसे उत्तर देके कछँंगे क हे प्रभु 
दर २० 4 कक च्द 
कब हमने आप के भखा देखा आर भाजन दिया 
॥. 3 प - 
अथवा प्यासा आर पिलाया !। ३८ अथवा हम न कब 
कक ० ते ० *ु 
आप का परदेश) देखा आर आदर किया? अथदा 
नंगा और पहिनाया !। ३८ अथवा कब हम ने आप 
च्ज् कर, न ७ रे ०५८ | 
'का रोगी अथवा बंधन मं देखा ओर आप के पास 
७ 
आये ?। ४० तब राजा उत्तर देके उन्‍्ह कह्ेगा कि मैं 
& बे) > 
 तुन्हें सत्य कद्दता हें कि जेसा तुम ने मेरे इन छोटे 
भाइयों में से अति छोटे से किया तुम ने मुस्ये किया । 
४९ तब जे। उसकी बांई ओर हैं वह उन्हें करेगा 
_किअरे खाएिते मेरे आगे से, उस अनन्त आग में, जेग 
डे ु < ४ 
पिशाच और उसके तो के कारण सिद्ध किई गई है 
>> अर 4 जे न २५४५५ 
दर हाओ। ४२ क्योकि में भूखा था ओर तुम ने रुझे 
& म््‌ "कक 34 
न खिलाया में प्यासा था और तुम ने मुझे न पिलाया। 
५ >> उतारा 00 202, 
४३ में परदेशी था ओर तुम ने मुझ्के न उतारा नंगा था 
है * शमी २५ ₹ बंधन 
ओर तुम ने मुझे न पद्धिनाया रे।|गी और बंधन में था 


ढ्र्‌ मत्ती । . (२६ पत्बे 


. और तुम ने मेरी सुधि न लिई। ४४ तब वे भी उसे 
उत्तर देके कह गे कि हे प्रभु कब हमने आप का भखा 
अथवा प्यासा अथवा परदेशी अथवा नंगा अथवा रे/गी 
के श्र अपर ही] 
चअयधवा बंधन मं देखा आर आप को सेवा न किई। ४५ 
०७०३०. ८247 ०. जे ७७ 
तब वृद्द उत्तर दे के उन्हें कह्देगा कि भें तुम्ह सत्य कचता 
् कक ५ रा ३8.५ २००20. 83 
हां कि जेसा तुम ने इन अति छाटों में से एक से न 
किया तुम ने मुस्से न किया। ४६ और ये सब अनन्त 
पीड़ा में जायेंगे परंतु धर्मी अनन्त जोवन में । 
२६ कछबौसवां पब्वे। 
९ अर ऐसा हुआ कि जब यिशु ये सब बातें कहि 
$&> है; है शिय्या 
चुका ता उसने अपने शिव्यां से कह्ाा। २ कि तुम 
जानते हो कि दे। दिन के पीछ बौतजाने का पब्बे क्लेगा 
और मनुष्य का (त्र क्रस पर मारे जाने के लिये 
पकड़वाया जायगा । 
ञ्ैग 2 ५ ७ 

ह तब प्रधान याजक गैर अध्यापक गऔर लेगों के 
प्राथोन कायफा नाम प्रधान याजक के सदन में एकट्ठे 
हुए। ४ श्र परामश किया कि यिशु का कपट से 
पकड़के मारडालें। ५ परन्तु उन्हें ने कहा कि यब्ब में 
नहीं नहे। कि लोगों में है।रा मचे। 

५ 

€ ओर जब थिशु बेतमिपा में काढ़ी शिमन के घर 
था। ७ एक अत पत्थर को डिबिया में बहु मल्य 
सुगंध तेल लिए हुए एक स्त्री उस पास आईं और उसके 
बंठने के समय उसके सिर पर ढाल दिया। छ परन्तु 


६ पब्बे] .. मत्तौ। ढ्ह्‌ 


उसके शिव्यथा ने देख के जलजलाइहट से कहा कि यह्ल 
ब्यथ उठान किस कारण है !। ८ क्यें।कि यह सुगंध तेल 
के कर + पा का कक पक 
बहुत मे।ल पर बचा जाता ओर कंग्रालां के दिया 
का हल ५ 
जाता। ९० जब यिशुन जाना उसने उन्‍हें कहा कि 
हि 58. की 2. "20५ कल, फू 
तुम इस स्तरों का क्यों छड़तेहा उसने सुझ पर उत्तम 
- ९ बह ७ तर ७... 7 क्० 
काय किया है। ९९ क्याकि कंगाल तुन्हारे संग सदा ह 
जे ५० रं ७. ७+ हक पक 
परन्तु में सदा नहों हां। ९२ क्धाकि उसने जा यह 
“मंडी 3305 का. च्छ 5९२०४ अर का 
सुगंध तल मेरे देह पर डाला से। मरे गाड़ने के लिये 


| किया। ९३ में तुम से सत्य कहता हों कि सारे जंगत 


में जहां कहीं यह मंगल समाचार प्रचारा जायगा यह 
भो जे इस स्ल्रौ ने किया उसके स्मरण के कारण कहा 
जायगा। 

१९४ तब उन बारह में से एक जे यिह्ूदा ईस्करियतो 
कहाता था प्रधान याजकोां के पास जाके बाला। ९५४ 
कि यदि में उसे तुन्हें से देड' ते त॒म मुम्ते क्या 
देआगे! तब उन्‍्हों ने उस्मे तोस टुकड़े चांदी पर ठोक़ 
किया। ९५६ ओर उस समय से बह उसे पकड़वान का 


| अ्यवसर ढूंढ़ता था। 


९७ ओर अखमौरी राटो के पहिले टिन शिष्थों ने 
यिशु पास उसे कहा कि आप कहां चाहते हे कि हम 
आप के भाजन के लिये बीौतजाना सिद्ध करें। ९ 
उसने कहा कि नगर में अमुक मनुस्य पास जाओ और 
3 ० ० बे, 3 पहु 
डिसे कहा कि गुरु ने कहा हं कि मेरा समय आ पहुंचा 


४ मत्ती। [रंकपक्के 


में अपने शिव्यों के संग बी तजाना तेरे घरमें रक्लेंगा । 
५८ चर जेसा विशु ने ठद्रायाथा शिष्यों ने बीत- 
जाना सिद्ट किया। 
५ लक, 
२० और जब सांक हुई वह उन बारह के संग बेठ 
ञ्ञ्रे ४०० अिक.. हक 25902 275 

गया। २९ जओऔर जब वे भाजन कर रहे थे उसने कहा 
कि में तम से सत्य कइताहें कि तुस्में से एक मुझे 
पकड़वावेगा। २२ तब वे अति उदासीन हुए जार 

०७ हल पे जे ३. 
उनमें से हरएक उसे कहने लगा कि हे प्रभ क्या में हों। 
२३ तब उसने उत्तर दिया और कहा कि जो मेरे संग 

७७५ 2 हे स् ०! 
थाली में हाथ बारता है साई मुझे पकड़वावेगा। २४ 
जेंसा कि उसके विषय में लिखा है मनुय्थ का पुत्र जाता 
है परन्तु हाय उस मनुष्य पर जिस्मे मनुष्य का पुच 
पकड़वाया जायगा उस मनुय्य के लिये भला होता जे 
वह उत्पन्न न चेता। २५ तब जिसने उसे पकड़वाया 
अथात यिल्वदा न उत्तर देके कहा कि हे गुरु क्या में 
० पा च हर", हा 
हों! उसने उसे कद्टा कि तु ने आपह्दो कहा। 
85 «3208 कल ५८ ०७० 

२६ ओऔर जब वे भाजन कर रहेथ यिशु न राटी 
लिई ओर धन्यमान के ताड़ी ओर शिण्यें। के ढिई और 
कहा कि लेआ खाओ यह मेरा देह है। २७ और 
उसने कटयारा भी लिया ओर धन्यमान के उन्‍हें देके 
कहा कि तमसब इनस्स पीओ। २८ क्योंकि नये नियम 
का यह मेरा लाक्न है जा बहुतों के पाप माचन के 
लिये बच्दाय जाता है। २८ परंतु में ठन्हें कदताहें कि. 


२६ पब्ब] मत्तो । भू 


में हाख का रस अबसे आगेन पीओंगा उस दिनलें 
जब कि में अपने पिताके राज्य में तुन्हारे रंग उसे 
नया पौचओं। द 
३० जैर एक भजन गाक वेबाहर निकल के जल- 
पाई के पहाड़ के! गये। ३९ तब यिशु ने उन्हें कहा 
कि इसी रात तुमसब मुस्से भटक जाओगे क्येंककि लिखा 
औफिमेंगड़ेरियेकेा मारांगा और कंड की भेड छिन्न 
ु ५ | क हर 2 हे हर 
भिन्न डे जायंगी। ३२ परंतु फेर उठायेजान के पीछे 
३० 5 है ५ ब्ु 
में तमसे आगे गालोल का जाऊंगा। ३३ पथर ने 
' उत्तर ढेके उसे कहा कि यद्यपि आप से सब भटकें में 
कधी न भटकेंगा। ३४ तब यिशु ने उसे कहा कि में 
तुझे सत्य कहता हे कि इसो रात कुक्कट के बोलने से 
है. 0:8५ 7 30. रु 
आगे त्‌ तौन बार मुस्मे मुकरेगा। ३५ पथर ने उसे 
कहा कि यद्यपि मेरा मरना आप के रंग हे।वे तथापि 
में आप के। न मुकरांगा रुब शिव्यों ने भो ऐेसाही 
_ कहा । 
जा छ . नह यिशु 
। 8६ तब एक स्थान में जे। जसमन कहावता है थिए 
;" २५ 
उसके संग आया ओर शि्यों से कहा कि यहां बेठो 
जबले में वह जाके प्राथेना करों। ३७ और उसने 
पथर ओर सबदीो के दे। बयां के रंग लिया और 
 उहासीन हेके अति शाकित होने लगा। र८ः तब 
उसने उन्हें कहा कि मेरा प्राण रत्यु लां अति उदास है 
तुम यहां ठद्रा और मेरे संग जागते रहदे। ३८ और 


| 





ट्द मतों । [२६ पन्ने 


वह थाड़ा आग बढ़ के आधे मंद गिरपड़ा और यह 
कहितके प्राथेना किई कि हे मेरे पिता यहि क्ञासके ता 
यह कटेरा मुच्झे टलजाय तिस पर भी मेरी इच्छा नहीं 
परन्तु तेरी होवे । ४० तब वृद्द शिव्य पास आया ओर 
उन्हें सोते पाया अर पथर से कहा कि तुम घंटे भर मेरे 
संग जागने सके !। ४९ जागते रहे और प्राथना करे 
जिसते तुम परीक्षा में न पड़े आत्मा ता लेस है ठौक 
परन्तु शरीर दुबल है। ४२ वृच्द दूसरे बार फेर गया 
आर प्राथना करके बाला कि हे मेरे पिता यहि मेरे 
पीने बिना यह कथारा मुस्मे टल न जाय ता तेरों 
इच्छा हाय । ४३ तब उस ने आके उन्हें फेर से/ते पाया 
क्योंकि उनकी आंखें भारी थीं। ४४ आर वुच्द उन्हें 
छोड़ के फेर चला गया और बच्दौ बचन कह्नि के तीसरे 
बार प्रार्थना किई। ४५ फेर वुच्ध अपने शिम्य पास आया 
और उन्हें कद्दा कि अब सो ते रहे! और बिश्राम करे 
देखा घडी आ पहुंची है कि मनुय्य का पुत्र पॉपियोंँ 
के हाथों में पकड़वाया जाता है। ४६ उठा चलें देखे 
जा मुझे पकड़वाता है से आ पहुं वा। 

४७ ओर जब वह कह्दि रहा था देखे कि यिहूदा 
बारह में से एक अपने संग एक वड़ो मण्डलीं खड़ और 
लाठियां लियेहुए प्रधान याजकां ओर लोगों के. 
प्राचौनां की ओर से लेके आया। ४८ अब उसके 
पकड़वाने वालेने उन्हें यह कह्िके पता दियाथा कि 


शर<ई पब्बे] मत्तो। 63 


जिस किसी के में चूमें दुद्द वही है उसे पकड़ लेओ। 
४८ आर तुरन्त वृद यिशु पास आके बाला कि हे गुरू 
प्रणाम और उसे चना। ५० और यिशु ने उसे कहा 
कि हे मित्र तू किस लिये आया तब उन्हों ने यिशु पर 
हाथ डाले ओर <से पकड़ लिया। ५९ गैर विश के 
संगियां में से एक ने हाथ बढ़ा के अपना खड़ खींचा 
और प्रधान याजक के एक सेवक के। लगाया अर 
उसका कान उड़ा दिया। ५२ तब यिशु ने उसे कहा 
कि अपने खड़ के। काठी में फेर रख क्योंकि सब जा 
खड्ठ खौचतेहें खडाठही से मारे जायेंगे। ५३ त नहीं 
समझता कि में अभो अपने पिता कौ प्रार्थना करसतक्ञा 
हो ओर वृच्द तरन्त हूतां की बारह सेना मुझ्ते ढेगा?। 
धू४ परन्तु तब लिखे हुए क्यॉकर परे हेंग कि ये हेना 
अबश्य हे !। ५५ उसी घड़ी विशु ने मंडलियेत से कहा 
कि तुम सुझे चेर कौ नाई पकड़ने के खड़ और 
लाठियां लेके बाइर निकले हे? मैं ते। प्रति दिन 
तुन्हा रे संग मन्दिर में बठ के उपदेश करता था और 
तुम ने सुझ पर हाथ न डाला। ५६ परन्त यह सब 
५ ्थ अगर जिसत भविशष्यद्धक्षों के लिखे हुए परे हेवें तब 
घारे शिग्य उसे छाड़ के भागे। । 
४७ ओर विशु के पकड़ने वाले उसे प्रधान याजक 
कांयफा के; पास लेगये जहां अध्यापक और प्राचीन 
एकई थे |: ध८ परंत पथर टूर से उसके पोछे पीछे 
9 


| 
 ] 







््च्द मत्तौ। [२६ पब्बे 
ः कक ० ५ ् 
प्रधान याजक के सदन लां चला गया और भौतर जाके 
(2 2 २ कप. 8 22.2 232 
सेबके के रुंग बठ गया कि अत का देखे। ४८ तब 
. ग्रधान याजक आर प्राचीन ओर सारी सभा विशु का 
घात करने के लिये उस पर झूठी साछ्ी ढूंढ़ते थे परंतु 
काई न पाये। ६० हां यद्यपि बहुतेरे कठे साक्षी आये 
तथापि वे नपाये अंत में दा झाठे साच्यी आये। ६९ 
और बोले कि इसने कहा कि में इंशर के मन्दिर के 
ढाके तौन दिन में खड़ा कर सक्ताहों। ६२ तब प्रधान 
याजक उठा और उसे बाला कित्‌ कुछ उत्तर नहीं 
हे शक ०३०३ आर 
देता? ये तुक्त पर क्या क्या साज्षौदेतेहें!। ६३ परन्तु 
विशु चुपका रहा आर प्रधान याजक ने उत्तर दिया 
और उसे कहा में तुझे जीवते ईश्वर की किरिया 
देताहै कि यदि तु वुद्द मसीह इंशर का पुत्र हे ता 
हमसे कह । ६४ विशु न उसे कहा कि तू ने आपही 
कहा है तिस परभी में तन्ह कद्दताहों कि इसके पीछे 


रे 
तुम मनुय्य के पत्र का पर क्रम की दह्ििनों आर बेठे 


और आकेाश के मेघों पर आते देखेगे। €५ तब प्रधान 


याजक न अपने बस्ल॒ के फाड़ के कहा कि यह ईंशर 


की निन्‍्दा करदुका है अब हमें आग साक्षी का क्या 
प्रयाजन है? देखे अभी तुमने उसके मंच से इंश्र कौ 


निन्‍दा सुनी है। €€ तम क्या साचतेहें ? उन्होंने उत्तर 
दिया आर कहा कि यह झरूत्य के याग्य है। ६७ तब 
उन्होंने उसके मंद पर थुक्षा आर उसे घंसे मारे अरु 


पं .  संत्ती। ल्ह्‌ 


ह बे 
औएरेने थपेड़े मारे। ६८ और कहा कि हे मसौह हमें 
जि कक कस ् 
भविश्य कद जजिस ने तभ्के मारा है !। 
$ ०५ बज 
€८ तब पथर बाइर सदन में बठा था आर एक दासी 
७. * ३ ब( 
उस पास आई आर बेलौ कि त्‌ भी यिशु गालौली के 
संग था। ७० परन्तु सब के आगे वृद्द सुकर गया और 
कक जर्ठों [| 
कहा कि में नहीं जानता त॒ क्या कहती है। ७५ और 
जब वचह बाहर ओसारे में आया एक दूसरी उसे देखके, 
जप ० 208 «७९ 2९. च्वो्‌ नि - 
जा वहां खड़े थे, उन्हें बोलो कि यह भो यिशु नाशरो के 
संग था। ७२ ओर फिर वृद्ध किरिया खाके मुकर गया 
०५० छ्ड ८-५ 
कि में उस मनुष्य के नहीं जानता। ७३ चर तनिक 
पीछे वे जे। वहां खड़े थ पथर पास आये और बोले कि 
निश्चय तभी उन म॑ से है क्योकि तेरी भाषा तुमे प्रगट 
करती है। ७४ तब वह धिक्कार के आर किरिया खाके 
कहने लगा कि में उस मन॒य्थ के। नहीं जानता बार 
तरनन्‍्त कुछट बाला | ७४ तब पथर ने यिशु के बचन का 
चेत जे। उसे कहा था कि कुक्कुट के बालन से आगत 
' तीन बार मुस्से मुकर जायगा तब वह बाहर जाके 
 बिलख बिलख राया। 
। २७ सत्ताईसवां पब्वे। 
' का भज्जी 
. ९ जब बिहान हुआ सब प्रधान याजकोां और लागां 
) ३ 5 -ु ३. (चर ० 
के प्राचौनां ने यिशु का घात करने के बिराध मं 
८ रु णे हे » 9 32% लि 
'परामश किया। २ गझेर वे उसे बांध के लेचले चर 
9७५ 
पन्तिय पिलात अध्यक्ष का सें।प दिया। 


१०० मत्तो । [२७ पत्व 
. # तब उसके पकड़वाने वाले यिहक्ूदा ने जब देखा 
कि उस पर दण्ड की आज्ञा हुई वह आप पछताके तौंस 

"पद नी ने ०. 53, रद की «23:53 कप 
टुकड़े चांदी प्रधान याजकों आऔर प्राचौनां के पास फर 
लाके कह ने लगा। ४ कि में ने इस मे पाप किया कि 
निष्पापी के लेाह्ह बहाने के लिये उसे पकड़वाया तब 
वे बोले कि हमें क्या?! तही जान। ५ ओर चांदो के 

कक है जी. 5 सी 
उन टुकड़ा के मन्दिर में कक के चल निकला चार 
जाके अपने के। फांसी दिई। € आर प्रधान याजकों 
कर ५ 2 हकीकत कट. 8१5७ _..०3० 
ने चांदो के उन ठुकड़े का लेकर कद्दा कि उन्हें भंडार 
० रो तक ५ 3०. बे 
में रखना उचित नहों घ्याकि यह लाहक् का माल है। 
०७ ८ रु ० ७ शिये 5 ब | 
७ तब उन्हांने परामश करके उन से परदेशियां के 
णाड़ने के लिये दुम्हार का खेत माल लिया। ८ इस 
लिये वह खेत आजले लेह्हका खेत कहावता है। ८ 
लब वुद्द जा इरमी भविष्यद्रक्ता से कहा गया था प्रा 
४७७७ 2७, बनोँ पक - । 2०) शी 
हुआ कि उन्‍्हें। ने तोौस टुकड़े चांदा उसका माल जा 
+ « हल | 
ठहराया गया हां जिसका माल इसराईल के बंश में से | 
कितने ने ठहराया । ९० ओर उन्हें कुन्हार के खेत के 
कप । बज ् | & 
लिये दिया जया अभु ने मुकक आज्ञा किई । 

९९ आर अध्यक्ष के आगे यिशु खड़ा हुआ और 
अध्यक्ष ने उसे यह कहिके पका कितू यिहूदियां का 
राजा है! यिशु ने उसे कहा आयही ते कहते है। 
२ चर जब प्रधान याजक ओर प्राचीन उस पर 
अपबाद लगा रहे थ उसने तनिक उत्तर न ढिया। 





३७ प्बे] मत्तो । १७० 


९३ तब पिलात ने डसे कहा कि तु नहीं सुनता कि वे 
क्या क्या तुक पर साक्षी देतेहे!। ९४ परन्तु उसने 
उत्तर में तनिक न कहा यहां ला कि अध्यक्ष ने बड़ा 
आशय माना। 

९५ ओर उस यब्बे में अध्यक्ष की रौति थी कि लागों 
को इच्छा के समान वृच्द एक बंधुए के छोड़ देता घा। 
९६ और उस समय उनका एक प्रसिद्ठ बंधुआ था जा 
बरब्बा कद्ाावता था। ९५७ इस लिये जब वे एकट़े थे 
पिलात ने उन्हें कहा कि में तुन्हारे लिये किसके छोड़ 
दे ! बरब्बा के अथवा यिशु के जे। मसौचद् कहावता 
है। ९८ क्यें।कि वुद्द जानता था कि उन्हाने उसे डाइ से 
सेंपपा था । 

९८ जब वृद्द न्याय के आसन पर बेठा था उसकी पत्नी 
ने उसे यह कला भेजा कि आप उस सज्जन से कुछ 
काम मत रखिये क्योंकि उसके कारण में ने खप्न में 
आज बहुत दुःख पाया है। २० परन्तु प्रधान याजकां 
और प्राचौनां ने मंडली का उभाड़ा कि बरब्बा को मांगें 
और यिशु के घात करें। २९ अध्यक्ष ने उत्तर देके 
_ बन्‍्हें कद्दा कि दोनों में से में तुम्हारे लिये किसे छोड़ 
_ द्वां! वे बोले कि बरब्बा का। २२ पिलात ने उन्हें कहा 
कि फेर यिशु के जे। मसौच् कच्दावता है में क्या करों. 
सब के सब बाले कि वृच्द क्रस पर मारा जाय। २३ तब 
अध्यक्ष ने कहा क्या उसने क्या अपराध किया है! 


९०३ मत्ती । [२७ पब्बे 


परन्तु वे और भो चिल्ला के बोले कि वृद्ध कस पर मारा 
जाय। २४ जब पिलात ने देखा कि कुछ बन नहों 
घ के 2. 55 आर 5 ध 
पड़ता परन्त अधिक हुल्लर होता है ता उसने पानौ से 
मंडली के आगे हाथों के। घाोआ चर कहा कि में इस 
53 ही... है ०७ ००. ों 9 
सज्जन के लाह् से निदे।ष हों तन्हों जाना । २४ तब 
शक अध्७ 2 ९३०, ५ 2.५३ न है 
सारे लागों ने उत्तर देके कहा कि उंसका लाह्न हम पर 
4५ # अष . रा के ् 
और हम।रे बंश पर हे।वे। २६ तब उसने उसके लिये 
५8 हि? यि ०... 5 बाबर लि हि. 
बरव्वा के छाड़ दिया और यिशु का काड़े मारके क्रस 
१ 0९: 2२७७ - हे . 
पर मारे जाने के लिये साप दिया। 
न है. ० 22९० ० हि न्‍् जन. 
२७ तब अध्यक्ष के याद्वाओं ने यिशु का बठक में 
लेजाके सारी जथा के। उसके पास एकडट्ले किया। २८ 
और उनन्‍्हें। ने उसे उघार के लाल बस्ल पहिनाया। 
७ “3... 625%.« हट 2५. 
र८ ओर उन्हें ने कांटों का मुकुट गध के उसके सिर 
ञ्परे हि. हक. बिक 
पर रक्‍खा और उसके दहिने हाथ म एक नरकट धरा 
नस की. 2 ञ्ै ह>. ० ७. 
और उसके आग घुठना टेका आर यह कहिके टट्ठ में 
उड़ाया कि हे यिह्ूदियां के राजा प्रणाम। ३० तब 
कर 5 ०. ञ्ये 0५ ७, 3 
उन्हों ने उस पर थका आर नरकट लेके उसके सिर पर 
मारा। ३९ ओर उसे टट्टा में उड़ा के उन्हें। ने उस पर 
से बस्तर उतारा और उसका अपना बस्ल उसे पहिनाया- 
और क्रस पर मारने का लेचले। 
हि खत हुं न ७ 23. 
३? और बाहर आके उन्हें। न कुरीनी के एक मनृव्य 
के पाया जिसका नाम शिमान था उन्हाने उद्से बरबस 
उसका क्रूस उठावाया। ३३ ओर जब वे एक स्थान में 


२७ पब्बे] मत्ती। ९०३ 


पहुंचे जे गलगता कह्ावता है अथात खोपड़ी का 
स्थान। ३४ ता उन्हें ने सिरका पित्त मिला के उसे 
पीनके दिया और जब उसने चौखा तो पौने कान 
| ००. (६2 क्र्स् े 
चाहा। ३५ ओर उन्हेंने उसे क्रूस पर टांगा गैर 
उन्होंने चिट्ठी डाल के उसके बस्लों का बांट लिया 
जिसतें भविग्थदक्ता का कद्दा हुआ बचन प्रा होवे कि 
#+« 2 किक, ७ उ ले छ+ हक + हम: 
उन्हें।ने आपुस में मेरे बस्तें। का बांट लिया आर मेरे 
> ५ + ५ क 
आगे पर चिट्टियां डालीं। ३६ ओर वहां बेठ के उन्हें ने 
उसको रखवाली किई। ३७ ओर उसका देाघप्त 
लिखके उसके सि्रि के ऊपर रक्‍्खा कि यह्चौ यिशु 
यिह्ू दिये का राजा है। ₹८ तब वहां उसके ऊरंग दे। 
चे।र भो क्रस पर टांगगये एक उसके दछहिने हाथ ओर 
दूसरा बाएं। । 
३८ ओर पथिक भी सिर धन धुन ठट्टा कर के कहते 
थे। ४० कि तुजे मन्दिर के ढाता और तौन दिन नें 
र ३ अं 
उठाताहै आप का बचा यदि त्‌ ईश्वर का पुत्र हे ता 


 क्रस परसे उतर आ। ४९ इसौ रौति से प्रधान 


याजका ने भी अध्यापकां ओर प्राचौनें के संग यह्ट 


 कहि के उसे ठट्ठे में उड़ाया । ४२ कि इसने ओरोंका 


। 


बचाया आप के बचा नहीं सक्ला यदि वुद्द इसराईल का 


राजा है ते क्रस परसे उतर आवे और हम उसपर 
बिश्वास लावेंगे। ४३ उसने ईश्वर पर भरोसा किया 


यदि वृच्द उस्ते प्रसन्न है ते। अब वुच्द उसे छड़ावें क्योकि 


९०४ मत्तो । [२७ पत्मब 


उस ने कहा था कि में ईश्वर का पुत्र हां। ४४ वे चार 
भी जे उसके संग क्रूस पर टांगे गये थे वह्ची बात उसके 
मुंहों पर कहते थे। 

४५ तब दे! पचहर से तीसरे पहर लों सारे देश में 
अंधकार छागया। ४६ गैर तीसरे पचर के अंटकल में 
विशु ने बड़े शब्द से चित्ला के कहा कि एलो एली लामा 
सबकतानो अथात हे मेरे इंश्वर हे मेरे ईश्वर तु ने मुम्क 

७ का 2 ० 39% कैप] 
क्यों व्यागा है !। ४७ उनमें से जे वहां खड़े थे कितना 
न सुन के कद्दा कि यह एलिया को बुलाता है। ४८ 

७ 3 5५ ०९५८० सिरिके 
और तुरन्त उनमें से एक ने ढाड़ के बादल लेके स्रिके 
में बारा गैर नल पर रखके उसे पीने का दिया। ४८ 
औए'रां ने कहा कि रहने देड हम देखेंगे यदि एलिया 
उसे छाड़ाने का आवेगा। 

किक. है. का का, हक 

५० तब यिशु ने दूसरे बार बड़े शब्द से चिल्ला के प्राण 
५८ ५ ०. कब. ३. 
सेप दिया। ४५९ ओर देखे मन्दिर का आकल ऊपर 
है 57३. औ ५ हा डे 
से नौचे लें फटगया आर भुंइडाल हुआ आर पहाड़ 

८० ७ 
तड॒क गये। ५९ ओर समाधि खुल गई ओर बहुत 
नि ५ 
संतन के देह महानिद्रा से उठे। ५३ ओर उसके 
जोडठ ने के पीछे समाधिन से बाहर आये और पवित्र 
०७ ०» ४७० ० 
नगर मंगये ओर बहुतोां का दिखाई दिये। 
3] ५ ०७ 25 शेप 
५४ और जब सतपति ओर उन्‍्हाने,. जे। उसक संग 
न ५ 
विशु की रखवालौ करते घ भंइडेाल का और जे कुछ 


२७ पब्ब] मत्ती। श्न्पूं 


कि बौताथा देखा, वे यह कछिके बहुत डर गये कि 
यह सचमुच ईंगअर का पत्र था। 

५५ ओर बहुतकी स्वी वहां थीं जे। जलील से यिशु 
के पीछ उसकी सेवा करती आईं दूर से देखरहीं थों। 


-धृहं जिनमें मरियम मगदली और याकूब आर यासौ 


की माता मरियम ओर जबढ़ो के बेटे की माता । 
५७ जब सांक हुई अरमतिया का एंक धनमान आया 


! जिसका नाम यसफ था दृद्द भी आप यिशु का शिश्य 


था। ५८ चर पघिलात पास जाके यिशु को लाथ 
+ गे 5 >+ लक - की. नि है. अमल. 
मांगी तब पिलात ने उसे देने को आज्ञा किई। ४६८ 
हक“ औ +- लि हैक रच लए, 
और जब यूसफ ने लेथ के। लिया उसने घाये हुए रूती 
कपड़े में लपेटा। ६० आर उसे अपनीह्ी नई समाधि 
में रकक्‍्वा जे। उसने पत्थर में खादी थी और एक बड़ा 
पत्थर समाधि के रंड पर टलका के चला गया। ६९ 
लऔैर वहां मरियम मगदली और दूसरी मरियम 


समाधि के साम्ने बठों थीं। 


पाक 
६२ अब दूसरे दिन, जे! बरावंरी के पीछ था प्रधान 


है ५ ०. # 
 याजक ओर फिरुसी एकडट्ले हेके पिलात पास आये। 


! 


६३ और कहा कि हे मंहाशय हम चेत हे किवह 


. छलौ अपने जीतेजी कचहता था कि में तौन दिन पीछ 


परफ़रर उठांगा। ६४ इसलिये आज्ञा कीजिये कि तौन 


'दिनलें समाधि को रखवाली किई जाय नह! कि उसके 


|! 


| 


72२ ३, 
शिष्य रात के आके उसे चरा लेजांय और लागणों से 


९०६ मत्ती । [२८ पब्बे 


कहें कि वृद्द म्हतकों में से जो उठा से पिछलौ चूक 
पहिली से अधिक हेगी। ६५ पिलात ने डन्‍्हें कहा 
कि रखवाल तो तुम्हारे पास हैं जाओ और अपने 
५ डे हा ३ - कक 20 2 जा 
जानते भर चेकसो करा। ६६ से वे गये आर पत्थर 
पर छाप करके समाधि की चे।कसी किई और रखवाल 
से न. 
ब्रेठाये। 
२८ अट्टाईसवां पब्बे । 
2 कम हैः 
९ बिश्यवाम के अन्त अठवा रे के पहिले दिन जब पह 
न 
कटते लगा मरियम मगदली ओर द्वसरी मरियम 
समाधि देखने के आई । २ वही बड़ा भंइडेोल हुआ 
क्योंकि ईश्वर का दूत खगे से उतरा और उस पत्थर का 
+ ५ 
समाधि के मुंह पर से दुलका के उस पर बठगया। ३ 
घ द 
उसका रूप बिजली के समान आर उसका बस्तर पाला 
कह ५ 3 
की नाई गश्त था। ४ ओर उसके डरके मारे रखवांल 
डे बन ० कर न ९ 
कांप गये आर म्वतक से हागये। ५ आर उस दूतन 
० ३.0४ ५ ० «| 
उत्तर देके स्वियां से कहा कि मत डरे क्योंकि में 
जानता हों कि तुम क्र्स घातित यिशु का, ढंढ़तियां 
के ० हों ब्र कर २ क 
हा। ६ वह यहां नहीं है परन्तु अपने कहने के समान 
जौडठा है आओगए जहां प्रभ पड़ाथा उस स्थान का 
देखे । ७ आर हालौ जाके उसके शिवग्यां से कच्चा कि 
वह र्वत्यसे जो उठा है और देखे कि वच् तम से आग 


०५५ “5 


गालौल के जाता है तुम उसे वहां देखागे में ने तुन्हें 


रद पन्ने] मत्ती। ९०७ 


। डर म ५ 
जता दिया है। ८ और वे समाधि से तुरन्त डर ओआर 
के ५ न 
बड़े आनन्द से उसके शिव्यां का कहने ढोड़ीं । 
6 और जब वे उसके शिय्यों से कहने के। चली जाती 
थीं &$ ५ हि 
* यिशु उन्हें मिला और बाला कि कल्याण तब उन्होंने 
आके उसका चरण पकड़के दुण्डवत किई। ५० तब 
यिशु ने उन्‍हें कह्दा कि मत डरो, पर जाके मेरे भाइयों 
श ् रु ०७3 न दर $ , ७७ आज 
से कहे कि गालौल का चर्ल आर मुझे वहां देखेंगे । 
्््‌ गो 4 
९९५ और जब वे चली जातीघीं कितने उन रखवालों में 
से नगर में आये ओर सब समाचार प्रधान याजकों के 
सुनाया । ९२ आर जब उन्‍्हों न प्राची नें के रुंग एकट़े 
हाके परामश किया ता उन याद्वाओं का यह कहिके 
बहुत राकड़ दिये। ९३ कि कछ्ियेा कि रात का जब 
*-० ७ कक अं; हर कफ. 9५ अर... 
हम से गये थ उसके शिष्य आके उसे चुरा लेगये। ९४ 
रे 5 कर 2 ००७५५ ० ख ० 
आर यदि यह अध्यक्ष के कान लॉ पहुचे ता हम उसे 
। हक के ७७५०७ हैक. ८७ ३ आन के कुछ 
समका के तन्‍हं बचा लेंगं। ९५ सा उनन्‍्हांने राकड़ लेके 
उनके सिखाने के समान कद्दा आर यह बात आजलां 
विह्लदियां म बिद्ित है। 
._ ९६ तब वे ग्यारह शिष्य गालील में उस पहाड़ का 
गये जहां यिशु ने उनसे ठहराया था। ९५७ आर जब 
उन्होंने उसे देखा ता उसे दृण्डवत किई परन्तु कितने 
०७ ् दि ५ 
दुबधा में थे। श८ और यिशु उन पास आया आर यह 
कहिके बाला कि खग आर प्थिवी पर सारा पराक्रम 
मुझे दिया गया ह। 


रण्न मत्तो । (८ पब्बे । 


५ 5 

१५८ इस लिये जाओ और सारे जातिगणों का पिता 

यः ७. 5 कै... के ५... 2 
पत्र अर धमात्मा के माम से ल्वान देके शिम्य करा। 
हि कर ७५५० 0 0५ ! न्‍्हे | ३ 

२० ओर सब जा में न तुन्ह आज्ञा किई है उन सभों 

५ न 
को पालन करने को सिखाओ ओर देखे कि प्रति दिन 
क ०० करे 50 ५ 2553 

जगत के अन्त लॉ में तुम्हारे संग हों। आमोन॥ 


मंगल समाचार मरक रचित ॥ 





0000+५----- 


९ पहिला पब्बे। 


३:३० कर + 
९ ईशअर के पत्र यिशु मसोह के मंगल समाचार का 
५ हर ५ ] के कप 

आरंभ । २ जेसा कि भविषय्यद्ञों ने लिखा है कि देखा 
७५ ५ हक ०० 20040 00: 25200 028 
में अपने दूत का तेरे आगे आग भेजताहों जा तेरे 

कि ०५१ 827 क 
आगे तेरे माग का सुधारेगा। ३ एक का शब्द बन में 

बे ०. हे च के च्यै कि 
पकारता है कि ईश्वर के माग का सुधारे और उसके 
पथों के सोधा करोा। ४ याहन बन में स्लान देता था 
और पापमाचन के लिये पद्मात्ताप के खान का प्रचार 
करता था। ५ ओर यविह्॒दियः के सारे देश और 
(थिरेशलौमबासी उस पास निकल आये अऔर सब 
अपने अपने पापों का मान मान के यदन नदी म॑ उसद्सें 
स्तान किये जाते थ। ६ और थयाइन का बच्त ऊंट के 
रेम का था और उसकी कटि पर चमड़े का पटका 
बांधा था आर उसका भेाजन टिट्ली आर बनमपुथा। 
> ७ आर प्रचार के कदता था कि भेरे पीछे एक आता है 
७ का के बे हर 
जा मुख्य अधिक सामर्थी है में कुक के उसको जती का 
०. 83. ४२३8० ड़ कर ी५ ०. विज 5; 

बंद खेलने के याग्य नहीं । ८ ठोक में ने तुन्हें जल से 


स्ान दिया ह परनन्‍्त वृच्द तन्‍्ह धमात्मा से खान देगा 
॥ 20 


)। 









१९० मरक। द [९ पब्बे 


८ उन्हीं ढिने में ऐसा हुआ कि विशु ने गालौल कें 
नासरः से आके यदन में येहन से स्वान पाया। ९० 
ओर तुरन्त जल से बाहर आतेहुए उसने खगके 
खला ओर आत्मा के कपेात के समान अपने ऊपर 
उतरते देखा। ९९ और आकाश बाणी हुई कि तू मेरा 
प्रिय पत्र हे जिर्म में अति प्रसन्न हों । 

९२ ओर तरनन्‍्त आकर्मा ने उसे बन में निकाल दिया॥ 
५३ और वह बन मे चालौस दिन ले शतान से परीक्षा 
किया गया झेर वुच्द बन पशुन में था ओर इत उसको 
सेवा करते थे। 

९४ अब याहन के बंधन म॑ डालेजाने से पीछ थिशु 
गालोल में आके इंश्वर के राज्य के मंगल सम्राचार 
सुनाने लगा। ५५ ओर वह कहने लगा कि रुमय 
परा हुआ चर इंश्वर का राज्य आ पहुंचा है पद्चा- 
तज्ञाप करे ओर मंगल समाचार पर बिद्यास लाओआ+। 
९६ आर जब वृद्द गालोल के समुद्र के तौर फिरता था 

5० शिमे कि २ _& 8 ३९५ हे ०७ 
उसने शिमान आर उसके भाई अंद्रया का समुद्र मे 
5 5 ५, कर कख. ५ ७. 
जाल डालते देखा क्योंकि वे मकुए थे। ९७ और यिशुन 
०७ 2६ 08000 जो 2, ०५ २३० ० 24 
उन्हें कद्दा कि मेरे पौछ़ हालेगा आर में तन्हें मनुष्यों 
& ५ कर 
का धोवर बनाओंगा। ९८ ओर वे तुरन्त अपने जाल 
। कर ० >> 4 
के। छोड़ के उसके पीछ छेोलिये। ९८ आर वहां से 
- दर -ु बे 3७०, ५ ७६९० ५ ५ 
थे/ड़ा आग बढ़के उसने जबढौ के बट याकूब का आर 
उरूके भाई येहन के। देखा वे भो नाव पर अपने जाल 


है 





९ पन्ने] मरक। श्र 


26 बल 2०७८2. २ कर 
का सुधारते थ। २० आर उसने त्रन्त उन्हें बुलाया 
२ ०  ु 30 2, ८ 5 ७०3 की » 
आर व अपने पिता जबदौ का सेवकों के संग नाव पर 
छाड के उस के पीछ हे।लिये। 
२९ तब वे कफरनाहुम म गये आर तरनन्‍्त बिआम 
के दिन मंडली में जाके उपदेश किया। २२ आर वे 
उसके उपदेश से अचंभित हुए क्योंकि उसने उन्‍हें एक 
२ न कु आज 
सामर्थी के समान उपदेश किया आर अध्यापकों के 
सम है रे ब््‌ 2 ७७ 
मान नहीं । २३ आर उनको मंडलो म॑ एक मन॒य्य था 
जिस पर अपवित्र आत्मा था उसने चि२्ञाके कहा। २४ 
कि रहने दोजिये हम से आप से क्या काम है यिशु 
0९ क ५ ० ५० 
नांसरो ? क्या आप हम नाश करने का आय हें! में 
आप के। जानताहें कि आप केन हैं ईंर का वहीं 
। पर हू 8७8... 
धाब्सिक । २५ तब यिशु ने उसे दपट के कहा कि चुप 
रह ओर उस्मे बाहर आ। २६ तब अपवित्र आक्मा ने 
बे 2 ' 
उसे मराड़ा आर बड़े शब्द से चिल्ला के उद्सम बाहर 
'मिकल गया। २७ ओर सब के सब यहां ले बिक्मित 
हुए कि वे आपुस में यह कहि के पक्त पाक्त करने लगे 
कि यह क्या है! यह केसा नया उपदेश है? क्योंकि 
बच अपविचर आत्माओं के भो पराक्रम से आज्ञा करता 
है ओर वे उसे मानते हैं। र८ और तरन्त उसको 
कीत्ति गाली ल के सारे देश में फेल गई। 
२८ ओर तत्काल वे मंडलो से बाहर निकल के 
५ याकू * ््‌ ७ "5; अंड्रया २१ ७८४ 
'कूब और ये[हन के संग शिमेन और अंद्रया के घर 


की मरक। [९ पब्बे 


में गये। ३० परन्तु शिसेन कौ सास ज्वर से रागी पड़ों 
॥॒ हों 22 /0 2 8 ९५३ हक 
थो वहीं उन्हां ने उसके बिघय म॑ उसे कहा। ३५ तब 
५ 
उसने आके उसका हाथ पकड़ा और डसे उठाया और 
केक 555 कई 4 ०५ है. कु 
ज्यर ने त्रन्त उसे छाड़ दिया आर उसने उनकी सेवा 

6 ०५ है 

किई। ३२ ओर रांक के जब रूय अस्त हुआ वे सारे 
० 8५... किलर, 204 / के 2 अ ह ० 
- शरागियां आर पिशाचग्रस्तां का उस पास लाये। ३३ 
जे के । 
ओर सारा नगर द्वार पर एकट्टे हुण। ३४ ओर उसने 

53-30 अककीज१ हलक 2२९: 209५५ 2०% + 

बहुतें का, जे नाना प्रकार के दुख से रागो थ, चंगा 
बे न &॥ ५३० हट पे ०५ 
किया आर वहुतसे पिशाचोां का द्वर किया आर 
कब 0 0७... के 3 पट '>स28.. 
पिशाचे का बालने न दिया क्यांकि वे उसे जानते थ। 

३५ चार तड़के बहुत रात रहते वुद्द उठके बाहर 
गया ओर एक अरण्प स्थान मे जाके उसने प्रार्थना 
किई। ३६ तब शिमेन और उसके संगी उसके पीछे 
बीछ चले गये। ३३ और उसे पाके वे उसे बाले कि 

किक १५७25 न्‍हें | चर * 5 ७ 

सब आपके ढूंढ़ते हैं। ३८ और उसने उन्हें कहा कि 

हल प बल 8 अं कआ हैः पक लिये 
चआआओ हम आस पास के नगरों म॑ भो प्रचारन के लिये 

भा जा ह> 
चले क्याकि में इसो कारण बाहर निकला क्षें। ३८ 
् कर] न ०५ 2 व 5३८ 
और वृद्द सारे गालौल में उनको मंडलियां से उपदेश 
ञ्ग्रै तर ०७ “की न्‍ 

करता और पिशाचों का दूर करता था। 

४० तब एक काढ़ी ने पास आके उसकी बिनती किई 
और उसके आगे घुठने टेकके बेला कि यदि आप 
चाहें ते। मुझ पवित्र कर सत्ते हैं। ४९ यिशु न दयाल 

ग््र ३ ७२५० + 
हाके हाथ बढ़ाया आर उसे छके कहा कि में चाहताहें 


२ पबन्‍्ज] मरक। शहर 


तू पवित्र हेजा । ४२ और बचन कहतेही तुरन्त काढ़ 
उस्से जातारहा ओर वुह पवित्र ह्ेगया। ४३ गैर 
उसने सेउ आज्ञा करके तुरन्त बिदहय किया। ४४ और 
उसे कह्दा कि देख किसी मनुय्य से कुछ मत कह परन्तु 
चला जा और अपने तई याजक का दिखा और अपने 
पवित्र होने के लिये, जे। कुछ म॒सा ने उनकौ साज्षौ के 
लिये आज्ञा किई है, दान कर। ४४ परन्तु वुद बाहर 
रु 8.03 पे प छे आर 
जाके उस बात का फलावन ओर ' प्रगट करने लगा 
यहां लें कि यिशु फेर नगर में प्रगट न जा सका परन्त्‌ 
ँ ७ २ ७.७ जे 2०८2६ हे 
बाहर बाहर अरण्प स्थानों म रहा और चारों आर से 
ले।ग उस पास आये। 
२ इसरा पब्बे। 
९ और कई दिन॑ बौते वुद्द कपरनाहुम में फेर गया 
और घर में हेानने की उसकी चचा हुई। २ ओर त्रन्त 
है क्र ७, / ८8 02. 
बहुतेर बटर गये यहां लां कि इार के आस पास भी 
समाई न थो और उसने उन्हें बचन सुनाया। ३ तब 
चार जन से उठवाये ऊुए वे एक अड्डोंगी के उस पास 
०. श्र 5०० हक 
'लाये। 8 और जब भोड़ के मारे वे उस पास न आ 
7६ कर रूस 60%  आि, ०५2 93.7 कर 
सके ते उन्हें। ने उस छत के। जिसमें वृच्द था उधेरा और 
डसे ताड़के, जिस खाट पर वृच्द अड्वोंगी पड़ा था, डसे 
लटका दिया। ५ तब यिशु ने उनका बिश्वास देख के 
उस अद्धघोंगीं का कद्दा कि पुत्र तेरे पाप क्षमा किये गये। 
चर ७७२ कि २2 22 रु 
६ परन्तु वहां कितने अध्यापक बंठ अपने अपने मन म॑ 


१९२४ मरक। [२ पब्वे 


बिचारते थे। ७ कि यह क्या ईश्ररापनिन्दक बचन 
| नह 3० 0078. 7२ ॥० 

कहता है ?! ईंश्र का काड़ कान पाप को छ्षमा करसक्ता 
है?। ८ और तुरन्त यिशु ने अपने आत्मा में जाना कि 


वे अपने अपने मन में ऐसा विचार करते हैं तब उसने 


उन्हें कह्दा कि अपने अपने मन म क्यों ऐसा बिचार 
हल" 5०० ९, कर 
करतेहे !। ८ उस अच्जोंगी का क्या कहना सहज है 


कि पाप क्षमा किये गये अथवा कहना कि उठ और. 


द 





_..््ऑआआआ 


अपनी खाट उठाले ओर चल !। ९० परन्त जिसतें 


तुम जाना कि मनुष्य का पुत्र प्थिवौ पर पाप क्षमा 
३ <+ पर पान. €: नह कै ९, कह 
करने का सामथ्य रखता है उसने उस अचड्डभोंगी का 


कहा। ९९ कि में तुझे कद्दता हों कि उठ और अपनी ' 


खाट उठाले और अपने घर को चला जा। ९२ आर 
3. हर 

बच्द तुरन्त उठा और खाट उठाक उन् सभों के आगे 

चल निकला यहां लां कि सब बिर्थधित हुए श्र ईअर 


की स्तुति करके बाले कि हमने इस रौति के कभी न 


देखा था । 


रे 
९३ और वुद निकल के फर समुद्र के तीर गया 


जज हि ७, 33, हि. लक 

आर सारौ मंडलछो उस पास. आई ओर उसने उन्हें 
५ हक हे ५ ३ 4 आज 

सिखाया। ९४ आर जाते जाते उसने इंलफा के बेटे 

कप ०५५ कक 2 5 आप हि कक 

लेवी का कर लेने के स्थान मं बठ देखा आर उसे कच्दा 

*५ 

कि मेरे पोछ आ तब वृच्द उठा और उसके पीछे 

हे।लिया। ५४ और ऐसा हुआ कि जब यिशु उसके 

घर में बेठा भाजन कर रहा था बहुत से करग्राहक 





रे पन्‍थ] मरक। श्प्पू 


बे हो ० 

और पापी भी यिशु के आर उसके शिश्यां के संग एकट्रे 

जि ७. 3 ९ ० ७ ० हु. हट २ ०" 
बेठ क्योंकि वहां बक्षतथ ओर वे उसके पीक चले आये 
्र डर 80 ९2000 2, हे 
थ। ९६ आर जब अध्यापकों आर फिरुसियों ने उसे 
० ७, अं  अ/ ४ कर 52२२१! कप 
पटवारियां आर पापियोां के संग भाजन करते देखा वे 

न कक 3 का. ० के हर 
उसके शिष्यां से बाले कि यह कसा ह॑ कि वृद्द पटवा- 
रियां ओर पापियें के संग खाता पीता है। ९७ तब 
न ७ ( ९७७० की 208, टी... बज 
यिशन सुन के उन्हं कहा कि भलेचंग को बद्य का 
कर ऱों ब्द ८ हक. ३० ९० , 
आवश्यक नहों परन्त रागियां का, में धमियां का 
बलाने नहीं आया परनन्‍्त पापियोां का जिसत पद्चात्ताप 
कर । ९८ आर याहन के आर फिरु सियां के शिष्य ब्रत 
किया करते थे से उन्हां ने आके उसे पछा कि याहन 
०२ बट 2 5 # 

के आर फिरुसिये के शिष्य क्यों ब्रत करते हैं परन्त 
आप के शिष्य ब्रत नहीं करते!। ९6 विशुन उन्‍हें 
कहा कि जब लो ट्ल्हा बरावतियोें के संग है. क्या वे ब्रत 

« ० ०६९० 93 पक ० + के. ों 
करसक्त हैं! जब लॉ हलल्‍्हा उनके संग है वे ब्रत नह 
8209 कक ७७ ५२ 
करसत्तो। २० परन्तु वे दिन आवेंग जब कि ह्ल्हा उनसे. 
अलग किया जायगा उन्‍्हों दिनों में वे ब्रत करेंगे। २९ 
काई मनुय्य नये कपड़े का टुकड़ा पुराने बच्ल में नहीं 
जाड़ता नहीं ता वुद्द नया उुकड़ा जे। जे/ड़ा गया पुराने 
| से खीचता है और वह फटा बढ़ जाता है। २२ और 
| काई ननुख्य नया दाख रस पुरान कुप्पे में नहीं रखता 
नहीं ते नये दाख रस से कुप्पे फटजाते हैं और दाख 


श्र्दद . मरक। [३ पन्ने क्‍ 


रस बहिजाता है चार कुप्पे नष्ट होते हैं परन्तु नया 
ढाख रस नये कुप्पे में रखना अवश्य है। 
बलि ८ २००. ०९० 
२३ ओर ऐसा हुआ कि बिश्वाम में अन्न के खेत : 
24 "जी. स्प्रे रु. 525 ची 
में हेके वृद्द चला जाता था आर उसके शिष्य जाते 
जाते अन्न की बालें ताड़न लगे। २४ तब फिरुसियों ने 
डसे कहा कि देखिये जा बिश्लवाम के दिन करना 
मर ७०. खा, हा 9७ कि । 
अनुचित है वे करते हैं। २५ तब उसने उन्हें कहा कि 
दाऊद ने और उसके संगियें ने सकेती में भखे हेके 
क्या किया क्या तम ने नहीं पढ़ा !। २६ उसने क्योंकर 
अबियातार प्रधान याजक के समय में ईश्वर के मन्दिर 
में जाके भेंट की राय खाई जे! याजकां के छोड़ किसी 
के। खाना उचित नथा ओर अपने संगियां का भी 
दिई !। २७ ओर उसने उन्हें कहा कि बिश्वाम मनुय्य 
कप हैक... 3३. ० 
के लिये ठद्दराया गया परन्तु मनृश्य बिश्वाम के लिये 
नहों । र८ इस लिये मनुय्य का पुत्र बिश्राम का भो 
प्रभु है । 
३ तौसरा पब्षे । 
५ 29.2 ९ की 
९ तब वृचह मंडलो म फर गया आर वहां एक मनन्‍ुय्य 
बे ५ _ 
था जिसका हाथ सुन्न हेगया। २ आर बे उसे अगार 
रहे थे कि देखें कि वुद्द उसे विश्वाम के दिन चंगा करेगा 
डॉ $ 7 पटल. ५ 
अथवा नहों जिसतें उस पर देाष लगावं। ३ ओर 
उसने उस कराये हाथवाले से कहा, कि बौच म॑ खड़ा 
होा। ४ आर उसने उन्हें कहा कि बिश्राम दिन भला 


। हू पब्बे) ; मरक | १९०७ 


करना उचित हैं कि ब्रा! प्राणं के बचाना अथवा 
घात करना ! परन्तु वे चुप के रहे। ५ और जब उसने 
चारों आर उन पर रिसिया के देखा ता उनके मन को 
हल 
 कठोरता से खेह्ति हाके उस मनुव्य क्षा कहा कि अपना 
हाथ बढ़ा उसने बढ़ाया ओर उसका हाथ दसरे के 
+ जआच कट! कं ॥ कम २३ 
समान चंगा धहागया। ६ तब फिरुसियों ने तुरन्त जाके 
हिरादौसियोां के संग उसके बिराध में परामश किया 
कि उसे किस रौति से नाश कर । 

७ परन्त यिश अपने शिव्य समत॑ अलग होके समुद्र 
के तौर गया आर एक बड़ी मंडलो गालोौल आर यिह्छ - 
दियः। ८ और यिरेशलीम ओर अद्वगियः आर यदन 
कप ९ कर आल प्र 5< 
के पार ओर रूर और सदा के आस पास से उसके बड़े 
बड़े कारों के, जे! उसने किये थे सुन के उसके पास 

8. | 78० क्र है वि 
आई। ८ जिसतें मंडलो उसे न दबावे उसने अपने 
शिय्यां से कद्दा कि मेरे लिये एक छोटो नाव सिद्ध 

०५ ढ- 89) 5 ही 8. 
रक्‍्खे। । ९० क्योंकि उसन बहुतां का चंगा किया था 
यहां ला कि जितने रागी थे उसे छने के लिये उस पर 
2 
गिरे पड़ते थ। ५९५ और जब अपवित्र आत्मा उसे 
७ रन्क 
देखते थे उसके आग गिर के पुकार के कहते थे कि त्‌ 
ईश्वर का पुत्र है । १५२ तब उसने उन्हें दृढ़ता से आज्ञा 
किई कि सुझे प्रगट न करे। 

९३ और आप एक पहाड़ पर चढ़ गया और जिन्हें 

2 ७७ 
उसने चाहा उन्हें बुलाया और वे उस पास आये। ९४ तब 


श्श्छ् द मरक। [३ पब्बे 


उसने बारह के। अपने संग रहने के लिये ठहराया 
जिसतें वच् उन्ह प्रचारने का भेजे। ९५ और रोगों के 
छ ञ्यै 02 ड, हे 
हर करने का आर पिशाचां का बाहर निकालने का 
सामथ्य रक्‍्खे। ९६ जऔर उसने शिमेन का नाम पथर 
च्पै 5 ०० 

रकक्‍्खा। ९७ ओर जबदो के बेटे याकूब का और याकब 
के भाई येहन का नाम उसने बुनरजिस रक्‍्खा अथात 
गज्जन के बेटे। ९८ जेर अंद्रया और फिलिप चर 
बातूलमा ओर मत्ती और तमा और इलफा का बेटा 
यांकूब और तही और शिमान किनानी। ९८ और 
यिहूदा ईस्क रियती जिसने उसे पकड़ावाया भी चर वे 
एक घर में आये। 

२० ओर मंडली फेर एकट्टी हुई ऐसा कि वे रोटी 
भी न खा सके। २९५ चर जब उसके साथियों न सुना 
कि ४. 3 ७ 7० आर. 2300५... 2९७ ./ 82, 
वे उसे पकड़ लेने का बाहर गये क्योंकि उन्‍्हें। ने कहा 
कि वृद्द बेसुध है। २२ तब अध्यापक, जे। यिराशलोनम 
से आये थे, बोले कि बालजबल उसमें है ओर वह 
पिशाचों के राजा के सहाय से पिशाचें के दूर करता 
है। २३ ओर उसने उन्हें बुला के दृष्टान्तों में कहा कि 
बने ५ ० 2 ७+ है स्तैपर 
शेतान शैतान को क्येंकर निकाल सक्ता है। २४ जैर 
यदि काई राज्य अपने बिराध में दे। भाग होजाय ता 
वह राज्य ठहर नहों सक्ता । २५ जैर यहि कोई घर 
अपने विराध में दे! भाग हे।जाय वुद्द घर स्थिर नहीं 

53४४ कक 
रहि सक्ता। २€ ओर यदि शतान अपनाही बिरे 


8 पब्ज] मरक | २९५6 


कर उठे और अलग हेय दृद्ट ठहर नहीं सक्ता परन्तु 
उसका अन्त हेाता हैं। २७ काई मनय्य किसी बलवंतके 
यह अििकी. रे + हजक ों 23208 
घरमें पेठक उसको संपत्ति का लूट नहीं सक्ता जब लॉ 
बह पहिले उस बलवन्त को बांधें तब उसके घर को 
लूटेगा। २८ में तुन्हें सत्य कइ॒ता हें कि मजुब्यके पुत्रों 
केसारे पाप ओर ईश्वर की निन्‍दा जे! वे निन्‍्हा करते 
हैं क्षमा किये जायेंगे। २८ परन्तु जे धमोत्मा के बिराध 
में-निन्‍दा बकता है से कभी क्षमा न किया जायगा 
परन्तु सदा के दंड के याग्य छेगा। ३० इस कारण कि 
उन्‍्हें। ने कहा कि उसमें अपवित्र आत्मा है। 
३९ तब उसके भाई और उसकी माता आई चर 
बाहर खड़े हे।के उसे बुलवा भेजा । ३९ तब उसके आस 
बे | लो 8070 205. <- 3 « 
बास की बेठो हुई मंडलो ने उसे कचह्दा कि देख आप 
डु नम शो 22... ०.८ थे, 
की माता और आप के भाई बाहर आप को ढूढ़ते हैं। 
-.. ७.७ 5 चर ५ दशक आर 
8३३ तब उसन उन्हें उत्तर देके कद्ा कि कान हे मेरी 
2. ्् 2 पक 
माता अथवा मेरे भाई !। ३४ और उसने अपने आस 
६. कक 00 0802 350 / ५ कर! 2 2 
पास के बठे हुआ का देखके कटा कि ये मेरी नाता 
और मेरे भाई। ३५ क्योंकि जे! काई ईश्वर की इच्छा 
के 
"पर चलेगा साई मेरा भाई ओर मेरी बहिन और 
माता है। 
॥%] ४ चाथा पब्बे। 
९ आर वह समुद्र के तोर पर फर उपदेश करने 
लगा ओआर एक बड़ी मंडलो उस पास एकट्ी हुई यहां 


| 


१२० मरक। [४ पब्बे 


०७ डे हि 0० 

ला कि व॒च समुद्र मं एक नाव पर जा बैठा आर सारी 
& ५ 

मंडलो समुद्र के तौर भूमि पर थी । २ और उसने उन्हें 
कक $$ ४25७, डर कक. कप 

अनेक बात दृष्टान्तां म सिखाया आर अपने उपदेश 

न] ०७ ञ ब् 2० पक पे ० जे ६० पड). 

म उन्हें कह्दा। ३ कि सुना, देखे एक बावया बान 

-ु ५ बट &+> की. 

का निकला। ४ आर यों हुआ कि बाते हुए कुछ 

८ कर ब हे ब् से ०५ >आ गे 
माग को आर गिरे आर आकाश के पंछी आये ओर 

_ु कर ५ लो ० 
उसे चुग गये। ६ चार कुछ पत्थरलो भूमि पर गिरे 

८7 ७७ | ्ई - जे > 7 
जहां उन्हें बहुत मिट्टी न मिलो और तुरन्त ऊगे इस 
कारण कि गहिरी मिट्टी न पाई थी। ६ परन्तु जब 
रूव्थे डटय हुआ वे भुलंस गये आर जड़ न रखने के. 

कर ५ <* $0-- 0७ रे 
कारण करा गये। ७ आर कुछ कांटों में गिरे आर 
कांटों ने बढ़के उन्हें दबाडाला और उन में कुछ न फला। 
८ ओर कुछ चेाखो भुई पर गिरे ओर ऊगके बढ़े 
५ ५ 
और फल लाये कुछ तीस गुने कुछ साठ और कुछ सो 
ख््‌ का ५ 

गुने। « आर उसन उन्हें कद्दा कि जिस किसी के कान 

सुन्ने का हे।वे से सुने। 
>> ८ के. डा हक... 

२९० और जब वह अकेला था ला जा उसके आस 
पास थे उन्हों ने उन बारह के संग उस दृष्टान्त का डसे 
पक्का । ९५ तब उसने उन्हें कहा कि ईश्वर के राज्य के 
कर >> ८ ३०१५ खिये 
भेद का ज्ञान त॒म्ह दिया गया है बाहर बालों क लिये 
सारौ बस्त दृष्टान्तों में होती हैं। ९२ जिसतें देखते 

० ७७ औ में ५ 83. कक 
हुए देखें आर न रूमें ओआर सुनते हुए सुनें आर न 

3... किक आर हे ०७ २५ 3 # 
अमकक नहे। कि वे कभो फिराये जायं आर उनके पोप 


४ पब्ब] मरक। १२९ 


क्षमा किये जायें। ९१३ ओर उसने उन्हें! कहा कि तुम 
यह दृष्टान्त नहों समकते? फेर सारे दृष्टान्त केसे 
समझओोगे !। ९४ बेवेया बचन बोता है। ९५ और ये 
हैं वे जे माग की ओर हैं जहां बचन बोया जाता है 
परन्तु जब उन्हेंने सुना शैतान तुरन्त आता है और 
बचन के।, जे। उनके मन में बाया गया था लेजाता है। 
९६ आर वैसेही वे है जे पत्थर लो भूमि में बाये गये 
हैं जे बचन के। सुनके तुरन्त आनन्दता से ग्रहण करते 
हैं। ९७ और आप में जड़ न रख के तनिक उचहरते 
हैं आर उसके पीछे, जब बचन के निमित्त दुःख और 
ताड़ना हेती है ते हाली उदास हे जाते हैं। ९८ 
और जो कांटें में बोये गये से वे हैं जे। बचन के 
| सुनते हैं। ९८ और इस जगत की चिन्ता और घन 
कौ छलता अरु ओर बस्तन के लेभ भीतर पेठ के बचन 
का दबा डालते हैं और वह निष्फल हेता हैं। 

२० और वे जा चाखी भुई में बाये गये हैं ये हैं जे 
बचन के। सुनके ग्रहण करते हैं ज्ैर फल लाते हैं 
कितने तीस गुने कितने साठ और कितने से गुने। 
२९ ओर उसने उन्हें कहा कि दौपक इस लिये लाते 
हैं कि नांद के अथवा खाट के नीचे रकखें ओर दौअठ 
पर नहीं !। २२ व्योकि कुछ छिपी नहीं है जे! प्रगट 
न होगी और केई वस्तु गुप्त न रक्ली गई परन्तु जिसमें 


खुल जाय। २३ यदि किसौ के कान सुन्ने के हे।वे ते 
] 





५९३ मरक। . [8 पब्बे । 


सुने। २४ फेर उसने उन्हें कहा चाकस हे कि क्या 
सुनते डे! कि जिस नपुण से नापते हो तुम्हारे लिये 
नापा जायगा आर तुन्हें जा सुने हो अधिक दिया 
जायगा। २४ क्योंकि जिसपास है उसे दिया जायगा 
और जिसपास नहीं है उस्समे वुदं भो जे वृद्द रखताहै 
फेर लिया जायगा। 

२६ ओर उसने कहा कि ईश्वर का राज्य ऐसा हैं 
जैसा कि केाई मनृय्य भुईं में बोहन बेवे। २७ और 
रात दिन सेब जागे आर बौहन ऊगके बढ़े वृच्द नहीं 
जानता कि किस रौति से। र८ क्यांकि टथिवों आप 
से फल लाती हैं पहिले अंकुर फर बाल उसके पौछ 
बाल में भर पर अन्न लगते हैं। २८ परन्तु जब वृच्द 
पका तुरन्त वुद्द हंसुआ लगाता है इस कारण कि 
लवती पहुंची है। 

३० और उसने कहा कि हम इईंशर के राज्य का 
किस्से उपमा देवें! और उसके लिये केानसा उपमा 
लावें!। ३९ वह राई के समान हैं जा जब भूमिम 
बाोया गया सारे बीहन से जे। भमि में हैं छाटा है। ३२ 
परन्त जब बोया गया है वृद्र ऊगता है आर सारे 
तरकारियों से बड़ा हेता है ओर बड़ो बड़ी डालियां 
फटती हैं यहां लें कि आकाश के पंछी उसकी छाया 
तले बास करते हैं। २३ ओर वृच् उन्हें ऐसे हो बहुत 
से दृष्टान्तों में उनकी बुझा के समान कहता था। ३४ 


| 









धू पब्ब] मरक। १२३ 


परन्त बिना दृष्टान्त वुद्द उनसे न कच्दता था और जब वे 
2] को ० ७ ० शि ब्>७ 2 > ९ 
एकान्‍्त में होते थे वह अपन शिष्या से सब का अथ 
करता था । 
३५ ओर उसी दिन जब सांकहुई उसने उन्हे कहा 
कि आओ उस पार चले। ३६ ओर वे मंडली के बिदा 
95 ५ 2 0 न 
करके उसे जेसा था वेसा नाव पर चढ़ा लिया ग्ार 
वहां और भो छाटो नावें उसके संग थों। ३७ तब 
बयार को बड़ी आंधी चली और लहरें नाव में ऐसी 
लगीं कि वुद्द भरगई। ₹८ ओर वह पतवार की ओर 
एक उसो से पर सेआ था तब उन्हां ने उसे जगा के कहा 
कि हे गुरु आप चिन्ता नहीं करते कि हम नष्ट हेते 
हैँ !। ३८ तब उसने उठ के बयार के दपटा खैर समुद्र 
केा कहा कि स्थिर हे। तब बयार धमगई गैर बड़ा 
्े 2 2 के ७ हि: छ> 
चन हुआ | ४० फेर उसने उन्हें कहा क्या ऐसे भयमान 
हे।! क्योंकर है कि तुम बिश्वास नहों रखते ?। ४९ 
क्र ७ स्किप हल 2 
तब वे अत्यन्त डरके आपुस में कहने लगे कि यह किस 
रोतिका मनृथ्य है कि बयार ओर समुद्र भो उसे 
+ .+० 
मानते हैं !। 
| ५ पांचवां पब्बे। 
९ आर वे समुद्र के उस पार गदरानियें के देश में 
'पहुंचे। २ और जब वृद् नाव से उतरा तरन्त एक 
मनृय्य जिसपर अपवित्र आत्मा था समाधिन से निकल के 
डसे मिला। ३ बुच्द समाधिन में रहता था ओर कोाई 


१५२४ मरक। [५ पब्बे. 


मनृश्थ उसे सोीकरों से भी बश में न कर सक्ता था। ४ 
७७ नव 5३ फक ०५९१५. तो ५ 
क्यांकि वृद्ध कई बेर पकड़ियां आर सौकरों से जकड़ा 
न & जी नजर &> कस - 
गया था आर उसने सोकरों का कटके से अलग किया 
 अि *५४ 6 2 की जे कु कप ०2 
थाओर पकड़ियां का ताड़ के टुकड़े टुकड़े कर दिया 


बे 5 ० हे ०७ 2 ह 
था ओर काई उसे बश मे न करु सक्ता था। ५ आर 
९५ हू सकड ५ | 

वुद्द रात दिन नित पहाड़ेां में आर समाधिन में रहता 
3 आ - ५ 46 29%. « दम ह 

था आर चिल्ला चित्ञा अपन का पत्थरों से काटता था। 


-ज... हक." 5 %५. 50. पक 

६ परन्त जब उसने यिशु का ट्रर से देखा ता दोड़ के 
हलक कु का 2 2... ४ ० 2 

उसे प्रणाम किया । ७ आर बड़ शब्द से चिल्ला के कहा 
कि हे अतिमहान ईश्वर के पत्र यिशु मुझे आप से क्या 
काम ! में आप को परमेश्वर की किरिया देता हां कि 
आप मुझे न सताईये। ८ क्योंकि उसने उसे कह्ा था 
कि अरे अपवित्र आत्मा सइ मनय्य से बाहर निकल। 
€ तब उसने उसे पूछा कि तेरा नाम क्या ? उसने उत्तर 
टेके कहा कि मेरा नाम सेना क्योंकि हम बहुत हैं। 
९५० ओरं उसने उसकी अति बिनती किई कि हम इसे 
० जिये रे टों 
देश से निकाल न दोजिये। ९९५ ओर वहीं पहाड़े के 


पास झूअरों- का एक बड़ा खंड चरताथा। ९२ तब 


सारे पिशाचें ने उसकी बिनती करके कहा कि हमें 
उन रूअरें में भेजिये कि हम उन में पठें। ९३ थिशु 
ने तुरन्त उन्हें जाने दिया अर अपवित्र आत्मा बाहर 
जाके रूअरों में पठ गये और वह ऊरूंड कड़ार पर से 
बेग दाड़ के समुद्र में गिर पड़ा और समुद्र में थरास रुक 


थू पन्ने] | मरक | ९श्पू 


गये (वे दे। सहस्॑त के लगभग थ)। ९४ अर छरूअरं के 
_ चरवाहे भाग और नगर में और उस देश में संदेश 
दिया तब जा कि किया गया था उसे देखने को वे 
निकल आये। १५ झओर उन्‍्हों ने यिशु के पास आके 
उस पिशाच ग्रस्त के, जिस पर सेना थो बेठ और बचत 
पहिने सज्ञान देखा तब वे डर गये। ९६ चर जा कि 
पिशाच बस्त पर बीतगया था आर रूअरे कौ दशा केा 
जिन्हा ने देखाथा उन्हें ने उन्हें कहा। ९७ तबवे 
उसकी बिनती करने लगे कि हमारे सिवान से निकल 
जाइये। ९८ चर जब वृद्द नाब पर आया तब जा 
. पिशाच ग्रस्त था उसने उ़सके संगू रहने के लिये उसकी 
! बिनती किई। ९८ तिस पर भी यिशु ने उसे आने न 
ढिया परन्त कहा कि अपने मित्रें। के पास घर जा ओर 
उन्हें कहा कि प्रभु ने तक्क पर दया.करके केसे केसे 
बड़े अनुग्रह किये। २० तब वुदर चला गया आर दस 
नगर म उन बड़े कायां का, जा यिशु ने उसके लिये 
किये थे प्रगट करने लगा और सभों ने आश्रय माना। 
२५ और यिशु नाव पर चढ़के इस पार फिर आया 
बहुत लेग उस पास एकट्ले हुए आर वह समुद्र के तौर 
पर था। २२ ओर मंडली का एक प्रधान याइर नाम 
आया ओर उसे देख कर उसक चरण पर गिरा। २३ 
ओर उसकी बहुत बिनती करके कहा कि मेरी छाटी 
बेटी मरने पर पड़ी है आके अपने हाथों को उस पर 


१२६ मरी ., [५ पब्बे 


2०७३०. 3 5; ते ५ 
रखिये जिसते वुच्द चंगी हेजाय और वच् जीएगी । २४ 
2 जे ५. 8 2 हे 
तब यिशु उसके संग गया आर बहुत से लागों ने उसके 
पीछ हेकके उस पर भीड़ किई । 
डे ह * 5 
२५ आर एक स्तरों जिसका बारह बरस से लाह्ह 
५ आन 
बहता था। २६ आर बहुत से बचद्यों से बड़ा बड़ा दुःख 
222 
उठाया और अपना सब कुछ डउठान करके चंगी न हुई 


परन्तु अधिक रागिनी हुई। २७ यिशु का समाचार 


& ख्र्‌ ४ ० 
सुन के उस भौड़ में पीक्ो आई और उसके बस्ल को 
४5 ७ हैक ५ बी 0 22 8. 

क लिया। र८ क्याकि उसने कहा कि यदि में कंवल 
दा कर ५ सतत एड * हज | ०५ 
उसके बस्लें। के छओ ते चंगी हरेजाउंगी। २७ ओर 
तुरन्त उसके ले।ह् का सेोता रूख गया और उसने 

५० 
अपने शरीर से जान लिया कि उस रोग से में चंगी 
6 कप हि ढेर है? मे 
हुई। ३० तब वे यिशु ने त्रन्त आप म जाना कि मुस्मे 
शक्ति निकली भीड़ की ओआर फिर के कहा क किसने 


>> दंड र 0 कल 3३7 के आशिक >> > मर । 
मेरे बस्ला का छञआा | ३९ तब उसके शिय्थों ने डसे कहा 


कि आप देखते हैं कि मंडली आप पर भीड़ करती है 
और फेर कहने हैं कि मुमे किसने छञआ!। ३२ 
और जिसने यह किया था उसे देखने का वह चारों 
फेरे «० 
ओर दृष्टि करने लगा। ३६ परन्तु जे। कि उस पर बीत 
गया था उसे जानके वह स्त्री डरती कांपती आई ओर 
3. पे 4३ के 2 
उसके आग गिर के सच सच बाली। ३४ ओर उसने 
उसे कहा कि हे पुत्रो तेरे बिश्वास ने तुभो चंगा किया 
कुशल से जा और अपने राग से बची रचह। 


| धू पब्म] मरक। ९२७ 


3५५३ ७७३ 28 खा 
३४ वचद् कह्ताही था इतने में मंडलो के उस प्रधान 
के घर से लागों ने आके कहा कि तेरौ बेटी मर गई त्‌. 
2 ५2% 72 ; न्‍्हे कह 5500 धन 
गुरु के अब क्यों छश देता है। ३६ विशु ने उस कहे 
हुए बचन के सुनके मंडलोौ के उस प्रधान से कहा कि 
मत डर केवल बिद्यास रख। ३७ तब उसने पथर जऔर 
याकूब और उसके भाई येाहन के छोड़ किरी के 
क्र हल जे | ला + हट 
अपने साथ आन न दया। हे८ ओर उसने मंडलो के 
न ५ वर कि: ० के ञ्ै 0. 
प्रधान के घर मं आके लागों का धम करते और रोते 
और अति बिलाप करते देखा । ३८ और भोतर जाके 
रु “कु ०७ आर न रे #५३७ ०२०७ «<. 
उसने उन्‍्ह कहा कि तुम क्या धूम करते और रोते हा! 
ड्ं नं ७ बे का 
कन्या मर नहीं गई परन्तु नोंद में है। ४० तब वे उस 
पर हंसे परन्तु वृद्द सब का बाहर करके उस कन्या के 
८5 ३ ञ्ग्ै छः. हे 8५ #॥ +% मच 25 पक... छा, 
माता पिता के ओर अपने संगियें का लेके, जहां 
वह कन्या पड़ो थी, भौतर गया। ४९५ तब उसने उस 
नया का हाथ पकड़ क॑ उसे कहा कि तालौताकमी 
अधथात कन्या में तमो कच्ता हें कि उठ। ४२ जार 
वुच्द कन्या तुरन्त उठो आर चलने लगी क्योंकि वुच्द 
बारह बरस की थी खेर वे बड़े आञअ््य से आअयित 
ये दर कि व । +5६ बे 
हुए। ४३ तब उसने उनन्‍्ह दृढ़ता से कह्ठा कि उसे काई 
नजाने ओर अज्ञा किई कि उसे कुछ खाने का देड। 
६ छठवा पब्बे। 

९ तब वचह्ठ वहां से चला ओर अपनेही देश में ब्राया 
और . उसके शिम्य उसके पीछे हे! लिये। २ और जब 


श्र८ मरक । [है प्ब्बेः 


बिश्राम का दिन आया वृह मंडलौ में उपदेश करने 
लगा आर बहुतेरे सुनके बिस्थ्ित हे कहने लगे कि 
इसने ये सब कहां से पाये! ओर उसे यह क्या बुद्धि 
दिई गई है कि ऐसे ऐसे आअ्ये कम उसके हाथ से 
किये जाते है?। ३ क्या यह मरियम का पुत्र बढ़ई 
नहीं ! याकूब आर यसा और यिकू दा और शिमेन का 
भाई नहों ! ओर क्या उसैको दछहिनें यहां हमारे पास 
नहों ! ओर वे उस्मे उदास हुए। ४ परन्त यिशु ने उन्हें 
कहा कि भविश्यदक्ना आदर रहित नहीं परन्तु केवल 
अपनेही देश और अपन्चो बदुट॒म्ब में अर अपनही 
घर में। ५ और वृष वहां काई आअ्य कम न कर 
सका केवल उसने हाथ रखके थाड़े रागियां का चंगा 
किया। ६ ओर वुद्द उनके अबिश्वस के कारण बिस्थित 
हुआ येर चारें आर के गांओां में उपदेश करता 
फिरा। 

७ तब उसने उन बारहें। के बुलाया ओर उन्हें दे 


डे करके भेजना आरंभ किया और उन्हें अपदिंत्र द 


आत्माओं पर सामथ्य दिया। ८ ओर उन्हें आज्ञा किई 
कि य.त्रा के लिये एक लाठी के छोड़ कुछन लेआ न 
मकेली न रोटो न पटुके में रे'कड़। ८€ परन्तु अपने 
पांव में जूता पद्धिन लेओ ओर दे। अंगे न पहिनेा | १० 
और उसन उन्हें कहा कि जहां कहीं किसो घर भें जाओ 
'जबलों उस स्थान से न निकलें। वहीं रहे।। ९९५ और 


ह 


€ पब्म] मरक।| ९२८ 


जा काई तुन्ह ग्रहण न करे चेर तुम्हारा न सुने 
जब तुम वहां से निकले ता उन पर साज्ञौ के लिये 
अपने चरण की धूल भाड़े में तुन्हें सत्य कहता हे। कि 
न्याय के दिन में सटम अर अमरा के लिये उस नगर 
से अधिक सहज हेगा। ९२ ओर वे बाहर निकल के 
प्रचारन लगे कि लाग पञ्चात्ताप करें । २३ जार अन्क 
पिशाचें के दूर किया और बहुत रोगियें पर तेल 
रूगा के चंगा किया। 

९४ और हौरोाद राजा ने सुना (क्यांकि उसका नाम 
फेल गया था) तब उसने कहा कि याहन ख्ानकारक 
मुत्यु से जो उठा है इस लिये उस्मे आञ्यय कम दिखाई 
देते हैं। ९५ जेरोंने कह्दा कि यद् इलिया है आर 
कितने ने कहा कि एक भविष्यदक्का है अथवा एक 
भविष्यदत्ता के समान । ९६ परन्तु जब हीरोद ने सुना 
उसने कहा कि यह येाहन है जिसका में ने सिर 
' कटवाया वच्चौ म॒त्यु से जौ उठा है। ९७ क्योकि हौराद 
ने अपने भाई फिलिप को पत्नौ हौरोादिया के लिये 
जिसे उसने ब्याहा था आपही लेगों का भेज के याहन 
के पकड़वा के बंधन में डाला था। “८ क्यांकि याहन 
ने होराद से कद्दा था कि आप का उचित नहों कि 
अपने भाई की पत्नी का रकक्‍्खें। ९८ इसलिये हौरो-_ 
दिया उद्ये बेर रखती थी ओर उसे घात किया चांहती 

थी परन्तु न सक्ों थोीं। २० क्याकि हौराद येहन के 


९३० मरक | [६ पन्‍्ने॑ | 


5 | पे 
सज्जन ओर पवित्र मनय्य !४नके उस्म डरता था . 


3 के रे 0> प 
ओर उसे मानता था ओआर उसका उपदेश सुनके 
७ ज्५ 
बहुतसी बातों पर चलता था ओआर आनन्‍्द से डसे 
न ३. + 
सुनता था। २९५ आर जब ञआंसर का दिन आ पह्चा 
हक कप ५: अर ७७ डे को को 
ता होराद ने अपने जन्मदिन मे अपने बड़ों आर 
सेनापतियां और गालील के प्रधानां के लिये जेवनार 
बनाया! २२ तब हौरादिया को पुत्रे भोतर आई 
रे डे न हख 7 ०१ आर * 
आर नाचौ और हौराद का, आर उसके नेउंतहरियों 
को प्रसन्न किया तब राजा ने उस कन्या केा कहा कि 
० को, ३ 322७ ५ रे ५० छपी नि 
जा तरीौ इच्छा हेय मुस्स मांग आर में तुक देडंगा। 
2 हि. *_ ७९. 
२२३ ओर उसने उसके लिये किरिया खाई कि मेरे 
3302 ऐ बम ज््५० 23 ५ अंजलि मं 
आधा राज्य ला जे। कुछ त्‌ मांगगी में तुक्क देडंगा। 
22 चर > है शत 
२४ तब उसने जाके अपनो माता से पूछा कि में क्या 
मांगों ? उसने कहा कि याहन स्लानकारक का सिर । 
बे 
२४ तब वृद्द तुरन्त राजा पास फ्रती से आई और यह 


कहिके मांगा कि में चाहती हे कि एक थाल में येहन- : 
खानकारक का सिरि अभी मुझे मंगवा दौजिये। रह 


तब राजा अति उदास हुआ परन्तु अपनी किरिया के 
और जेवनहरियें के लिये उसने न चाहा कि उसे 
फेरे। २७ तब राजा ने तुरन्त अपने एक पहरू का 
भेज कर आज्ञा किई कि उसका सिर लावे से उसने 
जाके बन्दीगुइ में उसका सिर काट डाला। र८ ओर 
उसे एक थाल में लाके उस कन्या के आर कन्या ने उसे 


हे 


ह पब्बे] मरक । ह ह ९३९ 


अपनो माता के दिया। २८ जब उसके शिश्थें ने सुना 
हल फोर हैः: 2 368 ७ 
वे आक उसकी ले।थ का लेक समाधि में रक्‍्खा । 

३० ओर प्रेरित विशु पास आये और सब बातों के।, 
जा उर्कीं ने किई ओर जे उन्हों ने सिखाई डसे 
कहीं। ३९ तब उसने उन्हें कहा कि तुम छने स्थान में 

ही झ्पे ३ छ ४ 
अलग चले और तनिक बिग्राम करो क्योंकि वहां 
७९: ३३ 25 08 छा 
बहुत आते जातेथ ओर उन्‍हें भाजन करने का भो 
अवकाश न मिलता था । ३२ तब वे अगल नाव पर 
3 कै 20 8 बे 0 
बठ के एक छूने स्थान म॑ चले गये। 
३३ आर लेगों ने उन्‍हें जाते देखा और बहुतेरों ने 
से २ रा आ 2 8 2 धर न ०. 
उसे चौन्हा आर सारे नगरों से पांव पांव उधर ढाड़े 
4 जे ० ब्ु 
| ओर उनसे आगे जा पहुंचे ओर एकड़ उस पास आये। 
५ है 2 9 0 द8॥ हल हि 
३४ तब यिशु उतरा ओर बहुत से लागों का देखके 
२०३ ब् ० बि 3 ७ आन शक 
उन पर दवाल हुआ क्यांकि वे बिनगड़रिया के भड़ां 
की 80 जे. को 35 ९० , 
की नाई थ ओर व॒च्द उन्ह बहुतसा उपदेश करने 
, ऊ'ल्नगा्‌ || 
» ॥ लए ब्९ ८: नव 
ह५ ओर जब दिन बहुत ढल गया उसके बिय्यों ने 
० ब्५्‌ 
उस पास आके कहा कि यह रूना स्थान है आर समय 
बहुत बीत गया। ३६ उन्हं बिदा कौजिये जिसतें बे 

व 40 2 3. 0 85% 20५ ५:५५ किक न 

चारों ओर के देशां आर गाओं में जांय ओर अपने 
लिये भाजन मोल लेवें क्योंकि उनके भाजन के लिये 
०५०२ ०४ 45 कर 
कुछ नहों है। ३७ उसने उन्हें उत्तर में कहा कि तुम 

ही जार वि " ७. + 

उन्हें खाने के। देउ तब वे उसे बोले कि हम जायें आर 


ध्देक मरक। -.. ..[हं पतन 


दे से रूकी को रोटो मेल लेके उन्हें खाने के दे ?। 
ह८ उसने उन्हें कहा कि तुन्हारे पास कितनी रोटियां 
हैं? जाके देखा ओर उन्‍्हों ने बककके कहा कि पांच 
राटियां और दे। मछलियां। ३८ और उस! |; 
अ.ज्ञा किई कि हरी घास पर पांतो पांतो र'भां का 
बैठाओ। ४० तब वे से से और पचास पचास को 
पांती बांध के बेठ गये। ४९ और जब उसने उन पांच 
राटियां आर दे! मछलियें का लिया ता खग को ओर 
ताक के बर दिया आर रोाटियों का ताड़ के अपने 
-शिग्थों को दिया कि उनके आगे रक्खें आर दें। मकछ- 
लिये के। भी भाग करके उन सभों को बांट द््यि्‌ । 8२ . 
तब सब खाके ढ प्र हुए । ४३ और उन्हें ने चर चाय म्रेः* 
बारह टोकरियां भरीं और मछलियों से भी उठाई 
४४ आर जिन्‍्हों न राटियां खाई से अंटकल न“ प्रीच् 
सहस परुष थ । | हु श *: ; हे 
५ आर त्रन्त उसने शिः्धा का इढ़ आज्ञा ०: 
कि न|व पर चढ़क आगे उस पार बतसेदा कें। जाता 
जब लों में ले।गों के बिदा करों। ४६ ओर जंबें उसने 
उन्हें बिदा किया दुद्द एक पहाड़ पर प्रथना के लिये 
गया। ४७ और जब सांकक हुई नाव बोव समुद्ध में थी 
और आप भमि पर अकेला था। ४८ और उ में उन्हें 
खेवत खेवत परिञअ्रम म टेखा क्यांकि पर्व, उनके 
सनन्‍्मुख था आर रात के वाथे पहर में समुद्र पंरं चलते 


है * 
«कु 


हैं पब्बे]  ।सरेक। ः ९३३ 


चलते वृद्द उन पास आया और उनसे आगे बढ़वला 

_ था। ४८ परन्तु जब उन्होंने उसे समुद्र पर चलते देखा 

| ता भुम समुककत के चिल्ला उठ। ५० क्योंकि उसे देख के 

| सब ब्याकुल हुए ओर वुच्द त्रन्‍्त बेला आर उनसे कहा 
कि सुक्यिर हाओ मत डरे में हां। ५९ और बुच्द 
उन पास नाव पर गया अर पवन थम गया ग्रार वे 
आप में बेपरिमाण अति बिस्थित हुण० ओर आशय 
किया। ४२ क्योकि उन्होंने उन राटियेों के आअ्यय के 
न सेचा था इस लिये कि उनका मन कठोर ह्लेोगया 
घथा। 

५३ ओर जब वे पार पहुंचे ता गनेसरत के देश 

| आये अर तोर पर गये। ४४ अर जब वे नाव से 

उतर आये तुरन्त लागां ने उसे पद्चिचाना। ५५ ओर 
उस देश की चारों आर टाड़े ओर रोगियों के खाटों 
पर उठा डठा वहां लाते थे जहां नहा ने सुना था कि 
बच च्दै। पूछ और जहां कहीं गांओं में अशथबा 'नगरों 

ञ्ञें अथवा देश में बह जाता था उन्होंने रागियों के 
माओं में रक्खा ओर उसको बिनतो किई कि हम केवल 
आप के बस्तर का खट ला छव॑ आर जितनां ने छआ 
चंग डे|गये। 

७ सातवां पब्बे। 

._ ९ तब यिरुशालम के कई फिरुसी ओर अध्यापक, 


क्‍ प दब ५ ५ 
उस पास एकट्टे हुण। २ आर जब उन्‍्हां न उसके 
; ॥2/ / । 


३४8 द मरक | ,  : 3 गज 


कितने शिव्यें। का अशुद्न अथात बिन घोये हाथों से राटौ 

खाते देखा ता देष लगाया। ३ क्योंकि फिरसी ओर 

सारे यिहूदो प्राचीनां के ब्यवह्वारों का मान मान के 

7 कै अप ॥ रो कक न 
बारंबार बिना हाथ धाये नहीं खाते हैं । ४ आर हाट 
न रे कर 

से आरके बिना:खान किग्रेनदी जाते हैं: आर 

०५० $ नच्दे । 

अनेक रौति हैं जे। उन्हा ने ग्रहण करके मान लिया है , 

“3 आप आर ु € ड् पे 

जेसा कि कटोरा कटोारो आर पौतल के बतन आर / 

है से ८ "७ ० ञ् ०. 5 आर 

मंच का धाना। ५ तब फिरुसियां आर अध्यापकां न 

डसे पक्का कि आप के श्ि्य प्राचोन के ब्यवद्ार पर 

क्या नहों चलते परन्तु बिन धाये हाथा से राटी खाते 

के ५५ फल 5, ७+ है. 

हैँ !। ६ उसने उत्तर टेके उनहं कहा कि अशाया न 
छह 2 & 53 ७ ५ 

भविश्य से तुम कपटियां के बिबय म भला कहा जंसा 

नह ५8५३७ ९० 

लिखा है कि ये लाग हेंठों से मेरा आदर करते हैं 

परन्तु उनका मन मुक् दूर है। ७ तथापि वे बुधा मेरी 

जा >-. ३२३५० ७ + तन पे | 

सेवा करते हैं कि मज॒य्था की आज्ञा का अवश्य ठहरा 

के५५ $ मु 

के सिखाते हैं । ८ क्योंकि इंश्वर को आज्ञा का टाल के 
सजी ।2०- दा ७०. 5 पीके के 

तुम मनुय्या के व्यवहार का मानते हा जसा कि कटारा 

रु न ०. कक ० 
कटोरी का धाना आर ऐसी ऐसो अनेक बात हैं जा 
- & 

करते हे । ८ और उसने उन्हें कहा कि तुम ईश्वर कौ 

आज्ञा के भछो रौति से टाल देते हे जिसतें अपनी 

व्यवहार में रहे।। ९० क्योंकि मूसा ने कहा है कि 
बिक 55005 

अपनो माता पिता का आदर कर आर जा काई 

माता अथवा पिता का घिक्कारे वुद्द अवश्य मारा जाय। 










७ पब्ब] मरक। श्श५ 


को ५2% " 
९९ परन्तु तम कच्ते हे कि यदि मनुष्य अपनो माता 
हर 2 किस कस 998. हक 
अथवा पिता का कहे कि जे। आप का मुख्य लाभ हाना 
था से कुबान है 5थत अप्ण किया गया। ९५२ और 
आगे के। तन उसे माता अथवा पिता के लिये कुछ 
करने नहीं देते। ९१३ से अपना ब्यवह्ार ठचरा के 
;। के पड ऊ. 
ईश्वर के बचन का ब्यथं करते हा ओर णेसी ऐेसी 
अनेक बात मानते हे । 
५ के अर आज 392 00 ब् 4 
९४ ओर उसने सब लागों का बला के उन्‍हें कच्ा 
कि हर एक मेरी सुना और समस्के। ९५५ मन॒य्य के 
् हें +उ& ०७3 ०५ ४! केक 
बाहर बाहर काई बस्त नहीं जे उसम पठ के उसे 
ः अ ः 0. 25. ०५५ के 
अशुद्ध कर सके परन्तु जे उस्मु निकलतौ है से मनुस्य 
॥ +९० जा ०३ 23 
का अशुद्ड करती हैं। ९६ यदि किसी के कान सुन्न के 
लिये हाय तो सुने । 
९६ और जब वह लागों के पास से घर में गया 
०: 77 कक आर 2 ऐ&8-. 50. 
उसके शिष्या ने उस दृष्ठान्त के बिषय में डसे पक्का । ९८ 
९ ०७ पक कै हक ७७ 
तब उसन उन्हें कहा कि तुम भो ऐसे अबाध हे! तुन्हे 
शो न्‍ु 5 ४ डक 
नहीं रूकता कि जा बाहर से मनुष्य भम॑ पठतो हऊँसेा 
डसे अशुद्ध नहीं कर सक्ती। ९८ इस कारण कि वह 
कक ्ों रे जि 70 
उसके मन में नहीं पेठती परन्त ओर में ओर सारे 
७ कप 53 +. ८ सु 
भाजन का शुद्ध करके संडास में निकलती है। २० 
और उसने कहा कि जे मन्ण्य से निकलती है से 
ननुख्य का अशुद्ध करती है। २९ क्योंकि मन्‍्ब्ये। के मन 
में से बुरो चिन्ता, परस्त्रो गमन, व्यभिचार, हत्या,। 


९छ६ द मरक। [७ पब्ब | 


२२ चेरी लालच, दृष्टटा, छल, छिनालपन, कुद्टष्टि, 
इईंशर की भनिन्‍दा अहंकार, भखंता। २३ ये सब बरे 
बरे कंम भीतर से निकल के मनवथ का अशुद्ट करते 
। 

२४ तब यिशु वहां से उठके रूर. और सेदा के 
 सिवानों में गया आर उसने एक घर में जाके चाहा 
कि काई न जाने परन्तु वुद्द गुप्त न रह्ि सक्ता था। २५ 
क्यें।कि एक सली जिसकी कन्या पर अशुद्ध आढ्या था 
उसका समाचार - सुनके आई जआैर उसके “चरण पर 
गिरी। २६ वुहू स्त्रो यूनानी आर सरफनीकी की 
ढेशिनों थी उसने उसको बिनती किई कि आप पिशाच 


ल/ ८ 


के मेरी पुत्री पर से दूर करिये। २७ परन्तु यिशु ने 
40: कल 0 ही ८. 2०... ५५० के | 

उसे कहा कि पहिले बालका को तुप्त दान दे क्याकि 

 डचित नहीं कि बालकों की शाटी लेके कुत्ता के आगे 


(8: 7४7... शक ए 2 है ५ ५ कब 
फेंकिये। र८ तब उसने उत्तर देके उसे कहा कि ठौक 
है प्रभु तथापि कुत्ते भौ मंच के नोचे बालकां की रोटी 
७३. ते ९२2 कह 
का चर चार खाते हैं। २८ तब. उसने उसे कहा कि 
#- कप 53. 
इस कहने के लिये चलो जा व पिशाच तेरी प्री से 


उतर गया। ३० ओर जब वुचद्द अपने घर पहुंची उसने 
देखा कि पिज्ञाच उतर गया और उसकी पुत्रों खाट पर , 


लेटी है। 
३९ ओर फिर वह छू्र जार सदा के सिवानां से 


निकल के दस नगर के सिवान के मध्य से गालील के 





/ पक जी कील सर... नर ंआआओंओं 


छू पब्ब] मरक | ९३७ 


समुद्र की आर आया। ३२ तब वे एक बहिरे मनुय्य 
है 3 को 8 ०. 2७७ 28५ ७१५९४ ९ ४ कप 
का जा तातला के बालता था उस पास लाये ओआर 
उसकी बिनतो किई कि अपना हाथ उस पर धरिये। 
३३ और वुद उसे उस मंड्लो से अलग ले गया और 
अपनी अंगुलियां उसके कानों में डालों और घक के 
गे 2 
उसके जोभ के छत्ा । ३४ ओर खग कौ ओर देखते 
हुए हाय किया और उसे कद्दा कि अप्फता अथात 
खुलजा। ३५ ओर त्रन्त उसके कान खुल गये गैर 
५ ५ बकरे 
उसकी जीभ का बंधन ढीला हुआ ओर वुद् खाल के 
बोलने लगा। ३६ और उसने उन्हें आज्ञा किई कि 
किसी का न कहे। परन्त जितना उसने उन्हें बरजा था 
_ तितना वे उसे अधिक प्रचार ते थे। ३७ और बेपरिमाण 
बिस्मित हे।के कहने लगे कि उसने सब कुछ अच्छा किया _ 
है वह बहिरां का ओता चर गंगा को बक्ता करता है। 
८ आठवां पब्बे। 
रु 

९ उसो समय मं, जब मंडलो बहुत हुई और उन 
5 रथ ८ 8... कै ३ 
पास कुछ भाजन न था यिशु न अपने शिश्यों का बुलाके 
उन्हें कहा। २ कि मंडलो पर मुझे दया आती है 
क्यांकिवेतीन दिन से मेरे संग हैं आर कछ खाने का 
नहीं रखते। ३ आर यदि. में अपने अपने घर उन्हें 
उपबासी भेजां वे माग म॑ निबल होजायंग क्याकि 
कितने उन में दूर से आये थं। ४ तब उसके शिषय्या 
०3० ह्र्प ५ 5 
ने उसे उत्तर दिया कि मनुष्य इस अरण्य मे कहां से 


९्श्द मरक। [छ पब्बे . 


डन्हं राथो से तुप्त कर सके !। ५ तब उसने उन्ह पढछ्का 
कि तस्हारे पास कितनी रोटियां हैं! वे बाले कि सात । 
हं तब उसने लेगों का आज्ञा किई कि भमि पर 
: ० 5) ०. पलक... ज्ु 05 ४ रही ० कि हे 
बेठजाओ और उसने उन सात रोटियां का ले कर 
कक लक डे रु 5 पक 0. < 
धनबाद करके ताड़ा आर अपने शिप्था का दिया कि 
दे कर 2 ज् (0 0295७. ०५ और 
उनके आग धर और उनन्‍्हां ने लागां के आगे रक्‍्खा। 
७ ओर उन पास कई एक छोटी मछलियां थीं उसने 
धन्यबाद करके अ'ज्ञा किई कि उन्हें भी आगे धरेा। 
८ सा वे भाजन करके त॒प्त कुए आर उन्हाने चर चार 
से, जे। बच रहे थ सात टाकरियां उठाई । € जार 
जिन्हांन भाजन किया था से चार सहस्र के अटकंल म 
थे तब उसने उन्हें बिदा किया। 
अं नर *_्> छः ये ध ई 
५० और त्रनन्‍त वह अपने शिश्था के संग नाव पर 
चढबेठा और दालमनता के सिवाने म॑ आया | ९९ तब 
फिरुसी निकले अर परौक्ञा से .उस्मु प्रश्न म॑ खगे से एक 
लक्षण चाहा । ९२ तब उसने अपने मन म॑ अति हाय 
करके का कि यह ५ढ़ी कित कारण लक्षण ढूंढ़ती | 
तन्‍्हें सत्य कहता हों कि इस पौढ़ो का काई 
लक्षण दिया न जायगा। ९३ त्रार दुद उनन्‍्हं छाड़ क 
नाव में हे|के उस पार चला गया।. 
जे 2. 35०. न्‍ ञ्ैत लय 
९४ आर वे राटो लेने के भल गये थे आर उनके 
संग नाव पर एक रोटी से अधिक नथों। ५५ तब 
उसने उन्हें आज्ञा करके कहा कि फिरुसियां ओर 


छू पब्ब] मरक । ९३८ 


3 के कप 
हिराह के खनोर से चेकस रहे।। १६ तब वे आपुस 
5०० 0 शी हे ५५ है च्ह्ठे : कर 
हमें यां बिचारने लग.कि यह इस करण है कि हमारे 
बे डं ५ 7 हक 5 
पास राटो नहीं । ९७ और जब यिशु ने जाना उसने 
उन्हें कद्दा कि तुम क्यों बिचारते हे। कि यह इस कारण 
है कि हमारे पास राटी नहीं! क्या अबले नहीं जानते 
और नहीं बक्कते ! क्या तुम्हारा मन अबले। कठोर है?। 
९८ आंख रखते हुए नहीं टेखते? अर कान रखते 
हे 30 90204 हर नहीं ने 
हुए नहीं सुनते! और तुम रांरण नहों करते?। ९८ 
जब में ने पांच राटियां के पांच सहल के कारण तेड़ा 
तुम ने चूर चार से कितनी टोाकरियां भरी छठाईं! 
उन्हों न उसे कहा कि बारह। २० शेर जब चार 
व 5500 4000 *_ बि 5९ आप 
सइख के कारण सात तुम ने चर चार से कितनो टोक- 
रियां भरो उठाई ? उन्हें ने कहा कि सात। २९ आर 
उसने उन्हें कद्दा कि यह क्योंकर है कि तम नहीं 
बल्कते !। 
न्‍् ० (कक फल छ््‌ 
२२ ओर वह बंतसेदा में आया तब लेग उसके पास 
४ 8 जे गे हर्ज जी 
_ एक अंधे मन॒ृण्य के लाये ओर उसकी बिनती किई कि 
5... ०२७ 3 ०० प 
उसे छवं। २६३ ओर वृद्द उस अंधे मनुब्य का हाथ पकड़ 
हे ५३०- 22 हक किक 
“के नगर के बाहर ले गया और उसने उसकी आंखें 
पर धकके ओर अपना हाथ उस पर रखके उसे पका 
कि त्‌ कुछ देखता है !। २४ उसने ऊपर देख के कहा 
कि में मन॒ब्यों के। पेड़ की नाई चलते देखता हे। 
। + (0 :$: ४ 
२५ तब उसने उसकी आंखें पर फेर हाथ रखा आर 


९४० मरक | [८ पन्बे 


डसे ऊपर द्खिाया तब वद चंगा चेगगया और हर एक 
8." है हक दम 4 हो ञ्ै ९ 
 मनुव्य का फरछाई से देखन लगा। २६ और उसन 
9. (..>जवक 7: बुर 2, लीक] जा 
उसे यह कहिके अपने घर भेजा कि नगर म मत जा 
और किसी से नगर में मत कद । 
ब् ् 
२७ तब यिशु और उसके शिग्य केंसरिय:ः फिलिपि के 
55७, श5७2६ 0 लक कर ९ ०७ जे ० 
नगरों में गये और उसने माग में अपने शिव्या से पका 
कि मनुय्य सुझे क्या कहते हैं ?। र८ उन्हें ने उत्तर 
दिया कि येइन स्तानकांरक, परन्तु कितने कि इलिया, 
न _ ७ ०७ "कह ७# 
आर कितने कि भविश्यदत्ना म से एक । २८ उसने उन्हें 
ब्ध० पर हि 
कहा परन्तु तुम क्या कहते हे। में कान हों? पथर ने 
उत्तर देके उसे कहा कि आप मसोह हैं। ३० तब 
उसने उन्हें आज्ञा किई कि मेरे बिघय में किसी से मत 
कहे।। ३९ फेर उसने उन्हें उपदेश करना आर स्भ्न किया 
कि मनुय्य के पुत्र के अवश्य है कि बहुत दुःख उठावे 
५ 8९५०२ ६ कर «७627 2 29 22 आओ 
ओर प्राचोनां आर प्रधान याजकां आर अध्यापकों से 
न्‍््े रे ४ ः 
व्याग किया जाय आर मारा जाय ओर तौन दिन पीछे 
कर जे है 
फेर उठ । ३९ आर उसन यह बचन खेल के कच्दा तब 
पथर उसे लेके कूकलाया। ३३ परन्त वृद्द घम कर 
32: कर हक 5. ७५ ब् है हर 2० 000 
अंपने शिव्यां की आर देख के पथर का घुरक के बाला 
५ अर ० ०-७ और 
कि हे शेतान मेरे पीछे जा क्यांकि ईश्वर की बात तम्भे 
3 
नहीं साताहों परन्तु मजुय्था की । 
२३४ तब उसने मंडली के अपने शिव्य सहित बुलाके 
कहा कि जे। काई मेरे पोछ आया चाहे से अपनी 





. & पब्ब]  मरक | १४९ 


दे कह: दा खो ५७ ० अप 
इच्छा के त्यागे आर अपने क्रूस के उठा ले ओर मेरे 
र ०7%. मिलकर घ+ कर #०..* पके 
पोछ आावे। ३५४ क्योंकि जे काई अपने प्राण का बचा- 
है ५2 2 कब 4 लक लक ्ज लक, ४ 
वेगा से उसे गंवावेगा परंतु जे। काई सेरे आर मंगल 
समाचार के कारण अपने प्राण का गंवावेगा साई उसे 
बचावेगा। ३६ व्याकि क्या लाभ होगा यदि मनुष्य 
सार जगत का कमाव आर अपना प्राण गवाव !। ३७ 
अथवा भनन्‍य्य अपने प्राण को सब्तो द्या देगा !। इ८छ 
वे हज ५ 
इस कारण जा काई इस ब्यभिचारी और पापमय 
३ के 2 3 +52 
पीढ़ी म॑ मुस्ये आर सेरे बचन से लजाएगा मनय्य का 
8] 00 ७. हे कर ओ ८ - ' 8५५ 2 
पुत्र भो, जब वह अपने पिता के ऐश्र्य मं पवित्र दूतों के 
संग आवेगा ते उदच्से लजाएगा। ३८ तब उसने उन्हें 
। ३० घ $ 
| कद्दा कि में तुम से सत्य कहता हे कि इनमें से कितने 
यहां खड़े हैं जे। र्त्य का; खाद नचौखेंगे जब ले ईश्वर 
के हज क्र ५ 5 पि.. 
के राज्य का पराक्रम से आते नदेखे। 
€ नवां पत्बे । ह 
सै | 
९ आर छः दिन बीते यिशु पधर और याकूब और 
येइन का लेके उन्हें एक ऊंचे पहाड़ पर अलग लेगया। 
२ और उनके आगे उसका रूप ओर ही हेगया। ३ 
और उसका बस्त चमकन लगा आर पाला के समान 
का ०५ ७ 
शत हो|गया जेसा कि काई धाबी एथिवीं पर गब्ेत नहीं 
न श्े हद 3 + ८: 
करसक्ता। ४ ओर उन्हें मूसा के संग इलियास दिखाई 
दिया ओर वे यिशु से बातें करते थे। ५ तब पथरने 
2४225. पा हर 5 ८ 22% ७ 
उत्तर ढेके यिशु से ऋहा कि हे गुरू हमारे लिये यहां 


१४२ द मरक। [6 पब्बे 


ज्. .. ० कल न 
रहना अच्छा हे आर तौन तंब बनावं एक आप के 
लिये एक म॒सा के लिये आर एक इलियास के लिये। 
६ इस लिये कि वह नजानता था कि क्या कहता है 
क्याँकि वे बहुत डरगये। ७ तब एक मेघ ने उन पर 
छाया किई ग्यार उस मेघ से एक शब्द यह कहते हुए 
निकला कि यह मेरा प्रिय पुत्र है उसकी सुना | छ 
२ 800 « 2० की कप ७: ५ खा 
ओर तुरन्त जब उन्हा ने चारों आर दृष्टि किई ता 
हैइ> लक जल 4 - ८ ७ ६ 
कंवल यिशु का छाड़ किशो मन॒य्य का न देखा। 

० कप वे ४ कक ० अप 

6 ओर जब वे पद्ाड़ से उतरते थ उसने उन्ह आज्ञा 
किई कि ये बातें, जे। तुम ने देखों, जब लो मनृय्य का 
पुत्र स्टतकों में से न उठ, किसी से मत कहिये। ९० और 
वे उस बचन के अपनहीो भें रख के आपुस में चचो 

पड कक >> कर ८ बे. कर“. 
करने लगे कि रूत्यु से उठने का क्या अथ है। ९९ फेर 
उन्हें।न यह कह के उसे पछा कि अध्यापक क्यें कच्ते 
हैं कि पदिले इलिया का आना अवश्य है !। ९२ उसने : 
उत्तर देके उन्हें कहा कि इलिया का पहिले आना 
झ्पे स्‍ ० «५५ ञ्यै 
7र॒ सब कुछ का सुधारना ठोक हैं ओर मनुम्य 
के पत्र की अवश्य में व्यंकर लिखा है कि वृद्द अवश्य 
बहुत दुख पावे आर निब्दित किया जाये। ९३ परन्तु 
में तनन्‍्हें कहता दे कि इलिया ते आइुका है और जे 
3७५ 20. क्र हे जे 8 ०७ 

कुछ उन्हें। ने चाहा से उद्यम किया जरा उसके बिषय मे 

लिखा है। 
5 तय का कप कम 
९४ और जब वह शिष्यं!। के पास आया उनके आस 





6 पब्ब] मरक | २४३ 


ड्प * डे न 
पास उस ते एक बड़ो मंडली ओर अध्यापकों के। उनसे 
प्रश्न करते देखा तब तुरन्त सब ले।ग डसे देखके अति 
2 ५ डर 
स्थित हा के दोड़े आये और प्रणाम किया। ९६ से 
े 505 55 5 न 
उसने अध्यापकों से पक्का कि तुम उनसे क्या पछते हो !। 
॥ ०७ के ७.० न्‍्_ 
९७ तब मंडलो में से एक ने उत्तर देके कहा कि हे 
५० हि ३: कर १ ४ 
गुरु में अपने पत्र के। आप के पास लाया हे जिस पर 
एक गंगा आत्मा है। ९८ और वह जहां कहीं उसे 
लेजाता है उसे एठाता है और वह फेन बचाता और 
दांत किवकिचवाता है जार गलाजाता है आर में ने 
जल किसकी कु ० पक श्र ७. 
आप कं शिय्या सं कहा कि उस ट्वर करो परनन्‍्त वे 
25% रे टन छः ु हि है 
नसके | ५८ उसने उत्तर देके उस कहा कि हे अबि- 
; ज्े५० थ ८ - ० 
| आसी षोढ़ो में कब लें तुन्हारे संग रहे! आर में 
५28 ही ६70 37903. 30%. 80. 
कबलों तुन्हारीं सह्टां ? उसे मेरे पास लाओ। २० तब 
रे ने स्ै का 0० 285 6 
वे उसे उस पास लाये ओर उसे देख तेछझो उस आत्मा ने 
उसे ऐेंठाया ओर वुद् भूमि पर गिरा और फेन वहा के 
५ श्ग्रै हक ४ 5&: 5 
लेटगया। २९५ और उसने उसके पिता से पक्का कि 
उसे यह कितने दिन से हुआ है! उसने कहा कि लड़- 
कप ' जज ३) जे १ ० 532 
काई स। २२ और नाश करने के लिये उसने उसे 
धर] झैः तक > 70 < 
आग म और जल म॑ बारबार फका परन्तु यदि आप 
6 » किक ५ बे क,५३ अ छह 
कुछ करसके ते हम पर दयाल हेके सद्दाय कौजिये। 
२३ तब विश्व ने उसे कहा कि यदि तू बिश्वास लासके 
23 मत फल किफाए 48 02७. " के 
ता सब कक बिग्वासियों के लिये हासक्ता है। २४ तब 
गे $ 
उस बालक का पिता तुरन्त चिन्नाया आर आंछ बच्ाके 


१४४ मरक। [& पब्बे 


३० ५ ५ 
बाला कि हे प्रभ में बिग्यास लाता हा मुझ अबिदश्यासों 
6०१३ न १.) हैः 

का उपकार कोजिये। २४ जब विशु ने देखा कि लाग 
५ वह ब्द न 

दोड़े आते हैं उसने अपविच्र आत्म के घुरक के कहा 

9५2 ५ रे ५५ ० 
कि अरे गूंगे बहिरे आत्मा में तुस्के आज्ञा करता हों कि 
3: >05७7 ३ ६ 5 श तर ७७ ०. डर 
उच्यु बाहर निकल और उसने फेर मत ५5ठ। २६ तब 
कु ० कर 

वह चिज्ञाया आर उसे अत्यन्त एठाके उद्यम निकल आया 
और वह मुतक सा छेगया यहां लें कि बहुतां ने कहा 
कि बच्च मरगया | २७ परन्तु यिश्ञ ने उसका हाथ पकड़ 
हल '/5 ् 3; ते 

के उऊे उठाया और बृद्द छऊठा। र८ और जब वृद्द घर 
७५ >क ४85 कर. ले 4 ७ ०३ 

में आया ते उसके शिव्य ने एकान्त मं उस पक्का कि 

० ; ही कह. हे ७ + 
हम उल दूर क्या नकरसके ! । २८ उसने उन्हें कहा कि 


ञ्ग्े की ० 
इस रौति की प्राथना ओर ब्रत का छाड़ किसी भांति 


न 


से नहीं मिकल सक्ता। 
«पटल है ७३५ आन 8 जा ली 0 ७७५ आओ 
३० फर वे वहां से चले आर ग/लौल से है। के निकल 
८ १00 ५48 हे ७६ 
गये और उसने चाहा कि काई मन॒य्य न जाने। ३९ 


नर कक हि न आप गज ७ २५ कि दे प्र ४ रे 
इस लिये उसने अपन शिय्यों का उब्रदेश किया आर 
७ ३०० अर. ५ अत 0 मा 
उनन्‍ह कदहा कि मनुष्य का पृत्र मन॒ष्यां के हातां म 


सैंपपाजाता है और वे उस मारडालेंगे आर मारेजाने 
के पीछे दुइ तीसरे दिन उठेगा। ३२ परनन्‍्त उन्हें ने 
यह कहना नसमभ्का ओर उसे पूछने का डरे। 

₹३ फिर वबुद् कपरनाहुम में आया और घर में 


हेतेक्कए उसने उन्हें पूछा कि मार्ग भें तुम आपुस में 


८: 


९ ७५ 5 2, खा अर आज, अदा 
क्या चचा करते थे !। ३४ परन्तु व चुप रह क्याक 


है 


ह पब्ब] मरक। ९8५ 
मांग में वे आपस में चचा करते थे कि सब से बडा 
केन !। ३५ चर उसने बेठ के उन बार हे के। बलाया 
और उन्हें कह्दा कि यदि काई मनव्य अगिला हुआ 
चाहे ते। सब से पोछे और सबका दास हे गा। ३६ और 
। रु कप कक. हर ०७ #४ . ञ्ै ः 
उसने एक बालक का लेकर उनके मध्य म॑ बठाया ओर 
१० हज जा ७७ ३2. ७७ | री! 
जब उसने उसे गाद म लिया उसन उन्हें कहा । ३२७ जा 
काईं मेरे नाम से ऐसे एक बालक के ग्रहण करे मु्के 
ग्रहण करता है जर जे। काई मुम्के ग्रहण क्ररे सु्के 
नहों परन्त उसे जिसने मुक्के भेजा ग्रहण करता है। 
₹८ तब येइहन उसे उत्तर 'देके कच्दन लगा कि हे 
(७७९ 22207 कै." हर ९ का अ्ि 
गुरु हम ने एक का आपके नामसे पिशाचों का हर 
शी की - डर न ें ता ५ 
करते देखा आर वह इमारे संग नहों आता और 
इमारे संग न आने के कारण हमने उसे बरजा। ह८ 
तब यिशु ने कद्दा कि उसे मत बरजे क्योंकि काई मनय्य 
नहों है जे! मेरे नाम से आअय करके सहज से मेरे 
बिषय में बुरा कह्चि सके। ४० क्योंकि व॒द जा इम से 
बिरुड्ू नहीं हमारा संगी है। ४९ इस लिये मसीह के 
'हैने के कारण मेरे नाम पर जे कोई तुन्हें एक कथारा 
! न. *. 3७० डर शक 
जल पोन के देवे में तुम से सत्य कइ्ता हों कि वृच्द 
«११ घार है डर ००२६ । ५०० 2 
अपना प्रतिफल न खेोवेगा। ४२ और जे काई इन 
छोटे में से शक का, जे। मुम्क पर बिद्यास रखता है 
बाधाहेवे उसके लिये अति भला हाता कि उसके गले 
| में एक चक्की का पाट लटकाया जाता ओर वुच्द सलुद्र में 
ह 33 


३४६: मरक। [८ पब्बे 


४ ०. ० " 
डुबाया जाता। ४३ और यदि तेरा हाथ तेरा बाधा 
हवे ते। उसे काटडाल क्याकि टंडा जौवन में पहुंचना 
तेरे लिये उच्समे भला है कि दे हाथ रखते हुए नरक 
' की उस आग में, जे। कथधी नहीं ब॒ककती डालाजाय । ४४ 
4 *< प्र 
जहां उनका को ड़ा नहीं मरता आर आग नहीं बुभतौ। 
५ “०5 ७22. . ५ कप 0... जल 23. कर काट 
४५ ओर यदि तेरा पांव तेरा बाधा हावे ता उसे काट- 
कर « जप + 2 28. 
डाल क्योंकि लंगड़ा जौवन में पहुंचना तेरे लिये उद्स 
' / ्ु 
भला है कि दे पांव रखते हुए नरक क उस आग में, 
जे। कवी नहों ब॒मेगी डाला जाय। ४६ जहां उनका 
दा ५ | ५ 
कौड़ा नहीं मरता आर आग नहों ब॒ुकती। ४७ ओर 
यदि तेरी आंख तेरो बाधा हे।वे ते उसे निकाल डाल 
क्य।कि ईश्वर के राज्य में काना पहुंचना तेरे लिये उसद्हे 
भला है कि दे। आंख रखते हुए नरक को आग में 
है न 
डाला जाय । ४८ जहां उनका कीड़ा नहीं मरता आर 
आग नहों ब॒कतों। ४८ क्योंकि आग से हर एक लाना 
५ ला 
किया जायगा आर हर एक यज्ञ लान से लेना किया 
जायगा। ५० लेन अच्छा है परन्तु यदि लान का 
अर. हे के. ०0 
खाद जातार है ता उस का किस्म खादित करोगे आप 
जता ५ ० 
मे लान रक्‍ले और आपुस मे मेल रकक्‍्ले। । 
९० दसवां पब्बे। 

९ फिर वहां से उठके वुद्द यदन पार यिह्लदिय के 
॥$ सिवाने - $ जे 
नाों म आया और लेग उस पास फेर एकट्रे हुए 
व्थैर वह अपने ब्यवद्दार पर फेर उन्हें उपदेश करने 


३९० पब£्म] मरक। ३६४७ 


लगा। २ तब फिरुसियें ने परोक्षा से उस पास आके 
उस्से पछा कि उचित है कि मनुष्य अपनो पत्नो का 
त्याग करे !। ३ उसने उत्तर देके उच्ें कह्दा कि मुसा 
० ०७ आल बज बु 
न तुन्‍्हें क्या आज्ञा किई !। ४ वे बाले कि मसा न त्याग 
पत्र लिखके छाड़ने के। दिई। ५ तब यिशु ने उत्तर में 
उन्हें कह्दा कि उसने तुम्हारे मन को कठारता के लिये 
तुन्हें चद्द आज्ञा लिखी। ६ परन्तु रूृष्टि के आरंभ से 
ईश्वर ने उन्हें नर और नारी उत्पन्न किया। ७ इस 
| 2५, ३): (४३६ ५ 
कारण मनुष्य अपनो माता पिता का छोड़ेगा और 
अपनी पत्नों से मिला रहेगा। ८ और वे दाने एक 
तन होगे से। वे अब दे। नहों परन्तु एक तन हैं। € इस 
लिये जिक्हें ईश्वर ने जाड़ा है मनृब्य अलग न करे। 
९० और घर में उसके शिग्यां ने फेर वहीं बात उसे 
पछी। ९९५ तब उसने उन्हें कहा कि जे। कोई अपनी 
पत्नी के व्यागे और दूसरी के। बियाहे से उसके बिरुड्धं 
नह जे ८ 
व्यभिचार करता है। ९२ ओर यदि स्त्री अपने पति 
के त्यागे और दूसरे से बियहौ जाय ते वह ब्यभिचार 
बे 
करतीौ है। 
९३ फिर वे उसके पास बालकां का लाये कि वृच् 
उन्हें छवे पर लाने वालों के शिव्बें। ने, दपट दिया। 
कक. २ ५ ७५३१ (९३! 
९४ परन्तु विशु देख के उदास हुआ और उन्ह. बाला 
कि बालकों के। मेरे पास आने देगा और उन्हें मत 
हि 5५६ च्ह्े ञ 
बरजे क्योंकि ईश्वर का राज्य ऐसों का है। ९५ में 


१४८  मरक । (९० पढने. 


तुन्हें सत्य कहता हों कि जे। छोटे बालक के समान 
इंजर के राज्य का ग्रहण न करे से उस में न पहुंचेगा। 
- ५६ और उसने उन्हें गोद में लिया आर उन पर हाथ 
रख के उन्हें आशोबाद दिया। 
९७ और जब वह मागे में जाता था एक मनुग्य दाड़ा 
आया ज्येर उसके आगे घुटना टेक के उद्ये पूछा कि हे 
7] ० ७ 
उत्तम गुरु में क्या करें जिसतें अनन्त जोवन का 
अधिकारी छोओं?। ९८ विशु ने उसे कहा कि त्‌ 
मुझे %५ ५ | नह ०. हर. के 
मुझे क्यों उत्तम कहता है ! ईश्वर का छोड़ काई उत्तम 
नहों है। ९८ त॒आज्ञा के जानता है, ब्यभिचार मत 
कर, हत्या मत कर, चेतरी मत कर, कठी साक्षी मत दे, 
छल मत दे, अपनी माता पिता का रुन्मान कर। २० 
३ ४०५. पर. के. ६. ह ज् 
तब उसने उत्तर देके उसे कहा कि हे गुरु यह सब मे 
ने अपने छोटपन से माना है। २९ यिशु ने देख के 
उसे प्यार किया और कहा कि तुमे एक बस्त चाहिये 
०५ 73 4 0 रएकपकरं ०७. . हर डर रे लक 
अपना सब कुछ बचके कंगालोां का दे और खग म॑ धन 
प्रावेगा और क्रूस उठा के मेरे पीझे चलाआ। २२ वह 
उस बात से उदास हेके चला गया क्वाकि उसकी बड़ौ 
संपत्ति धी । २३ तब यिशु ने चारों आर देख के अपन 
शिव्यों से कहा कि धनमान का इंशर के राज्य में 
| ््‌ व 
प्रहुंचना कसाही कठिन है। २४ तब शिव्य उसक बचन 
से अचंभित हुए परन्तु यिशु ने फेर उत्तर में उन्हें कहा 
| ब््० 
_ कि डे बालका जे। धन पर आखा रखते हैँ उनके लिये 


३० पत्ब] _ मरक | ९४८. 


ब् 70 ५ हक 2 ४ ये * 
ईग्वर के राज्य मं पहुचना कसा कठिन है। २५ रूई 
:.....। “. 37 पोज सम. 88: सह 
के छेद म से ऊं० का जाना उद्म सहज है कि एक 
धनमान ईंशर के राज्य में पहुंचे । २६ आर वे बेपरि. 

थे रे कि ० ु ६ 0 

माण आग्यय कर के आपुस में कहने लगे फेर कान त्राण 

पासक्ता है !। २७ विशु ने उन पर दृष्ठि करके कहा 

कि मनुब्य से यह अनहेना है परन्तु ईश्वर से नहों 

७; /5 श] 3 हक. हे 

क्योंकि ईश्वर से सब कुछ हेोसक्ता है। 

हरी 8 2 < 389. ् २ 

र८ तब पथर उसे कचह्दने लगा कि देखिये हम ने 

हल ६2223 92० ०. ३3 

सव कुछ त्यगके आप के पीछे चले आये। २८ तब यिशु 

२ ्रै० » पी 

मे उत्तर देके कहा कि में तुन्‍्हें सत्य कचतां कहें कि 

ऐेसा केाई मनुव्य नहों जिसने घर अधवा भाई अथवा 

बहिन अथवा माता अथवा पिता अथवा पत्नौं अथवा 

५ 55060 20% 2७ 20% 55% ञ्पे * कु. ० 

संतान अथवा भूमि का मेरे और मंगलसमाचार के लिये 

3 ७२ ० गन 
तव्यांगाहे।। ३० परन्त अब इस समय में वृचद्द सो गुना 

| & ञ्गै र 2 ५ 
घर और भाई चर बचद्धिन अर माता आर बालक 
2 ० न. ९ कु 
और भूमि सताये जाने के साथ पावेगा और अबैये जगत _ 
जे 2 हि... 2 
में अनन्त जौवन। ३९ परन्तु ज्कहुूतेरे अगिले पिछले 
ओर पिछले अगिले हेंगे। 
& हे 
३२ ओर यिरुशालम को मागे में जाते हुए यिश्युः 
छ< 20) डे 3 को कर ५ रा पक, 
उनके आग ञाग बढ़ां आर वे अचंभित हुए आर डरते 
हुए पौछ पीछे जाते थे आर वुद्द फेर उन बारह का 
न (अर  , दि है ७. 2 | 
लेके अपन पर जे! बीतना था से उन्हें कहने लगा। 
 ज७५० ३ 
. ३३ कि देखे हम यिरुशालम के जाते हैं आर मनुष्य 


१७० मरक। [९० पब्ब 


हे 2 आय (४ अं. ० का 
का पुत्र॑ प्रधान याजकां आर अध्यापकों के हाथ सांपा 
ज्ै _ 6 ्अ ०७० ० 
जायगा ओऔर वे उसे घात करने की आज्ञा करेंगे आर 
उडे हर ७५०७३ 55 ०५० 2५४ के 4 कर कु ०७ 
उस अन्य दे शियां के सांपगं। ३४ और वे उसे ठट्टुंस 
5५६०8 ०७ के, । ०७०३ 22९ 
उड़ाके काड़े मारेंग आर उसपर थुकेगे आर उसे मार 
5 का 5. | ् कर ०. 
डालेंगे और वृच्द तौसरे दिन फर उठगा। 
३५ तब जबढी के बटे याकुब आर येहन उस पास 
कक, 20000 (३.5 ७. ०३० 
आक कहने लग कि हे गुरु हम चाहते ह॑ं कि आप 
हमारी बांछा परी कोजिये। ३६ उसने उन्हें कहा 
कप ५ हि « 
कि तुम क्या चाहते हे कि में तुम्हारे ' लिये करेों। ३७ 
कि ० के ० 3 0 जि ० 
वे उसे बाले कि हमारे लिये यह कोजिये कि हम एक 
न बे ० व 
आप के दद्िने हाथ और ट्ूसरा आप के बाएं हाथ 
व हक ० 23७. हि ७-+ 
आप के ऐेश्रय में बंठं। ३८ यिश्‌ ने उन्हें कहा कि 
तुम नहीं जानते कि क्या मांगते हे जिस कयेरे से में 
०० 2५ 28 पु. ५ 3] 
पोने पर हों तम उस्से पोसक्ते हे।! ओर जिस सख्वान सें में 
०2 7७ ७. हक 33% 33 
स्तान पाता हा स्लान पासत्ा हा। !। ३८ वे उस बाले कि 
० ०३० के ७ + | 
हम सक्तेहं तब यिश ने उन्हं कहा कि तुम ठौक उस 
०० > जे 
कटणारे से जिस्म में पीतड है| पी आगे आर जिस स्नान से 
में स्लान॑ पाता हों तुम खान पाओगे। ४० परन्तु मेरे 
ब्ि सर हे बे 
दहिने ओर बांए हाथ बठना जिनके कारण सिद्ध किया 
गया उन्हें छाड़क मेरे देने में नहीं है। 
२ 5० 55 स्ड ५ 32 
४९ ओर जब दसों ने सुना ता याक्ब आर याहन 
ल्‍ःप कै”. ५ 3. कह 
स क्रद हुणए। ४२ तब यिश्व ने उन्हें बुलाक कहा कि 
तुम जानते हे। कि अन्यदेशियेां के प्रधान है सा उन 


९० पब्बे] मरक। ९४९ 


पर प्रभता करते हैं और उनके बड़े लेग उन पर 
_ राज्य करतें हैं। ४३ पर तुस्म ऐसा न हेगा परन्तु 
जा काई तुत्म बड़ा हुआ चाहे से तुम्हारा सेवक हेगा। 
४४ ओर जे काई तुस्मे मुखि्रा हुआ चाहे से सब 
का सेबक हेगा। ४५ क्योंकि मनृस्य का पुत्र भी सेवा 
कर डे जो के. बहस. 
करवाने नहीं आया परन्तु सेवा करने और बहुतां का 
छुड़ाने के लिये अपना प्राण देने आया। 
४६ ओर वे यिरीहा में आये और जब वह ओर 
उसके शिव्य और एक बड़ी मंडली यिरीहा से निकली 
पी + ८ ब्र 
ते। तीमी का बेटा बरतीमी अंधा माग की आर बंठके 
भौख मांगता था। ४७ और जब उसने सुना कि वह 
नासरो विशु है वृचद्र चिल्ला के कहने लगा कि हे दाऊद 
के बेटे यिशु मुझ पर दया कोजिये। ४८ गैर बहुतों 
ने उसे दपट के कहा कि चुप रह परन्त वृह्र अधिक 
चिल्लाया कि हे दाऊद के बेटे मुकक पर दया की जिये। 
जप 32% 2 29% है. ००४ < ४. 
४८ यिशु ने खड़ा हेके उसे बुलान को थआाज्ञा किई तब 
2 शक ५. + निक रे कि 
उन्हों ने यह कहिके उस अंछे मनुष्य का बुलाया कि 
सुस्थिर होे। उठ वुद्द तुके बुलाता है। ४० और दुष्ट 
कर 3 2222७ चर 83 
अपने बस्ल का फकते हुए उठा और यिशु के पास 
आया। ५९ तब यिशु ने उत्तर देके उसे कहा कित्‌, 
०० आज रे &&% शी 90 पिन, ९ 
क्या चाहता हे में तेरे लिये क्या करों ! उस अंध ने 
३० है ग् 
उसे कहा कि हे प्रभु में अपनी दृष्टि पाओआं। ४२ यिशु 
हा? 36 4 2203 हिट त 2 «| 
ने उसे कह्दा कि चला जा तेरे बिशग्यास ने तुक्ते चंगा 





पर. मरक । (९९ पन्बे . 


किया है और तृरन्त उसने अपनी दृष्टि पाई ग्ार 
भाग में यिशु के पीछ पीछ चला गया। 
द ९१९ स्थारइवां पब्बे। 
९ और जब वे यिरुशालम के लग जलपाई पहाड़ 
२ के । ५ ७७ 2 रे 202 १ ३, 
क पास बतफगा ओर बंतनिया म आये ता उसने अपने 
शिय्यां में से ढे। के भेजा । २ झार उन्हें कद्दा कि अपने 
क्र ] 783 ५०23 के है. /% 
सब्मुख के गांव में जाओ ओर उस में. पहुंचतेहौ एक 
« रे 2८ पलक, (कु. 0 कत टों 
बंधा हुआ बछेरा पाआगे जिस पर काई मनुख्य नह 
चढ़ा उसे खेल के लेआओ। ३ और यदि कोाई तुन्हें 
कहे कि ऐसा क्यों करते हे। ! ते कहिये। कि प्रभु का 
५ जे 248 न 
उसका आवश्यक हैं और वृह्द तुरन्त उसे भेजेगा । ४ 
तब वे गये और हार के पास बाहर एक स्थान में, जहां 
दे मागे मिलता था, उस बछेरे के पाया आर उसे 
खेोला। ४ और उनमें से कितने न, जे! वहां खड़े थे, 
608. ४ ३-8० 8० कि “हर 9 कि 59 ००3 अत 
उन्‍्ह कहा कि बछू रे का क्यों खेलते हो ?। ६ उन्‍्होां ने 
विशु की आज्ञा के समान उत्तर दिया तब उन्हों ने उन्हें 
' जाने दिया। ७ तब वे उस बकरे के यिशु पास लाये 
३ 55५ हि तप आर, था ञ््े 
और अपने बस्लों के। उस पर बिकाया और वुच्द उस 
जे प्र तन दी 0 प बे ७५०० ८ 
पर चढ़ बेठा । ८ और बहुतों ने अपने बस्लों केा/मा्ग 
में बिक्या अरु ग्रारों ने पेड़ों की डालियां कार्टीं 
और माग में बिधराई। ८ और जे आगे पीछ जाते 
१ लय बे. शक ९ हर 
थे से। पुकारने लगे कि हेशाना, उस पर आशोबाद जे 
परमेश्वर के नाम से आता है। ९० इमारे पिता दाऊद 


९९ पब्मने] मरक। ९४३ 


के राज्य पर, जे। परमेश्वर के नाम से आता है, आशी 
बाद अत्यन्त ऊँचे में हाशाना। ५९५ और यिश यिरु- 
शालम गजेंर मन्दिर में गया ओर जब उसने चारों 
आर सब कुछ देखा ता बारहे के संग बेतनिया का 
' गया क्योंकि सांक का समय था। 

९२ जार दूसरे दिन जब वे बेतनिया से निकले ता 
उसे भूख लगी। ९५३ चर वुचद्द एक गूलर पेड़ के पत्त 
से भरा हुआ हर से टेख के आया कि क्या जाने उस 
पर कुछ फल पावे परन्तु उसने उस पास आरके पत्तों का 
छोड़ कुछ न पाया क्योंकि गूलर का समय न था। ९४ 
तब यिशु ने उसे कद्दा कि अब से कभी तेरा फल कोाई 
न खावे और उसके शिय्यें। ने सुना। 

९५ ओर वे यिरुशालम के आये और यिशु मन्दिर 
मे गया ओर जे मन्दिर में बेचते किनते थ उन्हें बाहर 
किया और ख्रदियों के पटरों के, और कपात के 
बेचने वालों के आसने| के उलट दिया। ९६ ओर 
किसी मनुय्य के मन्दिर में से बतेन ले जाने न देता 
था। ९७ और यह कहिके उन्हें उपदेश किया क्या नहीं 
लिखा है! कि मेरा मन्दिर सारे जातिगणों में प्राथना 
का घर कहावेगा ! परन्तु तुम ने उसे चारों को मांद 
बनाई। ९८ तब अध्यापकों ओर प्रधान याजकों ने 
सुन के उसे घात करने कौ विंता किई क्योंकि वे डसे 

क्‍ डरते थे इस कारण कि सारे लेग उसके उपदेश से 


१५४ मरक। [९९ पब्बे 


अचंभित हुए। ९८ और जब सांझ हुईवुद नगर से 
बाहर गया। 

२० और बिद्ाान के, जब वे जाते थे, उन्‍्हों ने उस 
. गलर पेड़ का जड़ से सवा देखा। २९५ और पथर ने 
चेत कर के उसे कहा कि हे गुरु देखिये यह गूलर पेड़, 
जिसे आप ने आप दिया, रूख गया है। २२ विशु ने 
उत्तर देके कहा कि ईश्वर पर विश्वास रकक्‍्खां। २३ 
क्योकि में तुन्ह सत्य कद्दता है| कि जे। काई इस पहाड़ 
के कहे कि उठके समुद्र में गिर पर और अपने मन में 
सन्देह्द न करे परन्तु प्रतोति रक्खे कि जे में कहता हें 
से हे। जायगा ता कुछ व॒ुच्द मांगेगा से पाजेगा। २४ 
इस लिये में तु्हें कहता हे कि प्राथना में जे। कुछ तुम / 
मांगागे बिश्यास करो कि हम पाते हैं और तुम | 
पाओगे। २५ ज्यार जब तुम प्राथना करने का खड़े 
होओ ते यदि किसी पर कुछ अपराध रखते हे ता 
क्षमा करे जिसतें तुम्हारा पिता भौ, जा खग में है 
तुन्हारे अपराध का क्षमा करे। २६ परन्तु यदि तुम 
क्षमा न करोगे ता तुन्हारा खर्गीय पिता भी , तुन्हारे 
अपराधों का क्षमा न करेगा। द 

२७ जार वे फेर यिरुशालम में आये और जब वह 
मन्दिर में फिरता था प्रधान याजक जऔआर अध्यापक 
और फप्राचौन उस पास आये। र८ ओर उसे कहा कि 
त,किस पर/क्रम से यद्द काये करता हैं! और तुम्हे 


श्र पब्बे] ह मरक। शपथ 


/ & 50, ५ हि 
यह काय करने का किस ने पराक्रम दिया!। रह. 
विशु ने उत्तर देके उन्हें कहा कि में भी तुन्हें एक बात 
बल पी हक हट 32३ 3 ०५१ 0. भी की छः पे 
पुकता हों मुक्त उत्तर देआ तो में भी तुम्हें बताओंगा 
कि किस पराक्रम से यह काय करता हें|। ३० येहन 
का स्लान खग से था कि मनुस्यन से ! मुझ्के उत्तर ढेओ। 
। रे २2 रू + को लक कप 
३९ तब वे यह कहिक आपुस में बिचारने लगे कि जा 
5 कल कर हर." 22. 2 कर 
हम कहें कि खग से ता वुच्द कहेगा कि फेर तुमने उसको 
प्रतौति क्यों न किई !। ३२ परन्तु यदि हम कहें कि. 
2» 0 ७ अाक 276: कक 7 पर पक की! 20.४ ३5. सके 
मनुष्यों से ता लागां से डरत॑ हैं क्योंकि सब येइहन का 
निश्चय भविगश्यद क्षा जानते थे। ३३ तब उन्हें ने उत्तर 
देके यिजश्ञु से कह्ठा कि हम नहों कह सत्नो आर विशु ने 
। शक तक ०३५ 5 + क्र 
' ऊत्तर में उन्हें कद्दा कि में भी तुन्हेंन कहेंगा कि में 
किस पराक्रम से यह काय करता हों । 
१२ बारहवां पब्बे। 
. ५ ओर वह उन्हें दृष्टान्तों मं कहने लगा कि किसी 
मनुष्य ने दाख की बारी लगाई और आस पास बाड़ा 
० ५ हु हलके ५. कि 
बांधा आर काल्ह खाह्ा और गढ़ बनाया ओर 
25. ७८» दल, (५ ८० आज हल न्‍ 
मालियां का ठोका देके द्वर देश के चला गया। २ : 
७७ है । २ ३००५ 3 ; 
और समय में उसने दाख की बारी के फल के लिये एक 
लिः 3] कै» ७५ 2. 
सेवक का मालियां पास भेजा। ३ पर उनन्‍्हा न पकड़ 
के उसे मारा ओर छू छा फेर दिया। ४ फेर उसने 
| उनके पास दूसरे सेवक के भेजा ओर उन्‍्हों ने उसे 
पत्थरों से मारा और सिर फोड़ा और अपमान करके 


जप 


९धू्ई .. मरक। (९२ पन्ने 


फेर हिया। ५ फेर उसने तीसरे का भेजा और उन्हों ने 


उसे मार डाला अरु ओर बहुतेरों के मारा ओर 
कितना का बध किया। ६ अब उसका एकहौ अति 
प्रिय पुत्र रहौगया उसने अंत्य में यद्ध कह्चि के उसे भी 
अर नह 8५३७५... बरस 
उनके पास भेजा कि वे मेरे पु. का आदर करंगे। ७ 
परन्त उन मालियें ने आपुरु में कहा कि यह अधिकारी 
पक: ब& ७3 चर 
है आओ इसे मार डालें ओर अधिकार हमारा हे। 
जायगा। ८ अर उन्हें न उसे पकड़ के मार डाला 


और दाख को बारी के बाहर फेंक दिया। € इस ' 


कारण दाख कौ बारो का खानी क्या करेगा! वुद्द 

कर ञ््ै 88%, (5 22% कि. ये हे 
आवेगा और उन मालियां का नाश करेगा और दहाख 
को बारी ओररों के देगा। ९० और यह जे लिखा 


है तुम ने नहीं पढ़ा कि जिस पत्थर को थवइयों ने 


निकस्मा ठहराया से काने को सिरा हुआ ?। ९९ 
यह इंशअर का काय हैं आर हमारी दृष्टि मं आंय्यय्थित 
हैं। ९२ और उन्हां ने चाहा कि उसे पकड़ लव परनन्‍्त 
लागों से डरे व्यें।कि वे जान गये कि उसने यह दृष्टान्त 
उनके बिषय म कहा आर वे उसे छाड़ के चले गये। 
रु * कक पक 4 99% 2३००० रिकं सर 
९६३ फेर उनन्‍्हों ने उसे बातों में बमक्कानंका कई 


फिर्सियां ओर हिरा्ियें के। उसके पास भेजा। १४ 
और आरके उन्हें ने उस कहा कि हे गुरु हम जानते 
है किआप सचे हैं आर कियी का खटका नहीं रखते 
क्योकि आप ननुय्यों की प्रगट दशा के नहीं मानते: 


९२ पब्न] मरक॑। ९४५७ 
परन्तु ईश्वर के मार्ग के सचाई से सिखाते हैं केसर के 
कर टेना याग्य है अथवा नहीं? हम देवें अथवा न देवें!। 
९५ परन्तु उसने उनके कपट का देखके उन्हें कहा 
कि मेरी परीक्षा क्यों करते हैे। ! मुझे एक रूकी लाके 
दिखाओ।। ९६ आर वे लाये तब उसन उन्ह कहा कि 
यह किसकी म॒क्ति और छाप है! उन्हें ने उसे कहां 
कि कैसर की । ९७ यिशु ने उत्तर देंके उन्हें कद्दा कि 
जे। बसु केसर की है केसर के और जे। कि ईश्वर कौ 
है इंश्वर का देआ और वे उस्मे बिस्मित हुए । 

९८ तब जाइु॒की, जे। कहते हैं कि जी उठता नहों 
है, उस पास आये और यह कहिके उसे पूछा। ९८ 
कि हे गुरु हमारे लिये मूसा ने लिखा है कि यदि 
किसो का भाई मरजाय ओर पत्नो के निबंश छोड़ 
जाय ते उसका भाई उसको पत्नी के लेवे और अपने 
भाई के लिये बंश चलावे। २० अब सात भाई थे और 
पहिले ने पत्नौ किई और निर्वेश मर गया। २९ तब 
डूसरे ने उसे लिया आर मर गया वृच्द भी केाई बंश न 


क्वाड़गया और इसी रौति से तीसरे ने भी। २२ और 


सातें ने उसे लिया ओर केई बंश न छोड़ गया सब के 
पीछे वृद्द स्त्री भी मर गई। २३ इस लिये जो उठने 
में जब वे उठेंगे वृद्द उनमें से किसकी पत्नी होगी! 
क्योकि सातां ने उसे पल्लौ किया था। २४ विशु ने 


उत्तर देके उन्हें कद्दा कि तुम लिखित और ईश्वर के 
| 4 | 


इउका---ा 






श्धूद .._/मरकग [९२ पर्ब । 


बज कर गे आर की 
सामथ्य के न जानक क्या चक नहीं करते। २४ क्याकि 
जब वे रूत्य से उठंगे वे बियाह न करेंगे और न बियाह 
७ कई आर टि ४2 20७ के शव्क ५० 
में दिये जायग परन्तु खग के ट्रतां के समान हँ। २६ 
और म्टतकां के जी उठन के बिषय में तुम ने मसा कौ 
& न & जज 
पुस्तक में नहीं पढ़ा कि काड़ों में ईश्वर उसे केसा यह 
कहिके बाला कि में इबराहीम का ईश्वर श्लेर इसहाक 
| / ७३५ अत हु] 
का ईश्वर आर याकूब का ईश्वर हों। २७ वुद्द म्॒तकों 
७ डों 43७० 6 2. है: * 
का ईश्वर नहीं परन्तु जोवतां का ईश्वर ह इस लिये 
तुम बहुत चक करते हे। । 
“267... 0०० के ५ ७3 
रुप तब अध्यापकें में से एक आया ओर उन्हें आपुस 
७ + (८ के. है... कम ०५० बन र ३००. 
में चचा करते सुन के देखा कि उसने उनन्‍ह ठोक उत्तर _ 
ा- पु ०७६ ५७2 ७5 ० आर 
दिया उसने उसे पुछा कि सारो आज्ञाओं में अर 
कैनसी है ?.। २८ यिशु ने उसे उत्तर दिया कि सब से 
ओछ आज्ञा यह कि सुने है इसराईल परमेश्वर हमारा 
ईश्वर एक परमेश्वर है। ३० ओर त्‌ अपने सारे मन से 
और अपने सारे प्राण से आर अपने सारे अन्तःकरण 
कु 5 ६० छ हर 55. 
से आर अपने सारे बल से परमेश्वर अपने इंशअर का 
प्यार कर यही पहिली आज्ञा है। ३९ ओर दूसरी 
इसे के समान है कि तू अपने परासी के अपने समान 
प्यार कर इन से आर केई बड़ी आज्ञा नहों। ३२ 
तब उस अध्यापक ने उसे कहा कि अच्छा हे गुरु आपने 
२ है 6. ७ 3 
सत्य कहा है क्योंकि एकद्दी ईश्वर है आर उसे छोड़ 
हें पा 4/ न 
द्सरा काई नहीं । ३९ आर उसे सारे अन्तःकरण : 







९२ पब्ब] मरक। ९५८ 


ओर सारो बुद्धि से आर सारे प्राण से आर सारी 
| लक ५ (३० है? की के 
सामथ्य से प्यार करना आर परासियां का अपन समान 
के ०५ बिक के से 
प्यार करना यह सारे यज्ञ आर होम से अति बड़ा है। 
५ * 3 38%. हरे ५३ 
३४ ओर जब यिशु ने देखा कि उसने बुद्धि स उत्तर 
हिया ते उसने उसे कद्दा कि तुईश्वर के राज्य स टूर 
टों ५ 
नहीं और उसके फर उस्से प्रश्न करने के किसी का 
वियाह न हूआा। 
बे ०-५ .ु "८ ७७ 
. ह५ ओर यिश्‌ मन्दिर म उपदेश करते हुए उन्ह 
५/ ० -_ २३५ भे 
का कि अध्यापक क्या कहते हें कि मसोह दाऊद का 
रे है)  #*+ ढ़ जिाकि 
'पत्र॒ है !। ३६ क्योंकि दाऊद ने आपहो धमात्मा मे 
2 वर मकप 4 +२०० #अ कम ह. हं 2९.6 
“होाक कहा कि परमेश्वर ने मेरे प्रभु सं कहा कि जबलों 
अचक ण 
में तेरे बेरिये| का तेरे पांव को पीढ़ो करों त्‌ मेरे 
दहिने हाथ बेठात॥ ३७ सा दाऊद ता आपहो उस प्रभु 
(जा क . ३४ न्के ब्न् 
कहता है फेर वुद्द उसका पुत्र व्याकर है ! ओर सामान्य 
लेग आनब्द से उसे सुनते थे। 
५ 5, ३२. 3७०० ७ छ+ 
३८ ओर उसने अपने उपदेश में उन्हें कहा कि 
अध्यापकों से चे।कस रहे। जे। लंब बस्त पह्चिन के चलने 
“की और हाट में नमस्कारों की। ३८ और मंडलियों 
०७ 58 ०५ ><२२ ५ ७७३० ०९२ 322४3 
में प्रधान आसनों की ओर जेवनारों मे अष्ठ स्थानों को 
के व /800 0 
प्रीति रखते हैं। ४० जे बिधवा के घरों का निंगलते 
है कि ५ € ऐ।छ' २५ ॥र# 
: हैं और छल से प्राथना का बढ़ाते हैं उनके। बहुत बड़ा 
ढंड होगा। | 
+ . ४९ आर यिश्व भंडार के सन्मख बठके देख रहा कि 


९६० मरक । [९३ पब्बे । 


लाग भंडार में राकड़ क्योंकर डालते है और बहुतेरे 
जे। धनमान थे बहुत डालते थे । ४२ तब एक कंगाल 
बिधवा ने दे छदाम, जे! मिलके एक अधला हेता है 
हक पर हर 30 9." ० हैः ३०. 
डाले । ४४३ ओआर उसने अपन शिशण्यां का बुलाके उन्ह 
कहा कि में तुन्हें सत्य कहता हे कि जिन्हों ने भंडार 
७+ के + ०5 20५ अं 3 आ 
में डाला हैं इस कंगाल बिधवा ने उन सभों से अधिक 
डाला। ४४ व्यांकि सभां न अपनी अधिकाई से डाला 
परन्त इसने अपनी कंगालपना से जे कुछ रखतो थी 
अपना सारा उप जो वन डाला। 
९३ तेरहवां पब्बे । 
3 80. हक 
९ ओर जब वह मब्दिर से बाहर जाता था उसके 
५ न 
शिय्यों में से एक ने उसे कहा कि हे गुरु देखिये कसे 
ड्‌ 2 तु ५ व 
कंसे पत्थर आर कसी जाड़ाइयां। २ यिश ने उत्तर 
5 अप ७83 ्ः 5 के 2 ५ «| 
देके उसे कच्दा कि तू ये बड़ी जेड़ाइयां देखता है यहां 
एक पत्थर दसरे पर न चटेगा जे। गिराया न जाय। 
३ ओर जब वुद्द जलपाई के पहाड़ पर मन्दिर के 
५ डर ५ बे 
. सन्मुख बेठा था पथर ओर याकब और येहन चर 
« ८75 8० ७ + छः हे &-5 8... कक 
अंद्रिया ने एकान्त में उसे पछा। ४ कि उसमें कहिये कि 
3७. 28... ४ रु 2 लि »«.../+ (७५. / अल 
ये बातें कब होंगी ! और इन सभा के पुरे हाने का 
क्या चिह्ल है !। ५ यिश उत्तर देके उन्हें कहने लगा 
न रु ६.० कह हि चि 
कि चेोकस रहे। कि केई तुन्हें छल न देवे। ६ क्योकि 
न कक ० ५ कर 
बहुतेरे यद्ध कहिके मेरे नाम से आवेंगें कि भें हे और 


बहुतां का छलेंगे ओर ऊब तुम रुंग्राम की बात। 


| 


कपल]. नरक ९६९ 


2 «| >ए०. हट के ७९. ण् 
७ आर संग्राम का कहूचा सुने तो ब्याकुल मत हेइयेा 
क्योंकि उनका हे।ना अवश्य है परन्तु अभी अंत नहों है। 

* ८5 ६ ५ ७७ 
झ क्योंकि लेग लेग पर और राज्य राज्य पर चंढेंगे 
ओर अनेक स्थान में भचाल हेांग ओर अकाल आर 

कलश होंगे ये दःखें के आरंभ हैं। द 
€ घरनन्‍्त आआवआाष आप का चाकस रखा द्या।क व तनह 
सभाओं में से।पंगे आर तम मंडलियों में मारे जाओगे 
और उनके विरोध साछो हेने के लिये मेरे नाम के 
कारण तुम अध्यक्षों आर राजाओं के आगे पहुंचाये 
जाओगे। ९५० ओर अवश्य है कि पहिले लग समाचार 
समस्त जातिगणे में प्रचारा जाय । ९१५ परन्त जब वे 

कि. ५ ७ ०५७ को ५ 5३ लीक गा 27 5 ण्‌ शक 

लेजाय आर तुन्ह सेप आगे से चिन्ता मत करा कि 

०००३ ७0 32323. पल ६: दम 
हम क्या कहेंगे चर आग से साच मत करे परन्त जा 
कुछ तुम्हें उस घड़ी दिया जाय वह्दी कहियेा क्योंकि 
तुम नहीं जे। कहते हे। परन्त धमाव्य । ९२ चोर भाई 

कम न विष न रह हक ०<२ 
भाई का और पिता पुत्र कै घात के लिये पकड़वायेगा 
आर बालक माता पिता के विरेध उठेंगे और उन्हें 
कक 5५ से 2 

घात करवावेंगे। ९३ आर मेरे नाम को लिये सब तुम 

० ०» 8 हज ५ 02282 2 पक धर 

से बेर करेंगे परन्तु जे अंत ले रहेगा से मुक्ति 

पावेगा। 
0४ परन्तु जब तुम द्ानियाल भविश्यद्ना कौ कही 
हुई नाश की घिनित के अनुचित स्थान म॑ खड़ा देखे 
| ; न $ ७5७ ०२३५ ! न 
ता जे पढ़े थे समझें तब जे। यिहुद्य से हैं सो पहा ड़े 


| 


९६२ मरक। [९३ एब्बे 
ह 3 ५ रे ५ 
का भागं। ९५ और जे काठे पर हो साघर भें न 
उतरे कि पेठ के अपने घर से के।ई बस्त निकाले। ९ ६ 
ब् हक ५५% जा0% [कर ४ ०५:०५ २९ तक 
ओर जे खेत म॑ हे। सो अपन बच्ल लेने का पौकछ न 
'फिरे। ९७ परन्तु हाय उन पर जा उन दिनों मे 
गर्भिणी और उन पर जे दृथध पिलातियां हेंगी। ९ 

डे. <ः का ॥26- ४ औ 8. 
जार प्राथना करा कि त॒म्हारा भागना जाड़े न नहा। 
७ ९९५५ ७-७ बुर ५ 
९८ क्योंकि उन दिनांमभ॑ ऐसा कष्ट हागा जंसा कि 

93 + ; 2. जे .... & [सह 2-5 हक 
सृष्टि के आरंभ से, जे ईश्वर ने उत्पन्न किया, अब लॉ 
न हुआ और न हेगा। २० जार यहि परमेश्वर उन 
हिना का न घटाता ता काई प्राणी उद्भार न पाता 
परन्तु चुने हचओं के हेतु जिन्हें उसने छांट रक्‍्खा है 
ला 22 आऔ 5 2१% इक ०५२ ये 
उसने है न द्नां का घटाया है। २९ और तब यहि 
काई तुन्हें कहे कि देखे मोह यहां अथवा देखे वहां 
२5 पी ८ « ४“ डे 
है प्रतीत मत करिये। २२ क्योंकि कूँठे मसीह और 
कटे भविव्यद्क्षा निकलेंगे अर लक्षण ओर आये: 
७५७ ०९ ल्‍ हक कि. 3९8३, ८ ५०७ 0 
'द्खावेंगे कि यदि हेनहार हेा।ता ते चने हुआं का भौ 
+ ह्कर ५ ० ७ ००५ बे ५ 5 व 
भरमावते। २३ परन्तु संाचेत रहा देखा में न तुन्ह 
जे  क 6. कर ५ ७ >सए७ 
जआ्याग से सब बात चिता दिई है। २४ पर उन दिनों म॑ 
उस कथ्ट के थो७छ रूये अंधियारा होगा और चंद्रमा 
अपनी उ्याति न देगा। २५ और खग से तारे गिरेंगे 
और खर्ग को हंढ़ता हिल जायंगी। २६ और तब-वे 
मनृय्य के पुत्र के भेघों पर बड़े पराक्रम चार ऐजये से 
7 जप 8० मिल्थ च्परे है *- ६<« रह की छत अष जी पट न $ 
आते देखय। २७ ओर तब बुचद्द अपने दूतों का भेजेगा 


९३ पव्व] मरक । र६३ 
गैर अपने चने हुओं के चारों पदन से एथिबवी के 
सिवाने से खर्ग के सिवाने ले एकट्ट करेगा। 

रुप अब गलर पेड़ से एक दृष्टान्त सौखे जब उसकी 

० कर ७ 3 शा ५ 
डाली अब ला कामल है और पत्ते निकालतो हैं तम 
जानते हैा। कि तपन निकट है। २८ से। इसी रोति से 

आर पक... * ७०$ ६53: 
जब देखा कि यह बातें आ पहुचों जाना कि वृद्द निकट 
2 ५५ ७०+ «० 
है अथात दरें पर। ३० में तुन्हें सत्य कहता हें कि. 
यह पीढ़ी बीत न जायगी जब लॉ यह सारी बातें न 
हे।लें। ३९ खग और एथिवो टल जायेंगी परन्त मेरे 
बचन न टलोंगे। 

३० परन्तु उस दिन और उस घड़ी के विषय के 
काई ननुव्य नहीं जानता हां न खर्गीयदूतन पुत्र 
केवल पिता। ३३ तुम सें।चेत रहे आर प्रार्थना करे 
क्योंकि तुम नहीं जानते कि समय कब है। ३४ जैसे 
एक मनय्य ने ट्र की यात्रा करते हुए अपने घर के 
० र ५ 000 0 0 05000 *९. 
छाड़ा आर अपने सबके के पराक्रम दिया और हर. 

५ रा पी 
एक मनुष्य के उसका काय और दार पाल के चेंकस 
छा तो ०8 ० हे कद 
हान को आज्ञा दिई। ३५ इस लिये चोक्नस रहा 
और ग्य ब्क ः ० 
क्योंकि तुम नहीं जानते कि घर का खामो कब आवेगा 
“ सांझ के अथवा आधी रात के अथवा कुकुट बालते 
हुए अधवा बिहान के ३६ न छे।बे कि वुज अचानक 
हे आज 6 रे डे ० आग का 
जसआआके तृम्ह साते पावे। ५०८७७ जा मे तुन्ह कहता 

५ के  अनिफ किट. 

हों से सब से कहता हों कि चाकस रहेा। 


९६४ मरक। [१६ पब्बे 


९४ चोहइवयां एब्बे। 

। दिन के पीछे अखनो रो राटी का दौत जाना 
छञा और प्रधान याजक आर अध्यापक युक्तिकर रहे 
घेकि उसे किस रोति छलसे पकड़ लेवें ओर मार 
डालें। २ भरन्त उन्हां न कद्दा कि पबत्वे में नहीं नहेा 
किलेगों में हुछर हे।बे। ह और वृह बेघनिय में 
काढ़ी शिमे।न के घर में हे।ते हुए जब भाजन पर/बेटा 
था एक स्त्री बहुनल्व सुगंध तेल अत पत्थर को डिबिया 


656. * २ ८४० * हद ब्््‌ 
में लाई ओर उसने उस डिविया का ताड़ा आर: 


उसके सिर दर ढाल दिया। ४ गार वहां कितने थे 
न्‍ न. 0 “* धि - ऐप के 
जे अपने बन में क्राधित हाके बाले कि इस सुगंध 
तेल का व्यधं उठान किस लिये हूथा !। ५ क्योंकि वह 
मर 2-4 वे 5 ० ५ 
तोन सो रूको से अधिक का बचा जाता ओर कंगालों 
का दया जाता थार व उसपर कुड़कुडान लग। ६ पर 
बिश ले कहा वि उसे रहने एंड उसे क्यों छड़त हो 
कप कर रु सन 
उसने सुस्त परु उत्तम काथ किया ४। ७ क्योंकि 
4 कक ४2 + २०९ ५ 
कंगालों के। सबद्ा अपने संग पाआगे और जब कभी 
चाहे।ग उन पर भला कर सकेाग परन्त सुझे खबेदा न 
कर हज कि ७ ते" 
पाओग। ८ जा कक बच कर रुकी सा किई उसने मेरे 
गाड़ने के लिये आगे से आके भेरे देह पर सुगंध तेल 
लगाया। ८ में तुन्हें सत्य कदता हो कि सारे जगत में 


जहां कहीं यह मंगल समाचार प्रचारा जायगा यह भौ 


जे इस मे छिया ४ इसके स् एण के लिये कहा जायगा। 


। 


९४ पब्ल] मरक | ९्हंपूं 


९५० तब उन बारह में से एक यिह्ूदा यिस्करियतों 
क् ७ + है >कित: रकर: + हक 000 
उसे उन्हें पकड़वा देने के लिये प्रधान याजकोां के पास 
गया। ९५९५ अर वे सुन के आनन्दित हुए आर उसे 
राकड़ देने के ठहराये तब वृद्द साचने लगा कि उसे 
किस प्रकार से दांव में पकड़वा देय । 

९२ जेर अखमीरी रोटो के पहिले ढिन, जब वे 
८. 5 लत ये कक जे 0 फर । नि 
बोलजाना बलिकरते थ उसके शिष्यां ने डसे कच्दा कि 
हु 5 ! कर >> 
आप कहां चाहते हैं कि हम जाके सिद्ध करें जिसतें 
«५ धप म्ख 0 0 का. 8 मा 
आप बोतजाना खाय। ९३ उसने अपन शिपय्यां में से 

का. हक के २ १७ # ७ न ञ्य 
'दे। का भेजा आर उन्हें कहा कि नगर म जाओ ओर 
वहां तुन्हें एक मनुः्थ जल का घड़ा उठाये हुए मिलेगा 
उसके पीछे पीछ जाइये।। ५४ और जहां कहीं वृच्द 
भीतर जाय उस घर के खामी से कहिये कि गुरु ने 
2 ० ३० स्का 
कहा है कि वह पाहुन शाला कहां है जहां में अपने 


शिश्वन के संग बौतजाना खाऊ !। ९५४ चर वह एक 
बड़ी उपरेटी के|ठरी संबरी सुधारी तुन्हें दिखावेगा 


वहां हमारे लिये सिद्ठ करे। ९६ तव उसके शिष्य 


जैक 


चले गये और नगर म॑ जाके जेसा उसने कहा था 


ही 0 | 
'तेसाही पाया और उन्हें ने बौतजाना सिद्ध किया। 


५७ ओर सांक के! वह उन बारह के संग आया। 
९८ ओर जब वे बेठके खाने लगे ता यिशु ने कद्दा कि में 


तुन्हें सत्य कहता हे कि एक तुस्यें से, जे। मेरे संग खाता 


है मुझे पकड़वावेगा। ५८ तब वे कुढ़नेलगं और एक 
। 


रह मरक। [६४ पन्ने _ 


ब७० 

एक करके उसे कद्दने लगा कि में हे! और हसरा 
हक ७५५ | हि 39. कक 582... 
बाला क्या में हों !?। २० उसन उत्तर टेके उन्‍्हं कहा कि 
बारइ में से एक जे। मेरे संग थालो में हाथ बाोरता है 

>> च $ 
२५ जेसा मनुय्य के पुत्र के बिषय म॑ लिखा है तेसा 
जाता है ठौक परन्तु हाय उस मनृस्य पर जिस्मे मनृय्य 
का पुत्र पकड़वाया जाय डस मनुय्य के लिये भला हेतता 
कि वृद्द कभी उत्पन्न न हेता। २९ ओर जब वे खाते थे 
यिशु ने रोटी के लिया ओर धन्यबाद करके ताड़ा 
और यह कइहिके उन्हें दिया कि लेआ खाओ यह मेरा 
देह है। २३ फेर उसने कटोरा लिया ओर धन्य मान 
हक के का लक 
के उन्हें दिया बार उन सभोां ने उससे पीया। २४ तब 
उसने उन्हें कद्दा कि यह नये नियम का मेरा लोाह है 
जा बहुतां के लिये बहाया जाता है। २४ में तन्हें 
सत्य कहता हे कि में टाख का रस फेर न पीओंगा 

52० 0 कर ज्द्य - अविडकटीक पे बंप 
जनबलीे में ईश्वर के राज्य में उसे नया पोचओं। 

२६ और जब वे एक भजन गाचुके वे जलपाई के 
पहाड़ पर गये। २७ तब यथिशु ने उन्हें कहा कि आज 
रात तुम सब मेरे कारण ठाकर खाओग क्योंकि लिखा 
_ है कि में गड़ेरिये के नारांगा और भेड़े छिन्न भिन्न 

०५ ५ 
हेजायेंगी। र८ परन्तु जीउठने के पीछे में तुम से 

हलक &82.. + के है; य 
आगे गालोल का जाऊंगा। २८ पथर ने उसे कहा कि 
यद्यपि सब ठाकर खायें तथापि में नहीं। ३० यिशु ने 
उसे कच्दा कि में तस्मे सत्य कहता हे। कि आज के दिन 


३४ पब्बे] मरक। ९६७ 


अथात इसी रात के कुकुट के शब्द करने से आगे त्‌ 
८ « के शत 
लोन बार सुस्से मुकर जायगा। ३९ परन्तु उसने ओर 
अति धन से कहा कि यदि आपके संग मेरा मरना 
७ ७ ० ३ ३५ हर 22%... ये 
हवे में किसो भांति आपसे न मुकरांगा उन सभों ने 
भो इसो रीति से कच्ा। 
० बज! ्् 
३२ तब वे एक स्थान में, जिसका नाम गतसिमनों था, 
आये बेर उसने अपने शिम्यन से कहा कि जबलों में 
€ः & ५. «3 हर 
प्राथना करों तुम यहां बेठा। ३३ तब तह अपने संग 
| डे डे -.. 
पंथर आर याकब ओर येहन के लेकर बहुत घबराने 
7 23. हः ह७७“ 3. 
और अति कुढ़नेलगा । ६४ आर उन्हें कहा कि मेरा 
मर बे बे जा ५ 
प्राण मरने ले अति दुःखित है तुम यहां ठहरा आर 
जागते रहे।। ३५ तब वृच्द थाड़ा आग बढ़के भूमि पर 
गिरा और प्रार्थना किई कि यदि हे।नहार हाय ता 
यह घड़ी मुस्ये टल जाय। ३६ ओर कचह्दा कि हे पिता 
कर (5७१३० ०७ बे 2 न 
है पिता सब कुछ तेरे बश मं डे यह कटारा मुक्मे टाल 
. दे तिस पर भी मेरी इच्छा नहीं परन्तु जे। त्‌ चाइता 
न्ह्टे को पी वर जे । 
है। ३७ तब व॒ुद्र आया ओर उन्हें सोते पाया आर 
यथर से कहा कि हे शमउन त्‌ साता है? व्यात्‌ एक 
््‌ 
घड़ी न जाग सका !। ३८ जागते रहे! ओर प्राथना 
करे नहे। कि परौक्षा में पड़े,, आत्मा ता सिद्ध है ठौक 
परन्तु शरोर निबेल। ३८ और वुद फिर गया ओर 
* रे कि हि पु ३/ध ५2 
द प्राथना में वही बचन बाला। ४० और जब वुद् फिर 
8! पं $ 58 
| आया उसने उन्हें फिर सेतते पाया (क्यूंकि उनको 


शहद मरक। [९४ पन्बै + 


आंखें भारी थीं) और वे न जानते थे कि उसे क्या उत्तर 
देवें। ४९ फिर वह तोरूरे बार आके उनसे बाला कि 
अब सोते रहे ओर बिशाम करे बस है घड़ौ 
आपऊहुंची देखे मनुथ्थ का पुत्र पापियां के हाथ में 
पक ड़वाया जाता है। ४२ उठा हम जायें देखा जो 
मुझे पकड़वाता है से निकट है। 

४३ झार तुरन्त जब वुद्द कद्धि रहा था उन बारह में 
से एक यिहूदा और उसके संग प्रधान याजकों और 
अध्यापकों और प्राची नां कौ आर से एक बड़ी मंडली 
तलवार और लाठियां लेके आई। ४४ और जिसने 
उसे पकड़वाया था उसने उन्हें यह कह्ििके पता दिया 
कि जिसकिसी के में चमें वृुद्द वच्दी है उसे पकड़ 
लेड। ४५ और चेकसी से लेजाओ गऔर जोंहीं वृष 
आ पहुंचा वृद्द तुरन्त उसके पास जाके बाला किछे गुरु, 
हे गुरु, आर उसका चमा लिया। ४६ तब उन्होंने 
उस पर हाथ घर के पकड़ लिया। ४७ अगर उनमे से 
एक ने, जा वहां खड़े थे, खड़॒ खिच के प्रधान याजकों 
के एक सेवक के मारा आर उसका कान उड़ा ढिया। 
४८ तब थिशु ने उत्तर देके उन्हें कहा कि जेसा चार 
के लिये तलवार और लाठियां लेके मुब्दे पकड़ने के 
निकले हे। !। ४८ में ते प्रति दिन तुम्हारे संग मंदिर 
मे उपदेश करता था आर तुम न मुभोेन पकड़ा परन्त 
अवश्य हे कि लिखाहुआ परा हेवे। ४० तब सब के 


8 पब्ब] द मरक। | २६6 


सब उसे छाड़ के भाग गये। ५९ परन्तु वहां एक तरुण 

े कप ० _८ डर 
मन॒य्थ उत्तके पोछ चला जाता था जो छरूतौ .बस्ल से 
नंगाई के ढापे था और तरुणें ने उसे पकड़ लिया। 

२५. 8१३ 82 से 3500. 
धूर और वह सर्ूतो बस्ल का छोड़ के उन से नंगा 
भागगया। 

३ तब वे विशु का प्रधान याजक कने ले गये आर 
उसके संग सारे प्रधान याजक ओर प्राचीन आर 
अध्यापक एकट्ट थे। ५४ चर पथर प्रधान याजक के 
घर ले ट्रर से उसके पीछे पीछे गया और वह सेवकों 
के संग बेठ के. आग तापने लगा। ४४ तब प्रधान 
याजक चर सारो सभा विशु पर साज्षो ढूंढ़ते थ कि 
उधे मार डालें परंतु न पाये। ४६ क्योंकि बहुतेरों ने 
उस पर ककठो साच्ो दिई तथा[षि उनको साछौ एक 

ढक / झ्ै [8 2! 2 
सां न मिलो । ५७ ओर,कई एक उठ और यह कहिके 
उस. पर क्कठी साज्षो देने लगे। ५८ कि इम ने से 

के २ ६ 0 आर ८ ५ जो » कर ८० 
कहते सुना उ (के में इस मन्दिर का, जा हाथों से 

4 + ५ : जी 
बनाया गया है, ढाऊंगा ओर तीन दिन में एक दूसरा 
बिना हाथ से बनाओंगा। ५८ परंतु तिस पर भौ- 
उनकी साच्यी न मिली । ६० तब ग्रधान याजक मध्य में 
खड़ा हुआ चार यह कहिके यिशु के पकछा कित 
कुछ उत्तर नहों देता ! ये तक्क पर क्या क्या राक्षी ढेते 
_ हैं !। ६९ परंतु वृद्द चुपका रहा और उत्तर न दिया 
| प्रधान याजक ने उसे फेर पका आर कहा कि त मसोहड 


| 6 


३१७० मरक । (९४ पब्ब 


उस आनब्दित का पुत्र है ?!। ६२ तब विशु ने कहा कि 
में हें और तुम मनृय्य के पुत्र के। पराक्रम कौ दहिनी 
53 से ७ युः. >अकित- शी पैट ० ५0 

ओर बेठ आर आकाश के मेघों पर आते देखेोग। ६३ 

हे ५ 

तब प्रधान याजक ने अपने बस्लों के फाड़ा आर कहा 
कि अब हमें आर साक्षियां का क्या प्रयाजन हैं ?। ६४ 
तुम ने यह उद्से ईश्वर की निंदा सुनी क्या सोचते हे? 
उन सभें। ने उस पर मारडालने के याग्य अपराध 


े 


ठहराया । ६५ तब कितने उस पर थकने ओर उसका 


6५ 
७... 


मंह ढांपने आर उस घंसा मारने लगे ओर उसे क 

लगे कि भविष्य कह और सेवकों ने उसे थपड़े मारे। 
हंह ओर जब पथर नो चे सदन म॑ था प्रधान याजक 

४ ० ०० ५ 

की दासियों में से एक आई। ६७ आर जब उसने पधर 

के तापते देखा ता उस पर दृष्टि करके बालों कि त्‌भी 

यिशु नासरो के संग था। ६ं८ु परंतु यह कहिके दुच् 

३७५ ३ 

मुकर गया कि में नहीं जानता आर नहीं बक्कता कि 

त॒ क्या काड॒ती है तव वह बाहर आसाएशे मे गया आर 

कुकट न शब्द किया। ६८ आर ण्क दाझों फेर उसे 

देख के उनसे, जे। खड़े थे, कहने लगो कि यह उन 

अथ्यकर 2 च्ह्े ७ ३. ५ 

में से है। ७० आर व॒चद्र फेर मुकर गया आर तनिक 
८ कि (:& #ंीर+ “जप त- 7! ५ 8! कह / 2 

पीछ फेर उन्हें ने, जे। वहां खड़े थे, पथर के। कच्ा कि 

$ के २-3 २: ५ 

सच मुच त उनमें स है क्यं। कि त गालौली है और तेरी 

बालो मिलतो हे। ७९५ परंत वह आप टेने ओर 

किरिया खाने लगा कि में इस मनय्य के, जिस को 





श्धू पब्बे] मरक। ९७९ 


५ मु 
तुम कहते हे।, नहीं जानता। ७२ ओर दूसरे बार 
कुकुट ने शब्द किया तब पथर मे उस बचन के, जे 
विशु ने उसे कहा था, स्मरण किया कि कुछुट के दे। 
बार शब्द करने से आगे त्‌॒ तीन बार मुक्े मुकर 
जायगा तब वृद्द उका सेच करके रोने लगा। 

९५ पन्दरहवां पब्बे। 
च्जै ध्े ड्रॉ 0 ह00. 2 
९. ओर ज्यांहीं बिहान हुआ प्रधान याजक प्राचौनों 
प्ैफ के 28 स््ै ४. 5 ७५३० 223. 
पर सारे अध्यापकों और सभा के प्रधानों के रंग 
९५ ;> हक « हद ञ्ै 
परामण करके यिशु के बांध के ले गये ओआर पिलात 
के सेंप दिया। २ और पिलात जे उसे पूछा कि त. 
विहूढियें का राजा है? उसने उत्तर देके उसे कहा 
कि तूही कहता: है। ३ तब प्रधान याजक उस पर 
बहुत से देष ढेने लगे परन्तु उसने कुछ उत्तर न 
हिया। ४ तब पिलात ने यद् कहिके फेर उसे पका कि 
तु कुछ उत्तर नहों देता ! देख वे कितनों कुछ साज्षों 
०. +३० गे 
तुक पर देते हैं। ५ परन्त ताभो यिशु ने कुछ उत्तर न 
3803. ६5 ८ के 
हिया यहां लें कि पिलात न आअ्यय माना। 
€ अब पन्म में एक बंधआ के।, जिसे वे चाइते थे वृच्द 
छाड़ देता था। ७ और बरब्बा नाम का एक जन था 
० ह « हर ५ कक ४३ व 
जे। उनके संग, बंधन में था जिन्हें। ने उसके साथ हुल्लर 
किया था और उस हुल्वर में इत्या किई थी। झ तब 
को 5 हर ४ : 
जसा वुद्द उनके लिये सदा करता था मंडलो चिल्ला 
“9 2 7 यछप हि 
द वही उसमे मांगने लगी। ८ परन्तु पिलाल ने उत्तर 


* 


हि. 
को 
७७ 
रक्त 


२७२ मरक। [९ पब्मे 


भा ४ है ञ्ञें । + 
उन्हें कद्दा कि तुम चाहते हो कि में थयिह्लदियें के राजा 
823 ण्ु दर 5: जत ] 2 
का तुल्हारे लिये छाड़ देडं। ९० क्याकि वद जानता 
| > रे५० 
था कि प्रधान याजकां ने उसे डाइ से सें।प दिया था। 
५७.५ / १2७३ ५ आल 3 
९९ परन्तु प्रधान याजकोां ने लागा के। उसकाया कि 
पे ० ५-७ रे १. यो 
वुह उनके लिये बरब्बाहौ के छोड़ देवे। ९२ तब 
पिलात ने फेर उत्तर देके उन्हें कह्टा कि जिसे तुम 
यिह् दिये का राजा कहते छे में उसे क्या करें!?। 
>> न उ | 3. कक. २ के: ५ 
, ९३ वे फर चिल्ला के बाल कि उसे क्रस पर मार। ९४ 
तब पिलात ने उन्हें कहा कि किस लिये उसने क्या 
6 न्ड्ठ ० जे, + 
बुराई किई है! वेऔर अत्यंत चित्नाये कि उसे कस 
च््ै 2०%. कक 2 य 0) 
पर मार। ९५ ओर लोगों के। शान्त करने के लिये 
'पिलात ने उनके लिये बरब्बा के छोड़ दिया और 
कोड न्५ ि 
_विशु का छड़ी मार के सांप दिया कि क्रूस पर मारा 
जाय । 
ब्क ब्ने $ 
९६ तब याद्डा उसे भोतर प्रेतारियम नाम बठक में 
कह ४ 6 2 ० 2० कक 
ले'गये ओर उन्‍्हें। ने सारो जथा को एकट्ले बुलाया। 
_ ९७ अर उसे बेंगनी बस्त्र पह्चिनाया ओर कांटों का 
मुकुट सजके उस पर रक्‍खा। ९८ ओर उसे नमस्कार 
करने लगे कि हे यिह्ूदियें के राजा प्रणाम। ९6 
और उन्हें ने उसके सिर पर नरकट से मारा और 
उस पर थुका ओर घुटने टेक के उसे प्रणाम किया। 
च्यै $ कै ब्५० 
२० ओर  उन्हों मे उसे चिढ़ाके उस बेंगनी के। उस पर 


१५ पब्बे] मरक | हक 


से उतारा अर उसी का बस्ल उसे पह्िनाया और 
क्रूस पर मारने के लिये उसे बाहर ले चले । 

२९ ओर उन्हें ने शिमेन कुरीनी से बरबस उसका 
कस उठवाया बुद सिकन्दर और रुफस का पिता था 
और बाहर से आके उधर से जाता था। २२ और वे 
उसे गलजता स्थान में आये जिस का अथ खोपड़ी का 

पे झ्े ००) “अत के 
स्थान है। २३ जे।र उनन्‍्हों ने दाखरस मुर मिला के 
उसे पीने के। दिया परन्तु उसने न लिया। २४ और 
कक जज तो हा के छक 
उन्हा न उसे क्रस पर खोंचक उसके बस्लों का भाग 
किया ओर उन पर चिट्टी ढाली कि इर एक मनुय्य 
ब्न्र५ २ कर जे जे ७५. 
कानसा लेबे। २४५ आर तौसरी घड़ी थी जब उन्हें ने 
शा ५ 220०५ 
उसे क्रस पर खींचा था। २६ और उसके लिये यह्ठ 
हित > घी 
'दाष पत्र ऊपर लिखा कि विल्ूहियां का राजा। २७ 
५ ०७ 79 दी 00०5 3 एज पक 
ओर उन्‍्हें। ने उसके संग दे। चे।रें के, एक के दरहिनी 
०५ 33023 60 0 वो 
और दटूसर का बाई आर क्रूस पर खींचा। र८ तब 
वृद्ध लिखा हुआ जे।. कहता है कि वृच्द पापियों में गिना 
“ 
गया पूरा हुआ। २८ और पथिकों ने उस पर ठट्ठा 
किया और सिर धुन धुन कइने लगे कि “त्‌ जे। 
मन्दिर के ढाता है और तौन दिन में बनाता है। ३० 
वि" 
आय के। बचा आर क्रूज से उतर आ ”। ३९ इसी 
को ७2 05% छ+ अं 
भांति से प्रधान याजकों ने भो आपुस में अध्यापकों के 
संग ठट्ठा करते कहा कि “उसने औरें के बचाया 
आप के नहीं बचा सत्ञा। ३२ अब मसौदह इूसराईल 


बडी मरक | [९५ पब्बे 


का राजा क्रूस से उतर आवे कि हम देखें और विश्वास 
लावें” और उन्हें ने, जे उसके संग कस पर खोंचे 
गये थे, उसे दुबचन कहा । 

डर पं ] 5 4 * 

३३ ओर छठवों घड़ी से नवई' घड़ी लें सारे देश 
55 चल धि ९ € + 9 हि 
में अंधियारा छागया। ३४ ओर नवई घड़ो में विशु न 
बड़े शब्द से कहा कि “ एली एलोी लमा सबकतनौं” ! 
जिसका यह अथ है कि हे मेरे ईश्वर हे मेरे ईग्रर तु ने 
मुझे क्या त्यागा है !। ३५ तब कई उन में से, जे। पास 

०७ 30,423. /ड8, बल 2 डेखे ५ 
खड़े थे यद्ध सुन के बाले कि देखा वुद्द इलिया का 
२ बज ० ५ के. जप 
बलाता है। ३६ जार एक न ढाड़ के बाइल के टुकड़े 
 -ु बज ५ श् 4८% ५० : ४ 
के सिरिके से भरा आर नरक्ट पर धर के पौने का 
रे ५ु /- 53. ४. अं ७ 
दिया आर कहा कि रहने दे इम देखें यदि इलिया 
उसे उतारने के। आवेगा। 

३७ तब यिशु ने बड़ा शब्द करके प्राण त्यागा। इ८ 
५ २५ ९ ७९. ६ उन 
ओर मन्दिर का आक्कल ऊपर से नीचे ला फटगया। 
३७ और जब उस शतपति ने जे। उसके सन्मुख खड़ा 
था, यह देखा कि उसने ऐसा शब्द करके प्राण त्यागा 
ता उसने कच्दा कि यह मनुय्य सचमुच ईश्वर का पुत्र था। 
४० वहां स्लियां भो दर से देख रहों थीं जिन में 

" 7 कप ५ 
मरियम मगदली ओर छोटे याकूब आर दुरुस की माता 
५ ही $ 
मरियम और सालुमी थीं। ४५ (जब वुद गालौल में 
ग्रे ० ५ री 
था वे भी उसके पीछ पीछ ज।तो थीं ओर उसको सेवा 
९8 ््‌ तो 7 ० 4 रो 
करतो थों) ओर बहुत सी ओर स्त्रियां थीं जे। उसके 
संग यिराशलौम के। आई थीं। 


९६ पब्बे] सरक। ९७५ 


४२ ग्रार जब सांभ हुई (इस कारण कि बनावरों 
थो अधथात बिश्वाम से पहिले हिन)। ४३ एक प्रतिष्टित 
मंत्री, जे। ईश्वर के राज्य का भी बाट जेहता था अधात 
अरमतिया का यूसफ आया बेर उसने हियाव से 
पिलात पास जाके यिशु को लाथ मांगी। ४४ तब 
पिलात बिछ्ित हुआ कि वृद्द ऐसा शेघ्र मरगया और 
उस शतपति के बुला के पका क्या उसे मरे अबेर 
हुई !। ४५ तब उसने शतपति से बुक के लाघ युसफ 
के दहिई। ४६ और उसने कीना बस्तर माल लिया 
' और उसे उतारके कपड़े में लपेटा और एक समाधि 
में, जे। चटान में खेहा गया था रक्‍्खा आर समाधि के 
मंह पर एक पत्थर ढलका दिया। ४७ ओर मरियम 
मगदली और यसा की माता मरियम ने देख रकंखा कि 
वह कहां धरा गया था। 

९६ सेालहवां पब्बे। 

९ और जब विश्राम ढिन बौत गया ता मरियम 
मगदलो और याकूब की माता मरियम और सालूनो 
ने सुगंध डुब्य मेल लिया जिसतें आके उस पर लगावें। 
२ ओर बड़े तड़के भार के। अठवारे के पहिले दिन 
रूथ उदय हे।ते वे समाधि पए आई। ३ और आपस 
में कहने लगीं कि उहमारे कारण समाधि के मंह से 
पत्थर कान ढुलकावेगा !। ४ और जब उन्‍्हें। ने दृष्टि 
किई तो क्या देखती है कि पत्थर ढुलकाया हुआ घा 


१3६ मरक्‌। [९६ पब्ब 


बन्द 
क्योकि वुद्द बहुत बड़ा धा। ४६ और समाधि में पठके 
उन्हें ने एक तरुण मनुस्य के, उजला लंबा बस्ल पहिने 
हर ५० जिक + 
दहिनी ओर बेठे हुए देखा शैर डर गई। ६ तब 
उस ने उन्हें कद्दा कि मत डरे तुम विशु नासरो का, जे 
क्रूस पर मारा गया था, ढूंढ़ तियां दे। वुद्द जी उठा है 
यहां नहीं हैं उस स्थान में देखे जहां उन्हें ने उसे, 
रकक्‍्खा था। ७9 परन्तु जाके उसके शिव्यें से और पधघर 
से कछ्े। कि वुद्द तुम्हारे आगे गालौल के जाता है 
जि हक ७+ «० बल 
जसा उस ने तुन्हें कहा था तुम उसे वहां देखेोगी। ८ 
&23..* के ह। 58» (जि 
औगर वे तुरन्त निकल के समाधि से ढाड़ीं क्योकि वे 
कंपित ओर बिस्मित थीं अर किसों से कुछन कहा 
क्याकि वे डरगई थीं। 
है. हर. 5 कप किक 8 0 2 
€ अब तड़के अठवा रे के पहिले जब वृद्द उठां ता 
मरियम मगरलो के पहिले दिखाई दिया जिस्मे उसमें 
सात पिशाचों के द्वर किया था। ९५० और उसने 
उसके संगिये| से जे शाक बिलाप कर रहे थे जाके 
कहा। ९९ गैर जब उन्‍्हां ने सुना कि वुद्द जीता है 
५ मु ४4” - 
ओर उसे छ्खाई दिया ते प्रतीति न किई। 
पी २५०९ ०. 400 ७५३ ०0५ 8 50 0 मिल 
१९२ उसके पीछ वह द्रसरे रूप में उन न से ढे। का, 
कक ह्बए 2 बे कक 
बाहर जाते हुए दिखाई दिया। ९१३ आर उन्‍न्हान 
जाके रहेहुओं के कहा उन्हों ने उनकी भौ प्रतीति 
नकिई। 
९४ उसके पीछे नुइ उन ग्यारहें| के, जब वे भाजन 


९६ पब्ब] मरेकी ९७७ 


पर बठ थे दिखाई दिया आर उनके अबिदश्यास आर मन 
की कठाोरता पर "लाना दिया इस कारण कि जिल्‍्हां 
ने उसे जो उठन के पीछ देखा था उन्‍्हां ने उनको 
_ प्रतौति न किई । 
डक. जि मु 3 हे 
९५ तब उसने उन्हें कहा कि सारे जगत म जाओ 
५ ह 
ओर हर एक मन॒व्य के पास मंगल समाचार प्रचारो। 
९६ जा बिश्वास लाताहै और खान किया गया है सा 
ऊद्घार पावेगा परन्तु जे। बिश्वास नहीं लाता उस पर 
दंड की आज्ञा किई जायगी । ९७ और जे जे। बिश्वास 
० आर) 2 &34 चल ७6७ जय 2५. 8 
लाते हैं उन में यह लक्षण होंगे कि वे मेरे नाम से 
000 20% ०३० ले ० 33 203 कक." 
पिशाचे के दूर कर॒ग आर नई नई भाषा बालग। 
कक ७2५: % ०७० जे ७ हक 
९८ बे सांपों के उठा लेंगे आर यहि वे काई मारू बिष 
पौवंग ता उन्हें हुख न देगो वे रागियां पर हाथ 
रक्खेंगे आर वे चंगे हाजायंगे। 
९८ सो जब प्रभु उन्हें कद्धि चुका दु्द खग पर उठाया 
५ पी जे 
गया और ईश्वर को दहिनी ओर बेठा। २० तब वे 
ब्ब्क कप जब भ्ण्ए्‌ 
बाहर निकल के हर एक स्थान में उपदेश करने लग 
५ ५ रा 
ओर प्रभु सहाय करता था ओर बचन के लक्षण से 
इृढ करता था आमीन। 


मंगल समाचार लूक रचित ॥ 


“0०0०० 





९ पहिला पब्व । 
कर 5 बह 0 
९ है महामदह्िनन थियफिल जंसा कि बहुतरों न 
रब न ८ ०. < 
उन बातों का बिधि से बणन करने के हाथ लगाया 
जे दृढ़ प्रमाणों से हच्मे स्थिर किया गया। २ जेसा कि 
उन्‍्हा मे, जे आरंभ से बचन के प्रत्यक्ष साक्षौ और 
०७ »३ . ० 

सेवक थे हमें सांपा। ३ आरंभ से उनका ठौक ज्ञान 
रखके मुझे भी अच्छा लगा कि रोबि से आपके पास 
लिखे। ४ जिसते आप उन बातो के निश्चय का जिनम 
आपन उपदेश पायाहे जानें। 

धू यिल्दिय: के राजा छहौराद के समय में आबिया 
की पारी का जकरिया नाम एक याजक था ओर 
उसकी पत्नी हरून को पत्रियां म॑ से थीं उसका नाम 
एलौरसबा था। ६ और वे दानां इंअर के आग धर्मो . 
और बग्रभु की सारी आज्ञा और ब्यवस्यथा पर देाषरहित 
चलते थे। ७ और एलौसवा के बांक्क होने के कारण 

हु बाप बा 720. 
उनके बालक नथा ओर वे देने पुरनियाथे। ८ 
ओर ऐसा हुआ कि जब वुद् अपनी पारी में याजकता 
5 हट जा ७ * से 
के काय्य ईंश्वर के आगे करता था। &« और यांजक कौ 





श 
९ एब्ब] लक। ९३ 


रौति के व्यवद्दार के समान उसकी पारी आईं कि प्रभु 
"कर + रन जज वि 3 ओर मी करती / 
के मंदिर में जाके धप जलावे। ९० आर लेगा को 
सारो मंडलो ४प जलाने के समय बाहर प्राधना करती 
थौ। २९९ तबप्रभ का द्रत धूप बेदौ के दद्धिनों आर 
खड़ाहुआ उसे दिखाई दिया। ९५२ ओर जकरिया 
देख के ब्याकुल हुआ और बहुत डर गया। ९३ परन्तु 
इत ने उसे कद्दा कि हे जकरिया मत डर वक्याकि तरो 

९5 ते ७. औ. डक. तेरे र् न 
आशथना सुनो गई और तेरी पत्री एलौसबा तेरे लिये 
पुत्र जनेगी आर त्‌ उसका नाम येाहन रखना। १५४ 
और तुके आनन्द ओर मंगल देगा और उसके जन्म से 
बहुतेरे आनब्हित होंगे। ९५ क्योंकि दउड प्रभ कौ 
दृष्टि में महान होगा ओर हाख रस ओर महटिरान 
पौएगा और अपनो माता कौ केाख में से धमोत्मातें 

८ से दल |» औक 2... 286,» 5४०७ के 
पुण हेगा। ९६ और इसराईल के संतानों में से वृच्द 

कक ३ 9. १३ है: 28० द 
बहुतों के उनके ईश्वर प्रभु की ओर फेरेगा। ९७ और 
पिता के मन के पुत्रें की आर और चआाज्ञा भंजक के 
धर्मो को बुद्धि की आर फेरने के, जिसते एक लाग के 
प्रभु के लिये सिद्ठ करे व॒ह उसके आगे आगे इलिया के 
आत्मा ओर सामथ्ये से चलेगा। ९८ और जकरिया 
ने दूत से वाहा कि में इसे क्येककर जाने? व्याकि में 
 परनियां है| और मेरी पत्नी भी दिनौ है ?!। ९८ तब 
इत ने उत्तर देके उसे कहा कि में गाबरईल हे! जा 
इंश्र के पास खड़ा रहताहों और तुझे कहने के और 


। | & 8 | 
 शेदर० लक। [९ पब्ब/ 


यह मंगलसमाचार सुनाने का भेजा गया। २० हो 
कप * आर रू न >> 
देख त गंगा ेजायगा और जिस दिनले। ये सब बातें 
परो नहीं बाल न सकेगा क्याकि त न मरे बचन पर, 
जा अपने समय म॑ पर होंगे प्रतोति न किई। २९५ आर 

ग्गजकरिया के लिये ठहर रहे थ आर आअ्य करते 
छ55 न ५८: की । के 5. ५ # 
थकि उसन मंहिर मं इतनो अबर किई। २२ आर 
वह बाहर निकल के उनसे बाल नसका तब उन्‍्हों ने 
जाना कि उसने मंदह्रि में कुछ दशेन पाया क्योकि वुच्द 

०७ ५ ब्५ ॥ 
उन्हें सेन करताथा और गंगा रहिगया। २६ और 
ऐसा हुआ कि जब उसके सेवकाई के दिन परे हुए वृद् 

५ ॥। रो रु 
अपनेदडौ घर चलागया। २४ चार उन्‍्हों दिनां 
८ &. ५ 
पीछे उसकी पत्नी एलौसबा गभिणी हुई ओर यह 
कहिके आप को पांच मास ला छिपाया। २४ कि 
३७७ कह « पमियक | 0 5 मर जल 2०७ ०० कक 
लागों के आग मेरा अपमान मिटाने का जिन दिनांमें 
कै किक 2७७. कक 
प्रभ ने मुझ पर दृष्टि किई उसने मुक्त से यों ब्यवदार 
किया। 
्‌ किक कर ७ 

२६ आर क्ठवें मास में नासर: नाम गालोल के एक 
नगर में ईश्वर को और से गाबरईल द्वत एक कन्या 
पास भेजा गया। २७ जे दाऊद के बंश के यसफ नाम 
एक पुरुष से बचन दत्ता हुई आर उस कन्या का नाम 
मरियम। र८ आर उस द्त ने भीतर आके उसे कहा 
कि हे महाअनुगुदहो त, प्रणाम, परमेश्वर तेरे संग, स्लियें 
239. ० सर ८ 0 कक 
मत धन्य । २८ वुद्द देख के उसके कहने से ब्याकुल 


९ पर्व] लुक । श्दर 


हुई और सेच ने रुगी कि यह केसा प्रणामहै। ३० 
तब दूत ने उसे कहा कि हे मरियम मत डर क्येकि 
ईश्वर का अन॒ग्रह तक पर हुआ है। ३९ ग्यार देख 
तुगभिणी हेगी और बेटा जनेगी और उसका नाम 
विशु रक्लेगो । ३२ वुद्द महान हेगा और अत्यंत महत 
का पुत्र कद्ावेगा और प्रभ ईश्वर उसे उसके पिता दाऊद 
का सिंहासन देगा। ३३ आर वुद्द सबरा याबब के. 
घराने पर राज्य करेगा और उसके राज्य का अंतन 
हेगा। ३४ तब मरियम ने ट्रत से कहा कि यह 
क्वाकर हेगा में ते पुरुष से अन्नान हे ?। ३५ दूत ने 
उत्तर देक्के उसे कहा कि ध्मोत्मा तुकभ पर उतरेगा 
और अत्यंत महत के सामथ्य कौ छाया तुक्क पर पड़ेगी 
इसलिये वृद् पवित्र बंश भो जे तुझ्ये उत्पन्न होगा से 
ईश्वर का पुत्र कह्ववेगा। ३६ ओर देख तेरे कुटम्ब 
| एलीसबा को भी बुढ़ापे में पुत्र का गर्भ है और जेग 
बांक कद्ावतो थौ यह उसका छठवां मास“है। ३७ 
क्योंकि ईश्वर से कोई बात अन होनी नहीं है। ३८ 
तब मरियम बोली कि देख प्रभ छी दासी तेरे बचन के 
समान मेरे लिये हवे तब दूत उस पास से जातारहा। 
३८ और उन्हों हिनें में मरियम शीघ्र उठके पबत 
देश विह्दा के एक नगर में गई। ४० जैर जकरिया 
के घर जाके एलोसबा को प्रणाम किया। ४९ और 


ऐेसा हुआ कि जब एलोसबा ने मरियम का प्रणाम 
; व6 ; 






हरे. लक । ._ श॒िकनओ 


पे कर ७3 ४ “बह, 
सुना ते वालक उसके केाख में उछला और एलीसबा 
धमात्मा से भरगई। ४२ जर वह बड़े शब्द से बाली 
० ७ ००७ ५ 
कि आप स्थियोां में धन्य आर आप के काख का फल 
कप ५ 
धनन्‍्य। ४३ और मेरे लिये यह कोसा हुआ कि मेरे प्रभ 
की माता सुक्क पास आई ?। ४४ क्योंकि देख ज्या 
आपके प्रणाम का शब्द मेरे कान ला पहुंचा त्यां बालक 
5 2० 9 + क्र 58 च 
मेरी केख में आनन्द के मारे उछला। ४५ चर धन्य 
वह जे। विश्वास लाई क्ोकि जे बातें प्रभ कौ ओर से 
५० ५ " 
उसे कही गई हं से प्रो हेंगी। 
कि हर 
४६ तब मरियम ने कहा कि मेरा प्राण प्रभ को 
महिमा करता है। ४७ और मेरा आत्मा मेरे मुक्ति- 
बे ० डर 
दाता ईच्वर से आनब्दित हुआ है। ४८ क्येंकि उसने 
अपनी दासी वी छोटाई पर दृष्टि किई और देख इस 
समय से सारी पीढ़ी मुझे धन्य दकबेंगी। ४८ क्योकि 
हर ७5०. बह (2० बे 
जा सामर्थी है उसने मुझ पर बड़ो कपा किई ओर 
<ः 3 जे ३5% ६३३... ०. 4९३० 
उसका नाम पवित्र है। ५० आर जे उसे डरते हें 
उसको दया उन पर पीढ़ी से पी ढ़ ला है। ५९५ उसने 
| बकरे सह 
अपनी भुजा से बड़ा बड़ा काय किया है और 
+ 2 0 अर हर. 3 ७ 
अहंकारियां का उनके मन को भावना म॑ छिन्न 
भिन्न किया है। ५२ उसने बलवंतां का आसनों 
3 हे, _ 5. 
से उतार दिया है और छोटां के! बढ़ाया है। ध३ 
उसने भखां के अच्छी अचछो बल से संतुष्ट किया है 
और धनी के छछ्ले हांध फेर दिया है। ४४ उसने 


ष्‌ पब्ब] लक । स्वर 


अपनी दया के स्मरण से अपने दास इसराईल को 
सहाय किई है। ५५ जेरा उसने हमारे पितर इबरा- 
हौम आर उसके बंश के सबदा के लिये कहा था। ४६ 
और मरियम मास तौन एक उसके यहां रहौ फेर 
अपने घर फिर गई। 

५७ अब एलोलबा के जन्ने के दिन परेहुए चर वह 
'बेठा जनो । ५८ और उसके पराछियां आर कुटम्ब ने 
सुना कि प्रभु ने उस पर बड़ो कुपा किई उन्हा ने उसे 
बधाई ढिई जैेर ऐसा हुआ कि आठवें दिन उस बालक 
का खंतन: करने के आये। ५८ और वे उसका नाम 
जकरिया, रखन लगे जे उसके पिता का, था। ६० 
परज्तु उसको माता ने उत्तर देके कहा कि नहों पर 
उसका नाम येाइन रकक्‍्खाजाय। ह€९ तब उन्हों ने उसे 
कहा कि तेरे घराने भ॑ ऐसा काई नहीं जे। इस नाम 
से काद्ावता है। ६२ तब उन्हें ने उसके पिता के। सेन 
किया कि बुद उसका नाम क्या रक्‍्खा चाहता है। ६३ 
' उसने पटिया मंगाके लिखा कि उसका नाम याइन है 
तब उन सभे ने आअ्यरय माना । ६४ बेर त्रन्त उसका 
मंह और जौम भी खुलगई और उसने बक्ता हेके ईश्वर 
को स्ति किई। €५ तब उनके आस पास के सारे 
बासियां पर डर पड़ो और इन सब बातों की चचा 
विह्द्य: के सारे पबंत देश में हुई। ६€ और सुन 


९८४ लक । [९ पब्ब॑ 
सुन के सब साचने लगे कि यह किस रीति का बालक 
होगा आर प्रभु कौ सहाय उस पर थी। 
३ ८ पे द 

६७ आर उसका पिता जकरिया धमात्मा से भरगया 
और भविष्य कहने लगा। ६८ कि धन्य परमेश्वर 
इसराईल का ईशर क्ये।कि उसने अपने लागों से भेंट 

कह हक करे ५ |>म- हक ७ 
करके उन्‍्हं छड़ाया है। €८ ऊजंसा कि उसने अपने 
पविच भविश्यदक्लें के दइ।रा से जे जगत के आरंभ से 
३ पक -+- गे २ द न्क2फ 
होते आये कहा। ७० तेरा हमारे हेतु अपने दास 

8282 20824 १ दी रें ० /थ+. 
दाऊद के घराने से माक्ष को सींग । ७५ अथात हमारे 
५३ ० 5 शी 
बेरियां और घिन करनेवालों से मुक्ति दिई। ७२ 
जिसतें हमारे पितरों पर दया प्रो करेअबेर अण्नी 
पवित्र बाचा का स्मरण करे। ७३ उस किरिया का जा 
उसने हमारे पिता इबराह्ीम से किई। ७४ कि बुह 
५ जप हे 82 हा. 
हमें यह देगा कि हम अपने बे रियें के हाथ से बचके। 
७५ उसके आगे पवित्रता और धन से अपने जीवन भर 
निर्भय से सेवा करें। 5६ और हे बालक त अत्यंत 
९ ब्क> ०-7 ०९, 

मह्दान का भविश्यद् क्ञा कह्वावेगा क्याकि तु डसके मामा 
के सुधारने के लिये प्रभु के आगे आगे चलेगा। ७७ 
जिसतें पाप से छटने के लिये सुक्ति का ज्ञान उसके 
लेागे के देवे। ७८ यह हमारे ईश्वर की कोमल दया 
से है जिस ने उदय का प्रकाश ऊपर से हम पर चम- 
काया हैं । ७८ कि जे अंधियारे और रूत्यू को छाया 
में बेठ हैं उन्हें उंजियाला करे लआआर हमारे पांव का 


पा 73. कहे ४ ! " ॥ 
है रे पब्ब] लक || श्व्प 


. कुशल के मार्ग में चलावे। ८० और वुचद्द लड़का बढ़ता 
गया ओर मन में पाढ़ हुआ शेर इसराईल के 
+- “० 220 20 पर विधि 
दिखाई देने लां बन मे रहा किया। 
२ ट्सरा पब्बे। 
हों ०४ २ 
९ उन्‍्हों दिनों में ऐसा हुआ कि केसर अगसतस को 
आज्ञा निकलौ कि सारे देश के लेगं के नाम लिखे 
जायें। २ और यह पहिले नाम लिखाई तब हुई जब 
करो नियूस. सुरिया का अध्यक्ष था। ३ तब सब अपन 
2 श नि कक हक जे 
अपने नगर के। नाम लिखाने गये। ४ और यसफ भो 
अपनी मंगनित स्त्रौ मरियम के संग, जे। अति गभिणी 
थी नासर: के नगर गालील को छोड़ के। ५ विह्ल ढ्यः 
के बेतलहम नाम दाऊद के नगर के नाम लिखान के 
गया क्योंकि वुद्द दाऊद के बंश ओर घराने से था। 

६ और उनके वहां हेतेहुए ऐसा हुआ कि उसके 
जन्ने के दिन परे हुए । ७ और वुद अपना पहिलोंठा 
# ०. 5 ने 800. बा ०७ 
 गुत्र जनो ओर उसे बस्ल॒ में लपेट के चरनी में रकक्‍्खा 
क्योकि टिकाअय में उनकी समाई न थी। ८ और उसी 
3 ० 8 35 के 8 0९ हक ले है 
देश में गड़ेरिये चेगान म रहते थे जे। रात का अपने 

की" 
समलुंड की रखवाली करते थ। ८ चार देखे कि प्रभुका 
डूत उन पास उतरा ओर प्रभु का तेज उनकी चारों 
ओर चमका ओर वे बहुत डरगये। ९० तब दूत ने 
_ डन्‍्हें कहा कि मत डरो क्योंकि देखे में तुम्हारे पास 
_ मंगलसमाचार लाता हों जे। सब के लिये बड़ा आनन्द 


शुद्ध / 0. आह [२ पन्ने 


७6. 
हर ७ है ब ६६९ 
हागा। ९९ क्याकि आज दाऊद के नगर म॒ तुन्हारे 
लिये एक सुक्निदाता उत्पन्न हुआ जे। ससोंड प्रभु है। 
९२ और तुम्हारे लिये यहौ पता है कि तुम उस 
बालक के बस्ख में लप्टा हुआ चरनी मे पड़ा पाओआगे। 
९३ ओर तुरन्त उस द्रत के संग खग के सेना कौ एक 
जथा प्रगट हुई और यह कहिके ईश्वर की सुति करने 
लगी। ९४ कि अत्यंत ऊंचे पर ईश्वर का धन्यवाद और 
एथिवी पर कुशल ओर मनुय्यां में मिलाप हेवे। ९५ 
के 95. 20200 “मर ० 8 
और ऐसा हुआ कि ज्यों ट्रत उनसे खग पर जातेरहे 
को ०५.०७ ३, ० रे िल ३५ रे 
गड़ेरिये| ने आपस में कह्दा कि आओ बेतलहम का 
चलें और जे। बात बीती है उसे टेखें जिसे प्रभु ने इम 
पर प्रगट किई है। ९६ तब उन्हं। ने शीघ्र आके 
मरियम चर यूसफ के आर उस बालक के चरनी 
में पड़ा पाया। ९७ ओर देख के उम बातों का, जा 
े ५ ०-७ बे न ०२०४० ० 
बालक के बिषय में उनसे कहो गई थीं फलानलगे। ९८ 
और गड़ेरिये की कहौहुई बातों से सारे सुनवेये 
बिल्मित हुए। ९८ परन्त मरियम इन सब बातों का 
अपने मन में जेगा के साचनेलगी। २० और उन 
०» $ यम पु 

सब बातें के कारण जे उन्‍्हें। ने सुनों आर बसाही 
देखी थीं गड़ेरिये ईश्वर का धन्य मानते आर ख॒ति 

करतेहुए लेटे। 
२९ आर आठवें दिन जब बालक का खतनः हुआ 
ते। उप्तका नाम विशु रक्खागया जे। द्रत ने उस्के गर्भ 


२ पन्बे] लक। श्द् 


में पड़ने से पहिल्े रकक्‍वा था। २२ ओर म॒सा को 

ब्यवस्था के समान जब उसके पवित्र होने के दिन परे 
हुए वे उसे प्रभु को भंट के लिये यिराशलीम में लाये। 
२३ (जेसा कि ईंशर को ब्यवस्थाँ में लिखा है कि हर 
एक पहिलेंठा नर ईश्वर के लिये पवित्र कह्ावेगा)। 
२४ ओर कि ईश्वर को व्यवस्था के समान घृघ॒ के जाड़े . 
अथवा कपात के दे।बच्चे का बलि करें। २५ और 
यिरुशालम में शमकऊन नाम एक सन॒ख्य थाजे सज्जन 
और धर्मो जन था और इसराईल के कुशल की बाट 
जाहता था और धम्माक्या उस पर था। २६ और 
धर्माक्षा से उस पर प्रगट हुआ था कि जबलों 
प्रभ के मसौद्र का न देखले दुष्ट मत्य के न देखेगा। 
२७ ओर वृुद्द आत्मा से मब्दिर में आया और 
जब ब्यवस्था के ब्यवद्दार के समान करने को माता 
पिता उस बालक यिशु के। भौतर लाये। र८ तब उसने 
उसे अपनी गोद में उठ लिया और ईश्वर को स्तुति 
करके कद्दा। २८ कि हे श्रभु अब तू अपने बचन के 
समान अपने दास का कुशल से बिा करता है। ३० 
क्यांकि मेरी आंखे ने तेरी सुक्ति के देखा है। ३९ 
जिसे तुने सारे लोगों केआगे सिद्ध किया है। ३२ 
अन्य देशियें के उंजियाला करने के एक ज्योति और 
तेरे इसराईल लेग का बिभव। ३३ तब यूसफ और 
उसकी माता उसके बिषय को कही हुई बातों से, 


श्व्क लक । द [२ पब्बे. 


आखसयित हुई। ३४ और शमऊन ने उन्हें आशिष दिया 
और उसको माता मरियम से कहा कि देख यहीौो 
इसराईल में बहुतरां के गिरने आर फर उठने के 
कारण ठहरायागया हैओआर अपवाद का एक चिह्र है। 
३५ जिस्म तेराही प्राण भो भाले से बेधा जायगा जिसतें 
बहुतेरें के मन की चिंता ग्रगट हेजाय। ३६ और 
अशर को गोछठो के फनुईल की पुत्री उन्ना शक भविव्य- 
इक्ता थी जे बहुत बुद्ठ थो और अपने कंआरपन से 
सात बरस ले एक पति के रंग थी। ३७ और वृह्द 
चैरासी बरस की बिधवा थी जो मन्दिर से न्यारीन 
होती धो परन्तु बात ओर प्राथेना कर कर रात दिन 
सेवा करती घी। ३८ ओर उसने उसी समय आके 
प्रभ को स्तुति किई और उन सभें। से जो विरशालम 
में उड्भार की बाट जाइते थे उसके बिषय में बाली। 
३6 और जब वे प्रभु की व्यवस्था के समान सारे काये 
कर चके ता गालौल का अपनंहोी नगर नासर; का 
लैटे। ४० और वच बालक बढ़ता गया और मन में 
पाोढ़ हुआ ओर बुद्धि से भर गया आर ईंशअर का 
अनुग्रह उस पर था। 

४९ अब उसके माता पिता बरस बरस पारजाना 
पन्मे में यिदशालम को जाते थे। ४२ और जब वुद्द 
बारह बरस का हुआ वे पब्बे को रौति पर यिरुशालम 
को गये। ४३ ओर जब वे उन दिनों का पूरा करके 


₹ पन्ने] लुक। . रद 


30 अं औ ०७ 
लाट तब वृद्द बालक यिशु यिरुशालम में रहि गया 
५३ 
और यूसफ ओर उसकी माता ने नजाना। ४४ परन्तु 
के ७५ न 2" 3 ९ ७७ 4 2 
उसे जथा भ॑ समकक के दिन भर के मार्ग गये और 
कुटुम्बा और चिक्के।रों में ढूँढ़ा। ४५ आर उन्हों ने डसे 
हे के 009... 82%. ७ + को ००. 
न पाके ढूंढने का यविराशलौम में फिर लाोटे। ४६ 
और ऐसा हुआ कि: तौन दिन पीछे उन्हें ने बसे 
3 पंहि +. दर हे 
मंहिर्में पंडितां के मध्य में बेठे उनकी सुनते ओर 
रे ०905. डर जि (288, 206 , को के 
उनसे ग्रश्न करत पाबा। ४३ और जितनों ने उसे 
सुना वे उसकी समभ्कत ओर उत्तरों से बिसश्यमित हुए। 
से 
४८ आर उसे देखके आ्राआथित हुए और उसकी माता 
ने उसे छहा कि हे पुत्र किस लिये तने अम से ऐसा 
५ 3 ् | ; 
किया है! देख तेरा पिल्रा श्वार में कुड़ते हुए तब्के 
जे ई] 
५ २ आह आर ९8... 5५ 
ढूंढ़ते थे। ४४ तब उसने उन्हें कद्दा कि यह व्याकर है 
2- कक 3 039 ५४ ३2:8९. 3९३ 
कि तुम सुन्‍्के ढूंढ़ते थे ! द्या नजानते घ कि मुर््क अवश्य 
है कि अपने पिता ठिकाने में रहछां?!। ५० पर उस 
जम है? ७ ७ 
बचन को जे। उसने उन्हें कहा उन्हीं ने न समकका। ५९ 
बे 00 ०७ बे ७७ हु 
और देह उनके संग गया आर नासर: में आके उनके 
बश में रहा परन्तु डसकी माता ने इन सब बातों का 
३२2 ०5 े दि 
अपने मन म जुगा रक्खा। ५९ ओर यिशु बुद्धि आर 
७ जे 8! ५ 82.2 ;$ 
डौल म आर इंश्वर को आर मनुय्य कौ क॒ुपा में बढ़ता 
गया। । 


३6० , लक]... शिमले 


३ तौसरा पब्बे। 

९ अब तोबरिया कघ्र के राज्य के पंदरहव 
बरस, जब पंत्रिय पिलात यिह्ूहियः का अध्यज्ञ था 
और छिराद गालील के चेांथाई का ओर उसका भाई 
फिलिप ईंतूरिय आर तकूनिय देश कौ चाथाई का 
और लस॒निय अबीलनिय के चाथाई का अध्यक्ष। २ 
हन्ना आर कयफा के प्रधान याजक हातेहुए ईश्वर का' 
बचन जकररिया के बेटे येहन पास बन म॑ पहुंचा। ३ 
और वृदद य्दन के आस पास के सारे देश में आके पाप 
माचन के कारण स्तान के पञ्मात्ताप का उपदेश करने 
लगा। ४ जेंसा कि यिशाया भविव्यदक्ता के बचन को 
य॒र्तक में लिखा हे कि बन में एक का शब्द प्रचारता है 
कि परभेगश्वर के पथ के। सुधारे ओर उसके मागां के 
झसौधा करे। ४ इरु शक नोची भुत्रि भरी जायगो 
और हर एक एब्वेल आर पहाड़ी नौचा किया जायगा 
ओर टेढ़े दीधे कियेजायंगे और खड़बिड़ पथ समधर 
बनेंगे। ६ ओर इरु एक प्राणी ईश्वर की मुक्ति का 
देखेगा। ७ तब जे। मंडली उस्मे खान पाने को निकली 
उसने उन्हें कहा कि हे सर्पबंशिये आबेया काप से 
भागने को तुन्हें किस ने चिताया?। र से च्यात्ताप 
के येग्य का फल लाओ और अपने अपने मन में मत 
समभ्ये कि हमारा पिता इबराहौम है क्योकि में तुन्ह 
कहता हें कि इन पत्थरे| से इबराहौम के लिये बालक 





हैं पब्ब] लक। १्८फ्‌ 


७५ 


उत्पन्न करने का ईश्वर में सामथ्य है। « औऋर अब पेड़ 
के जड़ पर कुल्हाड़ी भी धरी है इस ज्िये हर एक 
पेड़ जे अच्छा फल नहीं फलता काटा जाता और 
है ८... नीक ले, कर, आए 7 पक -ु 
आग में क्मोकाजाता है। ९० तब लागों ने यह कडिके 
उसे पछा कि अब हम क्या करें!। ९९ उसने उत्तर 
कप र ह0% ९ ब्_् बी ०8 

देके उन्हें कह्दा कि जिसके पास दा बस्ल हें जा कुछ 

७-० व डर हर ८ कर अं हि 
नहीं रखता है सो उद्य बांट लेवे आर जिस पास 
भाजन है से भी ऐसा करे। ९२ करथणग्राहक भी स्ान 
न ० बे #< हु ५ ६४२ + कस 

पावन का चाये ओर डसे बोले कि हे गुण हम क्या 
करें !। ९३ उसने उन्हें कद्दा कि जा तन्हारे लिये 
ठरायागया है उत्स अधिक नत लेबओआ। ९४ याड़ाओं 
है: 9७ अं ० 

ने भी यह कइहके उसे पछा कि इन क्या करें? उसके 
उन्हें कहा कि किसी से बरबस्तो मत करे। कटा देष 
मत लगाओआ और अपनी बंधेज से रंलेाष करा। 

९५ ओऔश जब लाग आशा मं थे श्रार हर एक जन 

| मन में येहन के विषय में साचने लगा कि बृद्द मशोद 
है कि नहीं। ९६ येहन ने उत्तर देके सभों से कहा 
कि ठोक में ते तुन्हें जल से ल्लान देताहें परन्तु मुच्ये 
एक अधिक सामर्थों आता है जिसके जूता का बंद में 
दि ३:20७०- ८7५ ० रे और ६ ८ ००८१ 3०० 
खालने के याग्य नहीं वह तब्ह धमात्मा से ओर आग से 
खान देगा। ९७ उसके हाथ में सूप है और वृच्द अपने 
खलिहान का अच्छी रोौति से काड़ेगा आर गोहक्ूका 
अपने खत्ते में एकई करेगा परन्तु भूसे के अबु्वये 





श्ल्र लूक। [३ पब्बे 


आग से जलावेगा। ९८ और उसने अपने उपदेश में 
६०): 5 अमल. पे ञ्य अप 4.५ 
लोग का और अनेक बात सिखाया करता था। ९८ 
परन्त चाथाई के अध्यक्ष हिराद में अपने भाई फिलिप 
की पत्नी ही रुढिया के कारण ओर अपनी सारी बराई 
के लिये जे। हिराद ने किई थी उद्यस देशष पायाथा। 
6 ५20७ किक 
२० उन सभों पर यह अधिक किया कि उसने याहन 
हनन « ७ न्द पद कर 
का बंधन म डाला। २५ और जब सारे लाग स्ान 
कै ५ 
पाचुके ऐसा हुआ कि यिशु ने भी कान पाया आर 
प्राथेना करतेहुए खग॑ खुल गया। २२ और धनात्मा 
रेद्ौ के रूप कपे।तत के सनान उस पर उतरा ओर यह 
कहती हुई आकाशबाणी हुई कि त्‌ मेरा प्रिय पुत्र है 
तुच्मे में प्रसन्न है । 
४ ७ ५ 

२३ तब यिशु आपह्लौ बरस तोसुएक का होनेलगा 
५ + 
जसा कि समक्काजाता था कि बृद्द युसफ का पुत्र था जा 
हेली का था। २४ जे मधात का था जे। लवी का था 
जे। मल्‍्की का था जे। यज्ना का घा जे यूसफ काथा। 
२४ जे मथतिया का था जे। अमूस का था जा नाह्ूम 
का था जे। इसली का था जे। नागी का था। २६ जो 
मात का था जा मथतिया का था जो शमी का था जो. 
युस॒फ का था जे यिह्लदा का था। २७ जो यहाना का 
था जा रौसा का धाजा जारबाबल का था जा सला- 
तियल का था जा नरौ काथा। २८ जो मालको का 
. था जा अदौ का था जा कूसाम का थाजो हेलमदाम 


४ पब्बे) द लूक। श्ल्डं 


का था जो ईर का था। र€ जा यसा काथाजो 
इलियाजर का था जा यूरम का था जा मधात का था 
जे। लवो का था। ३० जा शिमान का था जो विहूदा 
का था जो यूसफ का था जा यूनान का था जो 
इलोीयाकोम का था। ३९ जे। मलोया का था जा 
मानान का था जे। मधात का था जा नाथन का था 
जे। दाऊद का था। ३२ जो यक्मी का था जे। ओआबेद 
काथा जे। बाआज का था जे सलमन काथा जा 
नहसन का था। ३३ जे। अनोनादाब का था जे। अरम 
काथाजा असरुन का था जा फारिज का था जो 
विहूदा का था। ३४ जा याकब का थाजा इसहाक 
काथा जा इबराहोम का थाजो तरह का. था जा 
नाहूर का था। ३५ जा सौरुग का था जा राग का 
' था जा फालिग का था जो इंबर का था जा सलहइ का 
था। ३६ जा केनान का था जा अफैकशद काथाजो 
शिम का था जो नह का था जो लामक का था। ३७ 
जो नितृशल का था जा इनक का था जो यारद का था 
जा महलालील का था जा कोनान का घथा। ₹८ जो 
अनूस का था जा शेत का था जा आदम का था जा 
इूशर का था। 


हक ८ अयद 


हा ४ चोधथा पब्ने। | 
९ और विश धमोक्मा से भरपर हेके यदहन से फिरा 


और आत्मा उसे बन में लेगया। २ ओर चालौस दिन 
37 


6४ लूक। [8 पब्बे 


है. ३ ु 
ला शैतान ने उसे परखा किया और उन्हीं दिनों में 
उसने कुछ न खाया आर उनके बौतने के पीछे उसे 
०५२ 
भूखलगी । ३ तब शेतान ने उसे कह्टा कि यदि तू ईश्वर 
का पुत्र है ता इस पत्थर का रोटी बनजाने का आज्ञा 
कर। ४ यिशु ने उत्तर देके उसे कहा, लिखा है कि 
मनृष्य केवल रोटी से नहीं परन्तु ईश्वर के हर एक 
क क २ हर दल ५. 
बचन से जोता रह्देगा। ५ तब शैतान ने उसे एक ऊंचे 
पहाड़ पर ले जाके जगत का सारा राज्य पलभर में 
जे (>प हकवक 3-० 
ढ्खाया। ६ ओर शेतान ने उसे कहा कि यह सारा 
ओर ५० छिलका $ 
पराक्रम आर उनका बिभव में तुक्के देउंगा क्योंकि यह 
+ बे हर २५० हलक 
मुझे सेंपा गया है अर जिस किसी को में चाहे उसे 
कोड८ 0७ ०." कै ८ 4६ अ 
देउं। ७ इस लिये यदि मुभ्ते प्रणम करे ता सब 
है... के हक का अं 5: 
तेरा हो जायगा। ८ यिशु न उत्तर देके छसे कहा 
बे & ब् 
कि चरे शतान मेरे णोछे जा क्योंकि लिखा है कि त्‌, 
| 3.2४ 6 के हर सर हक 
अपने ईश्वर परमेश्वर का प्रणाम कर आर केवल उसौ 
को सेवा कर । € तब व॒चह् उसे यिराशलौन में लाया 
और मन्दिर के एक कलश पर रक्‍्खा अर उसे बाला 
कि यदि तु ईग्वर का पुत्र है ता आपको यहां से नौचे 
गिरा। ९० क्योंकि लिखा है कि वृद्द तरो रक्षा के 
निमित्त अपने दूतों के आज्ञा करेगा। ९५९ अर 
हाथा में वे तुश्ते उठालेंगे जिसतें तेरा पांव पत्थर पर 
लगने न पवे। ९२ तब यिशु ने उत्तर देके उसे कहा 
कि यह कह्ागया है कि तू अपने ईश्वर परमेश्वर को 


8 पब्बे] लूक। श्ध्भू 


क्र ते 
परीक्षा मत कर । ९३ आर जब शतान सारी परीक्षा 
करचुका ता कुछ समय लो उस्मे चलागया। 
ञ्य्े 0 225 है 
९४ और विशु अाक्मा के सामथ्य से गालोल का 
५ “५ ।् $ दे 
लोटा गैर उसको कौत्ति सारे देश में चारों आर 
के & है + (7० कह हज 8. सा 
फेलगर । ५५ और उसने उनकी मंडलियों में उपदेश 
किया थऔरर सभें से स्तृति पाईं। "६ ओर वह नासर: 
में आया जहां उसने प्रतिपाल पाया था गजैार अपने 
ब्यवहार पर विश्राम के दिन मंडली में जाके बांचन 
के। खड़ाहुआ। ९७ ओर यिशाया भविश्वद्क्षा कौ 
से 9. व के ७9% नल जि डक लि 
पसतक उसे दिईंगई ओर पुस्तक का खेलके उसने उस 
स्थल के पाया जहां लिखा था। ९८ कि परमेश्वर का 
आगक्मा मुक्त पर है इसकारण उसने कंगालों में मंगल 
समाचार प्रचारने के सुझे अभिषेक किया है, चणे मन 
चंगा करने के और बंधओं के क्टकारे का ओर अंधा 
७ पल बे ५ ७८. ५२५५ जे से 9 5 ० ४ 
का फेर दृष्टि पाने का संदेश देने का आर घायलों का 
निस्तार देने के । ९6 ओर परमेश्वर के ग्रहण किये- 
कद कक. हर ५७ के / 
हुए बरस प्रचारने के उसने मुझे भेजा है। २० तब 
। बी हे. « 5२ ० 3३३५ हि 
उसने पुस्तक के। बंद किया ओर सेवक को सेंप के 
बैठगया और सारी मंडली की आंखें उसे तक रहौथों। 
२९ तब उसने उन्हें कहना आरंभ किया कि आजहीौ 
(8 0९ #" कारक र्‌ 
यहीं लिखाहुआ तुम्हारे सुन्न मे प्रा हुआ। २२ 
और सभा ने उस पर साज्षौ दिई ओर अनुग्रह के 
# 4 # हर !4 कि पु] 
बचन से जा उसके मंद से निकले थे अचंभित हेरहे थे 


१८६ जी डी [४ पर्न्न 


और बेले कि क्या यह यूसफ का बेटा नहीों ?। २३ 


उसने उन्हें कहा कि तुम लेग निःसन्द॑ह मुझे यह / 


३ 52700 800९3. 28. 8 ५ ०-5 
दृष्ठांत कहेग कि हे बच्य अपन का चंगा कर जा कुछ 
हम ने सुना है कि त्‌ ने कपरनाहुम में किया यहां 


|80- १० 5+ ० " 
अपन देश में भी कर। २४ परन्तु उसने कहा कि में 


तुन्हें सत्य कहता हैं कि काई भविष्यद्ह्मा अपने देश में 
ग्रहण नहीं किया जाता। २४ परन्तु में तन्हें सत्य 
कहता हों कि इलियास के दिनां मं जब खग तीन 


४ 
१ 
] 


॥ है * मो ७ 0०.6 हे है १७ ( 
बरस कः मास लॉ बंद था यहां ला कि सारे देशम 
बड़ा अकाल पड़ा था बहुतेरी बिधवा इसराईल में 


थों। २६ तथापि सेदा के सरपता की एक बिधवा स्त्री 


का छोड़ ईलिया उनमें से किसो के पास भेजा नहों 


गया। २७ जार एलोशा भविव्यदक्ला के समय में इस- 
०७ ३. च्क्ष जा... सह 

राईल में बहुत से काढ़ौ थे परन्तु उन में से नामान 
सुरयानो के छाड़ के।ई पवित्र न हुआ। र८ तब सब 
६६ ऊन ५ ३७ वर 3७० ४ लि 5 
के सब जितने मंडली में थे इन बातों का सुनतहीौ 
क्रोध से भरगये । २८ और उठके उसे नगर के बाहर 
धकिआाया ओर उस पहाड़ को चेटौं पर जिस पर 
उनका नगर बना था लेचले जिसतें उसे आधे मंच 
गिरादेवें। ३० परन्तु दृद्द उनके मध्य में से निकल के 
जातारहा। । 


३९ और गालील के एक नगर कपरनाहुम में 
आया गैर विश्वाम दिन में उन्हें उपदेश दिया किया। 


-8 पर्जे] लूक। ९८७ 


३२ ओर उन्हा ने उसके उपदेश से आशय माना क्योकि 
उसका बचन पर/क्रम के साथ था। ३३ ओर मंडलोी में 
एक मनृय्य था जिस में अपव्त्रि पिशाच का आत्माथा 
उसने बड़े शब्द से चित्लाके। ३४ कहा कि हे यिशु 
नासरी हमे आपसे क्या काम ! क्या आप हमें नाश 
करने आये हैं! में आप के जानता हें कि आप 
कोन हैं ईश्वर का धब्ममय । १५ तब थिशु ने उसे दपट 
के कदा कि चुपरह और उद्से निकलआ झर भूत डसे 
रूध्य में गिराके बिना दुःख दिये उदस्से निकल आया। 
३६ तब सब बिर्ित हा के आएस में कददन लगे कि यह 
केसो बात है क्यांकि वृद्द पर. क्रम ओर सामणश्यसे 
अपविच आत्माओं के। आज्ञा करता है और वे बाहर 
निकल अ ते हैं। ३७ और उसकी दौत्ति उस देश के 
सारे स्थान में चारों ओर फेलगई। 

ह८्ट तब वुद्द मंडली में से उठा ओर शिमान के घर 
में आया और शिमेन को सस बड़े ज्वर से पड़ी थी 
और उन्हें। ने उसके लिये उसकी बिनती किई। ३« 
तब उस पास खड़ा हे।के उसने ज्वर के दपटा और ज्वर 
ने उसे छाड़ा अ।र उसने त्रन्त उठके उनकी सेवा 
_किई। ४० और रूये अस्त देते जिन पास नाना प्रकार 
के राग से रे|गो थ वे सब उन्हें उसके पास लाये आर 
उसने उनमें से हरएक पर हाथ रखके उन्हें चंगा किया। 
४९ और बहुतेरों से भूत भी चिल्लाके बाइर निकले 


ध्ट्य लूक। [पू प्ब्व 


और बोले कि आप ईश्वर के पुत्र मसोह् हैं आर उसने 
द॒पट के उन्हें बात करने न दिई क्योंकि वे जानते थे कि 
बुद्द मसीह है। ४२ जैर जब दिन हुआ वह निकल 
के एक शुन्य स्थान में गया और ले।ग उसे ढूंढ़ने लगे 
और आके उसे रे।का कि वृद्द उनके पास से न जाय। 
४२३ तब उसने उन्हें कहा कि मुझे अवश्य है कि और 
नगरो में नी ईश्वर के राज्य का प्रचारों क्योंकि में इसी 
लिये भेजा गया छहां। ४४ ओर वुद गालौल को 
मंडलियां नें प्रचारता रहा । 
भू पांचवां प्ब्बे। 

९ ओर ऐसा हुआ कि जब वुचद्द जनेसरत की कौल 
पर खड़ा था लाग ईश्वर का बचन सन्ने के उस पर 
गिरे पड़ते थे। २ ओर भील पर दे। नाव लगी दटेखीं 
परन्तु मकछुए उन पर से उतर के जालों के घोरहे थे। 
३ तब उसने उन में से एक नाव पर, जे श्मिन की थीं 
चढ़ के उस्पे चाहा कि तौर से थाड़ा द्वर लेजाय और 
उसने बेठ के ले।गां के। नाव पर से उपदेश किया।४ 
और जब वुद्द लनात कर चुका ता शिमे।न के बाला कि 
गहिरे सं लेजा लर बस्काने के लिये अपने जाल डाल! 
थू तब शिमेलन ने उत्तर देके उसे कहा कि हे गुरु हम 
ने रात भर परिश्रम किया ओर कुछ न पकड़ा तिल 
पर भी आप के कहने से सें जाल डालता हों। ६ और 
क्षब उन्हें ने ऐसा किया ता बहुतरौ मछजियोां के घेरा 


दे धू बे] * | लू हे 
! धब्बे लूक। ५८ 
श हक का ० 2 

और उनका जाल फठ ने लगा। ७ तब उन्हें। ने सच्दाय 
के लिये अपने साकिये के, जे। दूसरी नाव पर थ सेन 
किया तब वे आये और देनों नावें ऐसी भरों कि वे 
डुवने लगों। ८ इसे देखके शिमान पथर ने यिशु के 
घुठनां पर गिर के कहा कि हे प्रभु म॒स्ये परे रहिये इस 
लिये कि में पापी जन हों,। ८ क्येंकि वह ओर उसके 
सारे संगी ओर जबदौ के बेटे याकूब और येाइहन भी 
जे शिमेन के साभी थे उन मछलियों के बक्कावसे, जे। 
डर रे ४ बिक 
उन्‍हा ने पकड़ों अचंभित हुए। ९५० तब यिशुन 
शिमेन के कडा कि मत डर क्यें।कि अब से त्‌ मनुग्यों 
का बस्कवेगा। ९५९५ और जब वे अपनी नावें तौर पर 

00, 3 ले ३ (अ हल ३ 
लाये ला सब कुछ त्याग के उसके पौछ हो लिये। 

स्प्रे ५ ऐछ। 

९२ और जब वुद किसो नगर में था ता ऐसा हुआ 
कि काढ़ से भराहुआ एक मन॒प्य विशु का देख के 
आधा गिरा आर उसको बिनतोौ करके बोला कि हे 
प्रभु जे। आप चाहें ता मुक्के पवित्र करसतक्ते हैं। ९५३ 

5 ३३. 2ौ _ ७२७७ 
उसने हाथ बढ़ाया और उसे यह कहिके छआ कि में 
चाहता हों, पवित्र हेजा आर उसका काढ़ तुरन्त जाता 
रहा। ९४ ओर उसने उसे किसो से कहने के बजा 
परन्तु जाके अपने तई याजक के दिखला ओर उनके 
आग साह्णी हेाने के लिये मसा को जआाज्ञाके समान 
अपने पवित्र होने के लिये भेंट चढ़ा। ९४ परन्तु उतनी 

«. ५ 
अधिक उसकी बीत्ति फेलगई ओर सुन्ने के और 


२०० लूक। [५ पर्ब्ब 
अपनी दुबलता से उद्मे चगे हे ने के। बड़ौं बड़ो मंडली 
शकट्टी हुई । ९६ चर उसनेबन में अलग हे।के प्र/थेना 
किई। 
९७. और एक दिन ऐसा हुआ कि जब दुद उपदेश 
कर रहा घा ता फिरसी और ब्यबच्या के ज्ञाता,जा 
गालोंल के हर एक नगर, से ओर यिहूदिय और 
यिराशलीम से आये थे वहां बेठ थे आर चंगा करने का 
ईश्वर का सामस्ये प्रगट हुआ। ९८ ओर देखे कि 
लेग एक अड्टोंगी मनृस्य के खाट पर लाये और चाहा 
कि उसे भीतर लावें ओर उसके आगे धरें। ९८ परन्तु 
जब मंडलो के कारण उन्‍्हें। ने उसे भीतर ले जाने का 
शैं।न पाया ते के।ठे पर चढ़ गये ओर खपरेल उघेर के 
उसे खाट समेन मध्य में यिशु के आगे लटका दिया। 
२० उनका बिज्यास देखके उसन उसे कच्दा कि हे मनुय्य 
तेरे पाप क्षमा किये गये। २९ तब अध्यापक ओर 
फिरुसी बिचारने लगे कि यह कोन है जे। ईश्वर की 
निंदा बक़ता है! ईश्वर का छोड़ कान पापों के क्षमा 
करसक्का है !। २२ यिशु ने उनको चिंतों का जान के 
उत्तर देके उन्हें कहा कि अपन मन में क्या बिचारते 
है| !। २३ क्या कहना सहज हे कि, तरे पाप क्षमा 
किये गये अथवा कि उठ ओर चल !। २४ परन्तु 
जिसतें जाने। कि प्थिवी पर मनुब्य के पुत्र का पाप 
क्षमा करने का पर.क्रम है उसन उम्र अड्टोंगी के कद्दा 


_ थू यब्बे] लूक। २०६, 
कि में तुझे कहता हे कि उठ और अपनी खाट उठा 
के अपने घर चलाजा। २४ ओर तुरन्त वृद्द उनके 
आगे उठा और जिस पर व॒ह पड़ा था उसे लेके ईश्वर 
की स्तुति करते हुए अपने घर चला गया। रदं सब 
बिस्म॒य से ईश्वर कौ स्तुति करने लगे और भय से भर 
के बेले कि हमने आज अनेखी बातें देखी हैं। 

२७ अर इनबातों के पोके वुद्द बाइर गया ओर 
एक पटवारो के, जिसका नाम लवो था कर स्थान में 
बंठ देखा और उसने उसे कहा कि मेरे पीछ होले। 
र२८ तब वह सब कुछ छोड़ के उठ खड़ा हुआ ग्यार 
उसके पौछ हे।लिया । २८ और लवी ने उसके लिये 
अपने घर में बड़ा जेवनार किया और वहां पटवारी 
और चऔरों कौ एक बड़ी जथा थी जे। उनके संग बेठ 
गये थे। ३० परन्तु उनके अध्यापक और फिरुसी उसके 
शिम्था पर कुड़कुड़ाके कद्दन लगे कि तुम क्यों पट- 
वारियां और पापियां के संग खाते पौते हो। !। ३९ 
 थिशु ने उत्तर देके उन्हें कहा कि निरागी के। बेद्य का 
प्रयोजन नहीं परन्तु रोगी के। ३२ में धर्मियों का 
ब॒लाने नहों आया परन्तु पापियों के पद्मात्ताप कराने। 
३३ तब उन्‍्हें। ने उसे कहा कि येाहन के और फिरुसियों 
के शिष्य क्यां बारंबार ब्रत आर प्राथना करते हैं परन्त 
आपके खाते पीते है !। ३४ उसन उन्हें कहा कि जब 
लॉ दृल्हा बरातियें के संग ह तुम उन्हें ब्रत करवासक्त 


२०२ लूक। ... [६ पर्व 


है। !। ३५ परन्तु वे दिन आवेंगे जब कि दूल्हा उनसे 
अलग किया जायगा तब वे उन्हीं दिनों में ब्रत करेंगे। 
३२६ और उसने उन्हें एक दृष्टान्त भी कहा कि काई नये 
थान का टुकड़ा पुराने बच्च में नहों लगाता नहों ता 
नया उद्स खेंवता है और नये घान का टुकड़ा पुराने 
में न््दों मलता। ३७ और केई पराने कुप्पे में नया 
दाखरस नहीं भरता नडों ते नथा दाखरस कप्पां का 
फ़ाडंगा आर बच्धि जायगा आर क॒प्य नष्ठ हाजायँंग। 
इ८ परन्तु अवश्य है कि नया दाखरस नये कुप्प॑ मे रक्खा 
जाय ते देनां जतन से रहेंगे। ३८ काई पुरान का 
भी पीके त्रत्त नया नहीं चाइता क्याकि वुच्द कहता है 
कि पुराना उद्से अच्छा दे । 
है कठवां पब्बे । 

९ बड़े बिश्वांम दिन के अगिले बिश्ञाम में यां हुआ 
कि वृच्द खेतों में से जाने लगा ओर उसके शिव्य बालें 
तेाड़ ताड़ हाथों में मल मल खाने लगे। २ तब 
फिरुसियें में से कितने उन्हें बेले कि तुम वुद्द कम क्यों 
करते हैे। जे। बिश्वाम के दिनों में करना उचित नहीं !। 
३ विशु ने उत्तर देके उन्हें कह्ा कि तुम ने इतना नहीं 
पढ़ा हैःकि दाऊद ने जब वृुद्द भखा था आर उसके / 
संगियों ने क्या किया !। ४ वह क्योकर ई श्र के मन्दिर 
में गया ओर भंट की राटी लिई और अपने संगियोां का 
 औरिई जे याजकों के छोड़ उन्हें खाने के उचित न _ 


#पब्य] लूक। २०३ 


जे के ७ 

था। ५ आर उसने उन्हें कहा कि मनृय्थ का पुत्र 
बिश्याल दिन का भी प्रभ है। 

€ और अगिले बिश्वाम दिन के भो ऐसा हुआ कि 

है ०७ ४०. 27- *<्‌ » 
उस ने मंडलो में जाके उपदेश किया और वहां एक 
मनुष्य था जिसका दहिना हाथ क्कुरा गया था। ७ तब 
अध्यापक ओर फिरुसी उसे देख रहे थे यदि वुच्द बिश्वाम 
दिन में चंगा करेगा जिसतें वे डस पर देष लगाने का 
कारण पावें। ८ परन्तु उसने उनको दिंतां के जानके 
कप ० 

उस भकुराप हाथ वाले से कहा कि, उठ ओर मध्य में 
खड़ा है।, वृद्द उठ खड़ा हुआ। ८ फेर विशु ने डन्‍्हें 
कहा कि में तुम से एक बात पछता हे कि विश्वाम दिनें 
में भला करना उचित हैं अथवा बुरा! आण बचाना 
अथवा नाश करना !। ९५० ओर उन सभों पर चारों 
ओर दृष्टि करके उसने उस मनुय्य का कद्दा कि अपना 
हाथ बढ़ा उसने वसा किया आर उसका हाथ हसरे की 

० कर बम 
नाई फिर हेगगया। १९५ तब वे बाड़ाहपन से भर गये 

3 ०७ ८५ ९३२ > 3." ० 

और आपस में कहने लग कि यिशु को क्या कर। 
९२ ओर  उन्‍्हों ढ्निं में ऐसा हुआ कि बच्च एक 
_ पह्दाड़ पर प्राथना करने गया जार रात भर ईअर कौ 
$ ०७ सने' हि 
प्राथना में काटी। ९३ और जब दिन हुआ उसने 
अपने शिव्यां के बुलाया और उन में से बारह का 
चुन के अरित नाम भी रद्खा। ९४ शिमान (जिसका 
. नाम उसने पथर भी रक्‍्खा) ओर उसका भाई अंद्रया, 


२०४ लूक। ई पब्बे | 


याकब, आर येचहन, फिलिप, ओर बरतलमो। ९५ 
मत्ती, ग्रार तमा आर इलल्‍्फा का याकब आर शिमान 
जे। ज्वलित कहावता है। ९६ और याकूब का भाई 
५ डे तर 585 
यिहूदा आर यिह्ूदा थिस्क् रियतो जे। पकड़वान वाला 
भो हुआ। 
कक! लि + अर 
९७ फेर वइ उनके संग उतर के चागान पर खड़ा 
ज््‌ ० रु हा 
हुआ ओर उसके शिश्यां की एक ऊथा आर सारे 
५ हु ५ 
यिह्लनढिय से और यिरेोशलोम ओर रूर ओर सदा के 
समुद्र के तौर से लागों की एक बड़ी मंडली उसको 
सुन्ने आर अपने रोगों से चंगो हे।ने के आई थीों। ९८ 
५ ० ५ ते 5 । 
ओर वे भी जे। अपवित्र आत्माओं से दःखो थे चंगे किये' 
५ $ ५ 
गये। ९८ ओर सारौ मंडली उसे छने के। चाइती थी 
क्यांकि शक्ति उस्मे निकलती थी और सब को चंगा 
पक. ३ 6 ७० १" ् 

करती थी । २० तब उसने अपने शिगय्था की आर देख 
कम &:%प बदर 38.६ हल हज] 
के कच्ठा कि दरिदट्रो धन्य हो क्याक इंअर का राज्य 
तुम्हारा है। २९ धन्य जे। अब भूखे हे। क्याँकि तुम तुप्त 
हागे धन्य हे। जे। अब बिलाप करते हे! क्योंकि तम 
हंसागे। २२ धन्य हे। जब मनय्य तम से बेर करें और 
तुन्ह अलग कर आर निंदा करें आर मनुय्य के पुत्र के 
कडड जा तुत्त सर केक लगावें। २३ उस दिन आनंद 
अब के मं ; 
हेओ और आनंद से उछले। इस लिये कि देखा 
तुम्हारा प्रतिफल खग में बड़ा है क्याकि उनके पितरं 
५ ५७ १४८ हे ; हि ! 
ने भविष्यदक्तों से ऐसाइडी किया था। २४ परन्तु इथा 


ह 
। 
गे 
। 
। 


हूं पब्बे] लक । र्व्पू 


तुम पर, जे धनो हे।, इस लिये कि तुम अपनी शांति 
पाचुके । २५ हाय तुम पर, जे सन्त हे।, क्येंकि तुम 
पक औीक ५० 27-0३. हलक ०५३ ० 
भूखे हेओगे हाय तुम पर जे। अब हंसते हे। क्योंकि तुम 
राओगे और बिलाप करेगे। २६ हाय तुम पर जब 
ना ७७६ हक + विज! हक 
कि सब लेग तुम्हारे बिषय में भला कहें क्योंकि उनके 
पितर भाठे भविव्यदक्नों से ऐसाहौ करते थे। २७ परन्तु 
हे सुन वेंया में तुन्हें कहता हे कि अपने बेरी से भ्रेम 
करो, जो तुन्हें देख नहों सत्ते हैं उनका भला करा। रद 
जो तन्‍हें ख्वाप देवें उन्हें आशोौष देउ और जे तन्‍हें सतावें 
ही ही ऊ 
ब्ऊ ० ९ कल र झे क जब 
उनके लिये प्राथना करेा। २८ और जो तेरे गाल पर 
जप 55३२ 25 567 बी 3. कर ७ 
घथपेड़ा मारे दूसरा भौ फेर दे आर जा तेरा ओआढ़ना 
के 6 05 52 कल कक “>> «०. आल ३७. £:2. 
लेवें अंगा लेने से भो मत रोक । ३० जो काई तुस्से कुछ 
कक 3 पा, ७, शक नरक 2 का हे 
मांगे उसे दे और जो तेरी बस्तु लेवे उच्ये फेर मत मांग 
गे ७ किक 2३० ७० आर ० 9. 
₹९ और जंसा तुम चाहते हो कि लाग तुम से करें 
तुम भी उन से वेसाही करे। ३२ क्योंकि यदि तुम 
हर आए आर कस भा + 00:23 ृ ब्रेे 
अपने प्रमियों पर प्रेम करा ता तुन्हारा क्या गुण है! 
क्योंकि पापी भी अपन प्रेमियों पर प्रेम करते हैं। ३३ 
और यदि तुम अपने हितकारियें से भलाई करे तो 
८ पे फ झे ब्प्रड्् 
तुम्हारा क्या गृण है? क्योंकि पापी भो णेसाह करते 
हे ४ 28%. % ० 
हैं। ३४ और यदि फेर पाने की आशा रखके किसी 
ल्‍< ३8० > हल 
का उधार देड तो तुम्हारा क्या गुण है ! क्योंकि पाफी 
१६ के + + न जे 
भी फेर पाने के लिये पापियें के। उधार देते हैं। ३५- 
्े ड रे 
परन्तु तुम अपने बेरियों से प्रेम करे और भला करे 
38 . 


२०६ लक । [६ द परन्‍्न 


७ 


और फेर पाने को आशा छोड़ के उधार देड ओर 

तुल्हारा प्रतिफल बड़ा हैगा और तुम अत्यन्त महान 

(७23 ४० /052 शक: रटिक रन मर रो बे 

के पत्र हाआग क्योंकि वद्द उन पर जा गुण नहीं मानते 

जे ५ ५ 

और अधमें पर कुपाल है । ३६ इस लिये जेसा तुम्हारा 
न्द् स् 

पिता दयाल है तंसा तुम भी दयाल हे।ओआ। ३७ देाष 
५ 

मत लगाओ और तुम पर देष लगाया न जायगा देाषी 

५५ चमक ब् 

मत ठदराओ ओर तुम देाषी ठच्दराये न जाआगे ज्ञमा 

करे और तुम पर क्षमा किया जायगा। ३८ देओ 

५ ७४ 

और तुन्हें दिया जायगा अच्छा नपुआ दाबद्ाब के और 

एकट्ठा हिलाया जाके उबर ते हुए तुम्हारी गोद में लाग 

ढेंगे क्यांकि जिस नपुए से तुम नापते हो उसी नपणए से 

तन्हारे लिये नापा जायगा। 

३८ फेर उसने उन्‍्ह एक टांट्टन्त कहा कि क्या अंधा 
अंधे का अग॒आ हो सत्ता है! दोनों गड़हे में न 
गिरेंगे !। ४० शिव्य अपने गुरु से बड़ा नहीं परन्तु हर 

हर बे कि बज क+ (कि न 
एक जा सिद्ध हे अपने गुरु के समान होगा। ४९ ओर 
तडस किकिरी के जो तेरे भाई की आंख मे है क्या 
५0: 3 रे 55० अविडीै* 5५ शरीक. न ७ न्द्टे 
देखता है परन्तु उस लट्ट के जा तेरी आंख में है नहीं 
छः वि [3 किक 
टेखता !। ४२ अथवा क्योंकर त अपने भाई का कह्ि 
_ सक्ना कि हे भाई वह किकिरी जो तेरी आंख में है ला 
में निकाल टेड जब त उस लट्ढे को जा तेरी आंख म॑ 
है नहों देखता ! हे कपटो पह्िले उस लट्टे का अपनी 

हि ५ ह ८ |. 
आंख से निकाल और तब त्‌ उस किकिरो का, जो तेरे. 


पु पब्बे] लक | २०७ 


भाई की आंख में है फरक्काई से टेखके निकाल सकेगा । 
४३ क्योंकि अच्छे पेड़ में ब्रा फल नहीं फलता न बुरा 
पेड़ अच्छा फल फलता है। ४४ क्योंकि हर एक पेड़ 
अपनेही फल से पहिचाना जाता है इस लिये लाग 
कटौलें से गूलर नहीं बटारते और न भटकरटेये से दाख 
ताड़ते। ४५ उत्तम मनुष्य अपने मन के उत्तम भंडार 
से अच्छो बस्तु निकालता है ओर अधम मनृव्य अपने 
मन के बुरे भंडार से बुरी बस्तु निकालता है क्योकि 
उसका मुंह मन को भरपरी से बालता है। ४६ और 
मेरी आज्ञा पालन न करके तुम मुझे क्यों ब्रभु प्रभ कचते 
हैे।। ४७ जो काई मुझ पास आता है ओर मेरी बातों 
सुनता है ओर उन्हें मानता है में तुन्हें बताओंगा कि 
वृद्द किसकी नाई है। ४८ वुद्द उस मनृथ्य के तुल्य है 
जिसने घर बनाते हुए गहिरा खोदा और चटान पर 
नेंछ डालो और जब बाढ़ आई उस घर पर बड़ी धारा 
लंगों आर उसे द्विला न सकी क्योंकि वृद्द चटान पर 
उठाया गया था। ४८ परन्तु जो सुन के नहीं मानता 
उस मनृय्य के तुल्य है जिसने भूमि पर बिना नेउ' का 
घर उठाया जिस पर धारा करेर से लगी ओर बुद 
तुरन्त गिर पड़ा आर उस घर का बड़ा विनाश. हुआ। 
.. ७ सातवां पन्ने । + 

९ जब वुद्द लागों के अपनी कथा सुना चका ते 
कपरनाहुम में गया। २ और एक शतिपति का अति 


र्०्क्र लक । [७ पत्ते 


हैँ 


हि 
प्रिय दास रोग से मरने पर था। ३ ओर उसने यिशु 
का संदेश सुन के उसकी बिनती करने के यिह्ूदियें 
हु कक कल. नि तत्व कक> न 
के प्राची ना के उस पास भेजा कि आके उसके दास का 

५ दे से कप हि 
चंगा करे। ४ ओर वे यिशु पास आके बिनती करके 
कहने लगे कि वृच्द योग्य है कि आप उस पर यह करें। 
प्‌ क्योंकि वृद्द हमारी जाति से प्रेम रखता है और 
उसने हमारे लिये एक मंदिर बनाया है। ६ तब-चिशु 
उनके रंग गया ओर जब वुद्द उसके घर से बहुत द्रर न 
था उस शतिपति ने मित्रों से कच्दला भजा किद्े प्रभु 
आप के लश न दी जिये क्या कि में याग्य नहीं कि आप 
हल र - ७ ५ ५५ ३. व 
मेरों छत तले आवें। ७ इस कारण में भो अपने का 
येग्य नसमक्का किआप पास आओं परन्तु बचन कहिये. 
73 + अ्चुक स्फ 
और मेरा दास चंगा हे। जायगा। ८ क्योकि में भी 

8 ५ 
और का अधीन मनुस्य हों सेना मेरी अधीन है ओर 
के ५५ +. 
में इस मनुय्य के। कहता है| कि जा और वुच्द जाता है 
५ कि 5 के ५ 
ओर दूसरे के कि आ आर वृद्द आता है और अपने 
९५२ ५ 

ढास के कि यद् कर आर वृच्द करता है। € जब विशु 
से यह सब सुना ता उद्सु अचंभित हुआ और अपने 
पीछे के लेगों से कहा कि में तुन्ह कद्दता हां कि इस" 
राईल में भी में ने ऐसा बड़ा बिश्यासन पाया। १० 
और भजेह्ओं ने घर में फिर आके उस रोगी दास 
के चंगा पाया। 

. ९९ ओर अगिले दिन ऐसा हुआ कि वुह्द नाईन 


७ पब्ब] लक । २०६ 


नाम एक नगर में गया और बहुतेरे उसके शिष्यां में 
से ओर वहुत ले।ग उसके संग गये। ५२ जब दुच् नगर 
के फाटक के पास आया ता क्या देखता है कि एक 
मर्तक के बाहर लिये जाते हैं जे अपनो माता का 
3 न » 
एकले।ता पुत्रथा ओर वृद्द रांड थी, और नूगर के 
बहुत लेग उसके संग थे। ९३ चर प्रभ ने उसे देख 
-_ के. < 6 है को 3 
दया करके उसे कहा कि मत रा। ९४ आर उसने 
कर हक ६०. ब जे कक 
आके रथी का छत तब उठ वये ठद्दर गये आर उसने 
कहा कि हे तरुण में तुझे कद्दता हें कि उठ । ९५ 
५२ बडे कक ० मिजीजी थर ल्‍७, 5९ 
और वृच्द म्रतक उठ बठा और बालने लगा ओर उसने 
०५५ कर 0 /- बडे ८ 
उसे उसकी माता का सेंप दिया। ९६ +7र सभों पर 
५ जज 0 ८ हर हर चर कि 
भय पड़ा आर वे ईश्वर को स्तुति करके कहने लगे कि 
आकर & किक ने रे &+ 
एक बड़ा भविष्यद्क्षा हस्में प्रगट हुआ है और कि ईशर 
कप ५ मु जकर ज ० 60.2 बे, बे 
ने अपने लागां पर दृष्ठि किई है। ९७ आर उसको 
८ # ०७ ७ 5 ु 
यह चचा सबत्र यिह्लदिय; में आर चारों आर के सारे 
देश में फेल गई । 
५ कर +5७ ू ० 
. श८ू और याहइन के शिव्या ने उसे इन सब बातों का 
संदेश पहुंचाया । ९८ तब याहन न अपने शिग्थं म॑ से 
दा काबुचाके यिशु का पुछवाया कि जे। आने पर थे 
ब् ० रे आर 
से आप हं अथवा हम दूसरे कगे बाट जेाहें !। २० उन 
मन॒ब्या ने उस पास आके कद्दा कि याहन स्नानकारक 
७. रु रे हक पक न /- च्चे । 
*ने हमारे दारा से आप का पका है कि जा आने पर ए 
है ० ५० हक ७ 
से आप इ॑ अथवा हम दूसरे की बाट जोहें !। २९ और 






ह्प्ी क्‍ लक . [७ पब्बे 


'डसने उसी घड़ी बहुतां का ट्रबलता ओर मरी 
डर हे # ऑन्‍ ७७५ 5 4. ,७८१ 
और दुष्ट आत्माओं से चंगा किया आर बहुत से अंथों 
कर * बे।2 "पक 5 अन्य 6 0, के. किलर 
के आंखें दिई। २२ तब यिशु ने उत्तर देके उन्हें कहा 

रे 

कि जाओ और जे जे तुम ने देखा ओर सुना है येहन 

बे 3७. 6 ] 

से कहे। कि अंधे देखते हें लंगड़े चलते हैं के।ढ़ी पवित्र 

7 फ $ ३० न सं 
हे।ते हैं बहिरे सुनते हें मुत॒क जिलाये जाते हैं आर 
कंगाले के। मंगल समाचार सुनाया जाता है। २३ 

ने कर 84 ० अल ् 
और धन्य व॒द है जे सुस्मे उदास न हेवे। २४ ओर 

हक 4-7 दर क्र शक ५ + 0 पक 5 
जब याइन के दृत चले गये वृुद्द येहन के बिषय में लागा 
क्र जे ल्‍ः जाप जा कैट लक (.>.ज 
से कहने लगा कि तुम बन में क्या देखने का गये ! क्या 
एक नरकंट पव॑न से हिलताहुआ ?। २४ परनन्‍्त ज्यों 
कि आटे, है] पड 56५ 
देखन के बाहर निकले ! क्या कामल बस्ल पहिन हुए 
एक मंनय्य के ? देखे वे जे भड़कौला बस्ल पहनते 

२५५ ५ ५ ०.७ 
हैं और सुकुआर से रहते हैं सा राजभवनों में है। 

२६ पर तम क्या देखने का गंये? एक भविश्यद्धक्ता को 
हां में तन्‍्हें कहता हा कि एक भविष्यद्धक्ता से श्रछ। २७ 

यहीं है जिसके विषय में लिखा है कि देख में अंपने 

'दइत का तेरे आगे भेजता हों जे तेरे मागे के। तेरे आगे 

'सुधारेगा। रु८ क्ये।कि में तुम से कद्दता हों कि उन 

& ४. को ० *क- हे 
में से जे। स्त्रियों से जन्मे हैं काई भविश्यद्क्वा येहन 
स्तानकारक से बड़ा नहीं है परन्तु जे। ईश्वर के राज्य 

“में सब से छाटा है से। उस्मे बड़ा है। २८ तब उसके 
सारे सुनेव॑य और पटवारियोें ने येहन के ज्ञान से सखतान 


7९ 





७ यब्बे] लूक। २९९ 


'पायेकह्ृए हेके ईश्वर के निर्दोष ठह्दराया। ३० परन्त 
'फिरुसी श्र ब्यवस्थाज्ञानियों ने उस्मे खान न पाके ईश्वर 
५ हक 2५. ख् कद 
'के मत का अपने बिरुड्ट त्यागा। ३९५ ओर प्रभु ने यह 
भी कहा कि में इस पीढ़ी के लागां के किस्से देओं ? 
+ २३० आर > ० ० 
आर वे किसकी नाई हैं !। ३२ वे बालकों की नाई हैं 
ने 
जा हाट में बेठ एक दसरे के। पुकार के कहते हैं कि 
हम ने तुन्हारे लिये बांसली बजाई है जऔैर तुम न नाचे, 
| के 2७762५. +% ञ्ै 2७ 5 
हम न तुन्हारे लिये बिलाप किया और तुमन रोाये। 
_ ३३ क्यांकि याहन स्तानकारक नतेा रोटी खातान 
हांखरस पौता आया आर तुम कहते हे। कि उस में 
एक पिशाच है। ३४ मनुय्य का पुत्र खाता पीता आया 
है और तुम कहते हे। कि देखे एक भाजनों ओर मद्यप 
'पटवारियें और पापियां का मित्र। ३५ परन्तु बद्धि 
“5 मै 20० 5 बा ९५ 
अपने सारे पुत्रों से निदाष ठहरी हैं। 
३६ फेर फिरुसियों में से एक ने चाहा कि वुचद्द उसके 
202: न बिक ल्‍ , 
संग भाजन करे और व॒चद उस फिरुसी के घर गया औरं 
न्क >> पी झ्ै प्ज 
. भाजन पर बठा। ३७ आर देखा कि जब उस नगर 
की एंक पापिन स्त्री ने जाना कि यिशु फिरुसो के घर 
> बे । ! 
में भेजन पर बेठा है तो वुच्द श्वेत पत्थर को डिबिआ 
में सुगंध तेल लाई। ए८ अऔर उसके चरण पास पीछे 
“खड़ी होके रोने लगी चर आंसुआ से उसके चरण 
'घाने लगी और अपने सिर के बालों से पांछा आर 
. डस॒के चरण के। चमा आर सुगंध तेल लगाया | ३८ और 


२९२ लक. [७ पब्बे 


जब उसके नंउता दायक फिरुसी ने देखा ता मन 
ही मन कछने लगा कि यदि यह्द पुरुष भविश्यद्क्षा देता 
ते जाना जाता कि यह स्त्रो जे। डसे छती है कान और 
केसी है क्यं|कि वुद्द पापिन है। ४० तब थिशु ने उत्तर 
०० पक 2-5 हू कर 3 3] ० 
'देके उसे कहा कि हे शिमान में तुभे कुछ कहा चाहता 
> 3202. क्र £ कै. 
हो वह बाला कि हे गुरुक हिये। ४९ किसी धनिक के 
रॉ ९ + 
दे। उधानिक थे एक पांच सो रूकी का जऔैर दूसरा 
पचास का। ४२ ओर जब उन पास कुछ देने का न था 
उसने देने का छाड़ दिया अब मुझे कह कि उन में से 
बे ० 5. ० कट 2 08 
कान उसे अधिक प्यार करेगा! ४३ शिमान ने उत्तर 
जे ट वि 7] 7 आर कस 
'देके कहा कि में समककता हो कि वुद्द जिसे उसने बहुत 
छोड़ दिया उसने उसे कहा क्रितुने ठीक विचार 
किया। ४४ तब उसने उस स्‍त्री की ओर फिर के शिमान 
न ब्र ७५० 
से कहा कि तुदस स्त्री के देखता है! में तेरे घर 
2 >> .. के. 
आया तू ने मेरे चरण के लिये जल न दिया परन्तु उसने 
0 - ह कक 23 5 / ३. है 
मेरे चरण के आंसुओं से धाया आर अपने सिर के 
० पी 55 १ 
बालों से पांछा । ४५४ तुने मेरा चूमा न लिया परन्तु 
० > ७५ ५ जि ७ ५ 
जब से में यहां आया यह मेरे चरण चूम रहो है। ४६ 
सर आप रो पी 
तुने मेरे सिर पर तेल न लगाया परन्तु इस स्त्री ने मेरे 
| ५ 
धरण पर सुगंध तेल लगाया। ४७ इस लिये में तुझे 
कहता हों कि उसके पाप जे। बहुत हैं क्षमा किये गये 
७५ है... ब्५ $ 0: जा ८६ व क.- 
क्याकि उसका बड़ा भ्रव्न है परन्त जिसके थाड़े क्षमा 
किये गये उसका घाड़ा प्रम द्ै। ४८ तब उसने उसे 


५ 
हु 
है 


4 


श 


आज न 


दा पब्व] लक । | र्९झें 


कहा कि तेरे पाप क्षमा किये गये। ४८ इतने में जे 
> 5 अक ्‌ किए | ३ छत छः 
उसके संग भाजन पर बठ थे सा अपने अपने मन में 


कहने लगे कि यह कोन है जो पापों के भी छमा 


करता है? ५० आर उसने उस स्तौ के कहा कि 
88" कक 330 2. के 
तेरे बिश्वास न तेरा उद्धार किया कुशल से चलो जा। 
८ आठवां पब्बे। | 
९ और पीछ यें हुआ कि वुद्द नगर नगर और गांव 
गांव में इंच्र के राज्य का मंगल समाचार प्रचारते गया 
६० हर. + जा पे के 
और वे बारह उसके संग थे। २ अर कितनी स्त्रियां, 
वा ५ ९ सं 2 पं ९९ 
जे दृष्ठ आत्मा आर दुबंलता से चंगो हुई थों, अधात 
मरियम, जे! मगदलौ कचह्ावती थी, जिस पर से सात 
भूत उतारे गये थ। ३ ओर इिरेाद के भंडारों कूजा 
नी ब्द्‌ रे है 
की पत्नी यआना और सोसन अरू आर बहुतेरोौ जा 
अपनो संपत्ति से उसकौ सेवा करती थों १ 
. जिद ८२ 
४ और जब बहुत लेग नगर नगर से एकट्टठ दे।के उस 
हर कक के रे 
पास आये उसने एक टृष्ट'न्त में कहा । ५ कि एक बावया 
अपना बीज बाने के निकला ओर बाते हुए कुछ डांड़े 


| की ओर गिरे बेर लताड़े गये और आकाश के 


जि. ५ 


पंछियें ने उन्हें चुग लिया। ६ और कुछ पत्थर पर 
गिरे और वे ऊगके तरावट बिना रूख गये। ७ और 
कुछ कांटों में गिरे और कांटे ने संग बढ़के उन्हें दबा 
लिया। ८ अरु कुछ अछी भूमि पर गिरे ओर ऊंगे 
और से गुने फले आर इनबातों के कहिके उसने 


२९४ । लक ४५ [छः पब्बें 


पकारा कि जिसके कान सुन्न के लिये हँ सा सुन। ८ 
और उसके शिवय्यां ने यह कहिके उस पक्का कि इस 
दृष्टान्त का क्या अथ हैं !। ९० उसने कहां कि ईश्वर के 
राज्य के भेद का ज्ञान तुन्हें दिया गया है परन्तु रो 
बे «23 ०७ ०९७ हर ०. ०७ के, 
का दृष्टांतां में, देखते हुए जिसतें वे न देखें आर सुनते 
हुए न समके । ९९ व॒च्ठ दष्टान्त यह है कि बौज ईगशर 
ब कर ० को ०». क७ 
का बचन है। ९२ डांड़े की आर वे हैं जा सुनते हे 
५२ ५ २३. ५ च् «और ८ 
तब शतान आता हं आर बचन का उनक मन से लजाता 
है नहे। कि वे बिश्वास लाके सुक्ति पावें। १३ पत्थर पर 
छु के ५० ० ध्क हक ७३ ० ० ह३० ७. 
के वे हैं जे बचन का सुन के आनन्द से लेते हैँ आर 
जड़ नहों रखते सा क्षणभर बिग्वास रखते है परन्‍्त 


परोौत्ता के समय में फिर जाते हैं। ९४ चर जे काटा 


में गिरे वे हैं कि सुन के चल निकलते हें ओर चिन्ता 


०५ $ हे " 
और घन और जीवन का सुख उन्हें दबा लेते हैं और 


भर प्र फल नहीं लाते। ९४ परन्तु अच्छी भूमि के वे 

जे ७५० ० ० ५ 2क 5 2.०. कु ०७ | 

हूँ जा बचन के। सुन के अच्छे आर खरे मन में जगा 
० कर जे ०. हद ० ५० 2 

रखते हू आर संताष से फल लाते हं। ९६ काई मनुय्य 

दौपक बार के बत्तन से नहों ढांपता अथवा खाट तले 


नहीं रखता परन्त दौअट पर जिसतें जे। भीतर आते. 
हैं सा उंजियाला देखें। ५७ व्यांकि कक गुप्त नहीं है 
जो प्रग”ग न किई जायगी आर न छिपी जा जानी न 
जायगी ओर प्रगट न हेगी। श्८ इस लिये सांचेत 
रहे कि किस रोति से सुनते हे। क्योंकि जिस किसी 


प्र 


रू परत] लुक. रथ 


] ५ 
का है उसे दिया जायगा और जिसका नहीं है उसमे 
वुच्द भी जा वृद्द भावना से रखता है फेर लिया जायगा | 
_ ९८ तब उसकी माता और भाई आये और भीड़ के 
मारे उस पास न आसके । २० ओर उसे कहा गया कि 
डर ० पट अल 
आप को माता ओर भाई बाहर खड़े आप को देखने 
० पलक ते 
चाहते हैं। २९५ उसने उत्तर देके उन्हें कद्दा कि मेर 
५ 2. ० के ० सर. 
माता आर मेरे भाई ये हं जे। ईश्वर का बचन सुन के 
कर 
उसे पालन करते हं। 
२२ और ण्क दिन ऐसा हुआ कि वृद्द अपने शिव्या 
5 ५ ७७ वि 
के संग एक नाव पर चढ़ा आर उन्हें बाला कि हम कील 
के पार चलें तब उन्हें। ने खेली । २३ परन्तु जब नाव 
चली जाती थी वृच्द सा गया ओर कौल में एक आंधी 
की बयार उठी और नाव भर गई ओर वे जेखिम मेँ 
३०० जे ।( 
हुए। २४ तब वे उस पास आये ओर उसे जगाके 
९५ * 
बोले कि हे गुरु हे गुर हम नष्ट होते हैं उसने उठके 
आंधी और जल के हलरा' के डांटा ओर वे थम गये 
डे पे हे ७७ स्क 
और चेन हो गया। २५ तब उसने उन्हें कहा कि 
के कप ५ /० ले 
तन्हारा बिद्यास कहां हैं! और वे डर के आर आज 
“यित होाके आपस म बाले कि यह कसा मनय्य हे क्योंकि 
वुद्द पवन आर जल का भौ आज्ञा करता है ओर वे. 
उसे मानते हैं । 
२६ फेर वे जदरियें के देश में पहुचे जे गालोल 
के सामने है। २७ ओर जब वुद्द तौर पर उतरा उस 





शरद लक । [छ पतन | 


नगर का एक मनुष्य उसे मिला जे! बहुत दिन से पिशाच 
टों ५ 
अस्त था ओर बस्त नहीं पहद्चिनता था ओर न घर में 
जा. हक. कद 
रहता था परन्तु समाधिन में । २८ वृच्द यिशु के देखके 
५ 
चित्लाया और उसके आगे गिर पड़ा ओर बड़े शब्द से | 
बाला कि हे अति महान ईंशअर के पुत्र विशु मुझे आप _ 
से क्या काम ? में आप को बिनती करता हों मुझे मत 
_ ७ कं श्र छ, 
सताइये। २८ (क्याकि उसने उस मनृय्य से उसे निकल 
जाने को आज्ञा किई थी इस लिये कि वह उसे बारंबार 
; ५ ०० हे आर ०५०७० ३७ 5 (हु 
पकड़ता था ओर व॒ुद्द सोकरों आर बेड़िये से बंधा 
५ विश गिल 
हुआ था और उन बंधनों के तेड़ता था और भत उसे 
०७ ० श्भ् बिहड ६ 
बन में देखता था)। ३० तब विशु ने उसे यह कहिके 
पक्का कि तेरा क्या नाम? वच् बाला कि सेना इस कारण 
कि ०७ ३५ ५“क 25५३ 
कि बहुत से भत उस में पठे थे। ३९ फेर उन्हों ने उसको 
बिनती किई कि हमें गहिरापे मं जाने की आजह्ञा मत 
को जिये। ३२ ओर वहां बहुत से रूअरें का एक कुंड 
यहाड़ पर चरता था तब उन्हां न उसंकी बिनती किई 
कि हमें उन म॑ जान दोजिये ओर उसने उन्हें जाने 
दिया। ३३ तब पिशाच उस मन॒य्य से निकल के रूअरे । 
७ ७ ० न + हल" हि ०७ 
में पठ गये आर वृच्द फंड कड़ारे पर से कट भीलमें 
जागिरा आर उनका ग्रास रुक गया। ३४ तब चरवाहे : 
इन बातों के देखके भागे आर नगर में आर देश में 
जाके बाले। ३५ तब जो कि बौता था वे उसे देखने का . 
'बाइर निकले ओर विशु के पास आये चर उस मनुष्य 


हू पज्जे] लूक। द २९७ 


जे, जिस पर से पिशाच निकल गये थे बस्त॒ पहिने हुए, 


. बिशु के चरण पास बेठा हुआ, रुज्ञान पाया और डर 


गये। ३६ ओर देखते वाले उन से बाले कि वृद्द पिशाच 
ग्रस्त किस बात से चंगा हुआ। ३७ तब गदरियों के 
ऐेश के आस पास को सारी मंडलिये ने उसकी बिनती 
किई कि हमारे पास से जांइये क्योंकि उन में बड़ी डर 


.. हे 5७. ५ 
पठ गई और वृद्द नाव पर चढ़के फिर आया। ३८ अब 


उम्च मनुस्य ने, जिस पर से पिशाच निकल गये थे उसकी 
बिनती किई कि में भी आप के संग रहेग परन्तु यिश ने 
उसे यह कछह्िके बिदा किया। ३८ कि अपनेही घर 
फिर जा आर दिखे कि ईश्वर न तेरे लिये केसे बड़े 


. 5. 7 ५ 
बड़े काम किये तब वृद्द गया ओर सारे नगर भें प्रचार 


कक 


मे लगा कि यिशव ने मेरे लिये ऐसे बड़े बड़े काम किये। 
४० ओर ऐसा हुआ कि जब यिशु फिर आया ते 

है? 0-०८ कल. हज 2 के ४ 

लागां ने उसे ग्रहण किया क्योंकि सब उसको बाट 

जा + अर क + ४ २ ५ 

जाहते थ। ४९ आर ट्खा कि याइर नाम एक मनब्य 

आया, जे! मंडली का अधान था चर विशु के चरण 


| पर गिरके विनती किई कि आप मेरे घर चलिये। 


४२ क्योंकि उसको एकले।ती पुत्री बारह बरस एक की 


_ भरने पर पड़ी थी परन्तु उसके जातेहूए लागां ने उस . 


शं 
है हे 
] 


; 
| 
। 


अर भीड़ किई । ४३ जैर एक स्त्रो ने जिसका बारुह 


_ बरस से रक्ञ गिरता था जिसने अपना सारा, धन बैद्यों 


धपर-जठाया परन्तु किसो से चंगो नहे। सकी । ४४ पीछे 
। 9 


30. 


 श्ष्द् ं लूक। [८ प्ब्बे 


वे "पक हर कक * हल ह्अ पु तर । 
से आक उसके बस्ल के अचल का हुआ अाण हुरन्त 
उसके रह का बहना घधमगया | ४४५ तब विशु न कहा 
कि किसने मुझे छुआ! जब सभां ने नाइ किया तो 
पथर गैर उसके संगियें ने कहा कि हे गुरु लेग आप 
बह क्र २ गे ० बह ये बे 2० 
पर ठलमठल करके भोड़ करते हैं और आप कचहत हैं 
७ ७२ जे 2" हट. 
कि मुझे किसने लआा! ४६ यिशु न कहा कि मुक्त 
: बे # /”“ ५५ ४ आ ४5५ है. 
किसी ने छा है क्योंकि में देखताहें कि शक्ति मु्य 
निकली है । ४७ ओर जब उस स्त्रो ने देखा कि छिप 
+ तो (5 (5 3 
न सकी ते कांपती हुई आई चर उसके आगे गिरके 
हि 8 0 9४ ४४ २83 प्णाए ७० 
सब लेगों के चाग उसे सब कुछ कहा कि मंने इस 
व +_ ५ 5 पे 6 
कारण आप के छा और केसा तुरन्त चंगी हेगई। 
४८ तब उस ने उसे कहा कि हे पत्रो सुक्यिर हो तरे 
बिश्वास ने तत्व चंगा किया कुशल से चलछोजा। 
४८ जब व॒ृद्द यह कह्चि रहा था मंडलौ के प्रधान कने 
न न कल बवु कप ने रे 
से एक ने आके उसे कहा कि तरौ बंटो मर गई गुरू 
का क्श मत दे । ४० परन्तु यिशु ने उत्तर में उसे कहा 
कि मत डर केवल बिश्वास रख और वुद्ध चंगी हे 
5 और] घ 02 
जायगी। ५९ ओर जब वह घर में आया ता केवल 
|" >े 5. " हक 
यथर और याक्‌व और याहन ओर उस कन्या के माता 
पिता के। छाड किसो का भोतर जाने न दिया। ४२ 


/]2 


& ८ 


ह 
. 


0 है आम, - ५ "३9, ७ ७... 2४ मल 
और सब उसके लिये विलाप करके रोापौट र॑हेथ' 


परन्तु उस ने कहा कि मत राओ वृद् मर नहीं गई परन्तु 
बे 


सेती है । ४३ तब वे यद्द जानके कि दुद्ध मर गई है 


& पब्ब] लूक। र्श्ढ 


४०५७ 8. 7 ॥ 9. ०5 अं. 
उस पर हंसे। ५४ ओर उसने उन सभां का बाहर 

ै॒ - &+- अर 
करके उसका हाथ पकड़ा और यह कहिके बाला कि 
कन्या उठ। ५४ तब उसका प्राण फिर आया ओर वह 
। ग्रे गा ५ व ना 
तुरन्त उठो और उसने उसे भाजन देने को चाज्ञा 
“5 5 श्र # * ८ + ३. 
किईर। ५६ तब उसके माता पिता अचंभित हुए ओआर 
उसने उन्हें कहा कि यद्व जे किया गया है किसौ से 
मत क हिया। 

५ € 
द॑ थधावा पब्ब। 

९ फेर उसने अपने बारह शिश्यन के एकट्ट बला 
सारे पिशाच पर पर क्रम और रोगों का चंगा करने 
की सामथ्य उच्हें दिया। २ ओर उनन्‍्ह इंशअर के राज्य 

आर डौ्‌ 50 3०5 इज न क्र ही 
प्रवारने का ओर रोागियां के चंगा करने का भंजा। 
० हक 2, कई ह्क्केा 
३ जार उन्हें कहा कि यात्रा के लिये कुछ मत लेबा न 
लाटो न काला न रेटो न रेकड़ न मनद्य पीछे दे 
बज ८5 2“ गी कफ 2 है? 
बच्च । ४ चार जिस किसी घर भे तुम लाग जाओ 
टरों :- कद जे 
वहीं रहे। ओर वहीं से सिध,रा। ५ और जा काई 
तुरू ग्रदण न करे ऊब तुम उस नगर से बाहर निकला 
55. 25 कक शक 0 << « जो! 90. 
ते। उन पर साझो के लिये अपने पांव को धल लॉं 
जी जकोप ल्‍ा ४ न जि 
भाड़ा। ६ तब वे चल रिक ले ओर नगर नगर में से 
'मंगल समाचार प्रचारते और स«त्र चंगा करते गये । 
। ७ अब चेथाई के अध्यज्ञ हिरेद ने सब कुछ, जे 
यिशु न किया था सुन के चवराया इस लिये कि कितने 
: बाहते थे का याह्न म्तके। भ॑ से जऔौद्ठा। ८ आर 


ह | 
२२०. चूका. [८ पब्बे 


कितने कि इलिया प्रगट हुआ चर कितने कि एक 
कि कद 0 " को, 2 आए २ हैः 

प्राचीन भविय्यद तें। भें से फेर उठा है । ८ तब हिराद 

० ० 00, ९ कर 9 रे 200 

बाला कि याइहन का ता में ने सिर काटा हे परन्तु यक्च 

डे 2022७ ः ७. कक ० ते ० 3 ! 

कोन है जिसक बिषय में में ऐसो ऐसो बातें सुनता 

५ ० 77 रब ऊ_-ु | 

हा ! आर उसे देखन चाहा। 

९० तब प्रेरितां न फेर आके सब कुछ जे। उन्हें ने 
किया था उसे कहा आर वुच् उन्हें लेके चृपके से एकांत 
बंतसेदा नगर के एक शन्य स्थान में गया। ९९ आर 

:> की । ० रो बट छ बह ९० (खा अ ट जज हि 
जब लागों न जाना ता ऊस के पौछ होलिय ओऔर उसने 
उन्हें ग्रहण करक उन से इंश्वर के राज्य की बातें किई 
आर जिन्हें चंगा हे।ने का प्रयाजन था उन्हें चंगा किया। 
९२ ओर जब दिन ढलने लगा उन बारहों ने आके 

*<. ः ५ शे हट 6 ० ि ०७ ६८ 
उसे कहा कि मंडलो का बिदा क रिये जिंसतें वे नगरों 
७ 3. 2 07 2, को हर जा है: है<3९+ के 
में आर चारों आर को बस्तिवें म जारहें और भाजन 

८५ किन... + ०-७ >२३० 
पावें क्यें|कि हम यहां शन्य स्थान में हैं। ९३ परन्तु उसने 

० ०७ 85... ०५० 5 3. 25." आ » 
उनन्‍्ह कहा कि तुम उन्हें खाने का देओ बे बेले कि पांच 
३०५४० ०५५ कक ५5 320 23 3 
राटियां आर दे। मकलियां से अधिक हम कुछ नहीं 

ले. है « ह 34: ८ 0 कं ३.१ हि 
रखते जब ला न जाके इन लोगो के लिये भोजन माल 
लेव। ९४ क्योंकि वे अंटकल में पांच सचख पुरुष थे तब 

कि कर ०४७. क (3. /- ७ ५ ! 
उसने अपने शिय्यथा स कद्दा कि उन्‍हं पवास पचास की 
बड हलक ०७ > 
जथा कर के बेठाओआ। ९५ उन्हों ने वेखाही किया अर 

कि ० ५० ४ कम का वि च्‌ ण हे ७५७०७ 

रुभों का नठाया। ९६ तब उसने उन पांच राटियोां 
न 5 ०5 0७ कम ४ ब ७! कर 
ओऔ।र दे मरुलियां के उठाया आर खर्ग को आर 


, 6 पब्बे] ।! “च। ! २२९. 


दृष्टि करके उन पर आशोष दिया और तेड़ा और 
मंडली के आगे धरने के शिव्या के दिई। ९७ ओर 
सब खाके ढप्त हुए ओर उन चरचार में से जे उन से 
/० की 58. + 3-२ 
बच रहे थे बारह टाोकरियां भरो उठाई । 
९८ और जब वह अकेला प्राथना करता था शेसा 
बिक हक... + ७ पु 
, हचा कि उसके शिष्य उसके संग थे तब उसने यह कह 
हट जी 02. 30% हक 
के उन्हें पुछा कि लाग लुक्के क्या कहते हैं?। ९६८ वे 
* ०७ ० कई बे ले 
उत्तर में बाले कि येोहन खानकारक और कितने कि 
इलिया अर और कि पुराने भविष्यद्क्ष में से एक फेर 
उठा है। २० उसने उन्हें कहा परन्तु तुम लाग मुझ 
क्या कहते हो ? पथर ने उत्तर देके कहा कि ईंशर का , 
; गे ३७९ ध् श्र ये 
मसीह | २९ तब उसने उन्हें दढेता से चेताया और 
यह कहिके आज्ञा किई कि यह बात किसौ से मत 
कहिये।। २२ अवश्य है कि मन॒य्य का पुत्र बहुत कष्ट 
जा ७७५ 3 । ) 3 है 
उठाने और प्राचीन और प्रधान याजका आर अध्या 
यके से त्यागा जाय चर मारा जाय और तौसरे दिन 
के. कप डर ०७ 
फेर उठाया जाबय। २३ फेर उसने सभी से कहा कि 
द यदि काई मेरे पीछे आया चाहे तो अपनी इच्छा के _ 
त्यागे बै।र प्रतिदिन अपना ऋस उठाके मेरे पीछे आवे। 
. २४ क्योकि जे। क्षाई अपना प्राण बचाया चाहेंगा उसे 
श पल 
, श्वेवेगा परन्तु जे। केई मेरे लिये अपने प्राण के खे|वेगा 
| (साई: । की /। 
. साई उसे बचावेगा। २५ क्योकि यदि मनुय्य सारे जगत 
. का कमावे ओर अपने के। खे।वे अथवा त्यक्ञ हेवे ता 
| ञृ $ ८ 





९ ह 
। कं नी 


| 


र२२ लूक। [८ पब्ब 
डसे क्या लाभ है !। २६ क्योंकि जा केाई मुस्ये ओर 
मेरे बचन से लजावेगा मनृय्य का पुत्र भी जब बृद्द अपने 
रे 3 हि ८ 
और अपने पिता के और पवित्र द्वतां के ऐशये में 
रे (से जय ी० 
आवेगा तो उद्स लजावेगा। २७ परन्तु में तुन्हं सत्य 
&: 28% री के 
कहता हे कि यहां कितने खड़े हैं जे! म्टत्य का खाद न 
दोखेंग "की हा 0 ०. हम 
चोखंग जब ला ईश्वर के राज्य का न देखल। 
. २८ और उन बातों से आठ दिन पोछे ऐसा हुआ 
कि वृद्द पथर और येहन चर याकब के लेके पहाड़ 
पर प्राथेना करने के गया। २८ ओर प्राथना करते 
"रा ५ से 5 रे 
हुए उसके रूप का डाल औआरहौ हा। गया और उसका 
0०2 0 व ५323, .. ५ ० आर 
बसत्ल श्वेत हैके चमकने लगा। ३० आर देखे कि ढेा 
से 8. ि 
मनजुध्य अथात मसा और इजलिया उस्झे बात्ता करते थे। 
६ दम बे 
₹९ वे तेज में दिखाई दिये आर उसके रूत्यु की जिसे 
न 8६ 
यिरूशालम में उसे पुरा करना था बात्ता करते थ। ३२ 
५ बिक $ तरों |. हि. कं 
परन्त पथर और उसके संगी नोंद के बश में हुए सा 
बह ५... - ६ ४ 2७ 
जब वे जाग उठ ता उच्हां ने उसके ऐशञय का आर उन 
8 ०७ 52%. ६० ५ 890 280 0320. ; 
देना मनुस्या का, जा उसके संग खड़े थे देखा। ३३ 
२ बे ६2... १७. < ४, ने है." 2 
अर जब वे उस्यमु अलग हान लग ता पथर ने यिशु से 
कहा कि हे गुरु हमारे लिये यहों रहना अच्छा है 
+ छ बे 
आओ तीन तंब बनावें एक चाप के आर एक मूसा के 
५ 5 ल्‍ौयय- “हक बंप डर | 
आर एक इ लिया के लिये पर नहीं जानता था कि क्या 
३ ््ि हे द्क- | &2 &० 
कहता है। ३४ उसके यह कहतेहो एक मेघ ने आके 
उन पर छाया किई और जब वे मेघ में प्रवेश करने लगे 


| € पब्बे] लक... २२३ 


जप छः ० । च्ै दि 8." ऐच 
ते डर गये। र५ आर यह कहते हुए मसेघ से शब्द 
निकला कि “यह मेरा प्रिय पुत्र है उसकी सुना” । ३६ 
और जब शच्द हे। चुका तो विशु अकेला पाया गया 
कर 00२. अब $ 
और वे चुपके हो के उन बातों में से, जो उन्हें ने देखी 
ढ्ों 2 > 03 ० कै." 
थीं, उन्हीं दिनां मं किसी से कुछ न कहा। 
३७ ओर ऐसा हुआ कि दूसरे दिन, जब वे पहाड़ 
पर से उतरे बहुत लेाग उद्स आमिले। ३८ ओर 
री क. +| 82, #-३0: 
एक मनुष्य ने उस मंडलौ में से पुकार के कहा कि है 
५० ॥07. पर के किक फेज 
गुरुमें आप को बिनतो करताहें मेरे पुत्र पर दया 
५055. ७०७ हि जे पे | 8 
कोजिये क्याकि वृद्द मेरा एकलाता है । ३८ और देख 
उसे आत्मा लेताहै ओर वृच् तुरन्त चिह्नाताहै और वच 


उसे ऐसा एंठताहैे कि वृुद्द फेन बचाता है और उसे 


शेठके कठिन से निकल जाताहै। ४० आर में ने डसे 
दूर करने के आप के शि्थां से बिनती किई परन्तु वे 
हा है. 2५३०७ 
नसके | ४९५ तब यिशु ने उत्तर देके कहा कि हे अबि 
 आएसी और इठौली पीढ़ी कबलें में तुन्हारे संग रहे 
| जे कि 28 किक आीडे पल जे 
क्‍ और तुम्हारी सहें? अपने बेटे के इधर ला। ४२ ओर 
पक कप हर कक ४ 
'जब वुद्द आनेलगा ता उस पिशाच ने डसे गिरादिया 
और ऐंटा तब यिशु ने उस अपवित्र आत्मा का डांटा 
। दर ५ 
आए बालक के। चंगा किया आर उसे उसके पिता का 
के 43 >> ० । 
'फेर सेंपप दिया। ४३ ओर वे सब ईश्वर के बड़े पराक्रम 
३<. ५ कर कम या 
'से अचंभित हुए परन्तु जब वे उन काया से जा विशु ने 
हू $ हक | 
(किये थे आशय में थे उसने अपने शिष्यों से कहा। 


२२४ द लूक। [6 पत्ब 


४४ कि ये बात तन्हारे कान में गड़ जायें कि मनुय्य का 
क्र *» ४२३५ धर 
पुत्र लेगों के हाथ में सेंपपा जायगा। ४५ परन्त उन्हों ने 
हर हर | बा ७३ 
इस बात के न समक्का वृद्द उनसे गुप्त रहौ जिसत उन्हें 
सभ न पड़े ओर वे उस बात के उसे पछने का डरे। 
४६ फेर उन में चचा उठी कि हब्में सब से बड़ा केन 
है।गा। ४७ थिशु ने उनके मनकी चिंता जान के एक 
हक ु कप ञ्रे ०७ 
बालक के लेकर अपने पास बेठाया। ४८ ओर उन्हे 
कहा कि जे। केई इस बालक के मेरे नाम से ग्रहण 
बे 
करे ते मुन्दे ग्रहण करताहे और जे काई मुक्मे ग्रहण 
करता है से उसे जिसने मुक्के भेजा है ग्रहण करता है 
क्योंकि जे। तुम सभों में अत्यन्त छोटा है से बड़ा 
कु ] ०५, बा ३, के. खा कप 
हं।गा। ४८ तब याहन ने उत्तर देके कहा कि क्षेश्गुरु 
हम न आप के नाम से एक के पिशाच दूर करते देखा 
और उसे बरज दिया क्यों कि वृद्द हमा रे संग नहीं आता। 
5 प ४०... कै रा 
५० तब विशु ने उसे कच्दा कि मत बरज क्योंकि जे 
हमारे बिरुड्ट नहीं से। हमारी ओर है। 
। डे 
५९ और जब ऊपर उठाये जाने का उसका समय 
आया ते यिरूशालम के। जाने के लिये आप का हढ़ 
२ के का से 
किया। ५२९ ओर अपने आगे आगे दूताों के भजा ओर 
वे डसके लिये सिद्ट करने के सामरियें के एक गांव 
में गये। ५३ पर उन्‍्हों ने उसे ग्रहण न किया इस 
के ४ 
कारण कि उसका रुख यिरूशालम को जाने पर था। 
५ ह ५ न ०१ १४ 
५४ आर जब उसके शिव्य याकूब आर याहन ने देखा 


। 


कीरमो  . / (खूवा। र्र्पू 


समान हम आज्ञा करके खग से आग मंगा के उन्हें भस्म 
करें! ५४ परंतु वुद्द फिर के उन्हें रपट के बाला कि 
तुम नहीं जानते कि तुन्हारा किस भांति का आत्मा है। 
५६ क्योंकि मन॒स्थ का पुत्र लागों का प्राण नाश करने 
नहों आया परंतु बचाने के फर वे दूसरे ग्राम के गये। 
>> ब्_ ६६ ०७:०० ७५.5) ५8 ७३ 
._ धू७ और ऐसा हुआ कि जब वे माग में चलेजाते थ 
ऐछ.] 5 > हल. ७ रू रँ - 8७. से 
_ किसी ने उसे कहा कि हे प्रभ जहां कहीं आप जाय॑ में 
क्‍ न ु 0000 हा अर कर न 
आप के षोछ चलेंगा। ५८ यिशु ने उसे कहा कि 
| पक खाक 00 ७० ण् न बच श्र # 552 << ३०, 
| लामडियें के लिये मां आर अकाश क पंछियां क 
लिये खेते हैं परंतु मनुव्य के पुत्र के लिये सिर धरने 
का स्थान नहीं है। ५८ और उस दूसरे से कहा कि 
मेरे पीछे चल परन्तु उसने कहा कि हे प्रभु मुझे पहिले 
| का न किड 
अपन पिता के गाड़ने दौ जिये । ६० यिशु ने उसे कहा 
कि ग्हंतक अपने मुतक के गाड़े परन्तु तू जाके ईश्वर 
के राज्य का प्रचार । ६९ और दूसरे ने भी कहा, हे 
! ३० 02० ० आज. है करे 
अभु में आप के पौछ चलेगा परन्तु पहिले मुब्झे जाने 
शी जिये कि अपन परिबार लेागें से बिदा हे। आओं। 
अं यिगु ने उसे कहा कि जे। मनुस्य अपने हाथ का' 
छल पर रखके ५ीछ देखे से ईश्वर के राज्य के याग्य 
| 
 नह्ढीं । 


| 
ता बाले"कि हे प्रभु आप कौ इच्छा हाय ता इलिया के 











२२६ .. लुक... : - [पयओ] 


कु] & 


0 ५ 8. |! एप 2 मय जन... ३. | कै 
९ दून बातों के पोछे प्रभ ने ओर सत्तर का भे 
. हे 39. «मार 
ठहराया ओर उन्हें दा दे करके जिस जिस नगर और 
स्थान में जिधर आाप जाया चाहताथा अपने आगे 
भेजा। २ जैर उसने उन्हें कहा कि लवनी ते बहुत है 
ञे। 7 ५ आर 0 पल + ु की 
ठीक परनन्‍्त, लवये थड़े ह॑ से लवनो के खाभो कौ 
नो आटे ७ ५ न 
बिनती करो कि वचह अपनी लबनो के लिये लवषयां का 
भंजे। ३ सा जाआ देखा में तम्ह मेला कौ नाई हुड.रो 
मं भेजता हां। ४ सा काई डे.डा अथवा काला अशवां 
नामत लेबर ओर मा» में किशे का नम्रकॉर' मल 
करे।५ गैर जिस कियी घर भ जाया पहिले उस घर 
पर कल्याण कहे।। ६ ओर यदि कल्याण का पुत्र उसमें 
ह्े।वे ता तुम्हरा कल्याण उस पर ठहरेगा नहीं ता 
तम्हीं पर फिर अ.ब्रेगा। ७ ओर उसो घर म॑ रहे 
के 
च्यार जा कुछ व तन्ह दुधष सा खाता ५पीआ क्योकि वनि 
हार अप्नो बनी के याग्य हे घर घर नत फिरा। ८ 


)/ 


और ऊिस किती नगर म॑ जाता ओर जे तन्‍हें ग्रहण 
28 20. हक है के 49७४ पं न्यू पल ० 

कर जा जो त॒न्ह। रे आगे धरी जाय॑ से से भाजन करा। 
जे. न 35. पक + सशक्त. 4. अल के दया हर. े >>. 3. ७०2: की... 

6 और वहां के रागियां का चंगा करे और उनह कह 

कि ईश्वर का राज्य टुन्ह,गे पास पहुचा है। ९० कप. 

2- & ५ 0० ० ० 
जिस जिस नगर में जाआ अगर बे तन्‍हें ग्रहण न क 


'की धल ले, जा हम पर लगी हे हम तम पर भाछूते 


हर 


६० पब्ब] 'लूक। २२७ 


५ बन क ३ ५४4 कर 3 ज्य 
हु तथापि दूसे निश्चय जान रबूत कि ई आर का राज 
88 ० पं ऐ' ब्३० कि »द 
तुम्हारे पास पहुंचा है। १२ पघरंल में ठ॒नन्‍्हं कच्ता हों 
कि उसी दिन भें उस नगर को दशा से रूद्टम के लिये 
अधिक सहज होगी । १३ हे केारऊंन तक पर हाय 
को तब रे 3 20 44025 # ( 
है, हे बेतसदा तुमा पर हाय है, क्यांकिजा आअ्य कब्स 
०० 2 नर न 4 शी, / 38 ५ ०» बद्वि श्् 5. 
तम्स दिखाये गये यदि रछूर आर सदा म दिखाये जाते 
#“+- डे ्‌ ०५ हट 
ते टाट पद्धिन और राख पर बेठ के वे कब के पञ्चात्ताप 
कर चकते। १४ परंतु बिचार के दिन ठुन्‍्हारी दशा से 
| ेर ल्र २8 22532 हे ६-3. पी डे 
खर और सदा के लिये अधिक सचज हे|गो। ९४ जार 
हिकपरनाहुम जे खंग ले बढ़ाई गई त नौचे न 
गिराई जायगी। ९६ जो तनन्‍हारी सुनता है से मेरी 
| सुनता है ओर जा तन्हारी निन्‍दा करता है से 
| निन्‍हा करता है झेार जा मेरी निन्‍दा करता दै से 
8 2३ 2 को । 
मर भजन वाल क। नब्दा करता ह | 
े 33: हर, 5. शक ६! जे 
९७ तब वे सत्तर फेर आके आनन्द से कचहनंलग कि 
3503 ५ 55 40005 50 389 5. “जे 
_ हे प्रभ आपके नाम से पिशाच नो इमारे ब्श म हैं। 
३ 20 $ / ०३७ २ ८“ > 
(९८ तब उसने उन्हें कहा कि में ने औेतान के। बिजुर्ल 
| 6.० 5323 कल यह: 24 25 ३० अत अक किकि- 2०55 
की नाई खग से गिरते देखा। ९८ ला में तत्ह सांपों 
आर बिच्तओं का आर झत्र के सारे पराक्रम का 
'लताड़ने को सामथ्य देताहें और केाई बस्त तब्हे किसी 
| रीति से दुख न देगी। २० तिसपर भी इस्मे आनन्द 
| मत करे कि चाद्मा हुन्हारे वश में हैं परंतु पछिले 
2 (773० (8३. के. & ०५३ कक 
| इसलिये आनन्द करा कि तुन्हारे नाम खग म लिखे हैं। 








र्श्८ चूक । (९० पे 


२९ उसी घड़ो यिशु ने आत्मा में आनन्दित हे।के कहा 
कि हे पिता खरग और प्रथिवी के प्रभ में तेरा धन्य 
मानताहें क्योंकि त ने इन बातों का ज्ञानियां और 
बद्धिमानां स गुप्त रकखा जञर उन्ह बालकों पर प्रगट 
किया ऐसा होवे हे पिता क्योंकि तरी दृष्टि में यही 
५; ७ ४ ३:22 
अच्छा लगा। २२ सब कुछ मेरे पिता से मुभ्ते मेंपां 
गया और पिता के छोड़ पुत्र का काई नहीं जानता 
और पत्र के। छोड़ पिता के काई नहीं जानता और 
जिस पर पुत्र प्रगट किया चाहे । २३ तब उसने शिप्यों 
की ओर फिर के निराले मं कहा कि जे। कुछ तुम टेखले 
सके बे कर कि ५ - 
हे। जे। आखें देखती हैं से! धन्य हं। २४ व्यक़ि में तन्‍्हें 
कहता हां कि बहुतेरे भविव्यदक्ना अर राजा इन 
४ कक के जा का है शक +«*- स हैक ५ 
बातों के देखने चाइते थ जे! तुम लाग देखते हो पर 
न न ७ + ० रन 
हों देखा और जे बात तुम सुनते हे। सुनें पर नहीं 
सुना। * 
२५ शेर देखे किसी ब्यवस्या ज्ञाता ने उठके उसकी 
-क ऑी#.. छ९. दि ८ 
परोक्षा करने का पका कि हे गुरु अनन्तजौवन पाने 
ह5>.। था ० ५ 
के निमित्त में क्या करों? २६ उसने उसे कहा कि 
ब्यवस्था में क्या लिखा है! त्‌ कैसे पढ़ता है? २७ 
३० कब १29४७... ००५७-४३ लक चु 0 । 
उसने उत्तर देके कहा कि, अपने ई अर परमंञअर पर 
अपने सारे अन्तःकरण से और अपने सारे प्राण से और | 
अपन सारे मन से और अपने सारे बल से प्रेम कर 
और अपने परासों के अपने समन। र८ उसने उसे 


है 





५ 


कर । 


£ 
| 
| 
न 
। 


१० पब्बे] लूक । र्‌छ७छ 


कहा कि त ने ठीक उत्तर दिया यहौ कर जैर त 
जोयेग।। २८ परंत अपने के। निदाष ठहराने के लिये 
उसने यिशु ले कहा, भला मेरा परासी कोन है !। ३० 


| विशु ने उत्तर देके उसे कच्दा कि काई यिरूशालम से 


यिरीही के। जाता था और चोरों में पड़ा जिन्‍्हों ने 
% बे 
नंगा करके उसे घायल किया आर अधमुआ छोड़ के 


चले गये । ३९ तब संयेग से काई याजक उस मार्ग से 
0 स “>> *५ 
| आया गर वुचद्द उसे देखके दूसरी ओर से चला गया। 
३२ ओर इसी रोति से एक लवो ने उस स्यान में पहुंच 
| डे; 3 हि हे. 
के उसे आ देखा और दूसरी ओर से चला गया। ३३ 


5 «3 ७ 
परन्तु जहां वुद्दथा तहां काई सामरी यात्रा मं जा 


पहुंचा ओर उसे देखके दया किई। ३४ और जाके 

तेल और मह्रिा लगा के उसके घावों के बांधा और 
200 /” ०० के ०७ 

अपने बाहन पर चढ़ाके उस टिकाअय में लाया अझओगःर 


उसको सेवा करने लगा। ३५४ तब द्सरे दिन सिधारते 
हुए उसने दे सुकी निकाल के भटिदार के। दिई और 


_ उसे कहा कि इसकी टहल कर गैर जे कुछ त अधिक 
_ अथ फिर आके त॒मे भर देडंगा। ३६ जे चेरों 


मं जापड़ा उन तौनां मंसत किसके उसका परासी 
ससमुझता है! ३७ उसने कहा उसी के जिसने उस 
पर दया किई तब यिशु ने उस कहा, जा त»े णेसाहौ 


₹८ चर उनके जाते जाते वह किसी गांव में पहुंचा 
20 


न लूक। .. र६ प्ने 


6. 


4; हः >> प |. है “33 कक) 
और मथा नाम एक स्त्री ने, उसे अपने घर मे उतारा 
३८ और मरियम नाम उसकी एक बहिन थी जेफ विशु 
के चरण पास बेठ के उसकी बातें सुनती थी। ४० तब 

९ २ ० ५. - २९ कक 
मथा बहुत सेवा से व्याकुल हेके उस पास आ बोली, हे 
प्रभ क्या आप नहीं चिन्ता करते हैं कि मेरी बहिन ने 
मुझ अकेली पर सेवा छोड़ दिई है! इस लिये मेरा 
कप और छ जे 
सहाय कर ने के उसे आज्ञा कीजिय। ४९ तब विशु ने 
उत्तर देके उस कहा मथा, हे मथा त बहुतसी बातों के 
लिये चिन्तायमान बार ब्याकल है। ४२ परन्त एकी 
बात अवश्य है और मरियम ने उस अच्छे भाग के चना 
है जे। उस्से लिया न जायगा। 
९९ म्थारहवां पब्बे । 
९ और ऐेसा हुआ कि जब यिशु किसी स्थान में 
प्राथना कर के अवकाश पाया ता उसके शिषय्थों में से एक 
क्र कर जे आर 2 २ ०५७ ० 
ने उसे कहा, हे प्रभु जंसा येाहन ने अपने शिश्यां का 
रः बडे ७+ जप 
प्राथना करना सिखाया तंसा हमें भों सिखाइये। २ 
उसने उन्हें कहा जब तुम लाग प्रार्थना करे ते कहे, हे 
हमारे पिता जे! खगे पर है, तेरा नाम पवित्र हे।वें, तेरा 
राज्य आवे, तेरी इच्छा जेसी खर्ग में है वेसी पथिवी 
पर हे।वे। ३ हमारे दिन दिन को रोटी प्रतिदिन हमें 
से _ “हु 5 “कक 400५, ढ 7 अल ८ | 
दे। ४ और इमारे पापों का क्षमा कर, क्योंकि हम भी 
अपने हर एक अपराधी के क्षमा करते हैं, और इसमें 
परौक्षों में न डाल परन्तु दुष्ट से बचा। ५ चर उंसने 


९ पब्बे] द लक । | २३९ 


००७० $ ५ ले 
उत्हें कहा कि तुम में सं कान है, जिसका एक मिच हे।वे. 
और अआधो रात के उसपास आवे ओर उस कहे कि 
है मित्र तौन रोटी मुक्के उधार दो जिये। ६ क्योंकि मेरा 
एक मित्र पथ से सुस्त पास आया है ओर उसके आगे. 
घरने के मेरे पास कुछ नहीं है। ७ और वुच्द भौतर 
से उत्तर देके कच्दे कि सुभ्ते मत सता अब द्वार बन्द है 
हे शी) हम 3 आर ५० २५५ ० मे कक 
और मेरे बालक मेरे संग बिछाने पर हैं में उठके तुम्फे 
९. ५॥५ टी ँ ७३० अर ० 
दे नहों सक्ता । ८ में तृम्ह कहता हो कि यद्यपि वृद्द 
फल “मकर कस 2 ४5३४ « 
उसके मित्र हाने के कारण उसे न जितना उसे देगा 
4) नर 
तथापि उसके गिड़गिड़ाने के लिये वृद्द उठगा और 
किस ३७ ५० है. ह " 
आवश्यक है टेगा। € और में तुम्ह कच्दता हों कि 
0, 90.20 97 5: 5. की. 2 2] 
मांगा ओर तुम्हें दिया जायगा ढूंढ़े। आर पाओआगे खट 
खटाओ अर तुम्हारे लिये खेला जायगा। ५० क्याकि 
हर एक जे मांगता है से लेता हैं और जे ढूंढ़ता है 
से। पाता है और जे। खटखटाता है उसके लिये खेला 
०७ *.. ८ च्जै ५ ! 
जायगा। ९९ तुस्में कोन ऐसा पिता है यदि उसका पुत्र 
“राटौ मांगे वृद्द उसे पत्थर देवे! अथवा यदि मछली 
। हु मछली की संतोौ उसे सफप देवे? ९२ अथवा यदि 
वच् अंडा मांगे वृद्द उसे बिच्छ देवे! ९३ से यदि बुरे 
0) ०७. | 2, ; पर 2.७५ 0४ हक हट 
हैक जे। तुम लाग अच्छो बस्तुअपने बालकों को देने 
जानते हे। तो कितना अधिक तुम्हारा खर्गीय पिता 
उन्हें, धमात्मा दंगा जा उस्मु मांग त ह€ । 
८९४ :फेर वह एक गंगे पिशाच के। निकालता था और 






र्हर लक [९६ एंब्बे 


ऐसा हुआ कि जब वृद पिशाच निकाला गया वुचद्द गूंगा 
बालने लगा और लेगों ने आचंभा माना। ९५ परत 


ः 
|| 


उन में से कितने बाले कि पिशाचों के प्रधान बालजबल 


को सहाय से दुद पिशाचां के हर करता है। ९६ 
कितनों ने परीक्षा करते उच्से खग से एक लक्षण चाहा। 
न * हैक चिंत कप ५ कं | 
५७ परंत उप्तने उनकी चिंता जान के उन्हें, कहा कि 


जा जे राज्य अपने बिराध में बिभाग हो जाय सा. 
उजाड़ होता है और घर घर स बिछट्ठ हाके गिर 


जाता है। १९८ यदि शेतान भी अपने बिराध में विभाग 


हावे ते उसका राज्य क्योंकर ठहरेगा? क्योंकि तुम 
ले।ग कहते हे। कि तु बालजबूल कौ सहाय से पिशाचों 


३ ५ 
के हर करता है। ९८ और यदि में बालजबल को 


सहाय से पिशाचों के द्वर करता हों ते तुम्हारे बेटे 
किसको सहाय स दूर करते हैँ! इस लिये वे तुन्हारे 
न्यायों धेंगे। २० परंतु यदि ईश्वर की सहाय से 
पिशाचोां के। दूर करता हे ता निश्चय ईश्वर का राज्य 


तुम ले पहुंचा हैं। २९ जब बलवान मनय्थ इथियार 
25. &- हि 
बांचेहझुए अपने घर को रखवाली करताहे तब उसको 
अंधिक बंलवान उस पर चढ़आवें और उसे बश म॑ करे 
है यु ५2 शक पक ल्‍- हर, ५ 
तो उसके सार हशियार का, जिस पर उसका भरासा 
घा लेलेता है और उसको लट के बांट लेता है। २३ 
जे मेरा साथी नहों से मेरे बिरूडू है ओर जे! मैरे 





२६९ पन्ने] लूक। रश३ 


साथ एकट्टा नहीं करता सो दिल्न भिन्न करता है। 
२४ जब अपवित्र आत्मा मनस्य में से मिकल गया है 
बुच्द रूखे स्थान में बिश्राम ढंं ढ़ता फिरता है ओर नहीं 
पाके कचता है कि में अपने घर, जहां से निकालाहें, 
फिर जाउंगा। २४ ओर जाके उसे काड़ा बाहारा 
पाताहै। २६ तब वुद्द जाके अपने से अधिक दुष्ट सात 
आत्मा के लेताहे गैर वे पेठ के वहीं रहते हैं तब उस 
मनुस्थ की पिछली दशा अगिलो से भो अधिक बुरी हे।तो 
है। २७ और जव वह यह वचन कहि रहाथा ऐसा 
हुआ कि उस मंडलो में से एक स्त्री ने पुकार के कहा 
कि जिस केाखने आपके धारण किया और जिन सतना 
से आपने पोया से धन्य । २८ परन्तु उसने कहा कि 
हां अधिक धन्य वे हैं जे। ईश्वर का बचन सुनते हैं और 
उसे मानलेते हैं । 

२८ ओर जब लेग भीड़ करने लगे उसने कहना 
आरंभ किया कि यह बुरो पौढ़ी लक्षण दूढ़तौहें परन्तु 
यूना भविष्यद्क्ना के लक्षण का छाड़ उन्हें काई लक्षण 
के 5 न जायगा। ३० क्योंकि जेसा यना निनिवोयों 
के लिये एक लक्षण था तंसा मनष्य का पत्र भो इस 
फौढ़ो के लिये ह्वेगा। ३९ इस पौढ़ो के मनय्थों के 
संग न्याय के दिन दक्खिन को रानो उठगी आओऔर ऊ उन्हें 
देबौ ठदराजेगो क्योंकि दुइ पुथित्री के सिवाने से 
सुलेमान का ज्ञान सुन्ने के। आई और देखे! कि एक 


२३१४ लक । [९७ पन्ने 


छ 


यहां सुलेमान से महान है। ३२ इस पीढ़ी के संग 
न्याय के दिन निनिवी के लेाग उठेंगे और उसे देाष 


| 


ठहरावेंगे इस लिये कि उन्हों मे यूना के चितावने से 
पञ्मात्ताप किया और देखे कि एक यहां दना से महान _ 


है। ३३ केाई मनृय्य दौपक बार के गुप्त स्थान में 


जज चे नहीं | 
अथवा नांद के नौचे नहीं रखता परंत दोअट पर कि 
जेग भौतर आवें से उंजियाला देखें। ३४ देह का 


उंजियाला आंख है इसलिये जब तेरी आंख निमेल है 
ते। तेरा सारा देह भी उंजियाले से पण है परंतु जब 


मलिन है ता तेरा सारा देह भो अंधकार से भरा है। 
प.प रु न #ी॥ न 
३५ इसलिये चाकस रहे! कि जे। उंजियाला तुम में 
है से अंधियारा न हेजाय। ३६ से यहि तेरा 
खारा देह उंजियाले से भरा हे। और कुछ अंधियारा द 
० आह 2730 * >०, कहता १.९ कर +५ कर 
ने हे। ता सब उजियाले से भरा होगा जंसा ज्यातिमान 


दौपक से तुझे उंजियाल मिलता है। 


३७ अर जब वुद्द कह्चि रहा था किसी फिरुसी ने 
3५१ >क बज 2 १४ अं । 
अपने रंग भाजन करने के उसका गेडता किया ओर 





ने ३५ । 
बृच्द भीतर जाके भेजन पर बठा। ह८ आर जब उस 


फिरुसी ने देखा कि उसने भाजन से पह्िले न धोया ता 


ऐप ९॥-.. 
अचंभा माना। ३८ तब प्रभ ने उस कहा, हे फिरुसिये। | 


_ तुम लोग करे ओर थालौ के बाहर बाहर शुद्ध 
_ करतेद्दे। परंतु तुम्हारे भीतर में ऋरता चर दुष्टता| 
भरीहरईहें। ४० अरें मखे जिसने बाहर बनाया क्या! 





९ पत्म] लूक। र्श्धू 


जसने भौतर भी नहीं बनाया !। ४९ परंतु निज करके 
ज्यपनो बिसात के समान दान देड ओर देखे कि सब 
(कुछ तुम्हारे लिये पवित्र हैं। ४२ परंतु हे फिरुसियेा 
हुम पर होय क्योंकि तुम पुदौना और जीरा और हर 
एक रौति के सागपात का दसवां भाग देतेद्े ओर 
३३ ७ हि रा] स्््छ 
न्याय और ईश्वर के प्रेम का उलंघन करतेहे। तुन्हें 
अवश्य था कि इन्हें करते और उन्हें नछाड़ते। ४३ है 
फिरुसिये। तुम पर हाय क्योकि तुम सभा में ग्रेष् 
आसन चर हाटों मं नमस्कार चाहतेहे। ४४ हे 
कपटी अध्यापकेा और फिरुसिये। तुम पर हाय क्योकि 
न्‍ 05. 0 2० 03... 
तुम समाधिन को नाई हैे। जे। दिखाई नहीं देते ओर 
हैक... है. 5 के ्ं $७. 
ले। लाग ऊपर चलते है नहीं जानते। ४४ तब एक 
जे हिल. 5३७०. अडे..॒ हिट जे. ० 
व्यवस्था के ज्ञाताने उत्तर देके उसे कहा कि हे गुरु यह 
हक की 7० 27 + पा 
कहिके आप हम लागों को भौ निंदा करते हें। ४६ 
तब उसने कहा, कि छे ब्यवस्थाके ज्ञानिया तुम पर भो 
हाय क्याकि तुम कठिन बाकक मनुख्यन पर लादेतेहे 
और आप उन बालों के। अपनी एक अंगुली से नहीं 
“छते । ४७ तुम पर हाय क्ये।कि तुम लेग भविष्यद्क्तों के 
कु हैः जध ७ पक 2%%.. तप _- 
समाधिन का बनातेहा ओर तुन्हार पितरों ने उन्हें घात 
ः 2: “किलर ' ह&> +. 79... ३ 
किया। ४८ ठोक तुम साक्षौ देके अपने पितरों के कभ 
“का मान लेतेहे। क्योंकि उन्हें ने ते। उन्हें घात किया 
आर तुम लेग उनके समाधिन के बनातेहे।। ४८ इस 
५० । 
/लिये ईश्वर के ज्ञान ने भो कहा है कि में भविष्यद्क्तों, 


९१४६ लक [९५२ पब्बे | 


ध्येर प्ररितां के। उन पास भेजेंगा और वे उस में से ! 


कितनों के घात करेंगे और सतावेंगे। ५० जिसतें | 


| 2...» 0४४७. _ न बस थे 
 झारे भविश्यदृक्ताों का लेह्ल, जे। जगत के आरंभ से 
घह्ाया गया इस पौढ़ी से लियाजाय। ४५९५ हाबौल के 


| 


लोक से ले जकरिया के लेह्ड लां, जो बदौ आर. 


मंदिर के मध्य मारा गया में तम्हं कहताहां कि इस 
पोढ़ो से लिया जायगा। ५२ छहे ब्यवस्था के ज्ञानिये 


तुम पर हाय क्याकि तुनने विद्या कौ कंडो लेलिई है 
डर ० के जि ५ छल. नी 
तुम भोतर आप नहीं गये और जे भीतर जातेथे उन्हें 


बजा । ४३ ओर जब व॒द् उन्हें ये बातें कछ्ि रचह्दा था 


6 ञ! 
अध्यापक ओर फिरुछते उसे बहुतसी बातें से खिजाने 


और अत्यन्त उस्काने लगे। ४४ ओर उसके घात में लगे 
और देख रहे थे कि उसके नह से कोई बचन पकड़पावें 
जिसतें उस पर देष लगा।ें। 

९२ बारहवां प्ब्बे। 


९ इतने में जब अगिमित लेगों को मंडलौ एकट्टी 


हुई यहां लें कि एक द्वस रे के लताड़ता था उसने सब 


से पहिले अपने शिम्यांस कहना आरंभ किया कि 


फिरुसियां के खमोर से, जे कप्ट है परे रहा। २ 
क्योंकि काई बस्तु ढंपी नहीं जे! प्रगट न देगी न छिपौ 
डे... 22% कम पे 
जे। जानो न जायगौ। ३ इसलिये जा कुछ तुमने 
अंधियारे म॑ कहा है सा उजियाले में सुनाजायगा 


चर जे। कुछ तुमने केठरिये मं काने। कान कहा है 


बज ्डक् ले ३५4 


६३ पब्ब] लक । २३७ 
रा की न छ्थ स् बिल ८ 
से केठें पर प्रचारा जायगा | ४ ओर हे मित्रो में तुम्हे 
कहता हों कि जे। देह के घात करते है उनसे मत 
डरा और उसके पोछ कुछ नहों करसत्ने। ५ प्रन्त 
जिस्मे डरा चाहिये में तुन्हें चिताओंगा जे। देह का 
कर श्च् मिीक २३ जी 

मार के पीछ नरक में डालने की सामथ्ये रखता हैं 

७० ०2. «० जे विश कप [%. बज कक 
उद्धे डरा हां में तुम्हें कहता हे कि उच्मे डरते रहे। 
६ क्या दे। दमड़ियां पर पांच चिड़ियां नहीों बिकतों? 
और उन में से एक भी ईश्वर से नहीं भलाई गईं !॥ 
७ परन्तु तुस्हारे सिर के सारे बाल लो गिने हुए हैं 
इसलिये मत डरे, तम बहुतसी चिड़िये से अधिक मेल 
के हे।। ८ में ये भी तुन्ह कदताहें कि जे। काई मनुय्यां 
के आगे मुझे मानलेगा मनय्य का पुत्र भौ उसे, ईश्वर के 

चर 2६ स्लहर फ्द का जकशा जा जो 
इतें के आगे मानलेगा। € परन्तु जे काई मनय्यों के 

कै. कर ह कि बच 5 0४०४. प्र 

आगे मुर्य मुकरेगा। से ईश्वर के हतां के आग मुकरा 
जायगा। ९ थओऔर जे केाई मनुय्य के पुत्र के बिराध 
में बचन करेगा वह उसके लिये क्षमा किया जायगा 
परन्तु जे। धमात्मा के बिराध में निंदा करे ऋमा नहीं 
किया जायगा। ९९ ओर जब वे तन्‍हें मंडलियों मेँ 
ओर न्यायीं और पराक्रमो के आग लेजावें ता चिंता 
मत करे। कि हम किस रीति से अथवा क्या उत्तर ढेवें 
अथवा क्या कहें । ९२ क्योंकि जा तन्‍हें कच्दना हैं सा 

धभात्मा उसो घड़ौ तुन्हें सिखावेगा । | 
३ तब उस जथां म॑ से एक ने उसे कहा कि हे गुरु 


२, हम "कह 6] ह 
श्श्८ लुक। [९२ पब्बे 


मेरे भाई से मेरे संग अधिकार बांट देने का कह्ि 
25 ०६. है. 03. हक किक 
दौजिये। ९४ तब उसने उसे कहा कि हे मनुय्य किस ने 
मुभ्के तुम पर न्यायी अथवा भाग कारक बनाया। ९५थू 
कु ०७ ५ ०< तु ५ पड: है ७५/५५ 2७५ 
तब उस ने उन्हें कहा, सें।चेत रहो ओर लाभ से परे 
रहे क्यांकि किसे का जीवन उसके धन को अधिकाई / 
हक. करों «रे छू >>. ७ + हे 
से नहीं हैे। ९६ फेर उसने उन्हें एक दृष्ठांत कहा कि 
एक धनमान की भमि में बहुत कुछ उंपजने लगा | ९७ 
तब व॒द्द अपने मन में सोचने लगा कि में क्या करों: 
३. डॉ 
मेरी बढ़ती धरने का उिकाना नहीं!। ९८ तब उसने: 
५७० ् ७४८ जप के 
कहा, में यह करोंगा, कि अपने खत्त के ढाओंगाः 
५ कप ब्् ड़ पु ७ ६४४०८ 
आर बड़े बनाओआंगा और अपनो बढ़तौ और संपत्ति 
> जी रीक ३ - ५६५० “ । " 
उसमे धरांगा। ९८ ओर अपन प्राण से कहेंगा किचे 
हर कर. ७.० 5 आटा 3: ९५. आय 
भ्राण तेरे पास बरसों के लिये बहुत सौ संपत्ति एकट्टी 
बे ० हक रु प 
धरौ हे चंन कर खा पौ आनंदि्ति हैे। । २० परंतु ईश्वर 
न ८ ० मिस ० 
ने उसे कहा, अरे मख इसो रात तस्से तेरा आण फेर 
लिया जायगा तब जो बचत तु ने बयरो हैं किसकी 
हांगो!। २५ उसकी यह दशा है जा अपने लियेधन 
बटारता है परंतु ईश्वर के आग धनो नहों है। २२ फेर 
श्र >>] «के ञः 
उसने अपने शिव्यां से कहा, इस लिये में तुन्हें कहताहें 
कि अपने जोवन के लिये चिंता मत करा कि हम क्या 
०७४ # कि 0. ७५४० 9>-विक 
खायंग और न देह के लिये कि हम क्या पहिनंगे। 
>५ 
२९ जीवन भाजन से ओर देह वस्ल से अधिक है। २४ 
ही छा 0 १3) कब. ४३"... पे 8९. २००५५. बज ० ७) कर. 
कावों का देखा क्योंकि वे नबाते उ॑ं न लवते हैं न उनके 


३२ पतब्ब] | लक | २३० 


४०० ५» 3 - 
खलिह्दान न खत्त हैं आर ईग्वर उन्हें खिलाता है तुम 


पंकछियेसे कितने भले हे। ! २५ अर तुस्में से चिंता कर 


के कान अपनी डील के हाथ भर बढ़ा सक्ना । २६ यदि 

तुम अति छोटेकाम नहीं करसत्ने ते ओरें के लिये क्यो 
के | 56% बह ० कर 

चिंता करतेहे। ? २७ सुदशन का देखे वे केसे बढ़ते 


« बर५ ० 


रो 30] * 
हैं वे परिश्रम नहीं करतेन कात्ते हैं तथापि में तुन्हे 
कहता है कि सुलेमान अपने सारे बिभव में इंन में से 
एक के समान बिभूषित नथा। र८ फेर यदि ईश्वर 
घास का, जे। आज खेत में है और कल भरसाई मं 
क्ोकी जायगी ये पहिनाता है ते हे अल्प बिगश्यासिया 
तन्‍्हें कितना अधिक पहिनावेगा?! २८ ग्रार. चिंता 
टँ प ०७ बल 
मत करे कि हम क्या खार्येंग, अथवा क्या पीयेंगे, गैर 
कर + * है" ॥७० ६० ष्ज् 
न अपने मन में चिंता करा। ३० क्यांकि इन बातों कौ 
० ०] लि 
चिंना अन्यदेशी करते हैं ओर फतुन्हारा पिता जानता 
है कि तुम्हें इन बसखुुन॒का आवश्यक हैं। ३९ परन्तु 
५० ु 53 ० 7 नव 
पहिले इंशर के राज्य का ढंढे)। और ये सब तन्‍हारे 


लिये अधिक किई जायंगौ। ३२ हे छाटो भ|ड मत डर 


ह 
। 
| 


क्योंकि तन्हं राज्य देने के तम्हारे पिता को प्रसन्नता 
है। ३३ अपना जो है से बेंच डाला ज्यर दान करो 
और घेली, जे। परानी नहों हेतती ओर खर्ग में धन, 


जला नहीं घटता जहां चार नहीं पहुंचता आर कौड 
नाश नहीं करते अपने लिये सहेजे। ३४ क्योंकि जहां 


_तुन्हारा धन है तहां तुम्हारा मन भी लगा रहेगा। 


२४० लक। (१२ पत्ते 


6 
इ $ 2 है ० हक रे पु 5 

५ तुम्हारी कटि कसी और दौपक बर ते रहें। ३६ आर 
तुम ते उन लागों के समानदे जे! अपने प्रभ की बाट 
ह ; न्‍् न । 
जेाइते हो जब वुच्द बियाह से फिरे आर आके खटखटाबे 
वे उसके लिये तुरन्त खेालें। ३७ धन्य वे दास जिन्हें प्रभ 
आतेह्दौ चेकस पावे में तन्हें सत्य कहताहे कि वृच्द 

हि. ७ मे ५ दा 
अपनो कटि कसके उन्हें मोजन पर बेठावेगा आर आ 
उनकी सेवा करेगा । ३८ ओर यदि वृद्द हसरे अथवा 

० ० जे ० स्३० 
तीसरे पचर में आवे आर ऐसा पावे तो वे दास धत्य हं। 

ल्‍ जि मघथ. व 22%. 8. कि 
३८ आर तुम ते जानते हे। कि यदि घर का खानो 
" रे ञ।] ० छल ५ 
जानता कि चार किस घड़ो आवेगा तो दुद्द चाकस 
रहता और अपने घर में संध लगने न देता। ४० सो 
२५ हि 6 20%, व 

लुमभी चेा।कस रहे। क्लॉंकि मनृष्य का पत्र ऐसे समय में 
आवेगा जब तुम बाट जाहते न रहेगे। ४९ तब पथर 
मे उसे कह्दा कि हे प्रभ यह दृष्टान्त आप हमसे अथवा 
सब से कहते हैं! ४२ प्रभुने कद्दा कि वह बिश्वस्त _ 
और कबुट्टिमान भंडारी के।न है जिसे प्रभ ठीक समय में 
भेजजन का भाग देने के अपने घराने पर प्रधांन 
करेगा? ४३ धन्य वुच्र सेवक जिसे उसका प्रभु आके 
ऐसी करते पावे। ४४ में तुन्हें सत्य कच्ताहें कि. 
वह उसे अपनो सारी संपत्ति पर प्रधान करेगा। ४५ 
परन्तु यदि दुच्द सेवक मन में कहे कि मेरा प्रभु आने में 
५ ५ भ फीट हु 

बिलम्ब करता है ओर दास और दासियों के मार पं 

पक - 
करने आर खाने पीने और मतवाला देने लगे। 


९२ पन्ने] जूक । २४६ 


४ ४६ ते उस सेवक का प्रभु ऐसे दिन में आवेगा जब 
वृद्ध बाट न जेाइहता दे। ओर ऐेसो घड़ौं में जब वृच्द 
अचेत हे। और उसे दे। टुकड़ा करेगा और उसका 
भाग अबिग्वासियां के संग ठद्दरावेगा। ४७ और वह 
सेवक जे। अपने प्रभु की इच्छा जानके लेस न हुआ 
और उसकी इच्छा के समानन चला बहुतसी मार 
खायगा। ४८ परन्तु जिसने न जाना ओर मार खाने 
का काम किया से थाड़ोरी मार खायगा क्योंकि जिसे 
बहुत दिया गया है उस्मे बहुत मांगा जायगा ओर जिसे 
लेगे ने बहुत सेंपा है उस्मे वे अधिक मार्गेंगे। ४८ 
में एथिवी पर आग लगाने आया हो आर में केसाही 
चाहताहें कि अभी लगजाय !। ४० ओर मुझ्के एक 
स्नान से स्ान पाना है ओर में केसे सकेत में हें जब 
लो वुद् पुरा न होवे । ५९ क्या तुम समकते हो कि में 
ष्टथिवी पर मिलाप करने आयाहे! में तुन्हें कददताहेा 
कि नहीं परंतु निज करके फट करने का। ९२ क्यांकि 
अबसे पांच एक घर में फूट जायेंगे तीन दे। से आर दे 
तौन से फूट जायेंगे। ५३ पिता पुत्र से और पुत्र पिता 
। से ओर माता पनत्नो से आर पतन्नो माता से सास अपनों 
प्रताह से और पतेह अपनी सास से । द 
५४ और उसने यह भी लागों से कहा कि जब तुम 






चिछम से मेघ उठ ते देखतेहे। ते तरन्त कचतेहे कि 
भड़ी आतो है ओर ऐसाहो दाता है। ४५ और जब्र 


२४२ लक । [९३ पब्बे | 


द्क्षिन का पवन बचता है तुम कचहतेहे। कि तपन हेगो 
ओर येंहौ देता है। ५६ अरे कपटिये तम आकाश 
और एथिवी के रूप का निणय करसक्तेह्ना पर यह 
कैसा है कि तम लोग इस समय का निणय नहों करते। : 
५७ हां वृद्द जो ठोक है आपहौी क्यों नहों बिचारतें) 
धू८ जब त्‌ अपने बैरी के संग न्यायो के पास चलाजाता 
है उस्ते छूटने के लिये माग में यन्न कर नहे कि वृद्द | 
तुमे न्‍यायी कने खिंचावावे आर न्यायी तुमो दंडकारी 
के सें।पे आर दंडकारो तु्फे बंदोग॒द में डालदेवे। धूठ 
मैं तुमे कहताडें कि तू वहां सेन निकलेगा जब लॉ 
कि दमड़ी ला न भर देवे। ।क्‍ 
९३ तेरहवां पब्ब ।... 
९ उस समय कितने वहां थ जे। उन गालौंलियों के. 
बिषय मे उस्से कहने लग जिनका लाह्ह पिलात ने उनके 
बलिदान के संग मिलाया । २ थिशु ने उत्तर देके उन्हें | 
कहा, क्या तुम समझते हे। कि ये गालौलो सारे गाली 
लिये से अधिक पापी थे इस कारण कि उन्‍्हें। ने ऐसा 
ऐसा कष्ट पाया !। ३ में तुन्ह कहता छों कि नहीं, 
परंत यद्दि तुम लाग पद्चात्ताप न कराग ता उसी रौति 
से तुम सब नष्ठ होाओआगे। ४ अथवा वे अठारह जिन 
पर सेलहा में गुल्मट गिरा ओर उन्हें नष्ट किया तुम 
क्या समझते हे। कि वे यिरुशालम के सारे बासियों से 
अधिक पापी थे!। ५ में तुन्हें कहता हो कि नहीं 


आन जा 


९ पब्बे] लक । २४३ 


परंतु यदि तुम लेाग पद्मात्ताप न करेगे ते उसी रौति 
से तुम सब भी नष्ट हाओगे। ६ उसने यह दृष्ठान्त भौ 
कहां कि किसो को दाख को बारी में गूलर का एक पेड़ 
लगाया गया था और उसने आके उस पर फल ढूंढ़ा 
घर न पाया । ७ तब उसने अपन माली से कहा कि 
देख तीन बरस से में आके इस गलर पेड़. पर फल 
छूंढ़ता हां और नहीं पाता इसे काटडाल इसने भूमि 
के। किस लिये रोक रक्‍्खा है ?!। ८ उसने उत्तर देके 
उसे कहा कि हे प्रभुइस बरस भी उसे रहने दीजिये 
जबलें में उसका घाला खे दे और खाद भरें । € तब 
यदि उस में फल लगे ते भला, नहीं ते पौछ उसे काट 
डालिये। 

९० अर वृद्द किसो मंडली में बिआम दिन में उपदेश 
करता था। ९९५ आओर देखे वहां एक सत्रौं थी जिस पर 
अठारइ बरस से दुबेलता का आत्मा था और कुबड़ी 
हैे।गई थो ओर किसी रौति से सौधी न हेसत्नी थी। 
९५२ विशु ने उसे देखके बलाया और उस पर हाथ 

घर के उसे कहा कि हे सत्रो त अपनो इबंलता से छटगई । 
९३ ओर तरन्त वुद्द सोधो हेगई ओर इंचर कौ स्तति 
किई। १४ बेर यिशु ने बिश्वाम दिन में यिशु के चंगा 
करने के कारण से मंडली के प्रधान ने क्राधित होके 
कहा कि छः दिन हैं जिन में मनुय्या के। काम काज 
क़रु न । डचित हैं इस लिये उन्हों दिनों में आके चंगे 





२४४ लक । (९६ पर्न | 


होओ पर विश्वाम दिन में नहों। ९४ तब प्रभु ने उत्तर | 
में उसे कहा कि अरे कपटों बिश्लाम दिन में क्या लुस्में 
से हर एक अपने अपने बेल अथवा गदहे के। थान॑ से | 
नहीं खेलता और पानो पिलाने नहीं लेजाता?। ९६ | 
और क्या उचित न था कि इबराहीम कौ पुत्री हेके / 
यह स्लो, जिसे यदि शेतान न इन अठारहइ बरसों से 
बांध रक्‍्खा हे बिश्वाम दिन में इस बंधन से खालो 
जाय !। ५७ और जब उसने ये बातें कहीं उसके सब 
बेरी लज्जित हुए ओर सारो मंडली उन सब भले कायी 
के लिये जे उसने किये थे आनन्दित हुई। ९८ फेर 
उसने कहा कि ईश्वर के राज्य को उपमा किस्म है और 
में उसे किस्म उपमा देउं !। ९८ वुद्द राई के तुल्य है 
जिसे एक पुरुष ने लेके अपनी बारी में बेया गैर वृद्द 
ऊगी और बड़ा पेड़ हुआ गैर आकाश के पंछियों ने 
उसकी डालिये पर बास किया। २० फेर उसने कहा 
कि में इंश्वर के राज्य के किस्मे उपमा देड ?। २९ वह 
खमौर को नाई' है जिसे एक स्त्रो ने लेके तौन परिमाण 
पिसान में छिपाया जब लें सब खमोर हेगया। 

९२ फेर वह नगर नगर और गांव गांव फिरताहुआ 
और उपदेश करताहुआ यिरुशालम की ओआर चला 
जाता था। २३ तब किसो न उसे कहा कि हें प्रभ क्या 
मुक्ति थाड़े पाते हैं!। २४ उसने उन्हें कद्दा कि सकेत 
द्वार में जाने के परिश्रम करे क्योकि में कु सत्य 








३६ पब्बे] लूक। द २४४ 


कहता हे कि बहुतेरे उस में से जाने चाहेंगे पर न 
सकेंगे। २५ जहां घर का खामी उठा आर द्वार बंद 
'किया तुम बाहर खड़े दे के और यह कहिके डार खट 
खटान लगागे कि दे प्रभु हे अभ इमारे लिये खेलिये 
तब वुच्द उत्तर देके तुम्हें कहेगा, में तुन्ह नहीं जानता 
कि तुम कहां के डे । २६ तब तुम कहने लगागे कि 
हमने आपके आगे खाया पोया है ओर आपने हमारे 
मां में उपदेश किया है। २७ तब वुद् कह्ेगा कि में 
तुन्हें नहों जानता तुम कहां के डे। अरे कुकमियो। मुस्से 
डूर हा।ओ। र८ जब तुम इबराहोम ओर इसहाक 
और याकूब और सारे भविग्यद क्षा के। ईश्वर के राज्य 
में देखेगे ओर तुम्हों बाहर निकाले गये वहां रोना 
और दांत किचकिचाना हे|गा । २८ आर वे पते और 
परच्छिम और उत्तर और दक्खिन से आवेंग और ईमर 
के राज्य में बेठंगे। ३० और देखे। कि कितने पिछले 
हैं जे आगेहेंग और कितने अगले पीछे। ३९ उसी 
(दिन फिरसियों में से कई एक ने आके उसे कहा कि 
यहां से चलाजा क्योकि हिराद तुक्के घात किया चाहता 
है। ३२ उसने उन्हे कद्दा कि जाके उस ले।मड़ी से कहे 
'कि देख में पिशाचे के ढूर करताहों ओर आज और 
कल चंगा करताहें। और तीसरे दिन सिद्ठ छोंगा। ३३ 
विसपर भी अवश्य है कि में आज ओर कल ओर 
+परसों फिरें क्योंकि हा नहीं सक्ता कि भविव्यदक्ता - 


२४४६ खसक। [९४ पब्ने 


यिरुशालन के बाहर घात किया जाय। ३४ हे यिरू 
शालम यिरुशालम जे भविश्यदक्ञां के घात करती है' 

० कण. ०७ ँ 
और जे तुक्क पास भेजेगये हैं उन्हें पथरवाती है कई 


बार में ने चाहा कि जिस रौति से कुक्क॒टी अपने चिंगनाँ 
के डेनां के नीचे करती है तेरे पुत्रे। के। एकट्ठा करें 
परन्त तुमने न चाहा। ३५ देखे तुम्हारे लिये तन्हारा 
घर उजाड़ छोड़ा जाता है आर में तुन्हें सत्य कच्दता 
है कि तुम मुझे तबलें न देखेगे जबले न कच्ठोग कि 
धन्य वुद्द जे परमेश्वर के नाम से आता है। 

१४ चोद्हवां पब्बे। 


९ ओर ऐसा हुआ कि जब वुद्द बिश्राम ढिन में प्रधान 


फिरुसियों में से एक के घर भाजन करने गया वे उसे 
ह हैक ० ७." क छ 

अगारने लग। २ आर वहां उसके आगे एक मनय्य 
था जिसे जलंधर था। ३ तब यिशु ब्यवस्था के ज्ञानियों 
और फिरुसियें से कहिके बाला, क्या बिश्वाम दिन में 
चंगा करना योग्य दै !। ४ वे चुपके रहे तव उसने उसे 
७ ७० अल. +- के के अक ०अ 2७ व 
लेके चंगा करके जाने दिया। ५ तब उन्हें फरके कहने 

७७ न ५ 
लगा कि तुस्मे कान है जिसका एक गदद्दा अथवा बेल 
गड़हे में गिरपड़े आर वह तरन्त बिश्वाम दिन में उसे 
न निकाले !। ६ तब वे उसे उन बातां का प्रत्यत्तर न 
देसके । 
७ ओर जब उसन नेंवतह रियें के देखा कि वे क्याकर 

हि "० कै. ५० ५० ० 
आछ आसनों के चुनते हैं उसने उन्हें एक दृष्टान्त कहा ॥ 


९६४ यब्बे] लूक। २४७ 


् कि जब त किसी के बियाह् में बलाया जाय ग्ेछ 
आसन पर मत बेठ ऐसा नहे। कि उसने तस्म अधिक 
प्रतिष्ठित मनथ्य के नेंवता दिया हे।। ८ ओर जिसने 
उसका खेर तेरा नवता किया है वह आके तुझे कदे 
कि यह आसन इस परुष के दे आर त लाज से नोचा 
आसन लेने लगे। ९५० परन्त जब तेरा नंवता किया 
जाय ते जाके सब नोचे आसन पर बठ कि जब नंवता 
द्ायक आवे ते तुब्के कहें कि हे मित्र अर भी ऊंचे पर 
ल्‍<. $ *-. # ५७ ऑच- .,, विज धर 
जा तब त अपने संग के बठवयां के आगे प्रतिष्ठा पावेगा। 
वि ०-5 ००. 
१९ क्याकि जे! कोई आप के बढ़ाता है घटाया जायगा 
और जे। आप के नम्त्र करता है से। बढ़ाया जायगा। 
९५२ तब उसने अपने नेंवता दायक से कद्दा कि जब त, 
िक बी 3२ 
भाजन अथवा बिआरी बनावे ता अपने मित्र के आर 
् है. किक कक ५ 
आपने भाई बंद आर अपने कुटुम्बा के और धनमान 
_परासियें के मत बुला नहे। कि वे भी फर तेरा नेंवता 
. 3७ जप री ] द 
कर आर तेरा प्रतिफल होजाय। ९३ परन्तु जब ते 
हि कल + ५०० के अली +२ कक 590४2 
जेवनार करे ते। कंगालें के टंडा का, लंगड़ें का, 
_ंधा के बुला। ५४ और तेरा धन्यबाद होगा क्योकि 
| के तुझे मतिफल नहीं दे सक्ते और त धब्सियां के फेर 
प ० िओोशप ७ :ऋ: शक फि्कानल, 
'उठने में प्रतिकल पावेगा । ९५ नेवतहरियों में से एक 
ने यद्ध बंचन सुनके उसे कहा कि धन्य वुच्च जा इंञर के 
राज्य में भाजन करेगा। ९६ तब उसने उसे कहा कि 
फकिसो मनय्य ने बड़ो बिआरो बनाई ओर बहुतों को 









२४८ लुक । [९४ पब्बे । 


नेंबता दिया। ९७ और बियारी के समय अपने सेवक 
के भेजा कि नेंवतहरियां से कहे कि आओ क्यांकि सब 
कुछ सिद्ध है। ५८ तब वे सब बनावट से कहने लग्गे 
पहिला बाला कि में ने कुछ भूमि मेल लिई है और 
सुके जाके उसे देखना आवश्य दै से। मुझे क्षमा की जिये। ॥ 
९६८ दूसरे ने कहा, में ने पांच जाड़े बेल मेल लिये हैं 
ओर उन्हें परखने जाता है| सा मुझे च्मा कीजिये+ 
२० तोसरे ने कहा, में ने बियाइ किया है इसलिये आ 
नहीं सक्ता। २९५ तब उस सेवक ने आके अपने प्रभ को 
थेबातें कहीं तव॒ घर के खामोौ न रिसियाके अपने 
सेवक के कहा कि नगर के मागों और गलियों में 
लरन्त जा ओर कंगालें आर टंड़ां आर लंगड़ों और । 
अंधा के। यहां लेआ। २२ फेर सेवक ने कहा, हे प्रभु 
आप को आज्ञा के समान किया गया आर अब भो 
समाई है। २३ तब खामी ने उस सेवक से कचह्दा कि 
सड़कों में और बाड़े की आर जा आर लाने के लिये| 
डनके पीछे पड़ जिसतें मेरा घर भर जाय। २४ क्योकि 
मैं तुन्ह कच्दताहें कि उन में से जिनका नेंवता किया. 
गया था काई मेरो बियारी चलने न पावेगा | 

२५ अब बड़ो बड़ी मंडलो उसके साथ चली जाती 
थों तब उसने उनकी ओर फिर के उन्हें कहा। २६ यदि 
केई मुक्त पास आवे और अपने माता पिता और स्लो 
आर बालकों और भाइयें और बहिने का हां अपने 


3... ाायाातखसामाआशम्लतभइललकमाए न 


- अं!आर्ई «२ < 


९५ पब्ब] लक । २४८ 


प्राण का भी बेरी न हेवे वुच्द मेरा शिव्य नहीं हेसक्ता। 
२७ ओर जे। काई अपना क्रूम उठाये हुए मेरे पीछ 
नहों आता है से मेरा शिग्य नहीं हे।रुक्ता। र८ क्योकि 
तुस्में कान है जे। एक गुस्मट बनाने के चाहे पहिले, बेठ 
के उठान का«लेखा नहों करता कि हम उसे पुरा कर 
सक्ते हैं कि नहों। २८ नहे। कि वह नेड डालके उसे 
पूरा न करसक्ने और सब जे देखते हैं। ३० उसे यह 
कहिके चिंढ़ाने लग कि इस जन ने बनाना आरंभ 
किया परन्तु परा न करसका। ३९५ अथवा कानसा 
राजा दूसरे राजा से संग्राम करन चले ता पहिले बठके 
'बिचार नहों करता कि जा बौस सहस्त लेके मेरे बिराध 
आता हैं में दस सहख से उसका सामना करसकेां। ३२ 
नहों ते जब लो दूसरा बहुत द्वर हो वच्द दूतां का भेज 
के मिलाप चाहे । ३३ से इसो रौति से जे। काई तुस्मे 
से अपना सब कुछ न छाड़े वृद्द मेरा शिव्य है| नहों सक्ता। 
३४ लान अच्छा है परन्तु यदि लेन का खाद बिगड़ 
जाय ता किस्से ख़ादित किया जायगा?। ३४ वुद्द न 
_भमि के न घुर के काम का है पर लेग उस फेंक देते हैं 
(कब किसी के कान सुन्ने के लिये हों सो सुने। 
५ ९५५ पंदरहवां पब्बे। 
९ तब सारे पटवारो आर पापी सुन्ने के लिये उस 
पास आये। २ पर फिरुसी ओर अध्यापक कुड़कुड़ा के 
कहने लगे कि यह जन पाणियों के ग्रहण करता है 


३५० लक । [९५ पब्बे 


हु «०३३४०, ५ | सर, 
और उनके संग भाजन करता है। ३ तब उसने उनसे 
७ क्के हि 
यह दृष्टान्त कहा। ४ कि तुस्म से केनन मनुय्य है जे सा 
है ०9 0 ऐ००-. म हर | कि. 
भेड़ रखताहेा यदि वृद्द उन में से एक का खोबे ता क्या 
वच् निन्नानवेका बन में छाड़ कर जबलें उस खाई हुई 
४ था ३ डं ढ ५ | 
के नहीं पाता उस नहीं ढूंढ़ाकरता है * भू आर जब 
"करे कै. 0 इक) का च्ठे 
उस पाता है आनन्द से अपने कंधे पर डउठालेता है। 
न ७ ेु 0, ० ५2. 
है आर घर में आके मित्रां आर परोासियों का एकट्े 
3 हि नह शक आर * । 
बलाता है ओर उन्‍हें कहता है कि मेरे संग आनन्द 
करो क्योंकि में ने अपनी खाईहुई भेड़ पाई है। ७ में 
तुन्हें कहताहों कि इसो रीति से खग्ग में एक पाषों के 
क्रारण, जो पद्मात्ताप करता है निन्नानवे धमियों सें; 
जिन्हें पद्चात्ताप का प्रयाेजन नहीं अधिक आनन्द 
 होगा। । 
८ अथवा कान सती है जे। दस सकी रखती हे। यहि / 
बृद्द एक का खावबे ते हो पक के। बार के क्या वृह् घर को द 
नहीं माड़ देती है ओर जबलें नहों पाती यंत्र से 
ढूँढ़ती फिरतों है ?। « और उसे पातेह्ौ मित्रों और 
परासियों का बुलाके कहती है कि मेरे संग आनन्द 
करे क्योंकि मेंने खाई हुई सकी पाई है। ९० में 
तुन्हें कद्दताह़ें इसो रौति से एक पापी के पद्मात्ताप 
करने से ईश्वर के दूतां के आनन्द है। | 
. ९९ फेर उसने कहा कि किसी मनुय्य के दे बेटे थे। 
९२ उनमें से छुटके ने पिता से कहा कि हे पिता 


२४ पन्बे] लक । २४७ 
संपत्ति में से मेरा भाग टी जिये तब उसने उन्हें उपजोवन 
बांट दिया । ९३ थोड़े दिन बौते छुटका बेटा सबकुछ 
शकट्ठा करके ट्वरदेश के चल निकला आर वहां 
कुमाग में अपनी संपत्ति नष्ठ किई। ९४ जब वुच्च सब 
कुछ उठाचूका उस देश में बड़ा अकाल पड़ा आओआर वुह्द 
कंगाल हे।नेलगा । ९४५ तब वुच्द जाके उस देश के एक 
निवासी का सेवक बना जिसने उसे सुअर चरान का 
अपने खेतों में भेजा । ९६ ओर उन छिलका में से 
जिन्हें सुअर खाते थे अप ने पेट भरने की लालसा रखता 
था खेर काई उसे कुछ न देता था। ९७ अन्त में चेत 
में आके उसने कहा कि मेरे पिता के कितने बनिहार 
हैं जिनको रोटी बचरचहती है और में भूख से मरता 
हों। ९८ में उठांगा और अपने पिता पास जाऊंगा 
और उसे कहेंगा कि हे पिता में खगे का और आप 
का अपराधी हों। ९८ और अब में आप का बेटा 
कइलाने के योग्य नहीं मुझे अपने बनिचह्दारों में से 
एक के समान बनाइये । २० तब वह उठ के अपने पिता 
पास आया परन्तु जब वह ट्रहौ था ता उसके पिता ने 
डसे देखा और दयाल हेके दोड़ा आर उसके गले परु 
गिरके उसे चमनेलगा। २९ बेटे न उसे कहा किले 
पिता में ने खगेका ओर आप का अपराध किया/है 
और अब दूस याग्य नहों कि आप का बेटा कहाओं। 
२२ तब पिता ने अपने सेवकां के कहा कि अच्छ से 


है 


सर जूक । (९५ पके 


अच्छे बस्त लाओ ओर इसे पहद्चिनाओ और उसके हाथ 
में अंगठी और पाओं में जतो पद्दिनाआ । २३ आर वह 
पलाहुआ बछूवा इधर लाआ ओर मारा कि इम खाव 
और आनन्द कर । २४ क्योंकि मेरा यह बेटा मरगया 
था और फेर जौयाहै दुद खेागया था और मिलगयाहै 
से। व आनन्द करने लगे। २४ अब उसका जेठा बेठा 
खेत में था और जेड वह आया ओर घर के पास 
पहुंचा ते बाजा ओर नाच का शब्द सना। २६ ओर 
सेवकों में से एक के बुलाके यछा कि ये बाते क्या हैं! । 
२७ उसने उसे कहा कि तेरा भाई आया है आर तेरे 
पिता ने पलाहुया बक॒वा मारा है इसलिये कि उसन 
उसे कुशल से पायाहै। र८ उसने रिसियाके भीतर 
जाने के न चाहा इस लिये उसके पिता ने बाइरु 
निकलके उसे मनाया । २८ तब उसने उत्तर देके पिता 
से कच्दा कि देख में इतने बरस से आपकी सेवा करता 
हों ओर में नेकधी भी आपको आज्ञा न टाली तथापि 
आपने मुक्के एक मेस्रा भो कभी न दिया कि अपने मित्रों 
के संग आनन्द करता। ३० परन्तु जब आप का यह 
बेटा आया जिसने आप का उपजोवन वेश्याओं में नछठ 
किया आपन उसके लिये पलाहुया बक्तवा माराहै। 
३९ तब उसने इसे कहा कि बेट तू सदा मेरे संग है | 
और जो कुछ मेरा है तेरा है। ३२ पर आनन्द और 
मगन होना उचित था क्योंकि तेरा यह भाई मरगंयां 





है पब्जे] लूक । २४३ 


था ओर फिर के जाया और खेांगयाथा फिर मिला 
न्हें। 
९६ सालहवां पब्बे। 
! ॥_ उसने अपने शिय्यों से यह भी कहा कि एक धनमान 
मन॒य्थ था जिसका एक भंडारी था उसी पर उसके आगे 
दाष लगाया गया कि वृह् उसको संपत्ति नष्ट करता 
है। र तब उसने उसे बुलाके कद्ा कि यह क्या है जेप॑ 
मैंतेरेबिषय में सुनता हें अपने भंडार का लेखा दे 
क्येंकि तूआगे का भंडारी न रच्देगा। ३ तब भंडारी ने 
अपने मन में कहा कि में क्या करों! क्वेकि मेरा प्रभु 
भंडारपन मुस्य लेता है में खेद नहीं सक्ता भोख मांगने 
में मुभे लाज आती है में ने एक बात ठान रक्‍्खी हैं+ 
४ जिसतें जब में भंडारपन से छोड़ायाजाउं तो वे 
अपने घरों में सुझ्े ग्रदण करें। ५ से उसने अपने प्रभ 
के हर एक उधारनिकां का बुलाया आर पहिले का 
कच्दा कि तु मेरे प्रभका कितना धारता है !। ६ उसने 
कहा कि तेलके से नपये उसने उसे कहा कि अपनो 
बह्ी ले चर तुरन्त बेठके पचास लिख। ७ फेर उसने 
छसरे से कहा, त्‌ कितना धारता दे? उसने कहा कि 
शोह्ूं के सा नपये उसने उसे कहा कि अपनो बच्चौ ले 
और अस्मी लिख। ८ तब प्रभु ने उस अधर्मी भंडारी 
के सराहा इसलिये कि उसने चतराई किई क्योकि 


इस संसार के संतान अपने व्यवहार में प्रकाश के पत्रों 
22 


से अधिक बड्विमान हैं। ८ ओर में तुन्हें कहता हें कि 
अधम धन से अपन लिये मित्रता करा कि जद तुन्हारों 
चटती हेवे तो वे तुन्हें अनन्त निवास में ग्रहण करें। 
५० जाथाड़े में बिद्यास के थयाग्य है से बहुत मेंसी 
बिग्यास के येग्य च््ठे और जा घथ डे में बिश्वास के याग्य नहों 
से बहुत में भी बिश्वास के याग्य नहीं । ९५९ इसलिये जा 
तुम असत धन में सच्चे नहे। ते सच्चा तुन्हें कान सेंपपेगा ?+ 
९२ आर यदि तुम ओअरोें को बस्तु में बिश्वास के अयाग्य 
हेआओ ते तुन्हारा तुन्हें कान देगा ?। ९३ काई सेवक 
दे। खामियें को सेवा नहीं कर सक्ना क्योंकि वह अथवा 
एक स बर रक्‍्खेगा आर दूसरे से प्रीति अथवा वह एक 
का पक्ष करेगा और दूसरे की निंदा तुम ईश्वर को 
और धन की सेवा नहों कर सतक्ते। 

९४ लेाभों फिरुसिये ने भी ये सब बातें सुन के उसे 
ठट्ठ में उड़ाया । ९५ तब उसने उनन्‍्ह कहा, तुम वे छे 
जे। अपने के मनुय्धां के आग धर्मो दिखावते हे। परन्तु 
ईश्वर तुम्हारे मन-केा जानता है क्योंकि जे। बसु मनुय्यें। 
के आगे बहुत प्रिय है सा इंश्वर की दृष्टि मं घिनित है + 
९६ व्यवस्था और भविश्यद्ाणी येइन लें थीं उसी समय 
सेइंश्वर का राज्य प्रचारा जाता है ओर इर एक मनुव्य 
उस में पिलवा जाता है। ९७ खर्ग और पुथिवी का 
टलजाना उस्मे सहज है कि एक बिंदु ब्यवस्था में से घट 
जाय । ५८ जे काई अपनो पत्नी के त्याग और दूसरी 





₹ह पब्बे) लूक। २५५ 


के। बियाहे सो ब्यभिचार करता है ग्ेर जे काई व्यक्त 
के बियाहे सा उससे ब्यभिचार करता है। 
: ९६6 एक धनमान था जे।' बेजनी ओर कौला बस्ल 
पह्िनता और ग्रतिदिन बिभव से रहताघा। २० और 
लाजर नाम एक कंगाल था जो घाव से भरा हुआ 
उसके फाटक पर डाला हुआ था। २९ ज"आरु धनमान 
के मंच के गिरे हुए चूरचार से खाने चाहता था और 
कुत्ता आ आके उसके घायों के चाटते थे। २२ ऐसा 
हुआ कि वृद्द कंगाल मर गया आर द्वतों ने लेजाके 
उसे इंबराहोम को गाद में रक्‍ता, वुद्द धनमान भी मर 
गया और गाड़ागया । २३ और नरक में उसने अपनो 
आंखें उठाके आपके। पीड़ा में पाया और द्वर से इबरा 
हौम के और लाजर के। उसको गोद में देखा। २४ 
तब वुह चिल्ला के बाला कि हे पिता इबराहौम सुब्क पर 
दया कीजिये और लाजर के। भेजिये कि अपनो अंगुली 
को पार जल में डुबो के मेरी जोभ के ठंढो करे क्योंकि 
मैं इस लवर में पोढ़ित हों। २५ परन्त इबराहीम ने 
कहा कि हे बटे चेत कर कि त्‌ ने अपने जौवन में अपने 
खुख कौ बस्त पाई और लाजर ने नष्ट परन्तु अब वृकू 
शांति पाता है और त्‌ पौड़ित है। २६ और इन सभो 
केअधिक हमारे ओर तुम्हारे मध्य में एक बड़ा गड़ह्ाहै 
यहां ले कि वे जे। इधर से तमलों जाया चाह से नहीं 
जासत्ते न वे जे। उधर हैं हमला आसक्ते हैं।: २७ तब 


शी . लूक। [९७ पब्बे 
उसने कहा कि हे पिता में आप कौ बिनती करता 
है| कि उसे मेरे पिता के घर भजिये। र८ क्योंकि मेरे 
पांच भाई हैं जिसतें वुद्द उन्हें चितावे नहेे। कि वे भी इस 
पीड़ा के स्थान में आवें। २८ इबराहीम ने उसे कहा 
कि उन पास म॒सा ओर भविग्यदक्ता हैं वे उनकी सुनें। 
32 ७ ६ 
३० तब वुच्द बाला नहीं हे पिता इबराहौम परन्तु जा 
मृतकां में से काई उन पास जाय ता वे पञआत्ताप 
करेंगे। ३९ तब उसने उसे कहा कि यदि वें मसा आर 
भविव्यद्क्ञों कौ न सुने ते यद्यपि एक मुतकों में से उठे 
तथापि वे न मानेंगे। ह 
९७ सतरहरवां पब्बे । 

९ तब यिशु ने शिष्धों से कद्दा कि भांजो का न आना 
अनहेना है परन्तु जे भांजी डाले उस पर हाय है। 
२ उसके लिये अति भला हेता यदि एक चक्की का पाट | 

हे ३. तक ० 

उसके गले में बांधाजाता ओर वुच् समुद्र में डाला 
जाता कि वृचद्द इन छोटों में से एक का ठाकर खिलावे। 
न्‍ >> 
३ अपने से चाकस रहे। यदि तेरा भाई तेरा अपराध 

हा 2: व ० दि 8 ३, 
करे ते उसे दपट दे और यदि वुचद्द पद्यात्ताप करे ते 

२५ ० पक । 

उसे कमा कर। ४ ओर यदि वृच्द दिन भर में सात बार 
ढक. 2 <** भ साल मा *>+ जो 
तेरा अपराध करे और सात बार दिन भर में तेरी आर 
फिरके कहे कि में पद्यात्ताप करता हों ते उसे जमा 
कर। ५ तब प्रेरितों ने प्रभ से कहा कि हमारे विश्वास 
के बढ़ाइये। ६ प्रभ ने कच्दा, यदि तुस्यें एक सरखें के 





१६७ प्ले] लूक। र्प्जः 


तुल्य विश्वास देता ते तुम इस गूलर पेड़ के। कद्दते कि 
जड़ से उखड़-ओऔरर समुद्र में लगजा तो वुच्द तुन्हारी 
मानता । ७ तुम्म कान है जिसका एक सेवक इल जोतत्ता 
अथवा छोर चराताहे जेंहों वुद्द खेत स आवे उसे कहे 
कि जा भेजन पर बठ । ८ ओर उसे पह्िले न कहे कि 
मेरे लिये बियारी बना और अपनी कमर बांध और 
मेरी सेवा कर जब ले में खा पौचुके और पीछे त्‌ खा 
अर पी !। ८ क्या उसको आज्ञा मान्ने से वृद्द उस दास 
का धन्य मानता हैं? में ऐसा नहों बक्कता। ५० से 
इसो रौति स तुम भी जब सारी बाज्ञाओं के। पालन 
करे ते कद्दो कि हम निष्फल सेवक हैं जे। हंमें करना 
छउछचित था सा हमने किया। 

९९ ओर ऐसा हुआ कि वह यिरुशालम के जाते 
हुए सामर: अर गालोंल के मध्य में से गया। ९२ 
और किसी गांव में जाते उसे दस केढ़ो मिले जे द्वर 
खड़े हे। । ९३ चित्लाके बोले कि हे यिशु गुरु हम पर 
ढूया कोजिये। ९५४ उसने देखके उन्हें कहा कि जाओ 

_अआ्यपने तई याजकोां के। दिखाओ और ऐसा हुआ कि 
जातेहुए पवित्र होंगये। ९५ और उनमें से जब एकने 
देखा कि में चंगा हुआ ते बड़े शब्द से ईश्वर की सुतति 
करताहुआ फिर आया। ९६ जार विशु का चन्य 
आानतेहुए उसके चरण पर ओंघे मंह गिरा और वुच् 
आझामरों था। ९७ तब विशु ने उत्तर देके कहा, क्या 


श्प्ष लूक। [९७ पब्बे 


दसे चंगे न हुए! फ्लेर वे नव कद !। ९८ इस पर देशी 


| 


के छाड़ ईगश्वर,कौं स्तुति करने का काई नफिरा। 


२९८ तब उसने उसे कहा कि उठ के चलाजा तेरे बिग्यास 
ने तब्मे चंगाकिया है। 


२० जैर जब फिरुसियां ने उसे पका कि ईंशर का | 


राज्य कब आवेगा ! उसने उनन्‍्ह उत्तर देके कहा कि 
ईंशर का राज्य बाट जाइहने से नहीं आता। २९ बेन 
कहेंगेकि देखे यहां अथवा देखे वहां इसलिये कि 
टेखे। इंश्वर का राज्य तुम्हारे भीतर है। २२ जार 


आंच + कल. 


५ बे 250 2७ | 
उस ने शिय्यों से कहा कि वे दिन आवेंग जब तुम चाहेगे 


कि मनुय्य के पुत्र के दिनों में से एक का देखे पर न 
०५ 2७०३६ चर रे बी ०२० ० ७७ » 
'देखेगे। २३ आओर व तुम्हें कहंग कि देखा यहां अथवा 
१७७६ ३. १७ ० 5० 8 है. 
टेखे वहां उनके पीक पोौछ बाहर मल जाइया। २४ 
७ 95-४० के ता कक 2. ०३७५७ 
क्योंकि जसा बिजलों खग के एक अन्त स दूसरे लॉ 
चमकती है मनृय्थ का पृत्र भो अपने दिन में ऐसा हेगा। 
९५ परन्तु अवश्य है कि वृद्द पह्िले बहुत दुख डठावे 
| ३५ 
और इस पीढ़ी से त्याग जाय । २६ आर जेसा नह के 
* कक. कहती: पर के 0७.७ 
दिनां में हुआ था लेसा मन॒य्य के पुत्र के दिनां 
भी होंगा। २७ नह के जहाज पर चढ़ने लॉं 
खाते थे बियाह् करते थे बियाह म॑ ढिये जाते 
और बाढ़ आया चर उन समे के नाक 


४/2 3! 3३०८ 


७५ ० 2 ०५०3० 550] 
किया। शर८ और जेसा लेग लत के दिनों मे 


न न 5७ के कप 
खाते थ पीते थे मेललेते थे बेचते थे बाते थे घर बनाते 


९८ पब्बे] लूक। रश्पढ्‌ 


थे। २6 परन्तु जिसो दिन लत सट्टम से निकलगया 
९ ६६९ ५ 9५ ७ 
खगे से आग और गंधक बरसा ओर समों केा नाश 
किया। ३० मनृय्य के पुत्र के प्रगट होने के दिन में भी 
तेसा हेगा। ३९ उसौ दिन में जे! काटे पर हे।वे गैर 
७ 2 30 ०५५ 
सामग्रो घर में रखताहे। सो उस लेने के न उतरे 
और उसी रीति से जे! खत में हवे सा न लोटे। ३२ 
लत को पत्नो का स्मरण करे। ३३ जे अपना प्राण 
5 ० ७. ० से को 

बचाने चाहेगा सो उसे गर्वाबेगा और जे अपना प्राण 
गवांवेगा सो उसे बचावेगा। ३४ में तुन्हें कद्दताहें कि 
उस रात में दे! एक खाट पर होंगे एक पकड़ाजायगा 
दूसरा छटजायगा। ३५ दे! मिलके पौसतियां होंगों 
एक पकड़ी जायगी गआर हसरो छट॒जावगी। ३६ दे 
खेत में होंगे एक पकड़ाजायगा आर दूसरा कटजायगा। 
कि कल, ७22 आस ह ० 
₹७ तब उन्हों ने उसे पछा कि कहां हे प्रभु ! उसने उन्हें 

कहा कि जहां कहीं ले।थ तहां गिड्ठ एकट्ठे होंगे। 

. ९८ अठारहवां पब्बे । 
९ जिसतें मनृय्य नित्य प्राथना करें और उसमें न 
85. विज. 

 थके उसने उन्हें एक दृष्ठान्त कहा । २ कि किसो नगर 
में एक न्यायी था जे। न ईशअर से डरता था न ममृय्य के 
मानता था। ३ और उसी नगर में एक रांड़ थी जे। 
“उस पास यह कहतोहुई आई कि मेरे बेरो से मेरा 
पलटा लौजिये। ४ आर उसने कुछ देर ला न चाहा 
परन्त पीछ उसने अपने मन में कहा कि यद्यपि में ईश्वर 


_ ३६० लूक । [शुक्र पब्बे 


से नहीं डरता गर मनुय्य का नहीं मानता + 
भू तथापि इसलिये कि यह्व रांड़ मुभ्मे सतातौ है में 


हि दि 2... | « 6 
उसका पलटा लेडगा नहा कि वुद्र बारबार आके:मुभ्क 


अजोण करे। € फर प्रभु ने कहा कि सुना उस अधर्नी 
न्यायी ने क्या कहा । ७ सो क्या ईश्वर अपने चनेहुओं 
का, जे। रात दिन उसको देहाई देते हैं, यद्यपि वृह्ट 

कक 224 222७७ के के ७० ७ 2 
उनको अबरलों सच्चे पलटा न लेगा !। ८ में तुन्हों से 
कहताहे कि वृद्द कटपट उनका पलटा लेगा तिसपर भी 
जब मनुय्य का पुत्र आवेगा क्या देश में वृह्र बिश्वास 


पावेगा-?। ८-फेर उसने कितना के लिये जा:ध्याप/केा 


धर्मों समझते थे और ओरे को निन्‍दा करते थे यह 
० ५ 
इृष्ठान्त कद्दा । ९० दे मनुष्य अथात एक फिरुसो आर 
तक ८ हक." ॥5> 
एक पटवारो मन्दिर में प्राथना करने का गये । ९५९ 
फिरसी ने अकेले खड़े हाोके यह प्रार्थना किई कि हे 
ईश्वर में तेरा धन्यमानताहों कि में ओर मनुय्धां के 
समान निचेरी अन्यायी परस्लोगामी अथवा इस 
पटवारी के समान नहीं हां । ९२ अठवारे में दे बार 
अत करता हे में अपनी सारी संपत्ति का दसवां भाग 
4२ ९ 
देताहें। ९३ परन्तु पटवारी द्वर खड़ा हेके खग् को 
ओर आंख ले न उठाता था परन्तु अपनी छाती पौटठ 


प्रारवीह_- करन कमर 


, घोट कहने लगा कि हे ईग्र मुक्त प्तकौ पर दया | 


जे ५३ 2 कफ 
कर । ९४ में तुन्हें कद्दता हो कि यह मनुव्य दसरेसे 
अति धर्मो ठहर के अपने घर गया क्योंकि हर एक जे 





श््ूपत्ब] .. लूक। रू 


अपने के बढ़ाता है घटाया जायगा और जे। आप के 
घटाता है से बढ़ाया जायगा। 

. १५ फेर वे बालकों के भी उस पास लाये जिसत वह 
उन्हें छवे परन्त शिव्यां ने देख के उन्हें दूपटा। ९६ तब 
यिशु ने उन्‍हें बुला के कह्ठा कि बालकों के मुकक पास 
आने देओ गैर उन्हें मत राके। क्याकि ईश्वर का राज्य 
ऐेसें्ौ से है। ९७ में तुम से सत्य कच्ठता है| कि यदि 
केाई बालक के समान इंगर के राज्य के ग्रद्यण न करे 
किसी रीति से उस में न पहुचेगा । 

९५८ ओर किसी प्रधान न यह कहिके उसे पक्का कि 
हे उत्तम गुरु अनन्त जीवन का अधिकारी हेने को में 
क्या करों !। ९८ यिशु ने उसे कहा तू सुझे; उत्तम क्यों 
कहता है! ईग्वर के छाड़ उत्तम काई नहों। २० त 
आज्ञा जानता हैं कि ब्यभिचार मत कर हत्या मत कर 
चारो मत कर भ्कूठटी साक्षौ मत दे अपने माता पिता 
का आदर कर। २९ उसने कहा कि में ने लड़काई से 
इन बातों के पालन किया है। २२ यिशु ने यह सुन 
के उसे कद्टा अब भो तुक्के एक बात चाहिये अपना सब 
कुछ बेचडाल और कंगालें के बांट दे और त्‌ खग पर 
_ घन पावेगा तब मेरे पौकछे चला आ। २३ वुच्द यह सुन 
के अति उदास हुआ क्यांकि वुह् बड़ा धनी था। २४ 
विशु ने उसे अति उदास देख के कहा कि धनिकोां के 
लिये ईश्वर के राज्य में पहुंचना कठिन है। २५ क्योकि 


र्रर चूक । (एड प्ले | 


सई के छेद से ऊंट का जाना उस्से सहज है कि एक 


है ७ ०० ० पु 
धनमान ईशर के राज्य मे पहुंचे। रह सुनवयोां ने 


म्् ढ़ 
कहा कि फेर कान उद्धार पासत्ता है !। २७ तब उसने 


कहा कि जे। जे। बात ननुप्या से अनहेनी हैं से। ईअरु 


से सहज है। २८ तब पथर ने कहा, देखिये सब कुछ 


छाड़के हम आप के पौछ च्े।लिये। २८ यिशु ने उत्तर 


दिया कि में तुम से सत्य कहता हों कि ऐसा काई नहीं 
जिस ने घर अथवा माता पिता अथवा भाई अश्ववा स्तो 

दि आर पे है. । 
अथवा बालकों के ईश्वर के राज्य के हेत क्ाडा हे।। 


सरममकममममममगानक»मन 


ह० सा इस लेाक भें कितना अधिक गर परलोाक में 


अनन्त जोवन पावेगा 
३५ तब यिशु ने उन बारहें का अलग लेके उन्हें 


कहा कि अब हम यिरुशालम का जाते हैं आर मनुख्य _ 
के पुत्र के बिषय में सारी बातें जे। भवि्यद्रक्तों से लिखों 
गई हैं परी होॉंगी। ३२ क्योंकि वह अन्यदेशियों का 


सेंपाजायगा और ठट्ले में उड़ावाजायगा और के 
उसको दुद्शा करेंगे और उस पर थकेंग। ३३ और 
काड़े मार के उसे घात करेंगे गैर तीरुरे दिन वुच्द फिर 
उठेगा। ३४ परन्त उन्हों न उन बातों के। कक न समभ्का 


और यह बचन उनसे गुप्त रहा आर उन्हें ने उन बातें 


का जे। कद्ौ गईं थीं न जाना । 
३४ जब वह यिरोहे। के पास आया ता एक अंधा 


बआप ५" हि खत ॥ 
मनय्य मागे के लग बेठा भीख मांगता था। ३६ ओर 


९८ पब्बे] लूक॥ २६३ 


मंडली के जाने का शब्द सुन उसने पका कि क्यो है! । 
३७ बे उसे बे।ले कि यिशु नाशरी चलाजाता है। शछ 
तब बुद्द यद् कहिके चित्लाया कि डे दाऊद के पुत्र य्रिगु 
सुक्त पर दया को जिये। ३८ अर जा आग आगे जाते 
थे उन्हों ने उसे चूप कराने के लिये दपटा परन्तु वृच्द 
और भो अधिक चिज्लाया कि.हे दाऊद के पुत्र मुन्क्त पर 
दया कौजिये। ४० तब यिशु ने ठद्दर के आज्ञा किई 
'कि उसे मेरे पास लाओ ओर अआतेद्ी उसने उसे पक्का। 
४९ कि त्‌ क्या चाइता है, में तेरे लिये क्या करों ! वुच् 
ब्राला कि हे प्रभु में अपनी दृष्टि पाओं। ४२ तब चिशु 
ने उसे कह्दा कि अपनो दृष्टि पा तेरे बिद्यिस ने तुझे 
चंगा किया हैं। ४३ और उसन तुरन्त अपनी दृष्टि 
पाई और ईश्वर कौ स्तति करताहुआ उसके पीछ हे। 
लिया ओर सारे लोगें ने देखके इंश्वर कौ सुति 
किई। 
९८ छज्नीसवां पब्बे । 

९ जब वृद्द विरीहेो में हेके निकलगया। २ ता 
जकी नाम एक मनुय्य जे पटवारियों में प्रधान और 
धनी था। ३ उसने यिशु का देखने चाहा कि बच कोन 
है परन्तु भौड़के कारण न सका क्योंकि बुच्द नाठा था+ 
४ तब वबुद्द आग दोड़ के उसे देखने के एक गूलर पेड़ 
पर चड़गया क्योंकि उस उधरं से जानांथा। ५ जब 
'ब्रिशु उस स्थान में आया उसने ऊपर दृष्टि करके उसे 


2६8४ लूक। [६८ पन्ने 
रेखा और उसे कहा, जकी शोप्र उतर आ क्योंकि 
आज तेरे घर में रहना मुकके अवश्य है। £€ तब वृ् 
तुरन्त उतरा ग्र आनंद से उसे ग्रहण किया। ७ 
जब मंडलौ ने यह देखा ता कुड़कुड़ा के कद्दन लगी कि 
वुद्द एक पापी के घर में पाह्वन होने जाता है। रू 
परन्तु जकौ ने खड़ा डे के अभ से कद्दा, कि हे प्रभ देखिये 
में अपनी आधी संपत्ति कंगालें के देताहें और यहि 
मैं नेकिसो से छल करके कुछ लिया है ते चागुना 
6 है हक. ० | 
फेर देताहां । ८ तब यिशु न उसके बिषय मे कहा कि 
आज इस घर में मुक्ति आई इस लिये कि यह भी 
इूबराह्वीम का पुत्र है। ९० क्योंकि मनुष्य का पत्र 
है 5... (3 पे है 

आया है कि भटकेहुओं के। ढूंढ़े आर बचावे। 

९९५ जब लेग& सुन रहे थेइस लिये कि वुद्द यिरू 
शालम के निकट था और इस कारण कि वे समभते थे 
कि ईश्वर का राज्य तुरन्त दिखाई देगा उसने यह 
इष्टान्त भी कहा। ५२ कि काई कुलौन जन अपने 
लिये राज्य लेने ओर फिर आने का परदेश गया। 
३९३ तब उसने अपन दस सेवका का बुला के उन्हें दस 
७! ०२ ० 088५ हैक. ५०७ कक ४०० प 
मेहर सेंपे और उन्हें कहा कि मेरे आनेलां लेन देन 
करे। ९४ परन्तु उसकी प्रजा उद्से बेर रखती थीं कि 

के बल. 20.6 202५८ डे 
वुद्द हम पर राज्य करे सा उन्‍्हें। न उसके पीोक संटेशन 
कइहला मेजा कि हम नहीं चाहते। ९५ जब वंच्द राज्य 
लेके फिर आया ते। जिन सेवकों के। उसने राकड़ दया 


२6 परम] लूक। र्€५्‌ 


था उन्हें बुलाया जिसतें जाने कि हर एक ने लेन देन में 
व्या कमाया। ९६ तब पहिले ने आके कह्दा, हे प्रभआंप 
“के मेहर नें दस माहर कमाये। १५७ उसने उसे कहा 
कि धन्य हे उत्तम संवक इस कारण कि त बहुत थोड़े में 
सच्चा निकला तृ दुस नगर पर प्रधान हे।। ९८ और 
5 >क सनक ५ डे. हरे. हि. ५ 
दूसरे ने आके कहा कि हे प्रभु आप के माहर ने पांच 
मेहर कमाये। ९८ उसने उसे भी कहा कि त्‌ भी पांच 
नगर पर प्रभुता कर। २० ओर तौसरे ने आके कहा, 
है प्रभअपना मेहर देखिये जो में ने अंगाछ में बांध 
4 लत (25) है 
रक्‍्खा है। २९ क्यांकि में आप से डरा इस कारण कि 
पक ३० हक अे ५ डे कि 
आप कठार खामो हैँ जिस आपन नहीं धरा था सो 
आप लेते हैं और जे। आपने नहों बाया है से लवते 
३५० ८ का पक 2025. | 
हं। २२ तब उस ने उसे कहा अरे दुध,दास तेरेहौ मुह 
के 523 २७५ __. 
से में तेरा न्याय करोंगा तृजानता था कि में कठार 
मनस्य था जा में ने नहीं धरा से। लेताहे। ओर जो में 
हर डों 4. है: बा] 3. 2 
ने नहों बायासालवताहें। २३ फिर त्‌ ने मेरो राकड़ 


केटी में क्यों न सांपी कि अके अपना बिआज समेत 
लेता ! २४ तब उसने समभौषियों से कहा कि उंदे 
मेहर लेले। और जिस पास दस मे।हर हैं उसे देओ। 
२५ (तब उन्हीं ने उसे कहा हे प्रभु उस पास दस मे।हर 


हैं)। २€ क्याकि में तुन्हें कद्दता हे कि जिस पास है 


| 


है 


है 


उसे दिया जायगा और जिस पास कुछ नहों उस्मे वह 


भी जे।वृद्द रखता है लिया जायग।। २७ परन्तु जा 
93 


रद लूज जे... 


द क्‍ १४५७६ 
मेरे राज्य का नहीं चाहते थे उन बरियें के समुझ्कत पास _ 


ले आओ आर मेरे आग उन्हें घात करा। र८ आर 
/क३ 8९ हक 
जब व॒च् यां कह्िचुका ता वृुद्द यरिरशालम की आर 
जाने लगा। 
कक 5 ५ 
. ९८ जब वृद् बेतफगा ओर बतनी के पास जलपाई के 
९ 20 + हक केक "35 2 
पहाड़ लें, पहुचा तब उसन अपने दे शिष्यां से यह 
कप जा 0७ ७७ कद ०० श३७ 
कहला भेजा। ३० कि सास्ने के गांव मं जाओ उसे में 
पहुंचतेही तुम एक बछड़ा जिस पर अबलों काई न 
+ जज ५ 0 8 हि 
चढ़ा बंधा हुआ पाओग उसे खेल के लेआओ। ३९ 
८ 20 तक ल्श. 28७७ 2१७ ७. &% ८. ०9 (2 
यदि काई तुन्हं पूऊ कि उसे क्या खेलते हे ? ता कद्विया 
कि प्रभु के इसका आवश्यक है। ३२ चार भेजेहूओं 


कि: 52 ५ हि. न्ब्च्ड * 5 
ने जाके जेसा उसने उन्‍हें कहा था तंसा पाया। ३३ 


जूक 2 न कर जे ९५५४ 
और ज्यों वे उस बछ डे के। खेलरहे थे उसके खामियों 
कई करे ०.५ 9 8००५५ ७ पा 
ने उन्हें कहा कि तुमइस बछ ड़े का क्या खालते हो ! ।३४ 
बेबाले कि प्रभु के। इसका आवश्यक है। ३४ अर वे 
उसे यिशु पास लाये और अपने बस्तरों के उस बछेड़े 

9 हे. 5 है ३... 

पर रखके यिशु के उस पर चढ़ाया। ९६ जार उसके 
हैक. हु ९ ३१72९ हक 955 पर, ९०७ ० बार 
जाते जाते उन्हां ने अपने बस्लों के। माग में उसके आगे 
बिछाया। ३७ और जब वृद्र जलपाई के पहाड़ के 

वि $ 200५ ३8. 3... * 

उतारलों पहुंचा ते उसके शिश्था को सारी मंडलो उन 
सब आशय कम के लिये जे उन्हें। ने देखाथधा आनन्दित 
होके बड़े शब्द्‌से वह कहिके ईश्वर को स्तृति करने 
लगो। ₹८ कि राजा के धन्य जो परमेश्वर के नाम से 


रह पन्ने)... लूक। द २६3 


: 22 बस ८ 
आता है खरे पर कुशल और अति ऊंचे खगेपर 
महाद्य । ३८ तब मंडलो में से कितन फिरुसियों ने 

उसे कहा कि हे गुरु अपन शिय्थां का दपटिये। ४० 

नह ३० के की ०२५. 
उसने उत्तर दिया कि में तुम्ह कहताहें कि यदि ये 
चप हे।वें ते। पथर त्रन्त पुकार उठेंगे। ४५ और जब 
वुद्द समीप आया उस ने उस नगर के देख के उस पर 
“>>, देर ३०) कर. 
रोके कहा । ४२ हाय कि तुअपने इसो दिनले अपन 

पल. ४२ आल गे ०५२5० 
कुशल की बात का जानतौ परन्तु जब वे तेरो आंखों से 

८ के ०७ ८ ७ कक 
छिपो हैं। ४३ क्योंकि वे दिन तुझ पर आ्यावेंगे जिसमे 
 म्थल क 6०५ ०७०५ न ३३३३३ 
तेरे बरी तेरे आस पास खाई खेाद्ंग चार तुझो घेर 
कि ९: ३ कसर 22 जज 3 करे ० छ 
लेंग आर इर एक आर से तभ्के रे।केंगे। ४४ और तम्के 
>>, 3९ ३५ कल * अब 0 जा ७७ 
तेरे बालकां के संग भूमि से लिला ढेंग ओर तुक्क नें एक 

पक (०७, )५ सकी ओके 3 
पत्थर दूसरे पर न छोड़ंगे इस कारण कि तु ने अपनों 
कुपा के समय का न बुस्का । 

४५ तब वह मंदिर में जाके उस में के लेन देन कर 

कब ४०५३ न रे ८5 
बेंये। का यह कह्ि के बाहर निकालने लगा। ४६ यह 
लिखा है कि मेरा घर प्राथना का घर है परन्तु तुम न 
ऊसे चारों को मांद बनाई। ४७ चर वृद्द मंदिर में 

। ४. 
प्रति दिन उपदेश करताथा परन्त प्रधान याजकां आर 

! आल 29 ५० 2 2 पा ३ हर ल्प हि 

अध्यापकों और लागां के प्रधानां ने डसे बधन करने 
को चिंता किई। ४८ परन्तु .उस पर कुछ करने का 
७, दर: ७९६ २ न्ने ने ने 
भोंन पाते थ क्योंकि सब लेग उसको सुन्न के लव॒लौं 
थे 


र्‌ईप८ 'लूक ! . [२० पन्बे द 


२० बीोसवां पब्बे । | 
९ और उन में से एक दिन जब वुच्द मंदिर में लोगो 
का खिलांवता और मंगल समाचार प्रचारता था प्रधान 
याजक चर अध्यापक प्राचौने के संग चढ़ि आये | 
२ ओर उसे यह कहिके पूछा कि हमें कह कि त्‌ किस 
5 58 ८ पे ५ 
पर/क्रम से ये काये करता है! अथवा वृुच्त कान है 
जिस ने तुके यद्ध पर क्रम दिया है! ३ उसने उत्तर 
3० ते ५० बे ० 
देके उन्‍हें कद्ठा कि में भो तुम से एक बात पछता हों, 
. मुझे उत्तर देठ! ४ याहन का सत्रान खभ से था 
“35 6 ५ कल, कप है 8... जि 8 
अथवा मन॒य्था से?! ५ तब वे अपने मन मे बिचारने 
हर ; कर 20 जज 80: है 
लगे, यदि हम कह खग से ता वृद्ध कह्ेगा फेर तुमने 
उसकी प्रतोति क्यां न किई ! ६ परन्तु यदि कहे कि 
मन॒य्थां से ता सब ले|ग हमें पथरावेंगे क्योंकि वे निञ्चय 
| औ३० ० ० अर कक 
जानते ह कि याहन भविश्यद्॒ह्षा था। ७ तब उनन्‍्हां ने 
उत्तर दिया कि हम नहीं कहि सत्तो कि कहां से। छ 
४-33 ५५ हा. ० ५० 
फेर थिशु ने उन्हें कहा, में भो तुल्हं न कह्चोंगा कि में 
किस पर.क्रम से यद्ध काये कर ताहे । 
८€ तब उसने लागों से यह दृष्ठान्त कह्ठा कि किसों 
मनृय्य ने दाख कौ बारो लगाई ओर उसे मालियों का 
रु] ५ कप हर ल्् हर 2 
साप दिया ओर बहुत दिन के लिये परदेश का चला 
गया। ५० तब ऋतु पर उसने एक सेवक के मालियों 
के पास भेजा कि दाख कौ बारी का फल उनसे लंबे 
५० 300७5 ब्र्‌ आर 
परन्तु उन्‍्हां ने उसे मार के छह हाथ फर दिया । ९९ फेर 


२० पब्ब] लूक। २६८ 


90 सै 
उसने दूसरा सेवक भेजा जिसे उन्‍्हों ने मारा ओर 
दुदेशा करके छक फेर दिया। ९२ फर उसने तौसरे के 
भेजा जेर उन्हों ने उसे भोयल करके बाहर किया। 

25० 6 
९३ तब दाख को बारी के खानी ने कह्दा कि में क्या 
कं रे ० ब्देे० ७ प्र ० >> 
. करों! में अपने प्रिय पत्र के भजोंगा क्या जान वे डसे 
टेखक्े आदर कर । ९४ परन्तु जब मालियों ने डसे 
8३2५ हलक ७७ है 30 नह 
हेखा ता आपस में बिचारन लग कि यचद अधिकारो है 
आओ इसे मारडालें जिसतें अधिकार हमारा हेाजाय। 
कक “, है बाप 
९५ चर उसे दाख की बारो से बाहर निकाल के घात 
किया फेर दाख की बारी का खामी उन्हें क्या करेगा! 
९६ वद्द आवेगा और उन मालियां के नाश करेगा 
2 ० 2389 कु $ 

और दख की बारी ग् रो का सें.पेगा उन्हें ने सुन के 

रे छ हा कण ब् ५ 
कहा कि ईश्वर न करे। ९७ तब उसन उन्हे देख के कहा 
ता यह क्या लिखा है कि जिस पत्थर का घवइयों ने 
निकस्सा जाना वही काने का सिरा हुआ। ९८ जा 
काई उस पत्थर पर गिरेगा उसे घाव लगेगा परन्तु 
जिस पर वृद्द गिरेगा उसे पौंस डालेगा। ९८ तब 
- प्रधान याजकां और अध्यापकेां ने उस पर हाथ डालने 
चाहा परन्त वे लागां से डरे क्याकि उन्हें ने बक्क लिया 
- कि उसने यह दृष्ट:न्त उनके बिषय में कहा था 
२० फिर वे उस देखरहे थे ओर भेदोयेां का भेजा 
: कि अपने का छल से धर्मी बनावें ओर उसे बातें में 
 बस्कावें जिसतें वे उस अध्यक्ष के पर क्रम ओर बश्न में 


२७० |. चूक । [२० एब्बे 


र लक जप ० 2 
सेंप देवें। २९५ फेर उन्हें। ने उसे यद् कह्ि के पुछा कि, 
; ५५ # 
“ हें गुंद हम जानते हैं कि आप ठोक ठोक कहते हैं 
ल्‍ ९० हो 

और सिखाते हैं और किसी को प्रगट पर दृष्टि न 

3: 6. ९ ९; ० चर ० 
करते परन्तु सच्चाई से ईश्वर का मार्ग सिखाते ६” । २२ 

मे सक ७ रिि च्े कक 2 ें 
क्या कसर के कर देना हमें उचित है अथवा नहीं? 
२३ उसने उनका कपट जान के उनसे कहा कि तम लोग 
कि. न. 2 ० 
क्या मेंगे परीक्षा करते हो! २४ एक झरूको मुभ्के 
. दिखाओ उस पर कियको म॒त्ति आर किसका क्वापहैे! 
बे उुनर देके बोले कि कसर की। २४ तब उसने उन्हें 
कहा कि कैसर की बल्तु केसर के ओर ईश्वर को बस्तु 
ईशर के देखा | ९६ और वे लागों के आगे उसे बातों 
मेन बसक्कांसके गैर उसके उत्तर से अचंभित हेके चप 
रह्गये। 
की 7] 

२७ तब कई सादुकी जे। जौठठना मुकरते हैं पास 

5५२ ० हज. 8, कवि हि. 
आये और यह कहिके उदस्मे पुछा। रु किहे गुरू 
मसा ने हम।रे लिये लिखा है कि यदि किरो मनुृय्य 

धफ ई ८ आज 5 55 अं. के 

का भाई पत्नो का छाड़के नित्रण मरजाय ता उसका 
भाई उसकी पत्नों के लेवे आर अपने भाईके लिये-बंश 


चुलावे। २८ अब सात भाई थे ओर पहिला पत्नों 


करके निर्बेध मरगया । ३० और दूसरे ने उसे अपनी 
पत्नौ किई वुद्ध भी निवेश मरगया। ३९ और तौस 
रेने उसे लिया और इसी रौतिसे सातेोंभे ओर बे 
जिबेश मरगये । ३२ सजसे "के वुद्र स्त्रो भी मरगई। 


२० पब्बे] लूक। २७५ 


३३ से जीउठने मे वृद्द उनमें से किसको पत्नी होगी 
# 23 9 ला ः 
क्योंकि व॒ुद्द सातां कौ पत्नौ थौ। ६४ तब यिशु ने उत्तर 
ढेके उन्‍हें कहा कि इस जगतके सनन्‍्तान बियाह्र करते 
ग ु स्य० 
हैं और बियाहे जाते हैं। ३५ परन्तु जे। उस जगत के 
2५ 200 5 ० 22% ० 28 
और ख़त्यू से फेर उठने के याग्य जानेजायंगे से न 
० २३० कर ने ३३० आर 

बियाह करते हूँ न बियाह म॑ हियेजात हं। ४६ क्योकि 
वे फेर मर नहीं सक्ते इसलिये कि वे दूतां के समान 
और जीउठने के बालक हेकर ईश्वर के बालक हैं। 
३७ अब म्टतक के जौउठने के बिषय में मसाने भी 
माड़ीो पर दिखाया जब उसने प्रभु के इबराहीम का 
इूँश्वर और इसदाक का ईश्वर और याकूब का ईश्वर 
कहा। ह८ क्योंकि वृद्द मुल॒कां का ईश्वर नहीं परन्त 
डीबतें का इस लिये कि सब उसके लिये जौवले हैं। 
ह₹८ तब कई अध्य पका ने उत्तर देके उसे कहा कि हे 

. जप कप है<० लक पी 
गुरु आपने अच्छा कदहा । ४० और उसके पीकछ उल्हों 
ने उसे पकने के ह्ियाव न किया। ४९ और उसने 

ले जे ० ३० 
उन्हें कहा, वे क्योॉंकर कच्दते हैं कि मसीह दाऊद का 
पुत्र है? ४२ ओर दाऊद आपचहौ भजन की पुस्तक 
ज७ के बे ० 
में कद्दता है कि परमेश्वर ने मेरे प्रभु से कहा त्‌ मेरे 
| ् ३ ही में ब् ] 
दद्िन हाथ बेठ। ४३ जबलों में तेरे बेरियें के तेरे 
चरण की पोढ़ो करों। ४४ से। दाऊद तो उसे प्रभु 
कहताईै फेर वुद्द उसका एुच क्योंकर है !। 

/ डे 3. ०. जिय्यिं न्‍ 
४५ तब सारे लागों के सुन्न में उसने अपने शिव्यों से 


रु लूक। [२९ पब्बे ' 


बहा | ४६ अध्य पके से चेकस रघहे। जे। लंबे लंबे बस्ल में 


5 ० कप ब््‌ दे | 
फिरने चाहते हैं अर हाट में नमस्कार ओर मंडलियों 


में ग्रेड आसन जेवनार में प्रधान स्थान से प्रौति रखते 


९५०५ ु & 5 ८ क्र क० 
हैं। ४७ वे रांड़ां के घरांके।! भक्षण करते हैं ओर, 


दिखाने के लिये प्रार्थना करते हैं उन पर अति बड़ा 
दंड होगा । 
२९ एकीसवां पब्बे। 
९ तब उसने आंख उठाके देखा कि धनो लेग भंडार 
अपना दान डालते ४ं। २ जार उसने एक कगाल 


रांड़ का भी इस में दे। अद्वियां डालते देखा। ३ तब 


| 
। 
( 


कि ५५ ० के + 
उसने कहा कि में त्॒हं सय ऋदता हा कि इस कंगाल _ 


रांड ने उन सभां से अधिक डाला। ४ व्याकि इन सभा 
ने ईगशर की भेठ के लिय अपने धन को अधिकाई से 


डाला परन्त अपनी कंगा।लपन से उसने अपनो सारी 


जौविका डाली । 

५ और जब मंह्रि के बिषय में कितने कहते थे कि 
यह कैसे सुन्दर पत्थर खैर दान से सिंगःर किया गया 
है डसने कहा । ६ वे दिन अआवेंग कि जे बस्त तुम 
देखते हे। से ऐसौ गिराई जायंगी कि पत्थर पत्थर पर 
- न कटेगां। ७ तब उन्‍्हां ने उसे यह कहिके पक्का कि है 
गुरु बच सब कब हेगा ? और इन सभा के हान का 
क्या स्क्लि होगा !। ८ उसने कहा सें।चेत रहा कि 
तुम भरमाये “न जाओ क्योंकि बहुतेरे मेरे नम से 





| 
| 


बी पन्‍्त ' #/ लूक। २७३ 


२] कै ० ०० दे 
आके कहेंगे कि में हे, अर समय आता है सा उनके 
पीछ मत जाइये। । ८€ परन्तु जब तुम ले।ग संग्राम और 
हुल्लर को बातें सुना मत डरियोा क्यांकि पहिले इन 

(० ० + डँ से. 
सभों का होना अवश्य है पर अभी अंत नहीं । ९० फेर 
उस ने उन्हें कहा कि लोग पर लेग गैर राज्य पर 
राज्य चढेंगे। ९९ और अनेक स्थान मे बड़े बड़े भई 
डाल आवेंगे और मरी और अकाल पड़ेंगे और भयंकर 
दुशन और बड़े बड़े चिह्ल खगे से हेंगे। ९२ परन्तु इन 

5 5 कक उक ७ ७ 3 
बातों से आग वे तुम पर हाथ डालेंगे और सता के 

4 हे ६! बस ० ९५ 

मंडलियों में आर बंदौ गुच्द में सेंपकर राजा और 
208५ ९ "७ 05: 0 ध्के ज्भ लय 8 है 

अध्यक्षों के आग मेरे नाम के लिये ले जायेंगे। ९३ ग्ार 

_ ३55. कर 

यह तुम्हारे साक्षो के लिये रहेगा। १५४ दस लिये 
233 कि 028. 8 कर :0 

अपने मन मे ठहरा रक्‍वे कि उत्तर देने का हम आगे 

० ५: >> हम ७-७ + 

से चिन्ता न करंगे। ९५ क्योंकि में तु्ह ऐसा मद गैर 
5 8 हि ् न के 482 ०० 

बुद्धि देडंगा जे हुक राजे बरौन उत्तर दे सकेंग न 

बिल से है 

सान्‍ना कर सकगे। १६ और माता पिता और भाई 

0 7५. कर व 03 क शक. ज्ै ०.७ 

बंदें से आर मित्र से पकड़वाये जाओगे ग्ार तम्में से 

कितने के। घात करवावेंगें। ९७ अर मेरे नाम के 

लिये सब तम से बर करंग। ९८ परन्त तम्हारे सिर 

का एक बाल नष्ट न हैगा। ९८ अपने संतेष से अपने 

प्राण के लिये रह्े। २० और जब तुम लेग यिरू 
/ 0 की अप कर 

शालम का सेनाओं से घेराहुआ देखे तब जाना कि 

डसका उजार देना आपहुंचा है | २९ तब जे 





२७४ लूक। | [२९ पब्नें 


यिह्लद्यः में है| से पहाड़ां का भागें आर जा उसके 
मध्य में हां सा निकल जायें आर जो बाइर हो से 
भीतर न आवे। २२ क्यांकि ये पलटा लेने के दिन 
और सांरे लिखेहुओं के परा हे।ने का समय है। २३ 
परन्त हाय उन पर जो उन्हीं दिनों में गभिणों होंगोौ 
और उन पर जे। द्रध पिलातियां होंगी क्योंकि देश पर 
बडी बिपत्ति आर इन लोगो पर काप होगा। २४ 
और वे तलवार से मारे जायेंगे आर सारे जातिगणों 
में बंधर हेंगे आर यिरुशालम अन्यदेशियां से लताड़ा 
जायगा जबलों अन्यदेशियां का समय पुरा न हेवे। 
ब्५ ९६ ७५७ ... ०२७ + ७ ३. ०५ ० 
२५ आर सय में आर चंद्रमा म आर तारों म॑ चिह्न 
० ० 33 कर न ली कक 2० ! 
हंगे और एथिवी मं जातिगणा पर केश के संग घबरा 
_ +> दे लि वे 
हट होगी समुद्र आर लहरों का महा शब्द हेगा। २६ 
०. न ० ० ] 
मारे डरके आर उन बातों को जा भूमि पर आतो है 
बाट जाइने से मनुव्यां के मन घट जायेंग क्योंकि खर्गे 
फ ५ विद पाप 
को इढ्ता हिल जायगी । २७ आर तब व मनश्य के 
कर 53 *्र५ ७ ० 
युत्र के मेंघपर महा तेज और पराक्रम से आते देखेंग। 
५ न कं ०७ - 
२८ ओर जब ये बातें हे। ने लगें ता सिर उठाके ऊपर 
कक चकी-न ० | बे र 
देखा क्योंकि तुम्हारा उद्धार आपऊहुँचा है। 
९५ श्छु ०७ डर 
२९८ ओर उसने उन्हें एक दृष्ठांत कह्दा कि गलर के 
पेंड और सागे पड़ा का देखे। ३० जब उनको 
केंपलें निकलती हैं तब तम देखके आपही जानते 
कि तपन का दिन अब निकट है। ३९ सा इसो रौोति 


२२ पत्ब] लूक। २७५ 


से जब तम इन बातों के हेते देखे ते जाना कि 
ईश्वर का राज्य पहुंचा है । ३२ में तम से सत्य कइता 
हे कि यह पीढ़ी बोत न जायगौ जबलें सब परान 
होलें। ३३ खगे आर एथिवी मिट जायेंगी परन्तु मेरे 
बचन न मिटेंगे। ३४ और अपनेसे चाोकस रहोान 
हो।वे कि तुम्हारे मन किसी सन्तुष्ठता चर मद्यपने से 
और इस जोंवन की चिंता से उभर जायें और बुच्द 
दिन तुम पर अचानक आजाय। ३१५ क्योंकि वृद्द फंदे 
की नाई एथियों के सारे बासियां पर आजायगों। 
३६ इस लिये चाकस रहे जर नित्य प्राथना करा कि 
लन उन सभो से जे। हे।नहार है बचने के ओर मनुय्य 
के पत्र के सनन्‍्मख खड़े होने के याग्य ठद्रा । ३७ और 
दिन के वह मंदिर में उपदेश करता था और रात के 
बाहर जाता था और उस पहाड़ पर जे। जलपाई का 
कहावता है रहता था। ३८ ओर तड़के सब लाग 
उसको सन्ने के मन्दिर में उस पास आते थे। 

| २२ बाईसवां पब्बे । 

. ९ अब अखभी रो रोटी का पब्बे जे। पारजाना कहा 
बता है आपहुंचा। २ ओर प्रधान याजक ग्रार 
 ्यध्यापक्र सोच मं थे कि उसे किस रीतिस घात करें 
पर वे लागों से डरते थे। ३ तब उबारह में गिने हुए 

बिहूदा दविस्करियती में शैतान पेठा। ४ ओर उसने 
जाके प्रधान याजकेां ओर सेनापतिन से बातचौत किई 


; 


श्डद लूक। [श्र शक | 


कि वृद्द उस किस रौति से उनके हाथ में सेंप देवे। 
के + 00... “व कल 
.ू तब वे आनंदित हुए श्र उस राकड़ देने का 
ठच्दराया। ६ ओर उसने बाचा दिई ओर से निरालें 
6! कर $ ७२३० न्‍ 
में उस उनके हाथ म॑ सेंपने के। अवसर ढूंढ़ता था। 
७ तब अखमो रौ राटो का दिन, जिसमे पारजाना 
मारने का आवश्यक था आपहुंचा। ८ ओर ,उसने 
न हक 4१5 3 हरे ३. 
पथर गैर येहन' का, यह कह्िके भेजा कि जाके 
जि 0 ० ७००] ७२... 
हमारे खान के लिये पारजाना सिद्ध करा। ८ उन्‍्हांन 
*+ 8 ८ ५ ७५ १5” व 
उसे कहा कि हम उसे कहां सिद्धू कर ! ९० उसने 
०+ ६ किसके ॥00.4 ० ७०५... का 
उन्हे कद्दा कि देखे जब तुम नगर मे पहुंचेग ता जल 
का घड़ा उठाए हुए वहां तुन्हें एक मनृय्य मिलेगा जिस 
घर में द॒ृह्ठ जाय उसके पीछे पोक चले जाइये। ९९ 
कर पद" क्षय | हल ९ 
और उस घर के खामी से कहिये। कि गुरु तुझे कहता 
०» की ० & 
है कि वृद् पाहुन शाला, जहां में अपने शिय्यों के संग 
+| « २३० कै... ं 
पारजाना खाऊ कहां हं ! ९२ तब वृच्द तन्हं एक बड़गे 
उपराटो काठरों सवांरी हुई दिखावेगा वहां सिद्ध 
करे। ९३ और उन्‍्हों ने जाके उसके कद्दन के समान 
पाया जऔ्यैर पारजाना सिद्ध किया। ९२४ और जब 
+ हक ्फ ०: ७९ ५ ४७: हज 
घडो पहुचौ ता वह बारह प्ररितां का, अपने संग लेक 
जाबेठा। ९५५ जार उसन उन्हें कद्या कि में न बड़ो 
लालसा से चाहा कि कष्ट पान से आगे यह पारजाना 
तुम्हारे संग खाऊं। ९६ क्यांकि में तन्ह कच्ता हां कि 
०३० ३ &.<. ११2 ८. 
में उसे फेर कधी न खाऊंगा जबलों वुद्द ईश्वर के राज्य 


२२ पन्ने] लूक। २७७ 


५ 
मेंपरान हेवे। ९७ तब उसने कटाोरा लिया और 
हा, 9७ 2५४ कर कक, ७ 2 
घन्यमान क कहा कि इसे लेओआ आर आपस म॑ बांटो। 
अर तक कर ७ जे ०४ 9 5] 
९८ क्यांकि में तुम्ह कहता हां कि जबलोां ईंआर का 
राज्य न आवे में राख का रसन पौओआंगा। ९५८ फेर 
घर के 
उसने राटो लिई ओर धन्यमान के ताडो ओर उन्हें 
देके कहा कि यह मेरा देह है जे। तुम्हारे लिये ढिया 
जाता है। २० मेरे स्मरण के लिये ऐसा क रे इसी री ति 
सेविआरो के पीछे कटोारा भी दे के कहा कि यह केरा 
०0 ७ श 2" - 22०. पक 5 ब 
मेरे लेह्ह का नया नियम है जे तुन्‍्हारे लिये बच्चाया 
बे ५ रत र के > कक 75 "कर 
जाता. है। २९ परन्तु देखे। मेरे पकड़वाने वाले का 
। हे ८ पं ५ 
हाथ मेरे संग मंच पर है। २९ ओर टौक मन॒व्य का 
पुत्र उहराये गये के समान जाता है परन्तु हाय उस 
मनृय्थ पर जिस्म वृद्द पकड़वाया जाय। २३ तब वे 
आपत म पक्कन लगे कि हन्सं यद्ध कम कान करेगा । 
२४ आर उनमे यह बिबाद भो हुआ कि हस्से कान 
सब से बड़ा जाना जायगा। २४ तब उसने उन्हें कहा 
श्र 7० सी ० धर 
कि अन्यदे शियें के राजा उन पर प्रभुता कर ते हैं और 
द वे ०२३३० . ३५० 
वे जे। उन पर आज्ञाकारौ हं उपकारो कहावत हैं। 
॒! न्‍े बज आर ने ; 
२६ पर तुम ऐसे मत हे।ओ परन्तु तुस्स जे। सब से बड़ा 
_ है से छाटे के समान आर वृद्द जा प्रधान है सेवक के 
| ७5 2 30 केला सेई हे ८ + 38 
तल्य। २७ क्योंकि कान बड़ा है जा भाजन पर बेठता 
है अथवा जे। सेवा करता है! क्या वुच्द नहीं जे। बेठ ता 


है! परन्त में तत्में सेवक के समान दें। २८ तम वे 
24 






र्‌ड्८ लूक। [२२ पब्बे 


है। जे। मेरी परीक्षा में बने रदे। २८ ओर जैसा मेरे 
पिता ने मेरे लिये राज्य ठहराया है तेसा में तुन्हारे 
लिये ठच्दराता हों। ३० जिसतें तुम मेरे राज्य में मेरे 
मंच पर खाओ और पीचओ और सिंहासनां पर बेठ के 
इसराईल की बारह गोछियेय का न्याय करे । ३९५ और 
प्रभ ने कहा शिमेन हे शिमेन देख शेतान तुझे गोहूं 

ग्ैनाई फटकने चाहता हे। ३२ परन्त में ने तेरे 
लिये प्रार्धना किईं है जिसमें तेरा बिग्वास न टले आर 
जब त फिराया जाय ते अपने भाइयें के हृढ़ कर। 
३३ तब उसने उसे कहा हे प्रभु में आपके संग बंदिगुद 
औरपर म्वत्य में जाने के लेस हां। ३४ उसने कहा कि 
है पथर में तक कद्दता हों कि आज कक्कट न बालेगा 
जबलें मुझे जान्ने से त्‌ तौनबार न मुकरे। ३५ फिर 
उसने उन्हें कहा कि जब में ने तुम्हें बिना बटुआ और 
काला और जूता भेजा था व्या तुन्हें किसो बस्तु कौ 
घटती हुई? वे बोले कि नहीं। ३६ तब उसने उन्हें 
कहा परन्त अब जिस पास डॉंड़ा आर मेला होसोा 
उसे लेवे और जिस पास तलवार न हे। अपना बस्ल बेच 
के एक मालले। २७ क्योंकि में तुम्ह कहता हां अवश्य 
हैकि जे। मेरे बिषय में लिखा है से परा हेोवे कि 
वचह्-अपरा!धिये में गिना गया वे क्योंकि मेरे बिघषय को 
बातों का अंत्य है। २८ तब ते बाले कि हे प्रभु देखिये 
यहां दे। तलवार हैं उसने उन्हें कहा कि बस है। 


ता >> 


२२ पब्ब] 20. २३6 


अं छ कक. छछ 
३८ फर वच्द बाहर निकल के अपने ब्यवहार के 
समान जलपाई पहाड़ पर गया आर उसके शिष्य भौ 
३ डे « री] 
उसके पौछ हे।लिये; ४० और वहां पहुंच के उसने 
० ९: छ ७ 9७5 + छ॒ 
उन्हें कहा कि प्राथना करा जिसत परोज्षञा मन पड़ा। 
४९ फर उसने एक तौर भर के प्रमाण दूर जाके घुटना 
9 ९ हु हट ८" 2- बह 
टक के प्राथना किई। ४२ कि हे पिता, यदि तरो 
हे 23: ३ अप ५225 ६, 3७. 
इच्छा हाय ता इस कटारे का मुस्झे टलादे तिस पर भौ 
कर डॉ 5 8७ 2 2000 
मेरो इच्छा नहीं परन्तु तेरी हे।वे। ४३ तब खग से एक 
टूल ने दिखाई टेके उसे बल दिया। ४४ आर पोड़ा 
में हेोके उसने अधिक ध्यान से प्राथना किई और उसका 
५ 990. ष्द अक & :>स्क। 
पसौना ऐसा बचा जेसा लेह्ह के बड़े बड़े बूंह भूमि पर 
५० 
गिरते हैं। ४५ जार वह प्र/थेना से उठके अपने शिष्य 
अर पर ६० ३० ४ कम लक कै २2 
पास आया गैर शेक के मारे उन्हें सोते पाया। ४६ 
स् कर ७. 5४352 «आर ४ 2225 
तब उसने उन्ह कहा कि क्यां सात हो ! उठा आर 
प्राथना करे न हे। कि परोत्षा में पड़े । 
* ४७ ओर जब वुचद्द कह्चिरहा था एक मंडली दिखाई 
_ दिई और उन बारह में से एक जे। यिह्लदा कच्ावता 
ै 9 > हि ० हक 
क्‍ था उनके आग अाग जाता था वद्दौ विशु का उमा लेने 
कर बल पक बिक 
का पास आया। ४८ परन्तु यिशु ने उसे कहा कि हे 
_चिह्दा तू मनुव्य के पुत्र का चूना से पकड़वाता है? 
3" कक ह 5 30 0 77 मर कल 5६.०3 ्5ु 
४6 अब उस के साथिया न जा कुछ कि होने पर था द्वेखा 
ही - / के 
ता बाले कि हे प्रभु हम तलवार चलाव। ४० और 
उन में से एक ने प्रधान याजक के सेवक पर चलाया 







र्‌ष्र० लूक। [२२ पब्बे 


और उसका दछहिना कान उड़ा दिया। ४९ तब यिशु 
१८० 3. "० 2 की बे &३. 
ने उत्तर टेके कहा कि यहीं लां बस करे! और उसने 
उसके कान के छआ और उसे चंगा किया। ४२ तब 
थिशु ने प्रधान याजकों और मंदिर के सेनापतिन आर 
हल ज ० २५३० ०. 
प्राचो ना के, जे। उस पास आए थ, कहा, कि जेसे चार 
की 8 #6 आय, 
पकड़ने के तुम लोग तलवार और लाडियां लेके 
90 आई १ ५० थे ०७ 58%. 
निकले हे।! ४३ जब में प्रतिदिन मंदिर म॑ तुम्हारे 
+ ३5. जऔ 
संग रहता था तुम ने मुझ पर हाथ न बढ़ाये परन्तु 
यह तुम्हारी घड़ो और अंधकार का पराक्रम है। ५४ 


तब उन्हें ने उसे पकड़के आगे करलिया गऔर प्रधान 


याजक के घर में लाये। 

५४ ओर पथर टूर से पीछ पोछ चलागया। और 
कर  ुफ ० 3७०. 
जँब उन्हां ने घर के बौच आग सुलगई अर एकट्ट बंठे 
खाए >>. ०5 कि, 
ता पधर भी उनमें बठ गया। ४६ तब एक ढासोौ ने 
उसे आग के लग बेठे देखा और ध्यान से उस पर दृष्टि 
करके कहा कि यह मनुय्य भी उसके संग था। ५७ तब 
कि 2: ५० ों 
वह यह कहिके मुकर गया कि, हे स्त्रो में उसे नई 

ञ्जै +छ.। 225५. “का यु 
जानता। ५८ और तनिक पीछे दूसरे ने उसे देखा 
और कहा कि, तू भी उनमें से है पथर ने कहा कि हे 
मनुय्य में नहों हे । ५८ और घड़ी णक बौते और एक 
ने निश्चय से कद्दा कि सचमुच यह भी उसके संग था 
क्योंकि यह गालौलो है। ६० तब पथर न कहा कि हे 
७५० ं जप्सी 
मनुय्य में नहीं जानता त्‌ क्या कहता है और यों 





२२ पब्म] छूक। ' ःरच९ 
न क, 9८. हक 2 
कहते हो 'कबफआक बाला। ६९५ तब प्रभु ने घुम के 
जाई रे 48 
पथर के देखा ओर पथर को प्रभु का बचन चेत आया 
कि उसन उसे कहा था कि कुछूट के बोलने से आगे 
तृतौन बार सुस्मे मुकर जायगा। ६२ तब पथर बाइर 
2. 
गया और बिलख बिलख के राया। 
कप ०5८ ॥&> पा 
६€ह₹ ओर जिन मनुय्यां ने यिशु का पकड़ा था उन्हों 
के ३ ३8 ५ 
ने उसे ठट्ठे में उड़ाया और मारा। ६४ और उसकी 
आंखें में पट्टी बांध के उसके मंद पर धपेड़ा मारा और 
यह कहिके उसे पका कि बता केान तुझ्के घपेड़ा मारता 
५ े्‌ 30०५५ ०2% जा नव ० 
हू! €४ अरु आर बहुतरांन उसके बिराध में 
निन्दित बचन कहा। 
ह्‌६ और दिन निकलतेहौ लोगों के प्राचौन आर 
प्रधान याजक और अध्यापक एकट्ट आये ओर डसे 
७ 0 मकर, हक 
अपनो सभा में लेजाके बाले। ६७ कि हम से कह क्या 
तुमरौह है! उसने उन्‍्ह कहा कि यदि में तुन्हें कहे 
3 स्प कं 
ते प्रतोति न करेग। €ं८ ओर यदि में पछों भी ते 
२. ५.७0. हा 5: जी कर हक कर 
उत्तर न देओगे और न छाड़ेगे। ६८ आग के मनुय्य 
6 क् 22 ५०. न्‍ 
का पुत्र ईश्वर के पर।क्रम को दद्दिनौ आर बंठेगा | ७० 
तब उन सभों ने कहा कि ता क्या तु ईश्वर का पुत्र हैं? 
90 ७७ 9-२. है 
उस ने उन्हें कह्दा कि तुम ठौक कहते हेो।। ७५ फर 
7 ०७ को 
उन्हां न कहा अब हमे आर साजछो का क्या प्रयाजन 
(>+ क्यों वि 40230 2 पं ५ 
है! क्योंकि हम सभों ने आपही उसी के मंह से सुना 


च्है। 


रष्र लूक। [२३ पब्बे 
२३ तेईसवां पब्बे । 
९ तब सारो मंडली उठके यिशु के पिलात पास ले 
5 ५ ८”: सं ६०: ५ 3 
गई। २ और यह कछहिके उस पर दाष देन लगी कि 
हल हक 7 न - 
इमने इसे अपने तई मसौह राजा कहते और कसर 
ह ली 4 0 ९० ७ है“ “आर पलक ले 
के कर देने से बजते और लागों के उभाड़ते हुए पाया 
हां। ह तब पिलात ने यह कहिके उसे पका क्या त 
यिल्ह॒दियां का राजा है? उसने उत्तर देके कहा कि 
आप ठोक कहते हैं। ४ तब पिलात ने प्रधान याजकों 
2] 00 02% ५० हि 
ओर लेगें से कहा कि में इस ननुग्य पर कुछ दा 
नहीं पाता। ५ परन्तु उन्हों ने अधिक बखेड़ा करके 
कहा कि वह गालौल से लेके यहां ले सारे विहूदिय: 
सें उपदेश करके लेगा का उस्काता है। ६ जब पिलात 
छल 2£ तो 
ने गालौल का सुना ता पछा क्या वृद्द गालोली है! 
५२ ३८. ५ ७७ पक हक 80. 
७ और उसे हिराद की प्रजामें से जान के उसने उसे 
हिराह पास, जे। तव यिरुशालम में था, भेजा । 
८ ओर यिशु का देखने से हिराहौय बहुत आनन्द 
०७ 5३4७० किस ध कि 
हुआ क्याकि वुद्द बकह्षत दिन से उस देखने चाहता था 
इस लिये कि उसने उसके बिषय में बहुत कुछ सुना था 
और चाहता था कि उसका केाई आश्यये कम देखे। 
& इस लिये उसने उसे बहुत कुछ पक्का परन्तु विशु ने 
हर +< 
डसे कुछ उत्तर न दिया। ९५० आर प्रधान वाजक आर 
्यध्यापक, जे! वहां थे उभड़ उभड़ के उस पर देष 
, लगाने लगे। ६९ परन्तु छिराद आर उसके वाद्डाओं 


रह पन्ने). . लूक। रेण्हे 


ने उसको निंदा किई और उट्ा किया और उसे भड़ 
कौला बस्तल पह्ििना के पिलात पास फेर भेजा। १५२ 
और उसो दिन पिलात और हिरादो ने आपुस में 
सा ५ 
मिलाप किया क्योंकि आगे उन में बेर था। 
े ः $<. कं. 5३५ ० हम 
५३ और जब पिलात ने प्रधान याजकां और बड़ों 
के ओर लोगों का एकट्रें बुलाया। १४ उसने उन्हें 
कहा कि तुम इस मनव्य के यह कहते हुए मेरे पास 
लाये दहे। कि लागों का भड़काता है ओर देखे में न 
्ु कार > के े -+अक :2 कल कहे ७ 
तुन्हारे आग उसे जांचा आर उन दोषों के बिषय में, 
कि जे। तुम ने इस मनुख्य पर लगाये कुछ न पाया। 
ब् दिनाक २३० हमर. ) ७ 
९५ जार न हिराद ने, क्योंकि में न तन्हें उस पास 
भेजा और देखे उस पर मार डालने के याग्य कुछ न 
ठचरा। १५६ से| उसे ताड़ना करके छोड़ देता हे। 
९७ ओर अवश्य था कि वृच्द पब्बे मं उनके लिये एक के 
छाड़ देवे। ९८ तब सब के सब एकट्ट चिन्नाए कि इसे 
उठाडालियेजणआर बारब्बा के। हमा रे लिये छाड़ हौ जिये। 
५ का मसहा जज बर ५ 
९८ (व॒च किसी दंग के कारण, जे। नगर में किया था 
और हत्या के लिये बंदौगुह में डाला गया था)। २० 
श्र 2 2 “< 2 

इूस लिये विशु के छाड़ने को इच्छा रख के पिलात उन 
व 0 ०. ; पे 52% 
से फेर बाला। २९ परन्तु वे चिल्ला उठे कि उसे क्रस पर 
मारिये क्रस पर मारिये। २२ और उसने तौसरी बार 

4» ८ कं ऐप ञ पु ः चडटे ५५ ७ 
उन्हें कहा क्यां उस ने क्या अपराध किया है? में ने उस 
पर घात के वाग्य केई बात न पाई इस लिबे में उसे 


२८४ क्‍ लूक। [२६ पब्बे 


ताड़ना करके छाड़ देता हां। २६ परन्तु उन्हें ने 
है।रा करके चाहाकि वच् क्रूस पर चात किया जाय तब 
व 7 | 580. मं कि." 
उन्हों के ओर प्रधान याजकोां के हैरे ठहर गये। 
२४ फेर पिलात ने आज्ञा किई कि उन्हों कौ इच्छा रहे । 
कि हर, हा पई ० हल. 
२५ चर उसने एक जन का, जे दंगा और इत्या के 
५ ठो >+ श 0 का, 25७. ५४ आर 
कारण बंदोगुइ में डाला गया था जिस वे चाइते थे 
उनके लिये छाड़ दिया परन्तु यिशु के उनकौ इच्छा पर 
ह३० 
साप द्िया। 
२६ अपर उसे लेजाते हुए उन्‍्हा ने शिमान कुरौनो 
के पकड़ा, जे। बाइर से आता था और उस पर क्रास 
कर] कक. हि है क७. ७२. 
धरा जिसतें व॒द यिशु के पोक्त पौछ उठावे। २७ ओर 
५ हज ५ 
एक बड़ी मंडली ओर स्त्रौ भो, जे उसके लिये रोातियां 
5 हा & 
पौटतियां थीं उसके पौछ हेलियां। रु८ परन्तु यिशु 
ने उनकी ओर फिर के कहा कि हे यिरुशालम को 
पल कक. 0७. २७. जे &« 8८5 हक. कट 
पुत्रियो मेरे लिये मत रोाओ परन्तु अपने अर अपने 
| 6 ७ चाप. ७७ 25 002 बज ५ 
बालकों के लिये रोाआ। २८ क्यांकि देखा वे दिनआते 
हैं जिन में वे कहेंगे कि बांक काख धन्य जिन्हें न धारण 
न किया और वे स्तन जिन्‍्हों नेन पिलाया। ३० तब 
&-2० 0 2 «० अप ० 
वे पद्ा ड़ां का कह्दना आरंभ करेंग कि हम पर गिरा 
3] 59५१५ ५ कक कर न ०७ 
ओर पहाड़ियां का, कि हमें ढापा। ३९ क्याकि यदि 
- ब-ु बे 
इरे पेड़ पर ऐसा बौत्ता है ते सखे पर केसा बौतेगा ! 
३२ और दे। ओर कुकर्मी के भी उसके संग मार 
के ७... के कर. - बजे कप 5 
डालने के लिये लेचले। ३३ आर जब वे खेंपड़ौ नाम 


२३ पब्वे] लूक। र्ष्पू 
_ ०७ ०53 ४ 8 न ५ 
के स्थान में आये, ते वहां उनन्‍्हां ने डस का चार उन 
पु ज्र 
कुकमियें के, एक के उसके दहिने आर दूसरे का 
बाएं आर क्रस पर टांगा। ३४ तब यिशु ने कहा कि 
है पिता उनके छ्मा कर क्योंकि वे नहों जानते कि 
० ज३० ०७, के ०५ 
क्या करते ह॑ आर उन्होां ने चिट्“ठों डालके उसके बस्त 
ने 2 डर कर ० ३ कई 
का बांट लिया । ३४ आर लाग खड़े टेख रहे थे आर 
5525७ ॥ ७ 62. ५ 5 सम 
प्रधान भो उनके संग ठटु से कहते थे कि उसने आरों का 
बचाया यदि वुद्द मसोह ईश्वर का चना हुआ है ता 
आप के बचावे। ३६ आर योद्धा भो ठट्ठा करते आये 
बे ् २ ५ 2 अं अकन 
आर उसे सिरका दिया। ३७ आर बोले कि यहित्‌ 
० बा जे ग्ज 
यिह् दियें का राजा है तो आप के। बचा। ३८ ओर 
पी बन ५ और] 
यनानी ओर लाटोनो आर इबरानो में एक पत्र उसके 
सि्रिके ऊपर लगाया कि, यह. यिह्लदियें का राजा है। 
२ ० ७ 20०९ 202 ७ बिका + 
₹८ और टंगेहूुए उन कुकमियां म॑ से एक न, निंदा 
करके उसे कहा कि यदि तुमसौह्द है ता आप का 
५ कि + हि ) 
ओर हमें बचा। ४० परंतु दूसरे ने उसे दृपटते हुए 
उत्तर दिया कि तुईश्वर से नहीं डरता देख त भी वह्ची 
दंडपाता है? ४९ और इम तो न्याय कौ रौति से, 
2] [ 
क्योंकि हम अपने कम का पलटा पाते हैं पर इस 
/' ५ 
मनुय्य ने कुछ चक न किया। ४२ आर उसने विशु 
से कहा कि हे प्रभु जब आप अपन राज्य में पहुंचे ते 
. मुझे स्मरण कीजिये। ४३ यिशु ने उसे कहा में तुझे 
क्‍ 2 8 है ५ + ७0,“ े 
. सत्य कहता हें कि आज लू मेरे संग बकंठ में होगा । 


७७४0 ४४०७७७७७७७७७ए७एरश॥्७॥४७७७७७७७ए॒रशशिओ 





रद लूक। [२३ पर्व द 


५ ९. शक 2 50 2 > 
४४ ओर दे पचदर के समय से देश पर अंधियारा 
स् १2% 6. न ८ + 
छाके तोस रे पहर ले रहा। ४५ सय अधियारा हुआ 
और मंदिर का ओक्कल मध्य से फट गया। ४६ तब 
यिशु बड़े शब्द से जला के बाला, हे पिता में अपना 
न ०७ *७, रह का 
आता तर हाथ म सांपता हां और यह कहिक अपना 
प्राण त्थागा। ४७ तब बोतेहृए का देख के शतपति ने 
ईश्वर कौ स्तुति किई और कहा कि निश्चय यह मनुय्य 
धर्मी था । ४८ ओर सब लेम जे! यह देखन का एकडट्टे 
0 / पक, कक 2-7 पक को 2 ८ 
हुए थे उन बौतौहुई बातों का देख के छातियां पीट 
पीट उलटे फिरे। ४८ जैर उसके सब चिह्तन।र चार 
सौ जे गालोल से उस के साथ आई थीं टूर खड़ो,चे।के 
यह बातें देखर हौ थीं । 
४० और यिह्लदिय: के एक नगर अरमतिया का 
+ रो ब्ृ 
युस्फ नाम एक मंत्रों ने, जे। उत्तम मनुब्य आर धर्मी 
५ ; ड़ ८ 
पुरुष था। ४५९ (आर उनके परामश आर काय में युक्त 
५ ८ जा हतः 
नथा) आर ईश्वर के राज्य को बाट भा जाइता था। 
कक कर थे जे 
५२ पिलात पास जाके यिशु को लाथ मांगो । ४३ आर 
के न ० ०७. डे .. ७ 
उस उतार के कपड़े में लपेटा आर एक समाधि में, जे 
चटान म॑ खादौगई थी, जिसमें कधो काई रक्‍्खा न गया 
५ 
था धरा। ५४ ओर वुद्द बनाउरी का दिनथा ओर 
2 ५ तु * 
बिश्राम सनौप था। ५५४ ओर स्त्रौभी, जे। उसके संग 
तो « 
गालींल से आई थीं पीछे हे। लिई ओर समाधिकेा और 
जिस रौति से उसकौ ले।थ रक्‍्खी गई देख रकक्‍्खा। 


२४ पब्बे] ६08: 2 0000 . रृद्ू७ 


५ न्‍ ५ 
५६ ओर इन्हों ने फिर के सुगन्ध द्ब्थ और तेल सिद्ध 
५ | ५ ७ और 
किया आर आज्ञा के समान बिग्याम में चनकिया। 
3 
२४ चेाबोसवां पब्बे । 
02285. 3 कु 5७... जा (४ के 
९ अब अठवा रे के पहिले बड़े तड़के वे सुगंध द्रब्यां 
का, जा उन्‍्हों ने सिद्ठ किया लेके समाधि पर आई 
और उनके संग कई अर भी आई। २ उन्हों ने उस 
पत्थर के। समाधि से ढुलकाया हुआ पाया। ३ गैर 
भोतर गई ओर प्रभु यविशु के लाथ के न पाया। ४ 
और ऐसा हुआ कि जब वे उस बात के लिये बहुत 
रो ६8०५ कर रेल) ३ 
ब्याकुल थीं ते तत्काल दे। मर्नुग्य चमकते बस्ल पहिने 
“प 2 जे 9५० 3 
हुए उनके पास खड़े हुए। ५ और जब स्खथियों ने 
डरकेमारे अपनी आंखें नीचे किई तब इन्हों ने उन्हें 
कह्दा कि तुम जौवते के ख्तकों में क्यों ढूंढ़तियांहे।! 
& हें | ब्र५े कक जप 
हैं वृद् यहां नहीं परंतु जौठठा ह॑ चेत करा कि 
गालोल में हेते हुए उसने तनन्‍्हं क्या कद्ा। ७ कि 
न्हे बे 00] ०५. ०२९० 
अवश्य है कि मनय्य का पुत्र पाषियों के हाथ में सेंपा 
ञ्ै ब्द ६. ७ 
जाय और क्र्स पर माराजाय चर तोसरे दिन फेर 
 उठ। ८ तब उन्‍्हों ने उसके बचन स्मरण किये। ८ आर 
समाधि से फियी और उन बातों के उन ग्यारह 
न्‍ > जे 
अर औरें के सुनाया। ९५० मरियम मगदली ओर 
ब््‌ के 
युआना ओर याकब की माता मरियन अरू ओर उन 
संग थों जिन्‍्हों ने ये बातें प्रेरितां से कहीं। ९९ परन्तु 
० से 
उनकी बात उन्हें व्यथे कद्दानी सो समझा पड़ीं ओर 


श्प्८ लूक। [२४ पब्बे 
आओ ९, हम 2-- < 
उन्‍्हां ने उनको प्रतोति न किई। १५२ तथापि पथर | 
कर ० ब्ड "8... पर बे 5. ः 
उठके समाधि की आर ढाड़ा आर नोच ककके केवल 
कर कप ५ 
रूती कपड़ के पड़ाहुआ देखा आर उस बात से, 
जे। बोतगई थौ मन में आञ्यय करता चलागया। 
९३ आर उसी दिन उन में से दे। अस्माअस नाम एक 
अफ की पर, ० कक के । हज 
गांव के जे यिरुशालम से पाने चार कास पर था, 
जाते थे। ९४ और आपुस में उन बोतीहुई सारो 
बातों की चचा करते थ। ९५५ ओर णऐेसा हुआ कि 
हर ९ कह परत: 
जब वे चचा ओर पक पाक्त कर रहे थे बिशु आप, 
पास आकर उनके संग हे।लिया। ९६ परन्तु उनको 
कम 32000 ० बकरे 0 
आंखें पर यहां लां आड़ हे।गया था कि उन्‍्हों ने डसे. 
५ श्न् + ५" रे 
न पहदिचाना । ९७ ओर उसने उन्हें कहा कि यह केसी 
बातचोंत है जे। तुम गेल में चलतेहुए एक दसरे से 
0 3० २७% मे 
कइतेहे। और उदास हे। ? ९८ तब उनमें से लेंडपास 
एक ने, उत्तर देके उसे कह्दा क्या विरुशालम में त्‌ केवल 
बिदेशी है कि इन बातों का, जो इन्हीं दिनां में वहां 
बोतोहें नहों जानता! ९८ उसने उनसे पक्का कि 
कान सौ बातें ? फेर वे उसे बाले कि यिशु नासरी के 
बिषय को जा ईश्वर के आर सारे लागों के आगे 
भविय्थदक्ञा था आर बाल चाल में सामर्थी था। २० 
गे ३ 5 बा, पे 8 0, 
आर क्योंकर प्रधान याजकां आर हमारे प्रधानां ने उसे 
4 
पकड़वा के उसे घात करने की आज्ञा किई ओर डसे 
क़ूस पर घात किया। २९ परन्तु इन भरोसा था कि 


२४ पब्बे] लूक । रप्प्ट्‌ 


यह वही इसराईल का म॒क्तिदाता था आर उन सभों से 
अधिक आज तौसरा दहिनहें जब से ये बातें हुई। 
२२ चर हमारी जथा को कितनौ च्चवियें ने भो हमें 
आचंभित करदिया जे। भार के समाधि पर गई । 
२३ ओर उसको ले।थ न पाके, यह कहती आई कि 
इम ने दू तों.का' दर्शन पाया जे। कद तेथे कि वह्द जौता 
है। २४ तिसपर हमारे कई रंंगीो समाधि पर गये 
और स्त्रियां के कहने के समान पाया परन्त उन्‍्हों ने 
उसे न देखा । २५ तब उसने उन्हें कद्दा कि हे अज्ञान 
और भविव्यदक्तों को कदह्दौहुई सारी बातों में अल्य 
बिद्यवासियेा । २६ क्या मस्तेह कष्ठ उठाने ओर अपने 
ऐेश्वथ में जाने के उचित नथा! २७ तब उसने मसा 
से आरंभ करके सारे भविय्यदक्तें ला अपने बिषय की 
सारौ बातें उनके आग बन किई । २८ जब वे उस 
गांव के पास जिधर वे जाते थे पहुचे व॒द्द ऐेसा दिखाई 
देता था जैसा कि वुद्द आगे के। जाबाचाइता हैं। २८. 
परन्तु उन्हें। ने यह कछहिके उसे मनाया कि हमारे संग 
रह क्योंकि अबर हेती है और दिन बहुत ढलगया 

'तब दुच्च उनके संग रहने के भौतर गया। ३० और जब _ 
बुदद उनके संग भाजन पर बेठा था ऐसा हुआ कि उसने 
राटो उठाके आशोबाद किया और तोड़ के उन्हें हिई। 
९ तब उनको आंखें खलगई ओर उन्हों ने उसे पह्धि 


|, भ् मर पट 2. 
चाना और वुद लाप हुआ । ३२ तब उन्हों ने आपुस 
; 285 


६०४ लूक। द . [२४ पन्बे 


में कहा कि जब वृद्र हमारे संग मार्ग में बात कहता था 
और लिखे हुआ का अथ करता था क्या हमारे मन इसमें 
प्रज्ज्लित न थे? ३३ वे तत्काल उठके यिरुशालम का 
फिरे और ,' उन ग्यारहे के और उनके संगियें के यह 
कहते हुए पाया। ३४ कि प्रभु सचमुच जोौडठा हैं 
और शिमान का दिखाई दिया। ३५ जार उन्हों ने 
माग को बातें कहीं अर कि व॒द किस रौति से रोटी 
ताडने में पहिचाना गया। 

३६ और जब वे यों कछद्िरहे थे विशु आप उनके 
मध्य में खड़ा हुआ चर उन्हें कहा कि तुम पर कुशल । 
३७ वे भय करके डरगये और समझ्का कि इहम आत्मा 
देखते हैं। ३८ और उसने उन्हें कहा, तुम क्यों ब्याकुल 

है! ओर क्यों तुम्हारे मन में चिंता उठतौ है?! ह३८ 
मेरे हाथ पाओं के देखे कि में आपहीौहें मुझे ट्टोले। 
और बस्के क्योंकि आत्मा में हाड़ मांस नहीं होता जेसा 
तुम मुझ में देखते है। ४० ओर यह कहिके हाथ 
पांव उन्हें दिखाये। ४५ और जब वे आनन्द के मारे 
प्रतीति न करते थे और बिस्थित थे उसने उन्हें कहा कि 
तुम्हारे पास यहां कुछ भाजन है?! ४२ तब उन्हें ने उसे 
 घाड़ी सी भूनी मकलो ओर मधु का छत्ता दिया। ४३ 
उसने लेके उनके आगे खाया। ४४ जार उन्हें कहा 
कि ये बातें हैं जे। में ने तुम्हारे संग हाते हुए तुन्हें कहीं 
कि सब बातों कौ, जे। मेरे बिषय में मुसा को व्यवस्था 


| 


द 
द 


॥ 


साथय:..>मार०-क27 मम कमी. >नआाभ 


२४ पन्बे] लूक। २८९ 


और भविष्यदत्ञों में और भजन म हें प्री होनी अवश्य 


_ है। ४५ फेर उसने उनकी बड्डधि का प्रकाश किया कि 


वे लिखेक्ओं का समझभों। ४६ जैर उन्हें कहा कि 
यांहों लिखा है ओर थेंहों मसौद के दुःख उठाना 
और तौसरे दिन मुतकों में से जी उठना अवश्य था। 
४७ अर कि यिरुशालम से लेके सारे जातिगणा में 
| पटक के २ ०५ के ५ 
मेरे नाम से पद्मात्ताप ओर पापों के मोचन का उपदेश 
२ 
किया जाय। ४८ और तम सब इन बातों के साच्ौ 
पु ब् से 
है।। ४८ आर देखे में अपने पिता कौ बाचा के। तुम 
पर भेजता हों परन्तु जब लें ऊपर से पराक्रम न पाओआ 
यिरुशालम नगर म॑ बने रहे।। 
+ + 
५० ओर वृह उन्हें बेतनिया लें बाहर लेगया और 
अपना हाथ उठा के उन्हें आशौष दिया। ५९ ओर 
ऐसा हुआ कि उन्हें आशोष देते हुए व॒द उन से अलग 
हुआ जैर खग पर उठाया गया। ५२ तब वे उसे 
४ न नव -ु कप मर 
दंडवत करके बड़े आनन्द से यिरुशालम का लाटे 
| 0 थी ञ् कै 
और नित्य मंदिर में ईश्वर कौ स्तुति और धन्य मानते 
रहा किये। आमोन। 


मंगल समाचार याह्न रचित ॥ 
आः--द3--%7- 


९ पहिला पब्ब। 
९ आरंभ में बचन था आर वह बचन ईश्वर के संग 
दे के ०७ न 
था और वृद्द ईश्वर था। २ वद्दौ आरंभ में ईश्वर के 
संग था। ३ सब कुछ उस्म रचागया ओर रचित में 
धनिक बस्तु उस बिना नहों रचौगई। ४ उस मं जौवन 
था ओर व॒ुचद् जीवन मनुय्यों का उंजियालाथा। ५ 
५ प ह ;- ० रू ५ 
आर वह उंजियाला अंधियारे में चमकता है ओर 
» दि 5७० पक कि> "8 
अधियारे ने उसे न ब॒क्का । 
; हर ० ६६... छ् 
६ याहन नाम का एक जन ईश्वर कौ आर से भेजा 
गया था। ७ वही साथ्यो के लिये आया कि उंजियाले 
पर साज्षों देवे जिसत उसके कारण से सब बिग्यास 
लावं। ८ से उंजियाला आप नथा परन्तु उस उंजियाले 
पर साज्षौ देने का आया। ८ सत्य उजियाला वृच् था 
जे! जगत में आके उहर एक मनुष्य का उजियाला करता 
है। ९० बच जगत में था आर जगत उस्मे रचागया 
3, जय &- रे कक 
आर जगत ने उसे न पद्चिचाना । १५९ वद अपन निजों 
. पास आया और उसके निजें ने डसे ग्रहण न किया। 
१२ परन्तु जितने उसे ग्रहण करके उसके नाम पर 


जे 
| 





.. घब्बे] 3008 0 रट्हं 


बिश्यास लाये उसने उन्हें ईश्वर के पुत्र हेनने का पद ढिया। 
5 ०3 को! जप 
९३ जे न ता लाह से आर न शरोर को इच्छा से न 
मनुय्य कौ इच्छा से परन्तु ईश्वर से उत्पन्न हुए हैं। ९४ 
और उसो बचन ने अवतार लिया ओर कुपा और 
रे लि, >> गन रु 
सच्चाई को भरप्रो से हक्‍्म बास किया आर इम ने 
उसकी महिमा का पिता के एकलेोते की महिमा के 
नु ० रे कर 6. 
समान देखा। १५५४ येहन उसके लिये साक्षौ ढिई और 
पुकार के कद्दा कि यह वह है जिसके विषय में में ने 
2 0४३ कौ ३ बे बल लए बे ३ ११२ 
कहा कि जे। मेरे पोछ आता है सा मुस्य अ्रष्ठ है क्यांकि 
वह मुझ्ये आगे था। ९६ ओर उसको भरपरी से हमने 
हर] हे ।/ 
(६ र) (हा 
क॒पा पर कुपा पाईं। १७ क्योंकि व्यवस्था मुसा से दिई 
गई कुपा आर सच्चाई यिशु मसौह से पहुंचौ। श्८ 
ह॒ प्र ० ९ 
ईश्वर का किसौ ने कभी न देखा है एकलोते पुत्र ने, 
जा पिता की गाद में है उसे प्रगट किया । 
९6 जब यिह्ूदियां ने याजकां ओर लेबियां का 
दि 
यिरुशालम से डसे पकने का भेजा कि त्‌ कान है याहन 
हे साक्षी यह थौं। २० उसने मान लिया अर नाह 
हत किया परन्त मान लिया कि में मसीह नहीं। २९५ 
फेर उन्हों ने उसे पछा तो क्या त्‌ इलिया है! उसने 
कहा कि नहों त्‌ वृद्द भविश्यद्क्ता है? उसने उत्तर दिया 
कि नहों। २२ तब उन्हों ने उसे कहा कि त केन है! 
जिसतें जिन्‍्हों ने इमं भेजा हम उन्हें कुछ उत्तर देवें त्‌ 
हु बिषय में क्या कचद्दता है? २३ उसने कहा कि. 


। 
|! 
|; 
ग! 
हैं! 


श्ट्ड याहन | [९ पते 


५ के ०. न्त्ं 
जेसा ईंषाया भविय्यद्रक्ञा ने कद्दा है में एक का शब्द हे 
जे बन में पुकारता है कि परमेश्वर के मार्ग के सौधा 
करे । २४ ओर जे भेजे गये से फिरुसियों में से थे। 
बा के 
२५ उन्हों ने उसे पूछा और कहा कि यदि तु मसौह 
अथवा इलिसा नहीं अथवा वुद भविश्यद्क्ता नहों ता 
२2 9 २० हे न ५ ७ अर 
फेर क्यों खान देता है? २६ याहन ने उन्हें उत्तर देके 
कहा कि में जल से स्नान देता हों परन्तु तुम्हारे मध्य में 
एक खड़ा है जिसे तुम नहीं जानते। २७ सो वुद्द है 
जे मेरे पीछे अआके मस्ते श्रेष्ठ है जिसको जूती का बन्द 
खेलने के में याग्य नहीं। र८ ये सब अदून पार 
बैतिद्बर: में हुण जहां याहन स्नान देताथा। २८ 
फेक हर 22983 के 28. बबीता 
डुसरे दिन बाहन न बिशु के अपनो और अआते देखके 
कहा कि देखे ईश्वर का मेन्ना जे। जगत के पाप का ले 
५ >> ७ भें हैक. 
जाता है| ३० यह वह है जिसके बिषय में में ने कहा 
री ३८7८० ७० अल वा ७ 
कि एक मनृव्य मेरे पीछे आता है जो मुस्म श्रष्ठ है 
5330 शक हल. च्जै कक. 2 
क्यांकि वुद्द मुस्झु आगे था। ३९ आर में उसे न जानता 
था पर जिसतें वह इसराईल पर प्रगट हे।वे में जल से 
दि रा रन (2४० के" 2, 
स्नान देला आया हें । ३२ और याहन ने साछ्षो देके 
अ ० कह वे » ८. ३५ 
कहा कि में न आत्मा के कपात कौ नाई खगेसे उतरते 


| | 


| 
द 


| 


और उस पर ठचदरते देखा। ३३ और में उसेन 


9७० 
जानता था परन्तु जिसने मुझे जल से स्तान देन के 
भेजा उसने म॒भे कहा कि जिसपर तू आत्मा के उतरते 

; आर 
कर ठद्दरते देखे से वृद्द है जे। धमोत्मा से स्लान देला 


. ९ यजब्बे] याइहन । र्ट्पू्‌ 


है। ३४ चर मेंन देखा ओर साक्षी देता हों कि 
यह ईश्वर का पत्र है । 
छप कर र्‌ पर 

३५ फेर दूसरे दिन वेाहन ओर उसके शिय्यों म॑ से 
कर के रु करू | व 0 ्छ 
ढा खड़े थ। ९६ चार यिशु का चलते देखक उसने 
कहा कि देखे इंश्वर का मेम्न्ना । ३७ आर वे दे शिव्यो 
उसका बचन सुनके यिशु के पीछ हेलिये। ३८ तब 
यिशु ने पीक फिरके उन्हें आते देखा ओर कहा कि 
तुम क्या ढूंढ़ते हे। ! उन्हीं ने उसे कहा कि हे रव्वौ 
अथात हे गुरु आप कहां रहते हैं । ३८ उसने कहा 
कि आओ।, देखे, ओर जहां वृद्द रहता था डन्‍्हों के 
आके देखा आर उस दिन उसके रंग रहे क्योंकि दे 
घंटेक अटकल दिन रह्िगया था। ४० उन दोानोंमे से 
कब 02000 » '. ले हक 2 हर 
जे याहन को सुनके उसके पीछ गये एक शिमान पथर 
का भाई अंद्रया था। ४९ उसने पहिले अपने सगे भाई 

न के 
शिमे।न के। पाया आर उस कहा कि हमन मसीह केः 
पाया जिसका अथे अभिषिन्ञ है। ४२ तब वृचद्द उसे 
यिज्ु पास लाया ओर यिशु ने उसे देखके कहा कि 
; हे. ६3० * ९. 
_ तू यना का बेटा शिमान है त्‌ किफास अधात पथर 
कहावेगा । 
हि: ह0.. है. फप 

४३ अगिले दिन यिशु ने गालोल का जाने चाहा 

और फिलिप का पाके उसे कहा कि मेरे पौछ हेले॥ 
लि 2 ब्ु डे 

४४ अब फिलिप अंट्रया और पथर के नगर बेतसढा 
का था। ४५ फिलिप ने नातानायेल के पाया और 


शहद याइलओ [२ पब्मे द 


उसे कहा कि हम ने उसे पाया किसके बिषय में मसा ने 
०७ ३०. ८9586 कल २१ 

ब्यवस्था में और भविश्यद्कक्तां ने लिखा है कि यसफ का 
पुत्र यिशु नासरी । ४६ नातानायेल ने डसे कहा कि 
काई अच्छो बस्तु नासरः से निकलसक्ौ है! फिलिप ने 
डसे कहा कि चल और देख । ४७ यिशु ने नातानायेल 
यह हैरक हि ब््के “सह, 

का अपनी ओर आते देखा और उसके बिषय में कहा 
कि देखे एक सच्चा इसराईलो जिस में कपट नहों। 

४८ नातानायेल ने उसे कहा कि आप मुझ्के कहां से 
जानते है! यिशु ने उत्तर देके उसे कहा कि फिलिप 
के बुलाने से आगे जब तृ गलर पेड़ तले था में ने तब्के 
देखा । ४८ नातानायेल न उत्तर देके उसे कहा कि हे 

ने ३० ५ 
गुरु आप ईश्वर के पुत्र हैं आप इसराईल के राजा हैं। 
धू० थिशु ने उत्तर देके उसे कच्दा कि में ने जा तुझे 
गलर पेड़ तले देखा इस कहने के कारण त्‌ बिश्वास 
लाता है? त्‌इन से बड़े काय देखेगा। ५५ फेर उसने 

न ५ न हक». “५ के 
उसे कहा कि में तुन्हें सत्थ सत्य कद्ठता हें कि इसके 
और 6 न बच ॥ 
पोछ तुम खगे के। खुला आर ईश्वर के द्वतां का ऊपर 
जाते आर मनुय्य के पुत्र पर उतरते देखेग। 
२ दूसरा पब्बे। 

. ९ ओर तोसरे दिन गालौल के काना में श्क बियाह 
हुआ जार यिशु कौ माता वहों थो। २ विशु और 
उसके शिव्य भी उस बियाह में बुलाये गये थे। ३ और 
जब दाखरस थाड़ा रह्दा ते यिशु की माता ने उसे कहा 


| 


| 
| 


२ पब्ब] येषहन । २८७ 


कि उन पास दाखरस नहीं । ४ यविशुन उसे कहा कि 
जि ्् 0० घ। 2 
हे सत्रो तुस्म मुझ क्या काम! मेरा समय अबलों नहों 
आया। ५ उसको माता ने सेवकों से कहा कि जा कुछ 
बृच्द तन्‍्हें कहे से कौजिये। € और यिहदियों के 
कल 225. / 2५. ० कर हित. 
“पवित्र करन को रौति के समान वहां पत्थर के छः मटके 
20 जा आप 
घरे थ हर एक में दा अथवा तौन मन को समाई थो। 
हक के है ४8... हक. हु कै व 
७ यिशु न उन्हें कहा कि मटकां मं जल भरा सा डन्‍्हों 
ने मंहेमंह भरा। ८ फेर उसने उन्हें कहा कि अब 
निकाले और जेवनार के प्रधान पास लेजाओ सोचे 
लेगये। ८ जब जेवनार के प्रधान ने उस द्ाखरस का 
चौखा जे। जल से बना था ओर न जाना कि वह कहां 
से था परन्तु जिन सेवका ने उस जल का निकाला था 
कब कर कक हि हा 
सा जानते थे उसने ट्ल्हाका बुलाक कहा। १० कि 
हर एक मन॒ख्थ पहिले अच्छा दाखरस देता है आर 
- ८ ०. के ५० बे ०४२ 
जब लाग पौके क्षकते हैं तब मध्यम देता है, पर त ने 
व बल पे व 
अच्छा दाखरस अबले रखक्ाड़ा है। ९१९५ यह आययां 
॥ ५ व कह ०७ ५ | 
'का आरंभ यिशु ने गालौल के काना भें किया चर 
अपनो महिमा प्रगट किई और उसके शिम्य उस पर 
विश्वास लाये। ९२ उसके पौछ व॒च और उसकी माता 
और भाई और उसके शिव्य कपरनाइम में गये पर वें 
वहां बहुत दिन न ठहरे। 
१३ तब यिह्ूदियां का पार जाना पब्बे समोप आया 


और थिशु यिरशालम के गया। ९४ ओर बेल गैर 
आग 


है 


रट्द येहन । [२ पब्बे 
0008 छः । 
भेड़ और कपेत के बेचवर्यों के। और खरदियों का 
० न 
मन्दिर में बेठ हुए पाया। ९५ तब उसने रक््सी का 
के ५ 20232, ३ /७५४३५ ७५. ७. ३० ५ खिल मु है 
चाबुक बनाके उन सभों के बेलोें अर भेड़ें समेत मंद्रि 
से बाहर निकाल दिया आर खूरदियें के गराकड़ केा 
५ 80 00000 / १ ५ 
बिथरा दिया आर मंचें का उलट दिया। ९६ आर 
8. 23 को को. ०. ० 22. जल. 
कपात के बचवया से कहा कि इन बस्तुन का यहां से 
०-१ छ अर 73. ८ 
दूर करो मेरे पिता के घर का ब्यापार का घर मत 
हर बज कप 2 लय २... 7३ 
बनाओआ। ९५७ आर उसके शिम्थां ने इस लिखे हुए 
बचन का, कि तेरे घर के ताप ने मुझे खालिया है। 
९८ तब यिह्ह॒ दिये ने उत्तर दिया आर उसे कहा कि 
०७ को म५५ 
आप हमें कानसा लक्षण द्खिाते हैं जे। यह काये करते 
क३७ व कर न 
हू! ९८ यिशुन उत्तर देके उन्ह कद्दा कि इस मन्दिर 
ु कक, ०७ जब 
का ढादें आर तोन दिन में इसे उठाओंगा। २० तब 
यिह्ल दियें ने कहा कि इस मंदिर के बन्न में छियालीस 
हल च् हे त+ बिक >ाप 
बरस लग और उसे तौन दिन में उठावेंग ! २९ परन्तु 
उसने अपने देह क मंद्रि के बिषय में कद्दा। २२ इस 
' लिये जब वुच्द मृतकों में से जोउठा उसके शिष्यों ने चेत 
किया कि उसने उन्हें यह कद्दा था ओर वे लिखे हुए 
पर ओर यिशु के कहे हुए बचन पर बिश्वास लाये। 
२३ ओर जब वह पार जाना पर्न्व में यिदशालम में था 
बहुतेरे उसके आअये कायों के। देखके उस पर बिग्यास 
लाये। २४ परन्तु यिशु ने अपने तई उन पर न छोड़ा 
क्योंकि दृद्द सब के जानता था। ९५ और अवश्य न था 


३ पब्बे] येाहन । 'रढ्‌ल 


कि मनुव्य के बिषय में काई साज्षौं देवे क्योंकि वृह 
जानता था कि मनुब्य में क्या है / 
। ३ तोसरा पब्बे। 

९ विह्दियों का एक प्रधान निकटौम नाम का एक 
फिरुसी था। २ जे। रात का यिश पास आया चर 
उसे कहा कि हे गुरु हम जानते हैं कि आप इंशर को 
आर से उपदेशक हेोके आय ह क्योंकि काई मनय्य यह 
आशय जे। आप करते हैं जब लो इंश्र उसके संग नहे। 
नहीं कर सक्ता। ३ यिशु ने उत्तर देके उसे कहा कि 
मैं तक सत्य सत्य कहता हे कि जब लों मनय्य फेर के 
उत्पन्न न दावे वह ईश्वर के राज्य का देख नहों सक्ता। 

. ४ निकटौम ने उसे कहा कि जब मनुब्य बुद्च हुआ वुच् 
क्यांकर उत्पन्न हे। सक्ता है ! क्या वुद्द फर के अपनी माता 
की केख में जाके उत्पन्न जेसक्ता है! ४ यिशु ने उत्तर 
दिया कि में तुझे सत्य सत्य कहता हे कि जब लो मनुय्य 
जल से और आत्यमा से उत्पन्न न देवे वृच्द ईश्वर के राज्य 

में नहों जासक्ता। ६ जे देह से उत्पन्न हुआ है से देह 
| है और जे आत्मा से उत्पन्न हुआ है से आत्मा है। 

७ आशय मत मान कि में ने तुझे कहा कि तुन्हें फेर के 
उत्पन्न होना अवश्य है। ८ पवन जिधर चाहता है 
उधर चलता है और त उसका शब्द सुनता है परन्त 
नहीं जानता कि वह कहां से आता है ओर किधर 

_ क्राजाता है ऐसाहीो हर एक है जो आत्मा से उत्पन्न 






हे ०० येाइन हा । [३ पन्ने 


हुआ है। ८ निक्ह्रोम ने उत्तर देके उसे कहा कि ये 
बातें क्योंकर हेसक्ी हैं? ९० यिश्ु ने उत्तर देके उसे 
कहा कि त्‌ इसराईल का उपदेशक हेके ये बातें नहीं 
जानता ? ९१ में तक सत्य सत्य कहता हे कि जे। इम 
जानते हैं से कहते हैं ग्रैर जे। हमने देखा है डस पर 
साज्षो देते हैं परन्तु तुम हमारी साक्षौ नहीं मातते। 
९२ यदि में ने तुन्हं संसारिक बातें कहों ओर तुम 
प्रतोति नहों करते ते जब में तुन्हें खर्गीय बातें कच्चे 
ते क्योंकर प्रतीति करोगे! ९३ क्योंकि काई मनय्य 
खगे पर नहीं उठ गया परन्तु केबल बुद्द जा खग से 
उतरा अथात मनृय्य का पुत्र जा खग में हैं। ९४ और 
जेसा मसा ने बन में सांप के ऊपर उठाया तेसाही 
अवश्य है कि मनृव्य का पुत्र भौ उठाया जाय। ९५ 
जिसते॑ जे। केाई उस पर बिश्वास लावे से नाश न हे।वे 
परन्तु अनन्त जीवन पावे। ४ 

९६ क्योंकि ईश्वर ने जगत पर ऐसा प्रेम किया कि 
उसने अपना एकले।ता पुत्र दिया कि जे! काई इस 
पर बिश्वास लावे से नाश न हे।वे परन्तु अनन्त जोवन 
पावे। ९७ क्यांकि ईश्वर ने अपने पुत्र का जगत में 
इस लिये नहीों भेजा कि जगत के। देघो ठहरावे परन्तु 
जिसतें जगत उस्से उड्डार पावे। ९८ जे। डस पर बिश्वास 
रखता है से। देषी नहीं परन्तु जे! विश्वास नहीं रखता 
से। देबौ हेचुका इस लिये कि वुद्द ईश्वर के एकलेते | 





हैं पन्ने] येइन। ३०९ 


32038 3.5 ४६ »& 
पुत्र के नाम पर बिग्यास न लाया । ९८ और दाष यह 
है कि उंजियाला जगत में आया और मनुग्यों ने 
अंधियारे के उंजियाले से अधिक प्रीति किई इस कारण 
कि उनके कम्म बुरे थे। २० क्योंकि जो काई बराई 
« ब्््‌ ब् कई हर 
करता है से उजियाले से बेर रखता है और उजियाले 
के पास नहीं आता नहे। कि उसके कम्मे प्रगट होवें। 
कि. कर के 82. + कर 
२९ परन्त॒जा सत्य का पालन करता है से उंजियाले 
के पास आता है जिसतें उसके काय प्रगट देवें कि वे 
््् ७ ०० ५ कि 
ईश्वर में किये गये हैं। २९ इन बातों के पोछ चिश्ञु 
और उसके शिग्य यिज्दिय कौ भूमि में आये गैर 
उस ने वहां उनके संग कुछ दिन ठच्दरके खत्वान दिया। 
२३ गैर याहन भी सालिम के पास ऐनन में खान 
देता था इस कारण कि वहां बहुत जल था ओर लाग 
बी ५७०: बी. स्फि कुक 
आग आके स्लान पाते थे। २४ क्योंकि येहन अबले 
बंदौगुद्द में डाला न गया था। २५ तब याइन के 
शिव्यों सें गैर यिल् दिये में पवित्र करने के बिषय में 
'बिबाद हुआ। २६ आर वे येइहन के पास आये और 
४ न ब न ८ न्‍ 
उसे बाले कि गुरुजी जे अदन पार आप पास था 
जिस पर आप ने साझी दिई देखिये कि वुद्द खान देता 
व १० न लर्‌ 
है और सब उसके पास जाते हैं। २७ येहन ने उत्तर 
देके कहा कि जब्लें मनुष्य के खग से न दिया जाय 
बुच्द कुछ पा नहीं सक्ला। र८ तुम आपहो मेरे साज्षौ 


द्ु - डे 2] ं | 
ग कि में न कहा कि में मसौह नहीं परन्तु उसके 
४ 26 


३०२ येाइन। [४ यब्बे . 


आगे भेजागया हां। २८ जिसकौ दर ल्हिन है से दूल्हा 
है परन्तु दूल्हा का हित जे। खड़ा हेके उसकी सुनता 
है से दल्हा के शब्द से बड़ा आनंदित होता है इस 
लिये मेरा आनंद पुरा हुआ। ३० अवश्य है कि वृष 
बढ़े और में घटं। ३९५ जे। कपर से आता है से। सब 
से बड़ा है जे। पुथिवी का है से पा्थिव है आर पुथिवी 
की कहता है जो खग से आता है से। सब से बड़ा है। 
३२ आर जे कुछ उसने देखा और सुना है उसको 
साक्षौ देता है चर काई उसको साक्षी ग्रद्ण नहीं 
करता। ३३ जिसने डसकी साज्गो ग्रहण किई है 
उसने छाप किया है कि इंशअर सत्य है। ३४ क्योंकि 
जिसे ईश्वर ने भजा है से ईश्वर की कइता है क्योंकि 
इंथर उसे आत्मा परिमाण से नहीं देता। ३५ पिता 
पत्र के। प्यार करता है और सब कुछ उसके बश्न में 
किया है। ३६ जे प॒त्रपर बिश्वास रखता है से। अनन्त 
जीवन रखता है अर जो पुत्र पर बिश्वास नहीं रचता 
से जौवन के। न देखेगा परन्तु ईश्वर का केप उस पर 
धरा है। 
४ चाघधा पन्ने । 

९ प्रभ ने यह जानके कि फिरुसियां ने सुना कि 
विशु ने स्तान दे दे के येहन से अधिक शिष्य किये। २ 
(यदह्यपि यिशु आप नहीं परन्तु उसके शिषव्य स्तान देते 
थे) । ६ सब के छाड़ के वुद्द गाचील के। फिर गया। 


४ पब्ब] येइहन। ३०३ 


. ४ आर सामर: में हेके उसे जाना अवश्य था। ५ तब 
सामरः के सेकर नाम एक नगर में वुद्द उस भूमि के पास 
पहुंचा जे याकब ने अपने बेटे यषफ के दिईथी। € 
और याकूब का कंचा वहीं था से विशु यत्रा से थका 
हे।के उस कुंए पर योंच्दौ बेठगया, बच्द दे। पद्र के लग 
भग था। # 

७ सामर: की एक स्त्री पानी भरने के आई ओर 
विशु ने उसे कहा कि सुम्भे पोनेके दे। ८ (क्योंकि 
उसके शिव्य भोजन मेल लेने नगर में गयेथे)। ८ 
सामर: को उस स्त्री ने डसे कहा कि यधद केसा है कि 
'विहूदौ देके आप मुझ सामर: को स्लौ से पीनेकेा 
मांगते हैं? क्योंकि यिहूटी सामरिये से व्यवहार नहीं 
रखते। ९० थिशु ने उत्तर देके उसे कच्दा कि यदि तु 
ईश्वर के दान के चर उसके जानती जे तक्के कद्दता 
है किमुझतेपीने का ढे ते त्‌ उस्मे मांगती ओर वुच्द 
तुझे अमुत जल देता! ९९ चली ने उसे कहा, महा 
शय आप के पास खेंचने के कुछ नहीं और का गछहिरा_ 
है फेर आप पास यह अमृत जल कहां से है। ९२ क्या 
आप हमारे पिता याकूब से बड़े हें किसने यद् कूंआ 
हमें दिया और उसने आप असर उसके बालक ने और 
उसके पशुन ने उस्से पौचआ! ९३ यिशु ने उत्तर देके 
उसे कद्दा कि जे! क्षाई यद् जल पीता है से। फेर प्यासा 
हे।गा। ९४ परन्तु जे! मेरा दिया हुआ जल पौता है 


र्‌् येइहन | [8 पब्बे 


और अनन्त जीवन के लिये फल बटारता है जिसतें 
कई: की कट. प कक. प विज 
बाने वाला और लवने वाला मिलके आनन्द करे। 
9 + है ०. 
३७ आर इस में यद्ध बचन सत्य है कि एक बाता आर 
बज कर 

डूसरा लवता है । ह८ जिसमें तुम ने परिश्रम न किया 
उसे में ने तस्हें लवने के भेजा है औरोें ने परिश्रम किया 
बे २५ कर दे ०७ 9. 

है ओर तुम ने उनके परिअ्रम म॒ प्रवेश किया । 

स 3०० कैट 
३८ और उस नगर के बहुत से उस सामरो स्त्री के 
कहने से उस पर बिग्यास लाये जिसने साज्षो दिई कि 
जे। कुछ में ने कभी किया उसन सुझ्के बता दिया। ४० 
और सामरियें ने उव पास आके उसकी बिनती किईं 
कि हमारे संग ठदरिये सा वुह दे दिन वहां रहा। ४९ 
और बहुतेरे उसो के बचन के कारण बिग्वास लाये। 
४२ ग्आर उस सल्रों के कहा कि अब हम केवल तेरे 
कहे से बिश्वास नहीं लाते क्योंकि हम ने आपह्ौ सुना 
के९५ 
आर जानते हे कि यह निश्वय जगत का मुज्तिदाता 
मसोह है। 
2७4 
४३ और दे दिन पोहू वृद्द वहां से सिधार के 
गालोल के गया। ४४ क्योंकि यिशुु ने आप साक्षो 
दिई कि भविष्यद्क्ता अपनेड्ी देश में आदर नहीं पाता। 
>> हल. 5० 

४५ ओर जब बुद्ध गालौल में आया ता गालौलियोंं 
ने उसे ग्रहण किया क्योंकि सब कुछ जे। उसने पब्वे के 
बीच यिरुशालम में किया था उन्‍्हों ने देखा था क्यांकि 
वे भी पब्बे नें गये थे। ४६ और यिशु फेर गालौल के 


8 पब्ब] येहन। ३०७ 


काना में आया, जहां उसने जल के दाखरस बनाया था 
और वहां एक प्रतिछित मनय्य था जिसका बेटा कपरना 
हम में रागो था। 

४७ जब उसने सुना कि यिशु यिह्लदिय से गालौल 
में आया ता उस पास जाके बिनतीो किईं कि आरके मेरे 
बट के। चंगा कोजिये क्यांकि वृच्ठ मरने पर है। ४८ 
यिशु ने उसे कद्दा कि जबले तुम लक्षण ओर आशञ्यर्य न 
देखे। तुम बिगश्यास न लाओआगे। ४८ उस प्रतिष्ठित 
मनुख्य ने उसे कहा कि हे महाशय मेरे लड़के के मरनेसे 
आगे आइये। ५० यिशु ने उसे कहा कि जा तेरा बेटा 
जोता है और उस मनुय्य ने यिजु के बचन पर प्रतौति 
किई और चला गया। ५९ वृद्द जाताही था कि उसके 
सेवक उसे मिले और कहा कि आप का बेटा जौता है। 
भू तब उसने उन्हें पूछा कि वृद्ध किस घड़ौ से चंगा 
ह।ने लगा उन्‍हें ने उसे कहा कि कल सातवों घड़ी से 
ज्वर ने उसे छाडा। द 

५३ तब उसके पिता ने जाना कि उसी घड़ी में यिज्ञ 
न डसे कहा था कि तेरा बेटा जाता है तब वृद्र आप 
और उसका सारा घर बिश्यास लाया। ५४ यह फेर 
दूसरा आअ्य है जा यिशु ने विह्लदियः से आरके 
गालोल म॑ किया। 


३०८ .. याइहन। . [५ पन्मे 
धू पांचवां पब्ब। 
९ इसके पीछ यिहूदियें का एक पब्बे आया और 
यिशु यिरशालम के गया। २ अब यिरुशालम में भेड़ 
हर के व ब्५५ 
हाट के पास एक कुंड दे जिसके पांच आखारे हैं जे 
०-७ ३६ हे 
ईबरी भाषा में बेतसदा कहावता है। ३ इस में ट्बंल, 
५० टी कछ.. | वि री क 
अंधे, लंगड़े, अर कराये ऊओ कौ एक बड़ी मंडलो 
जल के डालने की आश। में पड़ी थी । ४ क्योंकि एक 
द्रत जब तब उस कुंड में उतर के जल के डाोलावता था 
०७७७ हट 02%, 0०० 4220० ६. फ जि छा 
और जल के डालने के पीछे जे। काई पहिले उस में 
0७ जक 28% + कं > 
उतरता था से। अपने राग से चंगाहेता था। ५ अर 
हर म्ल्् १. 
वहां एक मन॒ख्य था जे। अठतीस बरस से रोगी था। 
६ यिशु ने उसे पड़े देखके जाना कि वह बहुत दिन से 
३०५७ कर + ७०४ 
उस दशा में है ते उसे कहा कि त्‌ चंगा देने चाहता 
है! ७ उस दुबेल मन॒य्य ने उसे उत्तर दिया कि हे प्रभ 
मेरे पास केईं मन॒य्य नहीं कि जब जल डोले ते मुझे 
कंड में डालदे ओर जबसलें में आताहें दसरा मुस्खे 
८ $:%०प 33 हित ७ 
आग उतर पड़ता हे। ८ बविशु ने उसे कडा कि उठ 
५ 
अपना बिछाना उठा ओर चलाजा। ८ और तरन्त 
बच्द चंगा द्वेगया ओऔरु अपना बिछाना उठाके चल 
निकला जऔर वुद्द बियराम का दिन था। 
९० इस लिये यिह्लदहियें ने उस चंगें किये गये 
कं मे 
मनुय्य के। कहा कि यह बिश्वाम है बिछाना ले जाना 
तुझे डचित नहों। ९९ उसने उन्हें उत्तर दिया कि 


| 
| 


भू पब्ज] येाइन। ३०८. 


जिसने मुझो चंगा किया उसी ने सुभ्भ कहा कि अपना 
बिछाना उठाके चला जा। ५२ तब उन्हें ने डसे पका 
कि किस मनुख्य ने तुके अपना बिछेना लेजाने के! कहा 
हैं। ९३ अब उसने जे चंगा हुआ था न जाना कि 
बुद्ध कोन था क्योंकि उस स्थान में एक भीड़ थी आर 
यिशु वहां से इटगया था। १५४ इसके पोछ वचिशु न 


हू. ः- 22 0 2 * 
डसे मन्दिर में पाया और उसे कहा कि देख त चंगा 


हुआ फेर पाप न करना नहे। कि त्‌ अधिक बिपत्ति में 
डक. ह् हक 2 80 

पड़े । ९४ उस मनय्य ने जाके यिह्ल दियां से कच्चा कि 

जिस ने मुक्के चंगा किया से यिशु है। ९६ इस लिये 

विह्ूहियें ने यिशु का सताया और घात करने का 

उसके पीछ पड़े क्योंकि उसने बिश्राम दिन में यह किया 

था। 

९७ परन्तु थिश्ञ ने उन्हें उत्तर दिया कि मेरा पिता. 
अबले काये करता है और में भोौ करता हें। ९८ 
इस लिये यिहूदियें ने उसे घात करने के अधिक 
चाहा क्योंकि उस ने केवल बिश्राम के उलंघन न किया 
परंतु ईश्वर के अपना पिता कछिके आप के ईश्वर के 
तुल्य किया । ९८ तब यिश्यु ने उत्तर देके उन्हें कद्दा कि 
में तुन्ह सत्य सत्य कच्ठता डे कि जे। कुछ पिता के करते 
कप 2 ्रों ५2 
देखता है उसे छाड़ पुत्र आप से आप कुछ नहों कर 
सक्ता है क्योंकि जे कुछ वुद्द करता है सेाई पुत्र भो 

बह हक है दर हि 
करता दै। २० क्योंकि पिता पुत्र के प्यार करता है 


३९० येाइहन। [५ पब्बे 


ओर सब जे। आप करता है उसे दिखाता है और वुच् 
अर 2." ७८ के श्स् ८ 
उसके इन से बड़े काय दिखावेगा जिसते तुम आअ्यय 
2२2 5० ५ ०२०१ 
माने। २९ क्योंकि जेसा पिता मृतकों का उठाता है 
ड्<्‌ ० 
ओर जिलाता है तेसा पुत्र भी जिन्हें चाहता है 
जिलाता है। २२ क्यांकि पिता किसी मनृय्थ का 
बिचार नहीं करता परंतु उसने सब बिचार पुत्र के 
सौंप दिया है। २३ जिसतें जेंसा सब पिता का आदर 
३३५३ ० 2०० >> कमर 
करते है तंसा पुत्र का भो आदर करें जा पुत्र का 
9४. . ०. 2७. 267. नह 
आदर नहीं करता सा पिता का जिसने उसे भेजा है 
आदर नहों करता। २४ में तुन्हें सत्य सत्य कहता हे 
कि जे। मेरा बचन सुनता है ओर मेरे भूजने वाले पर 
बिग्यास लाता है से अनन्त जोौवन रखता है अगर देय 
है ८ स्‍ + कि. ऐ.. + 
में न पड़ेगा परन्तु म॒त्य से छटके जीवन के पहुंचा है। 
२५ में तुन्ह सत्य सत्य कहता हें कि समय आता है 
है. कक आर 
और अब है कि मुतक ईग्वर के पुत्र का शब्द सुनेंगे 
हक तय 5. 0९८ ने 
अगर सुन सुनके जीयेंगे। २६ क्योंकि जेसा पिता आप 
में जीवन रखता है तेसा उसने पुत्र का दिया है कि 
आप में जीवन रक्‍्खे। २७ ओर उसे न्याय करने कौ 
सामथ्ये भी दिई है क्योंकि वुद्द मनुण्य का पुत्र है। र८ 
इस्से आख्यय मत माने क्योंकि वुद्द समय आता है जिस 
में सब जे। समाधिन में हैं उसका शब्द सुनेंगे। २८ 
और निकल आवेंगे जिन्‍्हें। ने भलाई किई है से। जीवन 
के लिये जो उठेंगे ब्लर जिन्‍्हों ने बुराई किई है से! 


| थू पब्ब] येाइहन। ३९९ 


ढंड के लिये जो उठेंगे। ३० में आप से आप कुछ नहीं 
करसत्ञा जेसा में सुनता हें तेसा बिचार करता हे 
और मेरी आज्ञा ठोक है क्योंकि में अपनी इच्छा नहीं 
ढूँढ़ता परन्तु पिता की जिसने मुम्के भेजा है। ३९ यदि 
में अपने पर साच्ती टेड ता मेरी साज्ञनो ठोक नहों। 
३२ दूसरा है जे। मुझ पर साक्षी देता है आर में 
जानता है| कि जे। साक्षी वुद्द मेरे लिये देता है से 
सत्य हैं। ३३ तुम ने याहन पास भेजा गैर उसने 
सच्चाई पर साज्यो ढिई। ३४ परन्तु में मनुय्थ को साक्षो 
नहों चाहता पर तुन्हारी सुक्ति के लिये में ने ये बातें 
कहों । १५ वृद्द जलता और चमकता उंजियाला था 
और थोड़े दिन ले तुम उसके उंजियाले में मगन हेने 
चाइते थ। ३६€ परन्तु येह्वन कौसे में एक बड़ी साक्षी 
रखता हों क्योंकि जे। काय पिता ने मुझे करने के 
सेंपा है सेई कार्य में करता हे जे। मेरे लिये साक्षी 
देते हें कि पिता ने मुझे भेजा है। २७ और पिता 
जिसने मुझे भेजा है उसने मेरे लिये आप झाक्यी ढिई 
है तुम ने कभी उसका शब्द न सुना गैर न उसका 
_खरूप देखा। ३८ और उसका बचन हलुस्में नहीं है इस 
लिये कि जिसे उसने भेजा तुम उसका बिद्यास नहों 
_करते। ३८ लिखे हुए में ढूं ढ़ा क्योंकि तुम समुककते हे। 
कि उन में तुम्हारे लिये अनन्त जीवन है आर वेही मेरे 
लिये साज्षो देते हैं। ४० और जोवन पाने के लिये 


३९१२ येाइन | [६ पब्मे 


तम मुझ पास आने नहीं चाहते हे।। ४९ में मनुय्याँ 
से महिमा नहीं चाहता । ४२ परन्त में 

जानता हे कि ईश्वर का प्रेम तस्में नहीं है। ४३ में 
आपने पिता के नाम से आया हों और तुम मुक्त 
ग्रहण नहीं करते यदि दूसरा अपनेद्ौ नाम से आवे 
88." कर 22, अभ्ई ७०० “कही: दर 
ते उसे ग्रहण करेागे। ४४ यदि आपुस म एक हसरे 
की प्रतिष्ठा ग्रहण करते हे। और उस प्रतिष्ठा का जा 
केवल ईश्वर से है नहों ढूंढ़ते ता क्योंकर बिश्र।स लासक्े! 

दशक ५७५ ३ 2३९... ८-3 

४५ मत समक्का कि में पिता के आगे तम पर दाष 
लगाउंगा तुम्हारा देष दायक म॒सा है जिस पर तुम 

० ९८६: डे जि 
भरोसा रखते हा । ४६ क्योंकि यदि तुम लाग मसा पर 
बिश्वास रखते हे। मुझ पर भौ विद्यास रखते इस लिये 
कि उसने मेरे बिषय में लिखा। ४७ परन्तु यदि तुम 
लाग उसके लिखे हुए पर बिश्वास न करे तो मेरे बचन 

पाक कर | 
पर कसे बिग्वास करोागे। 
६ छठवां पब्बे। 

९ इनबातों के पोछ यिशु तिबिरिया के गालील के 
समुद्र पार गया। २ ओर एक बड़ी मंडली उसके पीछे 
हेालिई क्योंकि उन्हें ने उसके आअ्ये कार्थी के देखा 
जे उसने रागियें पर किया था। ३ फेर यिशु एक 
पहाड़ पर जाके अपने शिग्यों के संग बेठा और यिह्ठ 
दियां का पार जाना पब्बे सनोप हुआ। ४ यिश ने 
आखे ऊपर करके देखा कि बड़ी मंडली आती है। 


€ पब्बे] येाहन । ३९३ 


'पू तब उसन फिलिप के कहा कि इन के खाने के लिये 
हम कहां से रोटी मेल लें। € (इसने परीक्षा के लिये 
यह कहा था क्यों कि जे! वुद्द किया चाहता था से आप 
जानता था)। ७ फ़िलिप ने उत्तर हिया कि उनमें से 
यदि उहर एक के ट्कड़ा टुकड़ा दिया जाय ता दे से 
“७25 हर 5 के 2५७ 
रूकी को रोटी उनके लिये बस न होंगी। झ उसके 
शिष्यों में से एक्कछ शिभान पथर के भाई अंदयास ने उसे 
+ हद 
कहा । ८ कि यहां एक छाोकरा है जिस पास जब की 
हट हट वे ७३५० कर ७५० कक 
पांच रोटो ओर दे मछलियां हैं परन्तु वे इतने में क्या 
ँ है 22502 ७३ आर मे ७ » 
है। २९० यिशु ने कद्दा कि लागों के। बेठाओ अब उस 
७ न हक हे २७७ ५ 
स्थान में बह्चल घास थी से गिनतो के अंटकल म पांच 
ब् ० ह:- बल 4 जहा... 
सइहल बेट गये। ९९ जर यिशु न राटियां लिई और 
धन्यमान के शिव्यां का बांट दोई' ओर शिय्यां न पंघतों 
के दिया और मक्तलियां से भी जितना वे चाइते थे। 
ह ७३०० कक ब 2९८ 5 
९२ जब वे तुप्त हुए उसमे अपने शिय्यां से कद्दा कि 
. बचे हुए चूर चार बटोरे जिसतें कुछ नष्ट न हे।वे। ९३ 
*बथर ० अर ३ कक न ञ्प् + मम 374 रची. 
सो उन्हों ने बटारा आर जब कौ पांच राटियां के चर 
है: अर. ३-क न ०२३०० 0 «. ३ ५4 
चार से जे उन जेवनहरियें से बंचरहे थे बारह 
णाक रियां भरों । द 
ध7७ + न ५“ ५ 
९५४ तब उन मन॒ब्थां ने यिशु का यह आखअय कब्स 
'देखके कद्दा कि सवसुच यह वहीं भविश्यइक्ञा हैं जे 
जगत में आने के था । ९५५ जब विश्व ने जाना कि वे 


०6 


/ 


३९४ येहन। | [६ पब्बे 


3 सर 38 ७ 5८ बढ ०. 
उसे आके बरबस राजा बनाने चाइते हैं ता आप 
अकेला पहाड़ का फिर गया। 

९६ और जब सांक हुई ते उसके शिष्य समुद्र के 
गये। ९७ और नाव पर चढ़ के समुद्र के पार कपर 
नाइहम के। चले उस समय अंधियारा हेेचला था बेर 
यिशु उनके पास न आया था। ९८ ओर बड़ी आंधी 
के मारे समुद्र लच्राने लगा। १५८ जब वे दे। तौन कास 
खे चुके ता उन्हें ने यिशुु का समुद्र पर चलते और नाव 

"फ्री": कक हू" ३. 
पास आते टेखा खैर डर गये। २० तब विशु ने डन्‍्हें 

५५ « ५ बकीप 
कहा कि में हेां। मत डरा। २९ फेर उडन्‍्हां मे आनन्द 
से उसे नाव पर चढ़ालिया और तुरन्त जिधर वे जाते 
कर ० 
थे तिधर नाव जा पहुं चौ । 
38. ७ मी, ८ ० का 5 

२२ द्सरे दिन जब समुद्र पार के लागों न देखा कि 
उस नाव के। छाड़ जिस पर उसके शिग्य गये थे काई 
। री च्यै रा" कक «५७ ५. हर 

नाव न थी औआर कि विशु अपने शिय्था के संग उस नाव 
पर न गया था परन्त केवल उसके शिष्य गये थे। २३ 
३.3. तो ८ - ७ हे 
(तिस पर भी ओर नावें तौबिरया से उस स्थान के पास 
जहां उन्हों ने प्रभु के धन्यमानने के पोछ रोाटौ खाई घी 
हे ४२० आओ २० हि: कै. 
आई')। २४ जब लागों न देखा कि यिशु अथवा उसके 
* गे के कप 

शिव्य वहां नहीं हैं ता वे भी नाव पर चढ़के थिश का 

जे धार] ह ब् ५ 5 55३ 
दूंढते कपरनाइहम मे आये। २४ ओर उन्‍्हों ने डसे 
पार पाके कहा कि गुरुजी आप यहां कब आये! २६ 

२2 ना तु 7 
विश्व ने उन्हें उत्तर देके कद्दा कि में तन्‍हं सत्य सत्य 


६ पबन्‍्मे] येहन। झ्र्धू 


] € । ६ 2.5 90, ० ह 
कहता हें कि अञये कम देखने के कारण तुम लाम , 
कर ड्ों अत न 58... के ०० 

मुझ नहों ढूँढ़ते हा। परन्तु इस लिये कि तुम लाग 
राटियां के खाके तुप्त हुण। २७ नाशमान भाजन के 
लिये परिअम मत करे परन्त उस भाजन के लिये जे 
अनन्त जोवन ले ठदरता है जिसे मनव्य का पत्र तल्हें 
हेंगाक्याॉकि इंश्र पिता ने उस पर काप किया हैं| 
२८ तब उन्हें। ने उसे कद्दा कि इन क्या करें जिसतें ईश्वर 

आई ९ 5 स्नि ७७ ४0७७ २ ५ २३5 >+ 
के काय का रो हेो।वं। २6 थिशु ने उत्तर देके उन्हें का 

७.6 
कि ईश्वर का काय यह है कि जिसे उसने भजा है उस 
24७७ /“+ 57 मकर । दि 
पर बिआ्यआस लाओआ। ३० तब उन्हां ने उसे कहा फेर 
ढ्‌ ८ &.. 24% 25 कक तर लकी 
आप केननसा आअ्य कमे दिखाते हें जे! हम देखके 
हक ल् ठ 
आप पर बिश्यास लावें? आप केानसा काय करते हैं! 
छू कस 5 कर ५ 
३९ हमारे पितरों ने बन में मन्न खाया जेसा लिखा है 
कि उस ने उन्हें खग से रेटो खाने का दिई। ३२ विशु 
२2 ७ जे ५ कर अर ऊन 
ने उन्‍्ह कहा कि में तुन्‍्ह सत्य सत्य कद्दता हो कि मसा ने 
 तुन्हें खगे से वृद्द रोटी न दिई परन्तु मेरा पिता तुन्हें 
 खग से सच्चौं राटी देता है। ३३ क्याक्वि ईशर को 
रोटी वुच्द हे जे खग से उतरतौ और जंगत के। जीवन 
देती है। ३४ उन्हां ने उसे कहा कि हे प्रभु इमें नित 
_नित यह राटो दोजिये। ३५ यिशु ने उन्हें कद्दा कि 
<५ ३० & च्ह्े 

जोवन की रोटो में हे जे! मेरे पास आता है से! कभी 
भखा न होगा ओर जो मेरा बिश्लास रखता हैं कभी 
प्यासा न होगा। ३६ परन्त में ने तन्ह कहा कि तम 


३९६ , याइहन। [६ पब्बे 


, लाग मुझे देखके भी विश्वास नहीं लाते। ३७ सब जे 
पिता ने मुझ दिया है मुक्त पास आवेगे और जे। मेरे 
पास आता है मैं उसे किसी रौति से न त्यागोंगा। ए८ 
क्येंकि में खग से इस लिये नहीं उतरा कि अपनीही 
इच्छा पाले परन्तु उसको इच्छा जिसने लुक्के भेजा है। 
३८ ओर मेरे प्ररक पिता की इच्छा यह है कि सब जे 
उसने मुझे दिवा है में उस में से कुछ न खाओं परन्तु 

लपे पिछले दिन फेर उठाओं। ४० और जिसने मुस्ते 
भेजा है उसको इच्छा यद् है कि हर एक जो पुत्र का 
देखता है और उस पर बविद्यास लाता है अनन्त जीवन 
पावे और में उसे पिछले दिन में उठाओंगा। 

४९ तब थयिह्ूदों उस पर कुड़कुड़ाए इस कारण कि 
उसने कद्दा जे। रोटी खगे से उतरो से में हां। ४२ 
और उन्हें। ने कहा कि क्या यद् यिश्‌ यूषफ का पुत्र नहीं 
है जिसके माता पिता के हम जानते हैं! फेर वृुदच्द 
केसे कच्दता है कि में खग से उतराहे| ? ४३ तब यिशु 
ने उत्तर देके उन्हें कहा कि आपुस में मत कुड़ कुड़ाओ। 
४४ जबलों मेरा प्रेरक पिता मनुय्य के न खेंचे केाई 
मुझ पास आ नहीं सक्ता और में उसे पिछले दिन में 
उुठाओंगा ॥। 8५ भविय्यबाणी मे लिखा हि कि वे सब 
इंश्वर से उपदेश पावेंग इस लिये हर एक मनुख्य जिसने 
पिता से सुना और सौखा है मेरे पास आता है। ४६ 
यह नहीं कि किसी मनुय्य ने पिता का देखा है केवल 


| पब्बे] येाइहन । ३९७ 


वृद्द जा ईश्वर से है उसने पिता के देखा है। ४७ में 
तुन्हं सत्य रुत्य कच्दता हे कि जे। मुक्क पर बिश्यास लाता 
है से। अनन्त जोवन रखता है। ४८ जीवन की रोटो में 
है।। ४८ तुम्हारे पितरों ने बन में मन्न खाया और मर 
गये। ५४० खग से उतरतौ. रोटी वह है जिसे मनुय्य 
खाके न मरे। ५९ जा जोती राटो खग से उतरी से 
जो ० 

में हों जा कोई इस रोटौ में से खाय से। सदा जोता 
रहेगा आर वुद् रोटी जो में देउंगा से मेरा शरौर है 
जिसे में जगत के जीवन के लिये देउंगा। 

५२ तब यिह्ूटी आपुस में बिबाद करने लग कि यह 
मनुब्य अपना शरौर इनमें खाने के केसे देलतज्ञा है। ५३ 
यिशु ने उन्हें कद्दा कि में तुन्हें सत्य सत्य कद्दता हे कि 
यदि तुम लेग मनृय्य के पुत्र का शरौर न खाओ अर 
उसका लेह्ह न पीये तो तुस्से जीवन नहों है। ५४ 
जे। मेरा शरौर खाता हे और मेरा. लेह्ह पीता हे सेत 
अनन्त जीवन रखता है बेर में उसे पिछले दिन उठा 
जे, 0 ७ 2 > औआ अत मे 
ओंगा। ५४ क्योंकि मेरा शरौर ठोक भोजन हे और 
०0 ५ हैः मर 
मेरा लाह् ठोक पान ह। ४६ जा मेरा शरौर खाता 

५ रे हक जे ० कर" जे 
है और मेरा लेह्ह पीता हे सा मुक्त में रहता है और 
नै ०७ पर किक 3५... के 2] 
में उसमें। ५७ जेंसा कि ज्तेवन पिता ने मुझ भेजा हे 
+ & जे 3 
और में पिता से जीता हों तेसा जा मुझे खाता है से 
मुस्से जीयेगा । ५८ यह है वृद्द रोटी जा खगे से उतरी 
से ५ 
जेसा तुन्हारे पितरों ने मन्न खाया और मर गये तेसा 


ह्प्द् येइहन। [६ पन्ने 


नहीं, जे। इस राटो से खाता हे सो सदा जीता रहेगा। 
धू८ उसने कपरनाइम में उपदेश करते हुए किसी 
मंडली में ये बातें कहीं। ६० तब उसके शिष्थों में से 
बहुतें ने सुनके कहा कि यह कठिन बचन हे उसे कान 
सुनसक्ता ? ६९ यिशु न आप में जानके कि मेरे शिश्य 
आपस में सुस्ये कुड़कुड़ाते हैं उसने उन्हें कद्दा कि क्या 
यह तुन्हें उदास करती हे! ६२ पर यदि तुम लाग 
मनुय्य के पुत्र के ऊपर जाते देखे।गे जहां वृद्द आग था 
ते। क्या ह्वरेगा? €३ आत्मा जिलाता हें शरौर लाभ 
नहीं करता जे। बात में तुन्हें कद्दता हे। सा आत्मा और 
जीवन हैं। ६४ परन्तु तु्में कितने हैं जो विश्वास नहीं 
लाते क्योंकि यिश्‌ आरंभ से जानता था कि बे कान हैं 
जे बिश्रास न करते थे अर केन उसे पकड़।वेगा। €ंथू 
उस ने कद्दा इस लिये में ने तुन्हें कद्दा कि जबलों किसी 
मन॒य्य के मेरे पिता से दिया न जाय केाई मुक्त पास 
नहीं आसक्ता। ६६ तभी से उसके शिष्यों में से बहुतेरे 
फिर गये चर फेर उसके संग न गये। ६७ तब यिशु 
ने उन बारह का कहा कि क्या तुम भी चले जाओगे! 
८ शिमेन पथर ने उसे उत्तर दिया कि दे प्रभ इम 
किस पास जाय अनन्त जौवन के बचन ते आप पास 
हैं! €८ और हम निश्चय जानते हैं कि आप जीवते 
इंश्वर के पुत्र मसीह हैं । ७० विश ने उन्हें कद्दा कि क्या 
में ने तुम बारइ् के नहों चुना तथापि तुस्मे एक पिशाच 


७ पब्ब] याहन | ३९८ 


है।७९ उसने शिमेनन के यिह्ूदा यिस्करियती के बिघषय 
में कहा क्योंकि बारह में से व॒ुद् एक था जे। उसे पकड़ 
वाया चाहता था । 

७ सातवां पब्बे। 

९ इन बातों के पौछ यिशु गालोल में फिरा किया 
क्यांकि उस ने न चाहा कि यिह्लदिय: में रहे क्योंकि 
विह्लदी उसके घात में लगेथं। २ अब विहूदियों के 

2 3 ८ 
तंबुओं का पब्बे निकट हुआ । ३ इस लिये उसके 
भाईयों ने उसे कद्ा कि यहां से विह्लद्य: म॑ जा जिसतें 
जे कार्य तु करता है से तेरे शिव्य भी देखें। ४ क्यांकि 
जे। काई आप के प्रगट करने चाइता है से छिपके 
कुछ नहीं करता से यदि तुये काय करता है ते आप 
8-4 की ५ २ 
का जगत पर प्रगट कर। ४ क्योंकि उसके भाई भी उस 
पर बिश्वास न लाये। ६ तब यिशु ने उन्हें कहा कि मेरा 
समय अभी नहीं आया परन्तु तुम्हारा समय सदा धरा 
बा ० ० बज डँ 5३. 
है। ७ जगत तुन्हों से बर नहीं कर सक्ञा परन्तु मुस्ते 
जे 53 पे हल 
बेर करता है क्योंकि में उस पर साज्षी देताहें कि 
€्‌ न ब््० विश 9 ३५७ कक र् 
उसके काय बुरे हैं। ८ तुम लेग इस पत्बे में जाओ में 
०3 है &:> है डक 
 आभी इस पब्बे में न जाउंगा क्योंकि मेरा समय अभो 
प्रा नहीं हुआ। ८ वुह ये बात कहिके गालौल में 
बना रहा। ५० परन्तु जब उसके भाई गये दृद्ट भी पतब्बे 
4 
में प्रगट से नहीं परन्तु गुप्त से गया। 
। «6 ०७ रे खा 
९९ तब विहू दी पत्ब में उसे ढूंढ़ने और कहने लगे 


३२० .. याइन। [७ पब्बे | 


कि वृद्द कहां है! ९२ ओर ले|ग उसके बिघय में बहुत 
बड़बड़ाने लगे क्यों कि कितने कच्ठते थेकि बुद् उत्तम 
मनुव्य है ओर कितने कहते थ कि नहीं परन्तु बुच् 
लेागों के छल देता है। ९३ तिस पर भी विह्दियों 
के डरके मारे केईं मनुष्य उसके बिषय में खेल के नहीं 
कच्दता था। १५४ ओर पत्वे के मध्य यिशु ने मन्दिर में 
जाके उपदेश किया। ९४५ तब यिक्लदी आअ्य से बोले 
कि इस मनृष्य के। बिना सौखे बिद्या कहां से है। ९६ 
यिशु ने उन्हें उत्तर देके कह्टा कि मेरा उपदेश मेरा नहीं 
परन्तु उसका जिसने मुककते भेजा है। ९७ यदि काई 
उसको इच्छा पर चले ता इस उपदेश के। जानेगा कि 
ईशर से है अथवा में आप से कहता हां। ९८ जा 
अपनी ओर से कहता है से। अपनो बड़ाई ढूंढ़ता है 
परन्त जे। अपन प्रेरक की बड़ाई ढूंढ़ता है से बच्चा है 
और उसमें कक अधम नहों है। ९८ क्या मस्ता 

तनन्‍्ह व्यवस्था न दिई और काई तम्म से ब्यवस्था केा 
पालन नहीं करता तम मेरे घात में क्यां लगे हो। ! २० 
लेगों ने उत्तर देके कद्दा कि तक में पिशाच है कान 
तेरे घात में लगा है। २९ यिश्ु न पत्युत्तर में उन्हें 
कहा कि में नेशक काये किया है आर तुम लेग 
अआश्यये मानते हे । २२ (ममता ने तस्में खतनः ठहराया 
है यद्यपि वह मसा से नहीं परन्त पितरों से )। २३ 
झै।र जिसतें मसा को चवस्था भंग न देय तुम लेग 


७ पब्ब] येहन | ३२९ 


बिश्याम में मन॒ब्य का खतनः करते हे यदि बिश्वाम लें 
मनख्य का खतन; किया जाय ते तुम लेोग इस लिये 
हे ८*- हे ७ व 5 
मुकक पर रिसियाते दो कि बिश्वाम में मेंन एक मनुय्य 
का निध।र चंगा किया। २४ पच्ठ से बिचार- मत करे 
परंतु खरा बिचार करे । 
हल लक ० 5 
२५ तब कितने यिरुशालमियां ने कहा कि क्या यह 
हें पा कर >>] ० 
वच् नहों जिसे वे घात करने को ढूंढ़ते हँ! २६ परंतु 
73 श-> हु ३ कर, जि 8 
देखे व ते हियाव स बालता है और वे उसे कुछ 
नहीं कहते क्या प्रधानां ने निश्चय जान लिया है कि 
टीक यहौ मसौचद है। २७ परंतु यह जहां से है उमर 
क३० का ऐ ७5 
जानते हैं पर जब मसौद् आवेगा काई न जानेगा कि 
वुच्द कहां से है। 
है ७3 3 की री 
रण तब यिशु न मन्दिर मे उपदेश करते हुए या 
हक ०२ रे. च्य पे 
पुकारा कि तुम लाग मुब्क पद्चिचानते और जानते हो 
कि में कहां से हें और में आप से नहीं आया परंतु 
के ढपें 
जिसने मुझे भेजा है से सत्य हे उसे तुम लेग नई 
7 &. आल. (५ ५५ /7१9*  क ९ ५ पे ० 
जानते हे। । २८ परतु में उसे जानता हों क्यांकि में 
उसकी ओर से हो और उसने मुझ भेजा है। ३० तब 
० आर अर ८ 3 ३. 
लन्हों ने उसे पकड़ने के। चाहा पर किसो मनुय्य ने उस 
'पर हाथ न डाले क्योंकि उसका समय अबलें न पहुंचा 
था। ३९ चर लोगों में से बहुतेरे उस पर बिग्वास 
लाये शेर बोले कि जब मसोह आवेगा ता जो यह 
५ ८४ ९ 
करता है क्या वह इसमे अधिक आअये कस्स करेगा। 


३२२ येहन । [७ पब्बे 


३२ फिरुसियां ने सुना कि लेग उसके बिषय में 
*. ०२३० जड़. 03० कक की 35: 35 45238 
ऐसा बड़बड़ाते हैँ तब उन्हीं ने और प्रधान याजकां ने 
४ नम 2 कै कक 298. 
धावने के भेजा कि उसे पकड़लें। ३३ तब बिशु ने 
|] ४० कि नी ३7० 2770 4५8%48 ० 3 
लन्‍्हें कहा कि अब थाड़ौ बर ले में तुम्हारे संग हो आर 
लि दी हि ०५ 5५७ शेड 
जिसने मक्क भजा हं डस पास जाता हो। ३४ तम लाग 
म॒से ढूं ढरोेग और न पाआगे और जहां में हे। तुन आ 
नहीं सक्त। ३५४ यिहकूदियां ने आपुस म कहा कि वह 
किधर जायगा जेए हम उसे न पावंग ! क्या वृकह् बिथरे 
2%.:५७, ली 35 च्झे वी जे के. 3... 
हुए यनानियें में जायगा और यनानियोां के उपदेश 
३2९ बी क ०५ 
करेगा? ३६ यह क्या बात कहता है कि तम लाग 
मभो ढूंढाग अर न पाओ और जहां में हैं तहां तुम 
लेगग आ नहीं सक्ते। 

३७ पब्बे के पिछले आर बड़े दिनमें यिशु खड़ा 
हुआ और यह कहिके पकारा कि जे। प्यासा हो से 
दे न ब्५ 
मुझ पास आवे और पौये। ३८ जंसा लिखा हुआ 
कहता है जे। मककत पर बिश्यास रखता है उसके घट से 
अमुत जल कौ नदियां बहचचेंगो। ३८ (उसने आत्मा के 
बिघय में यह कही जे। उसके बिश्वासो पाने पर धक्यांकि 

९ 3] डं 
धमात्या अबलां नहों दिया गया इस कारण कि यिश्ु 
अबले ऐशयेमानन हुआ था )। ४० तब उन लेागों 
में से बहुतेरों ने यह सुनके कद्दा कि निश्चय यह वृच्द 
भविश्यद्क्षा है। ४९ झओरों ने कहा कि यहौ मसोह 
है परन्तु कितने बोले कि क्या मसौह गालोल से 


हि 


७ बब्बे] याहन | ३२३ 


निकलेगा ? ४२ क्या लिखा हुआ नहीं कहता है कि 
५ मे बन 
मसोचद्द दाऊद के बंश से आर बेतुल्नहम को बस्तो से 
आपवेगा जहां हाऊद था! ४३ से उसके बिषय में 
3० कक ७ न कष्् ंह जे 
लागों में बिभाग हुआ। ४४ चर कितने ने उसे 
पकड़न के चाहा परन्तु किसौ ने उस पर हाथ न 
डाले । 
का शी 2०7 बे का अर 
४५४ तब घावन प्रधान याजकोां और फिरशियोां के 
४. #-- स्द के कक ७ ० आय, ह83 हल कप 
पास फिर गये तब वे उन्हें बाल कि तुम लाग उसे क्यों 
न लाये। ४६ धावनोां ने कद्ठा कि इस जन के समान 
किसो ने नहों कहा। ४७ तब फिरुसियों ने उन्ह ऊत्तर 
दिया कि क्या तुम लेग भी भरमाये ग़ये! ४८ क्या 
जाई प्रधान अथवा फ़िरुसिये| में से उस पर बिय्यास 


लाया! ४८ परन्तु ब्यवच्या के ये अज्ञानो लेग खापित 
७३० पो “3. रु 03 गृ एल ३ 
हं। ५० नोौकढहौम ने, जा रात का थबिशु पास आया 


था और एक उन में से था, उनन्‍्हं कहा। ५९५ कि बिन 
सुने भर जाने कि मन॒य्य ने क्या किया ह क्या इमारो 


ब्यवस्था किसी के देाषो ठहरातो हैं! ५२ उन्हों। 
लत्तर देके उसे कहा कि क्या आप भो गालौल के हैं ! 


ढूढ़िये आर देखिये क्योंकि गालौल में से केई भविश्य 
इक्ता नहों निकलता। ४३ फेर हर एक जन अपने 
अपने घर गया। 


२४ याहन। _छ पब्बे 


द ८ आठवां पब्बे। 
९ तब यिशु जलपाई के पह्ाड़ के गया। ९ और 
बिच्ान के। तड़के मन्दिर में फेर आया ओर सारे ले।ग 
० ऊ. »े७. 2 822: 2. 
उस पास आये और उसने बठ के उच्हें उपदेश किया। 
३ तब ब्यभिवार में पकड़ौ गई एक स्त्री के, अध्यापक 
ञे तो 8 ह 3 
और फिदसो उस पास लाये और उसे मध्य मं खड़ी 
करके। ४ बोले कि हे गुरु यह स्तो ब्यभिचार करतेह्ौ 
20 ०७ ०५ 
पकड़ी गई। ४ अब म॒सा ने ता व्यवस्था में इमें आज्ञा 
किई कि ऐसाहो पत्थरवाह किई जाय परंतु आप क्या 
कहते हैं ? € उन्‍्हां न उप्ते परखने के लिये यह कहा 
जिछते वे उछ पर दे।ष का कारण पावें परंत्‌ यिशु नोचे 
० #- + है... रब ० 
भुक के अंगुली से भुनि पर लिखने लगा। ७ से। जब वे 
उसे पक॒ते गये उसने सौंध ह्वाकर उन्हें कहा कि जे 
तुब्म निष्पाप हे। से। पहिले उसे पत्थर मारे। ८ बार 
29, ३. ३ 9 
बुद्द फेर कुकके भूमि पर लिखने लगा। € और जिन्‍्हों 
है बाप >-+ खा ०». जलिर८ ७ जय 2७5 १७० पक: 5. 
ने सुना वे मनहीं मन देषो होके बुद्ध से लेके पिछले लो 
२२2 53० ७ स्ना 
एक एक करके चले गये और यिशु अकेला रहिगया 
औगर वच् स्त्रो मध्य म॑ खड़ी रहौ। ९० जब यविशु ने 
उठके स्लो के छाड़ किसो के न देखा ते उसने छसे 
हैक ॥ >> किक 
कहा कि हे ली तेरे देाध दायक कहां हैं! क्या किलो 
कि 5 20523 पक हि. कर 
न तुके देघीौ न ठहराया?! ९९ उसने कहा कि हे 
प्रभ किसी ने नहीं यिशु ने उसे कद्दा कि में भो तम्के 
ढेाषो नहीं ठटद्दराता जा और फर पाप मत कर | 


ह पतन] याहन। ह२५ 
९२ यिश नेफेर उन्हें कहा कि में जगत का उंजियाला 
है जे। मेरे पीछे आता है से अंधियारे में न चलेगा 
परंतु जोवन का उजियाला पावेगा। ९३ इस लिये 
फिर्सिये ने उसे कहा कि त अपने लिये साक्षी देता 
है तेरी साध्वी ठोक नहीं। ९४ विशु ने उत्तर देके 
कहा कि यद्यपि में अपने लिये साज्गी देता हों मेरी 
साक्षी ठौक है क्योंकि में जानता हें कि में कहां से 
आया और किधर जाता हों परन्तु तुम लोग नहीं 
_ जानते कि में कहां से आया और किधर जाता हें। 
९५ तुम शारौरिक बिचार करते हे। में किसो मनुग्य 
, पर बिचार नहों करता। ९६ तथापि यदि में बिचार 
करें ते मेरा बिचार ठोक है क्योंकि में अकेला नहीं 
हैं परन्तु में और पिता जिसने मुस्के भेजा । ९७ तुन्हारी 
व्यवस्था में भो लिखा है कि दे। मनय्य की साच्यों ठौक 
है। ९८ एक ते में हें जे। अपने लिये साक्षौं देता 
_ है और एक पिता जिसने सुझ्के भजा है मेरे लिये 
॥ साच्ो द्ता है? ९८ तब उन्हां ने उसे कहा कि तेरा 
हक कहां है! यिशु ने उत्तर दिया कि तुम लोग न 
मुझे न मेरे पिता के। जानते दे यदि मुक्त जानते हेते 
क्‍ ता मेरे पिता का भी जानते। 
| २० यिश्व ने मंदिर में उपदेश करते हुए भंडार में ये 
बातें कहों और किसी ने उस पर हाथ न डाले क्योंकि 
उसका समय अबले। नहीं आया था। २९ तब थविशु ने 










ह्र्द येहन। [८ पन्ने 


फेर उन्हें कहा कि में ते जाता हे और तुम ले!ग मुम्के 
ढूंढ़ेगगे आर अपने पापों में मरागे जिधर में जाता हैं 
तुम लेग ञा नहीं सत्ते। ९२९ तब यिहल्ल॒हियां ने कहा 
क्या वच अपने के! मार डालेगा ! इस कारण कि वबुच्द 
स् ५ जा छ कक 
कहता है कि जिधर में जाता हें तुम लेग नहीों आ 
सत्ते। २३ फेर उसने उन्हें कद्दा कि तुम लाग तलेसे हे। 
५ के पे कै ० जय 9 जज हल 
मैं ऊपर से है| तुम लेग इस लेक के है। में इस लाक 
ों ५६ के 2 ४ ०» 7 
का नहीं | २४ इस लिये में ने तुन्हं कहा कि तुम लाग 
अपने पापों में मराग क्योंकि यदि बिश्यास न लाओ 
कि में हैं| ते तुम लेग अपने पापों में मरेाग। २५ 
0 ॥ आज ५ ६ ७.$ 
तब उन्हां ने उसे कहा कि तु कौन है? यिश ने उन्हें 
जले सा > ५ 
कहा कि वह्चौ जा में न तुन्हें आरंभ से कहा। २६ 
तुल्हारे विषय में कद्दने के और बिचार करने के मस्क 
>७ ०३५५ रई- ५ 2 है 
पास बहुतसी बात हैं परन्तु जिसन मम्ते भेजा हैं बच 
सत्य है और में जगत के। वे बातें कहता हें जे में ने 
बल म का 5 कै ०७ 
उस्से सुनो हँं। २७ उन्हां ने न समक्का कि उसने उन्‍हें 
पिता के बिषय में कहा। श्र फेर थिशु ने उन्हें कहा 
कि जब तुम ले।ग ननुय्य के पुत्र के ऊपर उठाओगे तब 
जानाग कि में हे जैर में आप से कुछ नहीं करता 
५ री झ्े 
परन्तु जेसा मेरे पिता ने मुब्ते सिखाया है सें येबातें 
मर ५ ० 
कहता हें। रह ओर जिसने मुक्के भेजा है से मेरे संग 
है पिताने मुस्ते अकेला न छोड़ा क्योंकि में सदा वही 
' आ कप 25. च्हें ३००० 
काय करता हे जे डसे सुद्दाते हैं। ३० जब वृच्च ये. 


| ४ ६; पा हि ः 
. ह पब्ब] येइहन। ३२७ 


बातें कहता था बहुतेरे उस पर बिद्यास लाये। ३९ 


तब थिश्‌ ने उन बिल दिये से जे। उस पर विद्यास लाये 
७. ९ 2 ९१ 0 फिर 
थेकहा कि यदि तुम लेग मेरे बचन पर बने रहेगे 


हक हि 
 क्ञा मेरे शिम्य ठोक देओगे। ३२ जैर सत्य के जानागे 
अर सत्य तुन्हें निबन्ध करेगा। ३३ उन्हों ने डसे उत्तर 


» िर 
हिया कि हम इबराहौम के बंश हें ओर कथों किसौ 
१५४७ ७० ७. के बे कप नजर ज्झे 
के बंधन में न थे तु केसे कद्दता है कि तुम निबन्ध किये 
५ लक, ्े हा । २३३५ _ ७० 
जाओआगे। ३४ यिशु ने उनन्‍ह उत्तर दिया कि में तुन्ह सत्य 
सत्य कहता हों कि जे। पाप करता दै से। पाप का दास 
है। ३५ जार दास सदा घर में नहीं रहता परंतु पुत्र 
सदा रहता है। ३६ इस लिये यदि पुत्र तुन्हें निबंन्ध 
करे ते। ठीक निबेन्ध द्रेआगे। ३७ में जानता हें कि 
तुम लेग इबराहोम के सनन्‍्तान हे। परंतु मुझे मारडालने 
चाइते हे। क्योंकि मेरा बचन तुस्में नहों है। ३८ जे 
में नेअपने पिता के पास देखा है साई कइता हों 


और जे तुम लागों ने अपने पिता के पास देखा है 


| 
| 
५ 


। 


है 


- 
। 


 शेकरते हे। ३८ उन्हें ने उत्तर देके उसे कद्ाकि _ 
 ऋमारा पिता इबराह्ौम है यिश ने उन्हें कहा कि यदि 
तुम लेाग इबराचहदीम के सनन्‍्तान देते ते इबराहौम के _ 
| कार्य करते। ४० परन्तु अब तुम लेग मुक्त मार डालने _ 


चाइते हे। और में एक मनय्य हें जिसने तन्‍हें सत्य 


कहा जे में ने ईश्वर से सुना है इबराहोम ने यह नहीं 


द 


किया। ४९ तुम लेग अपने पिता के काय करते हे _ 


४ पर है 
5 >र | 5 
श्श्८र येहन। [८ पन्ने द 


३ का 5 2 ४ कक ३, 

तब उन्‍्हों ने उसे कद्दा कि इम लेाग व्यभिचार से उत्पन्न 
नहीों हुए हमारा पिता एक ईंशअर है। ४२ विश ने 
उन्हें कहा कि यदि ईश्वर तुम्हारा पिता होता ते तुम 
अं. कु ८ 200 कक 3 हल 
ले।ग मुस्के पर करते क्योंकि में इंश्रर से निकल आया 
हो में आप से नहों आया परन्तु उसने मुझे भेजा । ४३ 
| 3. 2 कप है दीं हि. 
तुम लेग मेरो बाली क्यों नहीं समझते! इस कारण 
3७2७. डर 2 हल & 0. 
मेरे बवन नहों सुन सक्ते! ४४ तुम लाग अपने पिता 
पिशाच से हे। अर अपने पिता कौ बांछा किया चाहते 
हे बह ते आरंभ से घातक था आर सत्य में स्थिर न 
रह क्योंकि उसमें सच्चाई नहीं जब वुद्द कठ कहता है 
ते अपनेही का बालता है क्योंकि वृच् कठा है ओर 
मूठ का पिता है। ४५ पर इस कारण कि में सत्य 
कहता है तुम लेग मेरी प्रतोधि नहीं करते। ४६ 

७ के पर दे में 
तु केन मुझ पर पाप ठच्दराता है! ओर यहि में 

32009 % वि ८ ७ रे द 

सत्य कहां ता मेरो प्रतोति क्यां नहीं करते ! ४७ जा 
ईश्वर से है सा ईश्वर को बातें सुनता है तम लेग इस 
लिये नहीं सुनते कि ईग्वर के नहीं चहेे।। ४८ तब 
थिह्ूढिये ने उत्तर दिया अर उसे कहा कि इंम 
अच्छा नहों कहते कि त्‌सामरी है ओर तुक्क में पिशाच 
है! ४८ विश ने उत्तर ढिया कि मुक्त में पिशाच नहीं 

35 कक 0 ०५५ 2 ९ ७. 
परंतु में अपने पिता का आदर करता हों और तुम 
33 >% पु 8५ 2 ५५ 
लेग मेरा अनाहर करते हे।। ५० औआर में अपना 
महिमा नहीं ढृढ़ता एक है जे टूढ़ता है अर बिचार 


द्ध पन्ने] येइन | श्र्छ 


करता है। ५९ में तुम्हें सत्य सत्य कद्दता हें। कि यदि 
मनुय्य मेरा बचन पालन करे ते म॒त्युके। कभी न देखेगा। 
४२ यिक्ल दिये ने उसे कद्दा कि अब हम जानते हैं कि 


बुक में पिशाच है, इबराहौम ओऔ7र भविग्यद्क्षा मरगये 


और त्‌ कहता है कि यदि केाई मेरा बचन पालन करे 
ते कभी खुत्यु का खाद न चौखेगा। ५३ क्या तुइमारे 
पिता इबराहीम से, जे। मरगया बड़ा है अर भविव्य 
दत्ता मरगये त आप के क्या ठचइराता है? ५४ यिश 
न उत्तर दिया कि यदि में अपना आदर करों ता मेरा 
आदर कुछ नहीं मेरा पिता जिसे तम अपना ई अर 

ते है| मेरा आदर करता है। ५५४ तनन्‍हा ने डसे 


नहीं जाना परंतु में उसे जानता हे और यदि में कहे 


कि में उसे नहीं जानता ते तम्हारी नाई में म्मठा 
हे।ऊंगा परंत में उस जानता हों शेर उसका बचन 


पालन करता हे। ४६ तुन्हारा पिता इबराहीम मेरा 
22 शक ८ हट ५ 
_ समय देखने के तरसता था सा वुच्द देखके आनंदित 


; 
; 


“4 
; 
९ 
| 


हुआ । ५७ यिह्ल दिये ने डसे कच्टा कि तेरा बय अबलों 
पचास बरस का नहीं और त ने इबराइौम के। देखा? 
धू८ विश ने उन्हें कहा कि में तुन्हें सत्य सत्य कहता हे 
कि इबराहोम के देने से आगे में हे । ५८ तब उन्होंने 
डसे मारने के। पत्थर उठाये परंत यिश ने आप के छिपा 
लिया जर मंदिर से बाइर निकल के उनके मध्य में 


 होके चला गया। 


5 


>> ््ध 
के 


है ४ ३.९, । कर हे 
द्द्ते याइन। [6 पब्बे. द 


6 नवां पब्बे । 

९ और जाते जाते उसने जन्म के एक अंधे मन॒य्य के 
से. ७60: जी 8] और 
देखा। २ ओर उसके शिव्यां ने यद् कह्चिके डसे पका 
कि “हे गुरु किस ने पाप किया इस मनृख्थ न अथवा 
इसके माता पिता ने जे। यह अंधा उत्पन्न हुआ!” ३ 
विशु ने उत्तर दिया, न इस मनय्य नेन इसके मांता _ 
पिता ने पाप किया परंतु उसके दारा से इंश्वर के काये 

पक  अथ 32865 (5 ०० 
प्रगट हे।ने के लिये हुआ। ४ जब ला दिन है अवश्य 
है कि में अपने प्ररक का कार्य करें रात आतौ है 
९ हों 2० कर नें + सिआ 
जब केई कार्य नहीं करसक्ता । ५ जबलें में जगत में 
है। जगत का उंजियाला हे। ६ या कहिके उसने 
भूमि पर धका और थूक से मिट्टी गृंधी और उस मिट्टी 
से उस अंधे की आंखें पर लगाई। ७ जार डसे कहा 
कि जा सिलेआम में अधात प्रेरित नाम कुंड में स्तान 
कर व॒ुद्द गया ओर स्तान किया और देखते हुए आया। 
ब्वु ० 9,0४8 शा 
८ तब परेासी और जिन्हों ने उसे आगे अंधा देखा था 
डॉ ब््‌ हे 
क्या बाले यह वृच्द नहीं जे। बेठा भौख मांगता था?! «€ 
कितने बेले कि यह वही है अरे न कहा कि यह वेसा 
हो है उसने कद्दा कि में वच्दौं हां। ९० फर उन्होंने 
उसे कद्दा कि तेरी आंखें क्योंकर खुल गईं ! ९९५ उसने 
उत्तर देके कहा कि एक मनुय्थ न जे। यिशु कह्ावता 
है मिट्टी गंधी ओर मेरी आंखें पर लगाई ओर मुम्के 
 कहद्दा कि सिलेाआम के कुंड में जा और स्त्रान कर 





््र्& पर] येहन। ३३९ 


और में ने जाके स्लान किया और दृष्टि पाईं। ९२ 

० 2७ ५ + ० जे 
उन्‍्हों ने उसे कहा कि वृच्द कहां है? उसने कच्दा कि में 
नहीं जानता। ९३ तब जे। आग अंधा था लेग डसे 


फिर सिये|। पास लाये। ९४ जैर जब विशु ने मिट्टी 


गख्धके उसकी आंखें खेलों तब विश्वाम दिनो था। ९५ 
फिरुसियें ने भौ फेर उसे पूछा कि त ने क्योंकर अपनो 
दृष्टि पाई उसने उन्हें कह्दा कि उसने मेरों आंखें पर 
गौलीो मिट्टी लगाई और में ने नहाया और देखता 
हैे।। ९६ तब फिरुसियां म॑ से कितने ने कद्दा कि यह 
मनृव्य ईश्वर को आर से नहों क्योंकि वद बिझाम दिन 
के नहों मानता ओरोें ने कहा कि पापी मनुय्य ऐसे 
€ग्ड कर 
आशय कसे करसक्ता है! और उन में बिभाग हुआ। 
जा ०० ० हक." है: > ४ हक 
९७ उन्हों ने उस अंध मनुष्य के फेर कहा तुमे दृष्टि 
देने के लिये त उसके बिषय में क्या कचद्दता है? उसने 
कहा कि वुद्द भविश्यद्क्षा है । ९८ परन्तु जबलों 
विह्लदिये| ने उस मनुख्य के माता पिता के, जिसने 
दृष्टि पाई थी न बुलाया उन्हें। ने प्रतोति न किई कि 


+ जय क्श्को 3 पे 
बुद्र अधा था । ९८ आर उनन्‍्ह पक्का कि क्या यह तुन्हारा 


बेटा है जिसे तुम कहते हे कि अंधा उत्पन्न हुआ घा 


फेर व॒द अब क्यांकर देखता है?! २० उसके माता 


पिता ने इन्हें उत्तर देके कच्दा हैं कि यह हमारा बेटा 
है और कि वृद्द अंधा उत्पन्न हुआ था हम जानते हैं। 


. २९ परन्तु वुद्द अब किस रीति से देखता है से इम 


३३२ याइन । [& पन्ने 


नहीं जानते अथवा उसको आंखें किसने खेली उम 
नहीं जानते वह सयाना है उसे पूछिये वहु अपनो आप 
कद्देगा। २२ उसके माता पिता ने विहू दिये के डरके 
मारे कहा क्योंकि विक्लदियें ने ठउच्चरा रक्‍्खा था कि 
यदि काई मान लेवे कि वुद्द मसरोद्द हे ता मंडली से 
बाहर निकाला जाय। २३ इस लिये उसके माता 
पिता ने कच्दा कि वृद्द सयाना है उसी से पका । 

२४ तब उन्‍्हों न उस मनुय्य के, जे अंधा था फेर 
बुलाके कद्दा कि ईश्वर की स्तुति कर इम जानते हैं कि 
यह मनुय्य पापी है । २५ उसने उत्तर देके कहा कि 
यदि वुच्द पापी देय में नहीं जानता एक बात में जानता 
है| कि में आगे अंधा था अब देखता हें। २६ तब 
उन्हों ने उसे फेर पुका कि उसने तुझे क्या किया? उसने 
किस रौति से तेरी आंखें खेलों! २७ उसने उन्हें उत्तर 
दिया कि में ते तुम से अभी कद्दचिचुका और क्या तम 
ने सुना किस लिये फर सुना चाहते चे।!? क्या तम भी 
उसके शिव्य हे।ओएगे! श८ तब वे उसे दुबंचन कहिके 
बोले कि त, उसका शिव्य है हम मूसा के शिव्य हैं । २८ 
_ हम जानते हैं कि ईश्वर ने मसा से बातें किई पर हम 
नहीं जानते कि यह कहां का है। ३० उस मनृय्य ने 
उत्तर देके उन्हें कद्दा कि उसने मेरी आंखें खे।छीं है 
और तुम नहीं जानते कि वृद्द कहां से हैं यद आउयर्य 
को बात हैं। ३९ हम ते जानते हैं कि ईश्वर पापियेंं 


| ूपबी येइन। ह३₹ 
को नहीं सुनता पंरन्तु यदि काई ईश्वर का भक्त हये।य 
और उसको इच्छा पर चलता हेय ते व॒चद्द उसको 
सुनता है। ३९ जगत के आरंभ से कभी सुन्नेमें न 
आया था कि किसी ने एक को अंखें जे। अंधा उत्पन्न 
हुआ खेलों हे । १३ यदि वृद्द मनुख्य ईश्वर की आर से 
न होता ता कुछ न करसक्ञा । ३४ उन्‍्हों ने उत्तर देके 
उसे कहा कि त्‌ ता सबंधा पाप में उत्पन्न हुआ और त 
हमे सिखाता है ओर उन्हें। ने उसे बाहर किया। 
३५ यिश्‌ ने सुना कि उन्हीं ने उसे बाहर निकाल 
दिया तब डसने उसे पाके कहा कि त ईश्वर के पुत्र पर 
, बिश्वास रखता है?! ३६ उसने उत्तर देके कहा कि हे 
प्रभ वद्ध कान है जिसते में उस पर बियश्वास लाओं ? ३७ 
यिशु ने डसे कद्दा कि त ने उसे देखा है अगर जे तस्मे 
बेलता है वही है। ३८ उसने कहा कि हे प्रभमें 
_ बिश्य,स लाता है| और उसने उसे दंडवत किई। ३८ 
तब यिशु ने कहा कि में न्याय के लिये जगत में आया _ 
_ हों कि जे। नहीं देखते हैं से देखें और जे। देखते हैं 
सा अंधे होवें। ४० फिदर्सियों म से कितन्गं न ये बात ४० 
 सुनके उसे कच्दा क्या उइम भी अंध हैं ! ४९ यिशु ने चन्हें. 
कहा कि यदि तुम अंधे हे।ते तो हस्में पाप न हेता हे 
6 परन्त तुम लेग कहते दे। कि दम देखते हैं, इस लिये 
 तुस्हारा पाप धरा है। 










३३४ याइन। [९० पब्ने | 
९० हसवां पब्बे । 
९ में तन्‍्हें सत्य सत्य कहता है| कि जे द्वार से भेड़ 
० + है रो 2 ४ झ५ 
शाला में नहीं जाता परन्तु हूसरी आर से चढ़जाता है 
से चेर आर बटमार है। २ परन्त जे। द्वार से भोतवर 
जाता है सा भेड़ें का चरवाहा है। ३ द्वारपाल उसके. 
लिये खेलता हे और भेड़े' उसका शब्द सुनती हैं और 
ब॒द अपनी ही भेड़े। के नाम ले ले बुलाता है ओर उन्‍हें 
बाहर लेजाता है। ४ ओर वुद्ू अपनो आड़े के 
बाइर ले जाके उनके आगे आगे चलता है ओर भेड़े' 
लसके पीछ पौछे जाती हैं क्योंकि वे ठसका शब्द पह्नि 
चानती हैं। ५ और वे उपरी के पोछे नहीं जातीं 
प्रन्तु उच्मे भागती हैं क्योकि वे उपरी का शब्द नहीं 
पह्िचानतों | ६ यिशु ने यह् दृष्टान्त उन्हें कदह्टा परन्तु 
उन्‍्हें। ने उस बात का भेद न समय्का । 

७ तब विशु ने फेर उन्हें कद्दा, में तन्हें सत्य सत्य 
कचइटताहें कि भेड़ें का द्वार में हे।। ८ जितन मुस्झे 
आगे आये सब चे।र आर बटमार हैं परन्तु भेड़े ने 
उनको न सुनो । ८ हार में है| यदि केाई मेरी ओर 
से भोतर जाय दह सुज्नलि पावेगा और बाइर भीतर 
आया जाया करेगा आर चराई प।वेगा। ९० चार 
केवल चेरो और घात और नाश करने के आता है 
में आयाहे जिसतें वे जीवन पावें और उसे अधिकाई 
से पावें। ९९५ अच्छा चरवाहा में हे अच्छा चरवाहा 


है 00०) 
/ ९० पब्बे] येहन। हे३प 
_भेड़ें के लिये अपना प्राण देता है। ९२ परन्तु जे। 
बनिहार है ओर चरवाहा नहीं भेड़ों जिसकी अपनी 
नहों हैं से। हुंडार के। आते देखता है और भेड़ें के 
छोड़ भागता है और हुंड़ार उन्हें पकड़ता हे आर 
भेड़े। के। छिन्न भिन्न करता है। ९३ बनिहार इसलिये 
भागता है कि वृद्द बनिहार है ओर भेड़ें के लिये चिन्ता 
नहीं करता। २९४ अच्छा चरवाहा में हे। आर अपनी 
के पहिचानता हा। ओर मेरो मुझे पहिचानती हैं। 
९५ जेसा पिता मुझे जानता है तेसाही में पिता केा 
जानता हों और में भड़े के लिये अपना प्रांण देता 
हैां। ९६ मेरी और भी भेड हैं जे। इस कंड को नहीं 
अवश्य है कि में उन्हें भौ लाओ झर वे मेरा शब्द 
_ सुनेंगी और एक कंड और एक चरवांहा होगा। ९६७ 
पिता मब्पे इस लिये प्यार करता है कि में अपना प्राण 
देता हैं जिसतें में उसे फेरलेड । ९८ उसे काई मर्तमे- 
नहीं लेता परन्त में आप उसे घरदेता हों में उसे धर 
। दऐने का सामथ्य जआर उसे फर लेने का भी सामथ्य 
रखता है| यही आज्ञा में ने अपने पिता से पाई है। 
। १८ तब यिक्ूदियोां में इन बातों के कारण फर बिभाग 
छुआ । २० और उन मे से बहुतां ने कहा कि उस में 
_पिशाच है और बाड़हा है तुम उसको क्यों सुनते है। ? 
२९ ओररों ने कहा कि जिसमें भूत है उसकौ ये बातें 
नहीं हैं क्या पिशाच अंधे कौ आंखें खेलसक्ता है! 









इ३३६४६ । याइन | [ ९० पन्ने. 


२२ आर यिरुशालम म॑ स्थापित पब्बे हुआ जार 

आर + ऐड. 7३९ 
जाड़े का समय था। २३ गर यिशु मंदिर में सुलेमान 
के आस, रे में फिरता था। २४ उस समय विहू दिया ने 

जे “कर ६ हे है. 
उसे आधघेरा आर कहा कि तू कबलें हमारे मन का 


अधर में रक्लेगा यदि त, मसौह है ता हमें खालके 


कह । २४ थिशु ने उन्हें उत्तर हिया कि में ने ते तन्हें 
के ० € ५५ डे, 
कहा और तुम ने बिश्वास न किया जे काय में अपने 
पिता के नाम से करता हों से मुक्त पर साज्षौं देते 
५० ' गो ५ जे 
हं। २६ परन्तु तुम विद्यास नहीं लाते क्योंकि में ने 
तुन्हें आगे कदा, कि तम मेरौ भेड़े में से नहीं। २७ 


० + ब५५ ३ पर के 
मेरी भेडे मेरा शब्द सुनती हैं ज्ेर में उन्‍्हं जानता हो 


और वे मेरे पीछे पीछे आती हें। २८ ग्ार में इन्हें 
अनन्त जोवन देता है और वे कभी नाश न होंगी और 
केई उन्हें मेरे हाथ से छोन न सकेगा। २6 मेरा पिता 
* जिसने उन्हें मक्ते दिया है सब से बड़ा है और काई 
उन्हें मेरे पिता के इाथा से छीन नहीं सकत्ञा। ३० मैं 
और पिता एक हैं। 
₹९ तब यिह्ूहिया ने डसे पत्थरवाने के लिये फोर 


पत्थर उठाए। ३२ विशु ने उन्हे उत्तर दिया कि मैं ने 


अपने पिता के अनेक अच्छे काय तनन्‍्ह दिखाये हैं उन 
में से कान से काये के लिये मक्के पत्थरवाते हे! ३३ 
बिल दिये ने डसे उत्तर देके कहा कि इम तुओे अच्छे 
का के लिये नहीं पत्थरवाते हैं परंतु ईश्वर की निंदा 


९९ पब्बे] याइन । ३३७ 


के लिये ओर इसे लिये कि मनुश्थ हेके त्‌ आप केा 
ईश्वर ठहराता है। ३४ विशु ने उन्हें उत्तर दिया कि 
तुम्हारी व्यवस्था में नहीं लिखा है कि में ने कहा कि 
तुम ईअर हे। ! ३५ उसने ते। जिनके पास ईंअर का बचन 
पहुंचा उन्हें ईश्वर कहा जैर लिखित भंग नहीं हेा 
सक्ता। ३६ तुम लाग उसे ईश्वर का निंदक ठहराते है। 
जिसे इंचर ने पवित्र करके जगत में भेजा है क्योंकि में 
ने कहा कि में ईश्वर का पुत्र हैं| ? ३७ यदि में अपने 
पिता के काय न करें ते मेरी प्रताौति मत करे । ३ 
परन्तु यहि में करें ते यद्यपि भेरी प्रतीति न करे 
तथापि काया को प्रतीति करे जिसते जाने और 
प्रतीति करे कि पिता मुक्त में और में उसमें हे । 

३८ तब उन्हों ने फेर उसप्ते पकड़ने चाहा परन्तु वह 
उनके ह.थां से बच निकला। ४० बआर यदंन पार उसी 
स्थान में जहां येहन पहिले स्वान देता था फेर गया 
और वहां रहा। ४९ बहुतेरां ने उस पास आके कहा 
कि येइन ने काई आञ्ययथ न दिखाया परन्तु सब बातें 
' जे येहन ने उसके बिषय में कहीं सत्य हैं। ४२ और 
'बहां बहुत से उस पर बिआ्आस लाये। 

९९ ज्यारहवां पब्बे। 

९ अब मरियम और उसकी बहिन मरता के गांव 

ब्ैेत निया का के।ई लाजर रोगी था। २ (वच्दौ मरियम 


_ जिसने प्रभु पर सुगंध तेल लगाया और अपने बालों से 
। 29 


| हद येइन। [९९ पन्ने 


उसके पांव के। पेछा उसी का भाई लाजर रोगों था)। 
३ इस लिये उसको बहिने ने डसे कद्दला भेजा कि हे 
प्रभ देखिये जिसे आप प्यार करते हैं से। रोगी है। 

४ थिशु ने सुनके कद्दा कि यह्द मृत्यु का राग नहीं 
परन्तु ईश्वर की महिमा के लिये जिसत॑ उससे ईश्वर के 
पुत्र को महिमा हे।वे। ५ अब मरता ओर उसको 
बहिन और लाजर से विशु प्रौति रखता था। ६ यह्द 
सुन के कि बुच्द रोगी है जहां था तहां यिशु दे दिन 
रहा। ७ उसके पौछ उसने अपने शिय्यां से कद्दा कि 
चले। हम फेर यिहक्लढिय: में जायें। ८ शिश्या ने उसे 
कहा कि हे गुरु अभी ता यिहूढियें ने चाहा था कि 
आप के पंत्थरवार्ें और आप वहां फेर जाते हैं? € 
विश ने उत्तर दिया क्या दिन में बारह घड़ी नहीं है! 
यदि काई मनुख्य दिन के चले ते ठोकर नहों खाता 
क्योंकि वुद्द जगत का उंजियाला देखता है। ९० परन्तु 
यदि काई मनुष्य रात के चले ता ठाकर खाता है 
क्योंकि उसमें <जियाला नहीं। ५९ उसने ये बातें कहीं 
और फेर उसने कहा कि हमारा मित्र खाजर नोंढद में 
है परन्तु में उसे जगाने के आता हें। ५२ तब उसके 
शिव्यों ने कद्दा हे प्रभु यद वृद्द नोंद में है ता 
चंगा देजायगा। १३ यिशु ने ते उसकी मृत्यु की कर्दी 
परंतु उन्‍्हां ने समकक्ा कि उसके नींद के चेन की कह्ौ।- 
९४ तब विश्व ने उन्हें खेल के कद्दा कि लाजर मरगया। 


९९ पब्बे] येहन । ह्श्ल 


९४ और वहां न होने से में तन्‍्हारे लिये आनंदित हे 
जिसतें तुम लेग बिश्वास लाओ तिस पर भो उसके पास 
>> से हा - क५५ 
चलें । ९६ तब तमा ने, जे। दिदिमस कच्ावता हैं अपने 
गुर भाईयों से कहा कि चले हम भी उसके संग मरें । 
श< 952 ये श >न 
१७ से अब यिश आया ते देखा कि उसे समाधि 
०७ कप ५ ८ क्र 
में चार दिन हा चुके। ९८ अब बंतनिया विरशालम 
से केस एक के टप्प परथा। ९८ और बहुत से बिह्ूदी 
मरता और मरियम के उनके भाई के डिषय में शांति 
देने आये थे। २० जब मरता ने सुना कि विशु आता 
3 ७ ऐप + ० ५ पे 
है ते उसको भेंट के गई परंतु मरियम घर में बे 
रहौ। २९ तब मरता ने विशु का कहा, हे प्रभु यदि 
556 > पर: पक रथ ५ ५० 
आप यहां चोते ता मेरा भाई न मरता। २२ परंतु में 
जानती हे कि अब भो जे कुछ आप इंअर से चाहेंगे 
हे वि हज 
ईश्वर आप के देगा। २३ यिश ने उसे कहा कि तेरा 
छ हर. हर 4 जे 
भाई फेर उठेगा। २४ मरला ने उसे कहा कि मे 
जानतो हे कि पुनरुत्थान में अंत के दिन वह फेर 
जाप छाप ् ल्‍ 
उठेगा। २५ विशु ने उसे कहा कि पुनरुत्थान ओर 
जीवन में हे जे। मुक्त पर बिश्वास रखता है यद्यपि वह 
मरे तथापि जीएगा। २६ जार जे काई जौता है खैर 
मुझ पर विश्वास रखता है कभों न मरेगा तुदसे 
प्रतोति करती है! २७ उसने उसे कहा कि हे प्रभु में 
न क० 
अतौति करतो हे कि आप मसोह ईशर के पत्र हें जिसे 
जगत में आना था। 


३४० येाइन। [१९ पब्बे 


र॒८ यह कहिके चलो गई जओर चुपके से अपनी 
बहिन मरियम के बुलाके बाली, गुरुजी आये हैं अर 
क्र ० क३५७ कर 
तुझे बुलाते हैं। २८ यह सुनतेह्ौं मरता उठो और उस 
पास आई। ३० अबलें थयिशु बस्तो मंन आया था 
परंतु उसी स्थान मं था जहां मरता ने उससे भेंट किई 
धी। ३९ जब उसके शान्तिदायक यिहूदियां ने जा 
चल के ५ 20 200७, 
उसके घर में थे देखा कि मरियम ककपस उठी चार 
बाहर गईं ता यद कह्िके उसके पोक पीछ गये कि 
वुद्द समाधि पर राने का जाती है। ३२ और जहां 
यिशुथा मरियम वहां आई अर उसे देखतेहौ उसके 
ध "७४ बार ०५. ३३ 8: 
चरण पर गिरके बाोलौ, हे प्रभु यदि आप यहां होते 
८३ अर €ः ०. से *- पी <2: सकी. 
ले मेरा भाई न मरता। ३१३ जब यिश ने उसे रोते 
८ - 2 7 कर + ९०३. का 9. 
और यिहल्ह॒दियां का भी, जे। उसके संग आये थे रोते 
ढेखा ते मन में ब्याकुल हेके हाय किया। ३४ और 
ः-ु >> ० के. ० ० के. 
कहा कि तुम ने उसे कहां धरा है! उनन्‍्हों ने कहा कि 
35७. 708. ५ 
है प्रभआके देखिये। ३५ यिशु राया। ३६ तब विल्व 
ब बिक म् 
दिये ने कद्दा कि देखे वृचद् उद्यु करो प्रौति रखता 
था। ३७ उनमें से कितना ने कद्दा कि यद् परुष जिसने 
अंधे की आंखें खेलीं न करसका कि यह मनुय्य भी न 
मरता? ह₹८ तब यिशु अपने मन में फेर आह करता 
हुआ समाधि पर आया दुद एक गुदा थी और उस पर 
एक पत्थर धरा था। ३८ यिशु ने कच्दा कि पत्थर का 
अलग करे उस मृतक कौ बच्चिन मरता ने उसे कह्दा 


९९ पब्न] याहन । ३४९ 


। ५ ५ 
कि हे प्रभु वृद्द तो अब बसाता है क्योंकि बच चाथा 
दि ल कक ५५ ४ ० 
न है। ४० विशु ने उसे कहा क्या में ने तुब्क नहीं 
कहा, यदि तू बिद्यासा लावे ता ईश्वर कौ महिमा 
देखेगो ! ४९ तब जहां वृद्द मुतक पड़ा था वहां से 
हट. का ० हर मच वि | 
पत्थर के। उन्हों ने सरकाया जैर यिशु ने आंख ऊपर 
2: 55. 47“ ० 

करके कहा कि छे पिता में तेरो स्तुति करताहें कि 
तूने मेरी सुनो है। ४२ ओर में न जाना कि त्‌ मेरी 
नित्य सुनता है पर लागों के कारण जे। आस पास खडे 
२३० हि हर. हक ७३ जि जप जा 
हुँ में ने यह कहा जिसतें वे बिश्यास लावें कि त्‌न मुम्क 
भेजा है। ४३ ओर यह कहिके बड़े शब्द से पकारा 
“हे लाजर बाहर निकल | ४४ तब जे। मरा था से 
समाधि के बस्ल समेत हाथ पांव बंघेकुए बाहर निकल 

+ हा 7 पक पट रजत कु 07०" 
आया ओर उसका मुह अंगाछ से लपेटा था यिशु ने 
उन्हें कहा कि उसे खेले अर जानदेशेा | ४५ तब 
बहुतेरे यिह्नदी, जे। मरियम कने आये थे, ओर बे 

8. 85 हर 80200 (३ कक 2 आए, 3 
काय, ले यिशु न कियेथ देखते थं, उस पर बिय्वास 
्ट्क ५» का 30. कप ६ 
लाये। ४६ परन्तु उनमें से कितने ने फिद्सी पास 
न तु घर ७3 
जाके जे जा कुछ यिशु ने किया था उन्हें सुनाया। 
४७ तब प्रधान याजकां ओर फिरुसियें ने सभा एकट्टी 
५५ हट: > न हि 

किई और कहा कि इम क्या करते हैं? क्योंकि यह 
मनुय्थ बह्ढत आख्ये दिखावता है। ४८ यदि इम डसे 
रहने देवें तो सब उस पर बिशग्ास लावेंग ओर रुकौ 
आवेंगे और इमारे देश और कुल के भी लेलेंग। 


३४२ येदन। [९९ पब्बे 


४८ अर उनमें से एक कायफा नाम, जे। उस बरस प्रधान 
याजक था उन्हें बाला कि आप लेाग कुछ नहीं जानते। 
४० आर चिंता नहीं करते कि लोागां की संतौ एक 
पुरुष का मरना हमारे लिये भला है जिसतें सारे देशो 
नाश न हेवें। ५९५ उसने यह अपनो ओर से न कहा 
परन्तु उस बरस प्रधान याजक देके यह भविष्य कच्दा 
कि यिशु उस देशो के लिये मरेगा। ५२ ग्यार केवल 
उस देशो के लिये नहीं परन्तु जिसतें वृद्द ईश्वर के 
बालकों के जे छिन्न भिन्न थे एकट्टे करे । ४३ से। उसो 
दिन से उन्‍्हें। ने उसे घात करने के लिये परामषे 
किया । ४४ इस लिये यिशु ने यिह्दियों में प्रगट में 
फिरना छोड़ दिया परन्तु वहां से जाके बनके पास 
इफराईम नाम एक नगर में अपने शिष्यां के संग रहने 
लगा। द 

४५ यिह्लढियां का पारजाना पब्बे निकट हुआ 
ओर बहुतेरे पब्बे के आगे आप का पवित्र करने का 
उस देश से यिर्शालम गये। ५६ अर विश को ढूंढ़ा 
और मन्दिर में खड़े हेके आपुस में कच्दने लग कि 
क्या समभते दे।! क्या वुच्द पब्ब में न आवेगा? ५७ 
प्रधान याजकां ओर फिरुसियों ने भो आज्ञा किई थी 
यदि काई जानता हे। कि वुचद्द कहां है ते! बता देवे 
जिसतें वे उसे पकड़लेव। 


१२ पब्बे] याहन। ३४३ 


९२ बारहवां पब्बे । 
बम 
९ पारजाना पन्म से छः दिन आगे विश बेतनिया में 
आया यहां लाजर रहता था जे मरा था अर जिसे 

जप शी हक पक कि पे 
उसने जिलाया थधा। २ वहां उडन्हांन उसके लिये 
बिआरी बनाई और मरता सेवा करती थौ परन्तु उसके 
संग के जेवनह रिये| में लाजर एक था । 

३ तब मरियम ने आध सेर अति माल का सुगन्ध 
आकर ि ते के «०५८७ 
तेल लेके यिश के चरण पर लगाया और अपने बालों 
॥76- कक ५ 6 ञ्् आप के ह3.. 
से उन्‍ह पांछा आर तंल के सुगन्ध से घर भरगया। 
४ तब शिमेन का बेटा यिह्ूदा यिस्करियती उसके 
शिश्यां में से एक जे। उसे पकड़वाया चाहता था बाला। 

० ५ की. /:: दी कल रत ५ 356०४ 0 
५ यह तल तौन सा स्को को क्यों न बंचके कंगालोां का 
दिया गया ! € उसने इस लिये नहीं कहा कि कंगाले[ 
को चिन्ता करता था परन्तु इस लिये कि वृद्द चार था 
और डांडा रखता था आर जे कुछ उसमें पड़ता था 

७-८ ७ ७ 3. कि 
से। ले जाता था। ७ तब यिश न कहा उसे मत छड़ 

25. ५७० श ९७ 4०७२६ जप & ५ ६3 
उसने मेरे गाड़ने के दिनके लिये यद रक्‍्खाथा। छ 
0५५७ 2. + ०५ ० पा >ः थे 7०५ 
क्यांकि तुम लाग कंगालां का अपने रंग नित्य पाआने 
् कै पक ३७५० 5 प 
परन्तु मुझे नित्य न पाआग। 

6 यह जानके कि वुद् वहां है विह्ूदियें कौ एक 
बड़ी मंडली आई केवल कुछ यिशु के लिये नहीं परंतु 
जिसतें वे लाजर के। भी देखें जिसे उसने म॒त्यु से जिलाया 
था। ९५० परन्त प्रधान याजकोां ने परामण्े किया कि 


8४४ । येइन | [९२ पब्बे 


सलाजर के भो मार डालें। ९९ क्योंकि उसके कारण से 
बहुत यथिह्लदी फिर गये और यिशु पर बिगश्वास लाये । 

९२ दूसरे दिन पब्बे में के आयेहुए बहुत लेाग यह 
सुन के कि विशु विरुशालम में आता है । ९३ खजर को 
डालियां लेके उस्मु मिलने के निकले और पुकारा कि 
हेशाना इसराईल के राजा के। जे। परमेग्वर के नाम 
खा 
से आता है धन्य । ९५४ जार यिशु गढहे का एक 

छ कर ने कप 
बछेड़ा पाके उस पर चड़ बठा जेसा कि लिखा है। ९५ 
3 के वे "कप 3. "बे 
है सह्हन को पुत्री मत डर, देख तेरा राजा गदहे के 
०० न्‍ 3. 5 ३५. के 
बकछड़े पर चढ़। आता है। ९५६ उसके शिष्यां न आरंभ 
में ये बातें न समुस्कों परन्तु जब विशु ऐशग्रयंमान हुआ 
82 ०८ 55 कु कर न 
तब उन्‍्हों न स्मरण किया कि ये बातें उसके बिषय में 
लिखी थों अर उन्हें ने उच्म ऐसा ब्यवह्ाार किया। 
बडे रू र ३०... श्र सर 

९७ तब जिन्होां ने उसे लाजर का समाधि से बाइर 
ब॒लाते और जिलाते देखा उन्हों ने साक्षी ढिई। श्८ 
इस कारण भी मंडलो उद्सु मिलने के निकली क्यांकि 
उन्हें। ने सुना था कि उसने यह आअ्यय किया था। ९८ 
फिरुसियें न आपस में कहा कि तुम लाग देखते हे 
कि तुम से कुछ नहीं बनपड़ता! देखे संसार उसके 
पीछ चेचचला । 

२० और उनमें जे पब्बे में सेवा के। आये थे कितने 
युनानों थे। २९ वे गालोली बेतसेदा के फिलिप पास 
आये अर उसको बिनतोौ किई कि हे मचहाशय इम 


नकककरपका न का़ ८: :-मप सदर कक *ल्‍क क ० 


९४२ पब्ब] याइहन। ३४५ 


५५ 
यिशु के देखने चाहते हें। २९ फिलिप ने आके 
अंद्रयास से कहा और अंद्रयास और फिलिप ने विश 
के। सुनाया। २३ तब यिश ने उत्तर देके कहा कि 
घड़ी आपऊहुंचो है कि मनुख्य का पुत्र महिमा पावे। २४ 
कर ५५ किक ह 9. पहन + * 
में तन्हें सत्य सत्य कहता हों कि जबलें गेहूं का दाना 
भूमि पर न गिरे अर मर न जाय तबलें अकेला रहता 
५ 5 रे «९२० :: 2९ ३ ट3 06 बज 
है परंतु यदि वुद्द मरे ता उद्स बहुत द्वाने होते हं। 
कं पड कर ५ व लक 
२५ जे अपने प्राण के! प्यार करता है से डसे खेावेगा 
० + - ने 
और जे। इस जगत में अपने प्राण से बेर रखता है -सा 
३. के न २ 8 
उसे अनन्त जोवन लो रक्षा करेगा। २६ यदि काई 
मेरी सेवा करे ते। मेरे पीछे चलाआवे खैर जहां में हे 
तह्दां मेरा सेवक भी होगा यदि काई मेरो सेवा करे ता 
मेरा पिता उसका आदर करेगा। २७ अब मेरा आण 
रत] थक 
ब्याकुल है ओर में क्या कहें! कि हे पिता मुकके इस 
घड़ी से छुड़ा ? परंत में ते इसी लिये इस घड़ौ ले 
आया हो।। र८ हे पिता अपने नामकौ महिमा कर 
डॉ ५५ 
वच्दीं आकाशबाणी हुई कि में ने महिमा किई है और 
कम 200. ७ 22%, 9५4 की 
फेर महिमा करेंगा। २६ तब आस पास के लोगों ने 


यह सुन के कहा कि मेघ गरजा, आओरों ने कहा कि 


दूत उस्मु बाला। ३० विशु ने उत्तर देके कद्दा कि यह 
2. २ 5 ८8 

शब्द मेरे लिये नहों परंत तुम्हारे लिये आया। ३९ 

अब इस जगत का बिचार है अब इस जगत का राजा 


| छूर किया जायगा। ३२ ओर यदि में पृथिवी पर से 


३४६ याहन | [१२ पब्बे 


& आय हो [६८० १ "ऊ'. खी 
ऊपर उठाया जाऊं ता सब का अपनो ओर खोचेंगा । 
३३ (डस ने यद् कहिक्रे पता दिया किआप किस म॒त्य से 

कर 29७०-9७ 3 ८&“- हि .. 
मरने पर था)। ३४ लोगों ने उत्तर दिया कि हम ने 
व्यवस्था में से सुना है कि मसोच नित रहता है फेर 
४ बे५० ु 
आप केसे कहते हैं कि मनृस्थ-के पुत्र का उठाया जाना 
चर बे पे ०. 
अवश्य है ! यह मनुव्य का पत्र कान है! ३४ यिशु ने 
हल... की बिक ५ मसल नह्ठे 
उन्‍हें कहा कि थाड़ीं देर उंजियाला हुन्हारे पास है 
05. + 5 3९ 986 के २2 जप 
जबलोें उंजियाला तुन्हारे पास है तबलों चले। नहे। कि 
अंधियारा तुम पर आ पड़े क्योंकि जे। अंधियारे में 
चलता है से। नहीं जानता कि किधर जाता है। ३६ 
६ नह + कह 3 8) +| ९०७: 
जबलें उंजियाला तुन्हारे पास है तब ला उजियाले 
श है: ७ आस ... यि 
पर बिश्वास लाओ जिसत॑ उंजियाले के पत्र हाओ यिश्ु 
रे ० ० न बज न्‍्_ म्‌ 
ने ये बात कहों और जाके अपने के। उन से छिपाया। 
₹७ परंतु यद्यपि उसन उनके आग इतने आये 
किये तथापि वे डस पर बिश्वस न लाये। श८ जिसतें 
ईंशाया भविश्यदत्ता का कह्ाहुआ बचन परा हे।वे कि 
हे प्रभु हमारे समाचार पर किसने प्रतीति किई है?! 
3 
और परमेश्वर को भुजा किस पर प्रगट हुई है ! ३८ 
इस खिये वे बिश्लास न लासके क्योंकि ईशाया ने फेर 
कहा । ४० कि उसने उनको आंखें अंथी किया और 
उनका मन कठोर, न हे।वे कि आंखें से देखें अर मन 
से समझें और फिरजायें और में उन्हें चंगा करें। ४९ 
बिक ७० न | 
जब ईशाया ने उसका ऐश्वथ देखा तब उसने उसके 


१२ पब्बे] याहन | ३४७ 


बिषय में ये बातें कहीं । ४२ तिस पर भौ प्रधानों में भी 
बहुतेरे उस पर विश्वास लाये परन्त फिरुसियें के डरके 
मारे उन्‍्हां ने मान न लिया नहे। कि मंडली से निकाले 
जायं। ४३ क्यांकि वे लेगा का आदर ईश्वर के आदर 
से अधिक चाहते थे। 

४४ यिश्षु ने पुकार के कहा कि जे। मुक्त पर बिश्लास 
लाता है से मुक्क पर नहीं परन्तु मेरे प्रेरक पर बिश्लास 
लाता है। ४५ ओर जे मुस्के देखता है से। मेरे प्रेरक 
बे & ७ ८० शकरफ व 
के। देखता है। ४६ में जगत में उंजियाला हे। आया 
हो जिसतें जे। काई सुक पर बिश्यवास लावे से अंधिआरे 
में न रहे। ४७ और यदि केाई मनृव्य मेरा बचन सुने 

5252 पड ५ 8. टी 
और बिगश्वास न लावे ते। में ठस पर दे।ष नहीं ठह्राता 
ह८33..॥ 2] कै 8 है * की डे 
क्यांकि में जगत केा देाषो ठचहराने का नहीं आया 
परन्तु इस लिये कि जगत का छडट्बार करों। ४८ जे 
काई मेरौ निंदा करता और मेरे बचन के नहीं मानता 
हर ०5५ ब्ध५ 5 बे 
उसका एक देाषदायक है जे! बचन में ने कहा है सेई 
अन्तके दिन में डसे देषो ठच्रावेगा। ४८ क्योकि में 
. अ्ण :. 200: मर हब 
« मे ता अपनो ओर से कुछ न कहा परन्त मुझ्क क्या क्या 
कइना ओर क्या क्या उपदेश करना है मेरे प्ररक पिता 
५० बल 
ने मुझे अज्ञा किई है। ४० ओर में जानता हों कि 
_ उसकी आज्ञा अनन्त जौवन है इस लिये जो कुछ में 
* “कस पि न जे ० ५७ 
कहता हो से पिता के कद्दधिन के समान कचइता हों। 


३४८ येइन। द [१३ पब्बे 


९३ लतेरहवां पब्बे। 
£ % कि 
९ अब पारजाना पब्ब से आग यिशु ने देखा कि 
व + बे सह पे स्् । 
मेरा समय आपह्ूचा है कि इस जगत का छाड़क पिता 
238, /7७ कप ९.3 वन ०७ ०. 
पास जाऊं सा ज॑ंसा वृद्र अपनंहो का जे जगत मं थे 
५ * 
आगे प्यार करता था तेसाही उसने अन्तलें उस प्यार 
के। निबाह दविया। २ और जब बिआरीो करचके ता 
हे. फट. 
( शैतान ने शिभान के बेटे यिह्ूलदा यिस्करियती के मन 
७०० ७. 
में डाला कि उसे पकड़व।वे )। ३ पिता ने सब कुछ मेरे 
० च्प्े। बे ० ५ 
बश मे किया ओर में इंश्चर से आया ओर ईअर के 
३ ८ का हु 
पास जाता हें यिशु ने यह बात जानके। ४ बिआरोौ 
से उठा और अपने बस्त के उतार रक्‍्खा और एक 
हक, 4७५ /६ + 
अंगाछा लेके अपनो कटि बांधी । ५ तब वह एक पात्र 
कब न न मर आलम न खा ५ 
में जल डाल के शिव्यें। के पांव धोने लगा और कटिके 
उस अंग।छ से पेंछने लगा। ६ तब वुद्द शिमान पथर 
का " कह: 9०. है+ ७ 
पास आया जिसने उसे कहा कि है प्रभु क्या आप मेरा 
> ३५० ०" ० ५ 
पांव थे।ते हैं? ७ विश ने उत्तर देके उसे कहा यदि में 
करता हैं| सो त्‌ अब नहीं जानता परन्तु आगे का 
जिओ ५४ भे ्ं न 
जानेगा। ८ पघर ने उस कहा कि आप मरा पांव 
कथो न घे।इयेगा यिश ने उसे उत्तर दिया कि यदि में 
डे ० ० ० 85 2 
तुके न धाओं ता मरे संग तेरा भाग न होगा। € 
शिमान पथर ने उसे कद्दा कि हे प्रभु केवल मेरे पांव 
नहीं परन्तु हाथ और सिर भौ। १५० यिशु ने उसे कहा 
73 सु 
कि जे। धायागया है पांव धाने से अधिक उसे आवश्यक 


श्३ पब्डे] याइहन । ३४८ 


नहीं परन्तु निधांर पवित्र हैं और तुम लेग पवित्र हे 
० ं ५ ् 
परंतु सब नहीं ! ९९ क्योंकि वुद्द जानता था कि कान 
उसे पकड़वावेगा इसौ लिये उसने कहा कि तुम सब 
पवित्र नहीं है।। 
*२ + है 2 
९२ से जब वृच् उनके पांव घेचका और अपने बस्तर 
रे + ० 
के लिया ता फर बठके उन्हें कह्दा कि तुम जानते हे। 
में ने तम से क्या किया ! ९३ तुम मुक्के गुरु ओर प्रभु 
हि] कि के 
हट. ५2०२ पं श् ३ 
कहते दे। और ठोक कइहते हे क्योंकि में हैं । ९४ से 
० ६2 ् 99 ७: कल5 ०००६ कक 
प्रभु और गुरु दे।के यदि में ने तुम्हारे पांव घे।ये हैं ता 
कर] (१९५ 2 अं "ये 0 58 जय 8 
तुन्हें भौ एक द्वसरे का पांव घेने के उचित है। ९५ 
है ५५ ओर 2 
ब्योंकि में ने तुन्हें एक दृष्टान्त दिया है कि जेसा में ने 
ज्ड्े ३5५ ३० बैक हैं 
तुम से किया है तंसा तुम भो करे। ९६ में तन्हों से 
5४३९३. हब ८ 
सत्य सत्य कहता हें कि सेवक अपने खामो से बड़ा नहीं 
और प्रेरित अपने प्ररक से बड़ा नहीं है। ९७ यदि ये 
बात जानते हे। और उन्हें पालन करते है। ते धन्य हे।। 
५० पत्ते $ जि 
९८ में तुम सभा के बिषय में नहों कच्दता, में जानता 
न ब० 5 ० ६ 
हों जिन्हें में न चुना है परंतु जिसतें लिखा हुआ प्रा 
 होवे कि जे। मेरे संग भाजन करता है उसने मुभ्क पर 
लात उठाया है। ९८ अब में तुन्हें आगे से कचइटता हें 
कि जब यह परा जे जाय तुम प्रतौति करो कि में दहे। 
२० में तुन्हें सत्य सत्य कद्दता हों कि जे। मेरे प्रेरित के। 
ग्रहण करता है सा मुक्के ग्दण करता है ओर जे मुस्फे 


. ग्रहण करता हैं से मेरे प्रेरक के ग्रहण करता है। 
80 


३४० येइहन। [१३ पब्ते 


२९ ये कहिके यिशु मन में ब्याकुल हुआ गैर 
साक्षी देके बाला, में तुम्हें सत्य सत्य कहता हे कि लुस्टें 
- से एक मुझे पकड़वावेगा । २२ तब शिष्यों ने एक दूसरे 
के देख देख संदेद्ध किया कि उसने किसके बिषय मे 
कह्दा। २३ अब उसके शिव्यां में से शक जे। थिशु का 
प्रिय था और उसको छाती पर ओठंगा था। २४ इस 
लिये शिमेन पथर ने उसे पछने के सेन किया कि 
उसने किसके बिषय में कद्दा । २५ ता यिश को छातो 
पर ओठंगते हुए उसने उसे कच्दा कि हे प्रभ वुद्द कान 
है! २६ विश ने उत्तर दिया कि जिसे में कार चुभेर 
के देता हे सेई है और उसने कार चभार के शिमेन 
के बेटे यिह्लदा विस्करियती के। दिया। २७ और कोर 
के पीछे शेतान उसमे पेटा तब यिशु ने उसे कहा कि जे। 
कुछ तु करता है भट से कर। र८ ओर भोजन पर 
किसी ने न जाना कि उसने क्या सममकक के उसे यह 
कहा। २८ क्योंकि कितनों ने समकका कि डाड़ा रखने 
के कारण यिश्ञु ने विहूदा से कह्ा कि जे इम पन्बे के 
लिये आवश्यक है सा मेल ले अथवा कि तु कंगाल के। 
कक दे । ३० तब कार पाके वृद्द तुरन्त बाइर गया 
अगर रात थी। 

३९ जब वह चलागया यिश न कच्दा कि अब मनय्य के 
पुत्र न मद्दिमा पाई ओर उस्से ईश्वर ने महिमा पाई। 


३२ यदि ईश्वर उस्सू महिमा पावे तो ईशअर उसे भी 


९४ पत्बे] याहन। ३५९ 


अपने से महिमा देगा आर उसे शौप्र महिमा देगा। 
३३ हे बालके अब धोड़ेलों में त॒न्हारे संग हे तुम लेग 
मुझ ढूंढ़ोग और जेसा में ने यिहूदियां से कद्दा कि 
जिधर में जाता हो तुम आ नहीं सक्ते वेसा अब में तुन्हें 
भो कच्दता हों। ३४ में तुन्हें एक नई आज्ञा देताहें 
कि तुम एक दूसरे से प्रोति करे जेसा में ने तुम से प्रीति 
किई वेसा तुम भी एक दूसरे से प्रीति करे।। ३५ यदि 
तुम लेग आपुस में प्रौति रक्खे। ते। इस्मे सब जानेंगे कि 
तुम मेरे शिव्य हे।। 
₹६ शिमे।न पथर ने उसे कहा हे प्रभ आप किधर 
जाते हैं! यिशु ने उसे उत्तर दिया जिधर में जाता हे 
तु अब मेरे पौछ आ नहों सक्ता परंतु आगे के मेरे पौछ 
आवेगा। ३७ पथर ने उसे कच्दा कि हे प्रभ में आप के 
पीछ अब क्यों नहों आ सक्ता ! में आप के लिये अपना 
प्राष देडंगा। ३८ यिशु ने उस उत्तर दिया, क्यात 
मेरे लिये अपना प्राण देगा ! में तस्मु सच सच कहता 
है| कि कुकुट न बालेगा जबलें त तोनबार मुस्मेन 
मुकरे। 
९४ चेदहवां पन्ने । ? 
९ तुम्हारा मन ब्याकुल न दे।ने पावे तुम लोग ईश्वर 
पर बिग्वास रखते हे। मुझ पर भौ बिग्यास रक्‍्खे।। २ 
मेरे पिता के घर में बहुत से निवास हैं नहीं ते। में तुन्हें 
कहता कि में जाता दें जिसतें तन्हारे लिये स्थान ठोक 


३५२ याइहन | [९४ पब्बे 


करें। ३ जेर यदि में जाके तु्हारे लिये स्थान ठोक 

४ अत अल 3. ०$ ६४ न 
करें ते फेर आओंगा और तन्‍्हें अपने पास लेडंगा 
जिसतें जहां में हां तहां तम भी होओ। ४ और जहां 

श्र ५52 न 282. 3035 अ ९ “- चु 
मैं जाता डों तम लेग जानते हो और मार्ग भो जानते 
च्हा। 

५ तमा ने उसे कहा कि हे प्रभ हम नहीं जानते कि 
आप किधर जाते हैं और हम माग के क्योंकर जानें? 
६ यिशु ने उसे कहा, मार्ग और सत्य और जोवन में 

है| मुझे छाड़ के पिता पास केाई नहीं आसक्नञा । ७ 
यदि तुम सुभे जानते ते। मेरे पिता के भौ जानते और 
अब से उसे जानते हे। और उसे देखा है। 

८ फिलिप ने डसे कद्दा हे प्रभ पिता के इउम दिखाइये 
जिसतें हमारा बाघ होवे। ८ यिशु ने उसे कचद्दा हे 
फिलिप क्या इतने दिन से में तुम्हारे संग हे औरत 
० अर ० ७३८ 3 ० कब के 
नेअबलोां मुमोन जाना! जिसने मुझ्के देखा है उसने 
पिता के देखा है ओर त्‌॒क्यांकर कच्ता है कि पिता 
के उमें दिखा! ९० क्या तुझे प्रतीति नहीों कि में 
पिता में और पिता मुक्त में ! ये बातें जे में तुन्हें कद्ता 
है| में आप से नहीं कच्दता परन्तु पिता जे मुक्त में 
रहता है से ये काय करता है। ९९ प्रतीति करे कि 
७५ >> ०. 
में पिता में और पिता मुझ में अथवा कायां के लिये 
मेरी प्रतोति करे । ९२ में तुन्हें सत्य सत्य कचटता हों 
कि जे मुझ पर बिश्वास लाता है जे। कारये में करता 


३४ पब्ब] येहन। ३५३ 


है से वृद्द भी करेगा ओर उन से बड़ा करेगा क्योंकि 
में अपने पिता पास जाता है| । ९३ और जे कुछ तुम 
लग मेरे नाम से मांगागे में वहीं करेगा जिसतें पिता 
पुत्र में महिमा पावे। ९४ बयहि मेरे नाम से कुछ मांगागे 
ते में करोंगा। ९५ यदि मसुछ्य प्रीति रखते हे ते 
मेरी आज्ञा के पालन करेा। ९६ आर में अपने पिता 
से प्राथना करोंगा और वुच्द तुम्हें दूसरा शान्ति दायक 
देगा जे। सदा तुम्हारे संग रहदेगा। ९७ अथात सच्चाई 
का आत्मा जिसे जगत ग्रहण नहीं करसक्ता क्योंकि डसे 
नहों देखता और न उसे जानता है परन्तु तुम डसे 
जानते हे क्योंकि वुच्द तुम्हारे संग रहता है औ7र तुन्हें 
में देवेगा। ९८ में तुन्हें अनाथ न छोड़ेंगा में तुन्हारे 
पास आजेंगा। ९८ अब थाड़े लें जगत म॒झो फेर न 
देखेगा परन्त तम लेग मम्मे देखते दे। और इस लिये 
कि में जोता हैं| तुम भी जोओआग। २० उस दिन तुम 
जानोगे कि में पिता में ओर तुम मुक्त नें ओर में तुन्हों 
में हों। २५ जे मेरी आज्ञा रखता है ओर उन्हें पालन 
करता है सेई मुक्त प्रति रखता है ओर जे मुस्ते 
प्रीति रखता है से। मेरे पिता का प्रिय दरोगा आर में 
उस्मे प्रोति रक्खेंगा औरु आप के। उस पर प्रगट 
करेंगा। 
२ यिस्करियती के छाड़ ह्सरे यिह्ूदा ने डसे 
हा कि हे प्रभ यद कसा हे कि आप अपने का हमपरु 


३५४ येाइहन। [१४ पब्बे 


अ्रगट करेंगे अर जगत पर नहीं ? २३ विशु ने उत्तर 
देके उसे कहा यदि काई मुक्मे औति रक्खेगा ता मेरे 
बचन के पालेगा ओर मरा पिता उत्म प्रौति रक्खेगा 
आर हम उस पास आवेंगे और उसके संग बास करेगे। 
२४ जे मुस्मे प्रोतिनहीं रखता से मेरे बचन के। पालन 
नहों करता और जा बचन तुम सुनते दे से मेरा 
नहीं परन्तु पिता का जिसने मुम्के भेजा । 

२५ तुम्हारे संग हे।ते हुए में ने ये बातें तुम से कहीं। 
२६ परन्त शान्तिदायक धमेत्मा जिसे पिता मेरे नाम से 
भेजेगा वुच्द तुन्हें सब बात॑ सिखावेगा आर सब बात जो 
कुछ में ने तुन्हे कहीं हैं तन्हें स्मरण करावेगा। २७ 
कुशल तुन्हें छाड़ जाता हें अपना कुशल में तुन्हें देता 
हैं जगत के देनेके समान में तन्हें नहीं देता हे। अपने 
मनके व्याकुल मत डे ने देड आर डरने मतदेड। २८ 
तुम ने सुना है कि में ने तुम से कच्दा है कि में जाता 
हो और तुम्हारे पास फेर आओंगा यदि तुम मुस्मे प्रोति 
रखते ते इस कारण आनंदित हेते कि में ने कद्दा कि 
पिता पास जाता हों क्योंकि मेरा पिता मुस्ते बड़ा है। 
२८ आर अब में ने तुन्हें उसके देने से आगे कहा 
जिसतें जब वुच्द दाचुके तुम प्रतेति करे । ३० आगे के 
मैं तुम से बहुत न बोलेंगा क्योंकि इस संसारका राजा 
आता है और मुस्कत में उसका कुछ नहों परन्तु जिसतें 
संसार जाने कि में पिता से प्रीति रखता है जेसा पिला 


५ थू पब्मे] येइन | २५५४ 


7 क्र ५ ५ 
ने मुझे आज्ञा किई है तेसादौ में करता हे उठो यहां 
से चल । 

९५ पंदरहवां पब्बे । 

९ दाख को सच्ची लता में हों और मेरा पिता 
किसान है। २ हर एक शाखा जो मुक्त में नहों फलतो 
वुदद डसे अलग करता है अर इर एक जे फलती है 

2: च्ह्े 2९8 2. 

वह उसे शुद्ध करता है जिसतें वुद्द अधिक फले । ३ अब 
बचन के कारण जे में ने तन्हें कद्दा है तुम पवित्र हे।। 
४ सुझ्त में बने रहे आओरर में तुस्मे जिसरोति से लता में 

बी बे ३५५८६ 
जब ले शाखा लगा नहों वुद्द फल नहीं सत्ती वंसा जबलो 

73. 95 किक... 
मुक्त में बने न रहा तुम भी नहों फल सत्ते। ५ दाख कौ 
लता में हों तुम लेग शाखा हो जे मुक्त में बना रहता 
है और में उसमें से बहुत फलता है क्योंकि मुस्धमे 
अलग तुम कुछ नहीं करसक्ते। ६ यदि मनुय्य सुक्कत से 

20 «3. * ० 
बना न रह तो वुद्द कुराई हुई शाखा को नाई फेंका 
5. ७3 ब्क्क ७३१ ०८ ही 

जाता है और लेग उन्हें समेट के आग में ,क्काकते हैं 
और वे जलतौ हैं। ७ यदि तुम लाग सुस्त में बनेरहे 
और मेरे बचन तुस्में ते जे। चाहोगे से मांगाग और 
तुस्हारे लिये देजायगा। ८ तुम्हारे बहुत फल लाने सें 
मेरे पिता कौ महिमा है आर तुम मेरे शिष्य हेओगे। 
€ जैसों पिता ने सुभ्त से प्रोति किई है तेसो में ने तुम 
सेप्रीति किई है तुम मरौ प्रोति में बनरडे। । ९० यदि 

हट स्च्क ०७ कक ०. 22 प के चर 
तुम मरी आजह्ञषाके। पालन कराण ते मरौ प्रोति सं ब॒ने 


३५६ येाइहन । [९५ पब्बे 


रहोगे जेसा में ने अपने पिता की आज्ञा के पालन 
किया है और उसकी प्रौति में बनाहेों। 

९९ में ने ये बातें तुन्हें कहीं जिसते' मेरा आनन्द 
तुमसे धरा रहे और तुम्हारा आनन्द भरजाय। ९२ 
मेरो यही आज्ञा है कि जेसौ प्रीति में ने तम से किई 
हैं तुम एक हसरे से प्रौति करे । ९३ इस्मे बड़ी श्रोति 
केाई नहीं रखता कि अपना प्राण अपन मित्रों के लिये 
देवे। ९४ यदि तुम मरीो आज्ञाओं के माने तो मेरे 
मित्र हे । ९५ अब से में तुन्हें सबक न कहेंग। क्योंकि 
खामो जे। करता है सा सेवक नहीं जानता परन्तु में ने 
तुन्हें मित्र कहा है क्योंकि सब बाते' जे में ने अपने 
पिता से सुनी हैं से में ने तुम पर प्रगट किई हैं। ९६ 
तुम न मुझे नहों चुना परन्तु में ने तुन्हें चुना और तुन्हें 
ठच्राया है कि जाके फल लाओआ और तुम्हारा फल 
बना रहे कि जे कुछ तुम लोग मेरे नामसे पिता से 

गो वच् तन्‍्हं देवे। ९७ एक दूसरे से प्रोति रखने को 
में तन्हें आज्ञा करता हों। | 

१८ यदि संसार तुम से बेर करे ते जानते हो कि 
तुन्हों से आगे उसने सुस्म बर किया। ९८ यदि तुम 
संसार के हे।ते ते। संसार अपनेही से प्रौति रखता परन्तु 
मैं नेजे तुन्हें संसार से चुन लिया है ओर तुम संसारके 
. नहों हो इस लिये संसार तुम से बेर रखता है। २० 
में ने तुस्हें जे। कद्दा उसे चेत करे। कि सेवक अपने खानी 


. ९६ पब्मज] येहन। ३५७ 


से बड़ा नहों यदि उन्हों ने मुझे सताया तो तन्हं भी 
७३ अर २, "किक, चर 
सतावेंगे यदि उन्‍्हां न मरा बचन पाला है तो तुन्हारा 
भो पालेंग। २९ परन्तु मरे नाम के लिये वे तुम से यह 
९५ ७. ७५ ० कक औ0०-कुए ७ टों ०८ 
ब्यवहार करंगे क्योंकि वे भेरे प्रेरक का नहीं जानते। 
२२ यदि में आत्ने उन से न कहता ते उनका पाप न 
हे।ता परन्तु अब उनके पाप का आड़ नहीं। र२ए जे 
ब्ग चने ८: ब्रे५ 
मुस्मे बेर रखता है से मरे पिता से भी बेर रखता है। 
२४ यहि में उन में ऐसे काये न किया हेता जे। किसी 
मनुष्य ने नहीं किया ते उनका पाप न हेला पर अब 
ते उनन्‍्हां ने उन्हें देखा तथापि मुस्य ओर मेरे पिता से 
बे व बे र] 
बर भी किया। २४ परंतु जिसते उनको ब्यवस्था का 
० ३५० बे 
बचन प्रा हे।वे उन्‍्हों ने मुल्य अकारण बेर किया। २६ 
परंतु जब वद् शान्तिटायक आधे जिसे में तुम्हारे पास 
पिता की ओर से भेजेगा अथात सच्चाई का आत्मा जे 
पिता से निकलता है तो मुक्त पर साक्षी देगा। २७ 
और तुम भो साक्षी देओगे क्योंकि आरंभ से मरे संग 
रहते है।। 
है] रे 
९६ सेलचहवां पब्न। 
बे 00 ०६०३ २४७ ०७ ०७ दरों ०७ ०. 

९ में ने ये बात तुन्ह कहीं जिसतें ठंकर न खाओआ। 
२ वे तुन्‍्हें मंडलियें से बाहर करेंगे हां वुद्द समय आता 

है कि जे। केई तुम्हें घात करेगा से समझेगा कि मैं 
. ईश्वर को सेवा करता हें। ३ और इस कारण वे तुम 
से यह व्यवहार करेंगे कि उन्हों ने न पिता के न मुझ्के 


३५८ येइन । [९६ पब्बे 


हि ९] &3> 9 $ दो 
जानां है। ४ आर में ने ये बातें तुन्हें कहीं कि जब 
समय आये ते। चेत करे कि में ने उनकी तुन्हें कहीं में 
नेआरंभ में ये बातें तुन्हे न कहीं इस कारण कि में 
हे हे ५५० 
तुम्हारे संगो था। ५ पर अब में अपने प्रेरक पास 
जाता हों आर तुस्म केई मुस्से नहीं पकता कि तू कहां 
हम ५ कि कट" 
जाता है। ६ परन्तु मेरी इन बातां के कहने के कारण 
तुम शाक से भर गये। ७ तिसपर भी में तुम्हें सत्य 
कहता हे कि मरा जाना तुम्हारी भलाई के लिये है 
से . ५० /०७८ न 
क्योंकि यदि में नजाऊ ता शान्तिदायक तुम्हारे पास न 
आवेगा परन्तु यदि में जाऊं ते। उसे तुम पास भेजेगा । 
८ और जब वुद्द आवेगा ते संसार के। पाप का और धम 
का ओर बिचार का बिघय जनावेगा। & पाप का इस 
लिये कि वे मककक पर बिश्वास न लाये। ९० धम का इस 
लिये कि में अपने पिता पास जाता हों आर तुम मम्मे 
2:29 46 ०. शक ू ०» 
फर न देखाग। ५९५ बिचार का इस लिये कि इस 
संसार के राजा का बिचार किया गया है। 
->  , कि 

९२ तुन्हें कहने के अब भो मुझ पास बहुतसी बातें 
] चथक य॥ 
हैं परन्तु अब तुम उन्हें सहच्चि नहों सत्ते। ९३ पर जब 
वुद्द सत्य का आत्मा आत्रेगा वक्त तुम्हें सारी सच्चाई में 
पहुंचावेगा क्योंकि वुद्द अपनौ न कद्देगा परन्तु जे! कुछ 
वुच्द सुनेगा से कह्ेगा ओर वुह्द तुम्हें आगे का भेद 
बतावेगा। ९४ वुच्द मरी महिमा करेगा क्योंकि वुद्द मरी 
में से पावेगा और तुन्हें बतावेगा। ५४ पिता का सब 


१६ पब्बे] येाइहन | ह्प८ 


कुछ मरा है इस लिये में ने कचह्दा कि वृच् मरी में से 
लेके तुन्हें दिखाबेगा। ५६ तनिक और तुम मुझे न 
देखागे आर फेर तनिक मुभो देखेगे क्योंकि में पिता 
पास जाता हो। 

१९५७ तब उसके कितने शिव्यों ने आपुस में कह्ठा कि 
यह क्या है जे वुद्द हम कहता है कि तनिक और तुम 
म॒भे न देखेगे और फेर तनिक और तुम मे देखेग 
इस कारण कि में पिता पास जांता हो! ९८ यह क्या 
है जाव॒द कच्ता है कि तनिक भर हम नहों जानते 
वह क्या कहता है! ९८ यह्ट जानके कि उन्हों ने लस्पे 
पक्कने चाहा यिशु ने उन्हें कहा कि में ने जे। कचद्दा कि 
तनिक आर तुम मुक्के न देखेगे और फेर तनिक और 
तुम मुक्के देखेगे उसे आपुस में पक पाक करते हे! 
२० में तन्हें सत्य सत्य कच्ठता हों कि तुम राओगे ओर 
बिलाप करोगे परन्तु संसार आनन्द करेगा तम लाग 
दुःखी हाओगे परन्त तुन्हारा दुःख सुख ह्ोजायगा। 
२५ जब स्लो पौड़ित देती है अपना समय पहुंचने के 
' कारण वुच्द दुःखो देती है परन्तु ज्योंहों वुद्द पुत्र जनी 
ता एक पुरुष के उत्पन्न होने के आनंद के मारे उस 
पीड़ा के चेत नहों करतो। २२ से अब तुम लाग 
रुःखो हे। परन्तु में तुन्हें फेर देखेंगा और तुन्हारा मन 
आनंदित होगा भर तुम्हारा आनंद तुम से कोई न 
लेगा। २६ तुम उस दिन सस्ये कुछ न पछोगे में तुम से 


३६० याइहन। [९६ पब्के 


सच सच कहता हे कि मरे नाम से जो कुछ तुम पिता 
से मांगागे वुइ तुन्हें देगा। २४ अब लों तुम ने मेरे नाम 
से कुछ नहों मांगा, मागो ओर तुम पाओगे जिसते' 
तुम्हारा आनंद परा हे।वे। 

 श५ में ने ये बातें तुन्हें दृष्टांतां मं कहीं परन्तु समय 
आता है जब में तुन्हें दृष्टांतां में फेर न कह्ेंगा पर में 
पिता के विषय में तुन्‍्हें खेल के देखाओंगा। २६ उस 
दिन तुम मेरे नाम से मांगाग आर में तुन्हें नहीं कचता 
कि में तुम्हारे कारण पिता से प्राथना करोंगा। २७ 
क्योंकि पिता आपह्चौं इस कारण तुन्हें प्यार करता हैं 
कि तुम ने मुझे प्यार किया है और बिद्यास लाये हेए 
कि में ईश्वर से निकला हें । २८ में पिता से निकल के 
जगत में आया हे फेर जगत के छोड़ के पिता पास 
जाता हों। 

२८ उसके शिय्यां ने उसे कहा, देखे अब आप बिन 
दृष्टान्त खेलके कहते हैं। ३० अब हमें निश्चय हैं कि 
आप सब कुछ जानते हैं और अधोन नहीं कि काई 
आप से पक इस्से हमें निश्चय हुआ कि आप ईश्वर से 
निकल आये हैं। ३९ थिशु ने उन्हें उत्तर ढि्या क्या 
तुम लाग अब प्रतीति करते हो! ३२ देखे घड़ी 
आतो है हां अब पहुंची है कि तस्में से हर एक छिन्न 
भिन्न हेके अपना अपना मार्ग पकड़ेगा ज"र मस्े 
अकेला छे/ड़ेगा तथापि में अकेला नहों क्योंकि पिता 


९७ पब्बे] येहन | ३६९ 
मेरे संग है। ३३ में ने ये बातें तन्‍्हें कहीं हैं जिसतें 
मस्त में कशल पाओआ जगत में तम लोग दःख पाओगे 
प्रन्त निश्चिन्त रद्दे। में ने जगत के जौता हैं। 
१५७ सतरहवां पब्ब । 
९ यिशु ने यह कथा समाप्त करके खगे कौ ओर 
अपनी आंख उठाके कहा, हे पिता घड़ौ पहुंची है 
अपने युत्र का महिमा दे जिसतें तेरा पत्र भी तम्मे 
महिमा देवे। २ जेसा तने उसे सकल प्राणी पर 
पराक्रम दिया है कि वह उन सभों का जिन्हें त ने उसे 
दिया है अनन्त जोवन देवे। ३ ओर अनन्त जीवन यह 
है कि तुभो अकेला सच्चा ईश्वर ओर यिशु मसौंद का 
जिसे त ने भेजा है जानें। ४ में ने प्रुथिवों पर तेरी 
महिमा किई है जे। काये त्‌ ने मुझे करने के दिया है 
में उसे कर चुका हें। ५ और अब हे पिता त्‌ लुक्के 
अपने संग उस महिमा से महिमा दे जे। जगत के हेके 

सेआगे में तेरे पास रखता था। € जिन्हें त ने जगत 
में से मुझे ढिया है में ने लेरा नाम उन पर प्रगट किया 
| है वे तेरे थे और त ने उन्हें मुझे दिया है और उन्हों ने 

तेरे बचन के धारण किया है। ७ अब उन्हों ने जाना 
है कि सब कुछ जे त्‌ ने मुझे दिया है से तेरी ओर 
झ्षेह्ें। ८ व्यवोंकि जे बातें त ने मुखे हिई हैं से में ने 
इन्हें दिई हैं और उन्होंने ग्रहण किया और निश्चय 
जाना है कि में तुझे निकला अर वे बिश्वार आधे शो च्द्ु 


। 






शहर येाहन | (९७ पब्ब 


न फ्रे है ५० 
कि तुने मझे भजा। € में उनके लिये प्राथना करता 
प्र ६ कवि कप 
हैं में संसार के लिये नहीं परन्त उनके लिये जिन्हें 
त ने मम्मे दिया है प्राथना करता हो क्योंकि वे तेरे हैं। 
५० अर मेरे सब तेरे ह॑ अर तेरे मेरे है और में ने 
उनसे महिना पाई है। ९९ में जगत में आग न 
३. ४३ ट +९३० अप 3 प 
रहेगा परन्तु ये जगत में हैं और में तेरे पास आता 
हों हे पवित्र पिता जिन्हें तु ने मे ढिया है अपने नाम 
से उनको रक्षा कर जिसतें वे हमारों नाई एक हेोव | 
० ० ७६६३० पक. ०७ ७९००३ प्र जे 
९५९ जब लें में उनके संग जगत में था तेरे नाम से मे 
उनकी रच्चा करता था जिन्हेंत्‌ ने मभे ढिया में न 
उनकी रक्षा किई है ओर उनमें से नाश के पत्र का 
छाड़ केई नछ न हुआ जिसतें लिखा हुआ प्रा हेवे। 
| के पक ७५:7६ प न] 
९३ परन्तु अब में तेरे पास आता हों और ये बातें 
जगत में कददता हे ज़िसतें सेरा आनंद उनमें परा 
>> 
हैवे। 
दही ५: ०. ४४७ २ ६ ८. च्हे ३ हक. 
२४ में ने तरा बचन उन्हें ढिया है और जगत न 
7 जज के कि. का रो <५० ०५ 
उन से बेर किया है क्योंकि वे जगत के नहीं हें जेसा 
2७ रो >> ५० ७७ हे है$ अप. 
में जगत का नहीं हों। ९४ में उन्ह जगत से उठालने 
ह&& थ ० €्‌ विद कक. ४ कर 
के लिये प्राथना नहीं करता परन्त उन्हें दु& से बचालेने 
के हि रत ों ५ बे ० ६५ आओ 
का । ९६ जंसा में जगत का नहीं तंसा वे जगत के 
७७ 2 सर 
नहों | ९७ उन्हें अपनों सच्चाई से पवित्र कर तेरा बचन 
९ 3 बिक जप मकर १३ 
सच्चाई है। ९८ जेसा त ने मुब्ते जगत में भेजा है तेसा 
ज्ैः हर, छ-+ 0 बे जो कि: नें 
में नेभी उन्हें जगत मं भेजा है । ९८ उनके लिये में 


९७ यब्ब] येाइन। ३६३ 
आप के पवित्र करता हे जिसतें वे भों सच्चाई से पवित्र 
हां। 

२३० केवल उनके लिये में प्राथेना नहों करता परंतु 
उन्हां के लिये भो जे। उनके उपदेश से मुक्त पर बिश्वास 
लावेंगे। २९५ जिसतें वे सब एक हे।वें जेसा कि हे पिता 
त्‌ मस्त में और में तुक्क में वे भो इच्यमें एक हेवें जिसतें 
संसार विश्वास लावे कि त्‌ ने मुझे भेजा है। २२ ओर 
वच् महिमा जा त ने मक्के दिई है में ने उन्हें ढिई है 
८ ५ फः बे ; ५ मं ७७ ब, >] 
कि जेसा हम एक हैं तेसा वे एक होव। २३ मे उनमें 
और तमुक्त में कि वे एक में सिद्ट होवें और जिसतें 

>> ० ५  े हक 
संसार जाने कि त्‌ ने मुक्के भेजा है और जसा त्‌ ने मुम्के 

हे डे ०>+ रे 
प्यार किया है तसा उन्हें भी प्यार किया है। 
ब्र० 5 $ आर 
२४ हे पिता में चाइता हे कि जिन्हें त ने मु्के ढिया 
» ० 9 ४ $ ७७ के 

है जहां में हां वे भो मेरे संग होवें जिसतें वे मेरी महिमा 
का, जे त ने मुझे ढिई है देखें क्योंकि त ने मुक्कत पर 
जगत को उत्पत्ति से आग प्रेम किया है। रघ्‌ हे 
धास्सिक पिता संसार ने तुक्क नहीं जाना है परन्तु में ने 
तुक जाना है ग्यार इन्‍्हों ने जाना है कि त्‌ ने मुझ 
कप ३० बे ०. 
भेजा है। २६ ओर में ने तेरा नाम उन पर प्रगट 
किया है और प्रगट करोंगा कि जिस प्रम स त ने मस्क 
पर प्रेम किया है वह प्रेम उनमें होवें और में उनमें । 


श्द४ याइन | [९७ पन्ने 


१५८ आठारहवां पब्बे । 

५ वथिशु ये बातें कहिके अपने शिष्यां के संग कटरुन 
नाले पार गया जहां एक बारो थौ जिसमें वुद्द और 
उसके शिग्य गये। २ और उसका कलदायक विहूदा 
भो वृच्द स्थान जानता था क्योंकि यिशु बारंबार अपने 
शिव्यों के संग यहां जाया करता था। ३ तब प्रधान 
याजकां और फिरुसियें से एक जथा जार प्यादे 
पलौता और दौपक और इथियार सहित लेके यिहृदा 
वहां आया । ४ पर यिशु सब कुछ, जे। उस पर बोता 
था जान के बाइर निकल के उन्हें कहा कि तुम लाग 
किसे ढूंढ़ते हे ! ५ उन्‍्हों ने उत्तर दिया कि विश्ु 
नासरी के विशु ने उन्हें कहा कि में हें उस समय 
उसका कलदायक यिहूदा भो उनके संग खड़ा था। 
उ्योंहों उसने उन्‍्ह कद्दा कि में हों त्योंीं वे पौछ इट के 
भमिपर गिरपड़े। ७ तब उसने उनसे फेर पक्का कि 
तुम लाग किसे ढूंढ़ते दे। वे बोले कि यिशु नाशरी का। 
८ यिशु ने उत्तर दिया कि में ने ते तुन्हें कद्दा कि में 
हे से। यदि मुझ ढूंढ़ते हे। ता इन्हें जाने देड। € 
लिसतें उसका कद्दा हुआ बचन प्रा हेवे कि किन्‍्हें त्‌॒ 
मे मुझ्के दिया है में ने उनमें से शक के न खेाया। १५० 
तब शिमेन पथर ने अपना खड् खींचा और प्रधान 
याजक के सेवक पर चलाया आर उसका दहिना कान 
उड़ा दिया उस सेवक का नाम मलकूस था। ९५९५ तब 


९८ पन्ने] याहन । ३६५ 


विशु ने पथर से कहा कि अपना खड् काठौ में कर जे 

2 ह | क्र २९० ० 
कटोरा मेरे पिता ने मुझ दिता है क्या में उसे न 
पोओं ! 

१५२ तब जथा चेर सेनापति बेर विहूदियों के . 
प्यादों ने विशु के। पकड़के बांधा। ९३ ओर इसे 
पहिले अन्नास पास लेगये क्योंकि व॒द्र कयाफा का ससुर 
था जे। उस बसर प्रधान याजक था। ९१४ यह वहच्दौ 

हल ॥:2:. 80 हा ] /“- ् ७ ० 
कयाफा था जिसने यिह्ल दिये का मंत्र दिया कि लागों 
के लिये एक मनृथ्थ का मरना आवश्यक है। 

कक. ०5२ 9 क्र न के 

९५ तब शिमान पथर द्वस रे शिग्य के रंग हा के यिशु 
के पीछ च्वेलिया वुच्द शिव्य प्रधान याजक का जाना 
हुआ था आर यिशु के साथ प्रधान याजक के आंगनमें 
गया। ९६ परन्तु पथर द्वार पर बाहर खड़ारह्वा तब 
वह दूसरा शिव्य, जे। प्रधान याजक का जाना हुआ था, 
बाइर गया ओर द्वारपाली के कहिके पधर के भोतर 
लाया । ९७ तब द्वारपालों दासो ने पधर का कहा 
“तभी इस ननुख्य के शिव्यां म से नहीं!” वद बाला कि 
में नहों हें। ९८ अब सेवक ओर प्यादे काइलेंकी 

कम फेक जैक: कि कब २ ॥+ 8३६ 
आग सुलगा के जाड़ेके मारे खड़ेद्ेगके तापते थे चार 
 पथर उनके संग खड़ा तापरहा था । 
8. किक शिष्यां “जे, 28 

९८ तब प्रधान याजक ने यिशु से उसके शिष्यों के 
और उसके उपदेश के बिषय में पूछा। २० थिशु ने 

॥' ५ + पा प्र झ्ल 
से उत्तर दिया कि में ने संसार के। खे।ल के कद्दा में 


३६६ येहन। (९८ पैन्ने 


ने सदा मंडली में और मन्दिर में जहां विहूदो नित्य 
एकट्टे होते हैं सिखाया और गुप्त मे में ने कुछ न कहा। 
२९५ आप मुझ क्यों पछते हैं! जिन्‍्हों ने मुझे सुना 
डनसे पकछिये कि में ने उन्हें क्या कद्दा जे में ने कहा से 
वे जानते हैं। २२ जब उसने ये कहा तब पासके खड़े 
डुए प्यादें में से एकन यिशु का थपेड़ा मार के कहा 
कि त प्रधान याजक के ऐसा उत्तर देता है?! २३ यिश्ञ 
ने उसे उत्तर दिया कि यदि में न बरा कह्दा ता बराई 
को साज्षों दे परन्तु यदि अच्छा ते। त्‌ मुक्के क्यों मारता 
है! २४ और अन्नासने उसे बंधा हुआ कयाफा प्रधान 
याजक पास भेजा । 

५ तब शिमान पधर खड़ा ताप रच्दा था से उन्हों ने. 
लुसे कहा, कि “तभी उसके शिव्यां में से है! उसने 
मुकर के कहा कि म॑ नहों हां । २६ प्रधान याजक के 
सेवकों में से एंक ने कद्दा, जिसके कुर्टुब का कान पथर 
ने काटा था, क्या में ने तुमे उसके संग बारी में महीं 
देखा! २७ तब पथर फेर मुकर गया आर तुरन्त कुछुट 
बाला । 

र॒८ तब वे यिशु के कयाफा कने से बिचारस्थान में 
लाये और अब बिद्दान हुआ परन्तु वे आप बिचार 
स्थान में न गये जिसतें अशद्ध न हें परन्तु जिसतें वे 
पारजाना खाये । २८ इस लिये पिलात उन पास 
निकल आया ओर बेला कि तुम लोग इस मनुय्य पर 


९८ पब्बें] येाहन । ३६७ 


। सा का 3 " ३०५ प 
क्या अपबाद लगाते हे। ? ३० उन्हों ने उत्तर देके कद्दा 
कि यदि यद्ट अपराधी न होता ते इम उसे आप का न 
ते स्पा कर सक रे 2. हो 

7पते। ३९ पिलात ने उन्ह कद्दा कि तुम उसे लेजाओ 
और अपनी व्यवस्था के समाम उसका न्याय करे इस 
लिये यिह्ू दिये ने उसे कहा कि हमें उचित नहों कि 
किसी के। घात करं। ३२ यों यिशु का कहा हुआ बचन 

प्रा हुआ कि वह किस रौति से मरेगा। 

७ ० 
३३ तब पिलात बिचार स्थान में फेर गया ओर 
विशु के। बुलाके कहद्टा क्या “तू यिहल्दियोां का राजा 
है?! ३४ यिशु न उसे उत्तर दिया कि आप यह बात 
आप से कछते हैं अथवा औरें ने मेरे बिषय में आप से 
कहौ ! ३५ पिलात ने उत्तर दिया कि क्या में विहूरों 
है! तुम्के तेरेह्दौ लेगों ने ओर प्रधान याजकों ने मुझे 

सै ६3... , 
सैंप रिया से, ने क्या किया है! ह₹€ विशु ने उत्तर 
दिया कि मेरा राज्य इस जगत का नहीं है यदि मेरा 
रे बा 2282 05 प ब०. 
राज्य इस जगत का होता ता मेरे सेवक लड़ते कि में 
' पयह्लढ्यिं के सांपा न जाता पर मेरा राज्य ते यहां 
का नहीं । ३७ तब पिलात ने उसे कद्दा कि “ त राजा 
है!” यिशु ने उत्तर दिया कि आप ठौक कइतेहें 
_ किमेंराजा हो में इसो लिये उत्पन्न हुआ और इसी 
_ कारण में जगत में आया कि सच्चाई पर साज्षौ देड जा 
 काई सत्य से है से मेरी सुनता है पिलात ने उसे कहा 
कि सच्चाई क्या है। 


हद येइन। (९6 पन्ने 
इ८ आर यह कहिके वृद्द फेर यिहूदियें के पास 
०७ के३० ्े 
गया अर उन्हें बोला कि में उस पर कुछ दे नहीं 
ढ९« 
पाता। ₹८ परन्त तम्हारा एक ब्यवहार है कि में 
तम्हारे लिये पारजाना पब्बेम एक का कोड देडं, 
तुम उाइते हैे। कि मे तुम्हारे लिये यिह्ूदियां के राजा 
के छाड़ देड ! ४० उन सभों ने फेर चिज्नला के कद्ा 
कि इस मनुष्य के नहीं परन्तु बरव्वास के आर 
बरब्बास बटमार था। 
९८ उन्नौसवां पब्बे। 
(/३०" सर न 
९ तब पिलात ने यिशु का काड़ा मारा। २ और 
याद्वाओं ने कांटा का मुकुट गंध के उसके सिर पर रक्‍्खा _ 
ल्यैर उसे बेंजनी बस्त पह्चिना के कहा। ३ कि यिह्ू 
दिये के राजा प्रण.म और उन्‍्हें। ने उसे थपेड़े मारे। 
कर? हक. विधि ४5 ५. 
४ तब पिलात ने फेर बाहर जाके उन्हें कहा कि देखे 
में उसे तन्हारे पास बाहर लाता हे जिसतें तम जाना 
कि में उसका कछकू देाष नहीं पाता। ५ तब यिशु 
काटों का मकट जआंर बजनो बसस्‍्ल पहिने हुए बाइर 
आया गैर पिलात ने उन्हें कद्दा कि इस मनुय्य का , 
देखे । ६ जब प्रधान याजकां और धावनें ने उसे देखा 
ता चिह्नाके बोले कि “क्रम पर मारियेक्रस पर मारिये 
पिछात ने उन्हें कद्दा तम उसे लेओ अर क्रसपर मारे 
क्योंकि भें उस पर कुछ देष नहीं पाता। ७ यिह्दियां 
38. ० कर० । 
ने उसे उत्तर दिया कि हम ब्यवस्था रखते हैं और 


९८ पब्ब] येाइहन | ३६6 


इहमारौ ब्यवस्था को रौति से वृद्द घात के याग्य हैं 
क्योंकि उसने अपने के ईश्वर का पुत्र उह्दराया। 

८ जब पिलात ने यधद्ट बचन सुना वह अधिक डर 
गया। ८ ग्रेरर बिचार स्थान में फेर जाके यिशु से कहा 
कि त कहां का है? परन्त यिश ने उसे कुछ उत्तर न 
दिया। ९० तब पिलात ने डसे कहा क्या त मुस्म नहों 
बालता ! क्या नहों जानता कि में पराक्रम रखता हे 
चाहों तुम्के क्रुस पर मारों चाहें छोड़ देडं। ९९ विशु 
न उत्तर दिया कि यदि आप का ऊपर से ढियान 
जाता ते मुक्त पर आप का कुछ पराक्रम नहेतासा 
जिसने आप के मुझ्के सांप दिया उसका अधिक पाप है। 

९२ उस समय से पिलात ने उसे छाड़ देने चाहा पर 
यिह्ूदि्यें ने चिल्ला के कहा कि यदि आप इस मनुय्य 
के छोड़े ते। आप केसर के मित्र नहीं जे। अपने के 
राजा ठचराता है से केसर के बिरुड् कद्दता है। ९३ 
पिलात यह बात सुन के यिशु के बाहर लाया ओर 
बिचार आसन पर उस स्यान में जे चबतरा कचद्ावता 
है बेठा परन्तु इबरो भाषा में गब्बासा है। ५४ और 
अब पारजाना कौ बनाउरो थौ गैर छटठवीं घड़ी के 
निकट था और उसने यिह्ूदिये| के कद्दा कि अपने 
राजा के देखे। ९५५ तब वे चित्लाये कि “लेजाइये 
लेजाइये उसे क्रस पर मारिये पिलात ने कहद्दा कि में 
लम्हारे राजा के क्र्स पर मारों! प्रधान याजकों ने 


३७० याहन । [९७ पन्ने 


उत्तर दिथा कि केसर का छोड़ इमारा काई राजा 
नहीं । ९६ उसने इसलिये उसके तई क्रूस पर मारे 
जाने के उन्हें सांप दिया और उन्हें ने विशु के पकड़ा 
और लेगये। 

९७ ओर अपना क्रूस उठाये हुए वुद्द उस स्थान के 
गया जे खेपड़ो का कहावता है जिसका अथ इबरीं 
में गलगता है। ९८ वहां उन्हों ने डसे गैर उसके संग 
और दे के दहिने बाये ओर यिशु के बौच में क्र 
पर मारा। 

५८ और पिलात ने एक नामपत्र लिख के क्रूस पर 
लगा दिया वुद्द लिखा हुआ यहच्द था कि “ विशु नासरौ 
विह्लहियिं का राजा'। २० इस नामपत्र का बहुतेरे 
विह् दिये ने पढ़ा क्योंकि जिस स्थान में विशु क्रूस पर 
खोंचा गया था से। नगर के पास था जार वुषह् इबरी 
और यूनानी और लातौनो में लिखा था। २९ तब 
यिहूढियें के प्रधान याजके ने पिलात से कहा कि 
यिह्ह दियें का राजा मत लिख परंतु कि उसने कहा कि 
में यिह्ूहियेां का राजा हों। २२ पिलात ने उत्तर 
दिया कि में ने जे। लिखा से लिखा। 

२३ फेर जब याद्धाओं ने यिशु के क्रूस पर टांगा 
उसके बस्ते के। लिया और चार भाग किये हर योद्धा 
के। एक ओर उसके बागे के भी लिया आर बागा बिन 
सोआ ऊपर से नौचले| बुमा हुआ था। २४ इस लिये. 


१८ पन्ने] येहन। ३७९ 


वे आपुस में बोले कि हम इसे न फाड़े' परंतु उस पर 
चिट्ठी डालें कि यह किसे पहुंचता है आर वुच्द लिखा 
हुआ पुरा हुआ जे। कहता है कि उन्हों ने आपुस में 
मेरे बस्तर का बांट लिया आर भरे बाग के लिये चिट्टी 
डालो से याद्वाआ ने ऐसाइही किया। 

२४५ अब विशु के क्रूस के प्रास उसकी माता और 
उसकी माता की बहिन कश्रापास को मरियम ओर 
मरियम मजदलिय: खड़ी थीं। २६ यिशु ने अपनी माता 
के और अपने प्रिय शिम्य के पास खड़े हुए देख के 
अपनो माता का कहा कि हे स्तौं अपने पुत्र का देख। 
२७ फेर उसने उस शिव्य के। कहा कि अपनी माता केा 
देख आर उसी घड़ी से व॒द शिव्य उसे अपने घर ले 
ग़या। ः 

रुप इसके पीछ यिशु ने जाना कि अब सब कुछ हे। 
सका जिसतें लिखा हुआ प्रा हेववे उसने कहा कि में 
प्यासा हें । २८ अब वहां एक पात्र सिर के से भरा हुआ 
धरा था उन्‍हा न बादल के टकड़ का सिरके में भिगा 
के जफा में लपेट के नल पर रकखा और उसके मंह पर 
लगाया। ३० इस लिये जब थिश न .सिर के का चौखा 
ता कहा कि हाचका आर सिर कककाके प्राण साप 
द्यिा। 

. ३९ आ र इस लिये कि वृद बनाउरौ का रुमय था 
_चिह्ृदियों ने पिलात से चाहा कि उनको टांगें ताड़ी 


8७२ येहन। [३८ पन्ने 


जायें और उतार लेजाये कि लाथ बिश्वाम हिनने क्रुस 
प्ररन रहने पावे क्यों कि वुद्द बिशाम बड़ा दिनथा। ३२ 
तब याद्वाओं न आके जे। उसके साथ क्रस पर खींचे 
८०. पक >क कक 8५ बिक 9 ह*> 
गये थे पहिले ओर दूसरे को टांग ताड़ों। ३३ परन्तु 
जब उन्हों न यिशु पास आके देखा कि वुद्द मर चुका है 
9 ७७. + ०5 ० का 
तो उन्हां ने उसको टांगें न॒ ताड़ों । ३४ बरन्त येाद्धाओं 
में से एक ने भाले से उसका पंजर गाहा ओर तुरन्त 

४७ 05७. च्चै & 2 - 
उद्सु लाह्ड और पानी निकला। 

%५ ओर जिसने यह देखा उसने साथौ दिरई ओर 
उसकी साज्वौं सत्य है और वुद्द जानता हे कि सत्य 
कहता है जिसत तुम लाग बिद्यास लाओआ। ह६ ये. 

4 ६४४० 6 ०५ 9:98... > 9७ 2 
ब्रातें इस लिये हुई जिसते लिखा हुआ प्रा हावे कि 
उसकी केई इड्ढो| तेःड़ी न जायगौ। ३७ और फेर 
लिखा हुआ कहता है कि वे उस्च पर जिसे उन्‍्हों ने 
गाढ़ा दृष्टि करेंगे। 

. इ८ और इसके पीछे अरिसतिया के टसफ ने जे 
यिह्ू दिये के डर के मारे छिप के विशु का शिग्य था 
आके थिश्‌ कौ लेाघ लेजाने के पिलात से आज्ञा चादी 
पिलात मे लेने दया से वृद्द आया गर बिशु को 
लेथ के लिया। ३८ जार नौकूदरोम भी, जे पहिले 
विशु पास रात के! ग़या था आया और पचास सेर के 
लगभग गंधरस अर एलुआ्आा मिला के लाया। ४० तब 
उन्हें। ने ग्रिशु कौ लेथ के। लेके विह्दियों के गाड़ने 


२० पब्बे] येाइहन। ९ ३७३ 


की रौति के समान रूतो कपड़े में सुगंध के संग 
लपेटा। ४९ और जिस स्थान में उसे क्रूम पर खींचा 
था वहां एक बारो थी आर उस बारी में एक नई 
समाधि जिसमें कोई धरा न गया था। ४२ से उडन्‍्हों ने 
विश के यिह्ल दियें को बनाउरौ के लिये वहीं रक्‍्खा 
क्योंकि वह समाधि समोप थो । 
२० बोसवां पब्बे। 

९ अठवारेके आरंभ में मरियम मजदलियः तड़के 
अंधियारा रहतेही समाधि पर आई ओर पत्थर के 
समाधि से टाला हुआ टेखा। २ तब वुद शिमेन पथर 
आर उस ट्ूसरे शिग्य के पास, जिसे यिशु प्यार करता 
था, दे ड़ी आई और उन्हें बोलो कि काईं प्रभु के 
समाधि में से लेगये ओऔ।र हम नहीं जानते कि उन्हें ने 
उसे कहां रक्‍्खा हैं। ३ इस लिये पथर दूसरे शिग्य के 
संग हाके निकला और समाधि कौ आर जाने लगा। 
४ से वे दाने एकड्ले दाड़े परन्तु दूसरा शिव्य पथर 
 सेआगे बढ़गया और समाधि पर पहिले पहुंचा। प्‌ 
उसने भुकके रूती पकड़े पड़े देखे पर भीतर न गया। 
६ फेर शिमान पथर उसके पौछे पहुंचा और समाधि 
में पठओे रूतौ कपड़े के पड़ा देखा। ७ और उसके 
सिर पर का अंगाछा कपड़े के संग नहों, परन्त लपेटा 
हंआ एक स्थान में अलग पड़ा देखा। ८ तब दूसरा 


शिय्य भो, जे। सनाधि पर पहिले आया था, भीतर गया 
3५ 


३७४... येहन। (२० पतन 


और टेंखके प्रतीति किई। ८ क्योंकि वे अब लां लिखे 
हुए का न जानते थे कि वच्द मृतका में से अवश्य जी 
उठेगा। ९० तब शिव्य अपने अपने घर गये। 

९९ परन्तु मरियम समाधि के पास बाहर रोतीं 
खड़ो रहौ गार रेतो हुई ज्यां सनाधि में देखने के 
को । ९२ ता दा द्वतां का अत बस्ल में एक का 
सिरहाने गैर टद्वरे का, पेताने में बठ देखा जहां यिश॑ 
को लाथ रक्‍खो गई थी । १५३ उन्‍्हों न उसे कद्दा कि हे 
सत्रो त्‌ क्यों राती है! उसने उन्हें केद्ा इस लिये कि 
वे मेरे प्रभु के लेगये थैर में नहीं जानती कि डन्‍्हों ने 
उसे कहां रक्‍्खा है। ९४ जआर उसने यों कह्चिके पोछे 
फिर के विशु का खड़े देखा पर न जाना कि वुद्द चिश्ु 
है। ९५ थिशु ने उसे कच्दा कि हे स्त्री तृ क्यों रे।तो है! 
किसे ढूं ढ़वो है! उसने उसे मालौ समकत के कद्दा कि 
हे महाशय यदि आपने उसे यहां से उठाया हो ता 
मस्मे कहिय कि चाप न उसे कहां रकक्‍्खा है अर में: 
उस लेजाउंगी । ९६ यिश॒ ने उसे कद्दा कि मरियम 
उसने फिर के उसे कचद्दा कि रब्बनी अथ।त हे गुरु। ५७ 
विशु ने उसे कहा कि मुझे मत छ क्योंकि में अब लो 
अपने पिता पास ऊपर नहीं गया परन्तु मेरे भाइयें के 
पास जाके उन्हें कद्द कि में अपने पिता और तुन्हारे 
पिता और अपने इंश्वर और तुम्हारे ईश्वर पास उठ 
जाता दां। ५८ मरियम मजद लियः ने आके शिः्यों से 


२० पत्जे] . याइन। ७२ 

" के० ड् ०७ 
कहा कि में ने प्रभु के देखा ओर उसने ये बातें म॒स्क 
कहों । ह 

९८ फेर उसी दिन जे। अठबारे का पह्चिला था संध्या 
हैः? है जी ०९५ ४! / ३८ 38 - ० 
के समय में जब सब शिव्य यिह्लदियां के डर के मारे 
स्थान के द्वार बंद करके एकड़े थे यिशु आया और मध्य 
में खड़ा छुआ और उन्हें बोला कि तुम पर कुशल। २० 
और ये कछहिके अपना हाथ चर पंजर उन्हें . दिखाया 

* रण. ५ के 
तब शिव्य प्रभु का देखके आनंदित हुए। २९ आर यिश्ु 
हो. ७ कक हट ५ हक 
न फेर उन्हें कद्दा कि तुम पर कल्याण जंसा पितान 

१ हलक न्ज प्ले 2. ४८० हर 
मुझे भेजा है तसाहौ में तुन्ह भेजता हैें। २२ उसने 
यह कहिके उन पर फूंका जैर कहा कि धमात्मा का 
० 3 कर ७5 70 हज पा हा 
लेचा। २३ जिसके पापों का तुम छोड़त हो उनके 

+> रे ० च्यै 4 बिक 
'लियेछाड़े जाते हैं और जिनके तुम धरते जो उनके 

तु] 
धरे ह। 

२४ परन्तु डन बारह में से एक तमा जिसको पढदवों 
डिट्मि थी यिशु के आने में उनके संग नधा। २४ इस 
लिये और शिम्थों ने उसे कहा कि हम ने. प्रभ के 
देखा है परन्तु उसने उन्हें कद्दा कि जब लॉ में उसके 
ाश्ों में कोलें के चिह्ल न देखें ओर कील के चिह्न में 
अपनी अंगुली न करे अर अपने हाथ उसके पंजर में 
५ 00० लक ४० की. 
नडालों में प्रतोति न करांगा। . . 
८ २६ आठ दिन के पीक जब उसके शिश्य फेर भौतर 
थे और तम्ा उनके संग था दरार बंद हेते हुए विश 


३७६ याइन। . (२ पन्ने 


आयायबेर बीच मे खड़ा हे। के बाला कि तुम पर कल्याण। 
२७ .तब उसने तमा का कहा कि अपनो अंगुलो इधर 
ला ओर मेरे हाथों के देख अर अपना हाथ इधर 
4 हक 7: मल ० ग पे 
बढ़ा ओर उसे मेरे पंजर में डाल आर अप्रतोती मत 
हैे। परन्तु प्रतोति कर। र८ तमा ने उत्तर देके उसे 
कहा कि हे मरे प्रभु आर हे मेरे इंश्वर। २८ यिशु ने 
उसे कचह्दा कि तमा त इस लिये प्रतीति करता है कि 
हर ० क० 6; बेहेंजि ०५३०० हों दे रे 
त्‌ ने मुझे देखा हैं, धन्य वे हं जिन्हां न नहों देखा आर 
प्रतोति करेंगे। 


३० आर बहुतेरे और लक्षण यिशुु ने अपने शिव्यां 


“के आगे दिखाये जे। इस पुस्तक में नहीं लिखे हैं। ३९. 
परन्तु ये लिखेगये जिसतें तुम बिश्वास लाओ कि यिश्ञु 
मसोह ईश्वर का पत्र है ज्यारर बिश्वास लाके उसके नाम 
से अनन्त जीवन पाता । 

२९ एकौसवां पब्बे। » 

९ इन बातों के पीक यिशु फर आप के तिबौरिया 
के समुद्र के पास शिय्थां के दिखाई दिया और इस 
रौति से प्रगट हुआ। २ कि शिमान पथर और तमा 
जे। डिटिम कद्दावता है बार काना के गालौल का 
नातानाईल अर जबदोी के बेटे अर उसके शिव्यों म॑ से 
और दे। एकट्ले थे। ३ शिमेन पथर न उन्हें कद्दा कि 
में मछली पकड़ने के जाता हें उन्हें। ने उसे कहा कि 

इम भी तेरे संग चलेंगे ैर निकल के त्रन्त नाव पर 


प् 


| 
। 





२९ प्मे] . याइन। ३७७ 


चढ़े और उस रात कुछ न पकड़ा। ४ परन्तु जब 
बिहान हुआ यिशु तौर पर खड़ा था परन्तु शिव्वा ने न 
जाना कि वच यिशु है। ५ तब विशु ने उन्हें कद्दा कि 
हे लड़के तुम्हारे पास कुछ भाजन है! उन्हें। ने उसे 
उत्तर ढिया कि नहीं। € उसने कहा कि नाव को 
दृहिनी आर जाल डाले अर पाओगे से उन्‍होंने 
डाला तब मछलियों को बहुताई के मारे वे उसे खोंच 
न सके। ७ इस लिये उस शिव्य ने, जिसे यिश प्यार 
करता था, पथर के कहा कि वृद् प्रभु है से। जब शिमान 
पधर ने सुना कि वुद् प्रभु है उसने अपने मक्तए का 
बस्त्र कटि पर लपेटा (क्यांकि वृद्द नंगाथा) और आप 
समुद्र में कूट पड़ा। ८ परन्तु और शिग्य नाव पर जाल 
के मकलियें समेत खींचते आये क्योकि ते तौर से दर 
न थे परन्तु देसे हाथ के अंटकल | € ज्यों वे तौर पर 
आये उन्हों ने वहां काइलें की आग अर उस पर 
मछली रक्‍्खी हुई ओर रोटौो देखो । १० यिशु ने उन्हें 
कहद्दा कि उन मकलियों में से जे। तुम ने अभौो पकड़ी 
हैं लाओ। ९५९ शिमान पथर ने जाके जाल के एक से 
तिरपन बड़ो मछलियों से भरा हुआ खोंचा यद्यणि 
इतनो बहुत थों तथापि जाल न फटा। ९२ चिशु ने 
उन्हें कद्दा कि आओ भाजन करें यह जानके कि वुच् 
: अभु है शिग्या में से किसी का दियाब न हुआ कि डसे 

पछे कि तु कान है ! ९३ तब्न यिशु नेआके रोटी लिई 


शे३८ येाइन। [२९ पब्क 


और उन्हें दिई चर मछलियां भी दिई। ९४ यह्द 
तौसरे बार है कि विशु ने जी उठके अपने तई शिव्यो 
के दिखाया। 

९५ से जब वे भाजन करचुके विशु ने शिमान पथर 
के कद्दा कि यूनाके पुत्र शिमे।न क्या तृइन से लुक्के 
अधिक प्रौति रखता है! उसने उसे वाहा हां हे प्रभु 
आप जानते हैं कि में आप से प्रौति रखता हों उसने 
उसे कहा मरे मस्नें के चरा। ५६ उसने दूसरे बार 
उसे फेर कहा कि यूना के पुत्र शिमान त मुस्य प्रोति 
रखता है?! उसने उस कहा कि हां हे प्रभु आप जानते 
हैं किमेंआपसे प्रीति रखता हे उसने उसे कहा कि 
मेरी भेड़ चरा। ९७ उसने उसे तोसरे बार कहा कि 
यूना के पुत्र शिमान त्‌ सुस्से प्रति रखता है? तब पथर 
उदास हुत क्योंकि उसने उसे तीसरे बार कद्दा कि त 
मुस्मे म्री ति रखता है तब उसने उसे कहा हे प्रभुआप 
ते सब कुछ जानते हैं आप जानते हैं कि में आप से 
प्रीति रखता है| यिशु ने उसे कच्ा कि मरी भेड़े' चरा। 
९८ में तुस्मे सत्य सत्य कहता हें कि जबलें त्‌ तरुण था 
तु अपनी कटि बांधता था और जहां कहीों चाहता था 
जाता था परन्तु जब तू बुद्ड होगा तू अपने हाथा का 
फेलावेगा और टूसरा तेरी कटि बांधेगा और जहां 
तुनचाहेगा तहां लेजायगा। ९८ उसने यह कहिके _ 
पता दिया कि वुद्द किस सुत्यु से ईश्वर को महिमा प्रगट 





२९ पब्बे] याइन । ३७८ 


करेगा और उसने यां कहिके उसे कद्दा कि मरे पोछ 
हैले। 

२० तब पथर ने फिर के उस शिष्य के पीछ आते 
देखा जिस्म यिशु प्रीति रखता था (जिखन बिआरोौ के 
समय उसको छातो पर ओठंम के पका कि छे प्रभु जे 
तुओो पकड़वाता हैं से कान है?)। २९५ पथर ने डसे 
देखके यिशु से कहा कि हे प्रभु इस मनृय्य का क्या 
होना! २२ यिशु ने उस कहा कि जो में चाहे कि 
जबलों में आअ्रा वह यहीं ठचह्रे ता तक क्या त मरे 
पोछ चलाआ। । २३ तब भाइयें मं यह बात फलगई कि 
बुद शिव्य न मरेगा परन्तु यिशु ने उसे महदों कद्दा कि 
वह न मरेगा परन्तु यह कहा कि जे में चाहें कि मेरे 
आने ले वुद ठ हरे ता तुक्क क्या ! २४ यह वुद्द शिव्य है 
जिसने इन बातों की साच्षी दिई है और इन्हें लिखा 
और हमें निश्यय है कि उसको साज्ो सत्य है। २५ 
और भी बहुत से कांय हैं जे। यिशु न किये यदि वे 
अलग अलग लिखे जाते ते में समुझता हें कि उन 
अंथा को, जे। लिखे जाते जगत मं भो समाई न दचेतो 
आमोन। 


प्ररितों की क्रिया ॥ 
बई-09-+%०- 


९ पहिला पब्वे। ; 

९ हे धियफिल जे! कुछ यिशु उस दिन ले करता 
जआैर सिखावता रदा। २ जब वृच्द धमोत्मा के द्वारा से 
अपने चुनेहुए प्ररिते के चाज्ञा देके ऊपर उठायामया 
मैं उन्हें अगिले पुस्तक में बएंन कर चका। ह अपने कष्ट 
के पोछ वुद्द उनमें बहुत प्रमाण से जौवता प्रगट छआ 
और चालौस टिन लो उन्हें दिखाई दे दे के ईश्वर के 
राज्य को बातें कद्दता रहा। ४ जर उन्हें एकट्ढे करके 
आज्ञा किई कि यिरुशालम से बाहर मत जाओ परन्तु 
पिता को बाचा के लिये बाट जेहे। जे। मुस्य सुन चुके 
हैे।। ४ क्योंकि ये।हन ने ते जल से स्लान दिया परंतु 
धाड़े दिन के पौछे तुम धमोत्मा से स्वान पाओगे। 

€ से अब वे एकट्टे हुए उन्हों न यह कहिके डसे 
पक्का कि हे प्रभ क्या आप इसो समय इसराईल के 
फर राज्य देंगे। ७ उसने उन्हें कद्दा कि तुन्हारा काम 
नहों कि उन समयां अथवा ऋतुन का जाना जिन्हे 
पिता ने अपनेहौ बश में रख छोड़ा है। ८ परन्तु जब 
धमात्मा तुम पर आवेग। तब तुमलेगग सामथ्ये पाआगे 


९ पतन] प्ररितों कौ क्रिया। हे८९ 


और यिरुशालम में और सारे यिह्द्य: और सामर; 
में और एथिवो के अत्यन्त ले मेरे साच्वौ हे।ओगे। 
हर न 428 हिल: 92 5... पा ॥०% आह, 
6 और इन बातों के कहिके उनके देखते देखते 
99 7 कस 
बुद्ध ऊपर उठाया गया ओर मेघ. ने उसे उनको दृष्टि 
से आड़ कर लिया। ९० अर जब वे उस ऊपर जातें 
आकाश को ओर तक रहे थे ता दे। मनृय्य उजला बस्तर 
पहिन उनके पास खड़े हुऐए। ९९५ जेर कइन लगे कि 
है गालौलो लेगो तुम लेग खड़े ऊपर खर्ग की ओर 
क्यों ताक रहे हे। यही यिशु जे! तुम से खगे पर उठाया 
न ल्‍्क छ ९ 2 
गया डै जिस रौति से तुम ने उसे खग पर जाते देखा 
डउुसो रौति से आवेगा | 
९२ तब वे उस पहाड़ से, जे। जलपाई का कद्दावता 
है, और यिरुशालम से एक बिश्वाम दिन के टप्पे परः 
है, यिरुशालम का फ़िरे। ९३ जार वे भीतर आके 
के 5 सक 00 छ. > |; 
एक उपर।टो काठरी में गये जहां पथर आर याकूब 
और येहन और अंट्रया अर फिलिप झर तमा जैर 
ब।रतलमा और मत्तो ओर इल्‍फा का बटा याकूब और 
शिमे।न ज्वलन और याकूब का भाई यिह्दा रहते थे। 
९४ ये सब स्लियें सहित और यिशु को माता मरियम 
के और उसके भाइयें के संग मन लगाके प्रा्थना आर 
बिनती कर रहे थे। 
९५ अर  उन्हों दिनों में शिव्थां के मध्य म, जे अट 
मे 
कल में एक सा बीस थे पथर खड़ा दे|के बेला। ९६ हे 


द्हरं - प्रेरितां की क्रिया । [९ पब्बे द 


मनय्य भाइये। उस लिखे हुए का परा होना अवश्य था 
जे धमात्मा ने ढाऊद के द्वारा यिल्ूदा के बिघय म 
आग से कद्दा था जे थिशु के पकड़ने वाला का अगुआ 
हुआ। ९७ क्योकि' वृद्द उसमें गिना जाता था ओर 
उसने इस सेवकाई का भाग पाया। ९८ अब इस 
मनुय्य ने बराई के दाम से एक खेत मेल लिया और 
ओंधे मंद गिरके उसका पेट फटगया अर उसकी सारो 


अतडियां निकल पडीं। ९८ अर यह बात यिर्शालम 


के सारे बासियां पर जानो गई यहां ला कि वच्द खेत 


उनकी भाषा में हकलदमा कच्दावता है अथात लेह्ह 


का खेत। २० क्योंकि भजन को पुस्तक मे लिखा है 


कि उसका घर उजाड़ हेोवे ओर उनमें काई न बसे 
और उसका पद टूसरा लेवे। २९ से ले। लोग उस 
समय से हमारे संग सदा चलते थ अथत जब से प्रभ 
पिशु इस्म आया जाया करता था। २२ याइन के स्तान 
0-७ * पु "जम 25» मन 8 
से आरंभ करके उस दिन ला कि वुद् हब्स से उठाया 
गया उनमें से उचित है कि एक जन जे! उसके फेर 
. उठने को साजछ्ी हे। हमारे संग ठहराया जाय । 


ण+ 3७" लक न. 
९३ तब उन्हां न दे का ठहराया एक यघफ जो 


बारसबा कहावता है जिसकी पदवी जसतस हैं ओर 
डूसरा मतिया। २४ आर वे प्राथना में बोले, हे प्रभ जे 
सब का अन्तजामो है दिखा कि इन देने मेंसे त ने 
किस के चुना है। २५ जिसतें वृद्ध इस सेवकाई ओर 


ह 


२ पन्बे] प्रेरितां की क्रिया । श्द्३ 


प्रेरिताईं का भाग लेवे जिक्मे यिह्ूदा पाप करके भषट 
हुआ जिसतें अपनेही स्थान के। जाय । २६ ओर उन्हों 
ने चिट्ठी डाली ओर चिट्ठी मतिया के नाम पर निकलौ 
तब वृद ग्यारह प्रेरिता में गिना गया। 

२ दूसरा पब्बे। 

९ ओर जब पचासवां दिन संपूर्ण आपहुंचा वे सब 
एक मत हे।के एक स्थान में एके थे। २ तब आकर्मात 
खगसे बहुत बड़ी आंधी के शब्द के समान एक शब्द 
हुआ और उस्मे सारा घर जहां वे बठे थे भरगया। ३ 
ओ[र उन्हें आग की सीं जीभ अलग अलग दिखाई हिई 
ओर उनमें से हर एक पर पड़ों। ४ तब सब के सब 
धमोत्मा से भर गये अरु आन आन भाषा से कच्दने लगे 
जसा कि आत्मा ने उन से कदवाया था। 

४ अर कितने भक्त यिह्दौ खर्ग के तले के हरएक 
देश से यिदशालम में आ रहे थ। € और जब यह बात 
फेलगई तब मंडलो एकट्टी होके वब्याकुल हुई क्योकि 
हर एक ने उन्हें अपनी अपनो भाषा में बालते सुना। 
७ और सब आअयित ओर बिस्मित दे। आपुस में कहने 
लग कि देखे क्या ये सब जे। बालते हैं गालीली नहीं! 
_छ सा केसा है कि दर एक हस्में से अपने अपने देश की 
बालो में सुनता है। ८ पर्ती ओर मादौ और ऐलानी 
ओर इराकिअजन के बाली और विहूदिय ओर 
कपाइ कियः और पनतस ओर आसिया के। ५० और 


३८४ प्रेरितां कौ क्रिया। [२ पन्ने 

ल्‍ गे । पक 2 श्र 

फिजिय: आर पंफलिय: आर मिसर ओर लिबिया 

जे क । (० 5.0 १ 3... 

के उस सिवाने के बासी जा कूरीनौ के आस पास है 

और रूम के पर देशों और यिहूरी गैर नये विहूदी। 
ह २३० कर 

९९ क्रिती और अरबो सुनते हैं कि वे हमारी भाषा 

० “ ०७ । ७० के 

में ईश्वर को सुदंर बातें कहते हैं। ९२ और उन सभों 

ने आअ्ये माना ओर संदेह में हाोके ण्क दूसरे केा 

कहंने लगा कि क्या होगा! १९३ कितनों ने ठट्टा करके 

७ “४ 0... ०.५ के ० 

कहा कि ये लाग नई मदिरा के अमल मं हं। 

९५४ तब पथर ने उन ग्यारह के संग खड़ा हेके उन्हें 
बड़े शब्द से कहा कि हे यिह्ह दो मनुष्या अर यिरुशालम 
के सारे बासिये। तुम पर यह जानाजाय आओर मेरा 
बचन कान लगाके सुना। ९५ क्योंकि ये जन जसा तुम. 
लाग समुकते हे। मदके अमल म॑ नहों है इस लिये 
कि यह दिन कौ तौसरो घड़ी है। ९६ परन्तु यह वृच्द- 
है जा येईल भविषय्यडत्ञा की आर से कद्दागबा। ५७ 
इंश्वर कहता है कि अंत्य समय में ऐसा होगा कि में 
इर एक जन पर अपमा आत्मा उंडेलेंगा और तुम्हारे 
बटे ओर तुन्हारी बेटियां भविष्य कहेंगी आर हुन्हारें 
तरुण दृश्नन देखेंगे ओर तैन्हारे बद्ठ खंश्न देखेंगे। ९८ 
मैं उन दिनां में अपने दास और अपनी द्ासियें पर 
अपना आंत्मा उंडलांगा ओर वे भविष्य कहेंगे। ९८ 
और में ऊपर खगे में अचरज और नोचे पथिवो पर _ 
लक्षण दिखाओंगा अथात लाह् और आग और धर के. 


२ पब्बे] प्रेरितां कौ क्रिय्रा । रा 


; हर 
उठान। २० प्रभ के उस बड़े ओर प्रसिद्ध दिन के 
पहिले रूय अंधियारा और चंद्रमा लाह्ह हे जायगा। 
_्ध से बिक 2 ये ४३८ 
२९५ और ऐसा होगा कि जा काई प्रभके नाम की 
ढेाहाई देगा से उद्ध।र पावेगा। 

२२ हे इसराईली लेगा ये बातें सुना कि विशु 
नासरौ एक मनुय्य था जिसका ईश्वर कौ ओर से हेना 
उन पराक्माों आर आयी और लक्षणों से तस्यें ठद्दर 
गया जे ईश्वर ने उसके द।रा से तुम्हारे मध्य में दिखाया 
जिन्हें तुम भी जानते हा। २३ ईश्वर के ठहराये गये 

कं. ८ >> कब ण हट 2 3 
मत और पूतन्नान से सं पे हुए का तुन्‍्हों न पकड़ा और 
पापियों के द्वाथों से कोल गाड़के क्रूम पर टंगकर घात 
किया। २४ जिसे इंअर ने मुत्यु के बंधन का खेल के 
फेर उठाया क्योंकि यह अनदेना था कि वच्द उसके बश 
में पड़ा रहे । २५ क्योंकि दाऊद उसके बिषय में कहंता 

५ ; ७ कर 
है कि में ने प्रभ के आगे से सबंदा अपने आंगे देखा 
कि वह मेरी दहिनी ओर है न हे कि में टल जाऊं। 
२६ इस लिये मेरा मन मगन है ओर मेरी जौभम 
| कु. < 3. कक, के 
 अआशनन्‍द मेरा शरोर भो आज्ञा में चेन से रहेगा। २७ 
0 ० 0. ब *<्‌ लक बे ४४३ 
क्यांकि त्‌ मेरे प्राण का परलाक मं न छाडेगा न अपने 
धर्मों का सड़ने देगा । रु८ ते ने सुझे जोवन के मार्ग 
का पद्धिवान दिया हैं और त्‌ अपने खरूप से मुझे 
आनन्द से भर देगा । ४ ४१9 
.. २6 हे मनुष्य भाइये में पिचत्राध्यक्ष ट।ऊंद के विषय 


छ्ष्् प्रेरितां कौ क्रिया । [२ पन्‍्मे 


७3 ०५ ्ज ० ्‌ 

में तुन्हं मन खाल के कहें वृद्ध ता मरगया अर गाड़ा 
भी गया आर आज ले उसकी समाधि हस्में है। ३० 
से वुच्द भविय्यडक्ता चोके जानता था कि इंश्वर न उच्ये 
किरिया ख।के कहा कि में मतौच् के शरीर के बिषय 
मेँंतेरे बंश मं से उठाओंगा जिसतें तेरे सिंहासन पर 
५. ० पक. हक हे कल रे 
बंठ। ९९ इसे आग देख के उसने मसोह के जोंउठने 

री कु श््ण् हर» 
की कहो कि उधक। प्राण परलाक में छाड़ा न जायगा 


कप >> बिक प्र है 
न उसका देह सड़ने पवेंग। । ३२ इस यिशु का इईंश्वर 


ने उठाया है जिस बात के हम सब साच्णी हैं। ३३ से 


ईश्वर की दहिनी अर बढ़ाया जाके ओर पितासे 


श् पी स्फे ०० है... 
बाचा पाके उस ने यह बच्दाया जे। तुम लेग अब देखते 
है जछ ९ 
और सुनते हे। । ३४ क्यांकि दाऊद खग़ पर नहों गया 
; न्‍व( 5५००५ / अब पक 
परन्त उसने कद्दा कि प्रभु ने मेरे प्रभुसे कहा। ३५ 


जब लें में तेरे बेरियें के तेरे पांव की पौढ़ौ करें तू 
सर 
मेरी दहिनों आर बेठ। ९६ से इसराईल का सारा 


घराना निश्चय जाने कि ईश्वर ने उसौ यिशु का जिसे 
तुमलागें ने क्रूप पर टांगा प्रभु और मसोच् किया। 
३७ जब उन्हां ने यद्द सुता ता उनके मन बेधगये 


और पथर अरु ग्रार प्ररितां के बाले फि हे मनृय्य । 
भ्‌ (दया चइम क्या क्र ! हेपष्तब पथर ने ड्न्हें कहा हर 
कि पछताओ। और तुत्म से कह्रएक पाप माचन के 


कारण यिशु मस्ौद्द के नाम से स्र।न पावें आर तुम ले|ग 
धरम ता दान पाओं गे। २८ क्योंकि यहद् बाचा तुम से 


5 
है 
है 
) 
ह 
। 


३ पब्बे] प्रेरितां कौ क्रिया। ३८७ 


और तनन्‍्हारे वालकों से है शेर उन सभा से जे दूर 
रु] शक 4 8008 ९ 
हैं जितनां के हमारा प्रभु ईश्वर बुलावेगा। ४० और 


लसने बहाहुतेरे और बचन सेसाच्ों लालाक और 


उपदेश कर करके कहा कि आपके इस इहठौलो पोढ़ो 
से बचाओ। 

४९ तब जिन्‍्हों ने डसका बचन अ,नंद सेग्रदण 
किया इउन्हों ने खान पाया शेर उसो दिन अंटकल में 
लौन सहलख प्राणी उन में मिलगये। ४२ ग्रेार वे प्रन्ति 
के उपदेश औ।र रंगति खैर राटौ तेड़ले चि।हर पाडच्येता 
करने में नित्य बने रहे । ४३ ओर इर एक प्राणों पर 
डर पड़ी और बहुत से आशय नरर चष्यण भ्ररितें से 
दिखाये गये। ४४ ज्ैैर सब ले। बिदश्व॒स लाये एकट्ले 
० ० 
थे ओर सब बस्तें सब को थीं। ४५ ओर अपनी अपनो 

५ ब्डे गे जल व ० 
संपत्ति आर सामग्रो के बच बच हरएक के आवश्यक 
धर मर » हल बे ० 

के समान सभों को बांटते थ। ४६ और वे एक मला 
चर थी क ८ 0२६७० हक आएं: भ् कक 
हाके प्रतिदिन मंदिर म रद्दतेथ आर घर घर रोाटो 
कक ५ 3 #<. ५ कर 

ताड़ के प्रसन्नता और मन को रूथाई से खाते थे। ४७ 


॒ जे शा 09४ 28५४ कक 
आर ईग्वर को स्तुति करते आर सारे लेागांम अदर 


पाते थे और प्रभ मंडलो में उद्बभारितां का प्रतिदिन 
अ धघधक करता था। | 
३ तीसरा पब्बे। 


2८ 3. ० €्‌ 
९ फर पथर आर येइ्न एकसाथ प्र/थना को जून 


नवई घड़ौ मंदह्रि में जाने लगे। २ ओर लेग जन्म के 


च्प्८ प्रेरितां कौ क्रिया । [ह पन्ने 


एक लंगड़े के लेके प्रतिदिन मंदिर के सुन्दर नाम 

छ 7 ७-+ ० 
द्वार पर, रखते थे कि उनसे जे मन्दिर में जाते थ 

हद ५ ० जी 

भौख मांग। ३ जब उसने पथर ओर याइन के मन्दिर 
अर पे कर श्र ऐ 
में जाते देखा ता उनसे भीख मांगी । ४ तब पथर न 
येाइहन सद्िचित डसे टक लगा के देखके कहा कि इसमें 
ताक रख । ५ ओर व॒द् उनसे कुछ पावने की आशा से 


उन्हें तक रहा । ६ तब पधर ने कच्दा कि सेना चांदौ 


मेरे पास नहीं परन्तु जे। मेरे पास है में तुझे देता हें 


शिशु सर्मौच सायरो के नाम से उठ श्लेर चल | ७ और ; 


| 


4५ । 
उसने उसका दह्ििना हाथ पकड़ के उठाया आर ल्रन्त 
उसके प।ओ्रें आर चट्टियां बल पा गई'। ८ और कूद 


बजे 
के वुद्द उठ खड़ा हुआ ओर चलता फिरता और 


8. 
उक्कलता कूदता आर ईश्वर को स्तुति करता हुआ उनके 


है ही 23.4 ० द 
संग मंदिर में गया। € और सब लेगा ने उसे चलते 


फिर ले और ईगश्र को स्त॒ति करते देखा। ९० और 
चौनन्‍्हा कि यह्ट वच्दीं हे जे! मन्दिर के सुन्दर द्वार पर 
भौख मांगते बेठता था और जे! उस पर बौत गया था 
वे उत्मु निपट आअ्य करके बिस्गमित हुए। 


९५९ और जब वुद चंगा किया गया लंगड़ा पथरु | 

3 पक 5०. कि 2९७५५ ४83, आर हे 
और येहन के लपटा जाता था सारे लाग सुलेमानी _ 
बे कप के 

ओसारे में बड़े आश्यय से उसकी ओर दाड़े आये। ९२ 


तब पथर ने देख के मंडली से कहा, हे इसराईलो 


० दर ०० पक की: €्‌ 88० १3 
मनुष्या तुम लाग इस्मं क्यां आअञ्ययं करते हा ! अथवा 





ह पत्बे] प्रेरितां कौ क्रिया । श्र 


न हु बे हे 

क्यों इमें टेखरहे हे। जेसा कि हम मे अपने पराक्रम 
अथवा भक्ति से इस मनृव्य के चलाया। ९३ इबराहौम 
और इसइहाक अर याकूब के ईश्वर ने इमारे पितरों 
0 < को हि ३१ >> . 3 

के ईश्वर ने अपने पत्र विशु के ऐश्रथमान किया जिसे 
। 3 ७. अर ७ च्स 22 ४४०४ ६६ 
तुम्हां ने सेंप दिया अरु पिलात के आग उच्झु मुंकर 
गये जब उसने उसे छड़ाने का ठहराया था। ९४ 
परन्तु तुम उस पवित्र आर धममय से सुक्र गये ओर 

हे शक के 

एक बधिक के। चाहा कि तुम्ह।रे लिये छाड़ा जाय॑। 
२९५ चर जीवन के अध्यल के मार डाला जिसे ईश्वर 
रत ०० आर ली 8 82..< हक 

ने मुतकें में से उठाया औ।र उस बात के इन सांच्ौ 
के ५० 7 

हूँ। ९६ गैर उसके नाम पर बिगश्वास लाने के दारा 
से उसने इस मनय्य के।, जिसे तुम लेग देखते और 
जानते हे। दढ़ किया हां उसका नाम जर बिग्वास ला 

३! तर ल्ऊ रे « 

उस्मे है तुमसब के सन्‍्मृव उसे एवा ठोक चंगा किया । 

९७ और अब हे भाइये। में जानता हैं| कि तुम लेग 
और तुन्हारे प्रधानां ने भौ यह अन्नानता से किया। 
| 92 € २2० फिर ७५५४७ ४ 
| (८ परन्तु जे कुछ ईश्वर ने अपने सारे भविश्यदक्तां के 
| द्वारा से आगे कहा था कि मसोह कष्ट पावगा इसों 
_ रीति से उसने प्रा किया। ९८ से अब पछताओ 
_ और फिरे जिसतें तुन्हारे पाप मिटाए जांये ओर प्रभु 
. के पास से शांत होने के समय आवे। २० और दुचद्द 
. थिशु मसौदह् का भेजेगा जिसका समाचार तुन्हें आगे से 
। दिया गया है। २९ क्योंकि जब लो सारी बातें, जा 








३6० प्रेरितां कौ क्रिया । [४ पब्बे | 


इंश्वर ने अपने सारे पवित्र भविय्यद्रक्नों के द्वारा आदि 
से कहा परा न हें अवश्य है कि खरग डसे लिये रहे । 
२२ क्योंकि मूसा ने पितरों से ठोक कहा था कि प्रभु 
जे तुम्हारा ईश्वर है तुम्हारे भाइयों में से तुम्हारे लिये 
एक भविग्यद्क्ता के मेरे समान उठ।वेगा तुम सारों 
बातें मं, जे वृद्द तुन्हें कद्दे उसे मानिये। २३ ओर 
ऐसा देगा कि हर एक प्राणी जे उस भविश्यथद्धक्षा को _ 
न सुनेगा से लेगों में से निकाल दिया जायगा। २४ 
हां और सारे भविव्यदक्नां ने, समुईल से लेके और वे 
जे। उसके पौछ आये हैं जितना ने कहा है इन दिनों 
का भी सन्देश दिया है। २५ तुम लोग उन भविष्यद्वक्तां 
के सनन्‍्तान हे। आर डस नियम के जे। ईश्वर ने हमारे 
पितरें से करके इबराहौम से कहा कि तेरे बंश से 
एथिवी के सारे घराने आशोष पावेंगे। २६ इंशर ने 
अपने पत्र यिशु के। उठ के तम्भें से हरएक के। उसकी 
बराइयें से फिराके पहिले तनन्‍्हें आशोष देने का 
भेजा । 

४ चोथा पनब्ब। 

९ ओर जब वे लागों से कह्दचि रहे थे याजक और 
मंदिर के प्रधान आर जादूकी। २ लेागों का सिखाने 
से ओर यिशु से मतक का जो उठना प्रचारने से उदास _ 
हैाके उन पर चढ़ आये। ३ उन्होां ने उन पर हाथ 
डाले और द्वसरे दिन लो बंदोगुइ में रक्खा क्योंकि अब _ 


्ग्केन्गिशि 


:ह पके): प्ररितें कौ क्रिया । ८९ 


सांक हुई थो। ४ तदभो जिन्‍्हों ने बचन सुना उनमें 
बन ४ 2005५ 
से बहुतेरे बिश्वास लाये ओर वे अंटकल में पांच सहख 
चकह्ुए। । 
3५ कर पर बे ड््‌ 
४५ और दूसरे दिन उनके प्रधान आर प्राचौन आर 
अध्यापक | ६ ओर प्रधान याजक इउचन्ना ओर कयफा 
०५ ० डे ५ प ही जे 
आर येइहन और सिकंदर आर जितने प्रधान याजक 
के कुटुंब थे यिदशालन म॑ एकट्ले हुण। ७ और उन्हें 
बोच में खड़ा करके पूछा कि तुम ने किस पर/क्रम 
ओर किस नाम से यह किया ! ८ तब पथर ने घमोत्मा 
से भरपर हे के उन्‍हें कहा कि हे लेगों के प्रधाना आर 
इसराईल के श्राचीना। ८ यदि उस अच्छे काय के 
बिषय में इस रोगी मनव्य पर किया गया है हम से 
आज पछाजाता है कि वह क्योंकर चंगा हुआ। २९० 
ता तन्‍्हें ओर इसराईल के .लागां का जाना जाय कि 
यिशु मसौद् नासरौ के नाम से जिसे तुमलागों ने क्रस 
हल श्र न ० से 
पर मारा उसे इंशर ने मुतक मं से जिलाया उसीौ से 
यह मन॒व्य तन्हारे आग चंगा खड़ा है। ९९ यह बच 
पत्थर है जिसे तम थवइयों ने निकक्‍्का ठद्दराया जा 
काने का सि्रा हुआ हैं। ९२ ओर किसी दूसरेम 


मुक्ति नहीं क्योंकि खगे के तले केाई दूसरा नाम मनुय्याँ 


. को नहीं दिया गया है जिस्म इमलेग उद्धार पासके। 


जे ०3 20% दि ; 
९३ आर जब उन्‍्हा ने पथर आर याइहन का दियाव 
देखा आर समझ्का कि वे अपड़े ओर ण्ेसे वेसे हैं वे 


| 0 
ह८२ प्ररितां कौ क्रिया । [४ पन्मे 


बिछ्ित हुए श्रार जान गये कि वे यिशु के संग थे। १४ 
ओर उस चंगा कियागया मनुय्य के उनके संग खड़ा 
देखके निरुत्तर हुए। १५ परन्तु उन्हें सभा से बाइर 
करके आपस में बिचारने लग। ५६ कि इम इन 
के ७ थ डे कि. 80 27 
मन॒य्थों का क्या करें क्योंकि यद् यिरुशालम के सारे 
बासियेां पर प्रगट है कि उन्‍्हों ने एक बड़ा आअये 
दिखाया और हम ले।ग उस नाइ नहीों कर सक्ते। ९७ 
ऐ ० ७३, ७ -झ आर ० 
परन्तु जिसत यह बात लागों म अधिक न फले आओ 
हम उन्हें बह्षत धमकावें कि वे इस नाम को चचा फेर 
किसी से न करें। ९८ और उन्हें बला के चिता दिया 
कि यिशु के नाम से फर मत कदे| और मत सिखाओ। 
९८ तब पथ र ओर येहन ने उत्तर टेके उन्हें कहा 
ईश्वर के आगे क्या ठोक है हम तुन्हें अथवा ईशअर का 
अधिक माने तुमदी बिचारेा। २० क्यांकि यच अनहेना - 
है कि हम उन बातों के जिन्हें हम न देखा और सुना 
है नकहें। २९५ और लेागों के डरके मारे उन्हें हंड 
देने का कारण कुछ न पाके फेर धमका के उन्हें छाड़ 
40५)” अहई है 2] 
दिया क्योंकि उस काय के लिये सब ईश्वर की खति 
३०३२० हु, र्‌ । जज ९ 
करते थ। २२ चर जिसपर चंगा हेनेका आशय 
हुआ वुद्द चालीस बरस से ऊपर का था। 
२३ ओर बिएा हेके वे अपने संगिये के पास गये 
०५२ जि &<. 66 १७५. 22% 
आर सब कुक जा प्रधान याजकां ओर प्राचोनां न कहा _ 
था उन्‍हें कच्दचि सुनाये। २४ गैर वे सुनके एक साथ ई श्र 


४ पब्ब] प्रेरितों की क्रिया । श्८३ 


कौ ओर बड़े शब्द से बाले कि हे प्रभु त वद्द ईश्वर है 
जिसने खगग जैर एथिवी और समुद्र और सब कक जे 
उनमें हें बनाया । २४ त ने अपने दास दाऊद के दइ।रा 
से कहा कि अन्य देशो क्यों कुड़कड़ाते हैं ओर ले।ग क्यों 
बुधा सेचते हैं। २६ पुृथिवी क राजा लेस हुए आर 
प्रधान प्रभु के अर मसीह के बिराघ में एकट्ढे हुए। 
२७ क्योंकि सब मुच तेरे धन्क्षों पुत्र यिशु के बिरोध सें 
जिसे तू ने अभिषिक्न किया र८ जे। कुछ तेरे हाथ और 
तेरे बंत्र ने पद्चिले ठहरा रक्‍वा था डसे हिराद और 
पन्तिय पिलात अन्यदेशियें ओर इसराईली लेगों के 
संग करने के यक्ति बांधी है। २८ गैर हे प्रभु अब 
उनकी धमकियें के बस चर अपने दासे के अपने 
बचन निभंय से कइमे के बरदे। ३० झओेर अब इस 


लिये अपना हाथ चंगा करने के। बढ़ा कि तेरे पब्च्रि 


8७ ने २०००४ 
पुत्र यिशु के नाम से लक्षण ओ।र आखय प्रगट है वें। ३९ 
रु हि हछछ ० 
और उनके प्राथना करते हुए जिस स्थान में वे एके 
थे से। हिलगया और वे सब धमोत्मा से भरगये जार 


. इंश्वर का बचन निभय से बोले । 


३२ आर बिश्वासियां कौ मंडलो एक मन और एक 
जौंव थी ओर किसी ने अपनी किसी संपत्ति के अपनी 


न समभ्का परन्तु सारी बस्त सब को थौ। ३३ ओर 


प्ररितां ने बड़े पर/क्रम से प्रभ यिशु के फेर उठने पर 
५ द् ० 
साथी दिई ओर इन सभों पर बड़ा अनुग्रद हुआ। 


३८४ प्ररितों को क्रिया । [५ पन्ने. 


३४ और उनमें केाई कंगाल न था क्योंकि जितने भूमि 
अथवा घर रखते थ उल्हें बेंच बेंच उसके दाम का लाते 
आप मु ७ 8 22850.4 3 अल ००. ३. 3 बज 
थं। ३५ आर प्ररितां के चरण पर धरतेथ अआर हर 
एक के आवश्यक के समान भाग दिया जाता था। ३६ 
५ ० न 8९. डर. ब्ु 
ओर येासे जिसका प्ररितां ने बरनवा करके कहा 
अथ त शांति का पुत्र जे एक लेवी और कुपरसी था। 

लिल के धि फट है... #नक छ. श््‌ हर 
३७ सा अपने अधिकार का बचक राकड़ का ले 
ओर 9 है पक, 
प्रेरितां के चरण पर रक्‍खा । 

५ पांचवां पब्बे। 

९ परन्तु हनानिया नाम एक मनुष्य ने अपनो पत्नौ _ 
सफो रा के संग एक संपत्ति बेंची। २ और मेल में से 
कुछ रख छोड़ा उसको पत्रों भो जानतो थो और कुछ 
लाके प्रेरितां के चरण पर रक्‍्वा। ९ तब पथर ने कइा, 
है इनानिया क्यों तेरे मन में शेतान समागया!? तू 
धम.त्मा के आगे भूठा हुआ ओर भूमि के मे ल में से 

खा. हर क धर 

कुछ रखक्काड़ा ! ४ जब ला यह धरी थो क्या तेरी न 
थी! चर जब बेची गई ता क्या तेरे बंश में न रही? 

ेु पट ० ४२८० कु ><. पे ढि 
तू ने अपने मन मं इस बात का क्यों आने दिया! त्‌ 
मनुय्य के आग नहीं परन्तु ईश्वर के आगे कठा हुआ। 
- थू और हनानिया ये बातें सुनतेहौ गिरप्डा और द 
मरगया तब जिन्हों ने ये बातें सुनीं उन पर बड़ी डर 
पड़ी । € तब तरुणों ने आके उसे बस्ल में लपेट बाहर 
६७ 
लेजाके गाड़ दिया। 


थू पन्म] .. प्रेरतों कौ क्रिया । श्ट्पू 


: ७ आऔर पइहर भर के अंटकल दीोते उसकी स्ल्रौ उस 
बात का अजाने छए आई । ८ तब पथर ने उसे कहा, 
मुझे बतला तू ने इतने का बेची वुद्द बालो हां इतने 
का। ८ फर पथर न उसे कहा कि यह कसा है कि 
तुम ने ईश्वर के आत्मा का परखन के युक्षि किया देख 
जिन्‍्हों ने तेरे पति का गाड़ा उनके पांव द्व।र पर हुं 
और तुमे भी लेजायंग। ९० तब तुरन्त वुद्र उसके 
चरण पर गिरके मरगई गैर तरुणां न आके डपे मरी 
हुई पाआ जर बाहर लेजा उसके पतिके लग गाड़ा। 
९९ तब सारी मंडली पर अर इन बातों के सारे 
सुनवेयें पर बड़ी डर बड़ो । 

९२ ग्ार ले!गों म॑ प्ररितां के हाथों से बहुत से 
अआस्य गैर लक्षण दिखायेगये अर बे एकमता हे 
सुलेमान के ओस।रे में रद्दते थे। ९३ ग्ेर रहे हुए 


लोगों में से किसो के उनमें मिल ते के! साहस न हुआ 


ह 


परन्तु मंडली ने उनको प्रतिष्ठ किई | ९४ तब पुरुष 


चर स्‍्लीमंडली की मंडली बिश्वास लाते हुए प्रभमे 
अआनंदह से मिलते गये। ९५ यहांलां कि ले.ग॒ रागियों 
का मार्गा मे ला ला के बिछाने आर खाटां पर रखते थ 


जिसत॑ चलते हुए पथर की परक्ाहों उनमें से किसों 


कम 8. ५०० ९7० 9५223 श् 5५०५ 
पर पड़े। ९६ आर बहुत से ले!ग चारों आर के नगरों 


जाप के वड -. हे 2 ॥- 
कभी रागियां के ओर अपविच्र त्मा से अ्रस्ते! के 


० नह / ! 
यिरुशालम में लातेथ आर सब चंगे देते थे। 


र८ई प्रेरतां की क्रिया । [धू पब्बे 


९७ तब प्रधान याजक ओर उसक्षे सारे संगी जे 
जाइ किये के मत के थ ज्व लत ह।। ९८ प्ररिता पर 
हाथ ड।ले ओर उ हैं सामान्य बन्दोगुह मं बन्द किया। 
९८ परन्तु प्रभु के एक द्वत ने रात का बन्दौगुद के 

थम र््‌ > 
इ।राों का खेल। ओर उन्‍हें बाइर लेजञाके कहा। २० 
जाओ मंदिर में ख ड़े होके इस जोवन के सारे बचन 
३ 7 बे, # 20 लत १ बिब 
लेगोंसे कदेद । २९ यह सुन वे बड़े तड़के मंद्र मर 
ब्< 99: ब्५ 

जाके उप देश करने लग परनन्‍्त प्रधान याजक ञै।र उसके 
आल 5 ही १ छ २ हि 5० 
संगियां ने आक सभा का आर इंसराईल के सनन्‍्तानां 
पल कर. | पल ०५ ्जः 

के सारे प्रा नों के एकड्ढे बुलया आर बन्‍्दोगुहइ में 
भेजके उन्‍हें मंगाया। २२ परन्त धावनां ने आके इ॒न्हें 
बन्दो गुद्द में न पाया तब लाट क उन्हें संदेश दिया। २३ 
छि हम ने ता बड़ी चाकसी से बंदौदर्ह का वंद और 
पहरें के दइ।रों के अगे खड़ा पाया परन्तु खाल के. 
किपो के भोतर न पाया। २४ से जब अछ याजक 

$ 2० जल ५ -ु ९ 
और मंद्र के प्रधान ओर प्रधान याजका नये बातें 
2 हि. > 9७ 2 ७ "383 
सुनों ता उनके बिषय में संदेह में पड़े कि यह क्या 
व न. नि? ५८ 

चझै|गा। २५ परन्तु एक ने आके उनसे कच्दा, देखा जिन _ 
2 हि, क<...७ ०+ ५ ८5 5०० आफ), आप. 
अंनुकों के। तृम न मर मूक कर डालाथा मंदर में खड़े 
कक, ६७ हे + 
हुए लेगा के उपदेश करते हैं । 
0 पक ५ ० 

९६ तब धावनों के लेके प्रधान गया ओर उन पर 
बिना उ पद्रव किये हुए लेग्याया क्यांकि वे लांगों से डरे 
रऐेसा न हे। कीं पथराये जायें। २७ ओर उन्हें लाके 


धू पब्ब] प्रेरितां कौ क्रिया। ३८७ 


सभा के आगे खड़ा किया आर प्रधान याजक ने उनसे 
पुछा। र८ कि इम ने तुल्‍्हं इढ़ता सेन चिताया कि 
इस नाम से उपदेश मत करे गैर देखे तुम लागों ने 
यिरुशालम के अपने उपदेश से भरदिया है और 
चाइते हे। कि इस मनय्य का लेह्ह हम पर घरा। २८ 
तब पथर गैर रहे हुए प्रेरितां ने उत्तर देके कहा, 
हमे उचित है क्रि ईश्वर के मनुय्य से पहिले मानें। ३० 
हमारे पितरें के ईश्वर ने यिशु के। उठाया जिसे तुम 
लागों ने पेड़ पर टांगके घात किया। ३९ छसे इंश्वर 
ने अगुयया और मुत्षिदाता करके अपनी दद्दिनौ ओर 
बढ़ाया जिसतें इसराईल के पद्चात्ताप करवाके पापों 
से छडावे। ३२ ओर इन बातों के इम ले।ग॒साज्ती हैं 
औगरर धमात्मा भी जिसे ईश्वर न आज्ञा पालकां का 
दिवाहै। द 
३३ यह्ट सुन के वे डन पर दांत किचकिचाने लगे 
कलर उन सभो के। घात करने के। परामषे किया। ३४ 
तब समलईल नाम एक फरौसीो ने, जो ब्यवस्था का 
क्‍ ज्ञाता और सब लेगे में आदरमान था उठके प्रेरितों 
| के तनिक बाहर करने को आज्ञा किई। ३५ और 
_ लन्‍्हं कहा हे इसराईलो मनृय्या तुम लेग जे कुछ उन 
| 'मनुय्था के किया चाइते हो उस्मु चाकस रहे।। ३६ 
| क्योंकि इन दिनोंसे आगे तुद्ा ने उठके आप के 
कई महा पुरुष ठद्राया आर अंटकल में चार सह 
' 34 





श्क्द्द प्रेरितों की क्रिया। [६ पनबे 


जन उद्मे मिलगये रह मारा गया और जितनों ने डसे 
मान लिया था सब के सब छिलन्न भिन्न होके मिटगवे। 
३७ उसके पौछ बिह्लदा गालौंली कर लेने के दिनों में 
उठा और अपने पौछ बहुत से लागों के! खोंच लाया 
ब॒च्द भी नष्ट हुआ और जितनों ने उसे माना था वे सब 
विधर गये। ₹८ से अब में तन्हों से कद्दता हे कि 
इन मन॒था से रुके रहे! ओर उन्हें रहने देड क्योकि 
यदि यह मंत्र अथवा यह काय मनृय्य से है ते मिट 
जायगा। ३८ परन्त यदि यह ईश्वर से है ता तुम लोग 
उसे मिटा नहीं सक्ते, नह्े कि ईश्वर के बिछुड्ट रुंग्र/मौ 
ठहरा। ४० ग्रार उन्हें ने उसे माना गैर प्ररितां का 
बुलाके मारा और चिता दिया कि यिशु के नान से कुछ 
नबालें और उन्हें छाड़ दिया। ४९ से वे सभा के 
आगेसेआनंद करते चले गये कि हम उसके नाम के 
लियेसताये जाने के येग्य गिने गये। ४२ ओर वे 
प्रतिदिन मंदिर और घर घर में डपदेश करने से और 
यिशु मसीह के प्रचारन से अलग न रहे । 
६ छटठवां पब्ने। 

९ और उन दिनों में जब शिव्यन की बढ़तौ होने 
लगी यूतानो इबरियों के बिरुट्ट कुड़कुड़ाने लग क्यांकि 
प्रतिदिन को सेवा में उनकौ बिधवा छाड़ौ जातो थों। 
२ तब उन बारह ने शिय्थां की मंडलों का बलाके कह्दा, 
यह उचित नहीं कि हम ईश्वर के बचन का छोड़ के 





है पत्ब] प्रेरितां की क्रिया। ब्ल्ढ्‌ 


खान पीने को धंधा में रहं। ३ से हे भाइयेा अपनेम 
से सात परखेक्लण मनप्य के चना जे! धमात्मा ओर 
बड्धि से भरे हुए दो जिन्ह इम इस काय पर ठहराव। 
४ ओर हम आप प्राथना में और बचन कौ सेवा में 
नित्य लवलीन रहेंगे। ५ से उस बचन से सारी मंडली 
५८ आल क2। फू 223 घ्कु ब््््‌ 
प्रसन्न हुई और उन्हें ने स्तोफान के, जे! विश्वास ओर 
५ ५ अत बच 
'धमात्मा स भरा हुआ था और फिलिप आर परक्र 
५ रु रे | रे ५ 
आर नौंकानूर ओर तमन आर परमना आर अंताको 
थी कर हे विधि 9५ 3 
नया यिह्लदो निकलाऊ का चुन लिया। ६ जिन्हें उन्हों 
नेप्रेरितां के आग धरा बेर उन्हों ने ग्राथना करके 
हि रू 
उन पर हाथ रक्‍खे । ७ और इंशर का बचन बढ़ा आर 
यिरुशालम में शिम्थां कौ गिनतीो बहुत बढ़गई और 
याजकोां की बड़ी मंडलो भी बिद्वास के अधौन हुई । 
गो | >> 5 €& «४ 
८ ओर स्तोफान अनुग्नद और सामथ्य से पुण हे।के 
५ 90८ . 25५ /विजक हैक." | नि 
बड़े बड़े आअये ओर लक्षण लागें का दिखाया किया। 
। नौ त्ति हक 20% 26८. ४ २ 
& तब लौबत्तियां और करनिये और स्कन्दरियें आर 
कलकिया ओर आसिया के लागों कौ मंडलोम से 
| कर -ु बवु 2 8) 2६, ५५ 
कितने उठके स्तोफान से बिबाद करने लगे। ९० आर वे 
६0 ५५ ० 
उसके ज्ञान ओर अरत्मा को बात्ता के साले ठहर न 
कप ८. पल वि फट / «६ बाप 
सके। १९५ तब वे लागां का उभाड़ के बालवाये कि हम 
: लक जे 6 कर ७ + + 
ने उसे मसा ओर ईश्वर के बिशय में निंदा बकते सुना 
हक बज प ० 2 हर जे ० पक 7 ५ ५ 
है। ९२ ओर उन्हों ने लेगों के आर प्राचोनां और 
» ५ पक २ 
अध्यापकों के। उसकाया आर लपक के उस पकड़ा ओर 


४००. प्रेरितां की क्रिया । [७ यब्बे 


०७ व रे 
सभा में खींच लेगये। ९१३ आर भकठ साचौ खड़े किये 
० हि कक 
जिन्हें। ने कहा कि यह मनृय्यथ इस पवित्र स्थान के आर 
हट के « रो ;3&>> 
ब्धवस्था के बिषय में निंदा बकना नहीं छोाड़ता है । ९४ 
! “4५ -ह * कक 2७. 3 ८. 

क्योंकि हम न उसे कह ते सुना है कि यह थिशु नासरौ 
इस स्थान के। नाश करेगा और उन ब्यवहारों का, जे 

७ | जप ४२३५ ह-> न + 
मूसा ने हम सभों के सेंपा पलट डालेगा। ९५ आर: 

कक पी पा जे जी व 

सभाके सारे बठव यां ने उस पर टक लगाके दृष्टि किई 

आर उसके रूप का देखा कि ट्वत के समान हुआ । 

७ सातवां पब्बे। 
808 / है 5 ठरोँ «५५ 
९ तब प्रधान याजक ने पृहा कि ये बात यांहों हैं ! 
* है ञ र है..." के. हैक &." का 

२ वुच्च बाला कि हे मन॒व्य भाइये आर हउ पितरा सुना 
खरान में बसने से पड्िले जब हमारा पिता इबराहौम 
ईंरमनहर में था तेजेमय ईश्वर डसपर प्रगट हुआ। ३ 
और उसे कहा कि अपने देश और अपने कुटुब में से 
निकलजा गैर जे देश में तुम्ते दिखाओंगा उसमे 
रे पैक - हक २७.० ख्क् कु बिक 
चलाआ। ४ तब उसने कल्दियां के देश से निकल के 
खरान मं बास किया और जब उसका पिता मरगया 
बच वहां से इस देश में उठआया जिसमे अब तम लाग 
बसते हे। । ५ गैर उसने उसे वहां कक अधिकार पर 
भर भूमिलां न दिई पर उसने बचन दिया कि भें इसे 
तेरे ओर तेरे पीछ तेरे बंश के बश में करेंगा अर तब 
उसका केाई पुत्र न था। ६ चर ईश्वर ने उसे यां कहा 
कि तेरा बंश परदेश में जारहेगा ओर वे उन्हें बंधुआ 


७ पब्ब] प्रेरितां को क्रिया | 8०९ 
००० बे । 9: 2 | पी ८ ७५२... 

करेंगे और चार सा बरसले उनकी दुढंशा करेंगे। ७ 

कफ 2 2200 (2 आय ३५० (७ आर 

और ईश्वर ने कहा कि जिन लोगों के वे दास होंगे में 

उनका न्याय करेंगा ओर उसके पीछ वे बाहर आवेंगे 

०७ ० डिक. है 

और इस स्थान में मेरी सेवा करेंगे। ८ और उसने 

हे ञ्यै 3५ 

उसे खतन: का नियम दिया अर उद्यु इसहाक उत्पन्न 

हुआ बेर आठवें दिन उसका खतन:ः किया और 

इसहाक से याकूब और याकूब से घरान के बाइर 

4६0] क 
पिचध्यज्ञ उत्पन्न हुण। ८ चर पिचथ्यक्षां ने डाइके 
सारे यूसफ के। मिसर में बेंचा परन्तु ईश्वर उसके संग “ 


के कु क्र हा ५ 
था। ९० ओर उसने उसके सारे कष्ट से छड़ाया और 


मिसर के राजा फरऊन के आग उसे अनुग्रह अर 
बद्धि दिई और उसने उसे मिसर ओर अपने सारे 
घराने का अध्यक्ष किया। ५५ अब मिस्र के सारे 
देश और किनान में अक्ाल पड़ा ओर बड़ा लेश हुआ 
और इमारे पितरें के कुछ जीविका न मिलती थी। 
१२ परन्तु जब याकूब मे सुना कि निसर में अन्न है 
उसने पहिले हमारे पितरों के भेजा । १३ और दसरे 
बेर यधफ ने आपका अपन भादूयें पर प्रगट किया 
और यसफ का घराना फरऊन के जानागया। ९४ 
तब यहफ ने भजकर अपने पिता याकूब और अपने 
सारे घराने का जे। पचचत्तर प्रएणों थे बुलवाया। ९४५ 
से! याकूब मिसर के। उतर गया और वह और इमारे 

पितर मर गये। ५६ ओर उन्हें शखौस म॑ लेगये ओर 





४8०२ प्रेरितां की क्रिया। [७ यब्ते 


उस समाधि में गाड़ा जिसे इबराहौम ने कुछ दाम देके 
30 529%8%- श्र बे 

हमूर के बेटे शखोम के पिता स मोल लिया था। ५७ 
परन्तु जब उस बचन का समय निकट पहुंचा जिस पर 
इंश्वर ने इबराहौमसे किरिया खाई थी तब लाग 
अधिक हुए चर मिसर में बढ़ गये। ९् जबलों 
दूसरा राजा हुआ जे यूसफ का न जानता था। ९८ 
३००७. ५ 2. कु. |. को रच 
उसने इमारो जाति पांति से छल कर के हमारे पितरों 
से ब्रा ब्यवह्ाार किया इइहां लां कि उनके बंश का नष्ट 
करने के उसने उनके बालकों के भी बाहर निकलवा 
हिया। २० उसौ समय में मूसा उत्पन्न हुआ जे! बहुत 
रू 500 कल हक. ० 

रूपमान था आर तौन मास लां अपने पिता के घर मे 
पालागया । २९ ग्लार जब वह निकालागया तो 

हर 2 8, 
फरउन कौ पुत्री ने उस लेके अपनाइौ पुत्र करके 
पाला। २२ ओर मूसा ने मिस रियां को सारो बिद्या 
५ 

पड़ा और वृद्द बेलच/ल में निपुण था। २३ और जब 
परे चालीस बरस का हुआ ते उसके मन में आया 
कि अपने भाईबंद इसराईल के सन्‍्तानों से भेंट करे। 
२४ गैर उनमें से एक के। सताया हुआ देख के उसने 
सहाय किई जैौर उस मिसरी के घात करके उसका 
पलटा लिआ जिस पर उपद्रव हुआ था। २७ क्योंकि 
उस ने समुक्का था कि मेरे भाईबंद जान जायेंगे कि ईश्वर 
उन्हें मेरे हाथ से उद्धार देगा परन्तु उन्‍्हां नन समक्का। 
र6€ं फेर दूसरे दिन जब वे कगड़ रहे थे वृद्द उन पास 


७ पब्ब] प्रेरितां की क्रिया । ४०३ 


&“> हे 3 बे 
आया ओर चाहा कि उन्हें मिला देवे आर बाला कि 
हे मनुथ्या तुम ते भाई हे। तुम एक दूसरे के क्यों सताते 
है ! २७ परन्त जिसने अपने परासो के सताया था 
ज ५ : 3 अमिक जे 
डसे हटाके कद्दा कि तुझे किसने हमपर अध्यक्ष आर 
० ५ &< 

आज्ञाकारो किया है! २८ क्या जंसा तू ने कल मिसरौो 
बे ब््‌ ३९. शक १ 

का घात किया तंसा मुझे भो घात करेगा? २८ उस 
कहने पर मूसा भागा और मदियून देश में जारहा 
जहां उस्मे दे। बटे उत्पन्न हुए। ३० ओर जब चालौस 
बरस बौतगये तब प्रभुका द्वत सौना पबंत के बनकोौं एक 
काड़ी में आग कौ लवर में उस पर प्रगट हुआ। ३९ 

23 30 ली #कलज 532६० ५ 
उसे देखते हो मूसा उस दशन से बिस्थित हुआ और जब 
ब॒द्द पास गया कि उसे अच्छी रोति से देखे ते। प्रभ का 
पक के 

शब्द यच् कइते हुए उस पास आया । ३२ कि में तरे 
पितरों का ईश्वर इबराह्तनोम का इंअवर इसहाक का 
इंश्वर याकूब का ईश्वर है तब मूसा कांप गया और उसे 
देखने के हियाव न हुआ । ३६ तब प्रभु ने उसे कहा 
कि ज़ूतोी अपने पांओे से उतार क्योंकि जिस स्थान पर 
त खड़ा है सा पवित्र भमि है। ३४ अपने लागों को 
दर्दशा जे। मिसर में हैं निश्चय में देख रहाहे और में 
न उनका बिलाप सुना और उन्हें छड़ान के। उतराहेएं 
अब त इधर ञआ में तभकक मिसर में भंजांगा। ३५ यह 
मसा जिसे उनन्‍्हां ने मुकर के कद्दा कि किसने तब्के इम 
प्र प्रधान ओर न्यायी किया! उसो के। उस द्वत को 


४०४ प्ररितां कौ क्रिया । [७ पब्बे 
ओर से, जे। काड़ो में उसपर दिखाई दिया ईंचचर ने 
2 हे ॥ 
प्रधान औ।र उद्भारक करके भेजा । ७६ वह्चौ मिसर के 
०७ ऋओ॥ ०७ ० की 
देश में आर लाल सलुद्र में आर बन में चालोस बरस 
आये और लक्षण दिख।के उन्हें बाइर निकाल लाया । 
छ्ै हक 6 ३०. हि. 
३७ यही है वह मसा जिसने इसराईल के सन्तान का 
कहा कि प्रभु ईश्वर तु्हारे भाइयें नें से मेरे समान एक 
भविग्यद्वक्षा के तुम्हारे लिये उदय करेगा तुम उसको 
सुनिये। ₹८ यह वह दै जे मंडली के बौच बन में 
कक. 5२० “न शक € हेड ९ 
उस दत और इम.रे पितरां के संग, जे।सौना पबत 
में उस्से ब।ला उसो ने इम देने का जीवत ववन पाया। 
अर एक बज 
ह₹८ हमारे पितर उसे मातन्न का न चाइते थे परन्तु 
बसर हब. ख् का पक हि. 
अपने पास सं दूर किया और अपने मन से मिस्र का 
फिर गये। ४० चओर इहारुन के कहा कि हमारे लिये 
ऐसे देव बनाउ जे हमारे आगे आग चलें क्यांकि जिस 
मुसा ने इमें मिसर को भूमि से बाहर निकाला हम 
वि 4 ५ 
नहों जानते कि वह क्या हुआ । ४९५ और उन दिनों 
में उन्हां न एक बछूडा बनाया ओर मत्ति के लिये बलि 
चढ़ाया और अपने हाथ के कायां से मगन छुए | ४२ 
तब ईश्वर न फिरके आकाश के सेना को पता करने 
का उन्हें छाड़ दिया जसा कि भविष्यदक्लां को पुस्तक मं 
लिखा है कि हे इसराईल के घराने तन्‍हों लागों ने 
चालौस बरस बन में मुझे भेंट आर बलिदान चढ़ाये 
०» 20 कोट 52००० 308 तह ० ड़ 
४३ हां तुम सभों ने मलुक के तंब के और अपने देव 





3 पब्बे] प्रेरितां को क्रिया । 8०५ 


रंफान की तारा के, अथात उन मृत्तिन का उठाया 
न कई! 20% न. ३५० 
जे तम लागों ने पजञा करने का बनाई इस लिये में 
है बन. रु फेज 5 + 9. हक क्र. 
तुम्हं बाबिल से पर लेजाऊंगा। ४४ हमारे पितरों के 
+ ७.० ब्ध५ू न 
साथ साक्षो का तंबू बन मं था जंसा उसने ठहराया था 
जिसन मसा से बात॑ किई कि जेसा त ने देखा था डसो 
डाल का एक बना। ४४ उस हमार बापदवाद पाक 
यशूत्र के संग अन्य देशियां के देश नम लाये उन्ह इंश्चर 
इम।रे पितरेों के आगे से दाऊद के समय लॉंदूर 
6 &25. ७ 
करता रह्ा। ४६ उसने ईश्वर के आग अनु॒ग्रह पाके 
चाहा कि याकूब के ईश्वर के लिये एक तंब्‌ बनावे। ४७ 
परन्तु सुलेमन ने उसके लिये मंदिर बनाया। ४७ 
तथापि हाथ के बनाये हुए मंदिरों मं अति महान नहीं 
*र न € 
रहता जा कि भविष्यद्ृक्ता कच्ठता है। ४६८ कि खग 
मेरा सिंहासन आर पृथिवी मेरे पांव कौ पौढ़ो है प्रभ 
3 न बे कु 
कहता है तुम लेग मेरे लिये कानसा घर बनाओ ? 
220०. _५ ः 3१ न 
अथवा मेरे बिश्आम का कानसा स्थान है? ५० क्या मेरे 
हाथ ने ये सारी बस्त नहीं बनाई ? ५९ है कठार गले 
जै।र मन और कान के अखतन; तुम लोग अपने 
पितरों के समान नित्य धमात्मा का बिरेध करते है।। 
नकल ५ नर न न 
धूर्‌ कान स भविश्यद्र॒क्तां का तुम्हारे पितरों ने न सताया! 
और उन्हों ने उन्हें मारडाला जिन्हें ने उस धर्मी के 
हि ७९ अर ००८ ५ >+ 5 हू रु 
बआयाने के आगे से संदेश दिया आर तुम लेग अब उसके 


४०६ . प्ररितों कौ क्रिया। [८ पन्ने 


. विद्यास घातक और बधिक छुए हे।। ५६ तुमने 
व्यवस्था के दूतां के द।रा से पाया और न माना । 
कप ० ह् आप ० के 
४४ ये बात सुनतेहो वे मनहों मन कटगये ओर 
४ /- व ; 
उस पर दांत किच किचाने लगे। ५५ परन्तु धमोत्मा 
से पूर्ण हेकके उसने खगे कौ ओर ध्यान से देखा आर 
ईश्वर के ऐश्वथ के और यिशु के ईशर की दहिने हाथ 
जज ५ ५5५ 
खड़ा देखा । ५६ आर कहा कि देखा में खंगीं का 
२ बा... नड 5 ५०0६ 5 +-ु 
खुला और मन॒य्य के पुत्र के ईश्वर के दहिने हाथ खड़े 
देखता हां। ५७ तब उन्हों ने बड़े शब्द से चिह्नाके 
के, ० पा 
अपने अपने कान का मूृदलिया आर एक साथ उस पर 
् वे 
लपके। ५८ ओर नगर से बाहर करके उस पर पथर 
५ अल 88९20 5८- हि. ऐ कं, बे 
वाह किया आर साजक्तियां ने अपन कपड़े का साल 
| जे ५ 
नाम एक तरुण कल पांव पःस रख छिया। ५८ ओर 
हल 2० हर है. 2 - ल्‍ँ 
स्तोफान का यह क हिके प्रथता करते कि हे प्रभु यिशु 
मर कप 3 २८ 2७ 
मेर प्राण का ग्रहण कर उन्‍्हां नं पथरवाह् किया। ६० 
५ शा  ७५ , ० ४५. 
ओर वह घुटन टेकके बड़े शब्द से पुकारके बाला कि हे 
२ 
प्रभ यद्ध पाप उन पर सत धर ओर यह कहिके से 
गया। 
द ८ आठवां पब्बे। 
और 7 डे ् बे 
९ ओर सोल भी उसके घात से प्रसन्न था और उस 
समय में यिरुशालम कौ मंडलो पर बड़ा उपद्रव छुआ 
५ ० रि + > २३२२ : ४ रि हक: हे 
आर प्र|रतां का छाड़ सब क सब यिह्ल दिय ४।र सामरः 
+ > आर ० न से 3७ बी ४ £ 
के देश में बिधर गये। २ आर भक्तो न स्तोफान का 


रू पब्ब] प्रेरितां कौ क्रिया । 8०७ 


गाड़ा और उसके लिये बड़ा बिलाप किया। ३ गैर 
बे ४ चल 
साल घर घर घुसके मंडली के सत्या नाश किया करता 
था झऔर पुरुषों और स्लियें के खोंच खोंच बंदीगुह में 
तक 
डालता था। ४ पर जो छिल्न भिन्न हुए थ से इर एक 
स्थान में जाजा के बचन को प्रचारते गये। 
था 2. नजर >+ का. 
५ तब फिलिप ने सामर: के नगर में जाके मसौहद 
के 890 कि न, हे 

का उपदेश किया। € जैर लागों ने उन लक्षण के, 
जे। फिलिप दिखावता था सुनके और देखके एक मत 
हो उसको बातें चित्त लगाके सुनी । ७ क्योंकि अपवित्र 

£ जि हु 2 8 ० के 0" 
आत्मा बहुतेरे ग्रसतां से बड़े शब्द से चिल्लाके मिकले 
सर ९ ट ्. ७9 आर न 

7र बडुतेरे अड्डांगी लैर लंगड़े चंगेहुए। ८ और 
उस नगर में बड़ा आनंद हुआ । 

€ परन्तु उसौ नगर में उससे पहिले शिमेन नाम एक 

हि &8&- 24% ड- हिय प४ ३ ४ कह 9. 
मनुव्य था जिसने टाना से सामर: के लागों का माह 
ग &. >क७ के ४ 
लिया था आर कदता था कि में बड़ा काई है। ९० 
और छोटे से बड़े ला सब उसकी प्रतीत करके कचते थे 
कि यह मनुख्य ईश्वर का महा पराक्रम है। ९९ और 
उसके थाना से उन्हें मोइलेन के कारण वे उसके बिश्वासी 
-_ हिल? > 
हेरहे थे। ९२ परन्तु जब उन्‍्हां न इंश्वर का राज्य 
और यिशु मसौद के नाम के बिषय में फिलिप के 
प्रचारते सुना ता क्या पुरुष क्या स्ली बिदग्यास लाला 
हि गधे 93. ५ + 
स्नान पावने लग। ९३ तब शिमान आप भौ बिज्यास 
रे 4 ये 9 

ज्वाया और ज्ञान पाके फिलिप के संग रहा किया और 


४०८ प्रेरितां कौ क्रिया । [८ पब्बे 
आशय कम चर बड़े लक्षण, जे! प्रगट हुए थे देख के 
बिस्मित हूचआा। 
लि 5३ ९७ न 5 ०० 
१४ जब यिरुशालम म के पग्रेरितां ने सुना कि 
रि ०५५० ८ 3 रख श्र > हि ७ ० 
सामरियां न ईशर के बचन का ग्रहण किया तो उन्‍्हों 
कर २ ० न्‍ 
ने पथर ओर येहन का उन पास भेजा। ९५ जिन्‍्हों 
ने वहां जाके उनके लिये प्राथना किई जिसतें वे 
९ कक हि के 0 कर] 
धमोत्मा के पाव। ९६ (क्यांकि अबलें वुद्द उन में से 
धो्‌ ५ ५ पक हू. 
किसी पर न पड़ा था कवल उन्‍्हां न प्रभु यिशु क नाम 
से स्लान पाया थ।ध)। ९५७ तब लन्हां ने उन पर हाथ 
धरे और डनन्‍्हों ने धमात्मा का पाया। 
5 ० ०५ ७. बम ८ | कल 
९८ और जब शिमान न देखा कि प्ररितां के हाभध 
१ ॥ ९ बे ० 40. 90 27७. 5 
घरने से धमात्मा दिया जाता हे ता उन्‍्ह राकड़ देन 
लगा। ९८ कि मुक्मे भो यहछो पराक्रम देड कि जिस पर 
मैं अपना हाथ धरों वुचद्द धमात्मा पावे। २० तब पथर 
ओर न न ०5% ०५००१ ५४ << 
ने उसे कहा कि तेरा राकड़ तेरे संग नष्ट ह्वाय इस 
ब् ६8. पं 6 
लिये कि त्‌ न समुआ॥ा कि ईश्वर का दान राकड़ से 
मेल लिया जाता है। २९ इस बात में तेरा भाग 
अथवा अधिकार नहों है क्योंकि ईश्वर को दृष्टि में 
ज़रा मन खरा नहों है। २२ इस लिये अपनी इस 
दुष्ठता से पञ्यात्नाप कर ओर ईग्र से प्राथेना कर क्या 
का ८, गा 6 ५०९७ 
जान तेरे मन को भावना क्षमा किई जाय । २३ क्याकि 
५० बल " हे 
में देखता हें कित कड़आहइट के पित्त में और पाप 
विज आम, ० न रे सर ३ अम्पिका पे 
कबंधन में है । २४ तब शिमान ने उत्तर देके कहा 


छ पब्बे] प्रेरितां को क्रिया । 8०6 


कि तुम मेरे लिये प्रभु से प्राथना करे कि उन बातों में 
से जे। तुम ने कही हैं कुछ मुक्त पर न पड़े। २५ चार 
वे साक्षो देके और प्रभु का बचन प्रचार के यिरशालम 
का फिरे और सामरियें के बहुत से गांश्रां मं मंगल 
समाचार प्रचारा। प 
# हक. हल फितक 
२६ ग्ार प्रभु का दूत फिलिप के यह कहिके बाला 
कि उठ जार द क्खिन कौ ओर उस माग में जा जे। यिरुशा 
लम से गज: के जाता है ओपःएर बन है। २७ वुद्द उठके 
गया ओर क्या देखता दे कि एक इबशौ नपुंसक जे 
सं आकरी +५ 
हबश्‌ को रानौ कंदहाको का एक बड़ा प्रधान आर उसके 
न ५ ० च्ज्ै को 8... कु 
सारे धन का भडारोथा ओर यिरुशालम म॑ सवा-के 
लिये आया था। र८ वुद फिरा चलाजाता था और 
अपने रथ पर बेठाहुआ अशौया भविश्यदक्तला के बचन 
७. हेल्‍थ 8.5 
का पढ़ता था। २८ तब आत्मा ने फिलिप का कहा कि 
पास जा और अपने के। इस रथ से मिला । ३० तब 
|] रे 
फिलिप ने उधर दाड़के उसे अशोया भविश्यइक्ञा का 
पढ़ते सुना और उसे कद्ठा कि जे। आप पढ़ते हैं से 
] 
। शसमुभते हैं! ३९ वह बोला कि बिना किसौ के बताये 
। सििक  ७९ न 35. 0498 % हक हरा य 
में क्योॉंकर समक्कपकां आर उसने फिलिप का चढ़ा 
लिया ओर अपने पास बेठाया। ३२ जऔैर उस लिखे 
हुए का स्थल जा वुद्द पढ़ता था यह था कि वह भेड़ की 
माई घात के लिय पहुंचाया गया और मेम्रा कौ नाई 


न्प्द न 
अपने कतरवेया के अग चृपचाप है से उसने अपना 
हा द 


8१९ ० प्रेरितां को क्रिया । [८ पन्बे 


ह नहों खेला। ३३ उसको दौनताई से उसका बिचार 
कर ्ब् ७ 8 ७ 
न हेनेपाया और उसवते पौढ़ी के लागां की चचा कान 
करेगा! क्योंकि उसका जौवन पुथिवौ से डठाया गया। 
ह गे. हर. # 5 कर. 
३४ और उस नपंसक ने फिलिप के उत्तर देके कहा 
कि में बिनती करता हे कि भविय्यद्रक्षा किसके बिषय 
में यह कहता है? अपने अथवा ट्ूसरे मन॒व्य के! ३५ 
ाा +# किक हर बाप 

तब फिलिप अपना मंह खाल के उसी बचन ये यिशु का 
भेद प्रचारन जलगा। 

. ह६ आर जाते जाते वे किसो जल के पास पहुंचे 
तब नपंसक ने कहा देखिये जल, अब मुझे स्नान पावन 
से कानसी बात राकती है! ३७ फिलिप ने कहा कि 

न *. ३० 
जे! आप सारे अन्त:करण से बिश्आास लाये हैं ते योग्य 
क््  पि ५५ ५ 
है उसन उत्तर देके कहा कि में बिश्वास लाता है| कि 
यिशु मसौह इंश्वर का पुत्र है। ४८ तब उस ने रथ खड़ा 
हे पाक हे पक ५; $- सर ५ श्र ० 20 3 ओक 
करने का आज्ञा किई और फलबस और नपंसक देानों 
करे 54 छः न छ 200, ० े > ६ क्छ 

जल में उतरे और उसने डसे स्लान दिया। ३८ और 
जब वे जल से बाइर निकले प्रभ के आत्मा ने फिलिप 
के उठा लिया और नपंंसक ने डसे फेर न देखा और 
वृद्द आनन्द से अपने मागे चला गया। ४० परन्तु 
फिलिप आजेतस में दिखाई दिया अर उसने जाते 
जाते सारे नगरों में केसरिया में पहुंचने ला उपदेश 
किया। 


€ पब्बे] प्रेरितों कौ क्रिया । 8९१ 


6 नवां पब्बे । 

९ और अबलें साल प्रभ के शिष्थां के बिराध मं 
धमको जऔैर घात करने पर जी चलाके प्रधान याजक 
के पास गया। २ ओर उच्स दमिप्कक्त को मण्डलियों के 
लिये इस रौति की पन्नरौ मांगों कि यदि में किसो के। 
इस मत में पाओं क्या स्त्रौ क्या पुरुष ता उन्हें बांधके 
यिरुशालम में लाओं। ₹ बेर जब वृंह चलाजाता था 
और दमिप्कक के पास आया तो ऐसा हुआ कि आक 
 ज्यात एक ज्याति खग से उसके चारोंओर चमकी । ४ तब . 

वच्द भूति पर गिरपड़ा आर यह कहते हुए एक शत्द 
सुना कि सेल सेल त्‌ मुझे क्यों सताता है! ५ उसने 
पूछा कि हे प्रभु तु कान हैं ! प्रभु ने कह कि में विश्वु हों 
जिसे तू सताता है अरइयें पर लात चलाने में तेरे 
लिये कठिन हैं। € वुद्द कंपित और बिर्थित दोके 
बाला, हे प्रभु में क्या करें तेरी इच्छा क्या! प्रभु ने उसे 
कहा कि उठ बेर नगर म॑ जा आर जो कुछ तुमे 
करना डचित है से। बताया जायगा। ७ ओर उसके 

संगी पथिक बिस्मित खड़े रहिगये क्योंकि शब्द के ता 
 खुनते थे परन्तु किसी के। न देखते थे। ८ तब सेल 
भूमि पर से उठा और आंखें खेलते हुए उसे कुछ खम्क 
न पड़ा परन्तु वे उसका हाथ पकड़ के दमिष्रक में लाये। 
€ और वृह तौन दिन ले बिना दृष्टि रहा और न 
खाया न पीया। 


४९२ भैरितों कौ क्रिया। [८ पन्ने 


९० ओर दमिष्ठक में हनानिया नाम एक शिव्य था 
जिसे प्रभ ने दशन में कहा कि हे इनानिया वुच्च बाला, 
ह प्रभु देख में हें। ९९ प्रभु ने डसे कहा कि उठके 

" जे / 
सीधी नाम गली में जा ओर साल नाम एक तरसी 
मन॒य्थ के दिह्ूदा के घर न ढूंढ़ क्यों कि देख वह प्राथना 

० *5+ 
करता है। ९२ और जिसते वृद् अपनी दृष्टि फेर पावे 
हक. (९ जा 2 ते न हू अ 
उसने दशन मे इनानिया नाम एक जन का भोतर आते 
और अपने ऊपर हाथ धरते देखा। ५३ तब इना 
निया ने उत्तर दिया कि हे प्रभु में ने बहुतां से उस 
मनुख्य के बिषय में सुना हैं कि उसने यिरुशालम में 
तेरे सिद्ठों के संग बहुत बुराई किई है। ९४ ओर 
0 ३० हे * ृ 
जे तेरा नाम लेते हैं डन सभों के बांधने के लिये यहां 
भी प्रधान याजका की ओर से पर।क्रम रखता है। ९५ 
हर ८ ५ 8 कर 2 28%: 20 8 
परन्त प्रभ ने उसे कहा कि चला जा क्योंकि अन्य दे शिया 
अं रा हक. | हैक 230 कक 
के और राजा के चैर इसराईल के सनन्‍्तानां के आगे 
मेरा नाम पहुंचाने के वृह् मेरे लिये चुना हुआ पात्र 
है। ९६ क्योंकि मेरे नाम के लिये उसे केसा बड़ा 
जे के है जी ८ 
दुःख उठाना अवश्य है में उसे दिखाओंगा। ५७ तब 
इनानिया निकल के उस घंर में गया और अपने इाथ 
५ ० 
उस पर रखके कहा हे भाई साल यात्रा में जिस प्रभु 
विशु ने, तुझे दर्शन दिया उसने मुझ्के भेजा है जिसतें त, 
नी ९९ 
अपनी दृष्टि पाके धमात्मा से भर जाय। ५८ चार 
तुरन्त उसकी आंखें से कुछ छिलके से गिरे ओर 


6 पब्बे] प्रेरितां की क्रिया । ४९३ 


उसने तत्काल अपनो दृष्टि पाई और उठके ख्ान पाया। 
९७ आर कुछ भोजन करके बल पाया फर सेल कई 
दिन दमिष्ठक में शिय्यों के संग रहा। 

२० ओर तुरन्त मंडलियोें में व॒द प्रचारने लगा कि 
मसीह ईंशर का पत्र है। २९ परन्तु सारे सुन्नेवाले 
बिस्मित हे बोले क्या यह व॒द नहों जिसने यिरुशालम 
में इस नाम के लेनवालेां पर उपद्रव किया और यहां 
इस लिये आया कि उन्हें बांधके प्रधान याजकों के पास 
लेजाय। २२ परन्त्‌ सेल ने आर भो इृढ़ता किई आर 
दमिप्रक्त के बासौ यिहूदियें के प्रमाण ला ला के 
घबराया कि वह्ौ निश्चय मसौच् है। २३ अर बहुत 
दिन के बौतन म॑ विह्दियां ने उसे घार करने का 
परामश किया। २४ परन्तु उनका मनसा सोल के 
जान पड़ा और डसे घात करने के उन्‍्हों ने रात दिन 
_फ्राटकां कौ चाकसो किई। २४ तब शिष्यों ने रात के 
डसे लेके भोत परसे टाकरे में उतार हिया। 

२६ गैर साल ने यिरुशालम में आके शिव्या में 
मिलने चाहा परन्तु उसका शिव्य देना प्रतौति न करके 
बे उससे डर गये। २७ तब बरनबास ने उसे लेके प्ररितों 
पास पहुंचाया और जिस रौति से अपने प्रभ के मागे 
में देखा था और उस्मु बात्ता किई ओर जिस रौतिसे 
दमिष्क में यिशु के नाम के साहस से प्रचारा उनसे 
बर्णन किया। रु८ और वृद्द थिरुशालम में उनके संग 


४९४ प्ररितों को क्रिया । [८ पनबे 


आताजाता था। २८ अर प्रभु यिशु के नामतें हियाव 
से प्रचारता था और युनानियेां से विबाद करता था 
परन्तु वे उसके घात में लग। ३० यह जानके भाईयों 
ने उसे कैसरिया में पहुंचाया और तरसस कौ ओर 
बिदा किया । ३५ तब सारों यिक्दियः और गालौल 
और सामर:ः को मंडलियें ने बिश्वाम पाया और सुधर 
गये और प्रभ के भय में और धनमोत्मा कौ शान्ति में 
 निबाइ कर कर बढ़ गये। 

₹२ और ऐसा हुआ कि पथर सबंत्र फिरते लहा में 
के साधन पास आया। ३३ ओर वहां अनियास नाम 
एक मनुय्य का पाया जे। अड्भांगो हेके आठ बरस से 
खाट पर पड़ा था। ३४ पथर ने उसे कहा कि अनि 
यास थिशु मसौह तुक्के चंगा करता है उठ अपना 
बिछाना सुधार ओर वृुद्द तुरन्त उठा। ३५ तब लहा 
और स|रून के बासौ उसे देख के प्रभ की आर फिरे। 

३६ अब याफा में ताबौता नाम एक शिश्थिन थौ 
जिसका अथे दरकास है वुद् सुकम ओर दान से भरप्र 
थौ। ३७ ऐसा हुआ कि वृद् उन दिनों में रोगौ हेके 
मरगई और उसे नहला के एक उपरोटी केठरोी में 
रक्‍खा। व८ ओर जेसा कि लहा याफा के समोपथ्ा 
शिव्यों। न पथर का वहां हेना सुन के दे! मनय्य का 
भेजक उसकी बिनतो किई कि इमारे पास आवन रू 
बिलंब न को जिये। 


९.० यब्बे] प्रेरितां कौ क्रिया । ४९४ 


₹८ तब पथर उठके उनके संग ह्े।लिया ज्योंहों वह 

»॒ ० कर ५ ु आर. - के 
वहां पहुंचा वे डसे उपराटो काठरो में लाये आर 
सारो रांड़े' उसपास खड़ो हैक रोाती, कुढ़तो और 
38 ् > रों ३ 2 ५ « कर 
आडढ़ने दिखातो थीं जे दरकास ने उनके रंग रइते 

कर हे 

हुए बनाये थे। ४० तब पथर ने उन सभों को बाइर 
किया और घुठना टेक के प्राथना किई और लेथ को 
ओर फिर के कहा कि ताबीता उठ तब उसने अपनो 
आंखें खेलों और पथर के। देख के उठबेठी । ४९ और 

लि 3 0 ब्न्र ० ७ 29.4 2८ 
उसने हाथ देके उसे उठाया आर साधुन का आर रांड़ों 
७ आह ०» ०० 
को बुलाक उसे जोवती उन्हें सेंप दिया। ४२ तब यह्ष 

०७० ५ 8 ७... है 
सारी याफा में फेलगई आर बहुतेरे प्रभु पर बिश्वास 
लाये। ४३ ओर वुद्द बहुत दिनलें शिमेन नाम एक 
चर्मकार क संग याफा में रह्दा किया। 
९० ढसवां पब्बे। 

९ केसरिय: में करनौलियूस नाम एक सनुय्य था जेए 
अतालौको नाम जथा का एक शतिपति था। २ वुद्द 
जे > ने 872 
भक्त जन था आर अपने सारे घराने समेत ईश्वर से 

जे ५ 6 कप ब््‌ 
डरता था ओर लेगों के बहुत दान भो देता था ओर 
नित्य ईअर को प्राथना करता था। ३ उसने दिन कौ 
. नाई घड़ी के अंटकल दशन मे ईश्वर के द्वत के अपने 
पास आते देखा जिसने उसे कहा कि करनोलियूस। 
२ ५ 0 
४ वुच्द उसे देख के डर गया आर कहा कि हे प्रभ क्या _ 
१ 3:00 बल" € ५ 8 2 
है! उसने उसे कचद्दा तेरी प्राथना आर तेरे दान स्मरण 


४8९४ प्रेरितां की क्रिया । [१५० पब्बे 


के लिये ईश्वर के आगे पहुंचे। ५ अब याफा में लागों 
० / की: | ० 
का भेज आर पथर नाम के शमेन के बुला । ६ वृच 
7 ९ हे * 
एक शिमान चमकार के संग रहता है जिसका घर 
सागर तौर है जे। कुछ तुझे करना उचित है वुच् तुमे 
बतावेगा। ७ आर जब दूत करनौलियस से कहिके 
हे जज के कट अश म प2 कक 0 5 7 
चलागया ते उसने अपने सेवकों में से देकेा और उन 
में से जे नित उसके पास रहते थे एक योाद्धाभक्ष का 
पु ् ० | >> 
बुलाया। ८ आर सब बातें उन्हें कहिके याफा में भेजा । 
बे न «५ ४7 आर -े 
6€ अगिले दिन जाते जाते ज्यों वे नगर के पास 
दम है... ५ ७५७ 25 कक, 
पहुंचे तो पथर छठवीं घड़ो के अंटकल म॑ काठ पर 
८ 23 00४ बे ; 
प्राथना करने के चढ़ा। ९० आर उसे बड़ी भूख लगी 
और कुछ खाने चाहा परन्तु जब वे बना रहे थे वह बे 
ः ५७ 
सुधि हुआ। ९९ ओर खर्ग के खुला ओर एक पात्रका 
चार।खंट से बंधे हुए एक बड़े बस्त्र कौ नाई अपने पास 
ममिलोां उतरते देखा। ९२ जिसमे पुथिवों के सारे 
प्रकार के चाोपाए ओर बन पशु आर रग बेये आर 
आकाश के पंछो थ। ९३ आर एक शब्द उस पास 
रे 
आया कि उठ पथर मार आर खा। ९५४ तब पथर 
बाला कि छे प्रभु ऐसा नहीं क्योंकि में ने कधो काई 
सामान्य अथवा अशुद्ध बस्त नहीं खाईं। ५४ तब द्र्सरे 
बेर उस पास फेर शब्द आया कि जे ईश्वर ने पवित्र 
किया है त्‌ सामान्य मत कच। ९६ यह तोन बारु 
५ 
हुआ और वृद्ट पात्र फर खग पर उठाया गया। 


९० पब्ब] प्रेरितां कौ क्रिया। ४९७ 


९७ से जबलें पथर मन में अपने दशन के अथ का 
संदद््‌द कर रहा था ते वहीं करनौलियस के भेजे हुए 
मनुव्य शिमेन का घर पछके द्वार पर खड़े हूए। श्८ 
आर पुकार के पछा, क्या पथर नाम का शिमेन यहां 
रहता है? ९८ जब पथर उस दर्शन का सेचरहा था 
ते आत्मा ने उसे कहा कि देख तौन ननुव्य तुझे ढूंढ़ते 
९० रे 7 कर न ० 
हं।२० इस लिये ठठ आर उतर के बंखटके उनक 

है ९५७७ झ् हर ७ 
संग.चला जा क्योंकि में ने उन्हें भेजा हैं। २९ तब पथ्चर 
20. 39. ५० कक ० 
ने करनीलियूस के भेजे हुए मनुष्यां के पास उतर के 
कहा कि देखे वृद्द जिसे तुम ढूंढ़ते हो में हों क्या 
कारण है किस लिये आये दे ! २२ वे बोले कि धर्मी 
और ईश्वर से डरनेवाले मनुष्य करनीलियुूस शतपति 
के जे यिह् दिये के सारे लेगों म॑ शुभनाम है ईग्रर 
७ रे 80 र कह 
के एक पवित्र द्रत ने कद्दा कि तुकक अपने घर बुलावे 
और तुस्ये बात्ते सुने। २३ तब उसने उन्हें भौतर बुलाके 
डनका शिष्टाचार किया और दूसरे दिन पथर उनके 
० । २ ४८४३ 50: 8 न] छ ह। कर न्ज 
संग गया और याफाम के कई भाई उसके संग हेलिये। 
2 ५ किक 0०५८ | दे 0 

२४ और दूसरे दिन वे केसरिय: में पहुंचे ओर 
करनी लियूस अपने कुटंब और परमहितें के एकट्टे कर 
के डनको बाट जाइता था। २५ पधर के भीतर जाते . 
जाते करनौ लियूस ने उसे भेंट कर उसके चरण पर गिर 
दंडवत किई। २६ परन्त पधर ने उसे उठाके कहा कि 

भें ; ३ द 
खड़ा दे में आप भी ननुव्य हां। २० और व॒द् उस्मे 


४८ प्ररितां को क्रिया। . [९० पब्बे 


बातें करता हुआ भौतर गया आर बचत से लोगों के 
एक्ट्रे पाया। २८ और उन्हें कहा कि तुम जानते हों 
कि अन्यदे शिवें से संगति करना यिल्ह॒दियां का अनचित 
है अथवा उसके यहां जायें परन्तु ईश्वर ने मुझ दिखाया 
है कि में किसो मनृश्थ का सामान्य अथवा अशुट्ट न 
कहे। र८ इस लिये में जे। बुलाया गया बेखटके आया 
से में पूछता हों कि तुम ने मुओे किस लिये बुलाया है? 
३० करनौलियूस ने कहा, चार दिन बीते में इस घड़ी 
लें ब्रत करता ओर नवई घड़ी अपने घर में प्रार्थना 
करता था ओर क्या देखता हें कि एक मनृस्य कंलकते 
बस्तर में मेरे सनन्‍्मुख खड़ा है। ३९ ओर बाला किह्चे 
करनी लियूस तेरो प्रार्थना सुनी गई और तेरे दान 
ईश्वर के आग स्मरण किये गये। ३२ सो याफा में भेज 
और पथर नामक शिमेन को, यहां बला वृच्द सागर 
तौर शिमेन चमेकार के घर में टिका है वह्दी जब 
आधवेगा तुझे बतावेगा। ३₹ इस लिये तुरन्त में ने आप 
पास भेजा और जाने में आपने अच्छा किया से अब 
इम सब यहां ईश्वर के आगे बटरे हैं जिसतें सब बातें 
जे आप से इंश्वर ने कहीं हैं सुनें। 

३४ तब पथर ने मंह खेल के कद्दा कि मुझे ठोक 
समुककत पड़ता है कि इंश्वर मनब्यां में भिन्न भाव नहों 
करता। ३५ परन्त इर एक जाति में जा उस्मं डरता 
है और धरमका काये करता है से उसको ग्राह्य है। 


३० पन्ब) . प्ररितों कौ क्रिया। ४९८ 


३६ यह वही संदेश है जिसे इंशर ने विशु मसोह के 
द्वारा से कुशल प्रचारते हुए इसराईल के सन्तानों के 
कहला भेजा वृद्द सब का प्रभु है। ३७ तुम विशु का 
वच्ध समाचार जानते हे। जे याहन के स््रैन के प्रचार ने 
के पीछ जलौल से आरंभ दे के सारे यिह्लद्व: में देता 
रहा। इ८ कि इंश्यर ने किस रौति से डसे धमात्मा 
कि +- है * 
और पराक्रम से अभिषेक किया और वृुद्द भलाई करता 
रहा और पिशाच से सताये हुए लेगों के। चंगा करता 
इहा क्योंकि ईश्वर उसके संग था। ₹८ गैर उन सब 
5०8 5 ७ क (40527 2056 अर 
बातों के जे उसने यिह्ल दियां के देश अर यिरुशालम 
० ४ जे ३० जि हि." ५ ३७ <5 04 
में किये इम साछो हैं जिसे उन्‍्हों ने लकड़े पर टांग के 
मारडाला। ४० परन्तु ईश्वर ने उसे तौसरे दिन उठाया 
और उसे प्रगट के दिखाया। ४९ पर सब लागों के 
ड्रों 0 0, ३ ७, िकिज + , 
नहों परन्तु राक्षियां का अधथात इम लागों का जे 
पहिले से ईश्वर के चुन हुए थ जिन्‍्हों ने उसके जोउडने 
कल छल क्र + ञ्ै ७ अं चक ज 
के पौकछ उसके संग खाया पीया। ४२ चर उसने लागों 
में प्रचार ने और साजछ्षो देने का हमें आज्ञा किई कि 
जीवतों शऔैर मृतका का न्यायौ होने के ईश्वर ने मुस्के 
5८ ०. 
ठहराया है। ४३ उस पर सारे भविय्यदत्ता खाक्षो देते 
को ० ६ कर 
हैँ कि जे काई उस पर बिग्वास आवेगा उसके नाम से 
पाप का मेचन पावेगा । ः 
हक 358 ४9 ७ 
४४ जब पथर ये बात कह्दिरहा था ता सारे सुन 

अं ट । | 

बयां पर धमात्मा पड़ा। ४४ और खतनिक बिश्यासी 


४२० | प्रेरितां की क्रिया । (९९ प्च्ब 


जे, पथर के संग आये थ बिस्थित हुए कि अन्य देशियों 
€्‌ ै कर कम 
पर भी धमात्मा का दान उंडेला गया। ४६ क्यांकि 
उन्हें ने उन्हें भांति भांति की बालों बालते और ईश्वर 
की सुति करते सुना। ४७ तब ग्धर ने उत्तर दिया 
कि इन्हें स्लान देने के लिये क्या काई जल का राक 
सक्ता है! जिनन्‍्हों ने इमारी नाई धमात्मा के पाया है। 
४८ तब उस ने उन्हें प्रभु के नाम से स्तान देने को आज्ञा 
किई फर उन्‍्हों न कई हिन अपने इहां रइने के। उसको 
बिनतो किई। 
९९ ग्यारहवां पब्बे। 

९ अब प्रेरितों और यिह्द्य में के भाइयें ने सुना 
कि अन्यदे शिया ने भो ईश्वर का बचन ग्रहण किया। २ 
और जब पथर थिरुशालम में आया ता खतनिकों ने . 
उस्मे बिवाद करके कहा । ३ कि तू अखतनिकों के पास 
गया ओर उनके संग खाया है। ४ तब पथर ने आरंभ 
से उस बात के देाइराया ओर उनके आगे ढब स्े 
ब्णन करके कहने लगा। 

५० न ट 23.4 2 ५ु 

५ कि में याफा के नगर म प्राथता करता था और 

कल कर पः 25-* हम ब> को 7 ० 

बसुधि डेके में ने ख्ग सं उतरते हुए चारों खूंट बंधे 

हुए एक बस्त की नाई अपने पास आते एक दर्शन 
न हल को ० 2, 25: 5 जी, 

ढेखा। ६ ध्यान से ताकते हुए में ने भूमि के चापाए 

और बन पशु और कोड़े मकाड़े और आकाश के 

मम 22, 2 या कु में 
यंकछियें के देखा। ७ ओर मुस्मे कहते हुए में ने एक 





९९ पब्बे] प्रेरितां की क्रिया । ४२९ 


शब्द सुना कि उठ पथर मार और खा। ८ तब में 

बेला कि ऐसा नहीं हे प्रभ क्योंकि काई सामान्य अधवा 

अपवित्र बस्त मेरे मंह मं कथो नहीं पड़ौ। ८ और 
५ कक ७ 3 जे 

खग से उत्तर में मुझे फर शब्द आया कि जा कुछ 


ईंशअर ने पवित्र किया है उसे त्‌ सामान्य मत कह | ९० 


यह तौन बार हुआ तब सब खर् में फेर खोंचगये। ५९५ 
और क्या देखता हें कि तत्काल उस घर में जहां में 
था कैसरिया से भेजे हुए तोन मनुय्य मेरे पास पहुंचे। 
१२ जऔर आत्मा ने बेखटके उनके संग जाने का सुम्के 
आज्ञा किई और ये छः भाई भौ मेरे संग हुए चर हम 
उस मनब्य के घर में पहुंचे। ९३ तब उसने हमें कहा 
कि में ने अपने घर मे दूत का देखा जिसने सुखड़े 
हाके कद्दा कि लेगों के| याफा में भेज चार बथर नाम 
के शिमान के बुला । ९४ व तुझे ऐेसौ बातें बता देगा 
जिनसे त्‌ अपने सारे घराने समेत मुक्ति पावेगा। ९५थू 


और ज्यों में ने कहना आरंभ किया ता किस रौति से 


शव टकिकफिल- ब्् 
आरंभ में धमोत्मा हम सब पर पड़ा था तेसा उन पर भी 


रे 
पड़ा। ९६ तब में न प्रभु का बचन चेत किया कि उसने 
५ 
कसा कहा था कि याइन ने ता जल से ख्तान द्या परन्तु 


श् 
। तमले।ग धमात्मा से स्लान पाआग। ९७ सा जेसा कि 


लब इम प्रभु यिशु मसीह पर बिश्वास लाये ईअर न 
कल + ० ० के । 
हमें दान दिया तेसा उन्हें भो दिया में कानथा जा 


ईश्वर के रे|क सत्ता? ९८ आर जंब उन्हों ने ये बातें 
36 


४र२रे प्रेरितां की क्रिया। [१५९ पब्जे 


खुनों ते मान लिया और यह कह्दिके ईश्वर को स्तुति 
किई, ते इंशर ने अन्यदेशियां के भौ जौवन के लिये 
पद्मात्ताप दिया । 
९८ अब वे जा स्तोफान के समय को बिपत्ति के 

कारण छिन्न भिन्न हुए थे उनन्‍्हों ने फनोको और कबरस 

“की. ५, के. क." 39.5: * कं कर. 
और अन्ताकिय: लें चले जाके यिहूदियां के छोड़ 
किसी के बचन का उपदेश न किया। २० परन्तु उनमें 
से कितने कबरस आर कुरोनः के बासों थ जिन्‍्हों ने 
अन्ताकिय: में जाके युनानियों से प्रभ विशु का उपदेश 
करके बात किई। २९ आर प्रभु उनका सहायक था 
प्ले 20255 8 १३५ कक 8. 
ज्यायर बच्छचत से लाग बिश्वास लाक प्रभु को आर फिरे। 
२२ तब उन बातों का समाचार यविरुशालम की मंडलौ 
कटे. >> ५ +_ ३ | वि हर ५. 
के कान लॉ पहुं वा और उन्‍्हां ने अंतकिय: ला जाने के 
लिये बरनवा के भेजा। २६ वुद् आया और ईअर के 
अनुग्रद के देखके आनंद हुआ अर उन्हें उभाड़ा कि 

हक कर 3... 2.2 के 25 
बन को प्रो दढ़ता से प्रभु से पिलचे रहें। २४ क्योंकि 
वृद्द उत्तम मन॒व्य ओर धमोत्मा ओर बिश्वास से भरा 
छआा था और बहुत लेाग प्रभ कौ आर बढ़गये । 

श्र कर तु 

२५ तब बरनबा सोल को ढूं ढ़ने के तरसूस के चला 

गया। २६ चर उसे पाके अन्ताकिय: में लाया और 
ऐसा हुआ कि वे बरस भर मंडली म॑ एकट्रें रहे आर 
बहुत से लागें के उपदेश किया और शिग्य लेग पहिले 
अन्ताकिय: में क्रोष्टि आन कइलाये। 


१२ पब्बे] | प्रेरितों की क्रिया । ४२४ 


२७ ग र इनन्‍्हों दिनों में भविग्यद््ञा यिरशालन से 

अन्ताकिय: मं आये। र८ और उनमें से अजबस नाम 
के पक ह 9. हे 5७ 

एक ने उठ के आत्मा को आर से बतलाया कि सारे देश 


कक डक 2. ८: ५ 33९0५ 254 0 
मभ बड़ा अकल पड़गा जा कलादहयल कसर की दना 


बी पक ७ यु शत 
मे प्रा हुआ। २८ उस समय शिष्थों म॑ सेइरएक ने 
अपनो बिसात के समान चाहा कि यिह्ूद्धियः में के 
अप 5 ०७ रि 
भाइयों के लिये कुछ भजं। ३० सा उन्हां न किया 
रु ५ 
और बरनबास और सलूस के हाथ से प्राचौनां के पास 
भेजा । द 
९२ बारहवां पब्बे। 

९ और उसी समय म॑ हिराद राजा ने मंडलो में के 
कितना केा सतान के लिये हाथ बढ़ाये। २ और 
याहन के भाई याकूब का तल्लवारः से मार डाला। ३ 
जय ५. थि ४ 

7र जब उसने देखा कि यिकूदों इस बात से प्रसन्न 
हुए ता उसने यह देख के पथर का भो अखमीरो राटीं 


का ३. 2७५७ ५ कई, 5 कह 
के दिनां मं पकड़ लिया। ४ ओर उसने उसे पकड़ के 


०३ ब्प् 
बन्दोगुद्द म डाला ओर उसको चाकसी के लिये 


लव कब ५५ 
याद्वाओं के चार पहरे का इस इच्छा से सोंपा कि 
९ हे 4230 स्कअस व कक 2 श८ 

परारजाना पब्बे के पोछ उसे लागों कने पहुंचावे। थू 

से बन्दौगुद में पथर पड़ा था परन्तु मंडलो में उसके 
०. €्‌ व ब्पः 

लिये निरन्तर इंश्वर को प्राथना हे। रहो थो। ६ आर 

प्र खाक हा पक 

जब हिराद ने उसे बाहर निकालने चाहा उसो रात 

००५३ 25 2020 ७ बा प 25६2, “३ 2534 

दे याद्ाओं के मध्य में पथर दे सौकरों से जकड़ा 


४२४ प्रेरितां कौ क्रिया । [९२ पन्ने 


हुआ सेतता था आर पच्दरू बंदौगह के दार के आग 
चाकसोौ करते थ। ७ आर तत्काल ईश्वर का दूत 
दिखाई दिया आर उस घर मे एक उंजियाला चमका 
और उसने पथर के पंजर पर मारा ओर इसे यह्ट 
कछ्िके जगाया कि तुरन्त उठ, ओर उसके इहाथां से 
सोकर गिर पड़ों। ८ और द्वतने डसे कद्टा कि कटि 
बांध और जता पद्चिन ले आर उसने वेसाहौं किया तब 
उस ने कहा कि अपना ओड़ना आढ़ के मेरे पौछ हे।ले। 
€ वृद्द निकल के उसके पीछे दे लिया आर न जाना कि 
यह जा दूत ने किया सत्य है परन्त कुछ धाखासा 
समस्कता। ९० जब वे पहिले ओर दूसरे पदहरे में से 
निकल गये ता नगर म जाने के लाइ के फाटक पर 
यहुंचे वुद्ठ आप से .आप छनके लिये खुलगया ओर 
निकल के वे सड़क में हेके चले गये आर उसो घड़ी 
दत उसपास से जाता रहा। ९९ तब पथर न चेत में 
आके कद्दा अब में ठोक जानता हों कि ईंअर ने अपने 
इत का भेजा आर हिराद के हाथ से और यिहूदियों 
को सारो आशा से मुझ्के छड़ाया। 

९२ और सेच के याहन अधथात मरक को माता 
मरियम के घर आया जहां बहुत से एकट्टे हो प्राथना 
कर रहे थ। १३ ग्रार ज्यां पथर ने द्वार के बाइरौ 
फाटक के खटखटाया ते रूदा नाम एक कन्या बम्कने 
के गई कि व॒द्द कान है। ९५४ और पथर का शब्द 





३२ पन्ने] प्रेरिताों की क्रिया । ४२५ 


पहिचान के उसने मारे आनन्द के फाटक न खाला 
परन्तु भोतर दोड़ के उन्हें कद्दा कि पधर फाटक पर 
खड़ा है। ९५ वे बाले कि तु बोड़ची है उसने निश्चय 
से कहा कि येंहों हैं तब वे बोले कि उसका दूत है। 
९६ परन्तु पथर अटखटातागया आर जब उन्हों ने खाल 
के उसे देखा ता आशय माना। ९७ आर उसने उन्हें 
चुप कराने के हाथ से सेन कर के कद्दा और बणन किया 
कि प्रभु मुझे बंदौगद से इस इस रौति से निकाल 
लाया और कहा कि इन बातों का याकूब और भाइयों 
के जनाओ फेर वृद्द निकल के किसी और स्थान में 
गया। 

९८ और जब बिहान हुआ तो याद्थाओं में बड़ौ 
घबराहट हुई कि पथर क्या हुआ। ९८ और हिरेद 
मे उसका खेाज किया पर जब न पाया ता पहरूओं के 
जांच के उन्हें घात करने की आज्ञा दिई और वृह्द 
विह्ल दिय: से केसरिया में जारहा। 

२० जर हिराद रूर ओर सेहा के लेागों से निपट 
केपित था परन्त वे एक मता हे।के उसपास आये और 
उन्हों ने राजा के शयनस्थान के अध्यक्ष अथ।त बलासत 
काअपनो आर कर के मिलाप चाहा इस कारण कि 

उनके देश का उपजोवन राजा के देश से होता था। 
२९ ग्यार उचराये हुए दिन में हिराद ने राज बस्त 
पद्धिन सिंहासन पर बेठकर उनसे बातें किई | २२ तब 


४२६ ग्ररितां की क्रिया।. [१३ पफब्ब 


लेग पुकार के बोले कि यह्ट तो देव का शब्द है 
े हल 
मनृय्य का नहों । २३ परन्तु जेसा कि उसने ईश्वर को 
महिमा न किई ईश्वर के दूत ने उसे मारा ओर वुह्द 
कौड़े। से खाया जाके मरगया। २४ झऔर ईशर का 
५ ५ 4 
बचन बढ़ा आर बहुत हुआ । २४ आर बरनबा ओर 
सेल अपनी सेवकाई का प्रो करके येइन का, जिसको 
पदवी मरक थो अपने संग लिये हुए यिरुशालम का 
लेट आये 
65७ ० 
९३ तेरहवां पब्बे । 
९ अब अन्ताकियः को मंडलो म॑ कितन भविश्यद्द क्ता 
कर हक हल ०५ कर. 
और उपदेशक थे निज करके बरनबा और शिमान जे 
५ ५ 
निजार कद्ावता था आर कुरोनों लूकिय आर माना 
रे. ५ 
यन जे। चाथाई के खान्गे हिरेाद का ह्ृथभमाई था आर 
] २६ ० कक ड़ 
सेाल। २ जब वे मंडलो भ॑ प्रभु को प्राथना आर ब्रत 
न बे 
करते थे धमात्मा ने कद्दा कि मेरे लिये बरनबा आर 
से।ल के। उस कार्य के निमित्त अलग करे जिसके लिये 
से ० + &  9। ८ 
मैंने उन्‍हें बुलाया है। ३ तब उन्‍्हों ने ब्रत आर प्राथना 
किई और हाथ उन पर रखतक्े उन्हें बिदहा किया। ४ 
से वे धर्मात्मा के भजे हुए सलू किय: के! गये और वहां 
पाप ० 
से खेलके कबरस का चले। ५ ओर सलामौस में 
पहुंचके यिल्दियां के सेवागुद्ट में ईश्वर के बचन का 
लपदेश किया और येइन उनका सहायक था। ६ 
५ >> ह3.%% ९: द् 2०.5 यह. 
ओर उस टाप में पफस ला सबत्र फिरके उन्हों न बारोशू 


१३ पत्वे] प्ररिताों की क्रिया। ४२७ 


नाम एक यिहूदौ के पाया जे टानहा आर क्कठा 
भविष्यद्क्ता था। ७ जा उस देश के अध्यक्ष सजिय पाल 
एक प्रतिष्ठित मनृय्य के संग था उसने बरनबा आर साल 
का बुलाके ईश्वर का बचन सुन्ने चाहा | ८ परन्तु एलुमा 
न, जिसका अथ टानइा है इस इच्छा से उसका सामना 
॥ नजर रे 
किया कि अध्यक्ष का बिश्वास से फेर देवे। € तब सेल, 
€ नम हल €्‌ ७ १३ (५ ७ 
अधथल पाल ने धमात्मा से भरपर हेके उसे तकके 
बे 
कहा। ९० अरे तू जे। निरे कपट आर सारो दुष्टवा 
जे 
से भरा है पिशाच के पत्र ओर सारे धन के बेरी क्या तू 
७ ० € बच न का. कर ' 
इंग्वर के सोध माग का टेढा करन से अलग न रहेगा? 
९९ आर अब टेख प्रभ का हाथ तक पर पड़ा है ओर त 
अंधा हे।जायगा ओर कितने दिन लो रूय का न देखेगा 
आर तरनन्‍त उस पर कुछद्धिरा आर अंधकार पड़ा आर 
के अर 
वुद्द ढूं ढ़॒ता फिरा कि काई उसका हाथ पकड़ के लेजाय। 
९२ इस बात को देख के अध्यक्ष प्रभ के उपदेश से 
बिस्यिप हक बिग्वचास लाया । 

९३ तब पफस से खाख के पाल और उसके साथो 
पंफलिय: के पगा में आये परन्तु येह्न उन से अलग 
७. शक कह जप 42. 

हक यिरुशालम का फिरगया। १५४ तथाएि वे पग्गा से 
हौके फिसिद्िय: के अन्ताकिय: में आये और बिश्लाम 
दिन मंडली में जा बेठे। ९५ आओर व्यवस्था ओर 

०5 . व ३६ ३ कप ५४ चर 
भविय्य बंचन के पढ़ने के पौक मंडलो के प्रधानांन 

वीक हक. बल "9 207, न की 
उन्हें कह्दला भंजा कि हे मनुष्य, भाइये। यदि लोगों के 


8९८ प्रेरितां की क्रिया । [९३ पन्ने 


लिये केई उपदेश का बचन तुम्हारे पास हवे ते। कहे।। 
7 ग्प्‌ 

९६ तब पोल खड़ा हुआ गैर हाथ से सन करके 
बाला कि हे इसराईलो मन॒य्ये। और जे ईश्वर से डरते 
है। सुनो। ९७ इसराईल के इन लेगां के ईशअर ने 
हमारे पितरों के चुन लिया और जब कि वे मिसर 
बक ल्‍्+ व आई 00% 2०% बे 

देश में पर देशों थे ले।गां का बढ़ाया आर सामर्थी हाथ 
जि फैट 2 डर 

से उन्हें वहां से निकाल लाया। ९८ आर चालौस बरस 
ले। वुद्द बन में उनको चाल सचहता था। ९८ आर जब 
उसने किनान के देश में सात राज्यगण!। को खेद दिया 
उसने डनके देश के अधिकार के लिये बांट दिया । २० 

न ३५ 

जैर उसके पोछ साढ़े चार सो बरस समुईल भविव्यद का 
२, ० हु 2. + व . 
लें न्‍यायी भेजे । २९ आऔगरर तब से उनन्‍्होां ने एक राजा 
चाहा और ईश्वर ने चालोस बरस ला बनियामौन को 
जि ९ “९६०९ ९ ४६. 4 
गाछों का एक जन अथात कोश के बट साऊल को उनन्‍्ह 
दिया। २२ और उसे अलग करके दाऊद के उनका 
राजा किया और उसके लिये यह साक्षी दिईकि में 
हज. ९: अं 5 ७७ 2 2 न 

ने यक्म के बेटे दाऊद का अपना मनानोत पायाजोा 
मेरी सारी इच्छा के पूरा करेगा। २३ इसौ मनुय्य 
१7७ रे 5. म क्र किस 
के बंश से ईश्वर ने अपनो बाचा के समान इसराईल के 
लिये एक मुक्तिदायक यिशु कक उदय किया। २४ और 
उसके आने से आग येइहन न इसराईल के सारे लोगों 
के। पछताव के स्नान का उपदेश दिया। २५ आर 

न म्५ 
जब येहन अपनी दार के पूरा करने पर था तब वबुदद 


३६३ पर्ब] प्रेरितां की क्रिया। ४२८ 


है के ० व्‌ 

बाला कि तुम लेाग मुझ्फे क्या समुकतते हे में वह नह 
--- शा] डे ही 3 कद पड बा, च्हे हक के 

हों परन्तु देखे मेरे पीछ एक आता है जिसके पांव कौ 

दे 2 ५ पट ही की ५० ् दो के ० 

जूतों खालने के याग्य में नहों हों। रएं हे मनुय्य 

भाइये इबराहौम के सनन्‍्तान चर हे लेगा जे ईश्वर 

से डरते हे तुन्हारे पास मुक्तिका यच्ध बचन भेजा गया 

के 28. ७०5 5 0 4 7 - 

है। २७ क्योंकि यिरुशालम बासियों ने ग्यार उनके 

8 आह ् के २ 2 83 

प्रधानां ने नता उसका और न भविश्यदक्षां कौ उन 

० ण क१० 

बातों का जाना जे। हर बिश्राम दिन म॑ पढ़ी जातो हें 

डसे देषी ठहरा के उन्हें प्रा किया। र८ और यद्यपि 

उन्हों ने उस पर घात का कारण न पाया। २८ तथापि 

8 कप 8. ५ 
उन्‍्हां न पिलात से चाहा कि वृद्द घात किया जाय आर 
रा 99९. ५ ढ़. 
जब उन्हों ने सब कुछ जे! उसके बिषय में लिखा था 
पूरा किया ते उसे क्रूतम पर से उतार के समाधि में 
०५ आकर 

रक्‍्खा। ३० परन्तु ईश्वर ने उसे मृतकां में स जिलाया। 

३९ और जे। उसके संग जलील से यिरुशालम में आये 

थवृच्द उन्हें बड़्त दिन ले दिखाई दिया जे लेगां के 

आग उसके साक्षी है। ३२ ओर इम तुन्हें मंगल समा 

स्० 3९838 

चार सुनाते हं कि जे! बाचा पितरों से किई गई थौ-। 

85९ 7 आ 5 कर हे न कम पं जे 

३३ उस ईश्वर ने विशु के फर जिलाने से हम पर जे 

४ के चर निया बज 2 जब 

उनके सन्तान है पूरा किया है जसा कि ट्ूसरे भजन में 
> कर च्ह्चे हा 

भी लिखा है कि तू मेरा पुत्र है आज तू मुस्ये उत्पन्न 

८ हि 2 

हुआ । ३४ ग्रार इस कारण से उसे जिलाया जिसलें 

+ प्र 
बृद्द सड़ न जाय उसने या कद्दा कि में तुके दाऊद को 


8३० प्रेरितां को क्रिया । [९३ यब्बे 


ठीक दया देउंगा। ३५ इस लिये उसने दूसरे स्थल में 
भी ये कहा कि तु अपन धार्श्थिक के सड़ने न देगा। 
₹६ दाऊद ता अपने समय के प्रा करके ईश्वर की 
इच्छा पर सेगया और अपने पितरों में बटुर के सड़ 
गया। ३७ परन्तु जिसे ईग्बर ने उठाया से सड़ न 
गया। ₹८ इस लिये हे मनुस्य भाइया तुन्हें जाना जाय 
कि पायें से उद्धार उसौ के दइ।रा से तुम सभों के लिखे 
पाप मेचन का उपदेश किया जाता है। ३८ और हर 
एक बिश्वासों उसी के द्वारा सारे बस्तन से निरदे।ष है 
लिन से तुम लेग मूसा की व्यवस्था से निर्दोष नहीं हे 
सत्ने थे। ४ ० इस लिये चोकस हेओ न हे।वे कि जे 
भविश्यद्क्षा कौ पुस्तकों में कहागया है सा तुम पर 
आपजड़े। ४९ कि देखा हे निन्दके। ओर आये करे 
और नाश हेजाओ कि में तुन्हारे समय में एक ऐसा 
काये करता हें कि यद्यपि काई तुन्हें सुनावें तुम लाग 
उसको प्रतीोति न करेाग। 

४२ परन्तु जब यिहूदौं मंडलों से निकल जाते थे 
अन्य देशियां ने चाहा कि ये बचन अगिले बिग्ाम में 
हम सभो से कह्देजायं। ४३ और जब भीड़ छटगई ते 
बहुत से विहूदौं ओर नये भक्त पेल और बरनबा के 
संग हे।लिये ओर उन्हों ने उन से बातें करके उपदेश 
किया कि तुम लेग ईश्वर के अनुग्नद में बने रहे । 

४४ ओर अगिले बिश्वम में सारे नगर के लगभग 


३३ पब्ब] प्ररितां को क्रिया । ४३९ 


[५] 3 कं हटा 
इंश्वर का बचन सुन्न का ण्कट्टे आये। ४५ परन्त 
यिहूदी मंडलियों के देख डाइ से भरगये चऔर बिराध 
« मे 
करते आर ईश्वर को निंदा बकते पाल के बचन के 
रे 
बिरूड् कहा । ४६ तब पाल जैर बरनबा ने मन मन्ता 
कहा अवश्य था कि ईश्वर का बचन पहिले तन्हें कहा 
पे मकर ०५ ३ 88३ 

जाता परन्तु जंसा कि तुम लाग उसे टाल देते हा आर 

0 गे ड>र सं" कब. हर. +2७ कक. 
अपने का अनन्त जोवन के अयाग्य ठचइराते हे देखा 

कप न है . ३० 2 
इम अन्य देशियें को ओर जाते हं। ४७ क्योंकि प्रमु 
ने इमें ऐसी आज्ञा किई कि में ने तक्के अन्यदेशियें का 
उजियाला कर रक्‍खा है जिसतें त पथिवी के अन्तलों 
मुक्तिका कारण होवे। 
पे रे 

४८ चर अन्य देशो यह सुनतेह्ीं आनन्द हुए ओर 
प्रभ के बचन कौ सुति किई और जितने कि अनन्त 
जौवन के लिये ठचराये गये थे बिश्यास लाये। ४८ 
और प्रभु का बचन उस सारे देश में फेल गया। ५० 
परन्तु यिह्ूदियें ने प्रतिष्ठित भक्तिन स्त्रियां का और 

पक बे ३ 

नगर के प्रधानां का उसकाया और पोल और बरनबा 
पर उपद्रव किया और अपने सिवाना म॑ से खेददिया। 
४९ परन्त वे अपने पांव कौ धल उनके बिछड्ट क्काड के 
यिकनियः के गये। ५२ परन्त शिम्य आंनंद ग्ार 
घमाव्मा से भरगये। 


४३२ प्रेरितां कौ क्रिया । [१५४ पब्बे 


५ हू € 
९४ पादइवा एब्ब । 

९ अर यिकनियः में ऐसा हुआ कि वे विह्लदियों 
की मंडली में एक साथ गये ओर ऐसी कथा कहो कि 
यिह्ूदियां कौ और यनानियां कौ भी बड़ी मंडली 
बिश्यास लाई। २ परन्तु अबिश्यवासों यिह्हदियां ने अन्य 
देशियों के भड़काया और भाइयें के बिदड्ट उनके मन 
>> ७ जन 2... हैः मी हट 5 कि. 
मंबर डाला। ३ सा वे बचचुत दिन लॉ रहिके प्रभ के 

जद 33 था, डे ञ्तै प्ब्न+ न अ 
बिषय में हियाव से कहते रहे और वह अपने अनग्रह 
तु हिल के 
के बचन पर साच्ती देता ओर कृपा करके खत्षण और 
आश्रय उनके हाथों से प्रगट करता रहा। ४ परन्त 

० 6 ५० ७ # डे 

नगर को मंडलोी बिभाग हुईं कुछ ता विह्व द्यों के संग 

अरे ह००).. 4 ० 22५ कि 8. &० 
रहे गैर कुछ प्ररितां के । ५ परन्तु जब अन्यदेशियों 
७. के 382४0 ब 9८% 2+ ९०३०२. ७७ कक 
नआर यिहदियों ने प्रधानां के साथी हाके उन्‍हें सताने 
व कर े ० न 
के और पथरवान के हल्ला किया। ६ वे उस्से चोकस : 
हक लकऊनिया के नगर लस्‍्तरा गर दबा आर उस 

04 कं ५ + 
सिवान के देश में भाग गये। ७ ग्रार वहां मंगल 
समाचार प्रचारा। 
६ ७ ८ +५ 

८ ओर लस्तरा का एक मनुव्य पाओं का दुबल बेठा 
था जे अपनों माता के गर्म से लंगड़ा था आर कभी न 
चला था। € उसौ ने पाल का बात्त। कर ते सुना जिस ने 
उस पर टकटकी लगा के देखा कि उसके चंगा जेने 
का बिग्यास है। ९० उसने बड़े शब्द से कहा कि अपने 

2५१७ 
याओं पर सौधा खड़ा हे वुद्ट तुरन्त उछला अर चलने 


. १४ पब्बे] द प्रेरितां को क्रिया । ४₹ेरे 


कै ३ है 
लगा। ९९ चर लेग पाल का किया हुआ देखके 
लकऊजनिया की भाषा में चिजन्ला के कहने लग कि देव 
७५ हा. त] 8 
मनुथ्य के भेष में हम पास उतर आये हैं । ९२ और 
कर ५३ 
उन्‍्हों ने बर॒ंनबा का नाम बुइसपति और पोल का बुध 
रक्‍्खा क्यों कि वुच् प्रधान बक्ता था । १९३ आर वे बुचसपति 
के। अपने नगर का उपकारी जानते थे झयार उसके 
हि ० रु ५ है 
पुराहितों नेमंडली समेत बेल और फलों के हार द्वारों 
पर लाके चाहा कि बलि चढ़ावें। ९४ परन्तु बरनबा 
धर हि 20 20 4 अल 7 ३ ८0 20  ु आप 
और पाल देने प्ररितां ने सुन के अपन ओढ़ ने फाड़े 
» ०. >> 3. न जप ५७22२ 
और मंडलियों में दौड़ गये आर चिल्लाके बोले। ९५ 
कि हे मनय्था तुम लेग ये सब क्यों करते दे ! तुम सरौो 
५० .+ मिली 
के हम भी दुबल मनुव्य हैं और तुन्हं मंगल समाचार का 
२३० रर कप 
डपदेश करते हैं जिसतें इन ब्यथ भावना के छाड़ के 
जीवते ईंश्वर कौ आर फिरेा जिसने खग ओर एथिवी 
५ हि ७७ ७२३० 
ओआर समुद्र आर सब कुछ जे उनमें हं बनाया। ९६ 
कर 2: न्‍ ५ 9 93. पे प 40७ ७४२५७ 52.2 
उसने अगिले समयां ले अपने अपने मागों मसारे 
जातिगणां का चलने दिया। ९७ लथापि उसने भलाई 
098. ्र्‌ ८5... सके ४ बप ्ज 
करके खग से बुष्ठटि आर फलवंत रितुन का इसमें देके 
/ हि कर 
हमारे अंतःकरण के भाजन से भरके सन्तुष्ट किया 
४, के ५. कक. 
उसने अपन के बिना साजञ्षो न छोड़ा। ९८ ओर इन 
बातों का कट्डिक उन्होां ने बड़े कठिन से लेागों का बलि 
चढ़ाने से रोक रक्‍्खा। 


९८ परन्तु कितने यिहूदियेां ने अन्ताकिया और 
87 


४३४ प्रेरितां की क्रिया । (१४ पब्बे 


् गे 
यकूनिया से आके मंडलो का बहकाया और पाल का 
पथरवाचद्र किया आर उसे मतक समस्त के नगर के 
बाहर खिंचवाया । २० परन्तु जब शिगव्य उसके आसपास 
हि आर स्ले२ ७. 
एकट्टे हुए ता उठ के व॒द्ध नगर में आया और अगिले 
दिन बरनबा के संग दबा का चलागया । 
२९ चर उस नगर में मंगल समाचार प्रचारा ओर 
| हक ० बे 
बहुतों का शिव्य करक वे लस्तरा ओर यकूनिया आर 
हे रु . ५ ५6 83. 
अंताकिया के फिर आये। २२ अर शिव्यां के मन का 
हर 5 अल हक _्ब 
इुढ करके उन्ह बिश्वयास पर स्थिर रइने का उपदेश 
किया ओर साकछ्षों दिई कि हमें अवश्य है कि बहुत 
परिश्रम से इंश्वर के राज्य में प्रवेश करें। २३ अर 
कद बे कफ आर ० क्‍ 
उन्हां ने हर एक मंडलो के लिये प्राचौन ठद्दराये आर 
€्‌ ० ८ । 
ब्रत और प्राथना करके उन्‍हें प्रभ के। सांप दिया जिसपर 
कर न ५ 
वे बिचश्चास लाये थे। २४ आर फिसिदियः से होके 
पंफलियः में आये। २४५ और पगणा म॑ बचन का उपदेश 
करक अतालिय: का उतर पड़। २६ आर वहां से 
खेल के अंताकिया का गये जहां से वे उस काय के 
-ु + को ० ॥ १ 8 रे ४ 
कारण ईश्वर के अन्ग्रद से सें।पे गय थ जिसे डन्हों ने 
_+ ८ ने हैक. ५ कर 
संपर्ण किया था। २७ और अआक मंडलो का एकट्टे 
करके जा कि ईश्वर ने उनको आर से किया था ज।र 
कि उसने किस रौति से अन्य देशियां के लिये बिग्यास 
कप € ३५ कर 
का द्वार खेला बणन किया। र८ और वे बहुत दिन 
५ 2 ऐड 5 कर हल श कर रु 
ले शिष्थां के संग वहां रहे। 


। 
| 





९५ पनन्‍्बे] प्ररितां कौ क्रिया । ४२५ 


९४ पंहरइडवां पब्बे । 
९ आर कितनों ने विह्ृदियः से आके भाईयों के 
सिखाया कि यदि तुम सब मसा को रौोति के समान 
बे कक न 
खतन: न कराओआ तो उड्जार नहीं पासक्ष। २ इस लिये 
५ ५ >> 
जब पाल अर बरनबा से ओर उनसे पक्षों पक्षों आर 
जे डर ल्‍्> 

बादान॒वाद हुआ तब उन्‍्हां ने ठउद्दराया कि पाल आर 
का ७ ५६०३. के जज 
बरनबा जैर उनम से कई एक यिरशालम को प्रेरितों 

३ 58०० 220 जज] कक] लक 
और प्राचौनां कने इस प्रश्न के कारण जावें। ३ से वे 


नि बे के 
मंडलों से बढ़ाये गये आर फूनौकौ आर सामर: से 


गैर. ० 2 ००५ 
हेाक अन्यदेशियां के मन के फिरन का संदेश देते 
०. ० हे के ३... न न 
चलेगये आर वे भाइयों के अति आनंद के कारण हुए । 
ब्‌ ० ७<+ 55. 4 ३८ न न 
४ आर जब वे यिरुशालम में आये ता मंडलो के लाग 
7 बा 5 कक 35 0 और ५ 
आर प्ररितां ओर प्राचोनां ने उन्हें ग्रहण किया आर 
६ ज् ऐप ० 
सब कुछ जे! ईंअर न उनके दडारा से किया था डन्‍्हें 
कहिसुनाया। ५ परन्तु फरौसियां के मत के कितने 
बिश्वासी उठके कइ्दने लगे कि.उनका खतनः करवाना 
५ 
और मसा की व्यवस्था पर चलने को उन्हें आज्ञा करनो 


 छचित है। 


के, 
६ तब प्रेरित ओर प्राचौन इस बात के बिषय में 


_निणय करने के। एकट्टे हुण। ७ ओर बहुत बाद नुबाद 


के पीछ पथर खड़ा हेके उन से बाला कि हे मनृय्य 
भाइये तुंम लेग जानते हे। कि बहुत दिन बौते ईश्वर 
टन >> बे 0 पर 2७0५ ७७ 

न हम्पें से चुना कि अन्य देशो सेरे भेद से मंगल समाचार 


४२६ प्ररितां कौ क्रिया । [१५ पब्बे 


मिश्र] ज््‌ ५ 
के बचन के। सुन के बिद्यास लावें। ८ और अंतजानो 
हह ब रे व] हि ८ 
इईँश्वर ने उनके लिय साज्षो दिई जंसा उस ने इ्म घमात्मा 
थ्र ० ५ ५ 
दिया तसा उन्हें भो दिया। € और उनके अंतःकरण 
बु ०+ ७२५ ० न 
. का बिश्यास स पवित्र करके हस्में ओर उनमें कुछ भेद 
-_ कप ० 
न रक्‍्खा। ९० सा अब तुम लाग क्यों ईश्वर को परोज्ञा 
बज हे कक रत 3 ०५ 
करते हे। आर शिय्थां क गले पर जुआ रखते हा जिसे 
न हम न उमारे पितर सह सतक्त थ! ९५९५ और हमें 
निञ्चय है कि हम प्रभु यिशु मसोह के अनुग्रह से उनके 
समान लुक्षि पावेंग। ९१२ तब सारो मंडलौ चुप हुई 
रू जे बे कल ५ 
ओर बरनबा और ७पा।ल से उन सारे लक्षण ओर 
९ ९ पक" 9 अब हल 5 
आ्यय का बणन सुन्ने लगे जे। जे! ईश्वर ने उनके दारा 
अन्यदेशियां मं दिखलाये। 

९३ अर जब वे चुपरहे ते याकूब ने उत्तर में कहा 
कि हे मनुष्य भाइये मेरी सुने । १९४ शिमान ने बणन 
किया है कि ईंशर ने पहद्चिले अन्यदेशियां पर किस 
रोति से दृष्टि किई कि उनमें से अपने नाम के लिये एक 

« ३९. ७. 0, «५ उपश 7 
मंडलो चुनलेवे। ९४ और भविय्यद्ञों के बचन उससे 
न ०३५० ७ य २ 3 कप पं 
मिलते हैं जेसा कि लिखा हैं। ९६ इसके पौछ में फिर 
आके दाऊद के गिरे हुए तंब के फेर खड़ा करेंगा 
ओर उसके उजाड़े। का फेर बनाके सुधारेोंगा। २७ 

] 
कि जे। लोग रहिगये ह॑ अथात सारे अन्यदेशों जे 
कक न] 
मेरे नाम के हैं प्रभ को ढूंढ़े यद्द परमेश्वर कौ कही हुई 
है जे। इन बसख्तुन के पुरा करता है। ९८ ईशर के 








९ पब्बै] प्रेरितां कौ क्रिया । ४३७ 


€ + ५० 
सारे काय सनातन से जाने हुए हें। ९८ से मेरा 
बिचार यह है कि अन्य देशियों में से जे। ईश्वर की आर 
बे९० ७७ 
फिरे हं उन पर अधिक भार न देवें। २० परन्त हम 
०७ क्र ब् 
उनके पास लिखें जिसतें वे म॒त्तिन को अपवित्रता आर 
हु सर कर & 3 ञ्ै 8. है 2 लिये 
ब्यभिचार और गलाघोंटेकहुओं और लोाक् से परे रह। 
२९ क्योंकि पुराचौन पोढ़ियां से हर एक नगर में मसा 
२8. रुक. ०७५ हल 0० 32250 वन « बी] 
के प्रचारक छह आर मंडलियोां के इर बिआम में पढ़ा 
जाता है। 
| हि: जे ५ ८ 
२२ तब प्रेरित और प्राचीन आर सारे लंडलोी केा 
| ५ ५ तु $ 
अच्छा लगा कि पाल आर बरनबा के साथ अपने म से 
चुने हुए मन॒य्यों का अथात यिक्वदा के जिसको पढवी 
ै _्र५ पर) कप ५५ ०5 
बरसाबास थी #और सौलास को जो भादयें में अ्रछ 
गिना जाता था अन्ताकिया का भेजें। २३ और यह 
लिख के उनके हाथ से भजा कि भाइयों के जे अन्ता 
७ 5 ०७ ३१३ का 
किया आर शाम आर किलकिया में हें ओर आगे 
कर बज व्मथ की: ५ 7 ७५. दाल २७.५ १.४ कक ०५४ 
अन्य देशियों में के थे भ्रेरितों और प्राचौनां और भाइयों 
का नमस्कार। २४ जेंसा कि हमने सुना है कि हच्में से 
'कितनों ने निकल के तुन्ह बातों से ब्याकूुल किया और 
तुम्हारे मन के यह कहौिके चंचल किया कि खतनः 
करवाने का और व्यवस्था पर चलने को तुन्हें अवश्य है 
जिन्हें इम ने आज्ञा न हिई। २५ से इम सब ने एक 
५२ ५; कफ हा कप 
मता हेोके उचित जाना कि चुने हुए मनृय्यन के अपने 
४ ड्५ लक 4 न 
प्रिय बरनबा और पोल के संग तुम्हारे पास भेजें।| 


४श्८ प्रेरितां को क्रिया । (९५ पन्ने 


२६ जिन्हें ने अपने प्राण के हमारे प्रभ यिशु मसौच के 
रा. 4 न 
नाम के लिये सेंपप दिया। २७ से हम ने विक्लदा ओर 
६ है जप बे ७०5 0७९२ घ है जजीक ७३ 
सौलास के भेजा डे वेमंह्से भौ ये बात॑ कहेँंगे। र८ 
कप ९: ० ही न 
क्योंकि धमात्मा को आर इउम का अच्छा लगा कि कंवल 
न न सर हि 
उन काया के जे अवश्य हें तुम सभों पर अधिक भार न 
>> ० ८ धकपे *, 
डालें। २८ कि तुम लाग म॒त्ति पर के बलिदान आर 
जकच > र्‌ १0७३७ “मी, (०९ 20%» औ. 2. पे 
लेह ओर गलाघोंटेहुओं अर ब्यभिचार से परे रहे 
लक 3० 20 ०५ कक ०७ अ 
उनसे अपने के। अलग रखने में भला करोग तुन्हारा 
भला होवे। ॥ 
#ी- वीक. पु 
₹० से वे बिहा होके अन्ताकिया में आये आर 
मंडली का एकट्रे करके पत्रो पहुंचाईं। ३९ वे उस 
5 दे 6: 
कुशल की पत्रों का पढ़के आनन्दित हुए। ३२ आर 
ड् धो भो्‌ कर 
यिह्लदा और सोलास ने जे। आप भो भविश्यदत्ता थे 
बहुतसी बातों से उपदेश करके भाइयों के दृढ़ किया। 
३६ आर कुछ दिन रहिके वे कुशल से भाइयों से बिदा 
हेके प्रेरितां की आर गये। ३४ परन्तु सोलास का 
5 ५ 
वहां रहना अच्छा लगा। १५ पोल अर बरनबा भी 
लि 42858 * कर बकरे 
और बहुते के संग प्रभु का बचन उपदेश करते आभार 
सिखावते अंताकि में रहि गये। 
स्ग ५ 
३६ ओर कुछ दिन के पीछ पाल ने बरनवा से कहा 
कि चले इम अपने भाइयों से हर एक नगर में जहां 
. हम ने प्रभु के बचन का लपदेश किया है फिरके भेटकरें 
और उनकी दशा के देखें। ३७ अर बरनबा ने याहन 





३६ पब्बे] प्रेरितां की क्रिया । 8३८ 


के, जिसकी पटवी मरक थो अपने संग ले जाने का 
चाहा। इ परन्तु पाल ने उस जन को अपने संग लेना 
ठीक न समक्का जे। पंफुलिय: में उनसे अलग हेेगया था 
जै।र काय के कारण उनके संग न गया। ₹८ जऔैर उन 
में ऐसा बड़ा बिबाद हुआ कि एक दूसरे से अलग 
हि ३ । हज 65. 
हेगया और बरनबा मरक के संग लेके कपर के नाव 
५ 
पर चला गया। ४० परनन्‍्त पाल ने सौला के चुनलिया 
५ 2 कक कक ०... रे ९७ कप 
आर भाइयों से ईश्वर क अन्‍्ग्रह का सापा जाक बिढा 
५ ० 
हुआ। ४९ और वुद्द शाम ओर किलिकिय: से मंडलि 
यों के दृढ़ करता हुआ चला गया। 
९६ सेालहवां पब्बे। े 
€ २ बी. + ० 
९ तब वृद्द दबा ओर ल्तरा में पहुंचा और वहां 
तोौमताउंस नाम एक बिश्वासिनों यिह्वदनौ का पत्र था 
५ 
परन्तु उसका पिता यूनानो था। २ लस्‍्तरा ओर 
कक * यु प | बा. जप 
यकूनिया क भाई ले.ग जिसको सुचाल के जानकार थ। 
३ उसका पोल ने अपने संग लेजाने का चाहा से। उधर 
200. ढ्यि कर, ७8० डे 9८७ "के गिर ज 277 
के यिह् हियां के लिण० उसने उस लेक खतनः कराया 
९९६, वि कर 2०७ ऑ । 
क्योंकि वे सब जानते थे कि डसका पिता यूनानौथा। 
बे ५५५७. /बन्‍्रह कर 20005 0०९ ! 
४ ओर नगरों मे हेक जाते हुए उन्हों ने यिरशालम 
जिशलई पु ब् अल ५ 
में के प्रेरितां और प्राचीनां कौ ठदराई हुई आज्ञाओं 
करन ७३ ०२३० ही + ० कि. & 
का उन्हें सापोी। ५ इस लिय मंडलियां बिश्वास में हढ 
* & ० 
हुई आर प्रति दिन गिनतौ में बढ़तौ गई । 
६ और बे फरजः आर गलतियः के देश में हेोके 


४8४० प्रेरितांकी क्रय | [१६ पब्बे 


निकल गये और आएरिया म॑ बचन प्रचार ने के धमात्मा 
ने उन्हे बरजा। ७ जब वे सूसिय: में आये ते। बतुनिय: 
के जाने चाहा परन्तु आत्मा ने उन्हें जान न ढिया। 
र सा वे मृसियः से हेके तरवास में उतर पड़े। ८ 
५ न ८ चेक 
आर रात का पल पर दशन हुआ कि काई मकद्ठनो 
यह कछ्दिके उसकी बिनती कर रहा है कि मकटद्ट निय: 
३ 
में पार आ ओर हमारा उपकार कर। ९० आर जब 
उसने यह दर्शन पाया तुरन्त हम ने मकदूनिय: में जाने 
के। ठाना यह निश्चय जान के कि पभु ने उन में लंगल 
समाचार प्रचारने का हम बुलाया । 
हक लिल 3 के कि छ 
९९ इम तरवास रु खेल के सोध साम्तराकौ का 
जा ब् हट हल सा के 
आये आर दसरे दिन नेयापूलस का । ९५२ आर वहां 
से फिलिप्पो मं आये जे! मकट्ूनियः के उधर के नगरों 
>> जे बे 52588 
में बड़ा नगर आर परदे शिये| का निवास है उसी नगर 
५ ्ु 
में कुछ दिन रद्दे। ९३ ओर बिश्वाम के दिन इम उस 
नगर से निकल के नदों के तौर गये जहां प्राथना किई 
7 ५ ८७ बज # क 
जाती थी ओर बठके उन स्त्रियां से बातें किई जे वहां 
५ व ५ 
रकट्टो थों। ९४ ओर सुआतोरः के नगर को बजनो के 
ब्यापारिनों लूदियः नाम एक स्लो थी जे ईशअर का 
रो 
भजती थी हमारौ सुनी जिसके मन के। पाल के बचन 
0 पका कप: कि ५ ० बिक 
सुन्न का ईश्वर न खाला। ९५५ ओआर जब उसने अपने 
परिवार समेत स्नान पाया ता हउमारी बिनती करने 
० नी ०० 
लगौ कि यदि आप मुझ प्रभु को बिश्वासिनी जानते हूँ. 





२६ पब्ब] प्रेरितां की क्रिया । ४४९ 


डे ०० | 
ते चल के मेरे घर उतरिये ओर वुचद्द इमें बरबस ले 
गई । 
९६ अगर जब हम प्रार्थना के जाते थे ते ऐसा हुआ 
कि एक कन्या हम के। मिलो जे गुप्तज्ञानौ पिशाच से 
५ दे कप ४ - 320 
ग्रस्त औ और भविष्य कछ्चि कडिके अपन खामियोां का 
कप ड्‌ 
बहुत कुछ कमवादेती थी। ५७ व पाल के ओआरु 
हमारे पोछ पोछ चलौ चर चित्ञाके कहने लगी कि ये 
लो ३० ५ 
मनृस्य अतिमहान ईश्वर के सेवक हैं और इसमें मुक्ति 
८ >._ ५० ; 2 
का माग बताते हैं। ९८ और वुद् कई दिन लो यह 
रु सु 
करती रही परन्तु पोल उदास देके फिरा ओर उस 
3० ५ हे हर 
पिशाच के। कहा में यिशु मसीदइ के नाम से तुझका आज्ञा 
करता हे उस पर से उतर व उसौ घड़ौ उस पर से 
उतर गया। 
2 + 
९८ परन्तु जब उसक्‌ खामिये ने देखा कि लाभ को 
बे न 
आज्ञा जाती रही ते। पेल और सोलास के पकड़ा 
>> #३० हि । 
और हाट में खेंचेहुए अध्यक्षों कने लेचले। २० भार 
ण्ज गज 0 0९0.00 0 25% ४ 
उन्हें प्रधानां पास लाके बाले कि ये मनव्य यिहूदौ चेके 
5३ ७ ०0७ ५ ५ 
हमारे नगर का निपट सताते हँ। २९ आर ग्रहण 
०. क% 2 ५ २७ ् न ; 
करन आर पालन करने का ब्यवद्ार सिखाते हेंजा 
लव कक: जा क५० ' 
इम रूमिये के लिये अनुचित हें । २२ तब लेग उसके 
बिराध में एकट्ढे उठ और अधानों ने उनके कपड़े फाड़े- 
ओर उन्हें छड़ियां से मारने को आज्ञा किई। २ 
और उन्हें बहुतसा मारके बंदौगुद मं डाला और बहां 


४४२ प्रेरितां को क्रिया । (१६ पब्के 


;। ड् 
के प्रधान के आज्ञा किई कि उन्हें बहुत चाकसी से 
ऐप ७ > 
रकक्‍्खे।॥ २४ उसने यह दृढ़ आज्ञा पाके उन्हें भौतर के 
बंदोगच में ढकेला आर उनके पाओं को काठ में डाला। 
५ परन्त आधो रात का पाल ओर सौला प्राथना में 
ईश्वर कौ भजन गाने लगें और बचन्धुए सुनते थे। २६ 
और अआकर्ममत एक बड़ा भइंडाल हुआ यहां ला कि 
न्‍ >> ७९ हे 
बंदौगुह को नव द्िलगई अर तुरन्त सारे दार खुल 
न हक तक बंदौ हे 
गये और सभों के बन्धन उसक गये। २७ तब बंदौगह 
रों कि पे ० ५ 
का प्रधान नींद से उठा आर बंदौगइ के द्वार खले 
देखके समुक्का कि बन्धुए भाग गये और तलवार खींच 
* पल ० न. 
के अपने तई घात करने चाहा। र८ इतन में प/ल ने 
"३. १७ * न 35% रे 
बड़े शब्द से पुकार के कहा कि अपन का दुःख नदे 
'2+ ०५५ “ 
क्यांकि इम सब यहीं हैं । २८ तब वुद्द दोआ मंगवाके 
५ ८ को कप 
भीतर लपका और घथथराता हुआ पाल ओवर सी ला के 
 आगगिर पड़ा। ३० ओर उन्हें बाहर लाके कहा कि 
हे महाशय मुक्ति के लिये मुक्के क्या करना अवश्य है? 
३९ थे बोले कि प्रभु यिशु मसौह् पर बिग्रास लाओ 
तब आप और आप के घरान मुक्ति पावेंगे। ३२ तब 
च्न्हे हा 22205 00०5. करे, श्र रू 855. ७, आम 
| ने उसे आर उसके घर क सारे लागों का प्रभु का 
नस ७ कर ए 8 लक. 
बचन सुनाया ओआर। ३३ उन्हं रात का उसी घड़ी लेके 
& श ५ 
उसने डनके घावों का धाया आर वहों उसने औआर 
ले हैः कर 
उसके सभों ने स्नान पाया। ३४ और उन्हें अपने घर 








९७ पब्बै] प्रेरितां की क्रिया। 8४३ 


] 


ु हक 3 कक, के ७. 
लाक उसने उनके आग भाजन रक्‍्खा आर अपने सारे 
घर समेत ईश्वर पर बिग्यास लाके मगन हुआ | 

9 2०० अपर 53% कं 

३५ झऔर जब दिन हुआ उन्‍हें छाड़ देन के अध्यक्षों 
ले धावनां कौ आर से कदला भेजा। ३६ और बंदौगह 
के रक्षक ने ये बात पाल के कहीं कि अध्यक्षों ने तन्‍्हें काड़ 
देनेकाकहलाभंजा है से अब निकल के कुशल से जाइ-ये। 
8३७ परन्तु पाल न उनन्‍्हं कहा कि इम रूमियें का बिन 
् ० ग्रे म ० 
देाषो ठद्राए प्रगट में मारा ओर बंदोगुइह में डाला है 
रु बाप ७ 5 ० ओ३० 
आर अब वे हमें चपके से निकाल देते ईं कधोन 
ह, गा परन्तु वे आप आके हमे बाहर पहुंचावें। श्र 
तब धावनों ने जाके ये बातें अध्यक्षाों के सुनाई और 

कक कक ० मूक कप ५ 
जब उन्हां ने सुना कि वे रूमो ह॑ं ता डरगये। ३८ ओर 
आके उन्हें समक्काया और बाहर पहुंचा के उनको 
बिनती किई कि नगर से चले जावें। ४० सो वे बंदौ- 
गुह से निकल के लूदियः के घर गये ओर भाइयें के 
देख के उन्हें शांति ढिई और बिदा हुए। 

२५७ सच्रहवा पत्ब। 

९ तब वे अंफिपाेलिस ओर अपल्लोनिय: से हेके 
तस्मले।नौंको में आये जहां यिह्ल दियें का एक सेवागइ 
थणा। २ और पोल अपने व्यवहार पर उनमें जाके तौनः 
बिद्यासा में धन्म पुस्तकें से उपदेश करता रहा। ३. 
और खेल खेलके और प्रमाण लालाके कइता था कि- 
मसौह के दुःख उठाना और जी उठना डचित था- 


8४४ प्रेरितां की क्रिया । [९७ जब 


+ 


और कि यह विशु जिसका में तुन्हें सुनाता हे मसीह 
है। ४ तब उनमें से कितने बिश्वास लाये आर पोल 
और सौला से मिल गये शेर भक्त यनानियों में से 
हब 20७०३ की 9 है! हों 
बहुत और बिशष स्लियें मं से थाड़ो नहों। ५ परन्तु 
अबिश्यासों यिलह्लदियेां ने डाइ से भर के कितने नौच 
और कुचालियें के णकट्टे लिया और भौड़ किया 
रे हि ०3 ख ०५ ह 
आर बटुर के नगर में हारा मचाया ओर यासान के 
2; 20. अल कल 
घर पर इल्ला किया ओर उन्‍हें लागों के पास लाने 
चाहा । ६ परन्तु उन्हें न पाके यासान के कितने 
०5 2 ३. हक 33.० वो हैः 7 की न. 
भाइयें समेत नगर के प्रधानां पास खींच लेगये और 
चित्नाते जाते थे कि इन ले।गों न जगत के। उलट दिया 
और यहां भी आये हैं। ७ उनके यासेन ने घर मे 
० २ ३. ३७ 
उतारा और ये सब केखर को आज्ञा बिछुड् कइते हं कि 
दूसरा राजा काई विशु है। ८ से उन्होंने मंडलो 
और नगर के अध्यक्षों के वे सुनाकर ब्याकुल किया। 
“व हर &32 २५८ ५०७. ८29५ 5 
« तब उनन्‍्हों ने यासान से अर आरों से बिचवई लेके 
छाड़ दिया। 
' 0 अर है रा के 
९० परन्तु भाइयों ने त्रन्त पाल और' सौला के. 
रातेरात बरिया के बिहा किया आर वे वहां पहुंचके 
विरहूदियें के सेवा गुद् में गये। ५९ यहां के ले।ग 
तस्मलेनीकी के लागों से अधिक प्रतिष्ठित थे क्योंकि 
उन्हां न बचन बड़े आनन्द से ग्रहण किया और प्रतिदिन 
€ ०७ 23 कि कप ०७ ० ों ० 
घन पुस्तक में ढूंढ़ते रद्दे कि ये बातें यादों हें अथवा 


. १७ पब्बे] प्रेरितां कौ क्रिया। ४४५ 


नहीं | ९२ इस लिये बहुत उनमें से चर युनानी उत्तम 
स्त्रियां में से भी और पुरुषों मं से बह तेरे बिश्वास लाये। 
९३ परन्तु जब तस्मले।नौकी के यिह्दियें ने सुना कि 
पे।ल बरिया में भों इंश्वर के बचन प्रचारता है तो उन्हों 


जि ९ कह ९... औ ४०३ जज: 
ने वहां भी आके लोगों में हरा मवचाया। १४ अर 


भाइयें ने उसो समय पे।ल के बिदहा किया जेसा कि 
वच्ठ समुद्र से जाता है परन्तु सोला और तौमतौ वहीं 


| ब्रै + पक 
| रहे। ९५ ओर जे। पाल के पहुंवाने गये से उसे 


हर न ः ब् गन न 
अधथौन: ले लाये और सौला और तौमतोौ के लिये 
व ज ० 8 कर के 
आज्ञा लेके चल निकले कि शोघ्र जंसे हे सके उस पास 
आबें। । 
०० ् ०७ 
९६ सा जब पाल अथोन: मं उनको बाट जाइ रहा 
था और नगर का देवपजा के बश में देखा ते उसका 
मन भीतर से उभड़ा । ९७ इस लिग्रे व॒द्द यिह्ूदियें से 
32% के ले जा ०" २३ छा. ० औजफ * 3 
और भक्तों से, जे उनके साथ सेवा में रहते थे मंडली में 
और प्रतिदिन जे। उसे हाटों में मिलते थे बिवाद करता 
च्यै बढ ०. 
था। ९८ तब एपिकूरों ओर स्तको.के पण्डितों में से 
कितने ने उसका सास््नं। किया और कितना ने कहा 


कि यह बकवाधी क्या कह्ेगा! ओर कितने बाले कि 


यह उपरी देवों का प्रचारक दिखाई देता है व्यॉंकि 
वृद्द उन्हें यिशु का आर जी उठने का संदेश देता था। 
९८ से उत्हों ने उस लेके भिरोख के पद्ाड़ पर लाके 
कहा कि जे नई शिक्ष। त्‌ सुनाता है हम ले।ग उसे जान 

88 ; 


8४६ प्ररितां की क्रिया । [९७ पब्वे 


सक्ते हैं? २० क्योंकित्‌ अनोखी बातें इमें सुनाता है 
हम लेग उन बस्तुन का भद जाज्न चाहते हैं? २९ 
क्योंकि सारे अथीनो और उनमें के परदेश बासी केवल 
मई नई बात कद ने अथवा सुन्ने के अपना समय आर 
बात में न काटते थे। 

२२ तब पोल भिर्रीख के पहाड़ के मध्य में खड़ा 
हेके बाला कि हे अधीन: के मनुय्या में तन्हें अद्श्य 
पराक्रतमां का अति पूजेरी देखता हों। २३ क्योंकि 
जाते हुए में ने तुन्हारे पृज्थों में एक बेढौं पर यह लिखा 
हुआ पाया कि अजाना ईश्वर के लिये सो जिसे तुम 
सब अजाने हुए पूजते हे में तुन्हं उसी का संदेश देता 
हैं। २४ ईश्वर जिसने संसार गआर-डसमें के सब कक 
उत्पन्न किया आकाश श्र पएथिवी का प्रभु हेके हाथों 
के मन्दियों में बास नहों करता। २५ और वह इसी 
लिये मनृय्य के हाथां से सेवा नहों करवाता कि वच् 
किसी बस्तुका अधोन है क्योंकि उसोौ ने सब के जौवन 
ओर ग्ास आर सब कुछ दिया। २६ और उसने 
एकच्दौ लाह से झनुय्यां के सारे जातिगणों के। सारी 
एथिवी में बसने के। बनाया है अर उनके निवास के 
सिवानां के और हर एक समय के ठहराया है। २७ 
जिसतें प्रभु को ढूँढ़ क्या जानें उसे टटाल के पावें यद्यपि 
वुद्द इसमे किसी से दूर नहों। २८ क्योंकि हम लेग 
से जोते चलते फिरते ओर स्थिर हैं जेसा कि तुन्हारेद्दी। 


९८ पब्बे] प्रेरितों कौ क्रिया । 8४७ 


कितने कबितां न भो कहा है कि हम ते उसी के बंश 
क३० 53 € हुई मे 2३ ० जे क3 े 
हं। २८ से यदि हम इंश्वर के बंश हं ते हम समुक्कने 
हि हें ब् , रु 
के उचित नहों कि ईश्वर सेान अथवा रूपे अथवा पत्थर 
हैए।. च्हे हट ँ ५ २ 
के समान है जे मनृष्य को भावना और बनावट से है। 
₹० क्योंकि यद्यपि इंशर ने अज्ञानता के समयें से - 
आनाकानी किया तथापि अब आज्ञा करता है कि 
हर एक मन॒व्य जे जहां है से पफ्श्ात्ताप करे। ३९ 
इस कारण कि उसने एक दिन ठदराया है अब कि वच्द 
धमम से उस मन॒य्य के द्वारा जिसे उसने स्थापित किया है 
० के २ 7 को जे 
संसार का न्याय करेगा आर उस फेर जिलान से इस 
बात के निश्चय किया। ३२ और जब उन्हों ने मतकों 
के जो उठने कौ.बात सुनो ते कितनों -ने ठड्ठा किया 
परन्तु ओरे ने कहा कि इउम तु्मे इस बात के बिषय में 
न ड्् $ 
फर सुनेंगे। ३३ से पाल उनमे से जातारहा। ३४ 


- तथापि कितने लाग उत्मं मिलके बिश्वास लाये जिनमें 


देयेनोस मंत्री था ओर दमरिस नाम एक स्लो अछरू 
धक 089 कक 
उनके संग और कितने थे । 
१९५८ अठारहवां पब्बे । 
९ इन बातों के पोछ पोल अथीोने से बिदा हे के 
७७ ब् बाप 

करिन्तो में आया। २ आर पन्तस देशो अकिला नाम 
एक यिहूटो के। पाया जे थाड़े दिन हुए अपनी स्लो 
प्रिसकिला के संग ऐतालिया से आया था इस लिये कि 

२ शा “४ ३ २ । 90. 
कलाहिय ने सारे यिह्दियां के रूम से निकलज़ाने 


४४८ प्रेरितां कौ क्रिया । (९८ पन्बे 


को अज्ञा किई थी से वृद्दर उनके पास आया। ३ 
7३ हे कट | 
ओर इस लिय क्षि वुद्द उनकेसा उद्यमौों था उनकेसंग 
रहा ओर काये किया क्यैंकि उनका कार्य तंब बनानेका 
था। ४ ओर उसने हर बिश्वाम के। सेवागह में बिवादने 
किया गैर यिह्दियें और यनानियां के मनालिया। 
५ चर जब सौला और तोमती मकदू निया से आये ते 

न कु ५ हक कक कट तो 
मन के उभड़ने से पाल ने यिलूदियां के आगे साजक्ष 
दिई कि यिशु वद्दो मसौद् है। € परन्त जब वे बिराध 
करके ईश्वर को निंदा उच्चारने लगे उसने अपने बस्तर 
के काड़के उन्हें कहा कि तुम्हारा लेहू तम्हारे सि्रिपर 
मैं निदाष है| से। अब स में चन्यदेशियें की ओर जाता 
्हें। 

७ श्र वहां से हेके बुद्ध यस्तूस नाम ईश्वर के एक 
भक्त के घर गया जिसका घर सेवागुद्ट से मिला हुआ 
घथा। ८ परन्तु मंडलों का प्रधान क्रिसपस अपने सारे 
घराने समेत प्रभु पर बिश्वास लाया और सुनके बहुत 
से करिन्तौ बिश्वास लाये और स्तान पाया। ८ परन्तु 

णु €्‌ ५ 
प्रभु न रात के दर्शन के द्वारा पाल के। कच्ा कि मत 
डर परन्तु कहे जा और चृपका मत रचह। ९० क्योंकि 
में तेरे संग है| तुमे सताने के। किसो का हाथ तुक्क पर 
कक .. रे क््५ 

न पड़ेगा क्यांकि इस नगर में मेरे बहुत लेग हैं। ९९ 
से वच्द डेढ़ बरस वहां रहके ईश्वर का बचन उनमें 
प्रचारता रहा। 


९८ पब्मे] प्रेरितां की क्रिया । ४४८ 


९२ परन्तु जब गलिय अखाया का अध्यक्ष हुआ 
विहूुदियां ने एक मन से पाल पर हल्ला करके डसे 
बिचार स्थान में लाके कहा । ९३ कि यह जन ब्यवस्था 
बिरुट्ठ ईश्वर को सेवा करने के लिये लागों के। डभाडता' 
है। ९४ जर जब पाल ने उत्तर देने चाहा ते गलिय 
ने यिह्दियें स कहा कि हे यिह्लदिये यदि यह कुछ 
अंधर अथवा उपद्रव कौ बात हेती ते तुन्हारी सच्दाय 
करने में डचित ह्ोता। ५५ परन्तु यदि बह बचन के 
और नाम के ओर तुम्हारे शास्त्र के बिषय का बिवाद 
है ते तुन्हों जाने क्योंकि में इन बातों का बिचारी न 
हांगा। ९६ और उसने बिचवार स्थान से उन्हें हांक 
_ दहिया। ९७ तब सारे यूनानियों ने सेवागुंड के प्रधान 
ससतनोस का पकड़ के बिचार सह्थन के आगे मारा 
परन्तु गलिय ने उन बातों के कुछ न समक्का । 
 ९र और पेल ओर भी बहुत दिन लो वहां रहा 
तब भाइयें से बिदा डहोके कनकरिया में मनाती के 
लिये अपना सिर मंड़ाके प्रिसकिला अर अकिला के 
संग सिरिया क ओर चल निकला। ९८ और उसने 
एफसस में आके वहां उन्हें छोड़ा परन्तु आप सेवागुइ में 
जाके विह॒द्यें से चचा किई। २० यद्यपि डन्‍्हों ने. 
कुछ दिन अपने यहां ठद्रने के उसकी बिनती छिई 
तथापि उसने न माना। २९ परन्तु उन से यह कहिके 
बिहा हुआ कि अवेया पन्म में सुझे यिरुशालम में 


४8५० प्रेरितां कौ क्रिया । [१८ पर्व 


देना अवश्य है परन्तु ईश्वर चाहे तो में तुन्हारे पास 
फिर आओंगा औपएर वृद्द एफसस से खेल चला। २२ 
और कोसरिया में पहुंच के उतर पड़ा और मंडली के 
नमस्कार करके अन्ताकिय: में उतर पड़ा। २३ और 

& 5. ५ ० ३५ 2. 
वहां कुछ दिन रहिके चलागया आर सारे शियष्यां का 
इढ़ करता हुआ क्रम से गलतिय: के देश ओर फिगिय 
में सबंच फिरा। 

२४ अब इस्कनन्‍्द रानी एक यिहुदी अपलस नाम जे 
सुबल्ला और धम पस्तक में बड़ा निषण था एफसस में 

रैक खड पर 
आया। २५ इस जन ने प्रभ के मत को शिक्षा पाई थो 
बार ५ | 
ओर मन के तेज से प्रभु की बातं कहता आर ठोक रौति 
से सिखाता था परंतु केवल येहन के स्तान का जानकार 
था। २६ उसने साइस से सेवागुह्ू म॑ कच्दना आरंभ 
वि झ 
किया और अकिला आर प्रिसकिला उसे सुनके अपने 
० जे. &8 
घर लाये ओर इंश्वर का मत अति अच्छी रौतिस उस 
पर खेला। २७ और जब उसने अखाय:ः में पार जाने 
पु ५.५ (ब ० ७ ३ 2 ७५3 
चाहा ते उसे ग्रहण करने के भादये न शिव्या पास 
बे अप ७ 

लिखा और पहुंचके जे! अनुग्रह के द्वारा से बिग्यास 
लाये थे उसने उनको बड़ौ सद्दाय किई। र८ क्योंकि 
उसने बड़ी दृढ़ता से धब्मे प॒त्तकां से दिखा दिखा के कि 
विशु वद्दौी मवीह है विदुद्येय से बिवाद किया। 





२६८ पब्बे] प्रेरितां की क्रिया । "खा ५९, 


९८ उद्नौसवां पब्बे। 
है पु हज न 
९ आर जब अपलोस करिनन्‍्त में था ता ऐसा हुआ 
चर है >े ० 

कि पाल ऊपर के सिवाने स फिर के एफसस में आया 

बन & >> 
ओर कितने शिव्यों को पाके। २ उन्हें कद्दा कि जब से 
बिदश्वास लाये तुम्र ने धनात्मा के पाया उन्‍्हों ने उत्तर 
दिया कि हम न ते धनात्मा का हेनना नहों सुना। ३ 
उसन उन्हें कहा ता तुम न किस बात का खान पाया ! 
वे बोले कि हम ने येहन का खान पाया। ४ तब पोल 
हट न है द्य 
न कहा कि येहन न निश्चय पद्चात्ताप का खान देते 
हुए लागों के। या कद्दा कि जे! मेरे पौछ आता है उस 
पर बिग्रास लाओ अथ त थिशु मसौद पर। ५ उन्हा ने 

ब से पड हे 
यह सुन के प्रभ यिशु के नाम से स्लान पाया। ६ जार 
पैलल के उन पर हाथ धरतेडौ धमात्मा उन पर उतरा 
औगएर वे भांति भांति कौ भाषा बाले और भविष्य कहने 
लगे । ७ ओर वे सब मनुय्य बारह एक थे। 
34 6१९०” 3.९ ३० 
८ ओर सेवागुद्द म जाके वुदह्द तीन मास ले साइस से 
इंश्वर के राज्य के बिषय में बिवाद करता चै।र समुस्काता 
के." पक 
रहा। ८ परन्तु जब कितने कठार आर अबिश्ासौ 
हेके इस मत के मंडलो के आगे बुरा कच्दन लगे वृद्द 
8५ ०५३ ० बा । 

उन से अलग हे शिय्यां के एकान्त में लेके तरसस की 

७ + लक. 
पाठशाला मं प्रतिदिन बिबाद करने लगा। ९० आऔैर 
दे! बरस ले यहीौ हुआ किया यहां लें कि आसिया 
के निबासियें ने क्या विहूदौ क्या यूनानी सभें ने प्रभु 


४५२ प्रेरितों को क्रिया । [९८ पब्बे 


बे ग 
विशु का बदन सुना। ९९ अर पोल के हाथों से ईश्वर 
परम आअ्य करता रहा । ९२ यहां लें कि अंगोछा- 
और बस्ल उसके देह से रागियेां पर लेजाते थे और 
उनका राग जाता रहता था और दुष्टाह्मा उन पर से 
उतर जाते थ। 
५ « ५ ०७ 
९३ तब बच्देतु आर मंत्र जापक यिद््‌हियों में से 
कितने प्रभु विशु का नाम लेके दृष्ट क्वा ग्रस्तों के" कहने 
लगे कि जिस थिशु का प्रचारक पाल है इम तुम्हें उसको 
जे ब३० 
किरिया देते हें। ९४ और सुकवा यिह्दो प्रधान 
छप 3. ढ्ौ ह ५५ ०५ » ु 
याजक के सात बेट यही करते थे। ९५५ तब दुष्ट ्मा ने 
रे ; ब. ७० 2० न्‍ 
उत्तर देके कद्दा कि यिशु को में जानता हे और पाल 
| ५२ आप 
का जानकार हों परन्तु तुम कोन हे! ९६ ओर 
दुष्टात्मा ग्रस्त मनुस्य उन पर लपका और उन पर प्रबल 
हके उन्हें बश में किया यहां ले| कि वे घर से नंगे और 
के 

घायल निकल भाग। ९५७ और यह बात एफसस बासो 
५ के ५ ; 

सारे विद्ुदियां और यूनानियों के जान पड़ी और उन 
सभे। पर डर पड़ी थार प्रभु: यिशु के नाम की नहिमा 

| ६० नर 
हुई। ९८ अर बहुतेरे बिश्वासियेां ने आ आ के माम 
लिया और अपने अपने कस्से के प्रगट किया। ९८ 
और बहुतेरे इंद्रजाली अपनी पुस्तकें के एकट्ले लाये 
और सब के आगे फक दिये और उन्हों ने उनके मेल 
$>७> अर हद किले न 

का जा लेखा किया ते पचाय सइख टुकड़े चांदौहुएक+ 











९८ पब्ब] प्रेरितां कौ क्रिया । ४४४ 


२० ऐसे पराक्रम से ईश्वर का बचन बढ़ा अर प्रबल 
ह्ुआ। 

२९ जब ये बातें हे। चकों तब पोल ने मकड्ट निया 
और अखाय: से हे। यिरुशालम में यद्ट कहिके जाने के 
ठाना कि वहां से मुझे रूस के भो देखना अवश्य है। 
२२ ओर अपनी सेवाकारियों में से दे के अथात 
तीमती और एरास्तस के। मकदूनिया के भेजा ओर 
आए आसिया में कुछ दिन रह्दा। २३ और उस सलबय 
डस मत के बिषय में वहां बड़ा हारा हुआ। २४७ 
क्याकि दिमीतरय नाम एक सुनार था जे। एरतनस की 
मत्ति चांदी से बना बना दाय्येकारियेां के बहुत कम 
वाता घा। २४ उसने ऐसे कार्यकारियें के एकट्ढे बटारु 
के कद्दा कि हे मन॒य्या तुम लेग जानते डे। कि इमारी 
जीविका इसी उद्यम से है। २६ ओर देखते छोर 
सुनते हे। कि केवल एफसस में नहीं परन्तु सारे आखसिया 
' ज्ंइस पोल ने बहुत से लेगों के। मना मना के भटकाया 
है बार कच्दता है कि जे। द्वाथां से बने हैं से। देव नहीं 
हे।ते। २७ सो केवल यही ते खटका नहीं कि इमारे 
उद्यम का निरादर हे।जाय परन्तु महेश्वरो अतमिस का 
मंदिर भी निन्दित देजायग[ और जिसको पूजा बारे 
आसिया ओर संसार करते हें उसको महिमा जातो 
रहेगी। २८ यह सुन के वे केप से भर गये और चिल्ला... 
उठ कि एफेसिये कौ अतेमिस महान है। २८ तब सारे 


४५४ .. भ्नरितों कौ क्रिया । [१६८ पब्बे 


' ५ ५ 
नगर में बड़ा कालाइल हुआ आर गाय आर मकडूनो 
ब ग् हक, ध जप ७ 
अरिस्तखे के जे। पाल,क संगो पथिक थे घरौट क एक 
न ०. 4 .. ॥ अं ट! 
मत से कीड़ा स्थान के होड़ गये। ३० और जब पाल 
73. आज हक ताज तर ४ कक हर कक 
ने लेगों में जाने चाहा तब शिय्थां ने उसे न छाडा। 
३९ और आखसिया के ओअछ् प्रधानां में से भो उसके 
हितकारो देके कितनों ने कहला भेजा कि तू क्रीड़ा 
स्थान में जाने से ५रे रह। ३२ तब कितने कुछ 
चिल्लाये आर कितने कुछ क्योंकि मंडलौं गड़बडा 
गई ओर बहडुतेरे न जानते थे कि हम किस लिये 
7५ 783५ 25% ७ 
एकट्रे हुए हं। ३६ आर यिहक्हियां न सिकन्दर 
के आगे धकितञ्राया ओर खलेशगों ने मंडलो में से उसे 
बढ़ा दिया अर असकन्‍्दर ने द्वाथ से सेन करके लागों 
के आगे बचाव को बात करने चाहा। ३४ परन्तु जब 
उन्हों मे जाना कि वद् यिहूदों दै ते सब के सब दे 
घड़ी लें एक सात चित्लाये कि एफेसियें को अतमिल 
महान है। ३५ परन्तु अध्यापक ने मंडलो के शान्ति 
रे ; 
करके कद्दा कि हे एफेसी मनय्यो कान मनृय्य नहों 
जानता कि एंफसस का नगर महेशरों अतमिस का 
और उस मृत्ति का पूजेरी है जे। बुच्स्पति से गिरौ है? 
पु ९ + * ३० विश] 
३६ अब जंसा कि ये बातें अखंडित हें तुन्हें चित है 
कि चपके रहे और उतावली से कुछन करे। ३७ 
न -न्‍ बेड; &/* है कील ए८ 4. 528 ० अर | 
क्योंकि तुम लेग इन मनुय्यां के! यहां लाये हो जो न 
हक "० के ९५ 
ता मन्दिर के चार और न तुम्हारी देवी के निदक हैं। 


२० पब्य])] प्ररितों की क्रिया। 8५५४ 


शद्ट इस लिये यदि दिमीतरय ओर उसके संगी काय्ये 
कारों किसी पर अपबाद रखते हों ते न्याय हेारहा 
/ 5.५ 
है और अध्यक्ष हैं एक दस रे से बिवाह करे। ३८ परन्तु 
यदि तुम लेग आन आन बात के खोजो हे ते वच्द 
बिचार सभा मं निणय किया जायगा। ४० क्यांकि आज 
_ के हंगा के लिये हम लेग लेखा देने के खटके म हैं कि 
इमारे प्रास कोई ऐसा कारण नहों जे इस भौड़ का 
कुछ उत्तर हे। सके । ४९ और इन बातों के कहिके 
॥₹ हि 
उुसने उस सभा का बिद्ा किया। 
२० बोसवां पब्बे। 
४ ० हा 2५४७8 
९ जब हुछ र धौमा हूआ तो पोल शिष्यां के। बुलाया 
और उन से मिल के मकट्ट निय; की और चल निकला। 
२ जऔैर उधर के स्थानों में से होके गया गैर उन्हें 
बहुत उपदेश करके यनान में आया। ₹ और वहां 
0 न्‍ ३ कप 
लोन मास रहिके जब व॒ुद जहाज पर सुरिया मं जाने 
के था यिह्ू हौ उसके घात में लग तब उसने मकद्टनियः 
कं 58223 2 
के मार्ग से लाटने के ठाना। ४ और बराई का रूपतर 
और अरिस्तखेस और सिकंद्स तसलीनीको जऔैर गाय 
3 
हदरवी और तौमती ओर अआसखिया का तुकिकस जार 
लफिमस उसके संग आसिया लें गये। ५ ये आगे जाके 
तुया में हमारे लिये ठहरे। ६ और अखमनोरी रोटी के 
दिनें के पौछ हम ने फिलिप्पी से खाली झओऔपःर पांच 


/ # 


8१६. प्रेरितें कौ क्रिया । [२० पब्ने 


दिन में तया का उन पास पहुंचे! और वहा सात 
टहिन रहे | 

७ अर अठवारे के पह्चिल दिन जब शिव्य राटी 
तेड़ने के एकट्रे हुए जि्ान का बिदा होने के लिये 
पोल उन्हें उपदेश करने लगा जैर कथा के आधी रात 
ले बढ़ाया । ८ जार ऊपर के स्थान में जहां वे शकट्ट 
थे बहुत से दीपक थे वहां एक तरुण यूनखस नाम का 
एक खिड़कों पर बेठा से! गया। € अर जेसा कि 
बोल ने अपनो कथा अबेर लों बढ़ाई वुच्द नोंढ के वश 
में हेके तौसरो अंटारों से गिरपड़ा और मृतक उठाया 
गया। ९० तब पे,ल उतर के उसे लपटगया बार गोद 
में उटाके कहा, मत घबरा क्योंकि उसका प्राण उसमें 
डहै। ९९५ तब ऊपर आये ओर रोटौ ताड़ के खाया 
और अबर अथात भे।र लॉ बातें करता रचह्वा तब बिढा 
हुआ। ५२ और वे उस तरुण का जौता लाये ओर 
अहत ग्यान्त हुए । 

१५३ परन्तु हम आगे जहाज पर जाके असस के। चले 
जहां पे।ल के। चढ़ालेना था क्योंकि आप पांव पांव जाने 
को इच्छा करके ऐसा ठहराया घा। ९४ और जब वह 
असस में हम के। मिला ता उसे चढ़ाके हम मितलीनी 
में आये। ९४ ओर वहां से खेलके टूसरे दिन खिय के 
साले आये आर अगिले दिन सामस में हे। तगलियन 
में उददर के अगिले दिन मिलितस में आये। ९६ क्योंकि 


शक 
पाल ने एफसस मे हा के जान का ठच्दराया था जिसते 


असियाम कुछ समय रहने न पड़े इस लिये उसने 

बहुतसा उपाय किया कि यदि द्वोसके ता पचासवें ढिन 
का पब्बे यिरुशालम में कर । 
|, ३१७ परनन्‍्त उसने मिलितस से एफसस कौ ओर 
 संदश भेजवाके मंडलौ के प्राचोनां के बलाया। ९८ 
आर जब वे उस पास आये तो उन्हें कद्दा तुम लोग 
जानते हे। कि आरंभ से जब में आसिय। में आया और 
| तुस्मे रहा किया। ९८ ओर केसो बड़ी दौनताई से 
बहुत आंस्त बचा बचा के डन परीौच्षों में प्रभ कौ सेवा 
करता था जे। यिहू दिये के घात में लगने से मुक्त पर , 
पड़ा था। २० जेर केसा में ने काई लाभ कौ ब:त न 
रख छोड़ी ओर तुन्हें उपदेश करके प्रगट में अर घर 
खरा सिखलाया किया। २९५ ओर यिह्दियां ओर 
यनानियें के आग साच्षो दिई कि ईश्वर के आग पकछ 
ताओ खैर हमारे प्रभ यिशु मधोह पर बिग्रास लाओ। 
२२ आर अब टेखा में अत्मा म बंधा हुआ यिरुशालन 
का जाता हो अ.र नहों जानता कि वहां मुभ्क पर क्या 
क्या बौतेगा। २६ परन्तु इतना कि धनव्मा हर एक 
बस्ती म॑ यह कच्के साज्षो देता है कि सौकरें और 
कष्ट मेरे लिये धरे हैं। २४ पर में इन बातों के कुछ 
नहों बकता और न में आप अपने प्राण का प्रिय 


जानता हें जिसतें में अपने दोड़ के और उच्च सेवा 
४9 


द २० पन्ने]... प्रेरितों कौ क्रिया । ४५७ 





४५८... अरितों कौ क्रिया। [२० पनके 


का ५ लय “न ४ 
के जे में ने प्रभु विशु से पाया है आरंद से परा करें 
जिसतें ईश्वर के अनयद्द के मंगल समाचार की साक्षी 
८ < कप ५५ ५ आर 
देउं। २४ आर अब देखे में जानता हों कि ह्में से 
तु «०३९० 2 
जिनके मध्य भें में ईश्वर के राज्य के प्रचारा और 
फिरा हें केई मेरा मंद फेर न देखेगा। २६ इस लिये 
में आज तुम्हारे आग साज्षौं देता हां कि इर एक के 
०२५० ० # ३७ 5 » 
लेह् से में निद।घ हे। २७ क्योंकि में तुन्हारे आगे 
ईंज्र को सारी मता बएणंन करने से अलग न रहा। 
अ- ०५ न्क्ेः ढ > 
२८ अब अपने ओर सारे कंड के लिये जिस पर 
८ "उछ बी $५० ०. ७७७-४3% अं 
धमाद्मा ने तुन्ह रखबाल किया संचेत होक ईश्वर को 
] हम (२ बज कप जी क & भ 
मंडली के। चराओ जिसे उसने अपने लाइ से माल 
लिया है। ९८ क्यांकि में यह जानता हें कि मेरे जाने 
रु दर «५०८ न ७ ७३ $ 
के पौछ फड़वेव हुंड़ार तुझसे पठक कऑँड पर दया न 
करेंगे। ३० हां तन्हों म॑ से कितने मनृव्थ उठेंगे जा 
शिश्यां का अपनो ओर खींचने का हटोलो बात॑ कहेंगे। 
३९ इस लिये चेकस रहे और चेत करे कि तीन 
> ३३५० > ० .ु कक 
बरस ले में रात दिन आंद्ध वद्दा वहा के हर एक के 
नित चिताता रहा | ३२ और अब हे भादये में तन्हें 
ला 0 >>. १३७ की. 
इंश्वर के और उसके अनुम्रद्द के बचन को सेंपता हें 
जा तुन्हें सुधार सह्ना है और सभों में जे। पवित्र किये 
०. ७२३० की ० पे «्रै९५ ० हर | 
गये हुं हुन्हं अधिकार दे सक्का हँ। १३ में ने किसोक 
सेने चांदी अथवा बच्च का लेभ न किया। ३४ हां 
(४2० ०८८ लक । 
तुम्हों लेग जानते दे। कि इन्हीं हाथों ने मेरे और मेरे | 








२९ पब्थे] प्रेरित की क्रिया । 8५६6 


5 03५१४ 2] $ 
संगियां छो आवश्यक सेवा किई। ३५ में ने तन्‍्ह सब 
05 >> 
कुछ बता दिया डै कि क्यांकर लुन्हं उचित है कि परि 
के ६००... है. हल. 
अम करके ट्बलें का प्रतिपाल करे ओर प्रभु बिशु के . 
बचन के छा एण करो क्योंकि उसने आपहौ कहा है कि 
जि पक: कक 

| देना, लेने से अधिक धन्य है। 

३६ चर उसने ये कछिके घुठ ने टेके और उन सभों 

| ५5 डध क. हक 
के संग प्राथना किई। ३७ ओर वे सब निष्ट रोये 
और पेल के गले पर गिर गिर उसे चुमा। ३८ बिशेष 
उस बात के लिये ले। उसने कही कि तुम सब मेरा रूह 

कर ल्‍ है 
फेर न देखाग बहुत डउदालोन हुए और जहाज ला डसे 
पहुंचाया। 
$ हि 
२९ एकीसवां पब्बं। 
हम तो बे कि, 

९ और उनसे अलग हे।क खोलो ओर सोधे कास में 
बम 55 ४2 «६ आर ०ः हल 
आये ओर टूसरे दिन रूह्स का और वहां से पतरः के 
गये। २ आर एक जहाज का पार फनोकी के जाते 
९ डे ७३ अर ४ पी 
पाक हम लेग उस पर चढ़ बठ आर चल निकले। ३ 
२ हक हर. ८... हा छक हब! ५ 
और कुृपरस के देख बायें हाथ छाड़ सुरिया के चले 

५ >> बकप ६8. हू कर 

ओर सर मे उतर पड़े क्योंकि वहां नाव को बोस्‍्काई 

। मर कु 

 उतारनों थो। ४ ओर शिव्यां के पाके सात दिन ठहरे 

५ 3 200 ५ आप पे 

ओर उन्‍्हों ने आत्म को प्ररणा से पाल के कहा कि 

विरुशालस के मत जा। ५ परन्तु उन दिनों का परा 

ब्र्‌ 

करके इम चल निकले ओर बिद्ा हे। अपना माग 
5 3 आओ द ] 

पकड़ा ओर स्तियां ओर बालकों समेत वे सब नगर के 


४६० प्रेरितां कौ क्रिया । [२९ पब्बे 


० « 
बाइर ले हमारे संग आये और हम ने नदौं के तोर 
पे बज न्‍्‌ ड् 
घुटने टेकके प्रार्थना किई | ६ आर आपुस के बिल 
बिहा डहे।के जहाज पर चढ़ बेठे और वे अपने अपने घर 
के फिरे। 
५ 
७ और अपनो दाड़ प्रो करक इम सर से तल 
७७७ ब्््‌ “का 3 9 ० प 
माऊस म॑ आये बेर भाइये से मिलक एक दिन उनके 
ग ु 0 90 कक, सका ड़ ० + 
संग रहे । ८ आर बिहान का पाल ओर उसके संगो 
३०७३7. आ, $ कप + 
बिहा ,हेके केसरिया में आये और फिलिप मंगल 
समाचार प्रचारक के यहां, जे। उन सात में से था उतर 
कप कप कि | ५ 
के उस कने टिके। € अब उस मनुय्य को चार कुआंरी 
बेटियां थीं जे। भविय्यद्॒क्ञी थीं। ९० और वहां बहुत 
दिन रहते हुए यिहक्ूदियां से अजबस नाम का एक 
व ५ 
भविश्यदक्षा आया उसने हम।रे पास आके पोल'का 
पटुका उठालिया आर अपने हाथ पांव बांधके कहा कि 
धनात्मा यों कहता है कि यिरुशालम में यिहूदौं उस. 
मनय्य का, जिसका यह पटुक्का है ये बाछेंगे आर अन्य 
० र शि 5 ० ब५० ०७०. 0 -्ऊ 
देशियां के हाथ सापंग। ९२ उब उम ने ये बात॑ सुनो 
९५, ५ ब् क (5 
ते हमने ओर वहां के बासियां ने उसको बिनतो किई 
५ |] 
कि यिरुशालम का न जावे। ९३ परन्तु पाल ने उत्तर: 
दिया कि क्यों बिलाप करके मेरे मन का ताड़ते हे। ! द 
(६० सर ५. हु 
क्यांकि में ते केवल बांध जाने के नहीं परंतु यिर्शालम 
हर कक क् ० कै: ३.6 7० ४ 
में प्रभयिशु के नाम के लिये मरने का भो लस हो। 






( 





२९ पन्बे] प्ररिताों कौ क्रिया । 8६९ 


९४ और जब उसने न माना ते हम यों कहिके चुप 
हुए कि प्रभु को इच्छा हे।वे। 

९५ ग्यार उन दिनें के पौछ इम अपनी सामग्रो लेके 
यिरुशालम का चले । ९६ तब इमारे संग केसरिया में 
के कितने शिव्य भी गये ओर हमें एक मनसन कुपरसी 
पुराने शिव्थ क घर पहुंचाया जहां इमें टिकना था। 

९७ ओर जब इउम यिरुशालम में पहुंचे ता भाई 
आनन्द से इमं आगे से आमिले। ९८ गऔर दूसरे दिन 
पोल इमारे संग याकूब कने आया आर सारे प्राचौन 
भी एकड्ढले थे। ९८ औैर उनसे मिलके सब कायन के 
जे ईश्वर ने अन्यदेशियें म॑ं उसकी सेवा ढी ओर से 
_ किये थे अलग अलग बणन किया। २० उन्हों ने सुनके 

प्रभु कौ स्तुति किई और उसे कहा कि भाई त देखता 
 औैकिकितने सहल बिश्वासी यिहूदी हैं गैर सबके 
सब व्यवस्था के लिये ज्वलित हैं। २९ उन्‍्हों ने तेरे 
बिघय में सुना है कि त्‌अन्यदेशियों में के सारे यिहल्ल 
दियें के मसा से फिर जाने के सिखाता है ओर 
कइता हैं कि अपने पुत्रां का खतनः कर ने गऔै7र व्यवहार 
पर चलने के उचित नहों। २२ से यह क्या है? 
मंडलौ नि:संदेह एकट्री दोगी क्योंकि तेरे आनेका 
सुनेंग। २ह से हमारे कचइने के समान कर इमारे 
प्रास चार मनुग्य हैं जिनकी मनेती है। २४ उन्हें लेके 
आप के। उनके संग पवित्र कर और उनके सामे में 


४६२ . ।ब्रेशिता को जिया ४ [२९ पब्बे 


कुछ उठान कर जिसतें वे अपना सिर भंडाये. और सब 
जानजायंगे कि जे बातें इमलेगोां ने डसके बिषय में 
। नह $ 3 

सुनौ थो से कुछ नहीं परन्तु दुद्व भी व्यवस्था के। पालन 

करके उसको रीति पर चलता है। २५ ग्ार बिश्यासों 

32% 25 25% 8 ७ क 

अन्य दे शियें के बिषय में हम न लिखके ठद्दराया है कि 

वे इन बातों के न मानें परन्तु केवल इतना कर कि. 
९ गे ०८० दे हक ली 
मत्तिन के प्रसाद ओर लेक चर गला घोंटी हुई बस्तु 
क खाने जर ब्यभिचार से परे र हैं। 
५ 2८ 23७७ 08 

२६ तब पाल डन मनुय्थों का लेके दूसरे दिन उनके 

संग पथ्त्रि होके मन्दिर में गया और कइह्िदिया कि 
जब ले उनमें से हर एक का बलिदान चढ़ायाजाय पवि 
के ० कि * 

त्र॒ता के दिन पूरे हे।जायेंगं। २७ परन्तु जब सात दिन 

बौतन पर आये ता आखसिया के यिह्ूदियोां ने डसे 

मन्दिर में टेखकर सारी मंडलिये के। उभाड़ा ओर 
उसपर हाथ डालके चिल्लाये। र८ कि हे इसराईलो 
रे रन] 
मनन्‍य्या सहाय करे यह वुद जन है जे हर स्थान में 
लागों ओर ब्यवस्यथा के ओर इस स्थान के बिरोध में 
सबके। सबंच्र सिखाता है ओर यूनानियों के! भी मब्दिर 
में लाया और इदूस पवित्र स्थान के अशुद्ध किया। २८ 
दूस लिये कि उन्हों ने आग नगर में एफसय के चफिमस 

न्‍्‌ 

के देखा और समभ्ता था कि. पोल उसे मन्दिर में 
4 + का ५ 
लाया। ३० तब सारा नगर चंचल हुआ और लोगों 











२९ यब्बे] प्ररितां कौ क्रिया । ४६३ 


को भीड़ हुई गैर पाल के। पकड़के मन्दिर में से 
बाहर घसौटा ओर कट द्वारों के बन्द किया। 
४ ३२३ ७६ 
३९ ओर जब वे उसे घत करन पर हुए ता प्रधान 
सनापति के। संदेश पहुंचा कि सारे यिरुशालम में 
केालाइल हुआ है। ३२ तब वृद्ट तरन्त याद्डा और 
शतपतिन के लेके डनपर दोड़पड़ा और वे. प्रधान 
और याज्धाओं के देखके पाल के। मारने से अलग र हे। 
३३ तब प्रधान ने पास आके उसे पकड़ा गऔर हे 
सोकरों से घांधन को आज्ञा किई ओर पका कि यह 
कोन है दर इसने क्या किया है! ३४ तव कितने कछ 
बड़बड़ाए और कितने कुछ आर जब व॒द्द कालाइच के 
2२ ९०. हज >> का 97" 7 
मारे ठॉकन जानसका ता उसे गढ़ न लेज़ाने को 
आज्ञा किई। ३५ परन्तु जब वृद्द सौढ़ौ पर पहुंचा ता 
ऐसा हुआ कि लेगां के कारण याद्धाओं ने जले 
उठाया। ३६ क्योंकि लागां की एक बड़ी मण्डली 
चिल्लाती आती थी कि उसे उठा डाले। । 
५ जा 8:7०. सु ५ कक, जे 
३७ परन्त जब प।ल के। गढ़ में लेजाने लगे ते उस 
कं है. जे + + रस 
प्रधान के। कद्दा कि में आप से कुछ कहे वह बाला क्या 
लयनानी बाल सक्ता है! ३८ त वह मिसरो नहों 
जिसने इन दिनांसे आगे ढंगा मचाया और चार 
सचस्ल इत्या रे के बन में लेगया! ३८ परन्तु पाल ने 
_ कहा कि में ते किलकियः के तरसस का एक यिहूदो 
हों जे। ऐसा इलुक्क नगर नहीं और में बिनतों करता 


४६४ प्रेरितां कौ क्रिया । [२२ पन्ने 


है| कि सुक्के लेगों से बाल ने दो जिये। ४० उसने उसको 
इच्छा पा सौढ़ो पर खड़े देके लेगों के हाथ से सेन 
किया और जब वे चुप चाप हुए तब वुद्द इबरौ भाषा में 
यह कहिके बाला। 

२२ बाईसवां पब्बे। 

९ हे मन॒य्यां और पितरें मेरे बचाव कौ बात सुने: 
जे अब तुम से कच्दौ जातो है। २ जब उन्हों ने उसे 
इबरौ भाषा मे बातें करते सुना ते वे तनिक न बोले। 
₹ तब उसने कहा कि में विहूदी मनुय्य हों जे किल 
कियः के तरसस में उत्पन्न हुआ परन्त इस नगर में 
मलईल के चरण पास विद्या पाई और पितरों की 
ब्यवस्था में ठौक उपदेश पाया ओर ईग्रर के लिये ऐसा 
ज्वलित था जेसा तुम लेग आज के दिन हे।। ४ चर 
में इस मत के लेगों के म॒त्यु लें बेर करता रहा और 
क्या पुरुष क्या स्त्री के बंदौगुद्र में सापा किया। ५. 
जेसा कि प्रधान याजक अर सारे प्राचौन मेरे साछ्ौ हैं 
उनसे में भाइयें के लिये पत्रौ पाके दमिप्रक के जाता 
था जिसतें वहां के लेगां के ताड़ना कराने के लिये 
बांधके विरुझ्ालम में लाओं। ६ ओऔर जाते जाते जब 
मैं रमिषक पास पहुंचा ते दे पहर के अंटकल में ऐसा 
हुआ कि मेरोौ चारों आर आकर्मात खगसे बड़ी 
ज्योति चमकी। ७ और में भूमि पर गिरप्डा ओर 
मुस्ये कदते हुए में ने एक शब्द सुना कि साऊल साऊल क्‍ 












२२ पनब्ब]  प्रेरिताों कौ क्या | ४६४३ 


> 5 कर ५ 3 
त मुझे क्यों सताता है? ८ तब में ने उत्तर देके कद्दा 
न, ् सिर मे 
: हे प्रभु त्‌ कान है! उसने मुझे कहा कि में यिशु नाशरौ 
हैं जिसे त सताता है। ८ श्र मेरे संब्ियें ने उस 
ज्याति के ते देखा ठौक और डर गये परन्त जिसने 
| * बे 
मुस्ये कद्दा उन्‍्हां मे उसका शब्द नसुना। ९० तब में ने 
। हा ५ न कु 82 
कहा कि हे प्रम॒ में क्या करों ! प्रभ न मुझ कहा कि 
. उठके दमिष्ठक में जा बेर वहां सारोौबातें जे तुम्षे 
न] रे] 
करने के लिये ठद्दराई गई हैं से कद्ौ जायेंगो। ९९ 
और जेसा कि उस ज्याति के तेज के मारे में देख न 
ने -> लग सर पक ण्े ् ० 
सका ता अपने सगियेां का हाथ धरे हुए दमिश्क मल 
आया। ९२ ग्रार ब्यवस्था की रौति का एक भक्ञजन, 
इनानिया, जिसको भलाई सारे यिहूदौ मानते थे। ९३ 
मेरे पास आया ग्ार खड़े होके सुभो कहा, हे भाई 
साऊल ऊपर देख और उसी घड़ी में ने उसे देखा। 
घ्ु “ २7 
९४ उसने ऋह्ा कि अपनो इच्छा जान्ने और उस धर्मी 
प ५6 आल 5 2 नल मन 3 4८५०-00 
का देखने आर उसके मंध का शब्द सुन्ने का इमारे 
० 25. 7 

पितरों के ईश्वर न तुम्ते ठददरा रक्खा है । ९५ से उन 
व स्० है) 
बस्तुन के लिये जे तू ने देखीं और सुनों हैं तु सब लागों 
के आग साक्षी हेगा। ९६ और अब बिलंब क्यों करता 
है?! उठके खान पा और प्रभु का नाम लेके अपने पापों 
के घेडाल | ९७ ओर जब में यिरुशालम में फेर गया 
| | +| 3 ्प 
और मंदिर में प्रथना करने लगा ते ये हुआ कि में 

-. अबकी अर डे हर ० ० ० 
बेसुधि देगया । ९८ और अपने से कहते में ने डसे 


४६६४६ प्रेरितां कौ क्रिया । (२२ पन्ने 


देखा कि शीघ्र करके बिरुशालम से निकल जा इस 
लिये कि मेरे बिषय में वे तेरी साक्षी न मानेंग। ९८ 
। +९५ 7:32 ।॒ 
तब में ने कहा हे प्रभ वे जानते ह॑ कि में तेरे बिश्या 
>> ज कक से हि 
सियें के बन्दोगइह में डालता रहा आर हर एक मंडली 
७७ बिक 3 नल ध 
में उन्हें मारा किया। २० आर जब तरे साज्षों स्तोफान 
5 ले. जले + >> ९ ६. 
का लेक बचाया गया ते में भी वहां था और उसके 
+ 9 ब्् है. «| 
घात में संगो था ओर उसके बधिकों के बस्ल कौ रखवाली 
करता था। २९५ तव हझूसने सुम्ते कहा कि चलाजा 
क्योंकि में तुक्के अन्यदेशियें के पास दूर भेजेगा? 
कि कि हक, 2 ७ 
२२ गैर उन्हों ने इस बात लां उसकी सुनो तब वे 
चिल्लाके बाले कि ऐसे के भूमि पर से उठाडाल क्यांकि 


पं ५ 
इसका जीना येग्य नहीं। २३ आर जब वे चिह्नाये 
और अपने कपड़े फाड़के धूल डड़ाने लगे। २४ तब 

व आर] हवस ५ है 
अध्यक्ष ने उसे गढ़ में लाने को अःज्ञा किई आर कहा 


श्र $ 5 जी पक ० 
कि उस के।|ड़े मारक्ते ताड़ जिसतें जानें कि वे क्यों उसके 


बिराध में ये चिल्नाये। २५ और जब वे उसे चमे।टी से 


मद ५ ० 
बांधते थे ते पाल ने पास खड़े हुए शतपति के कहा 
क्या तुस्हारे लिये याग्य है कि एक रूमो मनुख्य का बिन 
देषी ठदराये ताड़ना करे । २६ शतपति सुनके अध्यक्ष 


५५ ० 
सेजा बाला कि जे आप किया चाइते हैं सा से|चें कि 
यह मनृय्य ते रूमी है। २७ तब अध्यक्ष ने पास आके- 

७. चु है. 4 
उसे कद्ा कि सुस्य कह क्या तू रूमो है उसने कहा कि 
हां। र८ तब अध्यक्ष ने कद्दा कि में ने बहुतसा राकड़ 


अर 





२३ पब्जे) प्रेरितां को क्रिया । ४६७ 


५ दर 522 2 न (29- को 6 

हेके इस पढ़ के पाया पाल बाला परन्तु में निबंध 

उत्पन्न हुआ।। २८ तब जे। उस ताड़ा चाइते थे उन्हें न 
० अर पी परे 

उच्ये दाथ उठाये ओर अध्यक्ष भी उसे रूमी जानके 

२ | ५, 2. रू + ७52] 

आदर कि में ने उत बांधा डर गय। 

३० अर उस पर यिकछदियों के दाष निश्चय जाने 
१7. तक हि. -> श् + ६६0०९ स्क्ः 
का उसने अगिले दिन उसके बधन खाल के प्रधान 

०... दे७ वे ॥>क 

याजकां आर उनके मत की सारी सभा का एकट्ठे हाने 

जी, 5 73; कै हल ४०» गे क+ कर 

की अज्ा कछिई।ः आर पाल का उतार के उनके आगे 
खड़ा किया । 

जे ५ ० बन ।. 
२३ तइसवा एब्ब । 
मे न व न न्‍- 

९ तब पोल ने सभा के ताक के कहा कि हे मनय्य 
भाइये सन कौ सारो भलाई से में आज लों ईगशर के 
आगे चला। २ तब प्रधान याजक इनानिया जे उन्हें, 
ले उस पास खड़े थ उसे घपराने की जाज्ञा किई। ३ 
न 5 कक हे हु 
घाल ने उसे कहा कि हे उजलखित भोत इंश्वर तकक 

वि 9.७ ४ कि बज कि 
थपरायवेगा क्योंकि ब्यवस्था को रोति पर त॒मरे न्याय के 
करे रे 
लिये बेठा है और व्यवस्था बिरुट्ठ सुझ्के थपरान को 
आअःज्ञा करता है | ४ तब आस पास के लोग बाल उठे 
किक्यात्‌ ईअ्र के प्रधान यांजक के कुबचन कच्ता 
| 20% ब्५० 
है। ५ पोल ने कहा हे भाइयें में न जानता था कि 
यह प्रधान याजक है क्योंकि लिखा है कित्‌ अपन लगें _ 
के प्रधान के ब्रा मत कद । 
5४ 8. बन है” मी 
€ और जब पाल ने देखा कि उन म एक भाग 


४ द प्रेरितां की क्रिया । [२७ पन्ने 


५ 3: हे ५० पका 
सादूको ओर ट्ूसरे भाग फरोसो हं ता सभा म पुकारा 
3 कर ०५ * न 
कि हे मनृय्थ भाइये में फरोौसी आर फरौसौ का बटा 
हों म॒त्यु से जी उठ ने कौ आशा के लिये में बिचार स्थ।न 
में पहुंचाया गया। ७ उसके यां कचह्दतेहों फरोसियों 
कै न ब््‌ & 
आर साट्ूकियें में बिबाद हुआ आर मंडली के दे 
० ७ रे] 
भाग है| गये। ८ क्यांकि सादूकौ कइते हैं किन जो 
उठना और न छत और न॒अद्या है परन्तु फरोसो 
३० 
सब के मानते हें। ८ तब बड़ा हैरा मचा और 
फरोतलियें को आर के अध्यापक उठे ओर चृप करके 
हक के ख ७३० & 
कह ने लगे कि इन लेग इस मनुत्य में कुछ ब्राई नहीं 


२७. वे के ले. 23. 
पाते परन्तु यदि किसौं आत्या अथवा द्वा न उद्स कहा 


च्ड्ठे डे डे. हः 3. बन कह 3० २ 
है ता हम ले।ग इंश्वर से लडाई न कर। ९० ओर जब 


५ ३ न्‍्् 
बड़ा भ्काड़ा हुआ ते उनसे पल का टुकड़ा टुकड़ा किये 
जाने के डर के मारे सेना क प्रधान न यादाओं का . 


ल्‍ हे. थक 905 * जद,  औ 
आजा किई कि उनके मध्य मं से उसे प्रबलता से लेके 
गढ़ भें लावें। ९९ अगिले रात का प्रभने उस पास 
खड़ा हो के कहा कि हे पाल धोरज धर क्यांकि जगा 


तने मेरे बिषय यिरुशालम में साच्वों दिई है तंसा रूम 


भो साक्षों देना तभे अवश्य ह। 
९२ गैर जब दिन हुआ यिलू दिये भें से कितने ने 


यह कहिके युत्षिबांधौ कि इस पर धिक्कार है बिना _ 


॥; 


ह 


; 





है... कक 2393... ० ३ !! 
प्रैल के घात किये हम न खारयेंगे न पीयेंगे। ९६ और । क्‍ 


जिन्‍्हों ने यद्द एका किया था से चाचौस से ऊपर घ। 


रह पब्बे] प्रेरितों कौ क्रिया । 8६८ 


३४ गैर उन्हों ने प्रधान याजकां और प्राचौनोां के 
यास आके कहा कि हम ने अपने पर धिक्कार किया 
है कि बिना पाल का घात किये हम लोग कुछ न 
चोखेंगे। ९५ अब सभा के संग द्ोके सेना के प्रधान 
के कहिये कि कल उसे हमारे पास उतार लाईये 
जिसते हम उसके समाचार के अच्छी रौति से बसें 
और तम्हारे पास न पहुचतेद्दौ हम लेग डसे घात 
करने का सिद्ठट हो रहगे। 

९६ परन्तु पोल कां भांजा उनके टूके कौ बात सुनके 
गया जैर गढ़ भें आके पाल के। कद्दा । ९७ तब पोल 
ने शतपतिन में से एक का ब॒लाके कहा कि इस तरुण 
के। सेना के प्रधान पास लेजा क्यांकि उसे कुछ कच्दना 
है। ९८ बुद्द उसे खेगया ओर सेना के प्रधान पास लाके 
कहा कि पोल बंधआ ने मुझे बुलाके चाहा कि इस 
तरुण के। आप पास लाओं जे आप से कुछ कहा 
 चआाइला है। ९८ तब सेना का प्रधान उसका हाथ पकड़ 
के एकान्त में लेगया और उसे पछा कितू मुझ क्या 
कद्दा चाइता है? २० उसने कहा कि विहूदियों के 
अच्छी रोति से पाल का बिचार करने की बनावट से 
शछका किया है कि आप से कहिके पोल के। कल सभा 
म॑ उतार लावें। २९ परन्तु आप उनको बात न मानिये 
क्योंकि उनमें चालौस से ऊपर उसके ढूके में हैं जिन्‍्हों ने 


 आपुस में कि रिया खाई है कि जब लें उसे घात न 
40 


89० प्ररितां कौ क्रिया । [२३ पन्ने 


करें हम न खायेंगे न पोयेंगे और अब वे लेस हे।के आप 
की अज्ञा कौ बाट जेाइरहे हैं। २२ तब सेना के 
अध्यत्त ने उस तरुण के बिदा करके चिताया कि देख 
काईन जाने कि त्‌ ने ये बातें मुस्से कहीं । 

२३ ओर उसने शतपतिन में से दे। के। बलाके कहा 
कि केसरिया के जाने के लिये दे से याड्डा और 
सत्तर घाड़ चढ़े और दे से भलदत पइर रात ले 
लेंस कर रक्‍्खे।। २४ ओर बाइन सहे जे जिसते बे 
श्ैल के चढ़ाके फौलकस अध्यक्ष पास पहुंचावें। २५ 
और उसने इस उतार की निभित्त पत्री लिखों। २६ 
फौलकस महा महिमन अध्यक्ष के कलादियस लिसि 
यास का नमस्कार । २७ इस मनुय्य का विहूदियों ने 


पकड़ा और उनके हाथ से घात होने पर था तब डसे 


रूमी जानके में न याद्वाओं को लेके डसे जा छुड़ाया। 


र८ ग्रार उस पर उनके अपराध का देाष जान्ने का में. 


उसे उनकी सभा में लेगया। २८ और में ने उनको 


जा 8. >> 2. हि. 
ब्थवस्यथा के प्रश्न क बिघय म॑ डस पर देाष लगाते पाया 
परन्त उसे घात करने अथवा बंधन में डालने को में 


ने काई बात न पाई। ३० परन्तु जब मुझे संदेश पहुंचा 


कि यिह्ूदी उसके टके में लगे हें तब में ने तरन्त उसे 
आप पास भेजा अर उसके देषदायकों के भी आज्ञा 
किई कि जे उस पर अपषबाद रखते हें से आप के 
. आगे बणन करें कुशल हे।वे। 





२४ पबबे] प्रेरितां की क्रिया । ४७९. 


३९ योद्धा आज्ञा के समान पोल को लेके राते रात 
अन्तपतरस में लाये। ३२ गैर दूसरे दिन घोड़ चढ़ों 
के उसके साथी छोड़ के वे गढ़ का फिरे। ३३ से! 
कैसरिया में आके पत्री अध्यक्ष के दिई और पाल के 
भी उसके आग किया। ३४ अध्यक्ष ने पत्रौ पढ़ के 
पछा कि वृद्द किस प्रदेश का हैं और उसे किलकिय: 
का बम्क के । ३४ उसन कटा कि जब तेरे दाषदायक 
भी आवेंगे तब में तेरी सुनेंगा और उसे छिरूदीस के 
बिचार स्थान मं रखन को आज्ञा किई। 

२४ चेबौसवां पन्बे। 

९ पांच दिन पीछे प्रधान याजक हइनानिया प्राचीनों 
के और तरतलस नाम एक सुबतक्ता के संग उतर आया 
और वे अध्यक्ष के आगे बाल के बिरुड्व जा खड़े हुए । 
२ और जब वृद्द बुलाया गया तरतलस ने ये कहिके 
उसे दाष देना आरंभ किया कि डे महा राज फौंलकस 
इम सब प्रा धन्य मानके हर समय और इर स्थानम 
बड़े कुशल से रहते हं। ३ क्योंकि हम लोग आप कक 
कारण से बड़ा चेन पाते हैं लछ।र आप को प्रबोणता से 
इन लेगों के। बहुत से लाभ हैं। ४ तथापि जिसतें में 
आप के अधिक छोश न देऊ में आप कौ बिनतो करता 

_ हों कि कुपा करके हमारौ तनिक बातें सुनिये। ५ 
क्यांकि हमने इस मनृथ्थ के सब यिह्दियोां में जे 
_ जगत म हैं बिगाड़ और दंगइत पाया और नस रानियें 


४७२. - प्रेरितों कौ क्रिया । [२४ पब्मे 


के पंथ का अगुआ है। € उसने मंदिर के भी अपवित्र 
करने चाहा उसे हमने पकड़ा और अपनी ब्यवस्था को 
रौंति पर उसका न्याय करने चाहा । ७ परन्तु लसियास 
72. >> पड छ 
अध्यक्ष बड़ी सेना लेके हम पर चढ़ आया अगर उसे 
दि 2: अब. ८० कक. ० आओ 
इमारे हाथ से कड़ा लेके। ८ उसके ट्राषदायकोां के 
आप पास आने को आज्ञा किई जिसतें आप उसे 
जांचके हमारे देष लगाने कौ बातों काबमें। € 
और यिहुदियें ने भी यह कद्ििके मानलिया किये 
बात योंहों हैं । द 
हलक ० जे न्‍् | पु 
१५० फेर जब अध्यक्ष ने पाल के सन किया तब उसने क्‍ 
ह को, हि के ५ 
छत्तर दिया कि हे फोलकस जेसा में जानता होंकि 
आप बरसे से इन लोागों के न्यायी है में अधिक 
सुचिताई से अपना उत्तर देता हां। ९९५ आप बक्क 
सत्ता हें कि बारह दिन से अधिक नहों हुए जब से में 
सेवाके लिये यिरुशालम में गया था। ९२ ओर,  उनन्‍्हों 
ने मुझे किसो के संग मंदिर में बिवाद करते अथवा 
3 8 पक ढ ऐप + ७ 
लागों के भड़काते न पाया न तो मंडली म॑ न नगर 
में। ९३ जैर जिन बातें क बिषय में मुक्त पर देाष 
लगाते हैं वे ठहरा नहीं सत्ते हैं। ९४ परन्तु में आप के 
के "न ः मिली करन का ।॒ 
आग यह बात मानलेता हे कि उस मत के समान जिसे 
वे उपद्व कइते हैं में अपने पितरों के ईश्वर कौ सेवा 
करता हें और सब बातों का जे। व्यवस्था अगर भविय्य 
०9३ ण+ वी हि ध 
बाणियें में लिखी हें बिद्यास रखता है|। ९५ और 





डॉ 35 मा ंांधमांस्ं_ााआा ंं&2* 44 | ४ रू >> ्िशिशिशिएशट ७७ 


२४ पन्‍बे) प्रेरितां कौ क्रिया। ४७३ 


इंश्वर से यह अशा रखता है जिसे वे आप भी मानाते 
ह्वेकि मृतकों का जौ उठना हेगा क्या धर्मी क्या अधर्मी 
का। ९६ और इसी बात के लिये में ईश्वर के शैःर 
मन॒य्यां के आग मन का निरदोष रखने के। साधन करता 
हों। ९७ अब बहुत बरसे के पौछे में दान और भेंट 
अपने लेगों के लिये लाया। ९८ इस में आसिया के 
कितने यिहू दिया ने मुके न मंडलो से न ढ्ंगा से मंहिर 
में पवित्र किया हुआ पाया। ९८ और यदि उनका. 
मुझ पर कुछ अपबाद हे।तत्रे तो उचित था कि वे आप 
के आग आके मुझ पर देष लगाते। २० अथवा जब 
में सभा के आग खड़ा था तब यदि इन्‍्हों न मुक्त में कुछ 
आपराध पाया हो तो कहें। २९५ केवल इस एक बात 
के बिषय के लिये कि में उनमें खड़े हुए पकारा कि 
मतकोां के जो उठने के कारण से आज में तम से पछा 
जाता हों । | 
२ और जब फौोंलकस ने ये बातें सुनों ते। यह 
कह्िके उन्हें टाल दिया कि जब सेना का प्रधान लसियास 
आपवेगा ते में तन्हारी बात अच्छी रौति से बमेगा। 
२३ फेर उसने पाल के दृष्टि में रखने और उसे छट्ठौ 
देने और उसके मित्रों के उस पास आने जाने चर 
सहाय कर ने के एक शतपति के आज्ञा किईं। 
२४ थार कितने दिनें के पौछ फोलकस अपनी पत्नी 
दरूखल: विहू दिनौ के संग आया झैर पाल के बुल्म के 


89४ प्रेरितां की क्रिया। [२५ पर्व 


मसोहइ के बिग्यास के बिषय में उस्मु सुना। २५ ओर 
८ 2 हि रू ४ हा 

जब वुच्द धम के और संयम के और आवेया न्याय के 
बिषय में कह्दिरद्ा था तो फौलकस ने कांपते हुए 
उत्तर दिया कि अब ता तू जा में अवकाश पाके फेर 
तुझे बुला भेजेंगा। २६ डसे यह आशा भौथीो कि 
२ बे कर] हल्के रे 

पाल से कुछ राकड़ पावे जिसते डसे क्ाड़ देवे इस 
लिये वुद्द डसे बारंबार बुला के उसमे बातें करता घथा। 

५“ 88 ९: 
२७ और दे बरस पोछे पर्कयूस फसतस फौलकस को 
सनन्‍ती आया जैर फौलकस ने यिह्ूदियें कौ प्रसन्नता 
के लिये पोल के बंधुआई में छोड़ा । 
२५ पचोसवां पब्बे । 
की डर + 8. 

९ इस लिये जब फसतस उस प्रदेश म॑ पहुंचा ता 
तौन दिन पीछे केसरिया से यिरुशालम के गया। २ 
तब प्रधान याजक और यिह्दियें के मुखिये ने उसके 

सर का आज, है? मिकध क 5 
आग हे। पाल के बिराध में बिनती कर के इतना अनग्रह | 
चाहा । ३ कि वुद्ध उसे यिरृशालम में मंगवावे ओर 
लसे माग में घात करने का ढ़ूके में हुए। ४ परन्तु 
फ़सतस ने ऊत्तर देके कहा कि पाल कसरिया म॑ रहे 
और में आपभी शौघ्र वहां जानेपर हैे। ५ ओर 
तस्में से जे। मेरे संग जासके से चलें और यदि उसमें _ 
कुछ अपराध देय ते उसपर देष लगावें। | 

€ से। उनमें दस दिन से ऊपर रहइ्के वद केसरिया 
के गया बार दसरे दिन बिचार आसन पर बेठा और. 





२५ पन्ब] प्रेरितां कौ क्रिया । ४७५ 


घेल के लाने कौ आज्ञा किई। ७ अर जब वुद्द 
सन्मुख हुआ ते यिरशालम से आये हुए विहर्ृदियें ने 
चारे ओर खड़े हे।के पोल पर बहुत भारौो भारी देष. 
लगाये जे। उद्दरा न सके । ८ तब उसने अपने बिघय 
में उत्तर दिया कि में ने कोई अपराधन ते विहूदियों 
को ब्यवस्थां न मन्दिर और न केसर के बिरेघध में 
किया । € तब फसतस ने विहूदियें का मन रखने के 
लिये पोल के। उत्तर देके कह्दा क्या तु इन बातों के 
बिषय मे मेरे न्याय के लिये विरुशालम के जायगा!? 
२५० परन्तु पाल ने कहा कि में केसर के बिचार स्थान 
में खड़ा हे। डचित है कि मेरा बिचार यहीं किया जाय 
_विह॒हियों का में न कुछ अपराध न किया यह आप भी 
' अच्छी रौति से जानते हैं। ९९ क्योंकि यदि में ने अप 
राध अथवा घात के येग्य कुछ किया है ता घात होने 
से नाइ नहीं करता परन्तु जे उन देषों में स जे ये 
मुझ पर लगाते हैं कुछ नहीं है ते केाई मुस्क के उन्हें 
सॉंप नहीं सक्का में केसर की देहाई देता हे । ९२ तब 


फसतस ने सभा सं बात करके उत्तर म॑ कडा कि त केसर - 


की देाइहाई देता है त कसरचद्ौी के पास भेजा जायगा। 
₹ ओर कितने दिनें के पीछ अपा राजा ओर 
बरनौकी फसतस के नमस्कार करने के लिये केसरिया 
_ अं आये। ९५४ और उनके वहां बहुत दिन देलेहुए 
फसतस ने पाल का समाचार राजा से कद्टा कि यहां 


४३७६ प्रेरितें की क्रिया । [२५ पन्‍मे 


एक मनय्य है जिसे फीौलकस बंधन में छोड़ गया। २५ 
जब में यिरुशालम म॑ था ते प्रधान याजकां और यिचह् 
दिये के प्राचौ नां ने उसके बिषय म॑ कद्दा ओर मुक्क से 
उसपर टण्ड को आज्ञा चाद्दौ। ९६ चर में ने उन्हें 
उत्तर दिया कि रूमियें का यह व्यवहार नहों कि 


जबलें दे।षी अपने देषदायकों के सनन्‍्मख न हे।वे और. 
(हि. बाप प कर *. 
बचाव की बात करन न पावे किसी के। घातंक का 
सेंप। ९७ इस लिये जब वे यहां एकट्ले आये में ने. 
बिना बिलंब अगिले दिन बिचार आसन पर बेठ के. 


उस मन्ण्य के लाने को आज्ञा किई। ९८ चर जब 


लसके देषदायक खड़े हे के उन दोषों में से जो में. 


हैक कप ० पे ०९, 
समुक्कता था काई देष न लाये। ९८ परन्तु वे अपने 


निज मत कौ आर किसी यिशु के बिषय में, जे! मर 
गया जिसे पाल कच्दता है कि जोता है कुछ अपबाद 
उसपर करते थे। २० परन्त जंसा कि उसके बिषय को 


+ 


बात में मुझे सन्देह्द था में ने उसे कहा यदि तू चाहे ता 


यिरुशालम के। चल आर वहां इन बातों के बिषय में 


तेरा बिचार किया जाय। २९ परन्तु जब पालन 
देाइाई दढिई कि मेरा न्याय महाराज के बिचार पर 
छोड़ा जाय तब में ने उसे रख छोड़ने को आज्ञा किई 


जबले उसे केसर कने भे जे।प। २२ तब अपा ने फसतस 
से कहा कि में भो उस मनुय्य को सुन्न चाइता हें वइ 


बाला कि कल उसे सुनियेगा। 


; 


 . के शी 


२६ पत्जे] प्रेरितां की क्रिया । द 83७७ 


२३ से दूसरे दिन जब अपा ओर बरनौोकी बड़े 
बिभव से प्रधान सेनापतिन अर नगर के अछों के संग 
बिचार स्थान में आये तब फसतस को आज्ञासे पाल 
का लाये। २४ तब फसतस ने कहा कि हे राजा अपा 

हे 252 00 न चर 2०७. 20522 
और हे सारे लेगा तुम लेग इस मनुय्य के। देखते हे। 
जिसके बिषय में यिदृदियां कौ सारी मण्डलो यिरुशा 
लम से लेके यहां ले मेरे पोछ पछो हैं और देहाई 

३० ४ का * पा को डट रो 
देती हैं कि आगे के यह जौने के याग्य नहों है। 

अरे ० है ५2228: 
२५ परन्तु में ने उसपर घात के याग्य काई बात न पाई 
ग्रे थे 
तथापि जेसा उस ने महाराज को देहइाई दिई है में ने, 
उसे भजने के ठद्दराया है। २६ मुझे उसके बिषय में 
किसी बात का निशञ्चय नहों जे में अपने महाराज के 
लिखें इस कारण में उसे तुम्हारे आगे और निज कर के 
है राजा अपा आप के आगे लाया हे जिसते में जाचने 
के पौछ कुछ लिखसकें । २७ क्योंकि बिनअपराध बणन 
कियेहुए बंधुए के. भेजना मुझे अनुचित समककत पड़ता 
ञ्ै। 
२६ कछबोसवां पब्बे। 
को. , रे 
९ तब अपा ने पाल का कहा कि अपने बचाव को 
५ 
बात कर ने के तक आज्ञा है तब पाल ने हाथ बढ़ाके 
>> ८. रे 

अपने बचाव को बात कही। २ कि हे राजा अपा में 
हर 3 ०० ० कस ४ 
जे। आज के दिन आप के आगे उन सब बातों के बिषय 
विश वा *. >३० हि 
में, जे यिह्दो मुकक पर दाष लगाते ह अपने बचाव 


४३८ प्रेरितां कौ क्रिया । [२६ पब्के 


कौ बात करें यह मेरी सलुक्त में मेरा बड़ा भाग्य है। 
३ निज करके कि आप यिह्ूदियों के सारे ब्यवहारों 
और प्रश्नों के जानकार हैं इस कारण में आप की बिनती 
करता हो कि धौरज से मेरी सुनिये। ४ तरुणाई के 
आरंभ से यिरुशालम में जे! मेरी चाल अपने लागों में 
थी उसे सारे यिह्दौ जानते हैं। ५ यदि वे साक्षों 
द्वाचाहें ते मेरा समाचार पहिले से जानते हैं कि में. 
उनके मत के अत्याचार के सभान एक फरोसो हेरहा 
था। ६ और अब में उस बाचा कौ आशा के लिये जे 
इंश्वर ने हमारे पितरों के दिई बिचार स्थान में खड़ा _ 
किया गया हों। ७ आर हमारी बारइ गाछ्ो उस 
_ बाचा लो पहुंचने का रात दिन बड़े अभिलाष से प्राथनःए 
करने में आशा रखती है हे राजा अपा इसी आशा के 
बिषय में यिहूदौ मुझ पर देष लगाते हें। ८ यह क्या 
आप को समकक में बिश्वास के याग्य नहों कि ईश्वर 
मुतकों का जिलाबे ! € में भी निश्चय समभककता था कि 
मुझ पर उचित है कि यिशु नासरी के नाम के बिराध 
में बहुत कुछ करों। ५० सो में ने यिदशालम म॑ यहौ | 
किया और प्रधान याजकों से पराक्रम पाके बहुतेरे 
सिद्ठों के बंदौगुइ में डाला और जब वे घात किये जाते. 
थेता में उनके बिरुद्ध कहता था। ९९ आर में ने द 
बारंबार रूारो मंडलीो म॑ उन्हें ताड़ना किई और उनसे 
निंदा करवाई और उनके बेर में अत्यंत बेड़ाइपन से 


५2 


२६ पबने] प्रेरिलां कौ क्रिया । ४७८ 


में उपरी नगर ले उन्हें सताया किया। १२ इस बात 

के लिये जब में प्रधान याजकें से पर।क्रम और आज्ञा 
न हक हे हि 
पाक दमिपृक्त का चला जाता था। ९३ ता मध्यान्ह का 
माग में दोते हुए हे राजा में ने खग से एक ज्याति 
रूय से भी अधिक तेजेमय देखी जे मेरे गार मेरे 
संगी पथिकां की चारें आर चमकी। १४ गैर जब 
हम सब भमि पर गिर पड़े ता इबरी भाषा में मुझे यें 
कइते में ने एक शब्द सुना कि साऊल साऊल त्‌ मुम्के 
क्यों खताता है तुझे अरई पर लात मारना कठिन है। 
को ी० कप जे ०. 
९५ तब में ने कहा, हे प्रभत्‌ कान है? वह बाला कि 
में यिशु है जिसे तू सताता है। १६ परन्तु उठ खड़ा 
हो क्योंकि तुभ्के उन बस्तुन का, जे तूने टेखों हैं और 
उनका जो में तुमे दिखाओंगा सेवक अर साज्तो बनाने 
< लय 4 हु ९ हे ९ 
के लिये तुझे दर्शन दिया है। १५७ तुझे अपने लागों 
और अन्यदेशियां से बचाओंगा जिन पास उनको 
आंखें खेलने के अब में तुझे भेजता हें। ९८ जिसतें 
वे अंधियारे से उंजियाले की ओर अर शतान के बश 
से इंश्वर की आर फिर अर पाप मेचन ओर उनमें 
अधिकार पावें जे मरे बिश्रास के दारा से पवित्र हुए । 
७० 805५२ € 

९८ तब से हे राजा अपा में ने खग के दशन का बिलद्ध 

न किया। २० परन्तु पह्चिले ट्मिष्कक में ओर यिरुशालम 
में और पिहल्लदिय: देश के सारे लोगों के! और अन्य 
टेशियेां के कहा कि पद्मात्ताप करे ओर पद्मात्ताप के 


ह८० प्रेरितां को क्रिया4। [२६ पब्बे 


कि ९ ५2७४ हि 8 जी 
याग्य का काय करके ईश्वर को आर फिरा। २९ इन 
बातें के लिये यिद्दौ मुर्क मंदिर में पकड़ के घात 
करने के लेस हुए। २२ से ईश्वर से उपकार पाके में 
आज ले काटे बड़े के आगे साच्ची देता हों और उन 
नि 0. आर्ट कि ६ । 
नातों का छाड़, कुछ न कद्ता था जिनके डोने का. 
संदेश भविस्वद्धक्तां ने और मसा ने दिया। २३ कि 
5. ९ कक एक अर. ०. ६ (१: 25% मम 
मसीह कष्ट उठाके मुतकें में से पद्चिल जौ उठके लोगों 
और अन्य दे शियें क आग ज्याति को प्रगट करेगा।. 
२४ और जब वुद अपन बचाव कौ बात कर रह्दा था 
० “5 ० हे - 
फसतस न युकार के कहा कि हे पाल त्‌ आप मे नहीं 
है बिद्या को बहुलाई ने तुमे सिर्री किया। २५ परन्तु 
लसने उत्तर दिया कि हे महामहिमन फसतस में सिर 
नहों परन्त धन ओर रुज्ञान कौ बातें कइता हे । २६ 
क्योंकि राजा भी ये बातें जानते हैं जो में भी खाल के 
कहता हो क्योंकि मुझे निश्चय है कि इनमे से काई 
बात उस्ये छिपी नहीं क्योंकि यह बात काने में न हुई। 
३७ हे राजा अपा आप भविय्यद्रक्तों पर विश्वास रखते 
हैं में जानता हें कि आप विश्वास रखते हैं । २८ तब 
बे है 
: अपा ने पाल से कद्दा, तनिक है कि तू मुभो मना के 
हु , रे के ५... ० हे 
क्रीशियान बनाडाले। २८ पाल बाला में ते ईश्वर से 
ह हब कि 
चाइता है| कि कवल आप नहीं परन्तु सबकसब भौ जा 
आज मेरी सुनते हें तनिक क्या उन सौकरों का छाड़ 
यूरे मेरे सशान हे।वें। 


२७ पन्ने] - प्रेरितां को क्रिया । ४८९ 


₹० और जब उसने ये कहा ते राजा और अध्यक्ष 
झैएर बरनौकों और उनके संगो उठे। ३९ ओर वे 
अलग चेकके आपुस में कद्दने लगे कि इस मनुष्य ने घात 
हैने अथवा बंधन क येग्य कुछ नहीं किया। ३२ तब 
अप ने फसतस से कहा, कि यदि यह मनुष्य कसर कौ 
देइहाई न देता ते छुड़ाया जा सक्षा । 

२७ सताईसवां पब्बे । 

२ गैर जेसा कि जहाज पर ऐतलिय:ः का हमारा 
जाना ठइ्दराया गया उन्हें ने पोल के कितने बंधओं 
के संग अगसतूसी सेना में के यूलियस नाम शतपति के 
सोंप छ्थि। २ और इमने अदरमतीनी जहाज पर 
चढ़ के आसिया के तीर तौर हेके जाने का मन करके 
लंगर उठाया और तसलूनो का एक मकदूनो अरिस्तर 
खस इमारे संग था। ३ हसरे दिन इम सेदालें पहुंचे 
ओर यलियूस ने पोल पर दया करके उसे अपने मित्रों 
के पास जाके चेन करने द्या। ४ वहां से लंगर डठाके 
इम कपरस के नौचे होके पहुंचे क्योंकि बयार सन्मुख 


को थी। ५ ओर किलकियः और पंफूलिय: के सन्युख 


के समुद्र में से इन लूकिय:ः के मरा में आवये। 

. ६ वहां उस शतपति ने ऐतलियः के जाते हुए एक 
अस्कन्हरानों जद्दाज पाके इम उस पर चढ़ाया। ७ 
आर जब इम बहुत दिनलें धौरे धीरे चले गये और 


बयार के रोकने से कठिन से कन्दस के सन्मुख आके 
4 | 


४८२ है. प्रेरितों कौ क्रिया । [२७ ब्बे 


क्रोत के तले सलमनी के सन्मुख चले। ८ ते कठिन से 
वचद्दां से आगे बढ़के एक स्थान में, जे। सुन्दर घाट कच््दा 
बता है आये ओर लासिया का नगर उसके परेस था । 
€ ओर जब समय बचुत बौतगया ओर चलेजाने में 
जेखिम था, क्योंकि! ब्रत का समय बीत गयाथा तो 
पोल ने उन्हें चिताके कहा, । १० हे महाशय में देखता 
हों कि इस,यात्रा में दुःख और बचुत टूटौ देगी केवल 
जच्ाज ओर बोककाई को नहों परन्तु हमारे प्राण कौ 
भी । ९५९ परन्तु पाल के कच्दने से शतपति को मांकी का 
और जचाजपति का अधिक मान था। ९२ ओर जेसा 
कि वुद्द घाट जाड़ा काटने का फेलाव न था बहुतेरों ने 
वहां से चलनिकलने का कच्ा जिसतें जे। होसके ते 
फुनौकौ ले पहुंच के जाड़ा कार्टें वृद्द क्रोत का घाट 
दक्खिन पच्छिम और उत्तर पच्छिम की आर का था। 

९३ झऔर जब द क्थिनौ बयार रसायन रसायन बचने 
लगी ते उन्‍्हां न अपने अभिलाष का परा समकक के 
लंगर उठाया जर क्रीत के पास से चले गये। १४ 
परन्त तनिक पीछ जहाज सन्मख एक आंधी को बयार 
उठी जे यरक्तोदून कद्दावती है। ९५ जैर जब जहाज 
के उड़ाई चली गई ज"यैर बयार के सन्मुख न ठद्दर सको 
तलब इमने हाथ उठाया। ९६ अर कलादौ नाम 
किसौ टाप्‌ के तले जाते जाते बड़े कठिन से डॉगी के 
बश में किया। ९७ से जब उन्हों ने उसे खोंचलिया 


२७ पन्ने] प्रितां कौ क्रिया । हर ४८३ 


तब जतन कर कर जहाज को बांधके चार बालू मं 
 फंसने कौ डरके मारे पाल गिरादिया ओर ये उड़ाये 
गये। ९८ जआर आंधो से निपट सताये जाके टूसरे 
दिन उन्हां ने जद्ााज के इलुक किया। ९५८ गऔार 
तौसरे दिन हम ने अपने हाथों से जद्दाज कौ सामग्री 
के फेंक दिया। २० और जब बहुत दिन लें रूय 
और दिखाई न ढिये और आंधी भो न थंभी अन्त केा 
बचने की सारो आशा हम से जाती रहौ। 

२९ अर बबहुतसे उपबास के पोछ पेल उनके मध्य 
में खड़ा डोीके बाला कि हे मद्दाशय त॒न्हें मेरी सुन्ने का 
उचित छा और क्रौत से खेलना न था जिसतें ढःख 
और टूटो न उठाते। २९ तथापि अब भी में तुन्हारी 
_ बिनतो करता हें कि धो रज धरे क्योंकि तुस्म से किसो 

के ग्राण का नाश न देगा परन्तु केवल जहाज का। २३ 
क्यांकि जिस ईश्वर का में हें भर जिसकौ सेवा करता 
ह उसके ट्ूतने राव का मुझे दर्शन में कद्दा। २४ कि 
हे पे।ल मत डर तुक्के केसर के आग खड़ा द्वोना अवश्य 
है और देंख ईश्वर ने इन सभा के, जे। जहाज म॑ तेरे 
साथ हैं तम्ते दिया। २५ इस कारण हे मदहाशय घोरज 
धरे क्योंकि में ईश्वर पर भरोसा रखता हों कि जेसा 
मुझे कहागया वेसाहौ च्ञोगा। २६ परन्त किसौ टापू 
में इम अवश्य जा पड़ेंग। 

२७ और जब चेदहवीं रात हुई और इम अद्विया 


४८४ प्रेरितां कौ क्रिया । [२७ पन्ने 


के समुद्र में मारे फिरे आधी रात के समय में डांडियों 
ने अटकल से जाना कि किसो देश के निकट पहुंचे । 
> पल के, ८ प अत. ७ ० 
र८ बेर थाह लेते उन्हों ने बोस पुरसे पाये ओर घोड़ा 
हब शहट हिल 5. ॥85%५ जी हक कप 
आग जाके फर घथाइ लिई ता पंद्रइ परसे पाये। २८ 
5 भर कर छा न लि 
तब पत्थरले तोर पर पडलने को डर के मारे उन्हों ने 
जब ७ 82. | 
पथवार कौ आर से चार लंगर डाले और बिच्दान 
द्ोने कौ आशा में रहे। 
» कक 22028: के 
३० परन्तु जब डा ड़ियां ने जहाज पर से भागने कौ 
युक्ति किई चर गलहौ से लंगर डालने के छल से डांगी 
उतारी । ३९५ ते पाल ने शतपति और याद्वाओं के 
का कि जहाज में बेइन के रहने से तुम ले|गहबच नहीं 
०8४ 5> ८६ ली न आप 50 न कक ७५५. 
सक्त। ३२ तब याद्धाओं ने डॉंगी को रस्मिये| का काट 
के उसे गिरा दिया। 
४ मे ० 
३९ और दिन निकलते निकलते पल ने उन्हें कुछ 
५ 
खाने के बिनती किई कि तुम लेाग चादइ दहन से 
तकते हे! और उपवास कर रहे हो ओर कुक नहों 
खाये हे। । ३४ अब में तुम्हारी बिनती करताहें कि 
कुछ खाले। कि इस में तुन्हारा बचाव है क्योंकि तुस्में से 
किसोौ के सिर का एक बाल नष्ट न हेगा। २५ उसने 
यें कहिक रोटो लिई ओर सभों के आगे ईश्वर का 
धन्य माना और तेड़ के खाने लगा। ३६ अर मन में 
धौरज पाके सभो ने रोटी खाईं। ३७ अगर हम सबके 
॥ “मी 2 रो 
सब जहाज पर दा सा छिहुत्तर प्राणी थ। ३२८ आर 


र८ पन्ने] प्रेरितां कौ क्रिया । ४८५ 


भाजन से तप्त होके उन्होां ने अन्न का समुद्र में डाल के 
जहाज के इलक किया। 

३८ और जब दिन हुआ ते। उनन्‍्हों ने उस भमि के 
न पहिचाना परन्त एक काल देखो जिसको तौर था 
जिसमें उन्‍्हां ने चाहा कि जे। द्वोसके ते जहाज के 
उसमें घुसा देवे। ४० और जब उन्हों ने लंगर उठाये 
ते त्रन्त पतवार को रस्सी खेल के खमुद्र मं छोड़ो 
और बयार के रुख पर बड़ौ पाल चढ़ा के तोर को 
ओर चले । ४९ परनन्‍्त एक स्थान में जहा दे। समुद्र का 
संगम था पहुंच के जहाज का तौर पर ढोड़ा दिया 
तब गलही फंरुगई और रुक गई अर लहरों के 
लहरे के मारे पतवार कौ धज्जियां उड़गई। ४२ तब 
याद्धाओं का मंत्र हुआ कि बंधुओं के। मार डालें नहेा 
कि उनमें से केई पवंर के चलदे। ४३ परन्त पोल के 
बचाने को इच्छा से शतपति ने उनके ठंइराये हुए से 
उन्हें रोक रक्‍्खा और जे पवर सक्ते थे पद्धिले उन्ह 
समुद्र में कूद के तौर पर जाने की आज्ञा किई। ४४ 
अरु और कितनी सिल्लियें पर और कितने जहाज के 
टुकड़ों पर और योंहीं हुआ कि वे सबके सब भूमि पर 
कुशल से पहुंच गये । 

रणझ अट्टाईसवां पब्बे 

९ अंश उनके बचने के पीक वे जान गये कि उस 

टापू का नाम मलखिता था। २ और वहां के बनेले 


४८ प्रेरितां को क्रिया । [र८ पब्वे 


लेगों ने हम सभां पर बड़ा अनुग्मद किया क्यांकि मेंद 
को भेड़ी ओर जाड़े के मारे उन्हें। ने आग खुलगा के 
ऋम सभों के। पास बुलाया । 

₹ और जब पाल ने लकड़ियां को आंटो णकट्टी 
करके आग पर रक्‍्खौं ता एक नाग ताप पाक निकला 

मिल... 
और उसके हाथ पर लपटा गया। ४ तब उन॑ बनेले 
जा, अध्थक ८ ५ ऐड: की 
लेागे ने उस जंतु का उसके द्वाथ पर लटकते टेखके 
आपुस में कहा कि निश्चय यह मनुय्य इत्यारा है यद्यपि 
यह समुद्र से बच निकला तथापि दंड दायक उसे जोन 
नहों देता। ४ परन्तु उसने उस जनन्‍्तु के आग में 
के डर के 
भटक के कुछ दःख न पाया। ६ आर वे देखते रहे कि 
वच रूजजायगा अथवा आकर्मात गिर के मरजायगा 
० न ग 
परन्तु जब उन्हों ने बड़ी बेरलां अगेोरा आर उस पर 
न 
कुछ दःख पड़ते न देखा तब कुछ ओर हो समक्क के 
७. 3३३० 
बाले कि यह देव हं। 
. ७ और इस खिवाने में उस टापू के ठाकुर का 
अधिकार था जिसका नाम पबलयूस था उसने हम 
लेगें का घर लेजाके तोन दिन ले| हमारा शिष्टाचार 
किया। ८ और यें हुआ कि पबलयूस का पिता ज्वर 
से आर आंवलेह् से रोगी पड़ा था ता पाल ने उस 
* € 5. ०-९ 
पास जाके प्राथना किई आर अपने हाथ उस पर रखके 
० न्‍ झ 

उसे चंगा किया। ८ से जब यह हुआ ता आर भी 
जा उध् टापू में रोगी थे आये और चंग हुये। 


र८ पन्ने] प्ररितां कौ क्रिया । ४८७ 


बी कह 2 9 न्‍ 
९० उन्‍्हों ने भो बचुत आदर स हमारा सन्मान किया 
से रू जे के 53 कर 
ओर जब इहम लेग चलने लगे ता जे जे इसें आवश्यक 
था से से उन्‍्हें। ने लाद दिया। 
कद 830 
९९ और तौन मास पौछ हमले।ग एक अस्कन्दरिय: 

जचह्दाज पर चलनिकले जिसने उस टापू में जाड़ा काटा 
था जिसके चिन्ह दे। देब बच्चे थे। ९२ ओर सौराकेासी 
में पहुंचके तीन दिन रच्दे । ९६ फर वहां से तौर तोर 
घूम के रौजयूम के सन्मुख आये और एक दिन पौछे 
दक्खिन को बयार चलो तब इमलेग दे दिनम॑ पत 
यूलो में पहुंचे। ९४ वहां इमलेग भाइयों का पाके 
उनको बिनतो से सात दिन ठइरे ओर रूम के। चले 
गये। ९५ वहां से भाइयें न इमारा संदेश सुन के 
अपीकारम चर तौोन सरा ले इमारी मेट के आये 
डर सु ० 
पे।ल ने उन्हे देख के ईश्वर का धन्य माना और जोव 
पाया । द 

९६ और जब हम रूम में आये. ते शतपति ने 
बंधुओं के। निज सेना के प्रधान के सेंप दिया परन्तु 
डर अं ने तु तु 
पे।ल अपने रखवाल याद्आा के साथ अकेला अपनेही 

० + रु रू 
घर म॑ रहने पाया। १९७ बेर ऐणेसा हुआ कि तौन 
७. ७ 5232 20 ० बह ३ हे 

दिन पीक पाल ने अछ जिल्ह॒दियों का बुलाया आर 
जब वे एकट्ले आये ते उन्हें कहा कि हे भाइयेा यद्यपि 
मैं नकाई कस्मे लेगों के व्यवहार का अथवा पितगणें के 
बिरुद्ट न किया तथापि में बंधुआ होके विरुशालम से 


४८ प्रेरितां कौ क्रिया । [रु पब्बे 
25 ० 9 ०७» ७२३० आए ५ के जा, जज 
रूमियें के दाथ में सापागया। ९् उन्हों न मुम्कभ 
५ 9 का जल न रू, 
जांचके छाड़ देन चाहा इस लिये कि घात किये जान 
का मुक्त में कोई कारण न था। ९८ पर जब यिहू दिया 
ने बिराध किया ते में ने सकेती से केसर कौ देाइाई 
हिई इस लिये नहों कि में अपने लाोगां पर किसी बात 
9... 385० अकर० ० मी तर्ज है203. ध् कक ्छ 
का देष देशां। २० सा इसी कारण स में ने तुन्हे 
देखने का और बात चौत करने के बिनती किई 
है ० कक 
क्योंकि इसराईल की आशा के लिये में इस सौकर से 
५ ५ $+ 5 ७" 9 किक 5 
बंधाहें। २९ उन्हां ने उस कद्दा कि इम सभों ने तेरे 
बिषय में यिह्लद्य: से पत्रौी न पाई ओर न किसी ने 
भाइयों में से आके कुछ संदेश दिया अथवा कुछ तेरे 
बिषय में बरौ कहो। २२ परन्तु जे त्‌ समझता है 
कप बे 8 23 _ २३० 
हम तुभी से सुन्ने चाइते हैं क्योंकि हम जानते हैं 
कि हर एक स्थान में इस मत के बिषय नें निंदा किई 
जातौ हैं। 

२६ झओऔर वे उसके लिये एक दिन ठदराके उसके 
टिकाव में बहुताई से आये उनके आगे वह बणन करके 
मसा को व्यवस्था से और भविव्यद्ाणियां से बिच्चान से 
5०22४ ४2000 न कप * 
लेके सांकले ईश्वर के राज्य पर साक्षों देता और यिशु 
के मत पर प्रमाण लाता था। २४ तब कितनों ने उन 
बातां पर ले। कह्चौजातो थी बिश्यास किया और 
कितना ने न किया। २४५ जब वे आपुस में एक मता न _ 
; 300 ६“ अफ ७ "मे 
हुए उससे पहले कि वे चलेजांय पाल ने उन्हें यद बचन 


र८ पब्ब] प्रेरितां की क्रिया । डैण्ढ 


कहा कि धनात्मा ने हमारे पितरों से आशिया भविष्य 
रे हा 2 
इत्ता के दारा से ठौक कहा। २६ कि इन लोगां के 
पास जा जार कच् कि सुनते हुए सुनागे आर न 
८५ 8 5 कु शक |. ४9. 
ससुक्काग टेखते हुए देखेग और न रूकेगा। २७ क्यांकि 
इन लेगों का मन चिकना गया ओर उनके कार सुन्ने 
हक. ०. के जम का ००5७७ ७ ० 
में भारो हुए ह॑ं आर उन्हां मे अपनो आंखें मंद लियां 
जे े ३ 2७५ ५०७५. ६७७ जे ० ० ०3 5 
हनहेकिवेआंखेांस देख ओआर कानों से सुन आर 
०५ ०७ ७२७ 6007 करू ०), का ५ ० 
मन मे समझे और फ़िर जांय आर में उन्ह चंगा करों। 
ह 52 ६ ७ 
र८ ता यह तुन्हें जाना जाय की ईश्वर कौ सुक्ति अन्य 
देशियें के पास भेजो गई ओर वे सुन लेंगे। २८ जब 
०४ > न हि. हैक. 243, 
वच्द ये बातें कद्दचुका ता बविह्लदों आपस में बड़ा बिवाद 
करते हुए चले गये। 
कप को ऐप आप 
₹० परन्तु दे। बरस भर के पाल अपनेदी भाड़े के 
० 3 के तक हक (53 
घर म॑ रहा किया और सभों के। जे। उस पास आते थे 
कु 470 ३ ४3० 8 22. 
ग्रहण करके। ३९ बिना रोक स बचन खाल खाल 
ऊु पु 
ईश्वर के राज्य का उपदेश करता रहा आर प्रभु विशु 
मसौच के बिषय की बातें सिखाता रह्टा। 


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बस कं ३-6 + “हकरु७७७+++ कई 














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॥॥९ 09+# 605/06।|5 8॥0 8८(५5॥॥ (॥6 +॥09/ 
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